وَلَوْ كَانُوْا يُؤْمِنُوْنَ بِاللّٰهِ وَالنَّبِيِّ وَمَآ اُنْزِلَ اِلَيْهِ مَا اتَّخَذُوْهُمْ اَوْلِيَاۤءَ وَلٰكِنَّ كَثِيْرًا مِّنْهُمْ فٰسِقُوْنَ ٨١
- walaw
- وَلَوْ
- और अगर
- kānū
- كَانُوا۟
- होते वो
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- वो ईमान लाते
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- wal-nabiyi
- وَٱلنَّبِىِّ
- और नबी पर
- wamā
- وَمَآ
- और जो कुछ
- unzila
- أُنزِلَ
- नाज़िल किया गया
- ilayhi
- إِلَيْهِ
- तरफ़ उनके
- mā
- مَا
- ना
- ittakhadhūhum
- ٱتَّخَذُوهُمْ
- वो बनाते उन्हें
- awliyāa
- أَوْلِيَآءَ
- दोस्त
- walākinna
- وَلَٰكِنَّ
- और लेकिन
- kathīran
- كَثِيرًا
- बहुत से
- min'hum
- مِّنْهُمْ
- उनमें से
- fāsiqūna
- فَٰسِقُونَ
- नाफ़रमान हैं
और यदि वे अल्लाह और नबी पर और उस चीज़ पर ईमान लाते, जो उसकी ओर अवतरित हुईस तो वे उनको मित्र न बनाते। किन्तु उनमें अधिकतर अवज्ञाकारी है ([५] अल-माइदा: 81)Tafseer (तफ़सीर )
۞ لَتَجِدَنَّ اَشَدَّ النَّاسِ عَدَاوَةً لِّلَّذِيْنَ اٰمَنُوا الْيَهُوْدَ وَالَّذِيْنَ اَشْرَكُوْاۚ وَلَتَجِدَنَّ اَقْرَبَهُمْ مَّوَدَّةً لِّلَّذِيْنَ اٰمَنُوا الَّذِيْنَ قَالُوْٓا اِنَّا نَصٰرٰىۗ ذٰلِكَ بِاَنَّ مِنْهُمْ قِسِّيْسِيْنَ وَرُهْبَانًا وَّاَنَّهُمْ لَا يَسْتَكْبِرُوْنَ ۔ ٨٢
- latajidanna
- لَتَجِدَنَّ
- अलबत्ता आप ज़रूर पाऐंगे
- ashadda
- أَشَدَّ
- सबसे ज़्यादा सख़्त
- l-nāsi
- ٱلنَّاسِ
- लोगों में से
- ʿadāwatan
- عَدَٰوَةً
- अदावत/दुश्मनी में
- lilladhīna
- لِّلَّذِينَ
- उन लोगों के लिए जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- l-yahūda
- ٱلْيَهُودَ
- यहूद को
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और उनको जिन्होंने
- ashrakū
- أَشْرَكُوا۟ۖ
- शिर्क किया
- walatajidanna
- وَلَتَجِدَنَّ
- और अलबत्ता आप ज़रूर पाऐंगे
- aqrabahum
- أَقْرَبَهُم
- सबसे क़रीब उनमें
- mawaddatan
- مَّوَدَّةً
- मोहब्बत में
- lilladhīna
- لِّلَّذِينَ
- उनके लिए जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनको जिन्होंने
- qālū
- قَالُوٓا۟
- कहा
- innā
- إِنَّا
- बेशक हम
- naṣārā
- نَصَٰرَىٰۚ
- नसारा हैं
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- bi-anna
- بِأَنَّ
- बवजह उसके कि
- min'hum
- مِنْهُمْ
- उनमें
- qissīsīna
- قِسِّيسِينَ
- उलेमा हैं
- waruh'bānan
- وَرُهْبَانًا
- और राहिब हैं
- wa-annahum
- وَأَنَّهُمْ
- और बेशक वो
- lā
- لَا
- नहीं वो तकब्बुर करते
- yastakbirūna
- يَسْتَكْبِرُونَ
- नहीं वो तकब्बुर करते
