५१
وَلَا تَجْعَلُوْا مَعَ اللّٰهِ اِلٰهًا اٰخَرَۗ اِنِّيْ لَكُمْ مِّنْهُ نَذِيْرٌ مُّبِيْنٌ ٥١
- walā
- وَلَا
- और ना
- tajʿalū
- تَجْعَلُوا۟
- तुम बनाओ
- maʿa
- مَعَ
- साथ
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- ilāhan
- إِلَٰهًا
- इलाह
- ākhara
- ءَاخَرَۖ
- कोई दूसरा
- innī
- إِنِّى
- बेशक मैं
- lakum
- لَكُم
- तुम्हारे लिए
- min'hu
- مِّنْهُ
- उसकी तरफ़ से
- nadhīrun
- نَذِيرٌ
- डराने वाला हूँ
- mubīnun
- مُّبِينٌ
- खुल्लम-खुल्ला
और अल्लाह के साथ कोई दूसरा पूज्य-प्रभु न ठहराओ। मैं उसकी ओर से तुम्हारे लिए एक प्रत्यक्ष सावधान करनेवाला हूँ ([५१] अज़-ज़ारियात: 51)Tafseer (तफ़सीर )
५२
كَذٰلِكَ مَآ اَتَى الَّذِيْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ مِّنْ رَّسُوْلٍ اِلَّا قَالُوْا سَاحِرٌ اَوْ مَجْنُوْنٌ ٥٢
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह
- mā
- مَآ
- नहीं
- atā
- أَتَى
- आया
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनके पास जो
- min
- مِن
- उनसे पहले थे
- qablihim
- قَبْلِهِم
- उनसे पहले थे
- min
- مِّن
- कोई रसूल
- rasūlin
- رَّسُولٍ
- कोई रसूल
- illā
- إِلَّا
- मगर
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- sāḥirun
- سَاحِرٌ
- जादूगर है
- aw
- أَوْ
- या
- majnūnun
- مَجْنُونٌ
- मजनून
इसी तरह उन लोगों के पास भी, जो उनसे पहले गुज़र चुके है, जो भी रसूल आया तो उन्होंने बस यही कहा, 'जादूगर है या दीवाना!' ([५१] अज़-ज़ारियात: 52)Tafseer (तफ़सीर )
५३
اَتَوَاصَوْا بِهٖۚ بَلْ هُمْ قَوْمٌ طَاغُوْنَۚ ٥٣
- atawāṣaw
- أَتَوَاصَوْا۟
- क्या वो एक दूसरे को वसीयत करते हैं
- bihi
- بِهِۦۚ
- इसकी
- bal
- بَلْ
- बल्कि
- hum
- هُمْ
- वो
- qawmun
- قَوْمٌ
- लोग हैं
- ṭāghūna
- طَاغُونَ
- सरकश
क्या उन्होंने एक-दूसरे को इसकी वसीयत कर रखी है? नहीं, बल्कि वे है ही सरकश लोग ([५१] अज़-ज़ारियात: 53)Tafseer (तफ़सीर )
५४
فَتَوَلَّ عَنْهُمْ فَمَآ اَنْتَ بِمَلُوْمٍ ٥٤
- fatawalla
- فَتَوَلَّ
- पस मुँह मोड़ लीजिए
- ʿanhum
- عَنْهُمْ
- उनसे
- famā
- فَمَآ
- पस नहीं
- anta
- أَنتَ
- आप
- bimalūmin
- بِمَلُومٍ
- क़ाबिले मलामत
अतः उनसे मुँह फेर लो अब तुमपर कोई मलामत नहीं ([५१] अज़-ज़ारियात: 54)Tafseer (तफ़सीर )
५५
وَذَكِّرْ فَاِنَّ الذِّكْرٰى تَنْفَعُ الْمُؤْمِنِيْنَ ٥٥
- wadhakkir
- وَذَكِّرْ
- और नसीहत कीजिए
- fa-inna
- فَإِنَّ
- पस बेशक
- l-dhik'rā
- ٱلذِّكْرَىٰ
- नसीहत
- tanfaʿu
- تَنفَعُ
- वो फ़ायदा देती है
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَ
- मोमिनों को
और याद दिलाते रहो, क्योंकि याद दिलाना ईमानवालों को लाभ पहुँचाता है ([५१] अज़-ज़ारियात: 55)Tafseer (तफ़सीर )
