يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوا اذْكُرُوْا نِعْمَتَ اللّٰهِ عَلَيْكُمْ اِذْ هَمَّ قَوْمٌ اَنْ يَّبْسُطُوْٓا اِلَيْكُمْ اَيْدِيَهُمْ فَكَفَّ اَيْدِيَهُمْ عَنْكُمْۚ وَاتَّقُوا اللّٰهَ ۗوَعَلَى اللّٰهِ فَلْيَتَوَكَّلِ الْمُؤْمِنُوْنَ ࣖ ١١
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए हो
- udh'kurū
- ٱذْكُرُوا۟
- याद करो
- niʿ'mata
- نِعْمَتَ
- नेअमत को
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- जो तुम पर है
- idh
- إِذْ
- जब
- hamma
- هَمَّ
- इरादा किया
- qawmun
- قَوْمٌ
- एक क़ौम ने
- an
- أَن
- कि
- yabsuṭū
- يَبْسُطُوٓا۟
- वो बढ़ाऐं
- ilaykum
- إِلَيْكُمْ
- तरफ़ तुम्हारे
- aydiyahum
- أَيْدِيَهُمْ
- हाथ अपने
- fakaffa
- فَكَفَّ
- तो उसने रोक दिए
- aydiyahum
- أَيْدِيَهُمْ
- हाथ उनके
- ʿankum
- عَنكُمْۖ
- तुमसे
- wa-ittaqū
- وَٱتَّقُوا۟
- और डरो
- l-laha
- ٱللَّهَۚ
- अल्लाह से
- waʿalā
- وَعَلَى
- और अल्लाह ही पर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- और अल्लाह ही पर
- falyatawakkali
- فَلْيَتَوَكَّلِ
- पस चाहिए कि तवक्कल करें
- l-mu'minūna
- ٱلْمُؤْمِنُونَ
- ईमान वाले
ऐ ईमान लेनेवालो! अल्लाह के उस अनुग्रह को याद करो जो उसने तुमपर किया है, जबकि कुछ लोगों ने तुम्हारी ओर हाथ बढ़ाने का निश्चय कर लिया था तो उसने उनके हाथ तुमसे रोक दिए। अल्लाह का डर रखो, और ईमानवालों को अल्लाह ही पर भरोसा करना चाहिए ([५] अल-माइदा: 11)Tafseer (तफ़सीर )
۞ وَلَقَدْ اَخَذَ اللّٰهُ مِيْثَاقَ بَنِيْٓ اِسْرَاۤءِيْلَۚ وَبَعَثْنَا مِنْهُمُ اثْنَيْ عَشَرَ نَقِيْبًاۗ وَقَالَ اللّٰهُ اِنِّيْ مَعَكُمْ ۗ لَىِٕنْ اَقَمْتُمُ الصَّلٰوةَ وَاٰتَيْتُمُ الزَّكٰوةَ وَاٰمَنْتُمْ بِرُسُلِيْ وَعَزَّرْتُمُوْهُمْ وَاَقْرَضْتُمُ اللّٰهَ قَرْضًا حَسَنًا لَّاُكَفِّرَنَّ عَنْكُمْ سَيِّاٰتِكُمْ وَلَاُدْخِلَنَّكُمْ جَنّٰتٍ تَجْرِيْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُۚ فَمَنْ كَفَرَ بَعْدَ ذٰلِكَ مِنْكُمْ فَقَدْ ضَلَّ سَوَاۤءَ السَّبِيْلِ ١٢
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- akhadha
- أَخَذَ
- लिया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- mīthāqa
- مِيثَٰقَ
- पुख़्ता अहद
- banī
- بَنِىٓ
- बनी इस्राईल से
- is'rāīla
- إِسْرَٰٓءِيلَ
- बनी इस्राईल से
- wabaʿathnā
- وَبَعَثْنَا
- और मुक़र्रर किए हमने
- min'humu
- مِنْهُمُ
- उनमें से
- ith'nay
- ٱثْنَىْ
- बारह
- ʿashara
- عَشَرَ
- बारह
- naqīban
- نَقِيبًاۖ
- निगरान
- waqāla
- وَقَالَ
- और कहा
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- innī
- إِنِّى
- बेशक मैं
- maʿakum
- مَعَكُمْۖ
- साथ हूँ तुम्हारे
- la-in
- لَئِنْ
- अलबत्ता अगर
- aqamtumu
- أَقَمْتُمُ
- क़ायम की तुमने
- l-ṣalata
- ٱلصَّلَوٰةَ
- नमाज़
- waātaytumu
