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सूरा अल-माइदा - Page: 6

Al-Ma'idah

(मेज़)

५१

۞ يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا تَتَّخِذُوا الْيَهُوْدَ وَالنَّصٰرٰٓى اَوْلِيَاۤءَ ۘ بَعْضُهُمْ اَوْلِيَاۤءُ بَعْضٍۗ وَمَنْ يَّتَوَلَّهُمْ مِّنْكُمْ فَاِنَّهٗ مِنْهُمْ ۗ اِنَّ اللّٰهَ لَا يَهْدِى الْقَوْمَ الظّٰلِمِيْنَ ٥١

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
لَا
ना तुम बनाओ
tattakhidhū
تَتَّخِذُوا۟
ना तुम बनाओ
l-yahūda
ٱلْيَهُودَ
यहूद
wal-naṣārā
وَٱلنَّصَٰرَىٰٓ
और नसारा को
awliyāa
أَوْلِيَآءَۘ
दोस्त
baʿḍuhum
بَعْضُهُمْ
बाज़ उनके
awliyāu
أَوْلِيَآءُ
दोस्त हैं
baʿḍin
بَعْضٍۚ
बाज़ के
waman
وَمَن
और जो कोई
yatawallahum
يَتَوَلَّهُم
दोस्त बनाएगा उन्हें
minkum
مِّنكُمْ
तुम में से
fa-innahu
فَإِنَّهُۥ
पस बेशक वो
min'hum
مِنْهُمْۗ
उन्हीं में से हैं
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
لَا
नहीं वो हिदायत देता
yahdī
يَهْدِى
नहीं वो हिदायत देता
l-qawma
ٱلْقَوْمَ
उन लोगों को
l-ẓālimīna
ٱلظَّٰلِمِينَ
जो ज़ालिम हैं
ऐ ईमान लानेवालो! तुम यहूदियों और ईसाइयों को अपना मित्र (राज़दार) न बनाओ। वे (तुम्हारे विरुद्ध) परस्पर एक-दूसरे के मित्र है। तुममें से जो कोई उनको अपना मित्र बनाएगा, वह उन्हीं लोगों में से होगा। निस्संदेह अल्लाह अत्याचारियों को मार्ग नहीं दिखाता ([५] अल-माइदा: 51)
Tafseer (तफ़सीर )
५२

فَتَرَى الَّذِيْنَ فِيْ قُلُوْبِهِمْ مَّرَضٌ يُّسَارِعُوْنَ فِيْهِمْ يَقُوْلُوْنَ نَخْشٰٓى اَنْ تُصِيْبَنَا دَاۤىِٕرَةٌ ۗفَعَسَى اللّٰهُ اَنْ يَّأْتِيَ بِالْفَتْحِ اَوْ اَمْرٍ مِّنْ عِنْدِهٖ فَيُصْبِحُوْا عَلٰى مَآ اَسَرُّوْا فِيْٓ اَنْفُسِهِمْ نٰدِمِيْنَۗ ٥٢

fatarā
فَتَرَى
फिर आप देखेंगे
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन्हें
فِى
दिलों में जिनके
qulūbihim
قُلُوبِهِم
दिलों में जिनके
maraḍun
مَّرَضٌ
बीमारी है
yusāriʿūna
يُسَٰرِعُونَ
वो दौड़ धूप करते हैं
fīhim
فِيهِمْ
उनमें
yaqūlūna
يَقُولُونَ
वो कहते हैं
nakhshā
نَخْشَىٰٓ
हम डरते हैं
an
أَن
कि
tuṣībanā
تُصِيبَنَا
पहुँचेगी हमें
dāiratun
دَآئِرَةٌۚ
कोई गर्दिश/मुसीबत
faʿasā
فَعَسَى
तो उम्मीद है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
an
أَن
कि
yatiya
يَأْتِىَ
वो ले आए
bil-fatḥi
بِٱلْفَتْحِ
फ़तह
aw
أَوْ
या
amrin
أَمْرٍ
कोई हुक्म
min
مِّنْ
अपनी तरफ़ से
ʿindihi
عِندِهِۦ
अपनी तरफ़ से
fayuṣ'biḥū
فَيُصْبِحُوا۟
फिर वो हो जाऐं
ʿalā
عَلَىٰ
उस पर
مَآ
जो
asarrū
أَسَرُّوا۟
उन्होंने छुपाया
فِىٓ
अपने नफ़्सों में
anfusihim
أَنفُسِهِمْ
अपने नफ़्सों में
nādimīna
نَٰدِمِينَ
नादिम
तो तुम देखते हो कि जिन लोगों के दिलों में रोग है, वे उनके यहाँ जाकर उनके बीच दौड़-धूप कर रहे है। वे कहते है, 'हमें भय है कि कहीं हम किसी संकट में न ग्रस्त हो जाएँ।' तो सम्भव है कि जल्द ही अल्लाह (तुम्हे) विजय प्रदान करे या उसकी ओर से कोई और बात प्रकट हो। फिर तो ये लोग जो कुछ अपने जी में छिपाए हुए है, उसपर लज्जित होंगे ([५] अल-माइदा: 52)
Tafseer (तफ़सीर )
५३