५६
وَمَا خَلَقْتُ الْجِنَّ وَالْاِنْسَ اِلَّا لِيَعْبُدُوْنِ ٥٦
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- khalaqtu
- خَلَقْتُ
- पैदा किया मैं ने
- l-jina
- ٱلْجِنَّ
- जिन्नों
- wal-insa
- وَٱلْإِنسَ
- और इन्सानों को
- illā
- إِلَّا
- मगर
- liyaʿbudūni
- لِيَعْبُدُونِ
- इस लिए कि वो इबादत करें मेरी
मैंने तो जिन्नों और मनुष्यों को केवल इसलिए पैदा किया है कि वे मेरी बन्दगी करे ([५१] अज़-ज़ारियात: 56)Tafseer (तफ़सीर )
५७
مَآ اُرِيْدُ مِنْهُمْ مِّنْ رِّزْقٍ وَّمَآ اُرِيْدُ اَنْ يُّطْعِمُوْنِ ٥٧
- mā
- مَآ
- नहीं
- urīdu
- أُرِيدُ
- मैं चाहता
- min'hum
- مِنْهُم
- उनसे
- min
- مِّن
- कोई रिज़्क़
- riz'qin
- رِّزْقٍ
- कोई रिज़्क़
- wamā
- وَمَآ
- और नहीं
- urīdu
- أُرِيدُ
- मैं चाहता
- an
- أَن
- कि
- yuṭ'ʿimūni
- يُطْعِمُونِ
- वो खिलाऐ मुझे
मैं उनसे कोई रोज़ी नहीं चाहता और न यह चाहता हूँ कि वे मुझे खिलाएँ ([५१] अज़-ज़ारियात: 57)Tafseer (तफ़सीर )
५८
اِنَّ اللّٰهَ هُوَ الرَّزَّاقُ ذُو الْقُوَّةِ الْمَتِيْنُ ٥٨
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- huwa
- هُوَ
- वो ही है
- l-razāqu
- ٱلرَّزَّاقُ
- ख़ूब रिज़्क़ देने वाला
- dhū
- ذُو
- क़ुव्वत वाला
- l-quwati
- ٱلْقُوَّةِ
- क़ुव्वत वाला
- l-matīnu
- ٱلْمَتِينُ
- निहायत मज़बूत
निश्चय ही अल्लाह ही है रोज़ी देनेवाला, शक्तिशाली, दृढ़ ([५१] अज़-ज़ारियात: 58)Tafseer (तफ़सीर )
५९
فَاِنَّ لِلَّذِيْنَ ظَلَمُوْا ذَنُوْبًا مِّثْلَ ذَنُوْبِ اَصْحٰبِهِمْ فَلَا يَسْتَعْجِلُوْنِ ٥٩
- fa-inna
- فَإِنَّ
- तो बेशक
- lilladhīna
- لِلَّذِينَ
- उनके लिए जिन्होंने
- ẓalamū
- ظَلَمُوا۟
- ज़ुल्म किया
- dhanūban
- ذَنُوبًا
- हिस्सा है
- mith'la
- مِّثْلَ
- मानिन्द
- dhanūbi
- ذَنُوبِ
- हिस्से के
- aṣḥābihim
- أَصْحَٰبِهِمْ
- उनके साथियों के
- falā
- فَلَا
- पस ना
- yastaʿjilūni
- يَسْتَعْجِلُونِ
- वो जल्दी तलब करें मुझसे
अतः जिन लोगों ने ज़ुल्म किया है उनके लिए एक नियत पैमाना है; जैसा उनके साथियों का नियत पैमाना था। अतः वे मुझसे जल्दी न मचाएँ! ([५१] अज़-ज़ारियात: 59)Tafseer (तफ़सीर )
६०
فَوَيْلٌ لِّلَّذِيْنَ كَفَرُوْا مِنْ يَّوْمِهِمُ الَّذِيْ يُوْعَدُوْنَ ࣖ ٦٠
- fawaylun
- فَوَيْلٌ
- पस हलाकत है
- lilladhīna
- لِّلَّذِينَ
- उनके लिए जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- min
- مِن
- उनके उस दिन से
- yawmihimu
- يَوْمِهِمُ
- उनके उस दिन से
- alladhī
- ٱلَّذِى
- जिसका
- yūʿadūna
- يُوعَدُونَ
- वो वादा दिए जाते हैं
अतः इनकार करनेवालों के लिए बड़ी खराबी है, उनके उस दिन के कारण जिसकी उन्हें धमकी दी जा रही है ([५१] अज़-ज़ारियात: 60)Tafseer (तफ़सीर )