يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا تَسْـَٔلُوْا عَنْ اَشْيَاۤءَ اِنْ تُبْدَ لَكُمْ تَسُؤْكُمْ ۚوَاِنْ تَسْـَٔلُوْا عَنْهَا حِيْنَ يُنَزَّلُ الْقُرْاٰنُ تُبْدَ لَكُمْ ۗعَفَا اللّٰهُ عَنْهَا ۗوَاللّٰهُ غَفُوْرٌ حَلِيْمٌ ١٠١
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगों जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगों जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए हो
- lā
- لَا
- ना तुम सवाल करो
- tasalū
- تَسْـَٔلُوا۟
- ना तुम सवाल करो
- ʿan
- عَنْ
- ऐसी चीज़ों के बारे में
- ashyāa
- أَشْيَآءَ
- ऐसी चीज़ों के बारे में
- in
- إِن
- अगर
- tub'da
- تُبْدَ
- वो ज़ाहिर कर दी जाऐं
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- tasu'kum
- تَسُؤْكُمْ
- बुरी लगें तुम्हें
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- tasalū
- تَسْـَٔلُوا۟
- तुम सवाल करोगे
- ʿanhā
- عَنْهَا
- उनके बारे में
- ḥīna
- حِينَ
- जिस वक़्त
- yunazzalu
- يُنَزَّلُ
- नाज़िल किया जाता है
- l-qur'ānu
- ٱلْقُرْءَانُ
- क़ुरआन
- tub'da
- تُبْدَ
- वो ज़ाहिर कर दी जाऐंगी
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- ʿafā
- عَفَا
- दरगुज़र किया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- ʿanhā
- عَنْهَاۗ
- उनसे
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- ghafūrun
- غَفُورٌ
- बहुत बख़्शने वाला
- ḥalīmun
- حَلِيمٌ
- बहुत बुर्दबार है
ऐ ईमान लानेवालो! ऐसी चीज़ों के विषय में न पूछो कि वे यदि तुम पर स्पष्ट कर दी जाएँ, तो तुम्हें बूरी लगें। यदि तुम उन्हें ऐसे समय में पूछोगे, जबकि क़ुरआन अवतरित हो रहा है, तो वे तुमपर स्पष्ट कर दी जाएँगी। अल्लाह ने उसे क्षमा कर दिया। अल्लाह बहुत क्षमा करनेवाला, सहनशील है ([५] अल-माइदा: 101)Tafseer (तफ़सीर )
قَدْ سَاَلَهَا قَوْمٌ مِّنْ قَبْلِكُمْ ثُمَّ اَصْبَحُوْا بِهَا كٰفِرِيْنَ ١٠٢
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- sa-alahā
- سَأَلَهَا
- सवाल किया था उनके बारे में
- qawmun
- قَوْمٌ
- एक क़ौम ने
- min
- مِّن
- तुम से पहले
- qablikum
- قَبْلِكُمْ
- तुम से पहले
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- aṣbaḥū
- أَصْبَحُوا۟
- वो हो गए
- bihā
- بِهَا
- उनका
- kāfirīna
- كَٰفِرِينَ
- इन्कार करने वाले
तुमसे पहले कुछ लोग इस तरह के प्रश्न कर चुके हैं, फिर वे उसके कारण इनकार करनेवाले हो गए ([५] अल-माइदा: 102)Tafseer (तफ़सीर )
مَا جَعَلَ اللّٰهُ مِنْۢ بَحِيْرَةٍ وَّلَا سَاۤىِٕبَةٍ وَّلَا وَصِيْلَةٍ وَّلَا حَامٍ ۙوَّلٰكِنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا يَفْتَرُوْنَ عَلَى اللّٰهِ الْكَذِبَۗ وَاَكْثَرُهُمْ لَا يَعْقِلُوْنَ ١٠٣
