४१
يُعْرَفُ الْمُجْرِمُوْنَ بِسِيْمٰهُمْ فَيُؤْخَذُ بِالنَّوَاصِيْ وَالْاَقْدَامِۚ ٤١
- yuʿ'rafu
- يُعْرَفُ
- पहचाने जाऐंगे
- l-muj'rimūna
- ٱلْمُجْرِمُونَ
- मुजरिम
- bisīmāhum
- بِسِيمَٰهُمْ
- अपने चेहरों की अलामत से
- fayu'khadhu
- فَيُؤْخَذُ
- तो वो पकड़े जाऐंगे
- bil-nawāṣī
- بِٱلنَّوَٰصِى
- पेशानी के बालों से
- wal-aqdāmi
- وَٱلْأَقْدَامِ
- और क़दमों से
अपराधी अपने चहरों से पहचान लिए जाएँगे और उनके माथे के बालों और टाँगों द्वारा पकड़ लिया जाएगा ([५५] अर-रहमान: 41)Tafseer (तफ़सीर )
४२
فَبِاَيِّ اٰلَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبٰنِ ٤٢
- fabi-ayyi
- فَبِأَىِّ
- तो कौन सी
- ālāi
- ءَالَآءِ
- नेअमतों को
- rabbikumā
- رَبِّكُمَا
- अपने रब की
- tukadhibāni
- تُكَذِّبَانِ
- तुम दोनों झुठलाओगे
अतः तुम दोनों अपने रब की सामर्थ्यों में से किस-किस को झुठलाओगे? ([५५] अर-रहमान: 42)Tafseer (तफ़सीर )
४३
هٰذِهٖ جَهَنَّمُ الَّتِيْ يُكَذِّبُ بِهَا الْمُجْرِمُوْنَۘ ٤٣
- hādhihi
- هَٰذِهِۦ
- ये है
- jahannamu
- جَهَنَّمُ
- जहन्नम
- allatī
- ٱلَّتِى
- वो जो
- yukadhibu
- يُكَذِّبُ
- झुठलाते थे
- bihā
- بِهَا
- उसे
- l-muj'rimūna
- ٱلْمُجْرِمُونَ
- मुजरिम
यही वह जहन्नम है जिसे अपराधी लोग झूठ ठहराते रहे है ([५५] अर-रहमान: 43)Tafseer (तफ़सीर )
४४
يَطُوْفُوْنَ بَيْنَهَا وَبَيْنَ حَمِيْمٍ اٰنٍۚ ٤٤
- yaṭūfūna
- يَطُوفُونَ
- वो गर्दिश करेंगे
- baynahā
- بَيْنَهَا
- दर्मियान उसके
- wabayna
- وَبَيْنَ
- और दर्मियान
- ḥamīmin
- حَمِيمٍ
- सख़्त गर्म पानी
- ānin
- ءَانٍ
- खौलते हुए के
वे उनके और खौलते हुए पानी के बीच चक्कर लगा रहें होंगे ([५५] अर-रहमान: 44)Tafseer (तफ़सीर )
४५
فَبِاَيِّ اٰلَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبٰنِ ࣖ ٤٥
- fabi-ayyi
- فَبِأَىِّ
- तो कौन सी
- ālāi
- ءَالَآءِ
- नेअमतों को
- rabbikumā
- رَبِّكُمَا
- अपने रब की
- tukadhibāni
- تُكَذِّبَانِ
- तुम दोनों झुठलाओगे
फिर तुम दोनों अपने रब के सामर्थ्यों में से किस-किस को झुठलाओगे? ([५५] अर-रहमान: 45)Tafseer (तफ़सीर )
४६
وَلِمَنْ خَافَ مَقَامَ رَبِّهٖ جَنَّتٰنِۚ ٤٦
- waliman
- وَلِمَنْ
- और उसके लिए जो
- khāfa
- خَافَ
- डरे
- maqāma
- مَقَامَ
- खड़ा होने से
- rabbihi
- رَبِّهِۦ
- अपने रब के सामने
- jannatāni
- جَنَّتَانِ
- दो बाग़ है
किन्तु जो अपने रब के सामने खड़े होने का डर रखता होगा, उसके लिए दो बाग़ है। - ([५५] अर-रहमान: 46)Tafseer (तफ़सीर )
४७
فَبِاَيِّ اٰلَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبٰنِۙ ٤٧
- fabi-ayyi
- فَبِأَىِّ
- तो कौन सी
- ālāi
- ءَالَآءِ
- नेअमतों को
- rabbikumā
- رَبِّكُمَا
- अपने रब की
- tukadhibāni
- تُكَذِّبَانِ
- तुम दोनों झुठलाओगे
तो तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे? ([५५] अर-रहमान: 47)Tafseer (तफ़सीर )
४८
ذَوَاتَآ اَفْنَانٍۚ ٤٨
- dhawātā
- ذَوَاتَآ
- दोनों बहुत शाख़ों वाले हैं
- afnānin
- أَفْنَانٍ
- दोनों बहुत शाख़ों वाले हैं
घनी डालियोंवाले; ([५५] अर-रहमान: 48)Tafseer (तफ़सीर )
४९
فَبِاَيِّ اٰلَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبٰنِ ٤٩
- fabi-ayyi
- فَبِأَىِّ
- तो कौन सी
- ālāi
- ءَالَآءِ
- नेअमतों को
- rabbikumā
- رَبِّكُمَا
- अपने रब की
- tukadhibāni
- تُكَذِّبَانِ
- तुम दोनों झुठलाओगे
अतः तुम दोनों अपने रब के उपकारों में से किस-किस को झुठलाओगे? ([५५] अर-रहमान: 49)Tafseer (तफ़सीर )
५०
فِيْهِمَا عَيْنٰنِ تَجْرِيٰنِۚ ٥٠
- fīhimā
- فِيهِمَا
- उन दोनों में
- ʿaynāni
- عَيْنَانِ
- दो चश्मे हैं
- tajriyāni
- تَجْرِيَانِ
- वो दोनों बहते होंगे
उन दोनो (बाग़ो) में दो प्रवाहित स्रोत है। ([५५] अर-रहमान: 50)Tafseer (तफ़सीर )