३१
سَنَفْرُغُ لَكُمْ اَيُّهَ الثَّقَلٰنِۚ ٣١
- sanafrughu
- سَنَفْرُغُ
- अनक़रीब हम फ़ारिग़ हो जाऐंगे
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- ayyuha
- أَيُّهَ
- ऐ
- l-thaqalāni
- ٱلثَّقَلَانِ
- दो बोझो (जिन्न व इन्स)
ऐ दोनों बोझों! शीघ्र ही हम तुम्हारे लिए निवृत हुए जाते है ([५५] अर-रहमान: 31)Tafseer (तफ़सीर )
३२
فَبِاَيِّ اٰلَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبٰنِ ٣٢
- fabi-ayyi
- فَبِأَىِّ
- तो कौन सी
- ālāi
- ءَالَآءِ
- नेअमतों को
- rabbikumā
- رَبِّكُمَا
- अपने रब की
- tukadhibāni
- تُكَذِّبَانِ
- तुम दोनों झुठलाओगे
तो तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे? ([५५] अर-रहमान: 32)Tafseer (तफ़सीर )
३३
يٰمَعْشَرَ الْجِنِّ وَالْاِنْسِ اِنِ اسْتَطَعْتُمْ اَنْ تَنْفُذُوْا مِنْ اَقْطَارِ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ فَانْفُذُوْاۗ لَا تَنْفُذُوْنَ اِلَّا بِسُلْطٰنٍۚ ٣٣
- yāmaʿshara
- يَٰمَعْشَرَ
- ऐ गिरोह
- l-jini
- ٱلْجِنِّ
- जिन्नों
- wal-insi
- وَٱلْإِنسِ
- और इन्सानों के
- ini
- إِنِ
- अगर
- is'taṭaʿtum
- ٱسْتَطَعْتُمْ
- तुम इस्तिताअत रखते हो
- an
- أَن
- कि
- tanfudhū
- تَنفُذُوا۟
- तुम निकल जाओ
- min
- مِنْ
- किनारों से
- aqṭāri
- أَقْطَارِ
- किनारों से
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِ
- और ज़मीन के
- fa-unfudhū
- فَٱنفُذُوا۟ۚ
- तो निकल जाओ
- lā
- لَا
- नहीं तुम निकल सकते
- tanfudhūna
- تَنفُذُونَ
- नहीं तुम निकल सकते
- illā
- إِلَّا
- मगर
- bisul'ṭānin
- بِسُلْطَٰنٍ
- साथ एक क़ुव्वत के
ऐ जिन्नों और मनुष्यों के गिरोह! यदि तुममें हो सके कि आकाशों और धरती की सीमाओं को पार कर सको, तो पार कर जाओ; तुम कदापि पार नहीं कर सकते बिना अधिकार-शक्ति के ([५५] अर-रहमान: 33)Tafseer (तफ़सीर )
३४
فَبِاَيِّ اٰلَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبٰنِ ٣٤
- fabi-ayyi
- فَبِأَىِّ
- तो कौन सी
- ālāi
- ءَالَآءِ
- नेअमतों को
- rabbikumā
- رَبِّكُمَا
- अपने रब की
- tukadhibāni
- تُكَذِّبَانِ
- तुम दोनों झुठलाओगे
अतः तुम दोनों अपने रब की सामर्थ्यों में से किस-किस को झुठलाओगे? ([५५] अर-रहमान: 34)Tafseer (तफ़सीर )
३५
يُرْسَلُ عَلَيْكُمَا شُوَاظٌ مِّنْ نَّارٍۙ وَّنُحَاسٌ فَلَا تَنْتَصِرَانِۚ ٣٥
- yur'salu
- يُرْسَلُ
- छोड़ दिया जाएगा
- ʿalaykumā
- عَلَيْكُمَا
- तुम दोनों पर
- shuwāẓun
- شُوَاظٌ
- एक शोला
- min
- مِّن
