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सूरा अत-तूर - Page: 3

At-Tur

(उच्च शिखर)

२१

وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَاتَّبَعَتْهُمْ ذُرِّيَّتُهُمْ بِاِيْمَانٍ اَلْحَقْنَا بِهِمْ ذُرِّيَّتَهُمْ وَمَآ اَلَتْنٰهُمْ مِّنْ عَمَلِهِمْ مِّنْ شَيْءٍۚ كُلُّ امْرِئٍ ۢبِمَا كَسَبَ رَهِيْنٌ ٢١

wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो लोग जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
wa-ittabaʿathum
وَٱتَّبَعَتْهُمْ
और पैरवी की उनकी
dhurriyyatuhum
ذُرِّيَّتُهُم
उनकी औलाद ने
biīmānin
بِإِيمَٰنٍ
साथ ईमान के
alḥaqnā
أَلْحَقْنَا
मिला देंगे हम
bihim
بِهِمْ
साथ उनके
dhurriyyatahum
ذُرِّيَّتَهُمْ
उनकी औलाद को
wamā
وَمَآ
और ना
alatnāhum
أَلَتْنَٰهُم
कमी करेंगे हम उनसे
min
مِّنْ
उनके अमल में से
ʿamalihim
عَمَلِهِم
उनके अमल में से
min
مِّن
कुछ भी
shayin
شَىْءٍۚ
कुछ भी
kullu
كُلُّ
हर
im'ri-in
ٱمْرِئٍۭ
शख़्स
bimā
بِمَا
बवजह उसके जो
kasaba
كَسَبَ
उसने कमाई की
rahīnun
رَهِينٌ
रेहन/गिरवी है
जो लोग ईमान लाए और उनकी सन्तान ने भी ईमान के साथ उसका अनुसरण किया, उनकी सन्तान को भी हम उनसे मिला देंगे, और उनके कर्म में से कुछ भी कम करके उन्हें नहीं देंगे। हर व्यक्ति अपनी कमाई के बदले में बन्धक है ([५२] अत-तूर: 21)
Tafseer (तफ़सीर )
२२

وَاَمْدَدْنٰهُمْ بِفَاكِهَةٍ وَّلَحْمٍ مِّمَّا يَشْتَهُوْنَ ٢٢

wa-amdadnāhum
وَأَمْدَدْنَٰهُم
और हम दिए चले जाऐंगे उन्हें
bifākihatin
بِفَٰكِهَةٍ
फल
walaḥmin
وَلَحْمٍ
और गोश्त
mimmā
مِّمَّا
उसमें से जो
yashtahūna
يَشْتَهُونَ
वो ख़्वाहिश करेंगे
और हम उन्हें मेवे और मांस, जिसकी वे इच्छा करेंगे दिए चले जाएँगे ([५२] अत-तूर: 22)
Tafseer (तफ़सीर )
२३

يَتَنَازَعُوْنَ فِيْهَا كَأْسًا لَّا لَغْوٌ فِيْهَا وَلَا تَأْثِيْمٌ ٢٣

yatanāzaʿūna
يَتَنَٰزَعُونَ
वो एक दूसरे से छीना-झपटी करेंगे
fīhā
فِيهَا
उसमें
kasan
كَأْسًا
जामे शराब पर
لَّا
ना कोई बेहूदा गोई होगी
laghwun
لَغْوٌ
ना कोई बेहूदा गोई होगी
fīhā
فِيهَا
उसमें
walā
وَلَا
और ना
tathīmun
تَأْثِيمٌ
कोई गुनाह(की बात)
वे वहाँ आपस में प्याले हाथोंहाथ ले रहे होंगे, जिसमें न कोई बेहूदगी होगी और न गुनाह पर उभारनेवाली कोई बात, ([५२] अत-तूर: 23)
Tafseer (तफ़सीर )
२४

وَيَطُوْفُ عَلَيْهِمْ غِلْمَانٌ لَّهُمْ كَاَنَّهُمْ لُؤْلُؤٌ مَّكْنُوْنٌۚ ٢٤

wayaṭūfu
وَيَطُوفُ
और घूम रहे होंगे
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर
ghil'mānun
غِلْمَانٌ
नौउम्र ख़ादिम
lahum
لَّهُمْ
उनके लिए
ka-annahum
كَأَنَّهُمْ
गोया कि वो
lu'lu-on
لُؤْلُؤٌ
मोती हैं
maknūnun
مَّكْنُونٌ
छुपाए हुए
और उनकी सेवा में सुरक्षित मोतियों के सदृश किशोर दौड़ते फिरते होंगे, जो ख़ास उन्हीं (की सेवा) के लिए होंगे ([५२] अत-तूर: 24)
Tafseer (तफ़सीर )
२५

