وَاُزْلِفَتِ الْجَنَّةُ لِلْمُتَّقِيْنَ غَيْرَ بَعِيْدٍ ٣١
- wa-uz'lifati
- وَأُزْلِفَتِ
- और क़रीब लाई जाएगी
- l-janatu
- ٱلْجَنَّةُ
- जन्नत
- lil'muttaqīna
- لِلْمُتَّقِينَ
- मुत्तक़ी लोगों के लिए
- ghayra
- غَيْرَ
- कुछ दूर ना होगी
- baʿīdin
- بَعِيدٍ
- कुछ दूर ना होगी
और जन्नत डर रखनेवालों के लिए निकट कर दी गई, कुछ भी दूर न रही ([५०] काफ: 31)Tafseer (तफ़सीर )
هٰذَا مَا تُوْعَدُوْنَ لِكُلِّ اَوَّابٍ حَفِيْظٍۚ ٣٢
- hādhā
- هَٰذَا
- ये है
- mā
- مَا
- वो जो
- tūʿadūna
- تُوعَدُونَ
- तुम वादा किए जाते थे
- likulli
- لِكُلِّ
- वास्ते हर
- awwābin
- أَوَّابٍ
- बहुत रुजूअ करने वाले
- ḥafīẓin
- حَفِيظٍ
- बहुत हिफ़ाज़त करने वाले के
'यह है वह चीज़ जिसका तुमसे वादा किया जाता था हर रुजू करनेवाले, बड़ी निगरानी रखनेवाले के लिए; - ([५०] काफ: 32)Tafseer (तफ़सीर )
مَنْ خَشِيَ الرَّحْمٰنَ بِالْغَيْبِ وَجَاۤءَ بِقَلْبٍ مُّنِيْبٍۙ ٣٣
- man
- مَّنْ
- जो
- khashiya
- خَشِىَ
- डरा
- l-raḥmāna
- ٱلرَّحْمَٰنَ
- रहमान से
- bil-ghaybi
- بِٱلْغَيْبِ
- ग़ायबाना/ बिन देखे
- wajāa
- وَجَآءَ
- और वो लाया
- biqalbin
- بِقَلْبٍ
- दिल
- munībin
- مُّنِيبٍ
- रुजूअ करने वाला
'जो रहमान से डरा परोक्ष में और आया रुजू रहनेवाला हृदय लेकर - ([५०] काफ: 33)Tafseer (तफ़सीर )
ۨادْخُلُوْهَا بِسَلٰمٍ ۗذٰلِكَ يَوْمُ الْخُلُوْدِ ٣٤
- ud'khulūhā
- ٱدْخُلُوهَا
- दाख़िल हो जाओ उसमें
- bisalāmin
- بِسَلَٰمٍۖ
- साथ सलामती के
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- yawmu
- يَوْمُ
- दिन है
- l-khulūdi
- ٱلْخُلُودِ
- हमेशगी का
'प्रवेश करो उस (जन्नत) में सलामती के साथ' वह शाश्वत दिवस है ([५०] काफ: 34)Tafseer (तफ़सीर )
لَهُمْ مَّا يَشَاۤءُوْنَ فِيْهَا وَلَدَيْنَا مَزِيْدٌ ٣٥
- lahum
- لَهُم
- उनके लिए होगा
- mā
- مَّا
- जो
- yashāūna
- يَشَآءُونَ
- वो चाहेंगे
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- waladaynā
- وَلَدَيْنَا
- और हमारे पास
- mazīdun
- مَزِيدٌ
- मज़ीद है
उनके लिए उसमें वह सब कुछ है जो वे चाहे और हमारे पास उससे अधिक भी है ([५०] काफ: 35)Tafseer (तफ़सीर )
وَكَمْ اَهْلَكْنَا قَبْلَهُمْ مِّنْ قَرْنٍ هُمْ اَشَدُّ مِنْهُمْ بَطْشًا فَنَقَّبُوْا فِى الْبِلَادِۗ هَلْ مِنْ مَّحِيْصٍ ٣٦
- wakam
- وَكَمْ
- और कितनी ही
- ahlaknā
- أَهْلَكْنَا
- हलाक कीं हमने
- qablahum
- قَبْلَهُم
- उनसे पहले
- min
- مِّن
- उम्मतें
- qarnin
- قَرْنٍ
- उम्मतें
- hum
- هُمْ
- वो
- ashaddu
- أَشَدُّ
- ज़्यादा शदीद थीं
- min'hum
- مِنْهُم
- उनसे
- baṭshan
- بَطْشًا
- पकड़ में
- fanaqqabū
- فَنَقَّبُوا۟
- तो उन्होंने छान मारा था
- fī
- فِى
- मुल्कों को
- l-bilādi
- ٱلْبِلَٰدِ
- मुल्कों को
- hal
- هَلْ
- क्या है
- min
- مِن
- कोई जाए पनाह
- maḥīṣin
- مَّحِيصٍ
- कोई जाए पनाह
