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सूरा अन-नज्म - Page: 3

An-Najm

(सितारा)

२१

اَلَكُمُ الذَّكَرُ وَلَهُ الْاُنْثٰى ٢١

alakumu
أَلَكُمُ
क्या तुम्हारे लिए हैं
l-dhakaru
ٱلذَّكَرُ
लड़के
walahu
وَلَهُ
और उसके लिए हैं
l-unthā
ٱلْأُنثَىٰ
लड़कियाँ
क्या तुम्हारे लिए तो बेटे है उनके लिए बेटियाँ? ([५३] अन-नज्म: 21)
Tafseer (तफ़सीर )
२२

تِلْكَ اِذًا قِسْمَةٌ ضِيْزٰى ٢٢

til'ka
تِلْكَ
ये
idhan
إِذًا
तब
qis'matun
قِسْمَةٌ
एक तक़सीम है
ḍīzā
ضِيزَىٰٓ
ना इन्साफ़ी की
तब तो यह बहुत बेढ़ंगा और अन्यायपूर्ण बँटवारा हुआ! ([५३] अन-नज्म: 22)
Tafseer (तफ़सीर )
२३

اِنْ هِيَ اِلَّآ اَسْمَاۤءٌ سَمَّيْتُمُوْهَآ اَنْتُمْ وَاٰبَاۤؤُكُمْ مَّآ اَنْزَلَ اللّٰهُ بِهَا مِنْ سُلْطٰنٍۗ اِنْ يَّتَّبِعُوْنَ اِلَّا الظَّنَّ وَمَا تَهْوَى الْاَنْفُسُۚ وَلَقَدْ جَاۤءَهُمْ مِّنْ رَّبِّهِمُ الْهُدٰىۗ ٢٣

in
إِنْ
नहीं
hiya
هِىَ
वो
illā
إِلَّآ
मगर
asmāon
أَسْمَآءٌ
कुछ नाम हैं
sammaytumūhā
سَمَّيْتُمُوهَآ
नाम रखे तुमने उनके
antum
أَنتُمْ
तुमने
waābāukum
وَءَابَآؤُكُم
और तुम्हारे आबा ओ अजदाद ने
مَّآ
नहीं
anzala
أَنزَلَ
नाज़िल की
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
bihā
بِهَا
उनकी
min
مِن
कोई दलील
sul'ṭānin
سُلْطَٰنٍۚ
कोई दलील
in
إِن
नहीं
yattabiʿūna
يَتَّبِعُونَ
वो पैरवी करते
illā
إِلَّا
मगर
l-ẓana
ٱلظَّنَّ
गुमान की
wamā
وَمَا
और उसकी जो
tahwā
تَهْوَى
ख़्वाहिश करते हैं
l-anfusu
ٱلْأَنفُسُۖ
नफ़्स
walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
jāahum
جَآءَهُم
आई उनके पास
min
مِّن
उनके रब की तरफ़ से
rabbihimu
رَّبِّهِمُ
उनके रब की तरफ़ से
l-hudā
ٱلْهُدَىٰٓ
हिदायत
वे तो बस कुछ नाम है जो तुमने और तुम्हारे बाप-दादा ने रख लिए है। अल्लाह ने उनके लिए कोई सनद नहीं उतारी। वे तो केवल अटकल के पीछे चले रहे है और उनके पीछे जो उनके मन की इच्छा होती है। हालाँकि उनके पास उनके रब की ओर से मार्गदर्शन आ चुका है ([५३] अन-नज्म: 23)
Tafseer (तफ़सीर )
२४

اَمْ لِلْاِنْسَانِ مَا تَمَنّٰىۖ ٢٤

am
أَمْ
क्या है
lil'insāni
لِلْإِنسَٰنِ
इन्सान को
مَا
जो
tamannā
تَمَنَّىٰ
वो तमन्ना करे
(क्या उनकी देवियाँ उन्हें लाभ पहुँचा सकती है) या मनुष्य वह कुछ पा लेगा, जिसकी वह कामना करता है? ([५३] अन-नज्म: 24)
Tafseer (तफ़सीर )
२५

فَلِلّٰهِ الْاٰخِرَةُ وَالْاُوْلٰى ࣖ ٢٥

falillahi
فَلِلَّهِ
तो अल्लाह ही के लिए है
l-ākhiratu
ٱلْءَاخِرَةُ
आख़िरत
wal-ūlā
وَٱلْأُولَىٰ
और पहली (दुनिया)
आख़िरत और दुनिया का मालिक तो अल्लाह ही है ([५३] अन-नज्म: 25)
Tafseer (तफ़सीर )
२६

وَكَمْ مِّنْ مَّلَكٍ فِى السَّمٰوٰتِ لَا تُغْنِيْ شَفَاعَتُهُمْ شَيْـًٔا اِلَّا مِنْۢ بَعْدِ اَنْ يَّأْذَنَ اللّٰهُ لِمَنْ يَّشَاۤءُ وَيَرْضٰى ٢٦

wakam
وَكَم
और कितने ही
min
مِّن
फ़रिश्ते हैं
malakin
مَّلَكٍ
फ़रिश्ते हैं
فِى
आसमानों में
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों में
لَا
ना काम आएगी
tugh'nī
تُغْنِى
ना काम आएगी
shafāʿatuhum
شَفَٰعَتُهُمْ
सिफ़ारिश उनकी
shayan
شَيْـًٔا
कुछ भी
illā
إِلَّا
मगर
min
مِنۢ
इसके बाद
baʿdi
بَعْدِ
इसके बाद
an
أَن
कि
yadhana
يَأْذَنَ
इजाज़त दे
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
liman
لِمَن
जिसके लिए
yashāu
يَشَآءُ
वो चाहे
wayarḍā
وَيَرْضَىٰٓ
और वो राज़ी हो जाए
आकाशों में कितने ही फ़रिश्ते है, उनकी सिफ़ारिश कुछ काम नहीं आएगी; यदि काम आ सकती है तो इसके पश्चात ही कि अल्लाह अनुमति दे, जिसे चाहे और पसन्द करे। ([५३] अन-नज्म: 26)
Tafseer (तफ़सीर )
२७

