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सूरा अत-तूर - Page: 5

At-Tur

(उच्च शिखर)

४१

اَمْ عِنْدَهُمُ الْغَيْبُ فَهُمْ يَكْتُبُوْنَۗ ٤١

am
أَمْ
या
ʿindahumu
عِندَهُمُ
उनके पास
l-ghaybu
ٱلْغَيْبُ
ग़ैब है
fahum
فَهُمْ
तो वो
yaktubūna
يَكْتُبُونَ
वो लिख रहे हैं
या उनके पास परोक्ष (स्पष्ट) है जिसके आधार पर वे लिए रहे हो? ([५२] अत-तूर: 41)
Tafseer (तफ़सीर )
४२

اَمْ يُرِيْدُوْنَ كَيْدًاۗ فَالَّذِيْنَ كَفَرُوْا هُمُ الْمَكِيْدُوْنَۗ ٤٢

am
أَمْ
या
yurīdūna
يُرِيدُونَ
वो इरादा करते हैं
kaydan
كَيْدًاۖ
एक चाल का
fa-alladhīna
فَٱلَّذِينَ
तो वो जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
humu
هُمُ
वो ही
l-makīdūna
ٱلْمَكِيدُونَ
चाल में आने वाले हैं
या वे कोई चाल चलना चाहते है? तो जिन लोगों ने इनकार किया वही चाल की लपेट में आनेवाले है ([५२] अत-तूर: 42)
Tafseer (तफ़सीर )
४३

اَمْ لَهُمْ اِلٰهٌ غَيْرُ اللّٰهِ ۗسُبْحٰنَ اللّٰهِ عَمَّا يُشْرِكُوْنَ ٤٣

am
أَمْ
या
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
ilāhun
إِلَٰهٌ
कोई इलाह है
ghayru
غَيْرُ
सिवाए
l-lahi
ٱللَّهِۚ
अल्लाह के
sub'ḥāna
سُبْحَٰنَ
पाक है
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह
ʿammā
عَمَّا
उससे जो
yush'rikūna
يُشْرِكُونَ
वो शरीक ठहराते हैं
या अल्लाह के अतिरिक्त उनका कोई और पूज्य-प्रभु है? अल्लाह महान और उच्च है उससे जो वे साझी ठहराते है ([५२] अत-तूर: 43)
Tafseer (तफ़सीर )
४४

وَاِنْ يَّرَوْا كِسْفًا مِّنَ السَّمَاۤءِ سَاقِطًا يَّقُوْلُوْا سَحَابٌ مَّرْكُوْمٌ ٤٤

wa-in
وَإِن
और अगर
yaraw
يَرَوْا۟
वो देखें
kis'fan
كِسْفًا
कोई टुकड़ा
mina
مِّنَ
आसमान से
l-samāi
ٱلسَّمَآءِ
आसमान से
sāqiṭan
سَاقِطًا
गिरने वाला
yaqūlū
يَقُولُوا۟
वो कहेंगे
saḥābun
سَحَابٌ
बादल हैं
markūmun
مَّرْكُومٌ
तह-ब-तह
यदि वे आकाश का कोई टुकटा गिरता हुआ देखें तो कहेंगे, 'यह तो परत पर परत बादल है!' ([५२] अत-तूर: 44)
Tafseer (तफ़सीर )
४५

فَذَرْهُمْ حَتّٰى يُلٰقُوْا يَوْمَهُمُ الَّذِيْ فِيْهِ يُصْعَقُوْنَۙ ٤٥

fadharhum
فَذَرْهُمْ
पस छोड़ दो उन्हें
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
yulāqū
يُلَٰقُوا۟
वो जा मिलें
yawmahumu
يَوْمَهُمُ
अपने (उस) दिन से
alladhī
ٱلَّذِى
वो जो
fīhi
فِيهِ
उसमें
yuṣ'ʿaqūna
يُصْعَقُونَ
वो बेहोश किए जाऐंगे
अतः छोडो उन्हें, यहाँ तक कि वे अपने उस दिन का सामना करें जिसमें उनपर वज्रपात होगा; ([५२] अत-तूर: 45)
Tafseer (तफ़सीर )
४६