- mā
- مَا
- नहीं
- jaʿala
- جَعَلَ
- बनाया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- min
- مِنۢ
- कोई बहीरह
- baḥīratin
- بَحِيرَةٍ
- कोई बहीरह
- walā
- وَلَا
- और ना
- sāibatin
- سَآئِبَةٍ
- कोई साएबा
- walā
- وَلَا
- और ना
- waṣīlatin
- وَصِيلَةٍ
- कोई वसीला
- walā
- وَلَا
- और ना कोई हाम
- ḥāmin
- حَامٍۙ
- और ना कोई हाम
- walākinna
- وَلَٰكِنَّ
- और लेकिन
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- yaftarūna
- يَفْتَرُونَ
- वो गढ़ लेते हैं
- ʿalā
- عَلَى
- अल्लाह पर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- l-kadhiba
- ٱلْكَذِبَۖ
- झूठ
- wa-aktharuhum
- وَأَكْثَرُهُمْ
- और अक्सर उनके
- lā
- لَا
- नहीं वो अक़्ल रखते
- yaʿqilūna
- يَعْقِلُونَ
- नहीं वो अक़्ल रखते
अल्लाह ने न कोई 'बहीरा' ठहराया है और न 'सायबा' और न 'वसीला' और न 'हाम', परन्तु इनकार करनेवाले अल्लाह पर झूठ का आरोपण करते है और उनमें अधिकतर बुद्धि से काम नहीं लेते ([५] अल-माइदा: 103)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذَا قِيْلَ لَهُمْ تَعَالَوْا اِلٰى مَآ اَنْزَلَ اللّٰهُ وَاِلَى الرَّسُوْلِ قَالُوْا حَسْبُنَا مَا وَجَدْنَا عَلَيْهِ اٰبَاۤءَنَا ۗ اَوَلَوْ كَانَ اٰبَاۤؤُهُمْ لَا يَعْلَمُوْنَ شَيْـًٔا وَّلَا يَهْتَدُوْنَ ١٠٤
- wa-idhā
- وَإِذَا
- और जब
- qīla
- قِيلَ
- कहा जाता है
- lahum
- لَهُمْ
- उन्हें
- taʿālaw
- تَعَالَوْا۟
- आओ
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़
- mā
- مَآ
- उसके जो
- anzala
- أَنزَلَ
- नाज़िल किया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- wa-ilā
- وَإِلَى
- और तरफ़ रसूल के
- l-rasūli
- ٱلرَّسُولِ
- और तरफ़ रसूल के
- qālū
- قَالُوا۟
- वो कहते हैं
- ḥasbunā
- حَسْبُنَا
- काफ़ी है हमें
- mā
- مَا
- जो
- wajadnā
- وَجَدْنَا
- पाया हमने
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- उस पर
- ābāanā
- ءَابَآءَنَآۚ
- अपने आबा ओ अजदाद को
- awalaw
- أَوَلَوْ
- क्या भला अगरचे
- kāna
- كَانَ
- हों
- ābāuhum
- ءَابَآؤُهُمْ
- आबा ओ अजदाद उनके
- lā
- لَا
- ना वो इल्म रखते
- yaʿlamūna
- يَعْلَمُونَ
- ना वो इल्म रखते
- shayan
- شَيْـًٔا
- कुछ भी
- walā
- وَلَا
- और ना
- yahtadūna
- يَهْتَدُونَ
- वो हिदायत याफ़्ता हों