وَيَقُوْلُ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اَهٰٓؤُلَاۤءِ الَّذِيْنَ اَقْسَمُوْا بِاللّٰهِ جَهْدَ اَيْمَانِهِمْۙ اِنَّهُمْ لَمَعَكُمْۗ حَبِطَتْ اَعْمَالُهُمْ فَاَصْبَحُوْا خٰسِرِيْنَ ٥٣

wayaqūlu
وَيَقُولُ
और कहते हैं
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
āmanū
ءَامَنُوٓا۟
ईमान लाए
ahāulāi
أَهَٰٓؤُلَآءِ
क्या ये हैं
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
aqsamū
أَقْسَمُوا۟
क़समें खाईं
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह की
jahda
جَهْدَ
पक्की
aymānihim
أَيْمَٰنِهِمْۙ
क़समें अपनी
innahum
إِنَّهُمْ
कि बेशक वो
lamaʿakum
لَمَعَكُمْۚ
अलबत्ता साथ हैं तुम्हारे
ḥabiṭat
حَبِطَتْ
ज़ाया हो गए
aʿmāluhum
أَعْمَٰلُهُمْ
आमाल उनके
fa-aṣbaḥū
فَأَصْبَحُوا۟
पस वो हो गए
khāsirīna
خَٰسِرِينَ
ख़सारा पाने वाले
उस समय ईमानवाले कहेंगे, 'क्या ये वही लोग है जो अल्लाह की कड़ी-कड़ी क़समें खाकर विश्वास दिलाते थे कि हम तुम्हारे साथ है?' इनका किया-धरा सब अकारथ गया और ये घाटे में पड़कर रहे ([५] अल-माइदा: 53)
Tafseer (तफ़सीर )
५४

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا مَنْ يَّرْتَدَّ مِنْكُمْ عَنْ دِيْنِهٖ فَسَوْفَ يَأْتِى اللّٰهُ بِقَوْمٍ يُّحِبُّهُمْ وَيُحِبُّوْنَهٗٓ ۙاَذِلَّةٍ عَلَى الْمُؤْمِنِيْنَ اَعِزَّةٍ عَلَى الْكٰفِرِيْنَۖ يُجَاهِدُوْنَ فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ وَلَا يَخَافُوْنَ لَوْمَةَ لَاۤىِٕمٍ ۗذٰلِكَ فَضْلُ اللّٰهِ يُؤْتِيْهِ مَنْ يَّشَاۤءُۗ وَاللّٰهُ وَاسِعٌ عَلِيْمٌ ٥٤

