اِنَّمَا يُرِيْدُ الشَّيْطٰنُ اَنْ يُّوْقِعَ بَيْنَكُمُ الْعَدَاوَةَ وَالْبَغْضَاۤءَ فِى الْخَمْرِ وَالْمَيْسِرِ وَيَصُدَّكُمْ عَنْ ذِكْرِ اللّٰهِ وَعَنِ الصَّلٰوةِ فَهَلْ اَنْتُمْ مُّنْتَهُوْنَ ٩١
- innamā
- إِنَّمَا
- बेशक
- yurīdu
- يُرِيدُ
- चाहता है
- l-shayṭānu
- ٱلشَّيْطَٰنُ
- शैतान
- an
- أَن
- कि
- yūqiʿa
- يُوقِعَ
- वो डाल दे
- baynakumu
- بَيْنَكُمُ
- दर्मियान तुम्हारे
- l-ʿadāwata
- ٱلْعَدَٰوَةَ
- अदावत
- wal-baghḍāa
- وَٱلْبَغْضَآءَ
- और बुग़्ज़
- fī
- فِى
- बवजह शराब (नशे)
- l-khamri
- ٱلْخَمْرِ
- बवजह शराब (नशे)
- wal-maysiri
- وَٱلْمَيْسِرِ
- और जुए के
- wayaṣuddakum
- وَيَصُدَّكُمْ
- और रोक दे तुम्हें
- ʿan
- عَن
- ज़िक्र से
- dhik'ri
- ذِكْرِ
- ज़िक्र से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- waʿani
- وَعَنِ
- और नमाज़ से
- l-ṣalati
- ٱلصَّلَوٰةِۖ
- और नमाज़ से
- fahal
- فَهَلْ
- तो क्या
- antum
- أَنتُم
- तुम
- muntahūna
- مُّنتَهُونَ
- बाज़ आने वाले हो
शैतान तो बस यही चाहता है कि शराब और जुए के द्वारा तुम्हारे बीच शत्रुता और द्वेष पैदा कर दे और तुम्हें अल्लाह की याद से और नमाज़ से रोक दे, तो क्या तुम बाज़ न आओगे? ([५] अल-माइदा: 91)Tafseer (तफ़सीर )
وَاَطِيْعُوا اللّٰهَ وَاَطِيْعُوا الرَّسُوْلَ وَاحْذَرُوْا ۚفَاِنْ تَوَلَّيْتُمْ فَاعْلَمُوْٓا اَنَّمَا عَلٰى رَسُوْلِنَا الْبَلٰغُ الْمُبِيْنُ ٩٢
- wa-aṭīʿū
- وَأَطِيعُوا۟
- और इताअत करो
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह की
- wa-aṭīʿū
- وَأَطِيعُوا۟
- और इताअत करो
- l-rasūla
- ٱلرَّسُولَ
- रसूल की
- wa-iḥ'dharū
- وَٱحْذَرُوا۟ۚ
- और डरो
- fa-in
- فَإِن
- फिर अगर
- tawallaytum
- تَوَلَّيْتُمْ
- मुँह मोड़ लिया तुमने
- fa-iʿ'lamū
- فَٱعْلَمُوٓا۟
- तो जान लो
- annamā
- أَنَّمَا
- बेशक
- ʿalā
- عَلَىٰ
- हमारे रसूल के ज़िम्मे
- rasūlinā
- رَسُولِنَا
- हमारे रसूल के ज़िम्मे
- l-balāghu
- ٱلْبَلَٰغُ
- पहुँचा देना है
- l-mubīnu
- ٱلْمُبِينُ
- खुल्लम-खुल्ला
अल्लाह की आज्ञा का पालन करो और रसूल की आज्ञा का पालन करो और बचते रहो, किन्तु यदि तुमने मुँह मोड़ा तो जान लो कि हमारे रसूल पर केवल स्पष्ट रूप से (संदेश) पहुँचा देने की ज़िम्मेदारी है ([५] अल-माइदा: 92)Tafseer (तफ़सीर )
لَيْسَ عَلَى الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ جُنَاحٌ فِيْمَا طَعِمُوْٓا اِذَا مَا اتَّقَوْا وَّاٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ ثُمَّ اتَّقَوْا وَّاٰمَنُوْا ثُمَّ اتَّقَوْا وَّاَحْسَنُوْا ۗوَاللّٰهُ يُحِبُّ الْمُحْسِنِيْنَ ࣖ ٩٣