وَاَقْبَلَ بَعْضُهُمْ عَلٰى بَعْضٍ يَّتَسَاۤءَلُوْنَ ٢٥

wa-aqbala
وَأَقْبَلَ
और मुतावज्जह होंगे
baʿḍuhum
بَعْضُهُمْ
बाज़ उनके
ʿalā
عَلَىٰ
बाज़ पर
baʿḍin
بَعْضٍ
बाज़ पर
yatasāalūna
يَتَسَآءَلُونَ
वो एक दूसरे से सवाल करेंगे
उनमें से कुछ व्यक्ति कुछ व्यक्तियों की ओर हाल पूछते हुए रुख़ करेंगे, ([५२] अत-तूर: 25)
Tafseer (तफ़सीर )
२६

قَالُوْٓا اِنَّا كُنَّا قَبْلُ فِيْٓ اَهْلِنَا مُشْفِقِيْنَ ٢٦

qālū
قَالُوٓا۟
वो कहेंगे
innā
إِنَّا
बेशक हम
kunnā
كُنَّا
थे हम
qablu
قَبْلُ
इससे पहले
فِىٓ
अपन घर वालों में
ahlinā
أَهْلِنَا
अपन घर वालों में
mush'fiqīna
مُشْفِقِينَ
डरने वाले
कहेंगे, 'निश्चय ही हम पहले अपने घरवालों में डरते रहे है, ([५२] अत-तूर: 26)
Tafseer (तफ़सीर )
२७

فَمَنَّ اللّٰهُ عَلَيْنَا وَوَقٰىنَا عَذَابَ السَّمُوْمِ ٢٧

famanna
فَمَنَّ
पस एहसान किया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
ʿalaynā
عَلَيْنَا
हम पर
wawaqānā
وَوَقَىٰنَا
और उसने बचा लिया हमें
ʿadhāba
عَذَابَ
अज़ाब से
l-samūmi
ٱلسَّمُومِ
लू/ निहायत गर्म हवा के
'अन्ततः अल्लाह ने हमपर एहसास किया और हमें गर्म विषैली वायु की यातना से बचा लिया ([५२] अत-तूर: 27)
Tafseer (तफ़सीर )
२८

اِنَّا كُنَّا مِنْ قَبْلُ نَدْعُوْهُۗ اِنَّهٗ هُوَ الْبَرُّ الرَّحِيْمُ ٢٨

innā
إِنَّا
बेशक हम
kunnā
كُنَّا
थे हम
min
مِن
इससे पहले
qablu
قَبْلُ
इससे पहले
nadʿūhu
نَدْعُوهُۖ
हम पुकारते उसको
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
huwa
هُوَ
वो ही है
l-baru
ٱلْبَرُّ
बहुत एहसान करने वाला
l-raḥīmu
ٱلرَّحِيمُ
निहायत रहम करने वाला
'इससे पहले हम उसे पुकारते रहे है। निश्चय ही वह सदव्यवहार करनेवाला, अत्यन्त दयावान है।' ([५२] अत-तूर: 28)
Tafseer (तफ़सीर )
२९

فَذَكِّرْ فَمَآ اَنْتَ بِنِعْمَتِ رَبِّكَ بِكَاهِنٍ وَّلَا مَجْنُوْنٍۗ ٢٩

fadhakkir
فَذَكِّرْ
पस नसीहत कीजिए
famā
فَمَآ
पस नहीं
anta
أَنتَ
आप
biniʿ'mati
بِنِعْمَتِ
फ़ज़ल से
rabbika
رَبِّكَ
अपने रब के
bikāhinin
بِكَاهِنٍ
कोई काहिन
walā
وَلَا
और ना
majnūnin
مَجْنُونٍ
मजनून
अतः तुम याद दिलाते रहो। अपने रब की अनुकम्पा से न तुम काहिन (ढोंगी भविष्यवक्ता) हो और न दीवाना ([५२] अत-तूर: 29)
Tafseer (तफ़सीर )
३०

اَمْ يَقُوْلُوْنَ شَاعِرٌ نَّتَرَبَّصُ بِهٖ رَيْبَ الْمَنُوْنِ ٣٠

am
أَمْ
या
yaqūlūna
يَقُولُونَ
वो कहते हैं
shāʿirun
شَاعِرٌ
एक शायर है
natarabbaṣu
نَّتَرَبَّصُ
हम इन्तिज़ार कर रहें हैं
bihi
بِهِۦ
उसके बारे में
rayba
رَيْبَ
गर्दिशे ज़माना (मौत) का
l-manūni
ٱلْمَنُونِ
गर्दिशे ज़माना (मौत) का
या वे कहते है, 'वह कवि है जिसके लिए हम काल-चक्र की प्रतीक्षा कर रहे है?' ([५२] अत-तूर: 30)
Tafseer (तफ़सीर )