२१
وَجَاۤءَتْ كُلُّ نَفْسٍ مَّعَهَا سَاۤىِٕقٌ وَّشَهِيْدٌ ٢١
- wajāat
- وَجَآءَتْ
- और आएगा
- kullu
- كُلُّ
- हर
- nafsin
- نَفْسٍ
- नफ़्स
- maʿahā
- مَّعَهَا
- उसके साथ(होगा)
- sāiqun
- سَآئِقٌ
- एक हाँकने वाला
- washahīdun
- وَشَهِيدٌ
- और एक गवाही देने वाला
हर व्यक्ति इस दशा में आ गया कि उसके साथ एक लानेवाला है और एक गवाही देनेवाला ([५०] काफ: 21)Tafseer (तफ़सीर )
२२
لَقَدْ كُنْتَ فِيْ غَفْلَةٍ مِّنْ هٰذَا فَكَشَفْنَا عَنْكَ غِطَاۤءَكَ فَبَصَرُكَ الْيَوْمَ حَدِيْدٌ ٢٢
- laqad
- لَّقَدْ
- अलबत्ता तहक़ीक़
- kunta
- كُنتَ
- था तू
- fī
- فِى
- गफ़लत में
- ghaflatin
- غَفْلَةٍ
- गफ़लत में
- min
- مِّنْ
- उससे
- hādhā
- هَٰذَا
- उससे
- fakashafnā
- فَكَشَفْنَا
- तो हटा दिया हमने
- ʿanka
- عَنكَ
- तुझ से
- ghiṭāaka
- غِطَآءَكَ
- पर्दा तेरा
- fabaṣaruka
- فَبَصَرُكَ
- तो निगाह तेरी
- l-yawma
- ٱلْيَوْمَ
- आज
- ḥadīdun
- حَدِيدٌ
- बहुत तेज़ है
तू इस चीज़ की ओर से ग़फ़लत में था। अब हमने तुझसे तेरा परदा हटा दिया, तो आज तेरी निगाह बड़ी तेज़ है ([५०] काफ: 22)Tafseer (तफ़सीर )
२३
وَقَالَ قَرِيْنُهٗ هٰذَا مَا لَدَيَّ عَتِيْدٌۗ ٢٣
- waqāla
- وَقَالَ
- और कहेगा
- qarīnuhu
- قَرِينُهُۥ
- साथी(फ़रिश्ता) उसका
- hādhā
- هَٰذَا
- ये है
- mā
- مَا
- जो
- ladayya
- لَدَىَّ
- मेरे पास है
- ʿatīdun
- عَتِيدٌ
- तैयार
उसके साथी ने कहा, 'यह है (तेरी सजा)! मेरे पास कुछ (सहायता के लिए) मौजूद नहीं।' ([५०] काफ: 23)Tafseer (तफ़सीर )
२४
اَلْقِيَا فِيْ جَهَنَّمَ كُلَّ كَفَّارٍ عَنِيْدٍ ٢٤
- alqiyā
- أَلْقِيَا
- तुम दोनों डाल दो
- fī
- فِى
- जहन्नम में
- jahannama
- جَهَنَّمَ
- जहन्नम में
- kulla
- كُلَّ
- हर
- kaffārin
- كَفَّارٍ
- बहुत नाशुक्रे
- ʿanīdin
- عَنِيدٍ
- बहुत अनाद रखने वाले को
'डाल दो, डाल दो, जहन्नम में! हर अकृतज्ञ द्वेष रखने वाले, ([५०] काफ: 24)Tafseer (तफ़सीर )
२५
مَنَّاعٍ لِّلْخَيْرِ مُعْتَدٍ مُّرِيْبٍۙ ٢٥
- mannāʿin
- مَّنَّاعٍ
- बहुत रोकने वाले को
- lil'khayri
- لِّلْخَيْرِ
- ख़ैर से
- muʿ'tadin
- مُعْتَدٍ
- हद से निकलने वाले
- murībin
- مُّرِيبٍ
- शक में पड़े हुए को
भलाई से रोकनेवाले, सीमा का अतिक्रमण करनेवाले, सन्देहग्रस्त को ([५०] काफ: 25)Tafseer (तफ़सीर )
२६
ۨالَّذِيْ جَعَلَ مَعَ اللّٰهِ اِلٰهًا اٰخَرَ فَاَلْقِيٰهُ فِى الْعَذَابِ الشَّدِيْدِ ٢٦
- alladhī
- ٱلَّذِى
- जिसने
- jaʿala
- جَعَلَ
- बना लिया
- maʿa
- مَعَ
- साथ
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- ilāhan
- إِلَٰهًا
- एक इलाह
- ākhara
