५१
وَلَقَدْ اَهْلَكْنَآ اَشْيَاعَكُمْ فَهَلْ مِنْ مُّدَّكِرٍ ٥١
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- ahlaknā
- أَهْلَكْنَآ
- हलाक किया हमने
- ashyāʿakum
- أَشْيَاعَكُمْ
- तुम्हारे गिरोहों को
- fahal
- فَهَلْ
- तो क्या है
- min
- مِن
- कोई नसीहत पकड़ने वाला
- muddakirin
- مُّدَّكِرٍ
- कोई नसीहत पकड़ने वाला
और हम तुम्हारे जैसे लोगों को विनष्ट कर चुके है। फिर क्या है कोई नसीहत हासिल करनेवाला? ([५४] अल-कमर: 51)Tafseer (तफ़सीर )
५२
وَكُلُّ شَيْءٍ فَعَلُوْهُ فِى الزُّبُرِ ٥٢
- wakullu
- وَكُلُّ
- और हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़
- faʿalūhu
- فَعَلُوهُ
- उन्होंने किया जिसे
- fī
- فِى
- सहीफ़ों में है
- l-zuburi
- ٱلزُّبُرِ
- सहीफ़ों में है
जो कुछ उन्होंने किया है, वह पन्नों में अंकित है ([५४] अल-कमर: 52)Tafseer (तफ़सीर )
५३
وَكُلُّ صَغِيْرٍ وَّكَبِيْرٍ مُّسْتَطَرٌ ٥٣
- wakullu
- وَكُلُّ
- और हर
- ṣaghīrin
- صَغِيرٍ
- छोटा
- wakabīrin
- وَكَبِيرٍ
- और बड़ा
- mus'taṭarun
- مُّسْتَطَرٌ
- लिखा हुआ है
और हर छोटी और बड़ी चीज़ लिखित है ([५४] अल-कमर: 53)Tafseer (तफ़सीर )
५४
اِنَّ الْمُتَّقِيْنَ فِيْ جَنّٰتٍ وَّنَهَرٍۙ ٥٤
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-mutaqīna
- ٱلْمُتَّقِينَ
- मुत्तक़ी लोग
- fī
- فِى
- बाग़ात में होंगे
- jannātin
- جَنَّٰتٍ
- बाग़ात में होंगे
- wanaharin
- وَنَهَرٍ
- और नहरों में
निश्चय ही डर रखनेवाले बाग़ो और नहरों के बीच होंगे, ([५४] अल-कमर: 54)Tafseer (तफ़सीर )
५५
فِيْ مَقْعَدِ صِدْقٍ عِنْدَ مَلِيْكٍ مُّقْتَدِرٍ ࣖ ٥٥
- fī
- فِى
- जगह में
- maqʿadi
- مَقْعَدِ
- जगह में
- ṣid'qin
- صِدْقٍ
- सच्चाई की
- ʿinda
- عِندَ
- बादशाह के पास
- malīkin
- مَلِيكٍ
- बादशाह के पास
- muq'tadirin
- مُّقْتَدِرٍۭ
- जो इक़्तिदार वाला है
प्रतिष्ठित स्थान पर, प्रभुत्वशाली सम्राट के निकट ([५४] अल-कमर: 55)Tafseer (तफ़सीर )