وَحَسِبُوْٓا اَلَّا تَكُوْنَ فِتْنَةٌ فَعَمُوْا وَصَمُّوْا ثُمَّ تَابَ اللّٰهُ عَلَيْهِمْ ثُمَّ عَمُوْا وَصَمُّوْا كَثِيْرٌ مِّنْهُمْۗ وَاللّٰهُ بَصِيْرٌۢ بِمَا يَعْمَلُوْنَ ٧١
- waḥasibū
- وَحَسِبُوٓا۟
- और उन्होंने समझा
- allā
- أَلَّا
- कि ना
- takūna
- تَكُونَ
- होगा
- fit'natun
- فِتْنَةٌ
- कोई फ़ितना
- faʿamū
- فَعَمُوا۟
- तो वो अन्धे हो गए
- waṣammū
- وَصَمُّوا۟
- और वो बहरे हो गए
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- tāba
- تَابَ
- मेहरबान हुआ
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْ
- उन पर
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- ʿamū
- عَمُوا۟
- वो अन्धे हो गए
- waṣammū
- وَصَمُّوا۟
- और बहरे हो गए
- kathīrun
- كَثِيرٌ
- अक्सर
- min'hum
- مِّنْهُمْۚ
- उनमें से
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- baṣīrun
- بَصِيرٌۢ
- ख़ूब देखने वाला है
- bimā
- بِمَا
- उसको जो
- yaʿmalūna
- يَعْمَلُونَ
- वो अमल करते हैं
और उन्होंने समझा कि कोई आपदा न आएगी; इसलिए वे अंधे और बहरे बन गए। फिर अल्लाह ने उनपर दयादृष्टि की, फिर भी उनमें से बहुत-से अंधे और बहरे हो गए। अल्लाह देख रहा है, जो कुछ वे करते है ([५] अल-माइदा: 71)Tafseer (तफ़सीर )
لَقَدْ كَفَرَ الَّذِيْنَ قَالُوْٓا اِنَّ اللّٰهَ هُوَ الْمَسِيْحُ ابْنُ مَرْيَمَ ۗوَقَالَ الْمَسِيْحُ يٰبَنِيْٓ اِسْرَاۤءِيْلَ اعْبُدُوا اللّٰهَ رَبِّيْ وَرَبَّكُمْ ۗاِنَّهٗ مَنْ يُّشْرِكْ بِاللّٰهِ فَقَدْ حَرَّمَ اللّٰهُ عَلَيْهِ الْجَنَّةَ وَمَأْوٰىهُ النَّارُ ۗوَمَا لِلظّٰلِمِيْنَ مِنْ اَنْصَارٍ ٧٢
- laqad
- لَقَدْ
- अलबत्ता तहक़ीक़
- kafara
- كَفَرَ
- कुफ़्र किया
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन लोगों ने
- qālū
- قَالُوٓا۟
- जिन्होंने कहा
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- huwa
- هُوَ
- वो ही
- l-masīḥu
- ٱلْمَسِيحُ
- मसीह इब्ने मरियम है
- ub'nu
- ٱبْنُ
- मसीह इब्ने मरियम है
- maryama
- مَرْيَمَۖ
- मसीह इब्ने मरियम है
- waqāla
- وَقَالَ
- और कहा था
- l-masīḥu
- ٱلْمَسِيحُ
- मसीह ने
- yābanī
- يَٰبَنِىٓ
- ऐ बनी इस्राईल
- is'rāīla
- إِسْرَٰٓءِيلَ
- ऐ बनी इस्राईल
- uʿ'budū
- ٱعْبُدُوا۟
- इबादत करो
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह की
- rabbī
- رَبِّى
- जो रब है मेरा
- warabbakum
- وَرَبَّكُمْۖ
- और रब है तुम्हारा
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- man
- مَن
- जो
- yush'rik
- يُشْرِكْ
- शिर्क करे
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- साथ अल्लाह के
- faqad
- فَقَدْ
- तो तहक़ीक़
- ḥarrama
- حَرَّمَ
