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सूरा अन-नज्म - Page: 2

An-Najm

(सितारा)

११

مَا كَذَبَ الْفُؤَادُ مَا رَاٰى ١١

مَا
नहीं
kadhaba
كَذَبَ
झूठ बोला
l-fuādu
ٱلْفُؤَادُ
दिल ने
مَا
जो कुछ
raā
رَأَىٰٓ
उसने देखा
दिल ने कोई धोखा नहीं दिया, जो कुछ उसने देखा; ([५३] अन-नज्म: 11)
Tafseer (तफ़सीर )
१२

اَفَتُمٰرُوْنَهٗ عَلٰى مَا يَرٰى ١٢

afatumārūnahu
أَفَتُمَٰرُونَهُۥ
क्या फिर तुम झगड़ते हो उससे
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर उसके जो
مَا
ऊपर उसके जो
yarā
يَرَىٰ
वो देखता है
अब क्या तुम उस चीज़ पर झगड़ते हो, जिसे वह देख रहा है? - ([५३] अन-नज्म: 12)
Tafseer (तफ़सीर )
१३

وَلَقَدْ رَاٰهُ نَزْلَةً اُخْرٰىۙ ١٣

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
raāhu
رَءَاهُ
उसने देखा उसे
nazlatan
نَزْلَةً
एक बार उतरते
ukh'rā
أُخْرَىٰ
और भी
और निश्चय ही वह उसे एक बार और ([५३] अन-नज्म: 13)
Tafseer (तफ़सीर )
१४

عِنْدَ سِدْرَةِ الْمُنْتَهٰى ١٤

ʿinda
عِندَ
पास
sid'rati
سِدْرَةِ
सिदरतुल मुन्तहा के
l-muntahā
ٱلْمُنتَهَىٰ
सिदरतुल मुन्तहा के
'सिदरतुल मुन्तहा' (परली सीमा के बेर) के पास उतरते देख चुका है ([५३] अन-नज्म: 14)
Tafseer (तफ़सीर )
१५

عِنْدَهَا جَنَّةُ الْمَأْوٰىۗ ١٥

ʿindahā
عِندَهَا
उसी के पास है
jannatu
جَنَّةُ
जन्नतुल मावा
l-mawā
ٱلْمَأْوَىٰٓ
जन्नतुल मावा
उसी के निकट 'जन्नतुल मावा' (ठिकानेवाली जन्नत) है। - ([५३] अन-नज्म: 15)
Tafseer (तफ़सीर )
१६

اِذْ يَغْشَى السِّدْرَةَ مَا يَغْشٰىۙ ١٦

idh
إِذْ
जब
yaghshā
يَغْشَى
छा रहा था
l-sid'rata
ٱلسِّدْرَةَ
बेरी के दरख़्त पर
مَا
जो कुछ
yaghshā
يَغْشَىٰ
छा रहा था
जबकि छा रहा था उस बेर पर, जो कुछ छा रहा था ([५३] अन-नज्म: 16)
Tafseer (तफ़सीर )
१७

مَا زَاغَ الْبَصَرُ وَمَا طَغٰى ١٧

مَا
ना
zāgha
زَاغَ
कजी की
l-baṣaru
ٱلْبَصَرُ
निगाह ने
wamā
وَمَا
और ना
ṭaghā
طَغَىٰ
वो हद से बढ़ी
निगाह न तो टेढ़ी हुइ और न हद से आगे बढ़ी ([५३] अन-नज्म: 17)
Tafseer (तफ़सीर )
१८

لَقَدْ رَاٰى مِنْ اٰيٰتِ رَبِّهِ الْكُبْرٰى ١٨

laqad
لَقَدْ
अलबत्ता तहक़ीक़
raā
رَأَىٰ
उसने देखीं
min
مِنْ
निशानियाँ
āyāti
ءَايَٰتِ
निशानियाँ
rabbihi
رَبِّهِ
अपने रब की
l-kub'rā
ٱلْكُبْرَىٰٓ
बड़ी-बड़ी
निश्चय ही उसने अपने रब की बड़ी-बड़ी निशानियाँ देखीं ([५३] अन-नज्म: 18)
Tafseer (तफ़सीर )
१९

اَفَرَءَيْتُمُ اللّٰتَ وَالْعُزّٰى ١٩

afara-aytumu
أَفَرَءَيْتُمُ
क्या फिर देखा तुमने
l-lāta
ٱللَّٰتَ
लात
wal-ʿuzā
وَٱلْعُزَّىٰ
और उज़्ज़ा को
तो क्या तुमने लात और उज़्ज़ा ([५३] अन-नज्म: 19)
Tafseer (तफ़सीर )
२०

وَمَنٰوةَ الثَّالِثَةَ الْاُخْرٰى ٢٠

wamanata
وَمَنَوٰةَ
और मनात
l-thālithata
ٱلثَّالِثَةَ
तीसरी
l-ukh'rā
ٱلْأُخْرَىٰٓ
एक और को
और तीसरी एक और (देवी) मनात पर विचार किया? ([५३] अन-नज्म: 20)
Tafseer (तफ़सीर )