- وَءَاتَيْتُمُ
- और दी तुमने
- l-zakata
- ٱلزَّكَوٰةَ
- ज़कात
- waāmantum
- وَءَامَنتُم
- और ईमान लाए तुम
- birusulī
- بِرُسُلِى
- मेरे रसूलों पर
- waʿazzartumūhum
- وَعَزَّرْتُمُوهُمْ
- और मदद की तुमने उनकी
- wa-aqraḍtumu
- وَأَقْرَضْتُمُ
- और क़र्ज़ दिया तुमने
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह को
- qarḍan
- قَرْضًا
- क़र्ज़
- ḥasanan
- حَسَنًا
- अच्छा
- la-ukaffiranna
- لَّأُكَفِّرَنَّ
- अलबत्ता मैं ज़रूर दूर कर दूँगा
- ʿankum
- عَنكُمْ
- तुम से
- sayyiātikum
- سَيِّـَٔاتِكُمْ
- बुराईयाँ तुम्हारी
- wala-ud'khilannakum
- وَلَأُدْخِلَنَّكُمْ
- और अलबत्ता मैं ज़रूर दाख़िल करुँगा
- jannātin
- جَنَّٰتٍ
- बाग़ात में
- tajrī
- تَجْرِى
- बहती हैं
- min
- مِن
- उनके नीचे से
- taḥtihā
- تَحْتِهَا
- उनके नीचे से
- l-anhāru
- ٱلْأَنْهَٰرُۚ
- नहरें
- faman
- فَمَن
- तो जिसने
- kafara
- كَفَرَ
- कुफ़्र किया
- baʿda
- بَعْدَ
- बाद
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- इसके
- minkum
- مِنكُمْ
- तुम में से
- faqad
- فَقَدْ
- तो तहक़ीक़
- ḍalla
- ضَلَّ
- वो भटक गया
- sawāa
- سَوَآءَ
- सीधे
- l-sabīli
- ٱلسَّبِيلِ
- रास्ते से
अल्लाह ने इसराईल की सन्तान से वचन लिया था और हमने उनमें से बारह सरदार नियुक्त किए थे। और अल्लाह ने कहा, 'मैं तुम्हारे साथ हूँ, यदि तुमने नमाज़ क़ायम रखी, ज़कात देते रहे, मेरे रसूलों पर ईमान लाए और उनकी सहायता की और अल्लाह को अच्छा ऋण दिया तो मैं अवश्य तुम्हारी बुराइयाँ तुमसे दूर कर दूँगा और तुम्हें निश्चय ही ऐसे बाग़ों में दाख़िल करूँगा, जिनके नीचे नहरें बह रही होगी। फिर इसके पश्चात तुमनें से जिनसे इनकार किया, तो वास्तव में वह ठीक और सही रास्ते से भटक गया।' ([५] अल-माइदा: 12)Tafseer (तफ़सीर )
فَبِمَا نَقْضِهِمْ مِّيْثَاقَهُمْ لَعَنّٰهُمْ وَجَعَلْنَا قُلُوْبَهُمْ قٰسِيَةً ۚ يُحَرِّفُوْنَ الْكَلِمَ عَنْ مَّوَاضِعِهٖۙ وَنَسُوْا حَظًّا مِّمَّا ذُكِّرُوْا بِهٖۚ وَلَا تَزَالُ تَطَّلِعُ عَلٰى خَاۤىِٕنَةٍ مِّنْهُمْ اِلَّا قَلِيْلًا مِّنْهُمْ ۖ فَاعْفُ عَنْهُمْ وَاصْفَحْ ۗاِنَّ اللّٰهَ يُحِبُّ الْمُحْسِنِيْنَ ١٣
- fabimā
- فَبِمَا
- तो बवजह
- naqḍihim
- نَقْضِهِم
- उनके तोड़ने के
- mīthāqahum
- مِّيثَٰقَهُمْ
- अपने पुख़्ता अहद को
- laʿannāhum
- لَعَنَّٰهُمْ
- लानत की हमने उन पर
- wajaʿalnā
- وَجَعَلْنَا
- और कर दिया हमने
- qulūbahum
- قُلُوبَهُمْ
- उनके दिलों को
- qāsiyatan
- قَٰسِيَةًۖ
- सख़्त
- yuḥarrifūna
- يُحَرِّفُونَ
- वो तब्दील कर देते हैं
- l-kalima
- ٱلْكَلِمَ
- अलफ़ाज़ को
- ʿan
- عَن
- उनकी जगहों से
- mawāḍiʿihi
- مَّوَاضِعِهِۦۙ
- उनकी जगहों से
- wanasū
- وَنَسُوا۟
- और वो भूल गए हैं
- ḥaẓẓan
- حَظًّا
- बड़ा हिस्सा
- mimmā
- مِّمَّا
- उसमें से जो
- dhukkirū
- ذُكِّرُوا۟
- वो नसीहत किए गए थे