और जब उनसे कहा जाता है कि उस चीज़ की ओर आओ जो अल्लाह ने अवतरित की है और रसूल की ओर, तो वे कहते है, 'हमारे लिए तो वही काफ़ी है, जिस पर हमने अपने बाप-दादा को पाया है।' क्या यद्यपि उनके बापृ-दादा कुछ भी न जानते रहे हों और न सीधे मार्ग पर रहे हो? ([५] अल-माइदा: 104)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا عَلَيْكُمْ اَنْفُسَكُمْ ۚ لَا يَضُرُّكُمْ مَّنْ ضَلَّ اِذَا اهْتَدَيْتُمْ ۗ اِلَى اللّٰهِ مَرْجِعُكُمْ جَمِيْعًا فَيُنَبِّئُكُمْ بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ١٠٥
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए हो
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- लाज़िम है तुम पर (बचाना)
- anfusakum
- أَنفُسَكُمْۖ
- अपनी जानों को
- lā
- لَا
- ना नुक़सान देगा तुम्हें
- yaḍurrukum
- يَضُرُّكُم
- ना नुक़सान देगा तुम्हें
- man
- مَّن
- जो
- ḍalla
- ضَلَّ
- भटक गया
- idhā
- إِذَا
- जब
- ih'tadaytum
- ٱهْتَدَيْتُمْۚ
- हिदायत पा चुके तुम
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ अल्लाह ही के
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- तरफ़ अल्लाह ही के
- marjiʿukum
- مَرْجِعُكُمْ
- लौटना है तुम्हारा
- jamīʿan
- جَمِيعًا
- सब का
- fayunabbi-ukum
- فَيُنَبِّئُكُم
- फिर वो बता देगा तुम्हें
- bimā
- بِمَا
- वो जो
- kuntum
- كُنتُمْ
- थे तुम
- taʿmalūna
- تَعْمَلُونَ
- तुम अमल करते
ऐ ईमान लानेवालो! तुमपर अपनी चिन्ता अनिवार्य है, जब तुम रास्ते पर हो, तो जो कोई भटक जाए वह तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता। अल्लाह की ओर तुम सबको लौटकर जाना है। फिर वह तुम्हें बता देगा, जो कुछ तुम करते रहे होगे ([५] अल-माइदा: 105)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا شَهَادَةُ بَيْنِكُمْ اِذَا حَضَرَ اَحَدَكُمُ الْمَوْتُ حِيْنَ الْوَصِيَّةِ اثْنٰنِ ذَوَا عَدْلٍ مِّنْكُمْ اَوْ اٰخَرٰنِ مِنْ غَيْرِكُمْ اِنْ اَنْتُمْ ضَرَبْتُمْ فِى الْاَرْضِ فَاَصَابَتْكُمْ مُّصِيْبَةُ الْمَوْتِۗ تَحْبِسُوْنَهُمَا مِنْۢ بَعْدِ الصَّلٰوةِ فَيُقْسِمٰنِ بِاللّٰهِ اِنِ ارْتَبْتُمْ لَا نَشْتَرِيْ بِهٖ ثَمَنًا وَّلَوْ كَانَ ذَا قُرْبٰىۙ وَلَا نَكْتُمُ شَهَادَةَ اللّٰهِ اِنَّآ اِذًا لَّمِنَ الْاٰثِمِيْنَ ١٠٦
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए हो
- shahādatu
- شَهَٰدَةُ
- गवाही हो
- baynikum
- بَيْنِكُمْ
- तुम्हारे दर्मियान
- idhā
- إِذَا
- जब
- ḥaḍara
- حَضَرَ
- हाज़िर हो
- aḥadakumu
- أَحَدَكُمُ
- तुम में से किसी एक को
- l-mawtu
- ٱلْمَوْتُ
- मौत
- ḥīna
- حِينَ
- वक़्त
- l-waṣiyati
- ٱلْوَصِيَّةِ
- वसीयत के
- ith'nāni
- ٱثْنَانِ
- दो
- dhawā
- ذَوَا
- अदल वालों के
- ʿadlin
- عَدْلٍ
- अदल वालों के
- minkum
- مِّنكُمْ
- तुम में से
- aw
- أَوْ
- या
- ākharāni
- ءَاخَرَانِ
- दो और
- min
- مِنْ
- तुम्हारे अलावा से
