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सूरा काफ - Page: 5

Qaf

(क़ाफ़ अक्षर)

४१

وَاسْتَمِعْ يَوْمَ يُنَادِ الْمُنَادِ مِنْ مَّكَانٍ قَرِيْبٍ ٤١

wa-is'tamiʿ
وَٱسْتَمِعْ
और ग़ौर से सुनिए
yawma
يَوْمَ
जिस दिन
yunādi
يُنَادِ
पुकारेगा
l-munādi
ٱلْمُنَادِ
पुकारने वाला
min
مِن
एक जगह से
makānin
مَّكَانٍ
एक जगह से
qarībin
قَرِيبٍ
क़रीब की
और कान लगाकर सुन लेगा जिस दिन पुकारनेवाला अत्यन्त निकट के स्थान से पुकारेगा, ([५०] काफ: 41)
Tafseer (तफ़सीर )
४२

يَوْمَ يَسْمَعُوْنَ الصَّيْحَةَ بِالْحَقِّ ۗذٰلِكَ يَوْمُ الْخُرُوْجِ ٤٢

yawma
يَوْمَ
जिस दिन
yasmaʿūna
يَسْمَعُونَ
वो सुनेंगे
l-ṣayḥata
ٱلصَّيْحَةَ
चिंघाड़ को
bil-ḥaqi
بِٱلْحَقِّۚ
साथ हक़ के
dhālika
ذَٰلِكَ
ये होगा
yawmu
يَوْمُ
दिन
l-khurūji
ٱلْخُرُوجِ
निकलने का
जिस दिन लोग भयंकर चीख़ को सत्यतः सुन रहे होंगे। वही दिन होगा निकलने का।- ([५०] काफ: 42)
Tafseer (तफ़सीर )
४३

اِنَّا نَحْنُ نُحْيٖ وَنُمِيْتُ وَاِلَيْنَا الْمَصِيْرُۙ ٤٣

innā
إِنَّا
बेशक हम
naḥnu
نَحْنُ
हम ही
nuḥ'yī
نُحْىِۦ
हम ज़िन्दा करते हैं
wanumītu
وَنُمِيتُ
और हम मौत देते हैं
wa-ilaynā
وَإِلَيْنَا
और तरफ़ हमारे ही
l-maṣīru
ٱلْمَصِيرُ
लौटना है
हम ही जीलन प्रदान करते और मृत्यु देते है और हमारी ही ओर अन्ततः आना है। - ([५०] काफ: 43)
Tafseer (तफ़सीर )
४४

يَوْمَ تَشَقَّقُ الْاَرْضُ عَنْهُمْ سِرَاعًا ۗذٰلِكَ حَشْرٌ عَلَيْنَا يَسِيْرٌ ٤٤

yawma
يَوْمَ
जिस दिन
tashaqqaqu
تَشَقَّقُ
शक़ हो जाएगी
l-arḍu
ٱلْأَرْضُ
ज़मीन
ʿanhum
عَنْهُمْ
उनसे
sirāʿan
سِرَاعًاۚ
तेज़ दौड़ने वाले होंगे
dhālika
ذَٰلِكَ
ये है
ḥashrun
حَشْرٌ
इकट्ठा करना / हशर
ʿalaynā
عَلَيْنَا
हम पर
yasīrun
يَسِيرٌ
बहुत आसान
जिस दिन धरती उनपर से फट जाएगी और वे तेजी से निकल पड़ेंगे। यह इकट्ठा करना हमारे लिए अत्यन्त सरल है ([५०] काफ: 44)
Tafseer (तफ़सीर )
४५

نَحْنُ اَعْلَمُ بِمَا يَقُوْلُوْنَ وَمَآ اَنْتَ عَلَيْهِمْ بِجَبَّارٍۗ فَذَكِّرْ بِالْقُرْاٰنِ مَنْ يَّخَافُ وَعِيْدِ ࣖ ٤٥

naḥnu
نَّحْنُ
हम
aʿlamu
أَعْلَمُ
ज़्यादा जानते हैं
bimā
بِمَا
उसे जो
yaqūlūna
يَقُولُونَۖ
वो कहते हैं
wamā
وَمَآ
और नहीं
anta
أَنتَ
आप
ʿalayhim
عَلَيْهِم
उन पर
bijabbārin
بِجَبَّارٍۖ
ज़बरदस्ती करने वाले
fadhakkir
فَذَكِّرْ
पस नसीहत कीजिए
bil-qur'āni
بِٱلْقُرْءَانِ
साथ क़ुरआन के
man
مَن
उसे जो
yakhāfu
يَخَافُ
डरता हो
waʿīdi
وَعِيدِ
मेरी वईद से
हम जानते है जो कुछ वे कहते है, तुम उनपर कोई ज़बरदस्ती करनेवाले तो हो नहीं। अतः तुम क़ुरआन के द्वारा उसे नसीहत करो जो हमारी चेतावनी से डरे ([५०] काफ: 45)
Tafseer (तफ़सीर )