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सूरा अल-माइदा - Page: 4

Al-Ma'idah

(मेज़)

३१

فَبَعَثَ اللّٰهُ غُرَابًا يَّبْحَثُ فِى الْاَرْضِ لِيُرِيَهٗ كَيْفَ يُوَارِيْ سَوْءَةَ اَخِيْهِ ۗ قَالَ يٰوَيْلَتٰٓى اَعَجَزْتُ اَنْ اَكُوْنَ مِثْلَ هٰذَا الْغُرَابِ فَاُوَارِيَ سَوْءَةَ اَخِيْۚ فَاَصْبَحَ مِنَ النّٰدِمِيْنَ ۛ ٣١

fabaʿatha
فَبَعَثَ
फिर भेजा
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
ghurāban
غُرَابًا
एक कौआ
yabḥathu
يَبْحَثُ
वो खोदता था
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
liyuriyahu
لِيُرِيَهُۥ
ताकि वो दिखाए उसे
kayfa
كَيْفَ
किस तरह
yuwārī
يُوَٰرِى
वो छुपाए
sawata
سَوْءَةَ
लाश
akhīhi
أَخِيهِۚ
अपने भाई की
qāla
قَالَ
उसने कहा
yāwaylatā
يَٰوَيْلَتَىٰٓ
हाय अफ़सोस मुझ पर
aʿajaztu
أَعَجَزْتُ
क्या आजिज़ हुआ मैं
an
أَنْ
इससे (भी) कि
akūna
أَكُونَ
मैं हो जाऊँ
mith'la
مِثْلَ
मानिन्द
hādhā
هَٰذَا
इस
l-ghurābi
ٱلْغُرَابِ
कौए के
fa-uwāriya
فَأُوَٰرِىَ
कि मैं छुपाऊँ
sawata
سَوْءَةَ
लाश
akhī
أَخِىۖ
अपने भाई की
fa-aṣbaḥa
فَأَصْبَحَ
तो वो हो गया
mina
مِنَ
नादिम होने वालों में से
l-nādimīna
ٱلنَّٰدِمِينَ
नादिम होने वालों में से
तब अल्लाह ने एक कौआ भेजा जो भूमि कुरेदने लगा, ताकि उसे दिखा दे कि वह अपने भाई के शव को कैसे छिपाए। कहने लगा, 'अफ़सोस मुझ पर! क्या मैं इस कौए जैसा भी न हो सका कि अपने भाई का शव छिपा देता?' फिर वह लज्जित हुआ ([५] अल-माइदा: 31)
Tafseer (तफ़सीर )
३२

مِنْ اَجْلِ ذٰلِكَ ۛ كَتَبْنَا عَلٰى بَنِيْٓ اِسْرَاۤءِيْلَ اَنَّهٗ مَنْ قَتَلَ نَفْسًاۢ بِغَيْرِ نَفْسٍ اَوْ فَسَادٍ فِى الْاَرْضِ فَكَاَنَّمَا قَتَلَ النَّاسَ جَمِيْعًاۗ وَمَنْ اَحْيَاهَا فَكَاَنَّمَآ اَحْيَا النَّاسَ جَمِيْعًا ۗوَلَقَدْ جَاۤءَتْهُمْ رُسُلُنَا بِالْبَيِّنٰتِ ثُمَّ اِنَّ كَثِيْرًا مِّنْهُمْ بَعْدَ ذٰلِكَ فِى الْاَرْضِ لَمُسْرِفُوْنَ ٣٢

