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सूरा अल-माइदा - Page: 11

Al-Ma'idah

(मेज़)

१०१

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا تَسْـَٔلُوْا عَنْ اَشْيَاۤءَ اِنْ تُبْدَ لَكُمْ تَسُؤْكُمْ ۚوَاِنْ تَسْـَٔلُوْا عَنْهَا حِيْنَ يُنَزَّلُ الْقُرْاٰنُ تُبْدَ لَكُمْ ۗعَفَا اللّٰهُ عَنْهَا ۗوَاللّٰهُ غَفُوْرٌ حَلِيْمٌ ١٠١

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगों जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगों जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
لَا
ना तुम सवाल करो
tasalū
تَسْـَٔلُوا۟
ना तुम सवाल करो
ʿan
عَنْ
ऐसी चीज़ों के बारे में
ashyāa
أَشْيَآءَ
ऐसी चीज़ों के बारे में
in
إِن
अगर
tub'da
تُبْدَ
वो ज़ाहिर कर दी जाऐं
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
tasu'kum
تَسُؤْكُمْ
बुरी लगें तुम्हें
wa-in
وَإِن
और अगर
tasalū
تَسْـَٔلُوا۟
तुम सवाल करोगे
ʿanhā
عَنْهَا
उनके बारे में
ḥīna
حِينَ
जिस वक़्त
yunazzalu
يُنَزَّلُ
नाज़िल किया जाता है
l-qur'ānu
ٱلْقُرْءَانُ
क़ुरआन
tub'da
تُبْدَ
वो ज़ाहिर कर दी जाऐंगी
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
ʿafā
عَفَا
दरगुज़र किया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
ʿanhā
عَنْهَاۗ
उनसे
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
ghafūrun
غَفُورٌ
बहुत बख़्शने वाला
ḥalīmun
حَلِيمٌ
बहुत बुर्दबार है
ऐ ईमान लानेवालो! ऐसी चीज़ों के विषय में न पूछो कि वे यदि तुम पर स्पष्ट कर दी जाएँ, तो तुम्हें बूरी लगें। यदि तुम उन्हें ऐसे समय में पूछोगे, जबकि क़ुरआन अवतरित हो रहा है, तो वे तुमपर स्पष्ट कर दी जाएँगी। अल्लाह ने उसे क्षमा कर दिया। अल्लाह बहुत क्षमा करनेवाला, सहनशील है ([५] अल-माइदा: 101)
Tafseer (तफ़सीर )
१०२

قَدْ سَاَلَهَا قَوْمٌ مِّنْ قَبْلِكُمْ ثُمَّ اَصْبَحُوْا بِهَا كٰفِرِيْنَ ١٠٢

qad
قَدْ
तहक़ीक़
sa-alahā
سَأَلَهَا
सवाल किया था उनके बारे में
qawmun
قَوْمٌ
एक क़ौम ने
min
مِّن
तुम से पहले
qablikum
قَبْلِكُمْ
तुम से पहले
thumma
ثُمَّ
फिर
aṣbaḥū
أَصْبَحُوا۟
वो हो गए
bihā
بِهَا
उनका
kāfirīna
كَٰفِرِينَ
इन्कार करने वाले
तुमसे पहले कुछ लोग इस तरह के प्रश्न कर चुके हैं, फिर वे उसके कारण इनकार करनेवाले हो गए ([५] अल-माइदा: 102)
Tafseer (तफ़सीर )
१०३

مَا جَعَلَ اللّٰهُ مِنْۢ بَحِيْرَةٍ وَّلَا سَاۤىِٕبَةٍ وَّلَا وَصِيْلَةٍ وَّلَا حَامٍ ۙوَّلٰكِنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا يَفْتَرُوْنَ عَلَى اللّٰهِ الْكَذِبَۗ وَاَكْثَرُهُمْ لَا يَعْقِلُوْنَ ١٠٣

