يٰقَوْمِ ادْخُلُوا الْاَرْضَ الْمُقَدَّسَةَ الَّتِيْ كَتَبَ اللّٰهُ لَكُمْ وَلَا تَرْتَدُّوْا عَلٰٓى اَدْبَارِكُمْ فَتَنْقَلِبُوْا خٰسِرِيْنَ ٢١
- yāqawmi
- يَٰقَوْمِ
- ऐ मेरी क़ौम
- ud'khulū
- ٱدْخُلُوا۟
- दाख़िल हो जाओ
- l-arḍa
- ٱلْأَرْضَ
- अरदे
- l-muqadasata
- ٱلْمُقَدَّسَةَ
- मुक़द्दस में
- allatī
- ٱلَّتِى
- वो जो
- kataba
- كَتَبَ
- लिख दी
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- walā
- وَلَا
- और ना
- tartaddū
- تَرْتَدُّوا۟
- तुम फिर जाना
- ʿalā
- عَلَىٰٓ
- अपनी पुश्तों पर
- adbārikum
- أَدْبَارِكُمْ
- अपनी पुश्तों पर
- fatanqalibū
- فَتَنقَلِبُوا۟
- वरना तुम लौट जाओगे
- khāsirīna
- خَٰسِرِينَ
- ख़सारा पाने वाले होकर
'ऐ मेरे लोगो! इस पवित्र भूमि में प्रवेश करो, जो अल्लाह ने तुम्हारे लिए लिख दी है। और पीछे न हटो, अन्यथा, घाटे में पड़ जाओगे।' ([५] अल-माइदा: 21)Tafseer (तफ़सीर )
قَالُوْا يٰمُوْسٰٓى اِنَّ فِيْهَا قَوْمًا جَبَّارِيْنَۖ وَاِنَّا لَنْ نَّدْخُلَهَا حَتّٰى يَخْرُجُوْا مِنْهَاۚ فَاِنْ يَّخْرُجُوْا مِنْهَا فَاِنَّا دٰخِلُوْنَ ٢٢
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- yāmūsā
- يَٰمُوسَىٰٓ
- ऐ मूसा
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- qawman
- قَوْمًا
- एक क़ौम है
- jabbārīna
- جَبَّارِينَ
- बड़े ज़बरदस्त लोगों की
- wa-innā
- وَإِنَّا
- और बेशक हम
- lan
- لَن
- हरगिज़ ना
- nadkhulahā
- نَّدْخُلَهَا
- हम दाख़िल होंगे उसमें
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- yakhrujū
- يَخْرُجُوا۟
- वो निकल जाऐं
- min'hā
- مِنْهَا
- उससे
- fa-in
- فَإِن
- फिर अगर
- yakhrujū
- يَخْرُجُوا۟
- वो निकल जाऐं
- min'hā
- مِنْهَا
- उससे
- fa-innā
- فَإِنَّا
- तो बेशक हम
- dākhilūna
- دَٰخِلُونَ
- दाख़िल होने वाले हैं
उन्होंने कहा, 'ऐ मूसा! उसमें तो बड़े शक्तिशाली लोग रहते है। हम तो वहाँ कदापि नहीं जा सकते, जब तक कि वे वहाँ से निकल नहीं जाते। हाँ, यदि वे वहाँ से निकल जाएँ, तो हम अवश्य प्रविष्ट हो जाएँगे।' ([५] अल-माइदा: 22)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ رَجُلَانِ مِنَ الَّذِيْنَ يَخَافُوْنَ اَنْعَمَ اللّٰهُ عَلَيْهِمَا ادْخُلُوْا عَلَيْهِمُ الْبَابَۚ فَاِذَا دَخَلْتُمُوْهُ فَاِنَّكُمْ غٰلِبُوْنَ ەۙ وَعَلَى اللّٰهِ فَتَوَكَّلُوْٓا اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِيْنَ ٢٣
- qāla
- قَالَ
- कहा
- rajulāni
- رَجُلَانِ
- दो आदमियों ने
- mina
- مِنَ
- उसमें से जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उसमें से जो
- yakhāfūna
- يَخَافُونَ
- डरते थे
- anʿama
- أَنْعَمَ
- इनाम किया था
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- ʿalayhimā