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
man
مَن
जो कोई
yartadda
يَرْتَدَّ
फिर जाएगा
minkum
مِنكُمْ
तुम में से
ʿan
عَن
अपने दीन से
dīnihi
دِينِهِۦ
अपने दीन से
fasawfa
فَسَوْفَ
तो अनक़रीब
yatī
يَأْتِى
ले आएगा
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
biqawmin
بِقَوْمٍ
ऐसे लोग
yuḥibbuhum
يُحِبُّهُمْ
वो मोहब्बत करेगा उनसे
wayuḥibbūnahu
وَيُحِبُّونَهُۥٓ
और वो मोहब्बत करेंगे उससे
adhillatin
أَذِلَّةٍ
बहुत नर्म (होंगे)
ʿalā
عَلَى
मोमिनों पर
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَ
मोमिनों पर
aʿizzatin
أَعِزَّةٍ
बहुत सख़्त
ʿalā
عَلَى
काफ़िरों पर
l-kāfirīna
ٱلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों पर
yujāhidūna
يُجَٰهِدُونَ
वो जिहाद करेंगे
فِى
अल्लाह के रास्ते में
sabīli
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते में
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के रास्ते में
walā
وَلَا
और ना
yakhāfūna
يَخَافُونَ
वो डरेंगे
lawmata
لَوْمَةَ
मलामत से
lāimin
لَآئِمٍۚ
मलामत करने वाले की
dhālika
ذَٰلِكَ
ये
faḍlu
فَضْلُ
फ़ज़ल है
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
yu'tīhi
يُؤْتِيهِ
वो देता है उसे
man
مَن
जिसे
yashāu
يَشَآءُۚ
वो चाहता है
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
wāsiʿun
وَٰسِعٌ
वुसअत वाला है
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब इल्म वाला है
ऐ ईमान लानेवालो! तुममें से जो कोई अपने धर्म से फिरेगा तो अल्लाह जल्द ही ऐसे लोगों को लाएगा जिनसे उसे प्रेम होगा और जो उससे प्रेम करेंगे। वे ईमानवालों के प्रति नरम और अविश्वासियों के प्रति कठोर होंगे। अल्लाह की राह में जी-तोड़ कोशिश करेंगे और किसी भर्त्सना करनेवाले की भर्त्सना से न डरेंगे। यह अल्लाह का उदार अनुग्रह है, जिसे चाहता है प्रदान करता है। अल्लाह बड़ी समाईवाला, सर्वज्ञ है ([५] अल-माइदा: 54)
Tafseer (तफ़सीर )
५५

اِنَّمَا وَلِيُّكُمُ اللّٰهُ وَرَسُوْلُهٗ وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوا الَّذِيْنَ يُقِيْمُوْنَ الصَّلٰوةَ وَيُؤْتُوْنَ الزَّكٰوةَ وَهُمْ رَاكِعُوْنَ ٥٥

innamā
إِنَّمَا
बेशक
waliyyukumu
وَلِيُّكُمُ
दोस्त तुम्हारा
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह है
warasūluhu
وَرَسُولُهُۥ
और उसका रसूल
wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
yuqīmūna
يُقِيمُونَ
क़ायम करते हैं
l-ṣalata
ٱلصَّلَوٰةَ
नमाज़
wayu'tūna
وَيُؤْتُونَ
और वो देते हैं
l-zakata
ٱلزَّكَوٰةَ
ज़कात
wahum
وَهُمْ
और वो
rākiʿūna
رَٰكِعُونَ
रुकुअ करने वाले हैं
तुम्हारे मित्र को केवल अल्लाह और उसका रसूल और वे ईमानवाले है; जो विनम्रता के साथ नमाज़ क़ायम करते है और ज़कात देते है ([५] अल-माइदा: 55)
Tafseer (तफ़सीर )
५६

وَمَنْ يَّتَوَلَّ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا فَاِنَّ حِزْبَ اللّٰهِ هُمُ الْغٰلِبُوْنَ ࣖ ٥٦

waman
وَمَن
और जो कोई
yatawalla
يَتَوَلَّ
दोस्ती करेगा
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह से
warasūlahu
وَرَسُولَهُۥ
और उसके रसूलों से
wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और उनसे जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
fa-inna
فَإِنَّ
तो बेशक
ḥiz'ba
حِزْبَ
गिरोह
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
humu
هُمُ
वो ही
l-ghālibūna
ٱلْغَٰلِبُونَ
ग़ालिब आने वाले हैं
अब जो कोई अल्लाह और उसके रसूल और ईमानवालों को अपना मित्र बनाए, तो निश्चय ही अल्लाह का गिरोह प्रभावी होकर रहेगा ([५] अल-माइदा: 56)
Tafseer (तफ़सीर )
५७

