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सूरा अल-माइदा - Page: 8

Al-Ma'idah

(मेज़)

७१

وَحَسِبُوْٓا اَلَّا تَكُوْنَ فِتْنَةٌ فَعَمُوْا وَصَمُّوْا ثُمَّ تَابَ اللّٰهُ عَلَيْهِمْ ثُمَّ عَمُوْا وَصَمُّوْا كَثِيْرٌ مِّنْهُمْۗ وَاللّٰهُ بَصِيْرٌۢ بِمَا يَعْمَلُوْنَ ٧١

waḥasibū
وَحَسِبُوٓا۟
और उन्होंने समझा
allā
أَلَّا
कि ना
takūna
تَكُونَ
होगा
fit'natun
فِتْنَةٌ
कोई फ़ितना
faʿamū
فَعَمُوا۟
तो वो अन्धे हो गए
waṣammū
وَصَمُّوا۟
और वो बहरे हो गए
thumma
ثُمَّ
फिर
tāba
تَابَ
मेहरबान हुआ
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर
thumma
ثُمَّ
फिर
ʿamū
عَمُوا۟
वो अन्धे हो गए
waṣammū
وَصَمُّوا۟
और बहरे हो गए
kathīrun
كَثِيرٌ
अक्सर
min'hum
مِّنْهُمْۚ
उनमें से
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
baṣīrun
بَصِيرٌۢ
ख़ूब देखने वाला है
bimā
بِمَا
उसको जो
yaʿmalūna
يَعْمَلُونَ
वो अमल करते हैं
और उन्होंने समझा कि कोई आपदा न आएगी; इसलिए वे अंधे और बहरे बन गए। फिर अल्लाह ने उनपर दयादृष्टि की, फिर भी उनमें से बहुत-से अंधे और बहरे हो गए। अल्लाह देख रहा है, जो कुछ वे करते है ([५] अल-माइदा: 71)
Tafseer (तफ़सीर )
७२

لَقَدْ كَفَرَ الَّذِيْنَ قَالُوْٓا اِنَّ اللّٰهَ هُوَ الْمَسِيْحُ ابْنُ مَرْيَمَ ۗوَقَالَ الْمَسِيْحُ يٰبَنِيْٓ اِسْرَاۤءِيْلَ اعْبُدُوا اللّٰهَ رَبِّيْ وَرَبَّكُمْ ۗاِنَّهٗ مَنْ يُّشْرِكْ بِاللّٰهِ فَقَدْ حَرَّمَ اللّٰهُ عَلَيْهِ الْجَنَّةَ وَمَأْوٰىهُ النَّارُ ۗوَمَا لِلظّٰلِمِيْنَ مِنْ اَنْصَارٍ ٧٢

laqad
لَقَدْ
अलबत्ता तहक़ीक़
kafara
كَفَرَ
कुफ़्र किया
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों ने
qālū
قَالُوٓا۟
जिन्होंने कहा
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
huwa
هُوَ
वो ही
l-masīḥu
ٱلْمَسِيحُ
मसीह इब्ने मरियम है
ub'nu
ٱبْنُ
मसीह इब्ने मरियम है
maryama
مَرْيَمَۖ
मसीह इब्ने मरियम है
waqāla
وَقَالَ
और कहा था
l-masīḥu
ٱلْمَسِيحُ
मसीह ने
yābanī
يَٰبَنِىٓ
ऐ बनी इस्राईल
is'rāīla
إِسْرَٰٓءِيلَ
ऐ बनी इस्राईल
uʿ'budū
ٱعْبُدُوا۟
इबादत करो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह की
rabbī
رَبِّى
जो रब है मेरा
warabbakum
وَرَبَّكُمْۖ
और रब है तुम्हारा
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
man
مَن
जो
yush'rik
يُشْرِكْ
शिर्क करे
bil-lahi
بِٱللَّهِ
साथ अल्लाह के
faqad
فَقَدْ
तो तहक़ीक़
ḥarrama
حَرَّمَ
हराम ठहरा दी
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
ʿalayhi
عَلَيْهِ
उस पर
l-janata
ٱلْجَنَّةَ
जन्नत
wamawāhu
وَمَأْوَىٰهُ
और ठिकाना उसका
l-nāru
ٱلنَّارُۖ
आग है
wamā
وَمَا
और नहीं है
lilẓẓālimīna
لِلظَّٰلِمِينَ
ज़लिमों के लिए
min
مِنْ
कोई मददगार
anṣārin
أَنصَارٍ
कोई मददगार
निश्चय ही उन्होंने (सत्य का) इनकार किया, जिन्होंने कहा, 'अल्लाह मरयम का बेटा मसीह ही है।' जब मसीह ने कहा था, 'ऐ इसराईल की सन्तान! अल्लाह की बन्दगी करो, जो मेरा भी रब है और तुम्हारा भी रब है। जो कोई अल्लाह का साझी ठहराएगा, उसपर तो अल्लाह ने जन्नत हराम कर दी है और उसका ठिकाना आग है। अत्याचारियों को कोई सहायक नहीं।' ([५] अल-माइदा: 72)
Tafseer (तफ़सीर )
७३

