اَلَكُمُ الذَّكَرُ وَلَهُ الْاُنْثٰى ٢١
- alakumu
- أَلَكُمُ
- क्या तुम्हारे लिए हैं
- l-dhakaru
- ٱلذَّكَرُ
- लड़के
- walahu
- وَلَهُ
- और उसके लिए हैं
- l-unthā
- ٱلْأُنثَىٰ
- लड़कियाँ
क्या तुम्हारे लिए तो बेटे है उनके लिए बेटियाँ? ([५३] अन-नज्म: 21)Tafseer (तफ़सीर )
تِلْكَ اِذًا قِسْمَةٌ ضِيْزٰى ٢٢
- til'ka
- تِلْكَ
- ये
- idhan
- إِذًا
- तब
- qis'matun
- قِسْمَةٌ
- एक तक़सीम है
- ḍīzā
- ضِيزَىٰٓ
- ना इन्साफ़ी की
तब तो यह बहुत बेढ़ंगा और अन्यायपूर्ण बँटवारा हुआ! ([५३] अन-नज्म: 22)Tafseer (तफ़सीर )
اِنْ هِيَ اِلَّآ اَسْمَاۤءٌ سَمَّيْتُمُوْهَآ اَنْتُمْ وَاٰبَاۤؤُكُمْ مَّآ اَنْزَلَ اللّٰهُ بِهَا مِنْ سُلْطٰنٍۗ اِنْ يَّتَّبِعُوْنَ اِلَّا الظَّنَّ وَمَا تَهْوَى الْاَنْفُسُۚ وَلَقَدْ جَاۤءَهُمْ مِّنْ رَّبِّهِمُ الْهُدٰىۗ ٢٣
- in
- إِنْ
- नहीं
- hiya
- هِىَ
- वो
- illā
- إِلَّآ
- मगर
- asmāon
- أَسْمَآءٌ
- कुछ नाम हैं
- sammaytumūhā
- سَمَّيْتُمُوهَآ
- नाम रखे तुमने उनके
- antum
- أَنتُمْ
- तुमने
- waābāukum
- وَءَابَآؤُكُم
- और तुम्हारे आबा ओ अजदाद ने
- mā
- مَّآ
- नहीं
- anzala
- أَنزَلَ
- नाज़िल की
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- bihā
- بِهَا
- उनकी
- min
- مِن
- कोई दलील
- sul'ṭānin
- سُلْطَٰنٍۚ
- कोई दलील
- in
- إِن
- नहीं
- yattabiʿūna
- يَتَّبِعُونَ
- वो पैरवी करते
- illā
- إِلَّا
- मगर
- l-ẓana
- ٱلظَّنَّ
- गुमान की
- wamā
- وَمَا
- और उसकी जो
- tahwā
- تَهْوَى
- ख़्वाहिश करते हैं
- l-anfusu
- ٱلْأَنفُسُۖ
- नफ़्स
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- jāahum
- جَآءَهُم
- आई उनके पास
- min
- مِّن
- उनके रब की तरफ़ से
- rabbihimu
- رَّبِّهِمُ
- उनके रब की तरफ़ से
- l-hudā
- ٱلْهُدَىٰٓ
- हिदायत
वे तो बस कुछ नाम है जो तुमने और तुम्हारे बाप-दादा ने रख लिए है। अल्लाह ने उनके लिए कोई सनद नहीं उतारी। वे तो केवल अटकल के पीछे चले रहे है और उनके पीछे जो उनके मन की इच्छा होती है। हालाँकि उनके पास उनके रब की ओर से मार्गदर्शन आ चुका है ([५३] अन-नज्म: 23)Tafseer (तफ़सीर )
اَمْ لِلْاِنْسَانِ مَا تَمَنّٰىۖ ٢٤
- am
- أَمْ
- क्या है
- lil'insāni
- لِلْإِنسَٰنِ
- इन्सान को
- mā
- مَا
- जो
- tamannā
- تَمَنَّىٰ
- वो तमन्ना करे
(क्या उनकी देवियाँ उन्हें लाभ पहुँचा सकती है) या मनुष्य वह कुछ पा लेगा, जिसकी वह कामना करता है? ([५३] अन-नज्म: 24)Tafseer (तफ़सीर )