مَا
नहीं
jaʿala
جَعَلَ
बनाया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
min
مِنۢ
कोई बहीरह
baḥīratin
بَحِيرَةٍ
कोई बहीरह
walā
وَلَا
और ना
sāibatin
سَآئِبَةٍ
कोई साएबा
walā
وَلَا
और ना
waṣīlatin
وَصِيلَةٍ
कोई वसीला
walā
وَلَا
और ना कोई हाम
ḥāmin
حَامٍۙ
और ना कोई हाम
walākinna
وَلَٰكِنَّ
और लेकिन
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
yaftarūna
يَفْتَرُونَ
वो गढ़ लेते हैं
ʿalā
عَلَى
अल्लाह पर
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह पर
l-kadhiba
ٱلْكَذِبَۖ
झूठ
wa-aktharuhum
وَأَكْثَرُهُمْ
और अक्सर उनके
لَا
नहीं वो अक़्ल रखते
yaʿqilūna
يَعْقِلُونَ
नहीं वो अक़्ल रखते
अल्लाह ने न कोई 'बहीरा' ठहराया है और न 'सायबा' और न 'वसीला' और न 'हाम', परन्तु इनकार करनेवाले अल्लाह पर झूठ का आरोपण करते है और उनमें अधिकतर बुद्धि से काम नहीं लेते ([५] अल-माइदा: 103)
Tafseer (तफ़सीर )
१०४

وَاِذَا قِيْلَ لَهُمْ تَعَالَوْا اِلٰى مَآ اَنْزَلَ اللّٰهُ وَاِلَى الرَّسُوْلِ قَالُوْا حَسْبُنَا مَا وَجَدْنَا عَلَيْهِ اٰبَاۤءَنَا ۗ اَوَلَوْ كَانَ اٰبَاۤؤُهُمْ لَا يَعْلَمُوْنَ شَيْـًٔا وَّلَا يَهْتَدُوْنَ ١٠٤

wa-idhā
وَإِذَا
और जब
qīla
قِيلَ
कहा जाता है
lahum
لَهُمْ
उन्हें
taʿālaw
تَعَالَوْا۟
आओ
ilā
إِلَىٰ
तरफ़
مَآ
उसके जो
anzala
أَنزَلَ
नाज़िल किया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
wa-ilā
وَإِلَى
और तरफ़ रसूल के
l-rasūli
ٱلرَّسُولِ
और तरफ़ रसूल के
qālū
قَالُوا۟
वो कहते हैं
ḥasbunā
حَسْبُنَا
काफ़ी है हमें
مَا
जो
wajadnā
وَجَدْنَا
पाया हमने
ʿalayhi
عَلَيْهِ
उस पर
ābāanā
ءَابَآءَنَآۚ
अपने आबा ओ अजदाद को
awalaw
أَوَلَوْ
क्या भला अगरचे
kāna
كَانَ
हों
ābāuhum
ءَابَآؤُهُمْ
आबा ओ अजदाद उनके
لَا
ना वो इल्म रखते
yaʿlamūna
يَعْلَمُونَ
ना वो इल्म रखते
shayan
شَيْـًٔا
कुछ भी
walā
وَلَا
और ना
yahtadūna
يَهْتَدُونَ
वो हिदायत याफ़्ता हों
और जब उनसे कहा जाता है कि उस चीज़ की ओर आओ जो अल्लाह ने अवतरित की है और रसूल की ओर, तो वे कहते है, 'हमारे लिए तो वही काफ़ी है, जिस पर हमने अपने बाप-दादा को पाया है।' क्या यद्यपि उनके बापृ-दादा कुछ भी न जानते रहे हों और न सीधे मार्ग पर रहे हो? ([५] अल-माइदा: 104)
Tafseer (तफ़सीर )
१०५

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا عَلَيْكُمْ اَنْفُسَكُمْ ۚ لَا يَضُرُّكُمْ مَّنْ ضَلَّ اِذَا اهْتَدَيْتُمْ ۗ اِلَى اللّٰهِ مَرْجِعُكُمْ جَمِيْعًا فَيُنَبِّئُكُمْ بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ١٠٥