- ghayrikum
- غَيْرِكُمْ
- तुम्हारे अलावा से
- in
- إِنْ
- अगर
- antum
- أَنتُمْ
- तुम
- ḍarabtum
- ضَرَبْتُمْ
- सफ़र कर रहे हो तुम
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- fa-aṣābatkum
- فَأَصَٰبَتْكُم
- फिर पहुँचे तुम्हें
- muṣībatu
- مُّصِيبَةُ
- मुसीबत
- l-mawti
- ٱلْمَوْتِۚ
- मौत की
- taḥbisūnahumā
- تَحْبِسُونَهُمَا
- तुम रोक लो उन दोनों को
- min
- مِنۢ
- बाद
- baʿdi
- بَعْدِ
- बाद
- l-ṣalati
- ٱلصَّلَوٰةِ
- नमाज़ के
- fayuq'simāni
- فَيُقْسِمَانِ
- फिर वो दोनों क़समें खाऐं
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह की
- ini
- إِنِ
- अगर
- ir'tabtum
- ٱرْتَبْتُمْ
- शक करो तुम
- lā
- لَا
- ना हम लेंगे
- nashtarī
- نَشْتَرِى
- ना हम लेंगे
- bihi
- بِهِۦ
- साथ उसके
- thamanan
- ثَمَنًا
- कोई क़ीमत
- walaw
- وَلَوْ
- और अगरचे
- kāna
- كَانَ
- हो वो
- dhā
- ذَا
- रिश्तेदार
- qur'bā
- قُرْبَىٰۙ
- रिश्तेदार
- walā
- وَلَا
- और ना
- naktumu
- نَكْتُمُ
- हम छुपाऐंगे
- shahādata
- شَهَٰدَةَ
- गवाही को
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- innā
- إِنَّآ
- बेशक हम
- idhan
- إِذًا
- तब
- lamina
- لَّمِنَ
- अलबत्ता गुनाहगारों में से होंगे
- l-āthimīna
- ٱلْءَاثِمِينَ
- अलबत्ता गुनाहगारों में से होंगे
ऐ ईमान लानेवालों! जब तुममें से किसी की मृत्यु का समय आ जाए तो वसीयत के समय तुममें से दो न्यायप्रिय व्यक्ति गवाह हों, या तुम्हारे ग़ैर लोगों में से दूसरे दो व्यक्ति गवाह बन जाएँ, यह उस समय कि यदि तुम कहीं सफ़र में गए हो और मृत्यु तुमपर आ पहुँचे। यदि तुम्हें कोई सन्देह हो तो नमाज़ के पश्चात उन दोनों को रोक लो, फिर वे दोनों अल्लाह की क़समें खाएँ कि 'हम इसके बदले कोई मूल्य स्वीकार करनेवाले नहीं हैं चाहे कोई नातेदार ही क्यों न हो और न हम अल्लाह की गवाही छिपाते है। निस्सन्देह ऐसा किया तो हम गुनाहगार ठहरेंगे।' ([५] अल-माइदा: 106)Tafseer (तफ़सीर )
فَاِنْ عُثِرَ عَلٰٓى اَنَّهُمَا اسْتَحَقَّآ اِثْمًا فَاٰخَرٰنِ يَقُوْمٰنِ مَقَامَهُمَا مِنَ الَّذِيْنَ اسْتَحَقَّ عَلَيْهِمُ الْاَوْلَيٰنِ فَيُقْسِمٰنِ بِاللّٰهِ لَشَهَادَتُنَآ اَحَقُّ مِنْ شَهَادَتِهِمَا وَمَا اعْتَدَيْنَآ ۖاِنَّآ اِذًا لَّمِنَ الظّٰلِمِيْنَ ١٠٧
- fa-in
- فَإِنْ
- फिर अगर
- ʿuthira
- عُثِرَ
- इत्तिला हो जाए
- ʿalā
- عَلَىٰٓ
- उस पर
- annahumā
- أَنَّهُمَا
- कि बेशक वो दोनों
- is'taḥaqqā
- ٱسْتَحَقَّآ
- वो मुस्तहिक़ हुए हैं
- ith'man
- إِثْمًا
- गुनाह के
- faākharāni
- فَـَٔاخَرَانِ
- पस दो दूसरे
- yaqūmāni
- يَقُومَانِ
- वो दोनों खड़े होंगे
- maqāmahumā
- مَقَامَهُمَا
- उन दोनों की जगह