- bihi
- بِهِۦۚ
- जिसकी
- walā
- وَلَا
- और हमेशा
- tazālu
- تَزَالُ
- और हमेशा
- taṭṭaliʿu
- تَطَّلِعُ
- आप इत्तिला पाते रहते हैं
- ʿalā
- عَلَىٰ
- किसी ना किसी ख़यानत पर
- khāinatin
- خَآئِنَةٍ
- किसी ना किसी ख़यानत पर
- min'hum
- مِّنْهُمْ
- उनकी तरफ़ से
- illā
- إِلَّا
- मगर
- qalīlan
- قَلِيلًا
- बहुत थोड़े
- min'hum
- مِّنْهُمْۖ
- उनमें से
- fa-uʿ'fu
- فَٱعْفُ
- पस माफ़ कर दीजिए
- ʿanhum
- عَنْهُمْ
- उन्हें
- wa-iṣ'faḥ
- وَٱصْفَحْۚ
- और दरगुज़र कीजिए
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- yuḥibbu
- يُحِبُّ
- वो मोहब्बत करता है
- l-muḥ'sinīna
- ٱلْمُحْسِنِينَ
- एहसान करने वालों से
फिर उनके बार-बार अपने वचन को भंग कर देने के कारण हमने उनपर लानत की और उनके हृदय कठोर कर दिए। वे शब्दों को उनके स्थान से फेरकर कुछ का कुछ कर देते है और जिनके द्वारा उन्हें याद दिलाया गया था, उसका एक बड़ा भाग वे भुला बैठे। और तुम्हें उनके किसी न किसी विश्वासघात का बराबर पता चलता रहेगा। उनमें ऐसा न करनेवाले थोड़े लोग है, तो तुम उन्हें क्षमा कर दो और उन्हें छोड़ो। निश्चय ही अल्लाह को वे लोग प्रिय है जो उत्तमकर्मी है ([५] अल-माइदा: 13)Tafseer (तफ़सीर )
وَمِنَ الَّذِيْنَ قَالُوْٓا اِنَّا نَصٰرٰٓى اَخَذْنَا مِيْثَاقَهُمْ فَنَسُوْا حَظًّا مِّمَّا ذُكِّرُوْا بِهٖۖ فَاَغْرَيْنَا بَيْنَهُمُ الْعَدَاوَةَ وَالْبَغْضَاۤءَ اِلٰى يَوْمِ الْقِيٰمَةِ ۗ وَسَوْفَ يُنَبِّئُهُمُ اللّٰهُ بِمَا كَانُوْا يَصْنَعُوْنَ ١٤
- wamina
- وَمِنَ
- और उनमें से जिन्होंने
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- और उनमें से जिन्होंने
- qālū
- قَالُوٓا۟
- कहा
- innā
- إِنَّا
- बेशक हम
- naṣārā
- نَصَٰرَىٰٓ
- नस्रानी हैं
- akhadhnā
- أَخَذْنَا
- लिया हमने
- mīthāqahum
- مِيثَٰقَهُمْ
- पुख़्ता अहद उनका
- fanasū
- فَنَسُوا۟
- तो वो भूल गए
- ḥaẓẓan
- حَظًّا
- एक हिस्सा
- mimmā
- مِّمَّا
- उसमें से जो
- dhukkirū
- ذُكِّرُوا۟
- वो नसीहत किए गए थे
- bihi
- بِهِۦ
- जिसकी
- fa-aghraynā
- فَأَغْرَيْنَا
- तो डाल दिया हमने
- baynahumu
- بَيْنَهُمُ
- दर्मियान उनके
- l-ʿadāwata
- ٱلْعَدَاوَةَ
- अदावत
- wal-baghḍāa
- وَٱلْبَغْضَآءَ
- और बुग़्ज़ को
- ilā
- إِلَىٰ
- क़यामत के दिन तक
- yawmi
- يَوْمِ
- क़यामत के दिन तक
- l-qiyāmati
- ٱلْقِيَٰمَةِۚ
- क़यामत के दिन तक
- wasawfa
- وَسَوْفَ
- और अनक़रीब
- yunabbi-uhumu
- يُنَبِّئُهُمُ
- ख़बर देगा उन्हें
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- bimā
- بِمَا
- उसकी जो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- yaṣnaʿūna
- يَصْنَعُونَ
- वो करते/बनाते
