३१
اِنَّآ اَرْسَلْنَا عَلَيْهِمْ صَيْحَةً وَّاحِدَةً فَكَانُوْا كَهَشِيْمِ الْمُحْتَظِرِ ٣١
- innā
- إِنَّآ
- बेशक हम
- arsalnā
- أَرْسَلْنَا
- भेजी हमने
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْ
- उन पर
- ṣayḥatan
- صَيْحَةً
- चिंघाड़
- wāḥidatan
- وَٰحِدَةً
- एक ही
- fakānū
- فَكَانُوا۟
- तो हो गए वो
- kahashīmi
- كَهَشِيمِ
- मानिन्द रौंदी हुई बाड़ के
- l-muḥ'taẓiri
- ٱلْمُحْتَظِرِ
- बाड़ लगाने वाले की
हमने उनपर एक धमाका छोड़ा, फिर वे बाड़ लगानेवाले की रौंदी हुई बाड़ की तरह चूरा होकर रह गए ([५४] अल-कमर: 31)Tafseer (तफ़सीर )
३२
وَلَقَدْ يَسَّرْنَا الْقُرْاٰنَ لِلذِّكْرِ فَهَلْ مِنْ مُّدَّكِرٍ ٣٢
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- yassarnā
- يَسَّرْنَا
- आसान कर दिया हमने
- l-qur'āna
- ٱلْقُرْءَانَ
- क़ुरआन को
- lildhik'ri
- لِلذِّكْرِ
- नसीहत के लिए
- fahal
- فَهَلْ
- तो क्या है
- min
- مِن
- कोई नसीहत पकड़ने वाला
- muddakirin
- مُّدَّكِرٍ
- कोई नसीहत पकड़ने वाला
हमने क़ुरआन को नसीहत के लिए अनुकूल और सहज बना दिया है। फिर क्या कोई नसीहत हासिल करनेवाला? ([५४] अल-कमर: 32)Tafseer (तफ़सीर )
३३
كَذَّبَتْ قَوْمُ لُوْطٍ ۢبِالنُّذُرِ ٣٣
- kadhabat
- كَذَّبَتْ
- झुठलाया
- qawmu
- قَوْمُ
- क़ौमे
- lūṭin
- لُوطٍۭ
- लूत ने
- bil-nudhuri
- بِٱلنُّذُرِ
- डराने वालों को
लूत की क़ौम ने भी चेतावनियों को झुठलाया ([५४] अल-कमर: 33)Tafseer (तफ़सीर )
३४
اِنَّآ اَرْسَلْنَا عَلَيْهِمْ حَاصِبًا اِلَّآ اٰلَ لُوْطٍ ۗنَجَّيْنٰهُمْ بِسَحَرٍۙ ٣٤
- innā
- إِنَّآ
- बेशक हम
- arsalnā
- أَرْسَلْنَا
- भेजी हमने
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْ
- उन पर
- ḥāṣiban
- حَاصِبًا
- पत्थरों की आँधी
- illā
- إِلَّآ
- सिवाए
- āla
- ءَالَ
- आले लूत के
- lūṭin
- لُوطٍۖ
- आले लूत के
- najjaynāhum
- نَّجَّيْنَٰهُم
- निजात दी हमने उन्हें
- bisaḥarin
- بِسَحَرٍ
- सहर के वक़्त
हमने लूत के घरवालों के सिवा उनपर पथराव करनेवाली तेज़ वायु भेजी। ([५४] अल-कमर: 34)Tafseer (तफ़सीर )
३५
نِّعْمَةً مِّنْ عِنْدِنَاۗ كَذٰلِكَ نَجْزِيْ مَنْ شَكَرَ ٣٥
- niʿ'matan
- نِّعْمَةً
- बतौर इनआम
- min
- مِّنْ
- हमारे पास से
- ʿindinā
- عِندِنَاۚ
- हमारे पास से
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह
- najzī
- نَجْزِى
- हम बदला देते हैं
- man
- مَن
- उसे जो
- shakara
- شَكَرَ
- शुक्र अदा करे
हमने अपनी विशेष अनुकम्पा से प्रातःकाल उन्हें बचा लिया। हम इसी तरह उस व्यक्ति को बदला देते है जो कृतज्ञता दिखाए ([५४] अल-कमर: 35)Tafseer (तफ़सीर )