तुम ईमानवालों का शत्रु सब लोगों से बढ़कर यहूदियों और बहुदेववादियों को पाओगे। और ईमान लानेवालो के लिए मित्रता में सबसे निकट उन लोगों को पाओगे, जिन्होंने कहा कि 'हम नसारा हैं।' यह इस कारण है कि उनमें बहुत-से धर्मज्ञाता और संसार-त्यागी सन्त पाए जाते हैं। और इस कारण कि वे अहंकार नहीं करते ([५] अल-माइदा: 82)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذَا سَمِعُوْا مَآ اُنْزِلَ اِلَى الرَّسُوْلِ تَرٰٓى اَعْيُنَهُمْ تَفِيْضُ مِنَ الدَّمْعِ مِمَّا عَرَفُوْا مِنَ الْحَقِّۚ يَقُوْلُوْنَ رَبَّنَآ اٰمَنَّا فَاكْتُبْنَا مَعَ الشّٰهِدِيْنَ ٨٣
- wa-idhā
- وَإِذَا
- और जब
- samiʿū
- سَمِعُوا۟
- वो सुनते हैं
- mā
- مَآ
- जो
- unzila
- أُنزِلَ
- नाज़िल किया गया
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ रसूल के
- l-rasūli
- ٱلرَّسُولِ
- तरफ़ रसूल के
- tarā
- تَرَىٰٓ
- आप देखते हैं
- aʿyunahum
- أَعْيُنَهُمْ
- उनकी आँखों को
- tafīḍu
- تَفِيضُ
- बह पड़ती हैं
- mina
- مِنَ
- आँसुओं से
- l-damʿi
- ٱلدَّمْعِ
- आँसुओं से
- mimmā
- مِمَّا
- इस (वजह) से जो
- ʿarafū
- عَرَفُوا۟
- उन्होंने पहचान लिया
- mina
- مِنَ
- हक़ को
- l-ḥaqi
- ٱلْحَقِّۖ
- हक़ को
- yaqūlūna
- يَقُولُونَ
- वो कहते हैं
- rabbanā
- رَبَّنَآ
- ऐ हमारे रब
- āmannā
- ءَامَنَّا
- ईमान लाए हम
- fa-uk'tub'nā
- فَٱكْتُبْنَا
- पस लिख दे हमें
- maʿa
- مَعَ
- साथ
- l-shāhidīna
- ٱلشَّٰهِدِينَ
- शहादत देने वालों के
जब वे उसे सुनते है जो रसूल पर अवतरित हुआ तो तुम देखते हो कि उनकी आँखे आँसुओ से छलकने लगती है। इसका कारण यह है कि उन्होंने सत्य को पहचान लिया। वे कहते हैं, 'हमारे रब! हम ईमान ले आए। अतएव तू हमारा नाम गवाही देनेवालों में लिख ले ([५] अल-माइदा: 83)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَا لَنَا لَا نُؤْمِنُ بِاللّٰهِ وَمَا جَاۤءَنَا مِنَ الْحَقِّۙ وَنَطْمَعُ اَنْ يُّدْخِلَنَا رَبُّنَا مَعَ الْقَوْمِ الصّٰلِحِيْنَ ٨٤
- wamā
- وَمَا
- और क्या है
- lanā
- لَنَا
- हमें
- lā
- لَا
- कि ना हम ईमान लाऐं
- nu'minu
- نُؤْمِنُ
- कि ना हम ईमान लाऐं
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- wamā
- وَمَا
- और (उस पर) जो
- jāanā
- جَآءَنَا
- आया हमारे पास
- mina
- مِنَ
- हक़ में से
- l-ḥaqi
- ٱلْحَقِّ
- हक़ में से
- wanaṭmaʿu
- وَنَطْمَعُ
- और हम उम्मीद रखते हैं
- an
- أَن
- कि
- yud'khilanā
- يُدْخِلَنَا
- दाख़िल करेगा हमें
- rabbunā
- رَبُّنَا
- रब हमारा
- maʿa
- مَعَ
- साथ
- l-qawmi
- ٱلْقَوْمِ
- उन लोगों के
- l-ṣāliḥīna
- ٱلصَّٰلِحِينَ
- जो सालेह हैं
