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सूरा काफ - Page: 2

Qaf

(क़ाफ़ अक्षर)

११

رِّزْقًا لِّلْعِبَادِۙ وَاَحْيَيْنَا بِهٖ بَلْدَةً مَّيْتًاۗ كَذٰلِكَ الْخُرُوْجُ ١١

riz'qan
رِّزْقًا
रिज़्क़ है
lil'ʿibādi
لِّلْعِبَادِۖ
बन्दों के लिए
wa-aḥyaynā
وَأَحْيَيْنَا
और ज़िन्दा किया हमने
bihi
بِهِۦ
साथ उसके
baldatan
بَلْدَةً
शहर
maytan
مَّيْتًاۚ
मुर्दा को
kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह होगा
l-khurūju
ٱلْخُرُوجُ
निकलना
बन्दों की रोजी के लिए। और हमने उस (पानी) के द्वारा निर्जीव धरती को जीवन प्रदान किया। इसी प्रकार निकलना भी हैं ([५०] काफ: 11)
Tafseer (तफ़सीर )
१२

كَذَّبَتْ قَبْلَهُمْ قَوْمُ نُوْحٍ وَّاَصْحٰبُ الرَّسِّ وَثَمُوْدُ ١٢

kadhabat
كَذَّبَتْ
झुठलाया
qablahum
قَبْلَهُمْ
उनसे क़ब्ल
qawmu
قَوْمُ
क़ौमे
nūḥin
نُوحٍ
नूह
wa-aṣḥābu
وَأَصْحَٰبُ
और असहाबे-रस
l-rasi
ٱلرَّسِّ
और असहाबे-रस
wathamūdu
وَثَمُودُ
और समूद ने
उनसे पहले नूह की क़ौम, 'अर्-रस' वाले, समूद, ([५०] काफ: 12)
Tafseer (तफ़सीर )
१३

وَعَادٌ وَّفِرْعَوْنُ وَاِخْوَانُ لُوْطٍۙ ١٣

waʿādun
وَعَادٌ
और आद
wafir'ʿawnu
وَفِرْعَوْنُ
और फ़िरऔन
wa-ikh'wānu
وَإِخْوَٰنُ
और लूत के भाइयों ने
lūṭin
لُوطٍ
और लूत के भाइयों ने
आद, फ़िरऔन , लूत के भाई, ([५०] काफ: 13)
Tafseer (तफ़सीर )
१४

وَّاَصْحٰبُ الْاَيْكَةِ وَقَوْمُ تُبَّعٍۗ كُلٌّ كَذَّبَ الرُّسُلَ فَحَقَّ وَعِيْدِ ١٤

wa-aṣḥābu
وَأَصْحَٰبُ
और असहाबे ऐका(जंगल वालों)
l-aykati
ٱلْأَيْكَةِ
और असहाबे ऐका(जंगल वालों)
waqawmu
وَقَوْمُ
और क़ौमे तुब्बअ ने
tubbaʿin
تُبَّعٍۚ
और क़ौमे तुब्बअ ने
kullun
كُلٌّ
सब ने
kadhaba
كَذَّبَ
झुठलाया
l-rusula
ٱلرُّسُلَ
रसूलों को
faḥaqqa
فَحَقَّ
तो साबित हो गई
waʿīdi
وَعِيدِ
वईद मेरी
'अल-ऐका' वाले और तुब्बा के लोग भी झुठला चुके है। प्रत्येक ने रसूलों को झुठलाया। अन्ततः मेरी धमकी सत्यापित होकर रही ([५०] काफ: 14)
Tafseer (तफ़सीर )
१५

اَفَعَيِيْنَا بِالْخَلْقِ الْاَوَّلِۗ بَلْ هُمْ فِيْ لَبْسٍ مِّنْ خَلْقٍ جَدِيْدٍ ࣖ ١٥

afaʿayīnā
أَفَعَيِينَا
क्या भला थक गए हम
bil-khalqi
بِٱلْخَلْقِ
पहली तख़लीक़ से
l-awali
ٱلْأَوَّلِۚ
पहली तख़लीक़ से
bal
بَلْ
बल्कि
hum
هُمْ
वो
فِى
शक में हैं
labsin
لَبْسٍ
शक में हैं
min
مِّنْ
नई पैदाइश से
khalqin
خَلْقٍ
नई पैदाइश से
jadīdin
جَدِيدٍ
नई पैदाइश से
क्या हम पहली बार पैदा करने से असमर्थ रहे? नहीं, बल्कि वे एक नई सृष्टि के विषय में सन्देह में पड़े है ([५०] काफ: 15)
Tafseer (तफ़सीर )
१६