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
लाज़िम है तुम पर (बचाना)
anfusakum
أَنفُسَكُمْۖ
अपनी जानों को
لَا
ना नुक़सान देगा तुम्हें
yaḍurrukum
يَضُرُّكُم
ना नुक़सान देगा तुम्हें
man
مَّن
जो
ḍalla
ضَلَّ
भटक गया
idhā
إِذَا
जब
ih'tadaytum
ٱهْتَدَيْتُمْۚ
हिदायत पा चुके तुम
ilā
إِلَى
तरफ़ अल्लाह ही के
l-lahi
ٱللَّهِ
तरफ़ अल्लाह ही के
marjiʿukum
مَرْجِعُكُمْ
लौटना है तुम्हारा
jamīʿan
جَمِيعًا
सब का
fayunabbi-ukum
فَيُنَبِّئُكُم
फिर वो बता देगा तुम्हें
bimā
بِمَا
वो जो
kuntum
كُنتُمْ
थे तुम
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते
ऐ ईमान लानेवालो! तुमपर अपनी चिन्ता अनिवार्य है, जब तुम रास्ते पर हो, तो जो कोई भटक जाए वह तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता। अल्लाह की ओर तुम सबको लौटकर जाना है। फिर वह तुम्हें बता देगा, जो कुछ तुम करते रहे होगे ([५] अल-माइदा: 105)
Tafseer (तफ़सीर )
१०६

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا شَهَادَةُ بَيْنِكُمْ اِذَا حَضَرَ اَحَدَكُمُ الْمَوْتُ حِيْنَ الْوَصِيَّةِ اثْنٰنِ ذَوَا عَدْلٍ مِّنْكُمْ اَوْ اٰخَرٰنِ مِنْ غَيْرِكُمْ اِنْ اَنْتُمْ ضَرَبْتُمْ فِى الْاَرْضِ فَاَصَابَتْكُمْ مُّصِيْبَةُ الْمَوْتِۗ تَحْبِسُوْنَهُمَا مِنْۢ بَعْدِ الصَّلٰوةِ فَيُقْسِمٰنِ بِاللّٰهِ اِنِ ارْتَبْتُمْ لَا نَشْتَرِيْ بِهٖ ثَمَنًا وَّلَوْ كَانَ ذَا قُرْبٰىۙ وَلَا نَكْتُمُ شَهَادَةَ اللّٰهِ اِنَّآ اِذًا لَّمِنَ الْاٰثِمِيْنَ ١٠٦