يَوْمَ لَا يُغْنِيْ عَنْهُمْ كَيْدُهُمْ شَيْـًٔا وَّلَا هُمْ يُنْصَرُوْنَۗ ٤٦

yawma
يَوْمَ
जिस दिन
لَا
ना काम आएगी
yugh'nī
يُغْنِى
ना काम आएगी
ʿanhum
عَنْهُمْ
उन्हें
kayduhum
كَيْدُهُمْ
चाल उनकी
shayan
شَيْـًٔا
कुछ भी
walā
وَلَا
और ना
hum
هُمْ
वो
yunṣarūna
يُنصَرُونَ
वो मदद दिए जाऐंगे
जिस दिन उनकी चाल उनके कुछ भी काम न आएगी और न उन्हें कोई सहायता ही मिलेगी; ([५२] अत-तूर: 46)
Tafseer (तफ़सीर )
४७

وَاِنَّ لِلَّذِيْنَ ظَلَمُوْا عَذَابًا دُوْنَ ذٰلِكَ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَهُمْ لَا يَعْلَمُوْنَ ٤٧

wa-inna
وَإِنَّ
और बेशक
lilladhīna
لِلَّذِينَ
उनके लिए जिन्होंने
ẓalamū
ظَلَمُوا۟
ज़ुल्म किया
ʿadhāban
عَذَابًا
एक अज़ाब है
dūna
دُونَ
अलावा
dhālika
ذَٰلِكَ
उसके
walākinna
وَلَٰكِنَّ
और लेकिन
aktharahum
أَكْثَرَهُمْ
अक्सर उनके
لَا
नहीं वो इल्म रखते
yaʿlamūna
يَعْلَمُونَ
नहीं वो इल्म रखते
और निश्चय ही जिन लोगों ने ज़ुल्म किया उनके लिए एक यातना है उससे हटकर भी, परन्तु उनमें से अधिकतर जानते नहीं ([५२] अत-तूर: 47)
Tafseer (तफ़सीर )
४८

وَاصْبِرْ لِحُكْمِ رَبِّكَ فَاِنَّكَ بِاَعْيُنِنَا وَسَبِّحْ بِحَمْدِ رَبِّكَ حِيْنَ تَقُوْمُۙ ٤٨

wa-iṣ'bir
وَٱصْبِرْ
और सब्र कीजिए
liḥuk'mi
لِحُكْمِ
हुक्म के लिए
rabbika
رَبِّكَ
अपने रब के
fa-innaka
فَإِنَّكَ
पस बेशक आप
bi-aʿyuninā
بِأَعْيُنِنَاۖ
हमारी निगाहों के सामने हैं
wasabbiḥ
وَسَبِّحْ
और तस्बीह कीजिए
biḥamdi
بِحَمْدِ
साथ तारीफ़ के
rabbika
رَبِّكَ
अपने रब की
ḥīna
حِينَ
जिस वक़्त
taqūmu
تَقُومُ
आप खड़े होते हैं
अपने रब का फ़ैसला आने तक धैर्य से काम लो, तुम तो हमारी आँखों में हो, और जब उठो तो अपने रब का गुणगान करो; ([५२] अत-तूर: 48)
Tafseer (तफ़सीर )
४९

وَمِنَ الَّيْلِ فَسَبِّحْهُ وَاِدْبَارَ النُّجُوْمِ ࣖ ٤٩

wamina
وَمِنَ
और रात को
al-layli
ٱلَّيْلِ
और रात को
fasabbiḥ'hu
فَسَبِّحْهُ
पस तस्बीह कीजिए उसकी
wa-id'bāra
وَإِدْبَٰرَ
और पलटने के बाद
l-nujūmi
ٱلنُّجُومِ
सितारों के
रात की कुछ घड़ियों में भी उसकी तसबीह करो, और सितारों के पीठ फेरने के समय (प्रातःकाल) भी ([५२] अत-तूर: 49)
Tafseer (तफ़सीर )