- mina
- مِنَ
- उन लोगों में से
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन लोगों में से
- is'taḥaqqa
- ٱسْتَحَقَّ
- हक़ साबित हो गया
- ʿalayhimu
- عَلَيْهِمُ
- जिन पर
- l-awlayāni
- ٱلْأَوْلَيَٰنِ
- दो क़रीब तरीन
- fayuq'simāni
- فَيُقْسِمَانِ
- फिर वो दोनों क़समें खाऐंगे
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह की
- lashahādatunā
- لَشَهَٰدَتُنَآ
- अलबत्ता गवाही हमारी
- aḥaqqu
- أَحَقُّ
- ज़्यादा सच्ची है
- min
- مِن
- उन दोनों की गवाही से
- shahādatihimā
- شَهَٰدَتِهِمَا
- उन दोनों की गवाही से
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- iʿ'tadaynā
- ٱعْتَدَيْنَآ
- ज़्यादती की हमने
- innā
- إِنَّآ
- बेशक हम
- idhan
- إِذًا
- तब
- lamina
- لَّمِنَ
- अलबत्ता ज़ालिमों में से होंगे
- l-ẓālimīna
- ٱلظَّٰلِمِينَ
- अलबत्ता ज़ालिमों में से होंगे
फिर यदि पता चल जाए कि उन दोनों ने हक़ मारकर अपने को गुनाह में डाल लिया है, तो उनकी जगह दूसरे दो व्यक्ति उन लोगों में से खड़े हो जाएँ, जिनका हक़ पिछले दोनों ने मारना चाहा था, फिर वे दोनों अल्लाह की क़समें खाएँ कि 'हम दोनों की गवाही उन दोनों की गवाही से अधिक सच्ची है और हमने कोई ज़्यादती नहीं की है। निस्सन्देह हमने ऐसा किया तो अत्याचारियों में से होंगे।' ([५] अल-माइदा: 107)Tafseer (तफ़सीर )
ذٰلِكَ اَدْنٰٓى اَنْ يَّأْتُوْا بِالشَّهَادَةِ عَلٰى وَجْهِهَآ اَوْ يَخَافُوْٓا اَنْ تُرَدَّ اَيْمَانٌۢ بَعْدَ اَيْمَانِهِمْۗ وَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاسْمَعُوْا ۗوَاللّٰهُ لَا يَهْدِى الْقَوْمَ الْفٰسِقِيْنَ ࣖ ١٠٨
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- adnā
- أَدْنَىٰٓ
- ज़्यादा क़रीब है
- an
- أَن
- कि
- yatū
- يَأْتُوا۟
- वो लाऐं
- bil-shahādati
- بِٱلشَّهَٰدَةِ
- गवाही को
- ʿalā
- عَلَىٰ
- उसके (असल) रुख़ पर
- wajhihā
- وَجْهِهَآ
- उसके (असल) रुख़ पर
- aw
- أَوْ
- या
- yakhāfū
- يَخَافُوٓا۟
- वो डरें
- an
- أَن
- कि
- turadda
- تُرَدَّ
- रद्द कर दी जाऐंगी
- aymānun
- أَيْمَٰنٌۢ
- क़समें (उनकी)
- baʿda
- بَعْدَ
- बाद
- aymānihim
- أَيْمَٰنِهِمْۗ
- उन (वुरसा) की क़समों के
- wa-ittaqū
- وَٱتَّقُوا۟
- और डरो
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह से
- wa-is'maʿū
- وَٱسْمَعُوا۟ۗ
- और सुनो
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- lā
- لَا
- नहीं वो हिदायत देता
- yahdī
- يَهْدِى
- नहीं वो हिदायत देता
- l-qawma
- ٱلْقَوْمَ
- उन लोगों को
- l-fāsiqīna
- ٱلْفَٰسِقِينَ
- जो फ़ासिक़ हैं