فَلِلّٰهِ الْاٰخِرَةُ وَالْاُوْلٰى ࣖ ٢٥
- falillahi
- فَلِلَّهِ
- तो अल्लाह ही के लिए है
- l-ākhiratu
- ٱلْءَاخِرَةُ
- आख़िरत
- wal-ūlā
- وَٱلْأُولَىٰ
- और पहली (दुनिया)
आख़िरत और दुनिया का मालिक तो अल्लाह ही है ([५३] अन-नज्म: 25)Tafseer (तफ़सीर )
وَكَمْ مِّنْ مَّلَكٍ فِى السَّمٰوٰتِ لَا تُغْنِيْ شَفَاعَتُهُمْ شَيْـًٔا اِلَّا مِنْۢ بَعْدِ اَنْ يَّأْذَنَ اللّٰهُ لِمَنْ يَّشَاۤءُ وَيَرْضٰى ٢٦
- wakam
- وَكَم
- और कितने ही
- min
- مِّن
- फ़रिश्ते हैं
- malakin
- مَّلَكٍ
- फ़रिश्ते हैं
- fī
- فِى
- आसमानों में
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों में
- lā
- لَا
- ना काम आएगी
- tugh'nī
- تُغْنِى
- ना काम आएगी
- shafāʿatuhum
- شَفَٰعَتُهُمْ
- सिफ़ारिश उनकी
- shayan
- شَيْـًٔا
- कुछ भी
- illā
- إِلَّا
- मगर
- min
- مِنۢ
- इसके बाद
- baʿdi
- بَعْدِ
- इसके बाद
- an
- أَن
- कि
- yadhana
- يَأْذَنَ
- इजाज़त दे
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- liman
- لِمَن
- जिसके लिए
- yashāu
- يَشَآءُ
- वो चाहे
- wayarḍā
- وَيَرْضَىٰٓ
- और वो राज़ी हो जाए
आकाशों में कितने ही फ़रिश्ते है, उनकी सिफ़ारिश कुछ काम नहीं आएगी; यदि काम आ सकती है तो इसके पश्चात ही कि अल्लाह अनुमति दे, जिसे चाहे और पसन्द करे। ([५३] अन-नज्म: 26)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ الَّذِيْنَ لَا يُؤْمِنُوْنَ بِالْاٰخِرَةِ لَيُسَمُّوْنَ الْمَلٰۤىِٕكَةَ تَسْمِيَةَ الْاُنْثٰى ٢٧
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो लोग जो
- lā
- لَا
- नहीं वो ईमान लाते
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- नहीं वो ईमान लाते
- bil-ākhirati
- بِٱلْءَاخِرَةِ
- आख़िरत पर
- layusammūna
- لَيُسَمُّونَ
- अलबत्ता वो नाम रखते हैं
- l-malāikata
- ٱلْمَلَٰٓئِكَةَ
- फ़रिश्तों के
- tasmiyata
- تَسْمِيَةَ
- नाम
- l-unthā
- ٱلْأُنثَىٰ
- औरतों जैसे
जो लोग आख़िरत को नहीं मानते, वे फ़रिश्तों के देवियों के नाम से अभिहित करते है, ([५३] अन-नज्म: 27)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَا لَهُمْ بِهٖ مِنْ عِلْمٍۗ اِنْ يَّتَّبِعُوْنَ اِلَّا الظَّنَّ وَاِنَّ الظَّنَّ لَا يُغْنِيْ مِنَ الْحَقِّ شَيْـًٔاۚ ٢٨
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- lahum
- لَهُم
- उन्हें
- bihi
- بِهِۦ
- उसका
- min
- مِنْ