'और हम अल्लाह पर और जो सत्य हमारे पास पहुँचा है उसपर ईमान क्यों न लाएँ, जबकि हमें आशा है कि हमारा रब हमें अच्छे लोगों के साथ (जन्नत में) प्रविष्ट, करेगा।' ([५] अल-माइदा: 84)Tafseer (तफ़सीर )
فَاَثَابَهُمُ اللّٰهُ بِمَا قَالُوْا جَنّٰتٍ تَجْرِيْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ خٰلِدِيْنَ فِيْهَاۗ وَذٰلِكَ جَزَاۤءُ الْمُحْسِنِيْنَ ٨٥
- fa-athābahumu
- فَأَثَٰبَهُمُ
- पस बदले में दिया उन्हें
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- bimā
- بِمَا
- बवजह उसके जो
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- jannātin
- جَنَّٰتٍ
- बाग़ात को
- tajrī
- تَجْرِى
- बहती हैं
- min
- مِن
- उनके नीचे से
- taḥtihā
- تَحْتِهَا
- उनके नीचे से
- l-anhāru
- ٱلْأَنْهَٰرُ
- नहरें
- khālidīna
- خَٰلِدِينَ
- हमेशा रहने वाले हैं
- fīhā
- فِيهَاۚ
- उनमें
- wadhālika
- وَذَٰلِكَ
- और ये
- jazāu
- جَزَآءُ
- बदला है
- l-muḥ'sinīna
- ٱلْمُحْسِنِينَ
- एहसान करने वालों का
फिर अल्लाह ने उनके इस कथन के कारण उन्हें ऐसे बाग़ प्रदान किए, जिनके नीचे नहरें बहती है, जिनमें वे सदैव रहेंगे। और यही सत्कर्मी लोगो का बदला है ([५] अल-माइदा: 85)Tafseer (तफ़सीर )
وَالَّذِيْنَ كَفَرُوْا وَكَذَّبُوْا بِاٰيٰتِنَآ اُولٰۤىِٕكَ اَصْحٰبُ الْجَحِيْمِ ࣖ ٨٦
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- wakadhabū
- وَكَذَّبُوا۟
- और उन्होंने झुठलाया
- biāyātinā
- بِـَٔايَٰتِنَآ
- हमारी आयात को
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग हैं
- aṣḥābu
- أَصْحَٰبُ
- साथी
- l-jaḥīmi
- ٱلْجَحِيمِ
- जहन्नम के
रहे वे लोग जिन्होंने इनकार किया और हमारी आयतों को झुठलाया, वे भड़कती आग (में पड़ने) वाले है ([५] अल-माइदा: 86)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا تُحَرِّمُوْا طَيِّبٰتِ مَآ اَحَلَّ اللّٰهُ لَكُمْ وَلَا تَعْتَدُوْا ۗاِنَّ اللّٰهَ لَا يُحِبُّ الْمُعْتَدِيْنَ ٨٧
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए हो
- lā
- لَا
- ना तुम हराम करो
- tuḥarrimū
- تُحَرِّمُوا۟
- ना तुम हराम करो
- ṭayyibāti
- طَيِّبَٰتِ
- पाकीज़ा चीज़ें
- mā
- مَآ
- जो
- aḥalla
- أَحَلَّ
- हलाल कीं
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- walā
- وَلَا
- और ना
- taʿtadū
- تَعْتَدُوٓا۟ۚ
- तुम हद से तजावुज़ करो
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- lā
- لَا
- नहीं वो पसंद करता
- yuḥibbu
- يُحِبُّ
- नहीं वो पसंद करता
- l-muʿ'tadīna
- ٱلْمُعْتَدِينَ
- हद से तजावुज़ करने वालों को