- laysa
- لَيْسَ
- नहीं है
- ʿalā
- عَلَى
- ऊपर उनके जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऊपर उनके जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- waʿamilū
- وَعَمِلُوا۟
- और उन्होंने अमल किए
- l-ṣāliḥāti
- ٱلصَّٰلِحَٰتِ
- नेक
- junāḥun
- جُنَاحٌ
- कोई गुनाह
- fīmā
- فِيمَا
- उसमें जो
- ṭaʿimū
- طَعِمُوٓا۟
- उन्होंने खाया
- idhā
- إِذَا
- जब
- mā
- مَا
- जब
- ittaqaw
- ٱتَّقَوا۟
- उन्होंने तक़वा किया
- waāmanū
- وَّءَامَنُوا۟
- और वो ईमान लाए
- waʿamilū
- وَعَمِلُوا۟
- और उन्होंने अमल किए
- l-ṣāliḥāti
- ٱلصَّٰلِحَٰتِ
- नेक
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- ittaqaw
- ٱتَّقَوا۟
- उन्होंने तक़वा किया
- waāmanū
- وَّءَامَنُوا۟
- और वो ईमान लाए
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- ittaqaw
- ٱتَّقَوا۟
- उन्होंने तक़वा किया
- wa-aḥsanū
- وَّأَحْسَنُوا۟ۗ
- और उन्होंने नेक काम किए
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- yuḥibbu
- يُحِبُّ
- वो पसंद करता है
- l-muḥ'sinīna
- ٱلْمُحْسِنِينَ
- नेक काम करने वालों को
जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए, वे पहले जो कुछ खा-पी चुके उसके लिए उनपर कोई गुनाह नहीं; जबकि वे डर रखें और ईमान पर क़ायम रहें और अच्छे कर्म करें। फिर डर रखें और ईमान लाए, फिर डर रखे और अच्छे से अच्छा कर्म करें। अल्लाह सत्कर्मियों से प्रेम करता है ([५] अल-माइदा: 93)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَيَبْلُوَنَّكُمُ اللّٰهُ بِشَيْءٍ مِّنَ الصَّيْدِ تَنَالُهٗٓ اَيْدِيْكُمْ وَرِمَاحُكُمْ لِيَعْلَمَ اللّٰهُ مَنْ يَّخَافُهٗ بِالْغَيْبِۚ فَمَنِ اعْتَدٰى بَعْدَ ذٰلِكَ فَلَهٗ عَذَابٌ اَلِيْمٌ ٩٤
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए हो
- layabluwannakumu
- لَيَبْلُوَنَّكُمُ
- अलबत्ता ज़रूर आज़माएगा तुम्हें
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- bishayin
- بِشَىْءٍ
- साथ एक चीज़ के
- mina
- مِّنَ
- शिकार में से
- l-ṣaydi
- ٱلصَّيْدِ
- शिकार में से
- tanāluhu
- تَنَالُهُۥٓ
- पा लेंगे उसे
- aydīkum
- أَيْدِيكُمْ
- हाथ तुम्हारे
- warimāḥukum
- وَرِمَاحُكُمْ
- और नेज़े तुम्हारे
- liyaʿlama
- لِيَعْلَمَ
- ताकि जान ले
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- man
- مَن