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
shahādatu
شَهَٰدَةُ
गवाही हो
baynikum
بَيْنِكُمْ
तुम्हारे दर्मियान
idhā
إِذَا
जब
ḥaḍara
حَضَرَ
हाज़िर हो
aḥadakumu
أَحَدَكُمُ
तुम में से किसी एक को
l-mawtu
ٱلْمَوْتُ
मौत
ḥīna
حِينَ
वक़्त
l-waṣiyati
ٱلْوَصِيَّةِ
वसीयत के
ith'nāni
ٱثْنَانِ
दो
dhawā
ذَوَا
अदल वालों के
ʿadlin
عَدْلٍ
अदल वालों के
minkum
مِّنكُمْ
तुम में से
aw
أَوْ
या
ākharāni
ءَاخَرَانِ
दो और
min
مِنْ
तुम्हारे अलावा से
ghayrikum
غَيْرِكُمْ
तुम्हारे अलावा से
in
إِنْ
अगर
antum
أَنتُمْ
तुम
ḍarabtum
ضَرَبْتُمْ
सफ़र कर रहे हो तुम
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
fa-aṣābatkum
فَأَصَٰبَتْكُم
फिर पहुँचे तुम्हें
muṣībatu
مُّصِيبَةُ
मुसीबत
l-mawti
ٱلْمَوْتِۚ
मौत की
taḥbisūnahumā
تَحْبِسُونَهُمَا
तुम रोक लो उन दोनों को
min
مِنۢ
बाद
baʿdi
بَعْدِ
बाद
l-ṣalati
ٱلصَّلَوٰةِ
नमाज़ के
fayuq'simāni
فَيُقْسِمَانِ
फिर वो दोनों क़समें खाऐं
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह की
ini
إِنِ
अगर
ir'tabtum
ٱرْتَبْتُمْ
शक करो तुम
لَا
ना हम लेंगे
nashtarī
نَشْتَرِى
ना हम लेंगे
bihi
بِهِۦ
साथ उसके
thamanan
ثَمَنًا
कोई क़ीमत
walaw
وَلَوْ
और अगरचे
kāna
كَانَ
हो वो
dhā
ذَا
रिश्तेदार
qur'bā
قُرْبَىٰۙ
रिश्तेदार
walā
وَلَا
और ना
naktumu
نَكْتُمُ
हम छुपाऐंगे
shahādata
شَهَٰدَةَ
गवाही को
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
innā
إِنَّآ
बेशक हम
idhan
إِذًا
तब
lamina
لَّمِنَ
अलबत्ता गुनाहगारों में से होंगे
l-āthimīna
ٱلْءَاثِمِينَ
अलबत्ता गुनाहगारों में से होंगे
ऐ ईमान लानेवालों! जब तुममें से किसी की मृत्यु का समय आ जाए तो वसीयत के समय तुममें से दो न्यायप्रिय व्यक्ति गवाह हों, या तुम्हारे ग़ैर लोगों में से दूसरे दो व्यक्ति गवाह बन जाएँ, यह उस समय कि यदि तुम कहीं सफ़र में गए हो और मृत्यु तुमपर आ पहुँचे। यदि तुम्हें कोई सन्देह हो तो नमाज़ के पश्चात उन दोनों को रोक लो, फिर वे दोनों अल्लाह की क़समें खाएँ कि 'हम इसके बदले कोई मूल्य स्वीकार करनेवाले नहीं हैं चाहे कोई नातेदार ही क्यों न हो और न हम अल्लाह की गवाही छिपाते है। निस्सन्देह ऐसा किया तो हम गुनाहगार ठहरेंगे।' ([५] अल-माइदा: 106)
Tafseer (तफ़सीर )
१०७

فَاِنْ عُثِرَ عَلٰٓى اَنَّهُمَا اسْتَحَقَّآ اِثْمًا فَاٰخَرٰنِ يَقُوْمٰنِ مَقَامَهُمَا مِنَ الَّذِيْنَ اسْتَحَقَّ عَلَيْهِمُ الْاَوْلَيٰنِ فَيُقْسِمٰنِ بِاللّٰهِ لَشَهَادَتُنَآ اَحَقُّ مِنْ شَهَادَتِهِمَا وَمَا اعْتَدَيْنَآ ۖاِنَّآ اِذًا لَّمِنَ الظّٰلِمِيْنَ ١٠٧