ऐ ईमान लानेवालो! जो अच्छी पाक चीज़े अल्लाह ने तुम्हारे लिए हलाल की है, उन्हें हराम न कर लो और हद से आगे न बढ़ो। निश्चय ही अल्लाह को वे लोग प्रिय नहीं है, जो हद से आगे बढ़ते है ([५] अल-माइदा: 87)Tafseer (तफ़सीर )
وَكُلُوْا مِمَّا رَزَقَكُمُ اللّٰهُ حَلٰلًا طَيِّبًا ۖوَّاتَّقُوا اللّٰهَ الَّذِيْٓ اَنْتُمْ بِهٖ مُؤْمِنُوْنَ ٨٨
- wakulū
- وَكُلُوا۟
- और खाओ
- mimmā
- مِمَّا
- उसमें से जो
- razaqakumu
- رَزَقَكُمُ
- रिज़्क़ दिया तुम्हें
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- ḥalālan
- حَلَٰلًا
- हलाल
- ṭayyiban
- طَيِّبًاۚ
- पाकीज़ा
- wa-ittaqū
- وَٱتَّقُوا۟
- और डरो
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह से
- alladhī
- ٱلَّذِىٓ
- वो जो
- antum
- أَنتُم
- तुम
- bihi
- بِهِۦ
- जिस पर
- mu'minūna
- مُؤْمِنُونَ
- ईमान रखते हो
जो कुछ अल्लाह ने हलाल और पाक रोज़ी तुम्हें ही है, उसे खाओ और अल्लाह का डर रखो, जिसपर तुम ईमान लाए हो ([५] अल-माइदा: 88)Tafseer (तफ़सीर )
لَا يُؤَاخِذُكُمُ اللّٰهُ بِاللَّغْوِ فِيْٓ اَيْمَانِكُمْ وَلٰكِنْ يُّؤَاخِذُكُمْ بِمَا عَقَّدْتُّمُ الْاَيْمَانَۚ فَكَفَّارَتُهٗٓ اِطْعَامُ عَشَرَةِ مَسٰكِيْنَ مِنْ اَوْسَطِ مَا تُطْعِمُوْنَ اَهْلِيْكُمْ اَوْ كِسْوَتُهُمْ اَوْ تَحْرِيْرُ رَقَبَةٍ ۗفَمَنْ لَّمْ يَجِدْ فَصِيَامُ ثَلٰثَةِ اَيَّامٍ ۗذٰلِكَ كَفَّارَةُ اَيْمَانِكُمْ اِذَا حَلَفْتُمْ ۗوَاحْفَظُوْٓا اَيْمَانَكُمْ ۗ كَذٰلِكَ يُبَيِّنُ اللّٰهُ لَكُمْ اٰيٰتِهٖ لَعَلَّكُمْ تَشْكُرُوْنَ ٨٩
- lā
- لَا
- नहीं मुआख़ज़ा करता तुम्हारा
- yuākhidhukumu
- يُؤَاخِذُكُمُ
- नहीं मुआख़ज़ा करता तुम्हारा
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- bil-laghwi
- بِٱللَّغْوِ
- लग़्व पर
- fī
- فِىٓ
- तुम्हारी क़समों में
- aymānikum
- أَيْمَٰنِكُمْ
- तुम्हारी क़समों में
- walākin
- وَلَٰكِن
- और लेकिन
- yuākhidhukum
- يُؤَاخِذُكُم
- वो मुआख़ज़ा करता है तुम्हारा
- bimā
- بِمَا
- उन पर जो
- ʿaqqadttumu
- عَقَّدتُّمُ
- मज़बूत बाँधीं तुम ने
- l-aymāna
- ٱلْأَيْمَٰنَۖ
- क़समें
- fakaffāratuhu
- فَكَفَّٰرَتُهُۥٓ
- तो कफ़्फ़ारा है उसका
- iṭ'ʿāmu
- إِطْعَامُ
- खाना खिलाना
- ʿasharati
- عَشَرَةِ
- दस
- masākīna
- مَسَٰكِينَ
- मिस्कीनों को
- min
- مِنْ
- औसत दर्जे का
- awsaṭi
- أَوْسَطِ
- औसत दर्जे का
- mā
- مَا
- जो
- tuṭ'ʿimūna
- تُطْعِمُونَ
- तुम खिलाते हो
- ahlīkum
- أَهْلِيكُمْ
- अपने घर वालों को
- aw
- أَوْ
- या
- kis'watuhum
- كِسْوَتُهُمْ
- कपड़े पहनाना उन्हें
- aw
- أَوْ
- या
- taḥrīru
