४१
اَمْ عِنْدَهُمُ الْغَيْبُ فَهُمْ يَكْتُبُوْنَۗ ٤١
- am
- أَمْ
- या
- ʿindahumu
- عِندَهُمُ
- उनके पास
- l-ghaybu
- ٱلْغَيْبُ
- ग़ैब है
- fahum
- فَهُمْ
- तो वो
- yaktubūna
- يَكْتُبُونَ
- वो लिख रहे हैं
या उनके पास परोक्ष (स्पष्ट) है जिसके आधार पर वे लिए रहे हो? ([५२] अत-तूर: 41)Tafseer (तफ़सीर )
४२
اَمْ يُرِيْدُوْنَ كَيْدًاۗ فَالَّذِيْنَ كَفَرُوْا هُمُ الْمَكِيْدُوْنَۗ ٤٢
- am
- أَمْ
- या
- yurīdūna
- يُرِيدُونَ
- वो इरादा करते हैं
- kaydan
- كَيْدًاۖ
- एक चाल का
- fa-alladhīna
- فَٱلَّذِينَ
- तो वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- humu
- هُمُ
- वो ही
- l-makīdūna
- ٱلْمَكِيدُونَ
- चाल में आने वाले हैं
या वे कोई चाल चलना चाहते है? तो जिन लोगों ने इनकार किया वही चाल की लपेट में आनेवाले है ([५२] अत-तूर: 42)Tafseer (तफ़सीर )
४३
اَمْ لَهُمْ اِلٰهٌ غَيْرُ اللّٰهِ ۗسُبْحٰنَ اللّٰهِ عَمَّا يُشْرِكُوْنَ ٤٣
- am
- أَمْ
- या
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- ilāhun
- إِلَٰهٌ
- कोई इलाह है
- ghayru
- غَيْرُ
- सिवाए
- l-lahi
- ٱللَّهِۚ
- अल्लाह के
- sub'ḥāna
- سُبْحَٰنَ
- पाक है
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह
- ʿammā
- عَمَّا
- उससे जो
- yush'rikūna
- يُشْرِكُونَ
- वो शरीक ठहराते हैं
या अल्लाह के अतिरिक्त उनका कोई और पूज्य-प्रभु है? अल्लाह महान और उच्च है उससे जो वे साझी ठहराते है ([५२] अत-तूर: 43)Tafseer (तफ़सीर )
४४
وَاِنْ يَّرَوْا كِسْفًا مِّنَ السَّمَاۤءِ سَاقِطًا يَّقُوْلُوْا سَحَابٌ مَّرْكُوْمٌ ٤٤
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- yaraw
- يَرَوْا۟
- वो देखें
- kis'fan
- كِسْفًا
- कोई टुकड़ा
- mina
- مِّنَ
- आसमान से
- l-samāi
- ٱلسَّمَآءِ
- आसमान से
- sāqiṭan
- سَاقِطًا
- गिरने वाला
- yaqūlū
- يَقُولُوا۟
- वो कहेंगे
- saḥābun
- سَحَابٌ
- बादल हैं
- markūmun
- مَّرْكُومٌ
- तह-ब-तह
यदि वे आकाश का कोई टुकटा गिरता हुआ देखें तो कहेंगे, 'यह तो परत पर परत बादल है!' ([५२] अत-तूर: 44)Tafseer (तफ़सीर )
४५
فَذَرْهُمْ حَتّٰى يُلٰقُوْا يَوْمَهُمُ الَّذِيْ فِيْهِ يُصْعَقُوْنَۙ ٤٥
- fadharhum
- فَذَرْهُمْ
- पस छोड़ दो उन्हें
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- yulāqū
- يُلَٰقُوا۟
- वो जा मिलें
- yawmahumu
- يَوْمَهُمُ
- अपने (उस) दिन से
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो जो
- fīhi
- فِيهِ
- उसमें
- yuṣ'ʿaqūna
- يُصْعَقُونَ
- वो बेहोश किए जाऐंगे