और हमने उन लोगों से भी दृढ़ वचन लिया था, जिन्होंने कहा था कि हम नसारा (ईसाई) हैं, किन्तु जो कुछ उन्हें जिसके द्वारा याद कराया गया था उसका एक बड़ा भाग भुला बैठे। फिर हमने उनके बीच क़ियामत तक के लिए शत्रुता और द्वेष की आग भड़का दी, और अल्लाह जल्द उन्हें बता देगा, जो कुछ वे बनाते रहे थे ([५] अल-माइदा: 14)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَهْلَ الْكِتٰبِ قَدْ جَاۤءَكُمْ رَسُوْلُنَا يُبَيِّنُ لَكُمْ كَثِيْرًا مِّمَّا كُنْتُمْ تُخْفُوْنَ مِنَ الْكِتٰبِ وَيَعْفُوْا عَنْ كَثِيْرٍەۗ قَدْ جَاۤءَكُمْ مِّنَ اللّٰهِ نُوْرٌ وَّكِتٰبٌ مُّبِيْنٌۙ ١٥
- yāahla
- يَٰٓأَهْلَ
- ऐ अहले किताब
- l-kitābi
- ٱلْكِتَٰبِ
- ऐ अहले किताब
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- jāakum
- جَآءَكُمْ
- आ गया तुम्हारे पास
- rasūlunā
- رَسُولُنَا
- रसूल हमारा
- yubayyinu
- يُبَيِّنُ
- जो वाज़ेह करता है
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- kathīran
- كَثِيرًا
- बकसरत
- mimmā
- مِّمَّا
- उसमें से जो
- kuntum
- كُنتُمْ
- थे तुम
- tukh'fūna
- تُخْفُونَ
- तुम छुपाते
- mina
- مِنَ
- किताब में से
- l-kitābi
- ٱلْكِتَٰبِ
- किताब में से
- wayaʿfū
- وَيَعْفُوا۟
- और वो दरगुज़र करता है
- ʿan
- عَن
- बहुत सी (बातों) से
- kathīrin
- كَثِيرٍۚ
- बहुत सी (बातों) से
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- jāakum
- جَآءَكُم
- आ गया तुम्हारे पास
- mina
- مِّنَ
- अल्लाह की तरफ़ से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की तरफ़ से
- nūrun
- نُورٌ
- एक नूर
- wakitābun
- وَكِتَٰبٌ
- और किताब
- mubīnun
- مُّبِينٌ
- वाज़ेह
ऐ किताबवालों! हमारा रसूल तुम्हारे पास आ गया है। किताब की जो बातें तुम छिपाते थे, उसमें से बहुत-सी बातें वह तुम्हारे सामने खोल रहा है और बहुत-सी बातों को छोड़ देता है। तुम्हारे पास अल्लाह की ओर से प्रकाश और एक स्पष्ट किताब आ गई है, ([५] अल-माइदा: 15)Tafseer (तफ़सीर )
يَّهْدِيْ بِهِ اللّٰهُ مَنِ اتَّبَعَ رِضْوَانَهٗ سُبُلَ السَّلٰمِ وَيُخْرِجُهُمْ مِّنَ الظُّلُمٰتِ اِلَى النُّوْرِ بِاِذْنِهٖ وَيَهْدِيْهِمْ اِلٰى صِرَاطٍ مُّسْتَقِيْمٍ ١٦
- yahdī
- يَهْدِى
- हिदायत देता है
- bihi
- بِهِ
- साथ उसके
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- mani
- مَنِ
- उसको जो
- ittabaʿa
- ٱتَّبَعَ
- पैरवी करे
- riḍ'wānahu
- رِضْوَٰنَهُۥ
- उसकी रज़ामन्दी की
- subula
- سُبُلَ
- रास्तों की (तरफ़)
- l-salāmi
- ٱلسَّلَٰمِ
- सलामती के
- wayukh'rijuhum
- وَيُخْرِجُهُم
- और वो निकालता है उन्हें
- mina
- مِّنَ
- अंधेरों से
- l-ẓulumāti
- ٱلظُّلُمَٰتِ
- अंधेरों से
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ रोशनी के
- l-nūri
- ٱلنُّورِ
- तरफ़ रोशनी के
- bi-idh'nihi
- بِإِذْنِهِۦ
- अपने इज़्न से
- wayahdīhim
- وَيَهْدِيهِمْ
- और वो हिदायत देता है उन्हें
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ रास्ते
- ṣirāṭin
- صِرَٰطٍ
- तरफ़ रास्ते