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا تَتَّخِذُوا الَّذِيْنَ اتَّخَذُوْا دِيْنَكُمْ هُزُوًا وَّلَعِبًا مِّنَ الَّذِيْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ مِنْ قَبْلِكُمْ وَالْكُفَّارَ اَوْلِيَاۤءَۚ وَاتَّقُوا اللّٰهَ اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِيْنَ ٥٧

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
لَا
ना तुम बनाओ
tattakhidhū
تَتَّخِذُوا۟
ना तुम बनाओ
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनको जिन्होंने
ittakhadhū
ٱتَّخَذُوا۟
बना लिया
dīnakum
دِينَكُمْ
तुम्हारे दीन को
huzuwan
هُزُوًا
मज़ाक़
walaʿiban
وَلَعِبًا
और खेल
mina
مِّنَ
उनमें से जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनमें से जो
ūtū
أُوتُوا۟
दिए गए
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَ
किताब
min
مِن
तुम से पहले
qablikum
قَبْلِكُمْ
तुम से पहले
wal-kufāra
وَٱلْكُفَّارَ
और काफ़िरों को
awliyāa
أَوْلِيَآءَۚ
दोस्त
wa-ittaqū
وَٱتَّقُوا۟
और डरो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह से
in
إِن
अगर
kuntum
كُنتُم
हो तुम
mu'minīna
مُّؤْمِنِينَ
ईमान लाने वाले
ऐ ईमान लानेवालो! तुमसे पहले जिनको किताब दी गई थी, जिन्होंने तुम्हारे धर्म को हँसी-खेल बना लिया है, उन्हें और इनकार करनेवालों को अपना मित्र न बनाओ। और अल्लाह का डर रखों यदि तुम ईमानवाले हो ([५] अल-माइदा: 57)
Tafseer (तफ़सीर )
५८

وَاِذَا نَادَيْتُمْ اِلَى الصَّلٰوةِ اتَّخَذُوْهَا هُزُوًا وَّلَعِبًا ۗذٰلِكَ بِاَ نَّهُمْ قَوْمٌ لَّا يَعْقِلُوْنَ ٥٨

wa-idhā
وَإِذَا
और जब
nādaytum
نَادَيْتُمْ
पुकारते हो तुम
ilā
إِلَى
तरफ़ नमाज़ के
l-ṣalati
ٱلصَّلَوٰةِ
तरफ़ नमाज़ के
ittakhadhūhā
ٱتَّخَذُوهَا
वो बना लेते हैं उसे
huzuwan
هُزُوًا
मज़ाक़
walaʿiban
وَلَعِبًاۚ
और खेल
dhālika
ذَٰلِكَ
ये
bi-annahum
بِأَنَّهُمْ
बवजह उसके कि वो
qawmun
قَوْمٌ
ऐसे लोग हैं
لَّا
जो अक़्ल नहीं रखते
yaʿqilūna
يَعْقِلُونَ
जो अक़्ल नहीं रखते
जब तुम नमाज़ के लिए पुकारते हो तो वे उसे हँसी और खेल बना लेते है। इसका कारण यह है कि वे बुद्धिहीन लोग है ([५] अल-माइदा: 58)
Tafseer (तफ़सीर )
५९

قُلْ يٰٓاَهْلَ الْكِتٰبِ هَلْ تَنْقِمُوْنَ مِنَّآ اِلَّآ اَنْ اٰمَنَّا بِاللّٰهِ وَمَآ اُنْزِلَ اِلَيْنَا وَمَآ اُنْزِلَ مِنْ قَبْلُۙ وَاَنَّ اَكْثَرَكُمْ فٰسِقُوْنَ ٥٩

