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सूरा काफ - शब्द द्वारा शब्द

Qaf

(क़ाफ़ अक्षर)

bismillaahirrahmaanirrahiim

قۤ ۗوَالْقُرْاٰنِ الْمَجِيْدِ ۖ ١

qaf
قٓۚ
ق
wal-qur'āni
وَٱلْقُرْءَانِ
क़सम है क़ुरआन की
l-majīdi
ٱلْمَجِيدِ
जो बड़ी शान वाला है
क़ाफ़॰; गवाह है क़ुरआन मजीद! - ([५०] काफ: 1)
Tafseer (तफ़सीर )

بَلْ عَجِبُوْٓا اَنْ جَاۤءَهُمْ مُّنْذِرٌ مِّنْهُمْ فَقَالَ الْكٰفِرُوْنَ هٰذَا شَيْءٌ عَجِيْبٌ ۚ ٢

bal
بَلْ
बल्कि
ʿajibū
عَجِبُوٓا۟
उन्हें ताअज्जुब हुआ
an
أَن
कि
jāahum
جَآءَهُم
आ गया उनके पास
mundhirun
مُّنذِرٌ
एक डराने वाला
min'hum
مِّنْهُمْ
उन्हीं में से
faqāla
فَقَالَ
तो कहा
l-kāfirūna
ٱلْكَٰفِرُونَ
काफ़िरों ने
hādhā
هَٰذَا
ये
shayon
شَىْءٌ
एक चीज़ है
ʿajībun
عَجِيبٌ
अजीब
बल्कि उन्हें तो इस बात पर आश्चर्य हुआ कि उनके पास उन्हीं में से एक सावधान करनेवाला आ गया। फिर इनकार करनेवाले कहने लगे, 'यह तो आश्चर्य की बात है ([५०] काफ: 2)
Tafseer (तफ़सीर )

ءَاِذَا مِتْنَا وَكُنَّا تُرَابًا ۚ ذٰلِكَ رَجْعٌۢ بَعِيْدٌ ٣

a-idhā
أَءِذَا
क्या जब
mit'nā
مِتْنَا
मर जाऐंगे हम
wakunnā
وَكُنَّا
और हो जाऐंगे हम
turāban
تُرَابًاۖ
मिट्टी
dhālika
ذَٰلِكَ
ये
rajʿun
رَجْعٌۢ
पलटना है
baʿīdun
بَعِيدٌ
बहुत दूर का
'क्या जब हम मर जाएँगे और मिट्टी हो जाएँगे (तो फिर हम जीवि होकर पलटेंगे)? यह पलटना तो बहुत दूर की बात है!' ([५०] काफ: 3)
Tafseer (तफ़सीर )

قَدْ عَلِمْنَا مَا تَنْقُصُ الْاَرْضُ مِنْهُمْ ۚوَعِنْدَنَا كِتٰبٌ حَفِيْظٌ ٤

qad
قَدْ
तहक़ीक़
ʿalim'nā
عَلِمْنَا
जान लिया हमने
مَا
जो
tanquṣu
تَنقُصُ
कम करती है
l-arḍu
ٱلْأَرْضُ
ज़मीन
min'hum
مِنْهُمْۖ
उनमें से
waʿindanā
وَعِندَنَا
और हमारे पास
kitābun
كِتَٰبٌ
एक किताब है
ḥafīẓun
حَفِيظٌۢ
ख़ूब हिफ़ाज़त करने वाली
हम जानते है कि धरती उनमें जो कुछ कमी करती है और हमारे पास सुरक्षित रखनेवाली एक किताब भी है ([५०] काफ: 4)
Tafseer (तफ़सीर )

بَلْ كَذَّبُوْا بِالْحَقِّ لَمَّا جَاۤءَهُمْ فَهُمْ فِيْٓ اَمْرٍ مَّرِيْجٍ ٥

bal
بَلْ
बल्कि
kadhabū
كَذَّبُوا۟
उन्होंने झुठलाया
bil-ḥaqi
بِٱلْحَقِّ
हक़ को
lammā
لَمَّا
जब
jāahum
جَآءَهُمْ
वो आ गया उनके पास
fahum
فَهُمْ
तो वो
فِىٓ
एक मामले में है
amrin
أَمْرٍ
एक मामले में है
marījin
مَّرِيجٍ
उलझे हुए
बल्कि उन्होंने सत्य को झुठला दिया जब वह उनके पास आया। अतः वे एक उलझन भी बात में पड़े हुए है ([५०] काफ: 5)
Tafseer (तफ़सीर )

