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सूरा अज़-ज़ारियात - Page: 5

Adh-Dhariyat

(The Winnowing Winds)

४१

وَفِيْ عَادٍ اِذْ اَرْسَلْنَا عَلَيْهِمُ الرِّيْحَ الْعَقِيْمَۚ ٤١

wafī
وَفِى
और आद में (निशानी है)
ʿādin
عَادٍ
और आद में (निशानी है)
idh
إِذْ
जब
arsalnā
أَرْسَلْنَا
भेजा हमने
ʿalayhimu
عَلَيْهِمُ
उन पर
l-rīḥa
ٱلرِّيحَ
हवा
l-ʿaqīma
ٱلْعَقِيمَ
बाँझ को
और आद में भी (तुम्हारे लिए निशानी है) जबकि हमने उनपर अशुभ वायु चला दी ([५१] अज़-ज़ारियात: 41)
Tafseer (तफ़सीर )
४२

مَا تَذَرُ مِنْ شَيْءٍ اَتَتْ عَلَيْهِ اِلَّا جَعَلَتْهُ كَالرَّمِيْمِۗ ٤٢

مَا
ना
tadharu
تَذَرُ
उसने छोड़ा
min
مِن
किसी चीज़ को
shayin
شَىْءٍ
किसी चीज़ को
atat
أَتَتْ
वो आई
ʿalayhi
عَلَيْهِ
जिस पर
illā
إِلَّا
मगर
jaʿalathu
جَعَلَتْهُ
उसने कर दिया उसे
kal-ramīmi
كَٱلرَّمِيمِ
बोसीदा हड्डी की तरह
वह जिस चीज़ पर से गुज़री उसे उसने जीर्ण-शीर्ण करके रख दिया ([५१] अज़-ज़ारियात: 42)
Tafseer (तफ़सीर )
४३

وَفِيْ ثَمُوْدَ اِذْ قِيْلَ لَهُمْ تَمَتَّعُوْا حَتّٰى حِيْنٍ ٤٣

wafī
وَفِى
और समूद में (निशानी है)
thamūda
ثَمُودَ
और समूद में (निशानी है)
idh
إِذْ
जब
qīla
قِيلَ
कहा गया
lahum
لَهُمْ
उनसे
tamattaʿū
تَمَتَّعُوا۟
तुम फ़ायदा उठा लो
ḥattā
حَتَّىٰ
एक वक़्त तक
ḥīnin
حِينٍ
एक वक़्त तक
और समुद्र में भी (तुम्हारे लिए निशानी है) जबकि उनसे कहा गया, 'एक समय तक मज़े कर लो!' ([५१] अज़-ज़ारियात: 43)
Tafseer (तफ़सीर )
४४

فَعَتَوْا عَنْ اَمْرِ رَبِّهِمْ فَاَخَذَتْهُمُ الصّٰعِقَةُ وَهُمْ يَنْظُرُوْنَ ٤٤

faʿataw
فَعَتَوْا۟
तो उन्होंने सरकशी की
ʿan
عَنْ
हुक्म से
amri
أَمْرِ
हुक्म से
rabbihim
رَبِّهِمْ
अपने रब के
fa-akhadhathumu
فَأَخَذَتْهُمُ
तो पकड़ लिया उन्हें
l-ṣāʿiqatu
ٱلصَّٰعِقَةُ
बिजली की कड़क ने
wahum
وَهُمْ
इस हाल में कि वो
yanẓurūna
يَنظُرُونَ
वो देख रहे थे
किन्तु उन्होंने अपने रब के आदेश की अवहेलना की; फिर कड़क ने उन्हें आ लिया और वे देखते रहे ([५१] अज़-ज़ारियात: 44)
Tafseer (तफ़सीर )
४५

فَمَا اسْتَطَاعُوْا مِنْ قِيَامٍ وَّمَا كَانُوْا مُنْتَصِرِيْنَۙ ٤٥

famā
فَمَا
तो ना
is'taṭāʿū
ٱسْتَطَٰعُوا۟
वो इस्तिताअत रखते थे
min
مِن
खड़े होने की
qiyāmin
قِيَامٍ
खड़े होने की
wamā
وَمَا
और ना
kānū
كَانُوا۟
थे वो
muntaṣirīna
مُنتَصِرِينَ
बदला लेने वाले
फिर वे न खड़े ही हो सके और न अपना बचाव ही कर सके ([५१] अज़-ज़ारियात: 45)
Tafseer (तफ़सीर )
४६