इसमें इसकी सम्भावना है कि वे ठीक-ठीक गवाही देंगे या डरेंगे कि उनकी क़समों के पश्चात क़समें ली जाएँगी। अल्लाह का डर रखो और सुनो। अल्लाह अवज्ञाकारी लोगों को मार्ग नहीं दिखाता ([५] अल-माइदा: 108)Tafseer (तफ़सीर )
۞ يَوْمَ يَجْمَعُ اللّٰهُ الرُّسُلَ فَيَقُوْلُ مَاذَٓا اُجِبْتُمْ ۗ قَالُوْا لَا عِلْمَ لَنَا ۗاِنَّكَ اَنْتَ عَلَّامُ الْغُيُوْبِ ١٠٩
- yawma
- يَوْمَ
- जिस दिन
- yajmaʿu
- يَجْمَعُ
- जमा करेगा
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- l-rusula
- ٱلرُّسُلَ
- रसूलों को
- fayaqūlu
- فَيَقُولُ
- फिर कहेगा
- mādhā
- مَاذَآ
- क्या
- ujib'tum
- أُجِبْتُمْۖ
- जवाब दिए गए थे तुम
- qālū
- قَالُوا۟
- वो कहेंगे
- lā
- لَا
- नहीं कोई इल्म
- ʿil'ma
- عِلْمَ
- नहीं कोई इल्म
- lanā
- لَنَآۖ
- हमें
- innaka
- إِنَّكَ
- बेशक तू
- anta
- أَنتَ
- तू ही है
- ʿallāmu
- عَلَّٰمُ
- खूब जानने वाला
- l-ghuyūbi
- ٱلْغُيُوبِ
- ग़ैबों का
जिस दिन अल्लाह रसूलों को इकट्ठा करेगा, फिर कहेगा, 'तुम्हें क्या जवाब मिला?' वे कहेंगे, 'हमें कुछ नहीं मालूम। तू ही छिपी बातों को जानता है।' ([५] अल-माइदा: 109)Tafseer (तफ़सीर )
اِذْ قَالَ اللّٰهُ يٰعِيْسَى ابْنَ مَرْيَمَ اذْكُرْ نِعْمَتِيْ عَلَيْكَ وَعَلٰى وَالِدَتِكَ ۘاِذْ اَيَّدْتُّكَ بِرُوْحِ الْقُدُسِۗ تُكَلِّمُ النَّاسَ فِى الْمَهْدِ وَكَهْلًا ۚوَاِذْ عَلَّمْتُكَ الْكِتٰبَ وَالْحِكْمَةَ وَالتَّوْرٰىةَ وَالْاِنْجِيْلَ ۚوَاِذْ تَخْلُقُ مِنَ الطِّيْنِ كَهَيْـَٔةِ الطَّيْرِ بِاِذْنِيْ فَتَنْفُخُ فِيْهَا فَتَكُوْنُ طَيْرًاۢ بِاِذْنِيْ وَتُبْرِئُ الْاَكْمَهَ وَالْاَبْرَصَ بِاِذْنِيْ ۚوَاِذْ تُخْرِجُ الْمَوْتٰى بِاِذْنِيْ ۚوَاِذْ كَفَفْتُ بَنِيْٓ اِسْرَاۤءِيْلَ عَنْكَ اِذْ جِئْتَهُمْ بِالْبَيِّنٰتِ فَقَالَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا مِنْهُمْ اِنْ هٰذَآ اِلَّا سِحْرٌ مُّبِيْنٌ ١١٠
- idh
- إِذْ
- जब
- qāla
- قَالَ
- फ़रमाएगा
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- yāʿīsā
- يَٰعِيسَى
- ऐ ईसा इब्ने मरियम
- ib'na
- ٱبْنَ
- ऐ ईसा इब्ने मरियम
- maryama
- مَرْيَمَ
- ऐ ईसा इब्ने मरियम
- udh'kur
- ٱذْكُرْ
- याद करो
- niʿ'matī
- نِعْمَتِى
- मेरी नेअमत (जो)
- ʿalayka
- عَلَيْكَ
- तुझ पर है
- waʿalā
- وَعَلَىٰ
- और तेरी वालिदा पर
- wālidatika
- وَٰلِدَتِكَ
- और तेरी वालिदा पर
- idh
- إِذْ
- जब
- ayyadttuka
- أَيَّدتُّكَ
- ताईद की मैंने तुम्हारी
- birūḥi
- بِرُوحِ
- साथ रूहुल क़ुदुस के
- l-qudusi
- ٱلْقُدُسِ
- साथ रूहुल क़ुदुस के
- tukallimu
- تُكَلِّمُ
- तू कलाम करता था
- l-nāsa
- ٱلنَّاسَ
- लोगों से
- fī
- فِى
- गहवारे में
- l-mahdi
- ٱلْمَهْدِ
- गहवारे में