fa-in
فَإِنْ
फिर अगर
ʿuthira
عُثِرَ
इत्तिला हो जाए
ʿalā
عَلَىٰٓ
उस पर
annahumā
أَنَّهُمَا
कि बेशक वो दोनों
is'taḥaqqā
ٱسْتَحَقَّآ
वो मुस्तहिक़ हुए हैं
ith'man
إِثْمًا
गुनाह के
faākharāni
فَـَٔاخَرَانِ
पस दो दूसरे
yaqūmāni
يَقُومَانِ
वो दोनों खड़े होंगे
maqāmahumā
مَقَامَهُمَا
उन दोनों की जगह
mina
مِنَ
उन लोगों में से
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों में से
is'taḥaqqa
ٱسْتَحَقَّ
हक़ साबित हो गया
ʿalayhimu
عَلَيْهِمُ
जिन पर
l-awlayāni
ٱلْأَوْلَيَٰنِ
दो क़रीब तरीन
fayuq'simāni
فَيُقْسِمَانِ
फिर वो दोनों क़समें खाऐंगे
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह की
lashahādatunā
لَشَهَٰدَتُنَآ
अलबत्ता गवाही हमारी
aḥaqqu
أَحَقُّ
ज़्यादा सच्ची है
min
مِن
उन दोनों की गवाही से
shahādatihimā
شَهَٰدَتِهِمَا
उन दोनों की गवाही से
wamā
وَمَا
और नहीं
iʿ'tadaynā
ٱعْتَدَيْنَآ
ज़्यादती की हमने
innā
إِنَّآ
बेशक हम
idhan
إِذًا
तब
lamina
لَّمِنَ
अलबत्ता ज़ालिमों में से होंगे
l-ẓālimīna
ٱلظَّٰلِمِينَ
अलबत्ता ज़ालिमों में से होंगे
फिर यदि पता चल जाए कि उन दोनों ने हक़ मारकर अपने को गुनाह में डाल लिया है, तो उनकी जगह दूसरे दो व्यक्ति उन लोगों में से खड़े हो जाएँ, जिनका हक़ पिछले दोनों ने मारना चाहा था, फिर वे दोनों अल्लाह की क़समें खाएँ कि 'हम दोनों की गवाही उन दोनों की गवाही से अधिक सच्ची है और हमने कोई ज़्यादती नहीं की है। निस्सन्देह हमने ऐसा किया तो अत्याचारियों में से होंगे।' ([५] अल-माइदा: 107)
Tafseer (तफ़सीर )
१०८

ذٰلِكَ اَدْنٰٓى اَنْ يَّأْتُوْا بِالشَّهَادَةِ عَلٰى وَجْهِهَآ اَوْ يَخَافُوْٓا اَنْ تُرَدَّ اَيْمَانٌۢ بَعْدَ اَيْمَانِهِمْۗ وَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاسْمَعُوْا ۗوَاللّٰهُ لَا يَهْدِى الْقَوْمَ الْفٰسِقِيْنَ ࣖ ١٠٨

dhālika
ذَٰلِكَ
ये
adnā
أَدْنَىٰٓ
ज़्यादा क़रीब है
an
أَن
कि
yatū
يَأْتُوا۟
वो लाऐं
bil-shahādati
بِٱلشَّهَٰدَةِ
गवाही को
ʿalā
عَلَىٰ
उसके (असल) रुख़ पर
wajhihā
وَجْهِهَآ
उसके (असल) रुख़ पर
aw
أَوْ
या
yakhāfū
يَخَافُوٓا۟
वो डरें
an
أَن
कि
turadda
تُرَدَّ
रद्द कर दी जाऐंगी
aymānun
أَيْمَٰنٌۢ
क़समें (उनकी)
baʿda
بَعْدَ
बाद
aymānihim
أَيْمَٰنِهِمْۗ
उन (वुरसा) की क़समों के
wa-ittaqū
وَٱتَّقُوا۟
और डरो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह से
wa-is'maʿū
وَٱسْمَعُوا۟ۗ
और सुनो
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
لَا
नहीं वो हिदायत देता
yahdī
يَهْدِى
नहीं वो हिदायत देता
l-qawma
ٱلْقَوْمَ
उन लोगों को
l-fāsiqīna
ٱلْفَٰسِقِينَ
जो फ़ासिक़ हैं
इसमें इसकी सम्भावना है कि वे ठीक-ठीक गवाही देंगे या डरेंगे कि उनकी क़समों के पश्चात क़समें ली जाएँगी। अल्लाह का डर रखो और सुनो। अल्लाह अवज्ञाकारी लोगों को मार्ग नहीं दिखाता ([५] अल-माइदा: 108)
Tafseer (तफ़सीर )
१०९