- हराम ठहरा दी
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- उस पर
- l-janata
- ٱلْجَنَّةَ
- जन्नत
- wamawāhu
- وَمَأْوَىٰهُ
- और ठिकाना उसका
- l-nāru
- ٱلنَّارُۖ
- आग है
- wamā
- وَمَا
- और नहीं है
- lilẓẓālimīna
- لِلظَّٰلِمِينَ
- ज़लिमों के लिए
- min
- مِنْ
- कोई मददगार
- anṣārin
- أَنصَارٍ
- कोई मददगार
निश्चय ही उन्होंने (सत्य का) इनकार किया, जिन्होंने कहा, 'अल्लाह मरयम का बेटा मसीह ही है।' जब मसीह ने कहा था, 'ऐ इसराईल की सन्तान! अल्लाह की बन्दगी करो, जो मेरा भी रब है और तुम्हारा भी रब है। जो कोई अल्लाह का साझी ठहराएगा, उसपर तो अल्लाह ने जन्नत हराम कर दी है और उसका ठिकाना आग है। अत्याचारियों को कोई सहायक नहीं।' ([५] अल-माइदा: 72)Tafseer (तफ़सीर )
لَقَدْ كَفَرَ الَّذِيْنَ قَالُوْٓا اِنَّ اللّٰهَ ثَالِثُ ثَلٰثَةٍ ۘ وَمَا مِنْ اِلٰهٍ اِلَّآ اِلٰهٌ وَّاحِدٌ ۗوَاِنْ لَّمْ يَنْتَهُوْا عَمَّا يَقُوْلُوْنَ لَيَمَسَّنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا مِنْهُمْ عَذَابٌ اَلِيْمٌ ٧٣
- laqad
- لَّقَدْ
- अलबत्ता तहक़ीक़
- kafara
- كَفَرَ
- कुफ़्र किया
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन लोगों ने
- qālū
- قَالُوٓا۟
- जिन्होंने कहा
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- thālithu
- ثَالِثُ
- तीसरा है
- thalāthatin
- ثَلَٰثَةٍۘ
- तीन का
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- min
- مِنْ
- कोई इलाह (बरहक़)
- ilāhin
- إِلَٰهٍ
- कोई इलाह (बरहक़)
- illā
- إِلَّآ
- मगर
- ilāhun
- إِلَٰهٌ
- इलाह
- wāḥidun
- وَٰحِدٌۚ
- एक ही
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- lam
- لَّمْ
- ना
- yantahū
- يَنتَهُوا۟
- वो बाज़ आए
- ʿammā
- عَمَّا
- उससे जो
- yaqūlūna
- يَقُولُونَ
- वो कहते हैं
- layamassanna
- لَيَمَسَّنَّ
- अलबत्ता ज़रूर पहुँचेगा
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनको जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- min'hum
- مِنْهُمْ
- उनमें से
- ʿadhābun
- عَذَابٌ
- अज़ाब
- alīmun
- أَلِيمٌ
- दर्दनाक
निश्चय ही उन्होंने इनकार किया, जिन्होंने कहा, 'अल्लाह तीन में का एक है।' हालाँकि अकेले पूज्य के अतिरिक्त कोई पूज्य नहीं। जो कुछ वे कहते है यदि इससे बाज़ न आएँ तो उनमें से जिन्होंने इनकार किया है, उन्हें दुखद यातना पहुँचकर रहेगी ([५] अल-माइदा: 73)Tafseer (तफ़सीर )
اَفَلَا يَتُوْبُوْنَ اِلَى اللّٰهِ وَيَسْتَغْفِرُوْنَهٗۗ وَاللّٰهُ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ٧٤
- afalā
- أَفَلَا
- क्या भला नहीं
- yatūbūna
- يَتُوبُونَ
- वो तौबा करेंगे