अतः छोडो उन्हें, यहाँ तक कि वे अपने उस दिन का सामना करें जिसमें उनपर वज्रपात होगा; ([५२] अत-तूर: 45)Tafseer (तफ़सीर )
४६
يَوْمَ لَا يُغْنِيْ عَنْهُمْ كَيْدُهُمْ شَيْـًٔا وَّلَا هُمْ يُنْصَرُوْنَۗ ٤٦
- yawma
- يَوْمَ
- जिस दिन
- lā
- لَا
- ना काम आएगी
- yugh'nī
- يُغْنِى
- ना काम आएगी
- ʿanhum
- عَنْهُمْ
- उन्हें
- kayduhum
- كَيْدُهُمْ
- चाल उनकी
- shayan
- شَيْـًٔا
- कुछ भी
- walā
- وَلَا
- और ना
- hum
- هُمْ
- वो
- yunṣarūna
- يُنصَرُونَ
- वो मदद दिए जाऐंगे
जिस दिन उनकी चाल उनके कुछ भी काम न आएगी और न उन्हें कोई सहायता ही मिलेगी; ([५२] अत-तूर: 46)Tafseer (तफ़सीर )
४७
وَاِنَّ لِلَّذِيْنَ ظَلَمُوْا عَذَابًا دُوْنَ ذٰلِكَ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَهُمْ لَا يَعْلَمُوْنَ ٤٧
- wa-inna
- وَإِنَّ
- और बेशक
- lilladhīna
- لِلَّذِينَ
- उनके लिए जिन्होंने
- ẓalamū
- ظَلَمُوا۟
- ज़ुल्म किया
- ʿadhāban
- عَذَابًا
- एक अज़ाब है
- dūna
- دُونَ
- अलावा
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- उसके
- walākinna
- وَلَٰكِنَّ
- और लेकिन
- aktharahum
- أَكْثَرَهُمْ
- अक्सर उनके
- lā
- لَا
- नहीं वो इल्म रखते
- yaʿlamūna
- يَعْلَمُونَ
- नहीं वो इल्म रखते
और निश्चय ही जिन लोगों ने ज़ुल्म किया उनके लिए एक यातना है उससे हटकर भी, परन्तु उनमें से अधिकतर जानते नहीं ([५२] अत-तूर: 47)Tafseer (तफ़सीर )
४८
وَاصْبِرْ لِحُكْمِ رَبِّكَ فَاِنَّكَ بِاَعْيُنِنَا وَسَبِّحْ بِحَمْدِ رَبِّكَ حِيْنَ تَقُوْمُۙ ٤٨
- wa-iṣ'bir
- وَٱصْبِرْ
- और सब्र कीजिए
- liḥuk'mi
- لِحُكْمِ
- हुक्म के लिए
- rabbika
- رَبِّكَ
- अपने रब के
- fa-innaka
- فَإِنَّكَ
- पस बेशक आप
- bi-aʿyuninā
- بِأَعْيُنِنَاۖ
- हमारी निगाहों के सामने हैं
- wasabbiḥ
- وَسَبِّحْ
- और तस्बीह कीजिए
- biḥamdi
- بِحَمْدِ
- साथ तारीफ़ के
- rabbika
- رَبِّكَ
- अपने रब की
- ḥīna
- حِينَ
- जिस वक़्त
- taqūmu
- تَقُومُ
- आप खड़े होते हैं
अपने रब का फ़ैसला आने तक धैर्य से काम लो, तुम तो हमारी आँखों में हो, और जब उठो तो अपने रब का गुणगान करो; ([५२] अत-तूर: 48)Tafseer (तफ़सीर )
४९
وَمِنَ الَّيْلِ فَسَبِّحْهُ وَاِدْبَارَ النُّجُوْمِ ࣖ ٤٩
- wamina
- وَمِنَ
- और रात को
- al-layli
- ٱلَّيْلِ
- और रात को
- fasabbiḥ'hu
- فَسَبِّحْهُ
- पस तस्बीह कीजिए उसकी
- wa-id'bāra
- وَإِدْبَٰرَ
- और पलटने के बाद
- l-nujūmi
- ٱلنُّجُومِ
- सितारों के
रात की कुछ घड़ियों में भी उसकी तसबीह करो, और सितारों के पीठ फेरने के समय (प्रातःकाल) भी ([५२] अत-तूर: 49)Tafseer (तफ़सीर )