४१
وَفِيْ عَادٍ اِذْ اَرْسَلْنَا عَلَيْهِمُ الرِّيْحَ الْعَقِيْمَۚ ٤١
- wafī
- وَفِى
- और आद में (निशानी है)
- ʿādin
- عَادٍ
- और आद में (निशानी है)
- idh
- إِذْ
- जब
- arsalnā
- أَرْسَلْنَا
- भेजा हमने
- ʿalayhimu
- عَلَيْهِمُ
- उन पर
- l-rīḥa
- ٱلرِّيحَ
- हवा
- l-ʿaqīma
- ٱلْعَقِيمَ
- बाँझ को
और आद में भी (तुम्हारे लिए निशानी है) जबकि हमने उनपर अशुभ वायु चला दी ([५१] अज़-ज़ारियात: 41)Tafseer (तफ़सीर )
४२
مَا تَذَرُ مِنْ شَيْءٍ اَتَتْ عَلَيْهِ اِلَّا جَعَلَتْهُ كَالرَّمِيْمِۗ ٤٢
- mā
- مَا
- ना
- tadharu
- تَذَرُ
- उसने छोड़ा
- min
- مِن
- किसी चीज़ को
- shayin
- شَىْءٍ
- किसी चीज़ को
- atat
- أَتَتْ
- वो आई
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- जिस पर
- illā
- إِلَّا
- मगर
- jaʿalathu
- جَعَلَتْهُ
- उसने कर दिया उसे
- kal-ramīmi
- كَٱلرَّمِيمِ
- बोसीदा हड्डी की तरह
वह जिस चीज़ पर से गुज़री उसे उसने जीर्ण-शीर्ण करके रख दिया ([५१] अज़-ज़ारियात: 42)Tafseer (तफ़सीर )
४३
وَفِيْ ثَمُوْدَ اِذْ قِيْلَ لَهُمْ تَمَتَّعُوْا حَتّٰى حِيْنٍ ٤٣
- wafī
- وَفِى
- और समूद में (निशानी है)
- thamūda
- ثَمُودَ
- और समूद में (निशानी है)
- idh
- إِذْ
- जब
- qīla
- قِيلَ
- कहा गया
- lahum
- لَهُمْ
- उनसे
- tamattaʿū
- تَمَتَّعُوا۟
- तुम फ़ायदा उठा लो
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- एक वक़्त तक
- ḥīnin
- حِينٍ
- एक वक़्त तक
और समुद्र में भी (तुम्हारे लिए निशानी है) जबकि उनसे कहा गया, 'एक समय तक मज़े कर लो!' ([५१] अज़-ज़ारियात: 43)Tafseer (तफ़सीर )
४४
فَعَتَوْا عَنْ اَمْرِ رَبِّهِمْ فَاَخَذَتْهُمُ الصّٰعِقَةُ وَهُمْ يَنْظُرُوْنَ ٤٤
- faʿataw
- فَعَتَوْا۟
- तो उन्होंने सरकशी की
- ʿan
- عَنْ
- हुक्म से
- amri
- أَمْرِ
- हुक्म से
- rabbihim
- رَبِّهِمْ
- अपने रब के
- fa-akhadhathumu
- فَأَخَذَتْهُمُ
- तो पकड़ लिया उन्हें
- l-ṣāʿiqatu
- ٱلصَّٰعِقَةُ
- बिजली की कड़क ने
- wahum
- وَهُمْ
- इस हाल में कि वो
- yanẓurūna
- يَنظُرُونَ
- वो देख रहे थे
किन्तु उन्होंने अपने रब के आदेश की अवहेलना की; फिर कड़क ने उन्हें आ लिया और वे देखते रहे ([५१] अज़-ज़ारियात: 44)Tafseer (तफ़सीर )
४५
فَمَا اسْتَطَاعُوْا مِنْ قِيَامٍ وَّمَا كَانُوْا مُنْتَصِرِيْنَۙ ٤٥
- famā
- فَمَا
- तो ना
- is'taṭāʿū
- ٱسْتَطَٰعُوا۟
- वो इस्तिताअत रखते थे
- min
- مِن
- खड़े होने की
- qiyāmin
- قِيَامٍ
- खड़े होने की
- wamā
- وَمَا
- और ना
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- muntaṣirīna