- عَلَيْهِمَا
- उन दोनों पर
- ud'khulū
- ٱدْخُلُوا۟
- दाख़िल हो जाओ
- ʿalayhimu
- عَلَيْهِمُ
- उन पर
- l-bāba
- ٱلْبَابَ
- दरवाज़े से
- fa-idhā
- فَإِذَا
- फिर जब
- dakhaltumūhu
- دَخَلْتُمُوهُ
- तुम दाख़िल हो जाओगे उसमें
- fa-innakum
- فَإِنَّكُمْ
- तो बेशक तुम
- ghālibūna
- غَٰلِبُونَۚ
- ग़ालिब आने वाले हो
- waʿalā
- وَعَلَى
- और अल्लाह ही पर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- और अल्लाह ही पर
- fatawakkalū
- فَتَوَكَّلُوٓا۟
- पस तुम तवक्कल करो
- in
- إِن
- अगर
- kuntum
- كُنتُم
- हो तुम
- mu'minīna
- مُّؤْمِنِينَ
- ईमान लाने वाले
उन डरनेवालों में से ही दो व्यक्ति ऐसे भी थे जिनपर अल्लाह का अनुग्रह था। उन्होंने कहा, 'उन लोगों के मुक़ाबले में दरवाज़े से प्रविष्ट हो जाओ। जब तुम उसमें प्रविष्टि हो जाओगे, तो तुम ही प्रभावी होगे। अल्लाह पर भरोसा रखो, यदि तुम ईमानवाले हो।' ([५] अल-माइदा: 23)Tafseer (तफ़सीर )
قَالُوْا يٰمُوْسٰٓى اِنَّا لَنْ نَّدْخُلَهَآ اَبَدًا مَّا دَامُوْا فِيْهَا ۖفَاذْهَبْ اَنْتَ وَرَبُّكَ فَقَاتِلَآ اِنَّا هٰهُنَا قٰعِدُوْنَ ٢٤
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- yāmūsā
- يَٰمُوسَىٰٓ
- ऐ मूसा
- innā
- إِنَّا
- बेशक हम
- lan
- لَن
- हरगिज़ नहीं
- nadkhulahā
- نَّدْخُلَهَآ
- हम दाख़िल होंगे उसमें
- abadan
- أَبَدًا
- कभी भी
- mā
- مَّا
- जब तक वो रहेंगे
- dāmū
- دَامُوا۟
- जब तक वो रहेंगे
- fīhā
- فِيهَاۖ
- उसमें
- fa-idh'hab
- فَٱذْهَبْ
- पस जाओ
- anta
- أَنتَ
- तुम
- warabbuka
- وَرَبُّكَ
- और रब तुम्हारा
- faqātilā
- فَقَٰتِلَآ
- पस तुम दोनों जंग करो
- innā
- إِنَّا
- बेशक हम
- hāhunā
- هَٰهُنَا
- यहीं
- qāʿidūna
- قَٰعِدُونَ
- बैठने वाले हैं
उन्होंने कहा, 'ऐ मूसा! जब तक वे लोग वहाँ है, हम तो कदापि नहीं जाएँगे। ऐसा ही है तो जाओ तुम और तुम्हारा रब, और दोनों लड़ो। हम तो यहीं बैठे रहेंगे।' ([५] अल-माइदा: 24)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ رَبِّ اِنِّيْ لَآ اَمْلِكُ اِلَّا نَفْسِيْ وَاَخِيْ فَافْرُقْ بَيْنَنَا وَبَيْنَ الْقَوْمِ الْفٰسِقِيْنَ ٢٥
- qāla
- قَالَ
- कहा
- rabbi
- رَبِّ
- ऐ मेरे रब
- innī
- إِنِّى
- बेशक मैं
- lā
- لَآ
- नहीं मैं मालिक
- amliku
- أَمْلِكُ
- नहीं मैं मालिक
- illā
- إِلَّا
- मगर
- nafsī
- نَفْسِى
- अपने नफ़्स का
- wa-akhī
- وَأَخِىۖ
- और अपने भाई का
- fa-uf'ruq
- فَٱفْرُقْ
- पस जुदाई डाल दे
- baynanā
- بَيْنَنَا
- दर्मियान हमारे
- wabayna
- وَبَيْنَ
- और दर्मियान
- l-qawmi
- ٱلْقَوْمِ
- उन लोगों के
- l-fāsiqīna
- ٱلْفَٰسِقِينَ
- जो फ़ासिक़ हैं