- आग का
- nārin
- نَّارٍ
- आग का
- wanuḥāsun
- وَنُحَاسٌ
- और धुवाँ
- falā
- فَلَا
- तो ना
- tantaṣirāni
- تَنتَصِرَانِ
- तुम दोनों मुक़ाबला कर सकोगे
अतः तुम दोनों पर अग्नि-ज्वाला और धुएँवाला अंगारा (पिघला ताँबा) छोड़ दिया जाएगा, फिर तुम मुक़ाबला न कर सकोगे। ([५५] अर-रहमान: 35)Tafseer (तफ़सीर )
३६
فَبِاَيِّ اٰلَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبٰنِ ٣٦
- fabi-ayyi
- فَبِأَىِّ
- तो कौन सी
- ālāi
- ءَالَآءِ
- नेअमतों को
- rabbikumā
- رَبِّكُمَا
- अपने रब की
- tukadhibāni
- تُكَذِّبَانِ
- तुम दोनों झुठलाओगे
अतः तुम दोनों अपने रब की सामर्थ्यों में से किस-किस को झुठलाओगे? ([५५] अर-रहमान: 36)Tafseer (तफ़सीर )
३७
فَاِذَا انْشَقَّتِ السَّمَاۤءُ فَكَانَتْ وَرْدَةً كَالدِّهَانِۚ ٣٧
- fa-idhā
- فَإِذَا
- फिर जब
- inshaqqati
- ٱنشَقَّتِ
- फट जाएगा
- l-samāu
- ٱلسَّمَآءُ
- आसमान
- fakānat
- فَكَانَتْ
- तो वो हो जाएगा
- wardatan
- وَرْدَةً
- सुर्ख़
- kal-dihāni
- كَٱلدِّهَانِ
- मानिन्द सुर्ख़ चमड़े के
फिर जब आकाश फट जाएगा और लाल चमड़े की तरह लाल हो जाएगा। ([५५] अर-रहमान: 37)Tafseer (तफ़सीर )
३८
فَبِاَيِّ اٰلَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبٰنِ ٣٨
- fabi-ayyi
- فَبِأَىِّ
- तो कौन सी
- ālāi
- ءَالَآءِ
- नेअमतों को
- rabbikumā
- رَبِّكُمَا
- अपने रब की
- tukadhibāni
- تُكَذِّبَانِ
- तुम दोनों झुठलाओगे
- अतः तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे? ([५५] अर-रहमान: 38)Tafseer (तफ़सीर )
३९
فَيَوْمَئِذٍ لَّا يُسْـَٔلُ عَنْ ذَنْۢبِهٖٓ اِنْسٌ وَّلَا جَاۤنٌّۚ ٣٩
- fayawma-idhin
- فَيَوْمَئِذٍ
- तो उस दिन
- lā
- لَّا
- ना पूछा जाएगा
- yus'alu
- يُسْـَٔلُ
- ना पूछा जाएगा
- ʿan
- عَن
- अपने गुनाह के बारे में
- dhanbihi
- ذَنۢبِهِۦٓ
- अपने गुनाह के बारे में
- insun
- إِنسٌ
- कोई इन्सान
- walā
- وَلَا
- और ना
- jānnun
- جَآنٌّ
- कोई जिन्न
फिर उस दिन न किसी मनुष्य से उसके गुनाह के विषय में पूछा जाएगा न किसी जिन्न से ([५५] अर-रहमान: 39)Tafseer (तफ़सीर )
४०
فَبِاَيِّ اٰلَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبٰنِ ٤٠
- fabi-ayyi
- فَبِأَىِّ
- तो कौन सी
- ālāi
- ءَالَآءِ
- नेअमतों को
- rabbikumā
- رَبِّكُمَا
- अपने रब की
- tukadhibāni
- تُكَذِّبَانِ
- तुम दोनों झुठलाओगे
अतः तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे? ([५५] अर-रहमान: 40)Tafseer (तफ़सीर )