९१
فَسَلٰمٌ لَّكَ مِنْ اَصْحٰبِ الْيَمِيْنِۗ ٩١
- fasalāmun
- فَسَلَٰمٌ
- तो सलाम है
- laka
- لَّكَ
- तेरे लिए
- min
- مِنْ
- (कि तुम)दाऐं जानिब वालों में से हो
- aṣḥābi
- أَصْحَٰبِ
- (कि तुम)दाऐं जानिब वालों में से हो
- l-yamīni
- ٱلْيَمِينِ
- (कि तुम)दाऐं जानिब वालों में से हो
तो 'सलाम है तुम्हें कि तुम सौभाग्यशाली में से हो।' ([५६] अल-वाकिया: 91)Tafseer (तफ़सीर )
९२
وَاَمَّآ اِنْ كَانَ مِنَ الْمُكَذِّبِيْنَ الضَّاۤلِّيْنَۙ ٩٢
- wa-ammā
- وَأَمَّآ
- और लेकिन
- in
- إِن
- अगर
- kāna
- كَانَ
- है वो
- mina
- مِنَ
- झुठलाने वालों में से
- l-mukadhibīna
- ٱلْمُكَذِّبِينَ
- झुठलाने वालों में से
- l-ḍālīna
- ٱلضَّآلِّينَ
- गुमराह लोगों में से
किन्तु यदि वह झुठलानेवालों, गुमराहों में से है; ([५६] अल-वाकिया: 92)Tafseer (तफ़सीर )
९३
فَنُزُلٌ مِّنْ حَمِيْمٍۙ ٩٣
- fanuzulun
- فَنُزُلٌ
- तो महमानी है
- min
- مِّنْ
- खौलते पानी से
- ḥamīmin
- حَمِيمٍ
- खौलते पानी से
तो उसका पहला सत्कार खौलते हुए पानी से होगा ([५६] अल-वाकिया: 93)Tafseer (तफ़सीर )
९४
وَّتَصْلِيَةُ جَحِيْمٍ ٩٤
- wataṣliyatu
- وَتَصْلِيَةُ
- और जलना है
- jaḥīmin
- جَحِيمٍ
- जहन्नम में
फिर भड़कती हुई आग में उन्हें झोंका जाना है ([५६] अल-वाकिया: 94)Tafseer (तफ़सीर )
९५
اِنَّ هٰذَا لَهُوَ حَقُّ الْيَقِيْنِۚ ٩٥
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- hādhā
- هَٰذَا
- ये
- lahuwa
- لَهُوَ
- अलबत्ता वो ही है
- ḥaqqu
- حَقُّ
- जो हक़ है
- l-yaqīni
- ٱلْيَقِينِ
- यक़ीनी
निस्संदेह यही विश्वसनीय सत्य है ([५६] अल-वाकिया: 95)Tafseer (तफ़सीर )
९६
فَسَبِّحْ بِاسْمِ رَبِّكَ الْعَظِيْمِ ࣖ ٩٦
- fasabbiḥ
- فَسَبِّحْ
- पस तस्बीह कीजिए
- bi-is'mi
- بِٱسْمِ
- नाम की
- rabbika
- رَبِّكَ
- अपने रब की
- l-ʿaẓīmi
- ٱلْعَظِيمِ
- जो निहायत अज़मत वाला है
अतः तुम अपने महान रब की तसबीह करो ([५६] अल-वाकिया: 96)Tafseer (तफ़सीर )