- कोई इल्म
- ʿil'min
- عِلْمٍۖ
- कोई इल्म
- in
- إِن
- नहीं
- yattabiʿūna
- يَتَّبِعُونَ
- वो पैरवी करते
- illā
- إِلَّا
- मगर
- l-ẓana
- ٱلظَّنَّۖ
- गुमान की
- wa-inna
- وَإِنَّ
- और बेशक
- l-ẓana
- ٱلظَّنَّ
- गुमान
- lā
- لَا
- नहीं वो काम आता
- yugh'nī
- يُغْنِى
- नहीं वो काम आता
- mina
- مِنَ
- हक़ के (मुक़ाबले पर)
- l-ḥaqi
- ٱلْحَقِّ
- हक़ के (मुक़ाबले पर)
- shayan
- شَيْـًٔا
- कुछ भी
हालाँकि इस विषय में उन्हें कोई ज्ञान नहीं। वे केवल अटकल के पीछे चलते है, हालाँकि सत्य से जो लाभ पहुँचता है वह अटकल से कदापि नहीं पहुँच सकता। ([५३] अन-नज्म: 28)Tafseer (तफ़सीर )
فَاَعْرِضْ عَنْ مَّنْ تَوَلّٰىۙ عَنْ ذِكْرِنَا وَلَمْ يُرِدْ اِلَّا الْحَيٰوةَ الدُّنْيَاۗ ٢٩
- fa-aʿriḍ
- فَأَعْرِضْ
- तो ऐराज़ कीजिए
- ʿan
- عَن
- उससे
- man
- مَّن
- जो
- tawallā
- تَوَلَّىٰ
- मुँह मोड़े
- ʿan
- عَن
- हमारे ज़िक्र से
- dhik'rinā
- ذِكْرِنَا
- हमारे ज़िक्र से
- walam
- وَلَمْ
- और ना
- yurid
- يُرِدْ
- वो चाहे
- illā
- إِلَّا
- मगर
- l-ḥayata
- ٱلْحَيَوٰةَ
- ज़िन्दगी
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَا
- दुनिया की
अतः तुम उसको ध्यान में न लाओ जो हमारे ज़िक्र से मुँह मोड़ता है और सांसारिक जीवन के सिवा उसने कुछ नहीं चाहा ([५३] अन-नज्म: 29)Tafseer (तफ़सीर )
ذٰلِكَ مَبْلَغُهُمْ مِّنَ الْعِلْمِۗ اِنَّ رَبَّكَ هُوَ اَعْلَمُ بِمَنْ ضَلَّ عَنْ سَبِيْلِهٖۙ وَهُوَ اَعْلَمُ بِمَنِ اهْتَدٰى ٣٠
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- यही
- mablaghuhum
- مَبْلَغُهُم
- इन्तिहा है उनकी
- mina
- مِّنَ
- इल्म में
- l-ʿil'mi
- ٱلْعِلْمِۚ
- इल्म में
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- rabbaka
- رَبَّكَ
- रब आपका
- huwa
- هُوَ
- वो
- aʿlamu
- أَعْلَمُ
- ज़्यादा जानता है
- biman
- بِمَن
- उसे जो
- ḍalla
- ضَلَّ
- भटक गया
- ʿan
- عَن
- उसके रास्ते से
- sabīlihi
- سَبِيلِهِۦ
- उसके रास्ते से
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- aʿlamu
- أَعْلَمُ
- ज़्यादा जानता है
- bimani
- بِمَنِ
- उसे जो
- ih'tadā
- ٱهْتَدَىٰ
- हिदायत पा गया
ऐसे लोगों के ज्ञान की पहुँच बस यहीं तक है। निश्चय ही तुम्हारा रब ही उसे भली-भाँति जानता है जो उसके मार्ग से भटक गया और वही उसे भी भली-भाँति जानता है जिसने सीधा मार्ग अपनाया ([५३] अन-नज्म: 30)Tafseer (तफ़सीर )