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ अल्लाह के
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- तरफ़ अल्लाह के
- wayastaghfirūnahu
- وَيَسْتَغْفِرُونَهُۥۚ
- और वो बख़्शिश माँगेंगे उससे
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- ghafūrun
- غَفُورٌ
- बहुत बख़्शने वाला है
- raḥīmun
- رَّحِيمٌ
- निहायत रहम करने वाला है
फिर क्या वे लोग अल्लाह की ओर नहीं पलटेंगे और उससे क्षमा याचना नहीं करेंगे, जबकि अल्लाह बड़ा क्षमाशील, दयावान है ([५] अल-माइदा: 74)Tafseer (तफ़सीर )
مَا الْمَسِيْحُ ابْنُ مَرْيَمَ اِلَّا رَسُوْلٌۚ قَدْ خَلَتْ مِنْ قَبْلِهِ الرُّسُلُۗ وَاُمُّهٗ صِدِّيْقَةٌ ۗ كَانَا يَأْكُلَانِ الطَّعَامَ ۗ اُنْظُرْ كَيْفَ نُبَيِّنُ لَهُمُ الْاٰيٰتِ ثُمَّ انْظُرْ اَنّٰى يُؤْفَكُوْنَ ٧٥
- mā
- مَّا
- नहीं
- l-masīḥu
- ٱلْمَسِيحُ
- मसीह इब्ने मरियम
- ub'nu
- ٱبْنُ
- मसीह इब्ने मरियम
- maryama
- مَرْيَمَ
- मसीह इब्ने मरियम
- illā
- إِلَّا
- मगर
- rasūlun
- رَسُولٌ
- एक रसूल
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- khalat
- خَلَتْ
- गुज़र चुके
- min
- مِن
- उससे क़ब्ल
- qablihi
- قَبْلِهِ
- उससे क़ब्ल
- l-rusulu
- ٱلرُّسُلُ
- कई रसूल
- wa-ummuhu
- وَأُمُّهُۥ
- और उसकी माँ
- ṣiddīqatun
- صِدِّيقَةٌۖ
- बहुत सच्ची थी
- kānā
- كَانَا
- थे वो
- yakulāni
- يَأْكُلَانِ
- वो दोनों खाया करते
- l-ṭaʿāma
- ٱلطَّعَامَۗ
- खाना
- unẓur
- ٱنظُرْ
- देखिए
- kayfa
- كَيْفَ
- किस तरह
- nubayyinu
- نُبَيِّنُ
- हम वाज़ेह करते हैं
- lahumu
- لَهُمُ
- उनके लिए
- l-āyāti
- ٱلْءَايَٰتِ
- आयात
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- unẓur
- ٱنظُرْ
- देखिए
- annā
- أَنَّىٰ
- कहाँ से
- yu'fakūna
- يُؤْفَكُونَ
- वो फेरे जाते हैं
मरयम का बेटा मसीह एक रसूल के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं। उससे पहले भी बहुत-से रसूल गुज़र चुके हैं। उसकी माण अत्यन्त सत्यवती थी। दोनों ही भोजन करते थे। देखो, हम किस प्रकार उनके सामने निशानियाँ स्पष्ट करते है; फिर देखो, ये किस प्रकार उलटे फिरे जा रहे है! ([५] अल-माइदा: 75)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ اَتَعْبُدُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ مَا لَا يَمْلِكُ لَكُمْ ضَرًّا وَّلَا نَفْعًا ۗوَاللّٰهُ هُوَ السَّمِيْعُ الْعَلِيْمُ ٧٦
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- ataʿbudūna
- أَتَعْبُدُونَ
- क्या तुम इबादत करते हो
- min
- مِن
- सिवाय
- dūni
- دُونِ
- सिवाय
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- mā
- مَا
- उसकी जो
- lā
- لَا
- नहीं मिल्कियत रखता