qul
قُلْ
कह दीजिए
yāahla
يَٰٓأَهْلَ
ऐ अहले किताब
l-kitābi
ٱلْكِتَٰبِ
ऐ अहले किताब
hal
هَلْ
नहीं
tanqimūna
تَنقِمُونَ
तुम बैर/दुश्मनी रखते
minnā
مِنَّآ
हमसे
illā
إِلَّآ
मगर
an
أَنْ
ये कि
āmannā
ءَامَنَّا
ईमान लाए हम
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
wamā
وَمَآ
और जो कुछ
unzila
أُنزِلَ
नाज़िल किया गया
ilaynā
إِلَيْنَا
तरफ़ हमारे
wamā
وَمَآ
और जो कुछ
unzila
أُنزِلَ
नाज़िल किया गया
min
مِن
इससे पहले
qablu
قَبْلُ
इससे पहले
wa-anna
وَأَنَّ
और बेशक
aktharakum
أَكْثَرَكُمْ
अक्सर तुम्हारे
fāsiqūna
فَٰسِقُونَ
फ़ासिक़ हैं
कहो, 'ऐ किताबवालों! क्या इसके सिवा हमारी कोई और बात तुम्हें बुरी लगती है कि हम अल्लाह और उस चीज़ पर ईमान लाए, जो हमारी ओर उतारी गई, और जो पहले उतारी जा चुकी है? और यह कि तुममें से अधिकांश लोग अवज्ञाकारी है।' ([५] अल-माइदा: 59)
Tafseer (तफ़सीर )
६०

قُلْ هَلْ اُنَبِّئُكُمْ بِشَرٍّ مِّنْ ذٰلِكَ مَثُوْبَةً عِنْدَ اللّٰهِ ۗمَنْ لَّعَنَهُ اللّٰهُ وَغَضِبَ عَلَيْهِ وَجَعَلَ مِنْهُمُ الْقِرَدَةَ وَالْخَنَازِيْرَ وَعَبَدَ الطَّاغُوْتَۗ اُولٰۤىِٕكَ شَرٌّ مَّكَانًا وَّاَضَلُّ عَنْ سَوَاۤءِ السَّبِيْلِ ٦٠

qul
قُلْ
कह दीजिए
hal
هَلْ
क्या
unabbi-ukum
أُنَبِّئُكُم
मैं बताऊँ तुम्हें
bisharrin
بِشَرٍّ
बदतर
min
مِّن
उससे
dhālika
ذَٰلِكَ
उससे
mathūbatan
مَثُوبَةً
बदले के ऐतबार से
ʿinda
عِندَ
अल्लाह के नज़दीक
l-lahi
ٱللَّهِۚ
अल्लाह के नज़दीक
man
مَن
वो जो
laʿanahu
لَّعَنَهُ
लानत की हो उस पर
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
waghaḍiba
وَغَضِبَ
और वो ग़ज़बनाक हुआ
ʿalayhi
عَلَيْهِ
उस पर
wajaʿala
وَجَعَلَ
और उसने बनाए
min'humu
مِنْهُمُ
उनमें से
l-qiradata
ٱلْقِرَدَةَ
बन्दर
wal-khanāzīra
وَٱلْخَنَازِيرَ
और ख़िन्ज़ीर
waʿabada
وَعَبَدَ
और जिसने बंदगी की
l-ṭāghūta
ٱلطَّٰغُوتَۚ
ताग़ूत की
ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग
sharrun
شَرٌّ
बदतरीन हैं
makānan
مَّكَانًا
दर्जे में
wa-aḍallu
وَأَضَلُّ
और ज़्यादा भटके हुए
ʿan
عَن
सीधे रास्ते से
sawāi
سَوَآءِ
सीधे रास्ते से
l-sabīli
ٱلسَّبِيلِ
सीधे रास्ते से
कहो, 'क्या मैं तुम्हें बताऊँ कि अल्लाह के यहाँ परिणाम की स्पष्ट से इससे भी बुरी नीति क्या है? कौन गिरोह है जिसपर अल्लाह की फिटकार पड़ी और जिसपर अल्लाह का प्रकोप हुआ और जिसमें से उसने बन्दर और सूअर बनाए और जिसने बढ़े हुए फ़सादी (ताग़ूत) की बन्दगी की, वे लोग (तुमसे भी) निकृष्ट दर्जे के थे। और वे (तुमसे भी अधिक) सीधे मार्ग से भटके हुए थे।' ([५] अल-माइदा: 60)
Tafseer (तफ़सीर )