۞ يَوْمَ يَجْمَعُ اللّٰهُ الرُّسُلَ فَيَقُوْلُ مَاذَٓا اُجِبْتُمْ ۗ قَالُوْا لَا عِلْمَ لَنَا ۗاِنَّكَ اَنْتَ عَلَّامُ الْغُيُوْبِ ١٠٩

yawma
يَوْمَ
जिस दिन
yajmaʿu
يَجْمَعُ
जमा करेगा
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
l-rusula
ٱلرُّسُلَ
रसूलों को
fayaqūlu
فَيَقُولُ
फिर कहेगा
mādhā
مَاذَآ
क्या
ujib'tum
أُجِبْتُمْۖ
जवाब दिए गए थे तुम
qālū
قَالُوا۟
वो कहेंगे
لَا
नहीं कोई इल्म
ʿil'ma
عِلْمَ
नहीं कोई इल्म
lanā
لَنَآۖ
हमें
innaka
إِنَّكَ
बेशक तू
anta
أَنتَ
तू ही है
ʿallāmu
عَلَّٰمُ
खूब जानने वाला
l-ghuyūbi
ٱلْغُيُوبِ
ग़ैबों का
जिस दिन अल्लाह रसूलों को इकट्ठा करेगा, फिर कहेगा, 'तुम्हें क्या जवाब मिला?' वे कहेंगे, 'हमें कुछ नहीं मालूम। तू ही छिपी बातों को जानता है।' ([५] अल-माइदा: 109)
Tafseer (तफ़सीर )
११०

اِذْ قَالَ اللّٰهُ يٰعِيْسَى ابْنَ مَرْيَمَ اذْكُرْ نِعْمَتِيْ عَلَيْكَ وَعَلٰى وَالِدَتِكَ ۘاِذْ اَيَّدْتُّكَ بِرُوْحِ الْقُدُسِۗ تُكَلِّمُ النَّاسَ فِى الْمَهْدِ وَكَهْلًا ۚوَاِذْ عَلَّمْتُكَ الْكِتٰبَ وَالْحِكْمَةَ وَالتَّوْرٰىةَ وَالْاِنْجِيْلَ ۚوَاِذْ تَخْلُقُ مِنَ الطِّيْنِ كَهَيْـَٔةِ الطَّيْرِ بِاِذْنِيْ فَتَنْفُخُ فِيْهَا فَتَكُوْنُ طَيْرًاۢ بِاِذْنِيْ وَتُبْرِئُ الْاَكْمَهَ وَالْاَبْرَصَ بِاِذْنِيْ ۚوَاِذْ تُخْرِجُ الْمَوْتٰى بِاِذْنِيْ ۚوَاِذْ كَفَفْتُ بَنِيْٓ اِسْرَاۤءِيْلَ عَنْكَ اِذْ جِئْتَهُمْ بِالْبَيِّنٰتِ فَقَالَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا مِنْهُمْ اِنْ هٰذَآ اِلَّا سِحْرٌ مُّبِيْنٌ ١١٠