उसने कहा, 'मेरे रब! मेरा स्वयं अपने और अपने भाई के अतिरिक्त किसी पर अधिकार नहीं है। अतः तू हमारे और इन अवज्ञाकारी लोगों के बीच अलगाव पैदा कर दे।' ([५] अल-माइदा: 25)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ فَاِنَّهَا مُحَرَّمَةٌ عَلَيْهِمْ اَرْبَعِيْنَ سَنَةً ۚيَتِيْهُوْنَ فِى الْاَرْضِۗ فَلَا تَأْسَ عَلَى الْقَوْمِ الْفٰسِقِيْنَ ࣖ ٢٦
- qāla
- قَالَ
- फ़रमाया
- fa-innahā
- فَإِنَّهَا
- पस बेशक वो
- muḥarramatun
- مُحَرَّمَةٌ
- हराम कर दी गई
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْۛ
- उन पर
- arbaʿīna
- أَرْبَعِينَ
- चालीस
- sanatan
- سَنَةًۛ
- साल
- yatīhūna
- يَتِيهُونَ
- वो भटकते फिरेंगे
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِۚ
- ज़मीन में
- falā
- فَلَا
- पस ना
- tasa
- تَأْسَ
- तुम अफ़सोस करो
- ʿalā
- عَلَى
- उन लोगों पर
- l-qawmi
- ٱلْقَوْمِ
- उन लोगों पर
- l-fāsiqīna
- ٱلْفَٰسِقِينَ
- जो फ़ासिक़ हैं
कहा, 'अच्छा तो अब यह भूमि चालीस वर्ष कर इनके लिए वर्जित है। ये धरती में मारे-मारे फिरेंगे तो तुम इन अवज्ञाकारी लोगों के प्रति शोक न करो' ([५] अल-माइदा: 26)Tafseer (तफ़सीर )
۞ وَاتْلُ عَلَيْهِمْ نَبَاَ ابْنَيْ اٰدَمَ بِالْحَقِّۘ اِذْ قَرَّبَا قُرْبَانًا فَتُقُبِّلَ مِنْ اَحَدِهِمَا وَلَمْ يُتَقَبَّلْ مِنَ الْاٰخَرِۗ قَالَ لَاَقْتُلَنَّكَ ۗ قَالَ اِنَّمَا يَتَقَبَّلُ اللّٰهُ مِنَ الْمُتَّقِيْنَ ٢٧
- wa-ut'lu
- وَٱتْلُ
- और पढ़िए
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْ
- उन पर
- naba-a
- نَبَأَ
- ख़बर
- ib'nay
- ٱبْنَىْ
- दो बेटों की
- ādama
- ءَادَمَ
- आदम के
- bil-ḥaqi
- بِٱلْحَقِّ
- साथ हक़ के
- idh
- إِذْ
- जब
- qarrabā
- قَرَّبَا
- उन दोनों ने क़ुर्बानी की
- qur'bānan
- قُرْبَانًا
- क़ुर्बानी करना
- fatuqubbila
- فَتُقُبِّلَ
- तो वो क़ुबूल कर ली गई
- min
- مِنْ
- उन दोनों में से एक से
- aḥadihimā
- أَحَدِهِمَا
- उन दोनों में से एक से
- walam
- وَلَمْ
- और ना
- yutaqabbal
- يُتَقَبَّلْ
- वो क़ुबूल की गई
- mina
- مِنَ
- दूसरे से
- l-ākhari
- ٱلْءَاخَرِ
- दूसरे से
- qāla
- قَالَ
- कहा
- la-aqtulannaka
- لَأَقْتُلَنَّكَۖ
- अलबत्ता मैं ज़रूर क़त्ल करुँगा तुझे
- qāla
- قَالَ
- कहा
- innamā
- إِنَّمَا
- बेशक
- yataqabbalu
- يَتَقَبَّلُ
- क़ुबूल करता है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- mina
- مِنَ
- मुत्तक़ी लोगों से
- l-mutaqīna
- ٱلْمُتَّقِينَ
- मुत्तक़ी लोगों से
और इन्हें आदम के दो बेटों का सच्चा वृतान्त सुना दो। जब दोनों ने क़ुरबानी की, तो उनमें से एक की क़ुरबानी स्वीकृत हुई और दूसरे की स्वीकृत न हुई। उसने कहा, 'मै तुझे अवश्य मार डालूँगा।' दूसरे न कहा, 'अल्लाह तो उन्हीं की (क़ुरबानी) स्वीकृत करता है, जो डर रखनेवाले है। ([५] अल-माइदा: 27)Tafseer (तफ़सीर )
