२१
فَبِاَيِّ اٰلَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبٰنِ ٢١
- fabi-ayyi
- فَبِأَىِّ
- तो कौन सी
- ālāi
- ءَالَآءِ
- नेअमतों को
- rabbikumā
- رَبِّكُمَا
- अपने रब की
- tukadhibāni
- تُكَذِّبَانِ
- तुम दोनों झुठलाओगे
तो तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे? ([५५] अर-रहमान: 21)Tafseer (तफ़सीर )
२२
يَخْرُجُ مِنْهُمَا اللُّؤْلُؤُ وَالْمَرْجَانُۚ ٢٢
- yakhruju
- يَخْرُجُ
- निकलते हैं
- min'humā
- مِنْهُمَا
- उन दोनों से
- l-lu'lu-u
- ٱللُّؤْلُؤُ
- मोती
- wal-marjānu
- وَٱلْمَرْجَانُ
- और मूँगे
उन (समुद्रों) से मोती और मूँगा निकलता है। ([५५] अर-रहमान: 22)Tafseer (तफ़सीर )
२३
فَبِاَيِّ اٰلَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبٰنِ ٢٣
- fabi-ayyi
- فَبِأَىِّ
- तो कौन सी
- ālāi
- ءَالَآءِ
- नेअमतों को
- rabbikumā
- رَبِّكُمَا
- उपने रब की
- tukadhibāni
- تُكَذِّبَانِ
- तुम दोनों झुठलाओगे
अतः तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे? ([५५] अर-रहमान: 23)Tafseer (तफ़सीर )
२४
وَلَهُ الْجَوَارِ الْمُنْشَاٰتُ فِى الْبَحْرِ كَالْاَعْلَامِۚ ٢٤
- walahu
- وَلَهُ
- और उसी के लिए हैं
- l-jawāri
- ٱلْجَوَارِ
- जहाज़
- l-munshaātu
- ٱلْمُنشَـَٔاتُ
- ऊँचे उठने वाले
- fī
- فِى
- समुन्दर में
- l-baḥri
- ٱلْبَحْرِ
- समुन्दर में
- kal-aʿlāmi
- كَٱلْأَعْلَٰمِ
- ऊँचे पहाड़ों की तरह
उसी के बस में है समुद्र में पहाड़ो की तरह उठे हुए जहाज़ ([५५] अर-रहमान: 24)Tafseer (तफ़सीर )
२५
فَبِاَيِّ اٰلَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبٰنِ ࣖ ٢٥
- fabi-ayyi
- فَبِأَىِّ
- तो कौन सी
- ālāi
- ءَالَآءِ
- नेअमतों को
- rabbikumā
- رَبِّكُمَا
- अपने रब की
- tukadhibāni
- تُكَذِّبَانِ
- तुम दोनों झुठलाओगे
तो तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओग? ([५५] अर-रहमान: 25)Tafseer (तफ़सीर )
२६
كُلُّ مَنْ عَلَيْهَا فَانٍۖ ٢٦
- kullu
- كُلُّ
- सब
- man
- مَنْ
- जो
- ʿalayhā
- عَلَيْهَا
- उस पर हैं
- fānin
- فَانٍ
- फ़ना होनो वाले हैं
प्रत्येक जो भी इस (धरती) पर है, नाशवान है ([५५] अर-रहमान: 26)Tafseer (तफ़सीर )
२७
وَّيَبْقٰى وَجْهُ رَبِّكَ ذُو الْجَلٰلِ وَالْاِكْرَامِۚ ٢٧
- wayabqā
- وَيَبْقَىٰ
- और बाक़ी रहेगा
- wajhu
- وَجْهُ
- चेहरा
- rabbika
- رَبِّكَ
- आपके रब का
- dhū
- ذُو
- बुज़ुर्गी वाला
- l-jalāli
- ٱلْجَلَٰلِ
- बुज़ुर्गी वाला
- wal-ik'rāmi
- وَٱلْإِكْرَامِ
- और इज़्ज़त वाला
किन्तु तुम्हारे रब का प्रतापवान और उदार स्वरूप शेष रहनेवाला है ([५५] अर-रहमान: 27)Tafseer (तफ़सीर )
२८
فَبِاَيِّ اٰلَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبٰنِ ٢٨
- fabi-ayyi
- فَبِأَىِّ
- तो कौन सी
- ālāi
- ءَالَآءِ
- नेअमतों को
- rabbikumā
- رَبِّكُمَا
- अपने रब की
- tukadhibāni
- تُكَذِّبَانِ
- तुम दोनों झुठलाओगे
अतः तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगं? ([५५] अर-रहमान: 28)Tafseer (तफ़सीर )
२९
يَسْـَٔلُهٗ مَنْ فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ كُلَّ يَوْمٍ هُوَ فِيْ شَأْنٍۚ ٢٩
- yasaluhu
- يَسْـَٔلُهُۥ
- माँगता है उसी से
- man
- مَن
- जो भी
- fī
- فِى
- आसमनों में
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमनों में
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِۚ
- और ज़मीन में है
- kulla
- كُلَّ
- हर
- yawmin
- يَوْمٍ
- दिन
- huwa
- هُوَ
- वो
- fī
- فِى
- एक नई शान में है
- shanin
- شَأْنٍ
- एक नई शान में है
आकाशों और धरती में जो भी है उसी से माँगता है। उसकी नित्य नई शान है ([५५] अर-रहमान: 29)Tafseer (तफ़सीर )
३०
فَبِاَيِّ اٰلَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبٰنِ ٣٠
- fabi-ayyi
- فَبِأَىِّ
- तो कौन सी
- ālāi
- ءَالَآءِ
- नेअमतों को
- rabbikumā
- رَبِّكُمَا
- अपने रब की
- tukadhibāni
- تُكَذِّبَانِ
- तुम दोनों झुठलाओगे
अतः तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे? ([५५] अर-रहमान: 30)Tafseer (तफ़सीर )