idh
إِذْ
जब
qāla
قَالَ
फ़रमाएगा
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
yāʿīsā
يَٰعِيسَى
ऐ ईसा इब्ने मरियम
ib'na
ٱبْنَ
ऐ ईसा इब्ने मरियम
maryama
مَرْيَمَ
ऐ ईसा इब्ने मरियम
udh'kur
ٱذْكُرْ
याद करो
niʿ'matī
نِعْمَتِى
मेरी नेअमत (जो)
ʿalayka
عَلَيْكَ
तुझ पर है
waʿalā
وَعَلَىٰ
और तेरी वालिदा पर
wālidatika
وَٰلِدَتِكَ
और तेरी वालिदा पर
idh
إِذْ
जब
ayyadttuka
أَيَّدتُّكَ
ताईद की मैंने तुम्हारी
birūḥi
بِرُوحِ
साथ रूहुल क़ुदुस के
l-qudusi
ٱلْقُدُسِ
साथ रूहुल क़ुदुस के
tukallimu
تُكَلِّمُ
तू कलाम करता था
l-nāsa
ٱلنَّاسَ
लोगों से
فِى
गहवारे में
l-mahdi
ٱلْمَهْدِ
गहवारे में
wakahlan
وَكَهْلًاۖ
और अधेड़ उम्र में
wa-idh
وَإِذْ
और जब
ʿallamtuka
عَلَّمْتُكَ
तालीम दी मैंने तुझे
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَ
किताब
wal-ḥik'mata
وَٱلْحِكْمَةَ
और हिकमत
wal-tawrāta
وَٱلتَّوْرَىٰةَ
और तौरात
wal-injīla
وَٱلْإِنجِيلَۖ
और इन्जील की
wa-idh
وَإِذْ
और जब
takhluqu
تَخْلُقُ
तू बनाता था
mina
مِنَ
मिट्टी से
l-ṭīni
ٱلطِّينِ
मिट्टी से
kahayati
كَهَيْـَٔةِ
मानिन्द शक्ल
l-ṭayri
ٱلطَّيْرِ
परिन्दे की
bi-idh'nī
بِإِذْنِى
मेरे इज़्न से
fatanfukhu
فَتَنفُخُ
फिर तू फूँक मारता था
fīhā
فِيهَا
उस में
fatakūnu
فَتَكُونُ
फिर वो हो जाता था
ṭayran
طَيْرًۢا
परिन्दा
bi-idh'nī
بِإِذْنِىۖ
मेरे इज़्न से
watub'ri-u
وَتُبْرِئُ
और तू अच्छा कर देता था
l-akmaha
ٱلْأَكْمَهَ
पैदाइशी अँधे को
wal-abraṣa
وَٱلْأَبْرَصَ
और बर्स वाले को
bi-idh'nī
بِإِذْنِىۖ
मेरे इज़्न से
wa-idh
وَإِذْ
और जब
tukh'riju
تُخْرِجُ
तू निकालता था
l-mawtā
ٱلْمَوْتَىٰ
मुर्दों को
bi-idh'nī
بِإِذْنِىۖ
मेरे इज़्न से
wa-idh
وَإِذْ
और जब
kafaftu
كَفَفْتُ
रोका मैंने
banī
بَنِىٓ
बनी इस्राईल को
is'rāīla
إِسْرَٰٓءِيلَ
बनी इस्राईल को
ʿanka
عَنكَ
तुझसे
idh
إِذْ
जब
ji'tahum
جِئْتَهُم
लाया तू उनके पास
bil-bayināti
بِٱلْبَيِّنَٰتِ
वाज़ेह निशानियाँ
faqāla
فَقَالَ
तो कहा
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन्होंने जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
min'hum
مِنْهُمْ
उनमें से
in
إِنْ
नहीं है
hādhā
هَٰذَآ
ये
illā
إِلَّا
मगर
siḥ'run
سِحْرٌ
जादू
mubīnun
مُّبِينٌ
खुल्लम-खुल्ला
जब अल्लाह कहेगा, 'ऐ मरयम के बेटे ईसा! मेरे उस अनुग्रह को याद करो जो तुमपर और तुम्हारी माँ पर हुआ है। जब मैंने पवित्र आत्मा से तुम्हें शक्ति प्रदान की; तुम पालने में भी लोगों से बात करते थे और बड़ी अवस्था को पहुँचकर भी। और याद करो, जबकि मैंने तुम्हें किताब और हिकमत और तौरात और इनजील की शिक्षा दी थी। और याद करो जब तुम मेरे आदेश से मिट्टी से पक्षी का प्रारूपण करते थे; फिर उसमें फूँक मारते थे, तो वह मेरे आदेश से उड़नेवाली बन जाती थी। और तुम मेरे आदेश से मुर्दों को जीवित निकाल खड़ा करते थे। और याद करो जबकि मैंने तुमसे इसराइलियों को रोके रखा, जबकि तुम उनके पास खुली-खुली निशानियाँ लेकर पहुँचे थे, तो उनमें से जो इनकार करनेवाले थे, उन्होंने कहा, यह तो बस खुला जादू है।' ([५] अल-माइदा: 110)
Tafseer (तफ़सीर )