- mus'taqīmin
- مُّسْتَقِيمٍ
- सीधे के
जिसके द्वारा अल्लाह उस व्यक्ति को जो उसकी प्रसन्नता का अनुगामी है, सलामती की राहें दिखा रहा है और अपनी अनुज्ञा से ऐसे लोगों को अँधेरों से निकालकर उजाले की ओर ला रहा है और उन्हें सीधे मार्ग पर चला रहा है ([५] अल-माइदा: 16)Tafseer (तफ़सीर )
لَقَدْ كَفَرَ الَّذِيْنَ قَالُوْٓا اِنَّ اللّٰهَ هُوَ الْمَسِيْحُ ابْنُ مَرْيَمَۗ قُلْ فَمَنْ يَّمْلِكُ مِنَ اللّٰهِ شَيْـًٔا اِنْ اَرَادَ اَنْ يُّهْلِكَ الْمَسِيْحَ ابْنَ مَرْيَمَ وَاُمَّهٗ وَمَنْ فِى الْاَرْضِ جَمِيْعًا ۗوَلِلّٰهِ مُلْكُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا ۗ يَخْلُقُ مَا يَشَاۤءُ ۗوَاللّٰهُ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ ١٧
- laqad
- لَّقَدْ
- अलबत्ता तहक़ीक़
- kafara
- كَفَرَ
- कुफ़्र किया
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- जिन्होंने
- qālū
- قَالُوٓا۟
- कहा
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- huwa
- هُوَ
- वो ही
- l-masīḥu
- ٱلْمَسِيحُ
- मसीह इब्ने मरियम है
- ub'nu
- ٱبْنُ
- मसीह इब्ने मरियम है
- maryama
- مَرْيَمَۚ
- मसीह इब्ने मरियम है
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- faman
- فَمَن
- तो कौन
- yamliku
- يَمْلِكُ
- मालिक होगा
- mina
- مِنَ
- अल्लाह से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह से
- shayan
- شَيْـًٔا
- किसी चीज़ का
- in
- إِنْ
- अगर
- arāda
- أَرَادَ
- उसने इरादा किया
- an
- أَن
- कि
- yuh'lika
- يُهْلِكَ
- वो हलाक कर दे
- l-masīḥa
- ٱلْمَسِيحَ
- मसीह इब्ने मरियम को
- ib'na
- ٱبْنَ
- मसीह इब्ने मरियम को
- maryama
- مَرْيَمَ
- मसीह इब्ने मरियम को
- wa-ummahu
- وَأُمَّهُۥ
- और उसकी माँ को
- waman
- وَمَن
- और जो भी
- fī
- فِى
- ज़मीन में है
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में है
- jamīʿan
- جَمِيعًاۗ
- सबके-सबको
- walillahi
- وَلِلَّهِ
- और अल्लाह ही के लिए है
- mul'ku
- مُلْكُ
- बादशाहत
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِ
- और ज़मीन की
- wamā
- وَمَا
- और जो कुछ
- baynahumā
- بَيْنَهُمَاۚ
- दर्मियान है उन दोनों के
- yakhluqu
- يَخْلُقُ
- वो पैदा करता है
- mā
- مَا
- जो
- yashāu
- يَشَآءُۚ
- वो चाहता है
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- kulli
- كُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ के
- qadīrun
- قَدِيرٌ
- ख़ूब क़ादिर है