وَلَقَدْ خَلَقْنَا الْاِنْسَانَ وَنَعْلَمُ مَا تُوَسْوِسُ بِهٖ نَفْسُهٗ ۖوَنَحْنُ اَقْرَبُ اِلَيْهِ مِنْ حَبْلِ الْوَرِيْدِ ١٦

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
khalaqnā
خَلَقْنَا
पैदा किया हमने
l-insāna
ٱلْإِنسَٰنَ
इन्सान को
wanaʿlamu
وَنَعْلَمُ
और हम जानते हैं
مَا
जो
tuwaswisu
تُوَسْوِسُ
वस्वसा डालता है
bihi
بِهِۦ
उसे
nafsuhu
نَفْسُهُۥۖ
नफ़्स उसका
wanaḥnu
وَنَحْنُ
और हम
aqrabu
أَقْرَبُ
ज़्यादा क़रीब हैं
ilayhi
إِلَيْهِ
उसके
min
مِنْ
शह रग से
ḥabli
حَبْلِ
शह रग से
l-warīdi
ٱلْوَرِيدِ
शह रग से
हमने मनुष्य को पैदा किया है और हम जानते है जो बातें उसके जी में आती है। और हम उससे उसकी गरदन की रग से भी अधिक निकट है ([५०] काफ: 16)
Tafseer (तफ़सीर )
१७

اِذْ يَتَلَقَّى الْمُتَلَقِّيٰنِ عَنِ الْيَمِيْنِ وَعَنِ الشِّمَالِ قَعِيْدٌ ١٧

idh
إِذْ
जब
yatalaqqā
يَتَلَقَّى
ले लेते हैं
l-mutalaqiyāni
ٱلْمُتَلَقِّيَانِ
दो लेने वाले
ʿani
عَنِ
दाईं तरफ़ से
l-yamīni
ٱلْيَمِينِ
दाईं तरफ़ से
waʿani
وَعَنِ
और बाईं तरफ़ से
l-shimāli
ٱلشِّمَالِ
और बाईं तरफ़ से
qaʿīdun
قَعِيدٌ
बैठे हुए
जब दो प्राप्त करनेवाले (फ़रिशते) प्राप्त कर रहे होते है, दाएँ से और बाएँ से वे लगे बैठे होते है ([५०] काफ: 17)
Tafseer (तफ़सीर )
१८

مَا يَلْفِظُ مِنْ قَوْلٍ اِلَّا لَدَيْهِ رَقِيْبٌ عَتِيْدٌ ١٨

مَّا
नहीं
yalfiẓu
يَلْفِظُ
वो बोलता
min
مِن
कोई बात
qawlin
قَوْلٍ
कोई बात
illā
إِلَّا
मगर
ladayhi
لَدَيْهِ
उसके पास है
raqībun
رَقِيبٌ
एक मुहाफ़िज़/निगरान
ʿatīdun
عَتِيدٌ
तैयार
कोई बात उसने कही नहीं कि उसके पास एक निरीक्षक तैयार रहता है ([५०] काफ: 18)
Tafseer (तफ़सीर )
१९

وَجَاۤءَتْ سَكْرَةُ الْمَوْتِ بِالْحَقِّ ۗذٰلِكَ مَا كُنْتَ مِنْهُ تَحِيْدُ ١٩

wajāat
وَجَآءَتْ
और आ गई
sakratu
سَكْرَةُ
बेहोशी
l-mawti
ٱلْمَوْتِ
मौत की
bil-ḥaqi
بِٱلْحَقِّۖ
साथ हक़ के
dhālika
ذَٰلِكَ
यही है
مَا
वो जो
kunta
كُنتَ
था तू
min'hu
مِنْهُ
उस से
taḥīdu
تَحِيدُ
तू भागता
और मौत की बेहोशी ले आई अविश्व नीय चीज़! यही वह चीज़ है जिससे तू कतराता था ([५०] काफ: 19)
Tafseer (तफ़सीर )
२०

وَنُفِخَ فِى الصُّوْرِۗ ذٰلِكَ يَوْمُ الْوَعِيْدِ ٢٠

wanufikha
وَنُفِخَ
और फूँका जाएगा
فِى
सूर में
l-ṣūri
ٱلصُّورِۚ
सूर में
dhālika
ذَٰلِكَ
ये
yawmu
يَوْمُ
दिन है
l-waʿīdi
ٱلْوَعِيدِ
वादे का
और नरसिंघा फूँक दिया गया। यही है वह दिन जिसकी धमकी दी गई थी ([५०] काफ: 20)
Tafseer (तफ़सीर )