- ءَاخَرَ
- दूसरा
- fa-alqiyāhu
- فَأَلْقِيَاهُ
- पस तुम दोनों डाल दो उसे
- fī
- فِى
- शदीद अज़ाब में
- l-ʿadhābi
- ٱلْعَذَابِ
- शदीद अज़ाब में
- l-shadīdi
- ٱلشَّدِيدِ
- शदीद अज़ाब में
जिसने अल्लाह के साथ किसी दूसरे को पूज्य-प्रभु ठहराया। तो डाल दो उसे कठोर यातना में।' ([५०] काफ: 26)Tafseer (तफ़सीर )
२७
۞ قَالَ قَرِيْنُهٗ رَبَّنَا مَآ اَطْغَيْتُهٗ وَلٰكِنْ كَانَ فِيْ ضَلٰلٍۢ بَعِيْدٍ ٢٧
- qāla
- قَالَ
- कहेगा
- qarīnuhu
- قَرِينُهُۥ
- साथी (शैतान) उसका
- rabbanā
- رَبَّنَا
- ऐ हमारे रब
- mā
- مَآ
- नहीं
- aṭghaytuhu
- أَطْغَيْتُهُۥ
- सरकश बनाया मैं ने उसे
- walākin
- وَلَٰكِن
- और लेकिन
- kāna
- كَانَ
- था वो
- fī
- فِى
- गुमराही में
- ḍalālin
- ضَلَٰلٍۭ
- गुमराही में
- baʿīdin
- بَعِيدٍ
- बहुत दूर की
उसका साथी बोला, 'ऐ हमारे रब! मैंने उसे सरकश नहीं बनाया, बल्कि वह स्वयं ही परले दरजे की गुमराही में था।' ([५०] काफ: 27)Tafseer (तफ़सीर )
२८
قَالَ لَا تَخْتَصِمُوْا لَدَيَّ وَقَدْ قَدَّمْتُ اِلَيْكُمْ بِالْوَعِيْدِ ٢٨
- qāla
- قَالَ
- वो फ़रमायगा
- lā
- لَا
- ना तुम झगड़ा करो
- takhtaṣimū
- تَخْتَصِمُوا۟
- ना तुम झगड़ा करो
- ladayya
- لَدَىَّ
- मेरे पास
- waqad
- وَقَدْ
- हालाँकि तहक़ीक़
- qaddamtu
- قَدَّمْتُ
- पहले भेज दी मैं ने
- ilaykum
- إِلَيْكُم
- तरफ़ तुम्हारे
- bil-waʿīdi
- بِٱلْوَعِيدِ
- वईद
कहा, 'मेरे सामने मत झगड़ो। मैं तो तुम्हें पहले ही अपनी धमकी से सावधान कर चुका था। - ([५०] काफ: 28)Tafseer (तफ़सीर )
२९
مَا يُبَدَّلُ الْقَوْلُ لَدَيَّ وَمَآ اَنَا۠ بِظَلَّامٍ لِّلْعَبِيْدِ ࣖ ٢٩
- mā
- مَا
- नहीं
- yubaddalu
- يُبَدَّلُ
- बदली जाती
- l-qawlu
- ٱلْقَوْلُ
- बात
- ladayya
- لَدَىَّ
- मेरे पास
- wamā
- وَمَآ
- और नहीं हूँ
- anā
- أَنَا۠
- मैं
- biẓallāmin
- بِظَلَّٰمٍ
- कोई ज़ुल्म करने वाला
- lil'ʿabīdi
- لِّلْعَبِيدِ
- बन्दों पर
'मेरे यहाँ बात बदला नहीं करती और न मैं अपने बन्दों पर तनिक भी अत्याचार करता हूँ।' ([५०] काफ: 29)Tafseer (तफ़सीर )
३०
يَوْمَ نَقُوْلُ لِجَهَنَّمَ هَلِ امْتَلَـْٔتِ وَتَقُوْلُ هَلْ مِنْ مَّزِيْدٍ ٣٠
- yawma
- يَوْمَ
- जिस दिन
- naqūlu
- نَقُولُ
- हम कहेंगे
- lijahannama
- لِجَهَنَّمَ
- जहन्नम से
- hali
- هَلِ
- क्या
- im'talati
- ٱمْتَلَأْتِ
- भर गई तू
- wataqūlu
- وَتَقُولُ
- और वो कहेगी
- hal
- هَلْ
- क्या है
- min
- مِن
- कुछ मज़ीद
- mazīdin
- مَّزِيدٍ
- कुछ मज़ीद
जिस दिन हम जहन्नम से कहेंगे, 'क्या तू भर गई?' और वह कहेगी, 'क्या अभी और भी कुछ है?' ([५०] काफ: 30)Tafseer (तफ़सीर )