اِنَّ الَّذِيْنَ لَا يُؤْمِنُوْنَ بِالْاٰخِرَةِ لَيُسَمُّوْنَ الْمَلٰۤىِٕكَةَ تَسْمِيَةَ الْاُنْثٰى ٢٧

inna
إِنَّ
बेशक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
لَا
नहीं वो ईमान लाते
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
नहीं वो ईमान लाते
bil-ākhirati
بِٱلْءَاخِرَةِ
आख़िरत पर
layusammūna
لَيُسَمُّونَ
अलबत्ता वो नाम रखते हैं
l-malāikata
ٱلْمَلَٰٓئِكَةَ
फ़रिश्तों के
tasmiyata
تَسْمِيَةَ
नाम
l-unthā
ٱلْأُنثَىٰ
औरतों जैसे
जो लोग आख़िरत को नहीं मानते, वे फ़रिश्तों के देवियों के नाम से अभिहित करते है, ([५३] अन-नज्म: 27)
Tafseer (तफ़सीर )
२८

وَمَا لَهُمْ بِهٖ مِنْ عِلْمٍۗ اِنْ يَّتَّبِعُوْنَ اِلَّا الظَّنَّ وَاِنَّ الظَّنَّ لَا يُغْنِيْ مِنَ الْحَقِّ شَيْـًٔاۚ ٢٨

wamā
وَمَا
और नहीं
lahum
لَهُم
उन्हें
bihi
بِهِۦ
उसका
min
مِنْ
कोई इल्म
ʿil'min
عِلْمٍۖ
कोई इल्म
in
إِن
नहीं
yattabiʿūna
يَتَّبِعُونَ
वो पैरवी करते
illā
إِلَّا
मगर
l-ẓana
ٱلظَّنَّۖ
गुमान की
wa-inna
وَإِنَّ
और बेशक
l-ẓana
ٱلظَّنَّ
गुमान
لَا
नहीं वो काम आता
yugh'nī
يُغْنِى
नहीं वो काम आता
mina
مِنَ
हक़ के (मुक़ाबले पर)
l-ḥaqi
ٱلْحَقِّ
हक़ के (मुक़ाबले पर)
shayan
شَيْـًٔا
कुछ भी
हालाँकि इस विषय में उन्हें कोई ज्ञान नहीं। वे केवल अटकल के पीछे चलते है, हालाँकि सत्य से जो लाभ पहुँचता है वह अटकल से कदापि नहीं पहुँच सकता। ([५३] अन-नज्म: 28)
Tafseer (तफ़सीर )
२९

فَاَعْرِضْ عَنْ مَّنْ تَوَلّٰىۙ عَنْ ذِكْرِنَا وَلَمْ يُرِدْ اِلَّا الْحَيٰوةَ الدُّنْيَاۗ ٢٩

fa-aʿriḍ
فَأَعْرِضْ
तो ऐराज़ कीजिए
ʿan
عَن
उससे
man
مَّن
जो
tawallā
تَوَلَّىٰ
मुँह मोड़े
ʿan
عَن
हमारे ज़िक्र से
dhik'rinā
ذِكْرِنَا
हमारे ज़िक्र से
walam
وَلَمْ
और ना
yurid
يُرِدْ
वो चाहे
illā
إِلَّا
मगर
l-ḥayata
ٱلْحَيَوٰةَ
ज़िन्दगी
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَا
दुनिया की
अतः तुम उसको ध्यान में न लाओ जो हमारे ज़िक्र से मुँह मोड़ता है और सांसारिक जीवन के सिवा उसने कुछ नहीं चाहा ([५३] अन-नज्म: 29)
Tafseer (तफ़सीर )
३०

ذٰلِكَ مَبْلَغُهُمْ مِّنَ الْعِلْمِۗ اِنَّ رَبَّكَ هُوَ اَعْلَمُ بِمَنْ ضَلَّ عَنْ سَبِيْلِهٖۙ وَهُوَ اَعْلَمُ بِمَنِ اهْتَدٰى ٣٠

dhālika
ذَٰلِكَ
यही
mablaghuhum
مَبْلَغُهُم
इन्तिहा है उनकी
mina
مِّنَ
इल्म में
l-ʿil'mi
ٱلْعِلْمِۚ
इल्म में
inna
إِنَّ
बेशक
rabbaka
رَبَّكَ
रब आपका
huwa
هُوَ
वो
aʿlamu
أَعْلَمُ
ज़्यादा जानता है
biman
بِمَن
उसे जो
ḍalla
ضَلَّ
भटक गया
ʿan
عَن
उसके रास्ते से
sabīlihi
سَبِيلِهِۦ
उसके रास्ते से
wahuwa
وَهُوَ
और वो
aʿlamu
أَعْلَمُ
ज़्यादा जानता है
bimani
بِمَنِ
उसे जो
ih'tadā
ٱهْتَدَىٰ
हिदायत पा गया
ऐसे लोगों के ज्ञान की पहुँच बस यहीं तक है। निश्चय ही तुम्हारा रब ही उसे भली-भाँति जानता है जो उसके मार्ग से भटक गया और वही उसे भी भली-भाँति जानता है जिसने सीधा मार्ग अपनाया ([५३] अन-नज्म: 30)
Tafseer (तफ़सीर )