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सूरा अर-रहमान - Page: 3

Ar-Rahman

(The Beneficent, The Mercy Giving)

२१

فَبِاَيِّ اٰلَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبٰنِ ٢١

fabi-ayyi
فَبِأَىِّ
तो कौन सी
ālāi
ءَالَآءِ
नेअमतों को
rabbikumā
رَبِّكُمَا
अपने रब की
tukadhibāni
تُكَذِّبَانِ
तुम दोनों झुठलाओगे
तो तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे? ([५५] अर-रहमान: 21)
Tafseer (तफ़सीर )
२२

يَخْرُجُ مِنْهُمَا اللُّؤْلُؤُ وَالْمَرْجَانُۚ ٢٢

yakhruju
يَخْرُجُ
निकलते हैं
min'humā
مِنْهُمَا
उन दोनों से
l-lu'lu-u
ٱللُّؤْلُؤُ
मोती
wal-marjānu
وَٱلْمَرْجَانُ
और मूँगे
उन (समुद्रों) से मोती और मूँगा निकलता है। ([५५] अर-रहमान: 22)
Tafseer (तफ़सीर )
२३

فَبِاَيِّ اٰلَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبٰنِ ٢٣

fabi-ayyi
فَبِأَىِّ
तो कौन सी
ālāi
ءَالَآءِ
नेअमतों को
rabbikumā
رَبِّكُمَا
उपने रब की
tukadhibāni
تُكَذِّبَانِ
तुम दोनों झुठलाओगे
अतः तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे? ([५५] अर-रहमान: 23)
Tafseer (तफ़सीर )
२४

وَلَهُ الْجَوَارِ الْمُنْشَاٰتُ فِى الْبَحْرِ كَالْاَعْلَامِۚ ٢٤

walahu
وَلَهُ
और उसी के लिए हैं
l-jawāri
ٱلْجَوَارِ
जहाज़
l-munshaātu
ٱلْمُنشَـَٔاتُ
ऊँचे उठने वाले
فِى
समुन्दर में
l-baḥri
ٱلْبَحْرِ
समुन्दर में
kal-aʿlāmi
كَٱلْأَعْلَٰمِ
ऊँचे पहाड़ों की तरह
उसी के बस में है समुद्र में पहाड़ो की तरह उठे हुए जहाज़ ([५५] अर-रहमान: 24)
Tafseer (तफ़सीर )
२५

فَبِاَيِّ اٰلَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبٰنِ ࣖ ٢٥

fabi-ayyi
فَبِأَىِّ
तो कौन सी
ālāi
ءَالَآءِ
नेअमतों को
rabbikumā
رَبِّكُمَا
अपने रब की
tukadhibāni
تُكَذِّبَانِ
तुम दोनों झुठलाओगे
तो तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओग? ([५५] अर-रहमान: 25)
Tafseer (तफ़सीर )
२६

كُلُّ مَنْ عَلَيْهَا فَانٍۖ ٢٦

kullu
كُلُّ
सब
man
مَنْ
जो
ʿalayhā
عَلَيْهَا
उस पर हैं
fānin
فَانٍ
फ़ना होनो वाले हैं
प्रत्येक जो भी इस (धरती) पर है, नाशवान है ([५५] अर-रहमान: 26)
Tafseer (तफ़सीर )
२७

وَّيَبْقٰى وَجْهُ رَبِّكَ ذُو الْجَلٰلِ وَالْاِكْرَامِۚ ٢٧

wayabqā
وَيَبْقَىٰ
और बाक़ी रहेगा
wajhu
وَجْهُ
चेहरा
rabbika
رَبِّكَ
आपके रब का
dhū
ذُو
बुज़ुर्गी वाला
l-jalāli
ٱلْجَلَٰلِ
बुज़ुर्गी वाला
wal-ik'rāmi
وَٱلْإِكْرَامِ
और इज़्ज़त वाला
किन्तु तुम्हारे रब का प्रतापवान और उदार स्वरूप शेष रहनेवाला है ([५५] अर-रहमान: 27)
Tafseer (तफ़सीर )
२८

فَبِاَيِّ اٰلَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبٰنِ ٢٨

fabi-ayyi
فَبِأَىِّ
तो कौन सी
ālāi
ءَالَآءِ
नेअमतों को
rabbikumā
رَبِّكُمَا
अपने रब की
tukadhibāni
تُكَذِّبَانِ
तुम दोनों झुठलाओगे
अतः तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगं? ([५५] अर-रहमान: 28)
Tafseer (तफ़सीर )
२९

يَسْـَٔلُهٗ مَنْ فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ كُلَّ يَوْمٍ هُوَ فِيْ شَأْنٍۚ ٢٩

yasaluhu
يَسْـَٔلُهُۥ
माँगता है उसी से
man
مَن
जो भी
فِى
आसमनों में
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमनों में
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِۚ
और ज़मीन में है
kulla
كُلَّ
हर
yawmin
يَوْمٍ
दिन
huwa
هُوَ
वो
فِى
एक नई शान में है
shanin
شَأْنٍ
एक नई शान में है
आकाशों और धरती में जो भी है उसी से माँगता है। उसकी नित्य नई शान है ([५५] अर-रहमान: 29)
Tafseer (तफ़सीर )
३०

فَبِاَيِّ اٰلَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبٰنِ ٣٠

fabi-ayyi
فَبِأَىِّ
तो कौन सी
ālāi
ءَالَآءِ
नेअमतों को
rabbikumā
رَبِّكُمَا
अपने रब की
tukadhibāni
تُكَذِّبَانِ
तुम दोनों झुठलाओगे
अतः तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे? ([५५] अर-रहमान: 30)
Tafseer (तफ़सीर )