وَقَوْمَ نُوْحٍ مِّنْ قَبْلُ ۗ اِنَّهُمْ كَانُوْا قَوْمًا فٰسِقِيْنَ ࣖ ٤٦

waqawma
وَقَوْمَ
और क़ौमे
nūḥin
نُوحٍ
नूह
min
مِّن
इससे क़ब्ल
qablu
قَبْلُۖ
इससे क़ब्ल
innahum
إِنَّهُمْ
बेशक वो
kānū
كَانُوا۟
थे वो
qawman
قَوْمًا
लोग
fāsiqīna
فَٰسِقِينَ
फ़ासिक़
और इससे पहले नूह की क़ौम को भी पकड़ा। निश्चय ही वे अवज्ञाकारी लोग थे ([५१] अज़-ज़ारियात: 46)
Tafseer (तफ़सीर )
४७

وَالسَّمَاۤءَ بَنَيْنٰهَا بِاَيْىدٍ وَّاِنَّا لَمُوْسِعُوْنَ ٤٧

wal-samāa
وَٱلسَّمَآءَ
और आसमान
banaynāhā
بَنَيْنَٰهَا
बनाया हमने उसे
bi-aydin
بِأَيْي۟دٍ
साथ क़ुव्वत के
wa-innā
وَإِنَّا
और बेशक हम
lamūsiʿūna
لَمُوسِعُونَ
अलबत्ता वुसअत देने वाले हैं
आकाश को हमने अपने हाथ के बल से बनाया और हम बड़ी समाई रखनेवाले है ([५१] अज़-ज़ारियात: 47)
Tafseer (तफ़सीर )
४८

وَالْاَرْضَ فَرَشْنٰهَا فَنِعْمَ الْمَاهِدُوْنَ ٤٨

wal-arḍa
وَٱلْأَرْضَ
और ज़मीन को
farashnāhā
فَرَشْنَٰهَا
बिछाया हमने उसे
faniʿ'ma
فَنِعْمَ
तो कितने अच्छे
l-māhidūna
ٱلْمَٰهِدُونَ
हमवार करने वाले हैं
और धरती को हमने बिछाया, तो हम क्या ही ख़ूब बिछानेवाले है ([५१] अज़-ज़ारियात: 48)
Tafseer (तफ़सीर )
४९

وَمِنْ كُلِّ شَيْءٍ خَلَقْنَا زَوْجَيْنِ لَعَلَّكُمْ تَذَكَّرُوْنَ ٤٩

wamin
وَمِن
और हर चीज़ से
kulli
كُلِّ
और हर चीज़ से
shayin
شَىْءٍ
और हर चीज़ से
khalaqnā
خَلَقْنَا
बनाए हमने
zawjayni
زَوْجَيْنِ
जोड़े
laʿallakum
لَعَلَّكُمْ
ताकि तुम
tadhakkarūna
تَذَكَّرُونَ
तुम नसीहत पकड़ो
और हमने हर चीज़ के जोड़े बनाए, ताकि तुम ध्यान दो ([५१] अज़-ज़ारियात: 49)
Tafseer (तफ़सीर )
५०

فَفِرُّوْٓا اِلَى اللّٰهِ ۗاِنِّيْ لَكُمْ مِّنْهُ نَذِيْرٌ مُّبِيْنٌۚ ٥٠

fafirrū
فَفِرُّوٓا۟
पस दौड़ो
ilā
إِلَى
तरफ़ अल्लाह के
l-lahi
ٱللَّهِۖ
तरफ़ अल्लाह के
innī
إِنِّى
बेशक मैं
lakum
لَكُم
तुम्हारे लिए
min'hu
مِّنْهُ
उसकी तरफ़ से
nadhīrun
نَذِيرٌ
डराने वाला हूँ
mubīnun
مُّبِينٌ
खुल्लम-खुल्ला
अतः अल्लाह की ओर दौड़ो। मैं उसकी ओर से तुम्हारे लिए एक प्रत्यक्ष सावधान करनेवाला हूँ ([५१] अज़-ज़ारियात: 50)
Tafseer (तफ़सीर )