३६
وَلَقَدْ اَنْذَرَهُمْ بَطْشَتَنَا فَتَمَارَوْا بِالنُّذُرِ ٣٦
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- andharahum
- أَنذَرَهُم
- उसने डराया उन्हें
- baṭshatanā
- بَطْشَتَنَا
- हमारी पकड़ से
- fatamāraw
- فَتَمَارَوْا۟
- तो उन्होंने शक किया
- bil-nudhuri
- بِٱلنُّذُرِ
- डरावों पर
उसने जो उन्हें हमारी पकड़ से सावधान कर दिया था। किन्तु वे चेतावनियों के विषय में संदेह करते रहे ([५४] अल-कमर: 36)Tafseer (तफ़सीर )
३७
وَلَقَدْ رَاوَدُوْهُ عَنْ ضَيْفِهٖ فَطَمَسْنَآ اَعْيُنَهُمْ فَذُوْقُوْا عَذَابِيْ وَنُذُرِ ٣٧
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- rāwadūhu
- رَٰوَدُوهُ
- उन्होंने फुसलाना चाहा उसे
- ʿan
- عَن
- उसके मेहमानों के बारे में
- ḍayfihi
- ضَيْفِهِۦ
- उसके मेहमानों के बारे में
- faṭamasnā
- فَطَمَسْنَآ
- तो मिटा दीं हमने
- aʿyunahum
- أَعْيُنَهُمْ
- आँखें उनकी
- fadhūqū
- فَذُوقُوا۟
- तो चखो
- ʿadhābī
- عَذَابِى
- अज़ाब मेरा
- wanudhuri
- وَنُذُرِ
- और डराना मेरा
उन्होंने उसे फुसलाकर उसके पास से उसके अतिथियों को बलाना चाहा। अन्ततः हमने उसकी आँखें मेट दीं, 'लो, अब चखो मज़ा मेरी यातना और चेतावनियों का!' ([५४] अल-कमर: 37)Tafseer (तफ़सीर )
३८
وَلَقَدْ صَبَّحَهُمْ بُكْرَةً عَذَابٌ مُّسْتَقِرٌّۚ ٣٨
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- ṣabbaḥahum
- صَبَّحَهُم
- सुबह की उन पर
- buk'ratan
- بُكْرَةً
- सुबह सवेरे
- ʿadhābun
- عَذَابٌ
- एक अज़ाब
- mus'taqirrun
- مُّسْتَقِرٌّ
- मुसलसल ने
सुबह सवेरे ही एक अटल यातना उनपर आ पहुँची, ([५४] अल-कमर: 38)Tafseer (तफ़सीर )
३९
فَذُوْقُوْا عَذَابِيْ وَنُذُرِ ٣٩
- fadhūqū
- فَذُوقُوا۟
- तो चखो
- ʿadhābī
- عَذَابِى
- अज़ाब मेरा
- wanudhuri
- وَنُذُرِ
- और डराना मेरा
'लो, अब चखो मज़ा मेरी यातना और चेतावनियों का!' ([५४] अल-कमर: 39)Tafseer (तफ़सीर )
४०
وَلَقَدْ يَسَّرْنَا الْقُرْاٰنَ لِلذِّكْرِ فَهَلْ مِنْ مُّدَّكِرٍ ࣖ ٤٠
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- yassarnā
- يَسَّرْنَا
- आसान कर दिया हमने
- l-qur'āna
- ٱلْقُرْءَانَ
- क़ुरआन को
- lildhik'ri
- لِلذِّكْرِ
- नसीहत के लिए
- fahal
- فَهَلْ
- तो क्या है
- min
- مِن
- कोई नसीहत पकड़ने वाला
- muddakirin
- مُّدَّكِرٍ
- कोई नसीहत पकड़ने वाला
और हमने क़ुरआन को नसीहत के लिए अनुकूल और सहज बना दिया है। फिर क्या है कोई नसीहत हासिल करनेवाला? ([५४] अल-कमर: 40)Tafseer (तफ़सीर )