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सूरा अल-कमर - शब्द द्वारा शब्द

Al-Qamar

(चाँद)

bismillaahirrahmaanirrahiim

اِقْتَرَبَتِ السَّاعَةُ وَانْشَقَّ الْقَمَرُ ١

iq'tarabati
ٱقْتَرَبَتِ
क़रीब आ गई
l-sāʿatu
ٱلسَّاعَةُ
क़यामत
wa-inshaqqa
وَٱنشَقَّ
और शक़ हो गया
l-qamaru
ٱلْقَمَرُ
चाँद
वह घड़ी निकट और लगी और चाँद फट गया; ([५४] अल-कमर: 1)
Tafseer (तफ़सीर )

وَاِنْ يَّرَوْا اٰيَةً يُّعْرِضُوْا وَيَقُوْلُوْا سِحْرٌ مُّسْتَمِرٌّ ٢

wa-in
وَإِن
और अगर
yaraw
يَرَوْا۟
वो देख लें
āyatan
ءَايَةً
कोई भी निशानी
yuʿ'riḍū
يُعْرِضُوا۟
वो मुँह मोड़ जाते हैं
wayaqūlū
وَيَقُولُوا۟
और वो कहते हैं
siḥ'run
سِحْرٌ
एक जादू है
mus'tamirrun
مُّسْتَمِرٌّ
जारी
किन्तु हाल यह है कि यदि वे कोई निशानी देख भी लें तो टाल जाएँगे और कहेंगे, 'यह तो जादू है, पहले से चला आ रहा है!' ([५४] अल-कमर: 2)
Tafseer (तफ़सीर )

وَكَذَّبُوْا وَاتَّبَعُوْٓا اَهْوَاۤءَهُمْ وَكُلُّ اَمْرٍ مُّسْتَقِرٌّ ٣

wakadhabū
وَكَذَّبُوا۟
और उन्होंने झुठलाया
wa-ittabaʿū
وَٱتَّبَعُوٓا۟
और उन्होंने पैरवी की
ahwāahum
أَهْوَآءَهُمْۚ
अपनी ख़्वाहिशात की
wakullu
وَكُلُّ
और हर
amrin
أَمْرٍ
काम का
mus'taqirrun
مُّسْتَقِرٌّ
वक़्त मुक़र्रर है
उन्होंने झुठलाया और अपनी इच्छाओं का अनुसरण किया; किन्तु हर मामले के लिए एक नियत अवधि है। ([५४] अल-कमर: 3)
Tafseer (तफ़सीर )

وَلَقَدْ جَاۤءَهُمْ مِّنَ الْاَنْبَاۤءِ مَا فِيْهِ مُزْدَجَرٌۙ ٤

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
jāahum
جَآءَهُم
आईं उनके पास
mina
مِّنَ
कई ख़बरें
l-anbāi
ٱلْأَنۢبَآءِ
कई ख़बरें
مَا
जिनमें
fīhi
فِيهِ
जिनमें
muz'dajarun
مُزْدَجَرٌ
काफ़ी तंबीह है
उनके पास अतीत को ऐसी खबरें आ चुकी है, जिनमें ताड़ना अर्थात पूर्णतः तत्वदर्शीता है। ([५४] अल-कमर: 4)
Tafseer (तफ़सीर )

حِكْمَةٌ ۢ بَالِغَةٌ فَمَا تُغْنِ النُّذُرُۙ ٥

ḥik'matun
حِكْمَةٌۢ
हिकमत है
bālighatun
بَٰلِغَةٌۖ
कामिल
famā
فَمَا
तो ना
tugh'ni
تُغْنِ
काम आए
l-nudhuru
ٱلنُّذُرُ
डरावे
किन्तु चेतावनियाँ उनके कुछ काम नहीं आ रही है! - ([५४] अल-कमर: 5)
Tafseer (तफ़सीर )

فَتَوَلَّ عَنْهُمْ ۘ يَوْمَ يَدْعُ الدَّاعِ اِلٰى شَيْءٍ نُّكُرٍۙ ٦

fatawalla
فَتَوَلَّ
तो मुँह फेर लीजिए
ʿanhum
عَنْهُمْۘ
उनसे
yawma
يَوْمَ
जिस दिन
yadʿu
يَدْعُ
पुकारेगा
l-dāʿi
ٱلدَّاعِ
पुकारने वाला
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ एक चीज़
shayin
شَىْءٍ
तरफ़ एक चीज़
nukurin
نُّكُرٍ
नागवार के
अतः उनसे रुख़ फेर लो - जिस दिन पुकारनेवाला एक अत्यन्त अप्रिय चीज़ की ओर पुकारेगा; ([५४] अल-कमर: 6)
Tafseer (तफ़सीर )