لَقَدْ كَفَرَ الَّذِيْنَ قَالُوْٓا اِنَّ اللّٰهَ ثَالِثُ ثَلٰثَةٍ ۘ وَمَا مِنْ اِلٰهٍ اِلَّآ اِلٰهٌ وَّاحِدٌ ۗوَاِنْ لَّمْ يَنْتَهُوْا عَمَّا يَقُوْلُوْنَ لَيَمَسَّنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا مِنْهُمْ عَذَابٌ اَلِيْمٌ ٧٣

laqad
لَّقَدْ
अलबत्ता तहक़ीक़
kafara
كَفَرَ
कुफ़्र किया
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों ने
qālū
قَالُوٓا۟
जिन्होंने कहा
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
thālithu
ثَالِثُ
तीसरा है
thalāthatin
ثَلَٰثَةٍۘ
तीन का
wamā
وَمَا
और नहीं
min
مِنْ
कोई इलाह (बरहक़)
ilāhin
إِلَٰهٍ
कोई इलाह (बरहक़)
illā
إِلَّآ
मगर
ilāhun
إِلَٰهٌ
इलाह
wāḥidun
وَٰحِدٌۚ
एक ही
wa-in
وَإِن
और अगर
lam
لَّمْ
ना
yantahū
يَنتَهُوا۟
वो बाज़ आए
ʿammā
عَمَّا
उससे जो
yaqūlūna
يَقُولُونَ
वो कहते हैं
layamassanna
لَيَمَسَّنَّ
अलबत्ता ज़रूर पहुँचेगा
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनको जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
min'hum
مِنْهُمْ
उनमें से
ʿadhābun
عَذَابٌ
अज़ाब
alīmun
أَلِيمٌ
दर्दनाक
निश्चय ही उन्होंने इनकार किया, जिन्होंने कहा, 'अल्लाह तीन में का एक है।' हालाँकि अकेले पूज्य के अतिरिक्त कोई पूज्य नहीं। जो कुछ वे कहते है यदि इससे बाज़ न आएँ तो उनमें से जिन्होंने इनकार किया है, उन्हें दुखद यातना पहुँचकर रहेगी ([५] अल-माइदा: 73)
Tafseer (तफ़सीर )
७४

اَفَلَا يَتُوْبُوْنَ اِلَى اللّٰهِ وَيَسْتَغْفِرُوْنَهٗۗ وَاللّٰهُ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ٧٤

afalā
أَفَلَا
क्या भला नहीं
yatūbūna
يَتُوبُونَ
वो तौबा करेंगे
ilā
إِلَى
तरफ़ अल्लाह के
l-lahi
ٱللَّهِ
तरफ़ अल्लाह के
wayastaghfirūnahu
وَيَسْتَغْفِرُونَهُۥۚ
और वो बख़्शिश माँगेंगे उससे
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
ghafūrun
غَفُورٌ
बहुत बख़्शने वाला है
raḥīmun
رَّحِيمٌ
निहायत रहम करने वाला है
फिर क्या वे लोग अल्लाह की ओर नहीं पलटेंगे और उससे क्षमा याचना नहीं करेंगे, जबकि अल्लाह बड़ा क्षमाशील, दयावान है ([५] अल-माइदा: 74)
Tafseer (तफ़सीर )
७५

مَا الْمَسِيْحُ ابْنُ مَرْيَمَ اِلَّا رَسُوْلٌۚ قَدْ خَلَتْ مِنْ قَبْلِهِ الرُّسُلُۗ وَاُمُّهٗ صِدِّيْقَةٌ ۗ كَانَا يَأْكُلَانِ الطَّعَامَ ۗ اُنْظُرْ كَيْفَ نُبَيِّنُ لَهُمُ الْاٰيٰتِ ثُمَّ انْظُرْ اَنّٰى يُؤْفَكُوْنَ ٧٥