निश्चय ही उन लोगों ने इनकार किया, जिन्होंने कहा, 'अल्लाह तो वही मरयम का बेटा मसीह है।' कहो, 'अल्लाह के आगे किसका कुछ बस चल सकता है, यदि वह मरयम का पुत्र मसीह को और उसकी माँ (मरयम) को और समस्त धरतीवालो को विनष्ट करना चाहे? और अल्लाह ही के लिए है बादशाही आकाशों और धरती की ओर जो कुछ उनके मध्य है उसकी भी। वह जो चाहता है पैदा करता है। और अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है।' ([५] अल-माइदा: 17)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالَتِ الْيَهُوْدُ وَالنَّصٰرٰى نَحْنُ اَبْنٰۤؤُ اللّٰهِ وَاَحِبَّاۤؤُهٗ ۗ قُلْ فَلِمَ يُعَذِّبُكُمْ بِذُنُوْبِكُمْ ۗ بَلْ اَنْتُمْ بَشَرٌ مِّمَّنْ خَلَقَۗ يَغْفِرُ لِمَنْ يَّشَاۤءُ وَيُعَذِّبُ مَنْ يَّشَاۤءُۗ وَلِلّٰهِ مُلْكُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا ۖوَاِلَيْهِ الْمَصِيْرُ ١٨
- waqālati
- وَقَالَتِ
- और कहा
- l-yahūdu
- ٱلْيَهُودُ
- यहूद
- wal-naṣārā
- وَٱلنَّصَٰرَىٰ
- और नसारा ने
- naḥnu
- نَحْنُ
- हम
- abnāu
- أَبْنَٰٓؤُا۟
- बेटे हैं
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- wa-aḥibbāuhu
- وَأَحِبَّٰٓؤُهُۥۚ
- और उसके प्यारे हैं
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- falima
- فَلِمَ
- फिर क्यों
- yuʿadhibukum
- يُعَذِّبُكُم
- वो अज़ाब देता है तुम्हें
- bidhunūbikum
- بِذُنُوبِكُمۖ
- बवजह तुम्हारे गुनाहों के
- bal
- بَلْ
- बल्कि
- antum
- أَنتُم
- तुम
- basharun
- بَشَرٌ
- एक इन्सान हो
- mimman
- مِّمَّنْ
- उनमें से जिन्हें
- khalaqa
- خَلَقَۚ
- उसने पैदा किया
- yaghfiru
- يَغْفِرُ
- वो बख़्श देगा
- liman
- لِمَن
- जिसे
- yashāu
- يَشَآءُ
- वो चाहेगा
- wayuʿadhibu
- وَيُعَذِّبُ
- और वो अज़ाब देगा
- man
- مَن
- जिसे
- yashāu
- يَشَآءُۚ
- वो चाहेगा
- walillahi
- وَلِلَّهِ
- और अल्लाह ही के लिए है
- mul'ku
- مُلْكُ
- बादशाहत
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों की
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِ
- और ज़मीन की
- wamā
- وَمَا
- और जो
- baynahumā
- بَيْنَهُمَاۖ
- दर्मियान है उन दोनों के
- wa-ilayhi
- وَإِلَيْهِ
- तरफ़ उसी के
- l-maṣīru
- ٱلْمَصِيرُ
- लौटना है
यहूदी और ईसाई कहते है, 'हम तो अल्लाह के बेटे और उसके चहेते है।' कहो, 'फिर वह तुम्हें तुम्हारे गुनाहों पर दंड क्यों देता है? बात यह नहीं है, बल्कि तुम भी उसके पैदा किए हुए प्राणियों में से एक मनुष्य हो। वह जिसे चाहे क्षमा करे और जिसे चाहे दंड दे।' और अल्लाह ही के लिए है बादशाही आकाशों और धरती को और जो कुछ उनके बीच है वह भी, और जाना भी उसी की ओर है ([५] अल-माइदा: 18)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَهْلَ الْكِتٰبِ قَدْ جَاۤءَكُمْ رَسُوْلُنَا يُبَيِّنُ لَكُمْ عَلٰى فَتْرَةٍ مِّنَ الرُّسُلِ اَنْ تَقُوْلُوْا مَا جَاۤءَنَا مِنْۢ بَشِيْرٍ وَّلَا نَذِيْرٍۗ فَقَدْ جَاۤءَكُمْ بَشِيْرٌ وَّنَذِيْرٌ ۗوَاللّٰهُ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ ࣖ ١٩
- yāahla
- يَٰٓأَهْلَ
- ऐ अहले किताब
- l-kitābi
- ٱلْكِتَٰبِ
- ऐ अहले किताब
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- jāakum
- جَآءَكُمْ