- yamliku
- يَمْلِكُ
- नहीं मिल्कियत रखता
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- ḍarran
- ضَرًّا
- किसी नुक़सान का
- walā
- وَلَا
- और ना
- nafʿan
- نَفْعًاۚ
- किसी नफ़ा के
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- huwa
- هُوَ
- वो ही है
- l-samīʿu
- ٱلسَّمِيعُ
- ख़ूब सुनने वाला
- l-ʿalīmu
- ٱلْعَلِيمُ
- ख़ूब जानने वाला
कह दो, 'क्या तुम अल्लाह से हटकर उसकी बन्दगी करते हो जो न तुम्हारी हानि का अधिकारी है, न लाभ का? हालाँकि सुननेवाला, जाननेवाला अल्लाह ही है।' ([५] अल-माइदा: 76)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ يٰٓاَهْلَ الْكِتٰبِ لَا تَغْلُوْا فِيْ دِيْنِكُمْ غَيْرَ الْحَقِّ وَلَا تَتَّبِعُوْٓا اَهْوَاۤءَ قَوْمٍ قَدْ ضَلُّوْا مِنْ قَبْلُ وَاَضَلُّوْا كَثِيْرًا وَّضَلُّوْا عَنْ سَوَاۤءِ السَّبِيْلِ ࣖ ٧٧
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- yāahla
- يَٰٓأَهْلَ
- ऐ अहले किताब
- l-kitābi
- ٱلْكِتَٰبِ
- ऐ अहले किताब
- lā
- لَا
- ना तुम ग़ुलुव करो
- taghlū
- تَغْلُوا۟
- ना तुम ग़ुलुव करो
- fī
- فِى
- अपने दीन में
- dīnikum
- دِينِكُمْ
- अपने दीन में
- ghayra
- غَيْرَ
- बग़ैर
- l-ḥaqi
- ٱلْحَقِّ
- हक़ के
- walā
- وَلَا
- और ना
- tattabiʿū
- تَتَّبِعُوٓا۟
- तुम पैरवी करो
- ahwāa
- أَهْوَآءَ
- ख़्वाहिशात की
- qawmin
- قَوْمٍ
- एक क़ौम की
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- ḍallū
- ضَلُّوا۟
- वो गुमराह हो गए
- min
- مِن
- उससे पहले
- qablu
- قَبْلُ
- उससे पहले
- wa-aḍallū
- وَأَضَلُّوا۟
- और उन्होंने गुमराह किया
- kathīran
- كَثِيرًا
- कसीर तादाद को
- waḍallū
- وَضَلُّوا۟
- और वो भटक गए
- ʿan
- عَن
- सीधे रास्ते से
- sawāi
- سَوَآءِ
- सीधे रास्ते से
- l-sabīli
- ٱلسَّبِيلِ
- सीधे रास्ते से
कह दो, 'ऐ किताबवालो! अपने धर्म में नाहक़ हद से आगे न बढ़ो और उन लोगों की इच्छाओं का पालन न करो, जो इससे पहले स्वयं पथभ्रष्ट हुए और बहुतो को पथभ्रष्ट किया और सीधे मार्ग से भटक गए ([५] अल-माइदा: 77)Tafseer (तफ़सीर )
لُعِنَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا مِنْۢ بَنِيْٓ اِسْرَاۤءِيْلَ عَلٰى لِسَانِ دَاوٗدَ وَعِيْسَى ابْنِ مَرْيَمَ ۗذٰلِكَ بِمَا عَصَوْا وَّكَانُوْا يَعْتَدُوْنَ ٧٨
- luʿina
- لُعِنَ
- लानत किए गए
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- min
- مِنۢ
- बनी इस्राईल में से
- banī
- بَنِىٓ
- बनी इस्राईल में से
- is'rāīla
- إِسْرَٰٓءِيلَ
- बनी इस्राईल में से
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ज़बान पर
- lisāni
- لِسَانِ
- ज़बान पर
- dāwūda
- دَاوُۥدَ
- दाऊद की