min
مِنْ
बवजह
ajli
أَجْلِ
बवजह
dhālika
ذَٰلِكَ
उसके
katabnā
كَتَبْنَا
लिख दिया हमने
ʿalā
عَلَىٰ
बनी इस्राईल पर
banī
بَنِىٓ
बनी इस्राईल पर
is'rāīla
إِسْرَٰٓءِيلَ
बनी इस्राईल पर
annahu
أَنَّهُۥ
कि बेशक वो
man
مَن
जिसने
qatala
قَتَلَ
क़त्ल किया
nafsan
نَفْسًۢا
किसी जान को
bighayri
بِغَيْرِ
बग़ैर
nafsin
نَفْسٍ
किसी जान के
aw
أَوْ
या
fasādin
فَسَادٍ
फ़साद करने के
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
faka-annamā
فَكَأَنَّمَا
तो गोया कि
qatala
قَتَلَ
उसने क़त्ल कर दिया
l-nāsa
ٱلنَّاسَ
लोगों को
jamīʿan
جَمِيعًا
सबके-सबको
waman
وَمَنْ
और जिसने
aḥyāhā
أَحْيَاهَا
ज़िन्दगी बचाई उसकी
faka-annamā
فَكَأَنَّمَآ
तो गोया कि
aḥyā
أَحْيَا
उसने ज़िन्दा किया
l-nāsa
ٱلنَّاسَ
लोगों को
jamīʿan
جَمِيعًاۚ
सबके-सबको
walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
jāathum
جَآءَتْهُمْ
आए उनके पास
rusulunā
رُسُلُنَا
रसूल हमारे
bil-bayināti
بِٱلْبَيِّنَٰتِ
साथ वाज़ेह निशानियों के
thumma
ثُمَّ
फिर
inna
إِنَّ
बेशक
kathīran
كَثِيرًا
बहुत से
min'hum
مِّنْهُم
उनमें से
baʿda
بَعْدَ
बाद
dhālika
ذَٰلِكَ
उसके
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
lamus'rifūna
لَمُسْرِفُونَ
अलबत्ता ज़्यादती करने वाले हैं
इसी कारण हमने इसराईल का सन्तान के लिए लिख दिया था कि जिसने किसी व्यक्ति को किसी के ख़ून का बदला लेने या धरती में फ़साद फैलाने के अतिरिक्त किसी और कारण से मार डाला तो मानो उसने सारे ही इनसानों की हत्या कर डाली। और जिसने उसे जीवन प्रदान किया, उसने मानो सारे इनसानों को जीवन दान किया। उसने पास हमारे रसूल स्पष्टि प्रमाण ला चुके हैं, फिर भी उनमें बहुत-से लोग धरती में ज़्यादतियाँ करनेवाले ही हैं ([५] अल-माइदा: 32)
Tafseer (तफ़सीर )
३३

اِنَّمَا جَزٰۤؤُا الَّذِيْنَ يُحَارِبُوْنَ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ وَيَسْعَوْنَ فِى الْاَرْضِ فَسَادًا اَنْ يُّقَتَّلُوْٓا اَوْ يُصَلَّبُوْٓا اَوْ تُقَطَّعَ اَيْدِيْهِمْ وَاَرْجُلُهُمْ مِّنْ خِلَافٍ اَوْ يُنْفَوْا مِنَ الْاَرْضِۗ ذٰلِكَ لَهُمْ خِزْيٌ فِى الدُّنْيَا وَلَهُمْ فِى الْاٰخِرَةِ عَذَابٌ عَظِيْمٌ ٣٣