لَىِٕنْۢ بَسَطْتَّ اِلَيَّ يَدَكَ لِتَقْتُلَنِيْ مَآ اَنَا۠ بِبَاسِطٍ يَّدِيَ اِلَيْكَ لِاَقْتُلَكَۚ اِنِّيْٓ اَخَافُ اللّٰهَ رَبَّ الْعٰلَمِيْنَ ٢٨
- la-in
- لَئِنۢ
- अलबत्ता अगर
- basaṭta
- بَسَطتَ
- बढ़ाया तूने
- ilayya
- إِلَىَّ
- मेरी तरफ़
- yadaka
- يَدَكَ
- हाथ अपना
- litaqtulanī
- لِتَقْتُلَنِى
- ताकि तू क़त्ल कर दे मुझे
- mā
- مَآ
- नहीं
- anā
- أَنَا۠
- मैं
- bibāsiṭin
- بِبَاسِطٍ
- बढ़ाने वाला
- yadiya
- يَدِىَ
- हाथ अपना
- ilayka
- إِلَيْكَ
- तरफ़ तेरे
- li-aqtulaka
- لِأَقْتُلَكَۖ
- ताकि मैं क़त्ल कर दूँ तुझे
- innī
- إِنِّىٓ
- बेशक मैं
- akhāfu
- أَخَافُ
- मैं डरता हूँ
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह से
- rabba
- رَبَّ
- जो रब है
- l-ʿālamīna
- ٱلْعَٰلَمِينَ
- तमाम जहानों का
'यदि तू मेरी हत्या करने के लिए मेरी ओर हाथ बढ़ाएगा तो मैं तेरी हत्या करने के लिए तेरी ओर अपना हाथ नहीं बढ़ाऊँगा। मैं तो अल्लाह से डरता हूँ, जो सारे संसार का रब है ([५] अल-माइदा: 28)Tafseer (तफ़सीर )
اِنِّيْٓ اُرِيْدُ اَنْ تَبُوْۤاَ بِاِثْمِيْ وَاِثْمِكَ فَتَكُوْنَ مِنْ اَصْحٰبِ النَّارِۚ وَذٰلِكَ جَزَاۤؤُا الظّٰلِمِيْنَۚ ٢٩
- innī
- إِنِّىٓ
- बेशक मैं
- urīdu
- أُرِيدُ
- मैं चाहता हूँ
- an
- أَن
- कि
- tabūa
- تَبُوٓأَ
- तू पलटे
- bi-ith'mī
- بِإِثْمِى
- साथ मेरे गुनाह के
- wa-ith'mika
- وَإِثْمِكَ
- और अपने गुनाह के
- fatakūna
- فَتَكُونَ
- फिर तू हो जाएगा
- min
- مِنْ
- साथियों में से
- aṣḥābi
- أَصْحَٰبِ
- साथियों में से
- l-nāri
- ٱلنَّارِۚ
- आग के
- wadhālika
- وَذَٰلِكَ
- और ये
- jazāu
- جَزَٰٓؤُا۟
- बदला है
- l-ẓālimīna
- ٱلظَّٰلِمِينَ
- ज़ालिमों का
'मैं तो चाहता हूँ कि मेरा गुनाह और अपना गुनाह तू ही अपने सिर ले ले, फिर आग (जहन्नम) में पड़नेवालों में से एक हो जाए, और वही अत्याचारियों का बदला है।' ([५] अल-माइदा: 29)Tafseer (तफ़सीर )
فَطَوَّعَتْ لَهٗ نَفْسُهٗ قَتْلَ اَخِيْهِ فَقَتَلَهٗ فَاَصْبَحَ مِنَ الْخٰسِرِيْنَ ٣٠
- faṭawwaʿat
- فَطَوَّعَتْ
- तो आसान कर दिया
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- nafsuhu
- نَفْسُهُۥ
- उसके नफ़्स ने
- qatla
- قَتْلَ
- क़त्ल करना
- akhīhi
- أَخِيهِ
- अपने भाई का
- faqatalahu
- فَقَتَلَهُۥ
- तो उसने क़त्ल कर दिया उसे
- fa-aṣbaḥa
- فَأَصْبَحَ
- पस वो हो गया
- mina
- مِنَ
- ख़सारा पाने वालों में से
- l-khāsirīna
- ٱلْخَٰسِرِينَ
- ख़सारा पाने वालों में से
अन्ततः उसके जी ने उस अपने भाई की हत्या के लिए उद्यत कर दिया, तो उसने उसकी हत्या कर डाली और घाटे में पड़ गया ([५] अल-माइदा: 30)Tafseer (तफ़सीर )