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सूरा काफ - Page: 3

Qaf

(क़ाफ़ अक्षर)

२१

وَجَاۤءَتْ كُلُّ نَفْسٍ مَّعَهَا سَاۤىِٕقٌ وَّشَهِيْدٌ ٢١

wajāat
وَجَآءَتْ
और आएगा
kullu
كُلُّ
हर
nafsin
نَفْسٍ
नफ़्स
maʿahā
مَّعَهَا
उसके साथ(होगा)
sāiqun
سَآئِقٌ
एक हाँकने वाला
washahīdun
وَشَهِيدٌ
और एक गवाही देने वाला
हर व्यक्ति इस दशा में आ गया कि उसके साथ एक लानेवाला है और एक गवाही देनेवाला ([५०] काफ: 21)
Tafseer (तफ़सीर )
२२

لَقَدْ كُنْتَ فِيْ غَفْلَةٍ مِّنْ هٰذَا فَكَشَفْنَا عَنْكَ غِطَاۤءَكَ فَبَصَرُكَ الْيَوْمَ حَدِيْدٌ ٢٢

laqad
لَّقَدْ
अलबत्ता तहक़ीक़
kunta
كُنتَ
था तू
فِى
गफ़लत में
ghaflatin
غَفْلَةٍ
गफ़लत में
min
مِّنْ
उससे
hādhā
هَٰذَا
उससे
fakashafnā
فَكَشَفْنَا
तो हटा दिया हमने
ʿanka
عَنكَ
तुझ से
ghiṭāaka
غِطَآءَكَ
पर्दा तेरा
fabaṣaruka
فَبَصَرُكَ
तो निगाह तेरी
l-yawma
ٱلْيَوْمَ
आज
ḥadīdun
حَدِيدٌ
बहुत तेज़ है
तू इस चीज़ की ओर से ग़फ़लत में था। अब हमने तुझसे तेरा परदा हटा दिया, तो आज तेरी निगाह बड़ी तेज़ है ([५०] काफ: 22)
Tafseer (तफ़सीर )
२३

وَقَالَ قَرِيْنُهٗ هٰذَا مَا لَدَيَّ عَتِيْدٌۗ ٢٣

waqāla
وَقَالَ
और कहेगा
qarīnuhu
قَرِينُهُۥ
साथी(फ़रिश्ता) उसका
hādhā
هَٰذَا
ये है
مَا
जो
ladayya
لَدَىَّ
मेरे पास है
ʿatīdun
عَتِيدٌ
तैयार
उसके साथी ने कहा, 'यह है (तेरी सजा)! मेरे पास कुछ (सहायता के लिए) मौजूद नहीं।' ([५०] काफ: 23)
Tafseer (तफ़सीर )
२४

اَلْقِيَا فِيْ جَهَنَّمَ كُلَّ كَفَّارٍ عَنِيْدٍ ٢٤

alqiyā
أَلْقِيَا
तुम दोनों डाल दो
فِى
जहन्नम में
jahannama
جَهَنَّمَ
जहन्नम में
kulla
كُلَّ
हर
kaffārin
كَفَّارٍ
बहुत नाशुक्रे
ʿanīdin
عَنِيدٍ
बहुत अनाद रखने वाले को
'डाल दो, डाल दो, जहन्नम में! हर अकृतज्ञ द्वेष रखने वाले, ([५०] काफ: 24)
Tafseer (तफ़सीर )
२५

مَنَّاعٍ لِّلْخَيْرِ مُعْتَدٍ مُّرِيْبٍۙ ٢٥

mannāʿin
مَّنَّاعٍ
बहुत रोकने वाले को
lil'khayri
لِّلْخَيْرِ
ख़ैर से
muʿ'tadin
مُعْتَدٍ
हद से निकलने वाले
murībin
مُّرِيبٍ
शक में पड़े हुए को
भलाई से रोकनेवाले, सीमा का अतिक्रमण करनेवाले, सन्देहग्रस्त को ([५०] काफ: 25)
Tafseer (तफ़सीर )
२६