مَّا
नहीं
l-masīḥu
ٱلْمَسِيحُ
मसीह इब्ने मरियम
ub'nu
ٱبْنُ
मसीह इब्ने मरियम
maryama
مَرْيَمَ
मसीह इब्ने मरियम
illā
إِلَّا
मगर
rasūlun
رَسُولٌ
एक रसूल
qad
قَدْ
तहक़ीक़
khalat
خَلَتْ
गुज़र चुके
min
مِن
उससे क़ब्ल
qablihi
قَبْلِهِ
उससे क़ब्ल
l-rusulu
ٱلرُّسُلُ
कई रसूल
wa-ummuhu
وَأُمُّهُۥ
और उसकी माँ
ṣiddīqatun
صِدِّيقَةٌۖ
बहुत सच्ची थी
kānā
كَانَا
थे वो
yakulāni
يَأْكُلَانِ
वो दोनों खाया करते
l-ṭaʿāma
ٱلطَّعَامَۗ
खाना
unẓur
ٱنظُرْ
देखिए
kayfa
كَيْفَ
किस तरह
nubayyinu
نُبَيِّنُ
हम वाज़ेह करते हैं
lahumu
لَهُمُ
उनके लिए
l-āyāti
ٱلْءَايَٰتِ
आयात
thumma
ثُمَّ
फिर
unẓur
ٱنظُرْ
देखिए
annā
أَنَّىٰ
कहाँ से
yu'fakūna
يُؤْفَكُونَ
वो फेरे जाते हैं
मरयम का बेटा मसीह एक रसूल के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं। उससे पहले भी बहुत-से रसूल गुज़र चुके हैं। उसकी माण अत्यन्त सत्यवती थी। दोनों ही भोजन करते थे। देखो, हम किस प्रकार उनके सामने निशानियाँ स्पष्ट करते है; फिर देखो, ये किस प्रकार उलटे फिरे जा रहे है! ([५] अल-माइदा: 75)
Tafseer (तफ़सीर )
७६

قُلْ اَتَعْبُدُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ مَا لَا يَمْلِكُ لَكُمْ ضَرًّا وَّلَا نَفْعًا ۗوَاللّٰهُ هُوَ السَّمِيْعُ الْعَلِيْمُ ٧٦

qul
قُلْ
कह दीजिए
ataʿbudūna
أَتَعْبُدُونَ
क्या तुम इबादत करते हो
min
مِن
सिवाय
dūni
دُونِ
सिवाय
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
مَا
उसकी जो
لَا
नहीं मिल्कियत रखता
yamliku
يَمْلِكُ
नहीं मिल्कियत रखता
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
ḍarran
ضَرًّا
किसी नुक़सान का
walā
وَلَا
और ना
nafʿan
نَفْعًاۚ
किसी नफ़ा के
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
huwa
هُوَ
वो ही है
l-samīʿu
ٱلسَّمِيعُ
ख़ूब सुनने वाला
l-ʿalīmu
ٱلْعَلِيمُ
ख़ूब जानने वाला
कह दो, 'क्या तुम अल्लाह से हटकर उसकी बन्दगी करते हो जो न तुम्हारी हानि का अधिकारी है, न लाभ का? हालाँकि सुननेवाला, जाननेवाला अल्लाह ही है।' ([५] अल-माइदा: 76)
Tafseer (तफ़सीर )
७७

قُلْ يٰٓاَهْلَ الْكِتٰبِ لَا تَغْلُوْا فِيْ دِيْنِكُمْ غَيْرَ الْحَقِّ وَلَا تَتَّبِعُوْٓا اَهْوَاۤءَ قَوْمٍ قَدْ ضَلُّوْا مِنْ قَبْلُ وَاَضَلُّوْا كَثِيْرًا وَّضَلُّوْا عَنْ سَوَاۤءِ السَّبِيْلِ ࣖ ٧٧

qul
قُلْ
कह दीजिए
yāahla
يَٰٓأَهْلَ
ऐ अहले किताब
l-kitābi
ٱلْكِتَٰبِ
ऐ अहले किताब
لَا
ना तुम ग़ुलुव करो
taghlū
تَغْلُوا۟
ना तुम ग़ुलुव करो
فِى
अपने दीन में
dīnikum
دِينِكُمْ
अपने दीन में
ghayra
غَيْرَ
बग़ैर
l-ḥaqi
ٱلْحَقِّ
हक़ के
walā
وَلَا
और ना
tattabiʿū
تَتَّبِعُوٓا۟
तुम पैरवी करो
ahwāa
أَهْوَآءَ
ख़्वाहिशात की
qawmin
قَوْمٍ
एक क़ौम की
qad
قَدْ
तहक़ीक़
ḍallū
ضَلُّوا۟
वो गुमराह हो गए
min
مِن
उससे पहले
qablu
قَبْلُ
उससे पहले
wa-aḍallū
وَأَضَلُّوا۟
और उन्होंने गुमराह किया
kathīran
كَثِيرًا
कसीर तादाद को
waḍallū
وَضَلُّوا۟
और वो भटक गए
ʿan
عَن
सीधे रास्ते से
sawāi
سَوَآءِ
सीधे रास्ते से
l-sabīli
ٱلسَّبِيلِ
सीधे रास्ते से
कह दो, 'ऐ किताबवालो! अपने धर्म में नाहक़ हद से आगे न बढ़ो और उन लोगों की इच्छाओं का पालन न करो, जो इससे पहले स्वयं पथभ्रष्ट हुए और बहुतो को पथभ्रष्ट किया और सीधे मार्ग से भटक गए ([५] अल-माइदा: 77)
Tafseer (तफ़सीर )
७८

لُعِنَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا مِنْۢ بَنِيْٓ اِسْرَاۤءِيْلَ عَلٰى لِسَانِ دَاوٗدَ وَعِيْسَى ابْنِ مَرْيَمَ ۗذٰلِكَ بِمَا عَصَوْا وَّكَانُوْا يَعْتَدُوْنَ ٧٨

luʿina
لُعِنَ
लानत किए गए
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
min
مِنۢ
बनी इस्राईल में से
banī
بَنِىٓ
बनी इस्राईल में से
is'rāīla
إِسْرَٰٓءِيلَ
बनी इस्राईल में से
ʿalā
عَلَىٰ
ज़बान पर
lisāni
لِسَانِ
ज़बान पर
dāwūda
دَاوُۥدَ
दाऊद की
waʿīsā
وَعِيسَى
और ईसा इब्ने मरियम की
ib'ni
ٱبْنِ
और ईसा इब्ने मरियम की
maryama
مَرْيَمَۚ
और ईसा इब्ने मरियम की
dhālika
ذَٰلِكَ
ये
bimā
بِمَا
बवजह उसके जो
ʿaṣaw
عَصَوا۟
उन्होंने नाफ़रमानी की
wakānū
وَّكَانُوا۟
और थे वो
yaʿtadūna
يَعْتَدُونَ
वो हद से बढ़ जाते
इसराईल की सन्तान में से जिन लोगों ने इनकार किया, उनपर दाऊद और मरयम के बेटे ईसा की ज़बान से फिटकार पड़ी, क्योंकि उन्होंने अवज्ञा की और वे हद से आगे बढ़े जा रहे थे ([५] अल-माइदा: 78)
Tafseer (तफ़सीर )
७९

كَانُوْا لَا يَتَنَاهَوْنَ عَنْ مُّنْكَرٍ فَعَلُوْهُۗ لَبِئْسَ مَا كَانُوْا يَفْعَلُوْنَ ٧٩

kānū
كَانُوا۟
थे वो
لَا
ना वो रोकते एक दूसरे को
yatanāhawna
يَتَنَاهَوْنَ
ना वो रोकते एक दूसरे को
ʿan
عَن
किसी बुराई से
munkarin
مُّنكَرٍ
किसी बुराई से
faʿalūhu
فَعَلُوهُۚ
वो करते थे जिसे
labi'sa
لَبِئْسَ
अलबत्ता कितना बुरा है
مَا
जो
kānū
كَانُوا۟
थे वो
yafʿalūna
يَفْعَلُونَ
वो करते
जो बुरा काम वे करते थे, उससे वे एक-दूसरे को रोकते न थे। निश्चय ही बहुत ही बुरा था, जो वे कर रहे थे ([५] अल-माइदा: 79)
Tafseer (तफ़सीर )
८०

تَرٰى كَثِيْرًا مِّنْهُمْ يَتَوَلَّوْنَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا ۗ لَبِئْسَ مَا قَدَّمَتْ لَهُمْ اَنْفُسُهُمْ اَنْ سَخِطَ اللّٰهُ عَلَيْهِمْ وَفِى الْعَذَابِ هُمْ خٰلِدُوْنَ ٨٠

tarā
تَرَىٰ
आप देखेंगे
kathīran
كَثِيرًا
कसीर तादाद को
min'hum
مِّنْهُمْ
उनमें से
yatawallawna
يَتَوَلَّوْنَ
वो दोस्ती करते हैं
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनसे जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟ۚ
कुफ़्र किया
labi'sa
لَبِئْسَ
अलबत्ता कितना बुरा है
مَا
जो
qaddamat
قَدَّمَتْ
आगे भेजा
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
anfusuhum
أَنفُسُهُمْ
उनके नफ़्सों ने
an
أَن
ये कि
sakhiṭa
سَخِطَ
नाराज़ हुआ
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर
wafī
وَفِى
और अज़ाब में
l-ʿadhābi
ٱلْعَذَابِ
और अज़ाब में
hum
هُمْ
वो
khālidūna
خَٰلِدُونَ
हमेशा रहने वाले हैं
तुम उनमें से बहुतेरे लोगों को देखते हो जो इनकार करनेवालो से मित्रता रखते है। निश्चय ही बहुत बुरा है, जो उन्होंने अपने आगे रखा है। अल्लाह का उनपर प्रकोप हुआ और यातना में वे सदैव ग्रस्त रहेंगे ([५] अल-माइदा: 80)
Tafseer (तफ़सीर )