innamā
إِنَّمَا
बेशक
jazāu
جَزَٰٓؤُا۟
बदला
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनका जो
yuḥāribūna
يُحَارِبُونَ
जंग करते हैं
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह से
warasūlahu
وَرَسُولَهُۥ
और उसके रसूल से
wayasʿawna
وَيَسْعَوْنَ
और वो दौड़ धूप करते हैं
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
fasādan
فَسَادًا
फ़साद के लिए
an
أَن
ये कि
yuqattalū
يُقَتَّلُوٓا۟
वो क़त्ल कर दिए जाऐं
aw
أَوْ
या
yuṣallabū
يُصَلَّبُوٓا۟
वो सूली चढ़ा दिए जाऐं
aw
أَوْ
या काट दिए जाऐं
tuqaṭṭaʿa
تُقَطَّعَ
या काट दिए जाऐं
aydīhim
أَيْدِيهِمْ
हाथ उनके
wa-arjuluhum
وَأَرْجُلُهُم
और पाँव उनके
min
مِّنْ
मुख़ालिफ़ सिम्त से
khilāfin
خِلَٰفٍ
मुख़ालिफ़ सिम्त से
aw
أَوْ
या वो निकाल दिए जाऐं
yunfaw
يُنفَوْا۟
या वो निकाल दिए जाऐं
mina
مِنَ
उस ज़मीन से
l-arḍi
ٱلْأَرْضِۚ
उस ज़मीन से
dhālika
ذَٰلِكَ
ये
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
khiz'yun
خِزْىٌ
रुस्वाई है
فِى
दुनिया में
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَاۖ
दुनिया में
walahum
وَلَهُمْ
और उनके लिए
فِى
आख़िरत में
l-ākhirati
ٱلْءَاخِرَةِ
आख़िरत में
ʿadhābun
عَذَابٌ
अज़ाब है
ʿaẓīmun
عَظِيمٌ
बहुत बड़ा
जो लोग अल्लाह और उसके रसूल से लड़ते है और धरती के लिए बिगाड़ पैदा करने के लिए दौड़-धूप करते है, उनका बदला तो बस यही है कि बुरी तरह से क़त्ल किए जाए या सूली पर चढ़ाए जाएँ या उनके हाथ-पाँव विपरीत दिशाओं में काट डाले जाएँ या उन्हें देश से निष्कासित कर दिया जाए। यह अपमान और तिरस्कार उनके लिए दुनिया में है और आख़िरत में उनके लिए बड़ी यातना है ([५] अल-माइदा: 33)
Tafseer (तफ़सीर )
३४

اِلَّا الَّذِيْنَ تَابُوْا مِنْ قَبْلِ اَنْ تَقْدِرُوْا عَلَيْهِمْۚ فَاعْلَمُوْٓا اَنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ࣖ ٣٤

illā
إِلَّا
सिवाय
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों के जो
tābū
تَابُوا۟
तौबा करें
min
مِن
इससे क़ब्ल
qabli
قَبْلِ
इससे क़ब्ल
an
أَن
कि
taqdirū
تَقْدِرُوا۟
तुम क़ादिर हो जाओ
ʿalayhim
عَلَيْهِمْۖ
उन पर
fa-iʿ'lamū
فَٱعْلَمُوٓا۟
तो जान लो
anna
أَنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
ghafūrun
غَفُورٌ
बहुत बख़्शने वाला है
raḥīmun
رَّحِيمٌ
निहायत रहम करने वाला है
किन्तु जो लोग, इससे पहले कि तुम्हें उनपर अधिकार प्राप्त हो, पलट आएँ (अर्थात तौबा कर लें) तो ऐसी दशा में तुम्हें मालूम होना चाहिए कि अल्लाह बड़ा क्षमाशील, दयावान है ([५] अल-माइदा: 34)
Tafseer (तफ़सीर )
३५

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوا اتَّقُوا اللّٰهَ وَابْتَغُوْٓا اِلَيْهِ الْوَسِيْلَةَ وَجَاهِدُوْا فِيْ سَبِيْلِهٖ لَعَلَّكُمْ تُفْلِحُوْنَ ٣٥

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
ittaqū
ٱتَّقُوا۟
डरो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह से
wa-ib'taghū
وَٱبْتَغُوٓا۟
और तलाश करो
ilayhi
إِلَيْهِ
तरफ़ उसके
l-wasīlata
ٱلْوَسِيلَةَ
वसीला/ज़रिया
wajāhidū
وَجَٰهِدُوا۟
और जिहाद करो
فِى
उसके रास्ते में
sabīlihi
سَبِيلِهِۦ
उसके रास्ते में
laʿallakum
لَعَلَّكُمْ
ताकि तुम
tuf'liḥūna
تُفْلِحُونَ
तुम फ़लाह पा जाओ
ऐ ईमान लानेवालो! अल्लाह का डर रखो और उसका सामीप्य प्राप्त करो और उसके मार्ग में जी-तोड़ संघर्ष करो, ताकि तुम्हें सफलता प्राप्त हो ([५] अल-माइदा: 35)
Tafseer (तफ़सीर )
३६

اِنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا لَوْ اَنَّ لَهُمْ مَّا فِى الْاَرْضِ جَمِيْعًا وَّمِثْلَهٗ مَعَهٗ لِيَفْتَدُوْا بِهٖ مِنْ عَذَابِ يَوْمِ الْقِيٰمَةِ مَا تُقُبِّلَ مِنْهُمْ ۚ وَلَهُمْ عَذَابٌ اَلِيْمٌ ٣٦

inna
إِنَّ
बेशक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
law
لَوْ
अगर
anna
أَنَّ
बेशक
lahum
لَهُم
उनके लिए हो
مَّا
जो कुछ
فِى
ज़मीन में है
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में है
jamīʿan
جَمِيعًا
सारे का सारा
wamith'lahu
وَمِثْلَهُۥ
और मानिन्द उसी के
maʿahu
مَعَهُۥ
साथ उसके
liyaftadū
لِيَفْتَدُوا۟
ताकि वो फ़िदया दें
bihi
بِهِۦ
साथ उसके
min
مِنْ
अज़ाब से (बचने के लिए)
ʿadhābi
عَذَابِ
अज़ाब से (बचने के लिए)
yawmi
يَوْمِ
दिन
l-qiyāmati
ٱلْقِيَٰمَةِ
क़यामत के
مَا
ना
tuqubbila
تُقُبِّلَ
वो क़ुबूल किया जाएगा
min'hum
مِنْهُمْۖ
उनसे
walahum
وَلَهُمْ
और उनके लिए
ʿadhābun
عَذَابٌ
अज़ाब है
alīmun
أَلِيمٌ
दर्दनाक
जिन लोगों ने इनकार किया यदि उनके पास वह सब कुछ हो जो सारी धरती में है और उतना ही उसके साथ भी हो कि वह उसे देकर क़ियामत के दिन की यातना से बच जाएँ; तब भी उनकी ओर से यह सब दी जानेवाली वस्तुएँ स्वीकार न की जाएँगी। उनके लिए दुखद यातना ही है ([५] अल-माइदा: 36)
Tafseer (तफ़सीर )
३७

يُرِيْدُوْنَ اَنْ يَّخْرُجُوْا مِنَ النَّارِ وَمَا هُمْ بِخَارِجِيْنَ مِنْهَا ۖوَلَهُمْ عَذَابٌ مُّقِيمٌ ٣٧

yurīdūna
يُرِيدُونَ
वो चाहेंगे
an
أَن
कि
yakhrujū
يَخْرُجُوا۟
वो निकल जाऐं
mina
مِنَ
आग से
l-nāri
ٱلنَّارِ
आग से
wamā
وَمَا
और नहीं
hum
هُم
वो
bikhārijīna
بِخَٰرِجِينَ
निकलने वाले
min'hā
مِنْهَاۖ
उससे
walahum
وَلَهُمْ
और उनके लिए
ʿadhābun
عَذَابٌ
अज़ाब है
muqīmun
مُّقِيمٌ
क़ायम रहने वाला
वे चाहेंगे कि आग (जहन्नम) से निकल जाएँ, परन्तु वे उससे न निकल सकेंगे। उनके लिए चिरस्थायी यातना है ([५] अल-माइदा: 37)
Tafseer (तफ़सीर )
३८