- wakahlan
- وَكَهْلًاۖ
- और अधेड़ उम्र में
- wa-idh
- وَإِذْ
- और जब
- ʿallamtuka
- عَلَّمْتُكَ
- तालीम दी मैंने तुझे
- l-kitāba
- ٱلْكِتَٰبَ
- किताब
- wal-ḥik'mata
- وَٱلْحِكْمَةَ
- और हिकमत
- wal-tawrāta
- وَٱلتَّوْرَىٰةَ
- और तौरात
- wal-injīla
- وَٱلْإِنجِيلَۖ
- और इन्जील की
- wa-idh
- وَإِذْ
- और जब
- takhluqu
- تَخْلُقُ
- तू बनाता था
- mina
- مِنَ
- मिट्टी से
- l-ṭīni
- ٱلطِّينِ
- मिट्टी से
- kahayati
- كَهَيْـَٔةِ
- मानिन्द शक्ल
- l-ṭayri
- ٱلطَّيْرِ
- परिन्दे की
- bi-idh'nī
- بِإِذْنِى
- मेरे इज़्न से
- fatanfukhu
- فَتَنفُخُ
- फिर तू फूँक मारता था
- fīhā
- فِيهَا
- उस में
- fatakūnu
- فَتَكُونُ
- फिर वो हो जाता था
- ṭayran
- طَيْرًۢا
- परिन्दा
- bi-idh'nī
- بِإِذْنِىۖ
- मेरे इज़्न से
- watub'ri-u
- وَتُبْرِئُ
- और तू अच्छा कर देता था
- l-akmaha
- ٱلْأَكْمَهَ
- पैदाइशी अँधे को
- wal-abraṣa
- وَٱلْأَبْرَصَ
- और बर्स वाले को
- bi-idh'nī
- بِإِذْنِىۖ
- मेरे इज़्न से
- wa-idh
- وَإِذْ
- और जब
- tukh'riju
- تُخْرِجُ
- तू निकालता था
- l-mawtā
- ٱلْمَوْتَىٰ
- मुर्दों को
- bi-idh'nī
- بِإِذْنِىۖ
- मेरे इज़्न से
- wa-idh
- وَإِذْ
- और जब
- kafaftu
- كَفَفْتُ
- रोका मैंने
- banī
- بَنِىٓ
- बनी इस्राईल को
- is'rāīla
- إِسْرَٰٓءِيلَ
- बनी इस्राईल को
- ʿanka
- عَنكَ
- तुझसे
- idh
- إِذْ
- जब
- ji'tahum
- جِئْتَهُم
- लाया तू उनके पास
- bil-bayināti
- بِٱلْبَيِّنَٰتِ
- वाज़ेह निशानियाँ
- faqāla
- فَقَالَ
- तो कहा
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन्होंने जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- min'hum
- مِنْهُمْ
- उनमें से
- in
- إِنْ
- नहीं है
- hādhā
- هَٰذَآ
- ये
- illā
- إِلَّا
- मगर
- siḥ'run
- سِحْرٌ
- जादू
- mubīnun
- مُّبِينٌ
- खुल्लम-खुल्ला
जब अल्लाह कहेगा, 'ऐ मरयम के बेटे ईसा! मेरे उस अनुग्रह को याद करो जो तुमपर और तुम्हारी माँ पर हुआ है। जब मैंने पवित्र आत्मा से तुम्हें शक्ति प्रदान की; तुम पालने में भी लोगों से बात करते थे और बड़ी अवस्था को पहुँचकर भी। और याद करो, जबकि मैंने तुम्हें किताब और हिकमत और तौरात और इनजील की शिक्षा दी थी। और याद करो जब तुम मेरे आदेश से मिट्टी से पक्षी का प्रारूपण करते थे; फिर उसमें फूँक मारते थे, तो वह मेरे आदेश से उड़नेवाली बन जाती थी। और तुम मेरे आदेश से मुर्दों को जीवित निकाल खड़ा करते थे। और याद करो जबकि मैंने तुमसे इसराइलियों को रोके रखा, जबकि तुम उनके पास खुली-खुली निशानियाँ लेकर पहुँचे थे, तो उनमें से जो इनकार करनेवाले थे, उन्होंने कहा, यह तो बस खुला जादू है।' ([५] अल-माइदा: 110)Tafseer (तफ़सीर )