- waʿīsā
- وَعِيسَى
- और ईसा इब्ने मरियम की
- ib'ni
- ٱبْنِ
- और ईसा इब्ने मरियम की
- maryama
- مَرْيَمَۚ
- और ईसा इब्ने मरियम की
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- bimā
- بِمَا
- बवजह उसके जो
- ʿaṣaw
- عَصَوا۟
- उन्होंने नाफ़रमानी की
- wakānū
- وَّكَانُوا۟
- और थे वो
- yaʿtadūna
- يَعْتَدُونَ
- वो हद से बढ़ जाते
इसराईल की सन्तान में से जिन लोगों ने इनकार किया, उनपर दाऊद और मरयम के बेटे ईसा की ज़बान से फिटकार पड़ी, क्योंकि उन्होंने अवज्ञा की और वे हद से आगे बढ़े जा रहे थे ([५] अल-माइदा: 78)Tafseer (तफ़सीर )
كَانُوْا لَا يَتَنَاهَوْنَ عَنْ مُّنْكَرٍ فَعَلُوْهُۗ لَبِئْسَ مَا كَانُوْا يَفْعَلُوْنَ ٧٩
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- lā
- لَا
- ना वो रोकते एक दूसरे को
- yatanāhawna
- يَتَنَاهَوْنَ
- ना वो रोकते एक दूसरे को
- ʿan
- عَن
- किसी बुराई से
- munkarin
- مُّنكَرٍ
- किसी बुराई से
- faʿalūhu
- فَعَلُوهُۚ
- वो करते थे जिसे
- labi'sa
- لَبِئْسَ
- अलबत्ता कितना बुरा है
- mā
- مَا
- जो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- yafʿalūna
- يَفْعَلُونَ
- वो करते
जो बुरा काम वे करते थे, उससे वे एक-दूसरे को रोकते न थे। निश्चय ही बहुत ही बुरा था, जो वे कर रहे थे ([५] अल-माइदा: 79)Tafseer (तफ़सीर )
تَرٰى كَثِيْرًا مِّنْهُمْ يَتَوَلَّوْنَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا ۗ لَبِئْسَ مَا قَدَّمَتْ لَهُمْ اَنْفُسُهُمْ اَنْ سَخِطَ اللّٰهُ عَلَيْهِمْ وَفِى الْعَذَابِ هُمْ خٰلِدُوْنَ ٨٠
- tarā
- تَرَىٰ
- आप देखेंगे
- kathīran
- كَثِيرًا
- कसीर तादाद को
- min'hum
- مِّنْهُمْ
- उनमें से
- yatawallawna
- يَتَوَلَّوْنَ
- वो दोस्ती करते हैं
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनसे जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟ۚ
- कुफ़्र किया
- labi'sa
- لَبِئْسَ
- अलबत्ता कितना बुरा है
- mā
- مَا
- जो
- qaddamat
- قَدَّمَتْ
- आगे भेजा
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- anfusuhum
- أَنفُسُهُمْ
- उनके नफ़्सों ने
- an
- أَن
- ये कि
- sakhiṭa
- سَخِطَ
- नाराज़ हुआ
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْ
- उन पर
- wafī
- وَفِى
- और अज़ाब में
- l-ʿadhābi
- ٱلْعَذَابِ
- और अज़ाब में
- hum
- هُمْ
- वो
- khālidūna
- خَٰلِدُونَ
- हमेशा रहने वाले हैं
तुम उनमें से बहुतेरे लोगों को देखते हो जो इनकार करनेवालो से मित्रता रखते है। निश्चय ही बहुत बुरा है, जो उन्होंने अपने आगे रखा है। अल्लाह का उनपर प्रकोप हुआ और यातना में वे सदैव ग्रस्त रहेंगे ([५] अल-माइदा: 80)Tafseer (तफ़सीर )