- आ गया तुम्हारे पास
- rasūlunā
- رَسُولُنَا
- रसूल हमारा
- yubayyinu
- يُبَيِّنُ
- वो वाज़ेह करता है
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- ʿalā
- عَلَىٰ
- वक़्फ़े पर
- fatratin
- فَتْرَةٍ
- वक़्फ़े पर
- mina
- مِّنَ
- रसूलों के
- l-rusuli
- ٱلرُّسُلِ
- रसूलों के
- an
- أَن
- कि
- taqūlū
- تَقُولُوا۟
- तुम कहो (ना)
- mā
- مَا
- नहीं
- jāanā
- جَآءَنَا
- आया हमारे पास
- min
- مِنۢ
- कोई ख़ुशखबरी देने वाला
- bashīrin
- بَشِيرٍ
- कोई ख़ुशखबरी देने वाला
- walā
- وَلَا
- और ना
- nadhīrin
- نَذِيرٍۖ
- कोई डराने वाला
- faqad
- فَقَدْ
- पस तहक़ीक़
- jāakum
- جَآءَكُم
- आ गया तुम्हारे पास
- bashīrun
- بَشِيرٌ
- ख़ुशख़बरी देने वाला
- wanadhīrun
- وَنَذِيرٌۗ
- और डराने वाला
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- kulli
- كُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ के
- qadīrun
- قَدِيرٌ
- ख़ूब क़ुदरत रखने वाला है
ऐ किताबवालो! हमारा रसूल ऐसे समय तुम्हारे पास आया है और तुम्हारे लिए (हमारा आदेश) खोल-खोलकर बयान करता है, जबकि रसूलों के आने का सिलसिला एक मुद्दत से बन्द था, ताकि तुम यह न कह सको कि 'हमारे पास कोई शुभ-समाचार देनेवाला और सचेत करनेवाला नहीं आया।' तो देखो! अब तुम्हारे पास शुभ-समाचार देनेवाला और सचेत करनेवाला आ गया है। अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है ([५] अल-माइदा: 19)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذْ قَالَ مُوْسٰى لِقَوْمِهٖ يٰقَوْمِ اذْكُرُوْا نِعْمَةَ اللّٰهِ عَلَيْكُمْ اِذْ جَعَلَ فِيْكُمْ اَنْۢبِيَاۤءَ وَجَعَلَكُمْ مُّلُوْكًاۙ وَّاٰتٰىكُمْ مَّا لَمْ يُؤْتِ اَحَدًا مِّنَ الْعٰلَمِيْنَ ٢٠
- wa-idh
- وَإِذْ
- और जब
- qāla
- قَالَ
- कहा
- mūsā
- مُوسَىٰ
- मूसा ने
- liqawmihi
- لِقَوْمِهِۦ
- अपनी क़ौम से
- yāqawmi
- يَٰقَوْمِ
- ऐ मेरी क़ौम
- udh'kurū
- ٱذْكُرُوا۟
- याद करो
- niʿ'mata
- نِعْمَةَ
- नेअमत
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- जो तुम पर (हुई)
- idh
- إِذْ
- जब
- jaʿala
- جَعَلَ
- उसने बनाए
- fīkum
- فِيكُمْ
- तुम में
- anbiyāa
- أَنۢبِيَآءَ
- अम्बिया
- wajaʿalakum
- وَجَعَلَكُم
- और उसने बनाया तुम्हें
- mulūkan
- مُّلُوكًا
- बादशाह
- waātākum
- وَءَاتَىٰكُم
- और उसने दिया तुम्हें
- mā
- مَّا
- वो जो
- lam
- لَمْ
- नहीं
- yu'ti
- يُؤْتِ
- उसने दिया
- aḥadan
- أَحَدًا
- किसी एक को
- mina
- مِّنَ
- तमाम जहान वालों में से
- l-ʿālamīna
- ٱلْعَٰلَمِينَ
- तमाम जहान वालों में से
और याद करो जब मूसा ने अपनी क़ौम के लोगों से कहा था, 'ऐ लोगों! अल्लाह की उस नेमत को याद करो जो उसने तुम्हें प्रदान की है। उसनें तुममें नबी पैदा किए और तुम्हें शासक बनाया और तुमको वह कुछ दिया जो संसार में किसी को नहीं दिया था ([५] अल-माइदा: 20)Tafseer (तफ़सीर )