उनसे पहले हम कितनी ही नस्लों को विनष्ट कर चुके है। वे लोग शक्ति में उनसे कहीं बढ़-चढ़कर थे। (पनाह की तलाश में) उन्होंने नगरों को छान मारा, कोई है भागने को ठिकाना? ([५०] काफ: 36)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَذِكْرٰى لِمَنْ كَانَ لَهٗ قَلْبٌ اَوْ اَلْقَى السَّمْعَ وَهُوَ شَهِيْدٌ ٣٧
- inna
- إِنَّ
- यक़ीनन
- fī
- فِى
- इसमें
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- इसमें
- ladhik'rā
- لَذِكْرَىٰ
- अलबत्ता नसीहत है
- liman
- لِمَن
- वास्ते उसके जो
- kāna
- كَانَ
- हो
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- qalbun
- قَلْبٌ
- दिल
- aw
- أَوْ
- या
- alqā
- أَلْقَى
- वो लगाए
- l-samʿa
- ٱلسَّمْعَ
- कान
- wahuwa
- وَهُوَ
- जबकि वो
- shahīdun
- شَهِيدٌ
- हाज़िर हो
निश्चय ही इसमें उस व्यक्ति के लिए शिक्षा-सामग्री है जिसके पास दिल हो या वह (दिल से) हाजिर रहकर कान लगाए ([५०] काफ: 37)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَقَدْ خَلَقْنَا السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ وَمَا بَيْنَهُمَا فِيْ سِتَّةِ اَيَّامٍۖ وَّمَا مَسَّنَا مِنْ لُّغُوْبٍ ٣٨
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- khalaqnā
- خَلَقْنَا
- पैदा किया हमने
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍa
- وَٱلْأَرْضَ
- और ज़मीन को
- wamā
- وَمَا
- और जो
- baynahumā
- بَيْنَهُمَا
- दर्मियान है उन दोनों के
- fī
- فِى
- छ: दिनों में
- sittati
- سِتَّةِ
- छ: दिनों में
- ayyāmin
- أَيَّامٍ
- छ: दिनों में
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- massanā
- مَسَّنَا
- छुआ हमें
- min
- مِن
- किसी थकावट ने
- lughūbin
- لُّغُوبٍ
- किसी थकावट ने
हमने आकाशों और धरती को और जो कुछ उनके बीच है छः दिनों में पैदा कर दिया और हमें कोई थकान न छू सकी ([५०] काफ: 38)Tafseer (तफ़सीर )
فَاصْبِرْ عَلٰى مَا يَقُوْلُوْنَ وَسَبِّحْ بِحَمْدِ رَبِّكَ قَبْلَ طُلُوْعِ الشَّمْسِ وَقَبْلَ الْغُرُوْبِ ٣٩
- fa-iṣ'bir
- فَٱصْبِرْ
- पस सब्र कीजिए
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- mā
- مَا
- उसके जो
- yaqūlūna
- يَقُولُونَ
- वो कहते हैं
- wasabbiḥ
- وَسَبِّحْ
- और तस्बीह कीजिए
- biḥamdi
- بِحَمْدِ
- साथ हम्द के
- rabbika
- رَبِّكَ
- अपने रब की
- qabla
- قَبْلَ
- पहले
- ṭulūʿi
- طُلُوعِ
- तुलूअ होने से
- l-shamsi
- ٱلشَّمْسِ
- सूरज के
- waqabla
- وَقَبْلَ
- और पहले
- l-ghurūbi
- ٱلْغُرُوبِ
- ग़ुरूब होने से
अतः जो कुछ वे कहते है उसपर धैर्य से काम लो और अपने रब की प्रशंसा की तसबीह करो; सूर्योदय से पूर्व और सूर्यास्त के पूर्व, ([५०] काफ: 39)Tafseer (तफ़सीर )
وَمِنَ الَّيْلِ فَسَبِّحْهُ وَاَدْبَارَ السُّجُوْدِ ٤٠
- wamina
- وَمِنَ
- और रात में से
- al-layli
- ٱلَّيْلِ
- और रात में से
- fasabbiḥ'hu
- فَسَبِّحْهُ
- पस तस्बीह कीजिए उसकी
- wa-adbāra
- وَأَدْبَٰرَ
- और बाद
- l-sujūdi
- ٱلسُّجُودِ
- सजदों के
और रात की घड़ियों में फिर उसकी तसबीह करो और सजदों के पश्चात भी ([५०] काफ: 40)Tafseer (तफ़सीर )