وَالسَّارِقُ وَالسَّارِقَةُ فَاقْطَعُوْٓا اَيْدِيَهُمَا جَزَاۤءًۢ بِمَا كَسَبَا نَكَالًا مِّنَ اللّٰهِ ۗوَاللّٰهُ عَزِيْزٌ حَكِيْمٌ ٣٨

wal-sāriqu
وَٱلسَّارِقُ
और चोर मर्द
wal-sāriqatu
وَٱلسَّارِقَةُ
और चोर औरत
fa-iq'ṭaʿū
فَٱقْطَعُوٓا۟
पस काट दो
aydiyahumā
أَيْدِيَهُمَا
हाथ उन दोनों के
jazāan
جَزَآءًۢ
बदला है
bimā
بِمَا
बवजह उसके जो
kasabā
كَسَبَا
उन दोनों ने कमाया
nakālan
نَكَٰلًا
इबरतनाक सज़ा है
mina
مِّنَ
अल्लाह की तरफ़ से
l-lahi
ٱللَّهِۗ
अल्लाह की तरफ़ से
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
ʿazīzun
عَزِيزٌ
बहुत ज़बरदस्त है
ḥakīmun
حَكِيمٌ
ख़ूब हिकमत वाला है
और चोर चाहे स्त्री हो या पुरुष दोनों के हाथ काट दो। यह उनकी कमाई का बदला है और अल्लाह की ओर से शिक्षाप्रद दंड। अल्लाह प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है ([५] अल-माइदा: 38)
Tafseer (तफ़सीर )
३९

فَمَنْ تَابَ مِنْۢ بَعْدِ ظُلْمِهٖ وَاَصْلَحَ فَاِنَّ اللّٰهَ يَتُوْبُ عَلَيْهِ ۗاِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ٣٩

faman
فَمَن
तो जो कोई
tāba
تَابَ
तौबा कर ले
min
مِنۢ
बाद
baʿdi
بَعْدِ
बाद
ẓul'mihi
ظُلْمِهِۦ
अपने ज़ुल्म के
wa-aṣlaḥa
وَأَصْلَحَ
और वो इस्लाह कर ले
fa-inna
فَإِنَّ
तो बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
yatūbu
يَتُوبُ
वो मेहरबान होगा
ʿalayhi
عَلَيْهِۗ
उस पर
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
ghafūrun
غَفُورٌ
बहुत बख़्शने वाला है
raḥīmun
رَّحِيمٌ
निहायत रहम करने वाला है
फिर जो व्यक्ति अत्याचार करने के बाद पलट आए और अपने को सुधार ले, तो निश्चय ही वह अल्लाह की कृपा का पात्र होगा। निस्संदेह, अल्लाह बड़ा क्षमाशील, दयावान है ([५] अल-माइदा: 39)
Tafseer (तफ़सीर )
४०

اَلَمْ تَعْلَمْ اَنَّ اللّٰهَ لَهٗ مُلْكُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ يُعَذِّبُ مَنْ يَّشَاۤءُ وَيَغْفِرُ لِمَنْ يَّشَاۤءُ ۗوَاللّٰهُ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ ٤٠

alam
أَلَمْ
क्या नहीं
taʿlam
تَعْلَمْ
आपने जाना
anna
أَنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
lahu
لَهُۥ
उसी के लिए है
mul'ku
مُلْكُ
बादशाहत
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِ
और ज़मीन की
yuʿadhibu
يُعَذِّبُ
वो अज़ाब देता है
man
مَن
जिसे
yashāu
يَشَآءُ
वो चाहता है
wayaghfiru
وَيَغْفِرُ
और वो बख़्श देता है
liman
لِمَن
जिसे
yashāu
يَشَآءُۗ
वो चाहता है
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर
kulli
كُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ के
qadīrun
قَدِيرٌ
ख़ूब क़ुदरत रखने वाला है
क्या तुम नहीं जानते कि अल्लाह ही आकाशों और धरती के राज्य का अधिकारी है? वह जिसे चाहे यातना दे और जिसे चाहे क्षमा कर दे। अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है ([५] अल-माइदा: 40)
Tafseer (तफ़सीर )