- مُنتَصِرِينَ
- बदला लेने वाले
फिर वे न खड़े ही हो सके और न अपना बचाव ही कर सके ([५१] अज़-ज़ारियात: 45)Tafseer (तफ़सीर )
४६
وَقَوْمَ نُوْحٍ مِّنْ قَبْلُ ۗ اِنَّهُمْ كَانُوْا قَوْمًا فٰسِقِيْنَ ࣖ ٤٦
- waqawma
- وَقَوْمَ
- और क़ौमे
- nūḥin
- نُوحٍ
- नूह
- min
- مِّن
- इससे क़ब्ल
- qablu
- قَبْلُۖ
- इससे क़ब्ल
- innahum
- إِنَّهُمْ
- बेशक वो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- qawman
- قَوْمًا
- लोग
- fāsiqīna
- فَٰسِقِينَ
- फ़ासिक़
और इससे पहले नूह की क़ौम को भी पकड़ा। निश्चय ही वे अवज्ञाकारी लोग थे ([५१] अज़-ज़ारियात: 46)Tafseer (तफ़सीर )
४७
وَالسَّمَاۤءَ بَنَيْنٰهَا بِاَيْىدٍ وَّاِنَّا لَمُوْسِعُوْنَ ٤٧
- wal-samāa
- وَٱلسَّمَآءَ
- और आसमान
- banaynāhā
- بَنَيْنَٰهَا
- बनाया हमने उसे
- bi-aydin
- بِأَيْي۟دٍ
- साथ क़ुव्वत के
- wa-innā
- وَإِنَّا
- और बेशक हम
- lamūsiʿūna
- لَمُوسِعُونَ
- अलबत्ता वुसअत देने वाले हैं
आकाश को हमने अपने हाथ के बल से बनाया और हम बड़ी समाई रखनेवाले है ([५१] अज़-ज़ारियात: 47)Tafseer (तफ़सीर )
४८
وَالْاَرْضَ فَرَشْنٰهَا فَنِعْمَ الْمَاهِدُوْنَ ٤٨
- wal-arḍa
- وَٱلْأَرْضَ
- और ज़मीन को
- farashnāhā
- فَرَشْنَٰهَا
- बिछाया हमने उसे
- faniʿ'ma
- فَنِعْمَ
- तो कितने अच्छे
- l-māhidūna
- ٱلْمَٰهِدُونَ
- हमवार करने वाले हैं
और धरती को हमने बिछाया, तो हम क्या ही ख़ूब बिछानेवाले है ([५१] अज़-ज़ारियात: 48)Tafseer (तफ़सीर )
४९
وَمِنْ كُلِّ شَيْءٍ خَلَقْنَا زَوْجَيْنِ لَعَلَّكُمْ تَذَكَّرُوْنَ ٤٩
- wamin
- وَمِن
- और हर चीज़ से
- kulli
- كُلِّ
- और हर चीज़ से
- shayin
- شَىْءٍ
- और हर चीज़ से
- khalaqnā
- خَلَقْنَا
- बनाए हमने
- zawjayni
- زَوْجَيْنِ
- जोड़े
- laʿallakum
- لَعَلَّكُمْ
- ताकि तुम
- tadhakkarūna
- تَذَكَّرُونَ
- तुम नसीहत पकड़ो
और हमने हर चीज़ के जोड़े बनाए, ताकि तुम ध्यान दो ([५१] अज़-ज़ारियात: 49)Tafseer (तफ़सीर )
५०
فَفِرُّوْٓا اِلَى اللّٰهِ ۗاِنِّيْ لَكُمْ مِّنْهُ نَذِيْرٌ مُّبِيْنٌۚ ٥٠
- fafirrū
- فَفِرُّوٓا۟
- पस दौड़ो
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ अल्लाह के
- l-lahi
- ٱللَّهِۖ
- तरफ़ अल्लाह के
- innī
- إِنِّى
- बेशक मैं
- lakum
- لَكُم
- तुम्हारे लिए
- min'hu
- مِّنْهُ
- उसकी तरफ़ से
- nadhīrun
- نَذِيرٌ
- डराने वाला हूँ
- mubīnun
- مُّبِينٌ
- खुल्लम-खुल्ला
अतः अल्लाह की ओर दौड़ो। मैं उसकी ओर से तुम्हारे लिए एक प्रत्यक्ष सावधान करनेवाला हूँ ([५१] अज़-ज़ारियात: 50)Tafseer (तफ़सीर )