- تَحْرِيرُ
- आज़ाद करना
- raqabatin
- رَقَبَةٍۖ
- एक गर्दन का
- faman
- فَمَن
- पस जो कोई
- lam
- لَّمْ
- ना
- yajid
- يَجِدْ
- पाए
- faṣiyāmu
- فَصِيَامُ
- तो रोज़े रखना हैं
- thalāthati
- ثَلَٰثَةِ
- तीन
- ayyāmin
- أَيَّامٍۚ
- दिनों के
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- kaffāratu
- كَفَّٰرَةُ
- कफ़्फ़ारा है
- aymānikum
- أَيْمَٰنِكُمْ
- तुम्हारी क़समों का
- idhā
- إِذَا
- जब
- ḥalaftum
- حَلَفْتُمْۚ
- क़सम खाओ तुम
- wa-iḥ'faẓū
- وَٱحْفَظُوٓا۟
- और हिफ़ाज़त किया करो
- aymānakum
- أَيْمَٰنَكُمْۚ
- अपनी क़समों की
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह
- yubayyinu
- يُبَيِّنُ
- वाज़ेह करता है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- āyātihi
- ءَايَٰتِهِۦ
- अपनी आयात को
- laʿallakum
- لَعَلَّكُمْ
- ताकि तुम
- tashkurūna
- تَشْكُرُونَ
- तुम शुक्र करो
तुम्हारी उन क़समों पर अल्लाह तुम्हें नहीं पकड़ता जो यूँ ही असावधानी से ज़बान से निकल जाती है। परन्तु जो तुमने पक्की क़समें खाई हों, उनपर वह तुम्हें पकड़ेगा। तो इसका प्रायश्चित दस मुहताजों को औसत दर्जें का खाना खिला देना है, जो तुम अपने बाल-बच्चों को खिलाते हो या फिर उन्हें कपड़े पहनाना या एक ग़ुलाम आज़ाद करना होगा। और जिसे इसकी सामर्थ्य न हो, तो उसे तीन दिन के रोज़े रखने होंगे। यह तुम्हारी क़समों का प्रायश्चित है, जबकि तुम क़सम खा बैठो। तुम अपनी क़समों की हिफ़ाजत किया करो। इस प्रकार अल्लाह अपनी आयतें तुम्हारे सामने खोल-खोलकर बयान करता है, ताकि तुम कृतज्ञता दिखलाओ ([५] अल-माइदा: 89)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اِنَّمَا الْخَمْرُ وَالْمَيْسِرُ وَالْاَنْصَابُ وَالْاَزْلَامُ رِجْسٌ مِّنْ عَمَلِ الشَّيْطٰنِ فَاجْتَنِبُوْهُ لَعَلَّكُمْ تُفْلِحُوْنَ ٩٠
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوٓا۟
- ईमान लाए हो
- innamā
- إِنَّمَا
- बेशक
- l-khamru
- ٱلْخَمْرُ
- शराब (नशा)
- wal-maysiru
- وَٱلْمَيْسِرُ
- और जुआ
- wal-anṣābu
- وَٱلْأَنصَابُ
- और बुत
- wal-azlāmu
- وَٱلْأَزْلَٰمُ
- और फ़ाल के तीर
- rij'sun
- رِجْسٌ
- नापाक हैं
- min
- مِّنْ
- अमल से हैं
- ʿamali
- عَمَلِ
- अमल से हैं
- l-shayṭāni
- ٱلشَّيْطَٰنِ
- शैतान के
- fa-ij'tanibūhu
- فَٱجْتَنِبُوهُ
- पस बचो इससे
- laʿallakum
- لَعَلَّكُمْ
- ताकि तुम
- tuf'liḥūna
- تُفْلِحُونَ
- तुम फ़लाह पाओ
ऐ ईमान लानेवालो! ये शराब और जुआ और देवस्थान और पाँसे तो गन्दे शैतानी काम है। अतः तुम इनसे अलग रहो, ताकि तुम सफल हो ([५] अल-माइदा: 90)Tafseer (तफ़सीर )