خُشَّعًا اَبْصَارُهُمْ يَخْرُجُوْنَ مِنَ الْاَجْدَاثِ كَاَنَّهُمْ جَرَادٌ مُّنْتَشِرٌۙ ٧

khushaʿan
خُشَّعًا
झुकी हुई होंगी
abṣāruhum
أَبْصَٰرُهُمْ
निगाहें उनकी
yakhrujūna
يَخْرُجُونَ
वो निकलेंगे
mina
مِنَ
क़ब्रों से
l-ajdāthi
ٱلْأَجْدَاثِ
क़ब्रों से
ka-annahum
كَأَنَّهُمْ
गोया कि वो
jarādun
جَرَادٌ
टिड्डियाँ हैं
muntashirun
مُّنتَشِرٌ
फैली हुईं
वे अपनी झुकी हुई निगाहों के साथ अपनी क्रबों से निकल रहे होंगे, मानो वे बिखरी हुई टिड्डियाँ है; ([५४] अल-कमर: 7)
Tafseer (तफ़सीर )

مُّهْطِعِيْنَ اِلَى الدَّاعِۗ يَقُوْلُ الْكٰفِرُوْنَ هٰذَا يَوْمٌ عَسِرٌ ٨

muh'ṭiʿīna
مُّهْطِعِينَ
दौड़ते होंगे
ilā
إِلَى
तरफ़ पुकारने वाले के
l-dāʿi
ٱلدَّاعِۖ
तरफ़ पुकारने वाले के
yaqūlu
يَقُولُ
कहेंगे
l-kāfirūna
ٱلْكَٰفِرُونَ
काफ़िर
hādhā
هَٰذَا
ये
yawmun
يَوْمٌ
दिन है
ʿasirun
عَسِرٌ
बड़ा सख़्त
दौड़ पड़ने को पुकारनेवाले की ओर। इनकार करनेवाले कहेंगे, 'यह तो एक कठिन दिन है!' ([५४] अल-कमर: 8)
Tafseer (तफ़सीर )

۞ كَذَّبَتْ قَبْلَهُمْ قَوْمُ نُوْحٍ فَكَذَّبُوْا عَبْدَنَا وَقَالُوْا مَجْنُوْنٌ وَّازْدُجِرَ ٩

kadhabat
كَذَّبَتْ
झुठलाया
qablahum
قَبْلَهُمْ
उनसे पहले
qawmu
قَوْمُ
क़ौमे
nūḥin
نُوحٍ
नूह ने
fakadhabū
فَكَذَّبُوا۟
तो उन्होंने झुठलाया
ʿabdanā
عَبْدَنَا
हमारे बन्दे को
waqālū
وَقَالُوا۟
और उन्होंने कहा
majnūnun
مَجْنُونٌ
मजनून है
wa-uz'dujira
وَٱزْدُجِرَ
और वो झिड़क दिया गया
उनसे पहले नूह की क़ौम ने भी झुठलाया। उन्होंने हमारे बन्दे को झूठा ठहराया और कहा, 'यह तो दीवाना है!' और वह बुरी तरह झिड़का गया ([५४] अल-कमर: 9)
Tafseer (तफ़सीर )
१०

فَدَعَا رَبَّهٗٓ اَنِّيْ مَغْلُوْبٌ فَانْتَصِرْ ١٠

fadaʿā
فَدَعَا
तो उसने पुकारा
rabbahu
رَبَّهُۥٓ
अपने रब को
annī
أَنِّى
बेशक मैं
maghlūbun
مَغْلُوبٌ
मग़लूब हूँ
fa-intaṣir
فَٱنتَصِرْ
पस तू इन्तिक़ाम ले
अन्त में उसने अपने रब को पुकारा कि 'मैं दबा हुआ हूँ। अब तू बदला ले।' ([५४] अल-कमर: 10)
Tafseer (तफ़सीर )