ۨالَّذِيْ جَعَلَ مَعَ اللّٰهِ اِلٰهًا اٰخَرَ فَاَلْقِيٰهُ فِى الْعَذَابِ الشَّدِيْدِ ٢٦

alladhī
ٱلَّذِى
जिसने
jaʿala
جَعَلَ
बना लिया
maʿa
مَعَ
साथ
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
ilāhan
إِلَٰهًا
एक इलाह
ākhara
ءَاخَرَ
दूसरा
fa-alqiyāhu
فَأَلْقِيَاهُ
पस तुम दोनों डाल दो उसे
فِى
शदीद अज़ाब में
l-ʿadhābi
ٱلْعَذَابِ
शदीद अज़ाब में
l-shadīdi
ٱلشَّدِيدِ
शदीद अज़ाब में
जिसने अल्लाह के साथ किसी दूसरे को पूज्य-प्रभु ठहराया। तो डाल दो उसे कठोर यातना में।' ([५०] काफ: 26)
Tafseer (तफ़सीर )
२७

۞ قَالَ قَرِيْنُهٗ رَبَّنَا مَآ اَطْغَيْتُهٗ وَلٰكِنْ كَانَ فِيْ ضَلٰلٍۢ بَعِيْدٍ ٢٧

qāla
قَالَ
कहेगा
qarīnuhu
قَرِينُهُۥ
साथी (शैतान) उसका
rabbanā
رَبَّنَا
ऐ हमारे रब
مَآ
नहीं
aṭghaytuhu
أَطْغَيْتُهُۥ
सरकश बनाया मैं ने उसे
walākin
وَلَٰكِن
और लेकिन
kāna
كَانَ
था वो
فِى
गुमराही में
ḍalālin
ضَلَٰلٍۭ
गुमराही में
baʿīdin
بَعِيدٍ
बहुत दूर की
उसका साथी बोला, 'ऐ हमारे रब! मैंने उसे सरकश नहीं बनाया, बल्कि वह स्वयं ही परले दरजे की गुमराही में था।' ([५०] काफ: 27)
Tafseer (तफ़सीर )
२८

قَالَ لَا تَخْتَصِمُوْا لَدَيَّ وَقَدْ قَدَّمْتُ اِلَيْكُمْ بِالْوَعِيْدِ ٢٨

qāla
قَالَ
वो फ़रमायगा
لَا
ना तुम झगड़ा करो
takhtaṣimū
تَخْتَصِمُوا۟
ना तुम झगड़ा करो
ladayya
لَدَىَّ
मेरे पास
waqad
وَقَدْ
हालाँकि तहक़ीक़
qaddamtu
قَدَّمْتُ
पहले भेज दी मैं ने
ilaykum
إِلَيْكُم
तरफ़ तुम्हारे
bil-waʿīdi
بِٱلْوَعِيدِ
वईद
कहा, 'मेरे सामने मत झगड़ो। मैं तो तुम्हें पहले ही अपनी धमकी से सावधान कर चुका था। - ([५०] काफ: 28)
Tafseer (तफ़सीर )
२९

مَا يُبَدَّلُ الْقَوْلُ لَدَيَّ وَمَآ اَنَا۠ بِظَلَّامٍ لِّلْعَبِيْدِ ࣖ ٢٩

مَا
नहीं
yubaddalu
يُبَدَّلُ
बदली जाती
l-qawlu
ٱلْقَوْلُ
बात
ladayya
لَدَىَّ
मेरे पास
wamā
وَمَآ
और नहीं हूँ
anā
أَنَا۠
मैं
biẓallāmin
بِظَلَّٰمٍ
कोई ज़ुल्म करने वाला
lil'ʿabīdi
لِّلْعَبِيدِ
बन्दों पर
'मेरे यहाँ बात बदला नहीं करती और न मैं अपने बन्दों पर तनिक भी अत्याचार करता हूँ।' ([५०] काफ: 29)
Tafseer (तफ़सीर )
३०

يَوْمَ نَقُوْلُ لِجَهَنَّمَ هَلِ امْتَلَـْٔتِ وَتَقُوْلُ هَلْ مِنْ مَّزِيْدٍ ٣٠

yawma
يَوْمَ
जिस दिन
naqūlu
نَقُولُ
हम कहेंगे
lijahannama
لِجَهَنَّمَ
जहन्नम से
hali
هَلِ
क्या
im'talati
ٱمْتَلَأْتِ
भर गई तू
wataqūlu
وَتَقُولُ
और वो कहेगी
hal
هَلْ
क्या है
min
مِن
कुछ मज़ीद
mazīdin
مَّزِيدٍ
कुछ मज़ीद
जिस दिन हम जहन्नम से कहेंगे, 'क्या तू भर गई?' और वह कहेगी, 'क्या अभी और भी कुछ है?' ([५०] काफ: 30)
Tafseer (तफ़सीर )