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सूरा अर-रहमान - Page: 6

Ar-Rahman

(The Beneficent, The Mercy Giving)

५१

فَبِاَيِّ اٰلَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبٰنِ ٥١

fabi-ayyi
فَبِأَىِّ
तो कौन सी
ālāi
ءَالَآءِ
नेअमतों को
rabbikumā
رَبِّكُمَا
अपने रब की
tukadhibāni
تُكَذِّبَانِ
तुम दोनों झुठलाओगे
अतः तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे? ([५५] अर-रहमान: 51)
Tafseer (तफ़सीर )
५२

فِيْهِمَا مِنْ كُلِّ فَاكِهَةٍ زَوْجٰنِۚ ٥٢

fīhimā
فِيهِمَا
उन दोनों में
min
مِن
हर
kulli
كُلِّ
हर
fākihatin
فَٰكِهَةٍ
फल की
zawjāni
زَوْجَانِ
दो क़िस्में हैं
उन दोनों (बाग़ो) मे हर स्वादिष्ट फल की दो-दो किस्में हैं; ([५५] अर-रहमान: 52)
Tafseer (तफ़सीर )
५३

فَبِاَيِّ اٰلَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبٰنِۚ ٥٣

fabi-ayyi
فَبِأَىِّ
तो कौन सी
ālāi
ءَالَآءِ
नेअमतों को
rabbikumā
رَبِّكُمَا
अपने रब की
tukadhibāni
تُكَذِّبَانِ
तुम दोनों झुठलाओगे
अतः तुम दोनो रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे? ([५५] अर-रहमान: 53)
Tafseer (तफ़सीर )
५४

مُتَّكِـِٕيْنَ عَلٰى فُرُشٍۢ بَطَاۤىِٕنُهَا مِنْ اِسْتَبْرَقٍۗ وَجَنَا الْجَنَّتَيْنِ دَانٍۚ ٥٤

muttakiīna
مُتَّكِـِٔينَ
तकिया लगाए हुए होंगे
ʿalā
عَلَىٰ
ऐसे बिस्तरों पर
furushin
فُرُشٍۭ
ऐसे बिस्तरों पर
baṭāinuhā
بَطَآئِنُهَا
अस्तर जिनके
min
مِنْ
मोटे रेशम के होंगे
is'tabraqin
إِسْتَبْرَقٍۚ
मोटे रेशम के होंगे
wajanā
وَجَنَى
और फल
l-janatayni
ٱلْجَنَّتَيْنِ
दोनों बाग़ों के
dānin
دَانٍ
झुके हुए होंगे
वे ऐसे बिछौनो पर तकिया लगाए हुए होंगे जिनके अस्तर गाढे रेशम के होंगे, और दोनों बाग़ो के फल झुके हुए निकट ही होंगे। ([५५] अर-रहमान: 54)
Tafseer (तफ़सीर )
५५

فَبِاَيِّ اٰلَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبٰنِ ٥٥

fabi-ayyi
فَبِأَىِّ
तो कौन सी
ālāi
ءَالَآءِ
नेअमतों को
rabbikumā
رَبِّكُمَا
अपने रब की
tukadhibāni
تُكَذِّبَانِ
तुम दोनों झुठलाओगे
अतः तुम अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे? ([५५] अर-रहमान: 55)
Tafseer (तफ़सीर )
५६

فِيْهِنَّ قٰصِرٰتُ الطَّرْفِۙ لَمْ يَطْمِثْهُنَّ اِنْسٌ قَبْلَهُمْ وَلَا جَاۤنٌّۚ ٥٦

fīhinna
فِيهِنَّ
उनमें होंगी
qāṣirātu
قَٰصِرَٰتُ
झुकाने वालियाँ
l-ṭarfi
ٱلطَّرْفِ
निगाहों को
lam
لَمْ
नहीं
yaṭmith'hunna
يَطْمِثْهُنَّ
छुआ उन्हें
insun
إِنسٌ
किसी इन्सान ने
qablahum
قَبْلَهُمْ
उन से पहले
walā
وَلَا
और ना
jānnun
جَآنٌّ
किसी जिन्न ने
उन (अनुकम्पाओं) में निगाह बचाए रखनेवाली (सुन्दर) स्त्रियाँ होंगी, जिन्हें उनसे पहले न किसी मनुष्य ने हाथ लगाया और न किसी जिन्न ने ([५५] अर-रहमान: 56)
Tafseer (तफ़सीर )
५७

فَبِاَيِّ اٰلَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبٰنِۚ ٥٧

fabi-ayyi
فَبِأَىِّ
तो कौन सी
ālāi
ءَالَآءِ
नेअमतों को
rabbikumā
رَبِّكُمَا
अपने रब की
tukadhibāni
تُكَذِّبَانِ
तुम दोनों झुठलाओगे
फिर तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे? ([५५] अर-रहमान: 57)
Tafseer (तफ़सीर )
५८

كَاَنَّهُنَّ الْيَاقُوْتُ وَالْمَرْجَانُۚ ٥٨

ka-annahunna
كَأَنَّهُنَّ
गोया कि वो हैं
l-yāqūtu
ٱلْيَاقُوتُ
याक़ूत
wal-marjānu
وَٱلْمَرْجَانُ
और मरजान
मानो वे लाल (याकूत) और प्रवाल (मूँगा) है। ([५५] अर-रहमान: 58)
Tafseer (तफ़सीर )
५९

فَبِاَيِّ اٰلَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبٰنِ ٥٩

fabi-ayyi
فَبِأَىِّ
तो कौन सी
ālāi
ءَالَآءِ
नेअमतों को
rabbikumā
رَبِّكُمَا
अपने रब की
tukadhibāni
تُكَذِّبَانِ
तुम दोनों झुठलाओगे
अतः तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे? ([५५] अर-रहमान: 59)
Tafseer (तफ़सीर )
६०

هَلْ جَزَاۤءُ الْاِحْسَانِ اِلَّا الْاِحْسَانُۚ ٦٠

hal
هَلْ
नहीं
jazāu
جَزَآءُ
बदला है
l-iḥ'sāni
ٱلْإِحْسَٰنِ
एहसान का
illā
إِلَّا
मगर
l-iḥ'sānu
ٱلْإِحْسَٰنُ
एहसान ही
अच्छाई का बदला अच्छाई के सिवा और क्या हो सकता है? ([५५] अर-रहमान: 60)
Tafseer (तफ़सीर )