اَفَلَمْ يَنْظُرُوْٓا اِلَى السَّمَاۤءِ فَوْقَهُمْ كَيْفَ بَنَيْنٰهَا وَزَيَّنّٰهَا وَمَا لَهَا مِنْ فُرُوْجٍ ٦

afalam
أَفَلَمْ
क्या भला नहीं
yanẓurū
يَنظُرُوٓا۟
उन्होंने देखा
ilā
إِلَى
तरफ़ आसमान के
l-samāi
ٱلسَّمَآءِ
तरफ़ आसमान के
fawqahum
فَوْقَهُمْ
अपने ऊपर
kayfa
كَيْفَ
किस तरह
banaynāhā
بَنَيْنَٰهَا
बनाया हमने उसे
wazayyannāhā
وَزَيَّنَّٰهَا
और मुज़य्यन किया हमने उसे
wamā
وَمَا
और नहीं है
lahā
لَهَا
उसमें
min
مِن
कोई शगाफ़
furūjin
فُرُوجٍ
कोई शगाफ़
अच्छा तो क्या उन्होंने अपने ऊपर आकाश को नहीं देखा, हमने उसे कैसा बनाया और उसे सजाया। और उसमें कोई दरार नहीं ([५०] काफ: 6)
Tafseer (तफ़सीर )

وَالْاَرْضَ مَدَدْنٰهَا وَاَلْقَيْنَا فِيْهَا رَوَاسِيَ وَاَنْۢبَتْنَا فِيْهَا مِنْ كُلِّ زَوْجٍۢ بَهِيْجٍۙ ٧

wal-arḍa
وَٱلْأَرْضَ
और ज़मीन
madadnāhā
مَدَدْنَٰهَا
फैलाया हमने उसे
wa-alqaynā
وَأَلْقَيْنَا
और डाले हमने
fīhā
فِيهَا
उसमें
rawāsiya
رَوَٰسِىَ
पहाड़
wa-anbatnā
وَأَنۢبَتْنَا
और उगाए हमने
fīhā
فِيهَا
उसमें
min
مِن
हर क़िस्म के
kulli
كُلِّ
हर क़िस्म के
zawjin
زَوْجٍۭ
जोड़े
bahījin
بَهِيجٍ
बारौनक़
और धरती को हमने फैलाया और उसमे अटल पहाड़ डाल दिए। और हमने उसमें हर प्रकार की सुन्दर चीज़े उगाई, ([५०] काफ: 7)
Tafseer (तफ़सीर )

تَبْصِرَةً وَّذِكْرٰى لِكُلِّ عَبْدٍ مُّنِيْبٍ ٨

tabṣiratan
تَبْصِرَةً
बतौर बसीरत
wadhik'rā
وَذِكْرَىٰ
और नसीहत
likulli
لِكُلِّ
वास्ते हर बन्दे
ʿabdin
عَبْدٍ
वास्ते हर बन्दे
munībin
مُّنِيبٍ
रुजूअ करने वाले के
आँखें खोलने और याद दिलाने के उद्देश्य से, हर बन्दे के लिए जो रुजू करनेवाला हो ([५०] काफ: 8)
Tafseer (तफ़सीर )

وَنَزَّلْنَا مِنَ السَّمَاۤءِ مَاۤءً مُّبٰرَكًا فَاَنْۢبَتْنَا بِهٖ جَنّٰتٍ وَّحَبَّ الْحَصِيْدِۙ ٩

wanazzalnā
وَنَزَّلْنَا
और उतारा हमने
mina
مِنَ
आसमान से
l-samāi
ٱلسَّمَآءِ
आसमान से
māan
مَآءً
पानी
mubārakan
مُّبَٰرَكًا
बरकत वाला
fa-anbatnā
فَأَنۢبَتْنَا
फिर उगाए हमने
bihi
بِهِۦ
साथ उसके
jannātin
جَنَّٰتٍ
बाग़ात
waḥabba
وَحَبَّ
और अनाज
l-ḥaṣīdi
ٱلْحَصِيدِ
कटी हुई खेती के
और हमने आकाश से बरकतवाला पानी उतारा, फिर उससे बाग़ और फ़सल के अनाज। ([५०] काफ: 9)
Tafseer (तफ़सीर )
१०

وَالنَّخْلَ بٰسِقٰتٍ لَّهَا طَلْعٌ نَّضِيْدٌۙ ١٠

wal-nakhla
وَٱلنَّخْلَ
और खजूर के दरख़्त
bāsiqātin
بَاسِقَٰتٍ
बुलन्द व बाला
lahā
لَّهَا
उनके लिए
ṭalʿun
طَلْعٌ
ख़ोशे हैं
naḍīdun
نَّضِيدٌ
तह ब तह/ऊपर नीचे
और ऊँचे-ऊँचे खजूर के वृक्ष उगाए जिनके गुच्छे तह पर तह होते है, ([५०] काफ: 10)
Tafseer (तफ़सीर )