- कौन
- yakhāfuhu
- يَخَافُهُۥ
- डरता है उस से
- bil-ghaybi
- بِٱلْغَيْبِۚ
- ग़ायबाना तौर पर
- famani
- فَمَنِ
- तो जो कोई
- iʿ'tadā
- ٱعْتَدَىٰ
- ज़्यादती करे
- baʿda
- بَعْدَ
- बाद इसके
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- बाद इसके
- falahu
- فَلَهُۥ
- तो उसके लिए
- ʿadhābun
- عَذَابٌ
- अज़ाब है
- alīmun
- أَلِيمٌ
- दर्दनाक
ऐ ईमान लानेवालो! अल्लाह उस शिकार के द्वारा तुम्हारी अवश्य परीक्षा लेगा जिस तक तुम्हारे हाथ और नेज़े पहुँच सकें, ताकि अल्लाह यह जान ले कि उससे बिन देखे कौन डरता है। फिर इसके पश्चात जिसने ज़्यादती की, उसके लिए दुखद यातना है ([५] अल-माइदा: 94)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا تَقْتُلُوا الصَّيْدَ وَاَنْتُمْ حُرُمٌ ۗوَمَنْ قَتَلَهٗ مِنْكُمْ مُّتَعَمِّدًا فَجَزَۤاءٌ مِّثْلُ مَا قَتَلَ مِنَ النَّعَمِ يَحْكُمُ بِهٖ ذَوَا عَدْلٍ مِّنْكُمْ هَدْيًاۢ بٰلِغَ الْكَعْبَةِ اَوْ كَفَّارَةٌ طَعَامُ مَسٰكِيْنَ اَوْ عَدْلُ ذٰلِكَ صِيَامًا لِّيَذُوْقَ وَبَالَ اَمْرِهٖ ۗعَفَا اللّٰهُ عَمَّا سَلَفَ ۗوَمَنْ عَادَ فَيَنْتَقِمُ اللّٰهُ مِنْهُ ۗوَاللّٰهُ عَزِيْزٌ ذُو انْتِقَامٍ ٩٥
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए हो
- lā
- لَا
- ना तुम मारो
- taqtulū
- تَقْتُلُوا۟
- ना तुम मारो
- l-ṣayda
- ٱلصَّيْدَ
- शिकार को
- wa-antum
- وَأَنتُمْ
- जब कि तुम
- ḥurumun
- حُرُمٌۚ
- एहराम में हो
- waman
- وَمَن
- और जिसने
- qatalahu
- قَتَلَهُۥ
- मारा उसे
- minkum
- مِنكُم
- तुम में से
- mutaʿammidan
- مُّتَعَمِّدًا
- जान बूझ कर
- fajazāon
- فَجَزَآءٌ
- तो बदला है
- mith'lu
- مِّثْلُ
- मानिन्द
- mā
- مَا
- उसके जो
- qatala
- قَتَلَ
- उसने मारा
- mina
- مِنَ
- चौपायों में से
- l-naʿami
- ٱلنَّعَمِ
- चौपायों में से
- yaḥkumu
- يَحْكُمُ
- फ़ैसला करेंगे
- bihi
- بِهِۦ
- उसका
- dhawā
- ذَوَا
- दो अदल वाले
- ʿadlin
- عَدْلٍ
- दो अदल वाले
- minkum
- مِّنكُمْ
- तुम में से
- hadyan
- هَدْيًۢا
- बतौर क़ुर्बानी के
- bāligha
- بَٰلِغَ
- पहुँचने वाली
- l-kaʿbati
- ٱلْكَعْبَةِ
- काबा तक
- aw
- أَوْ
- या
- kaffāratun
- كَفَّٰرَةٌ
- कफ़्फ़ारा है
- ṭaʿāmu
- طَعَامُ
- खाना खिलाना
- masākīna
- مَسَٰكِينَ
- चंद मिस्कीनों का
- aw
- أَوْ
- या
- ʿadlu
- عَدْلُ
- बराबर
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- उसके
- ṣiyāman
- صِيَامًا
- रोज़े रखना है
- liyadhūqa
- لِّيَذُوقَ
- ताकि वो चखें
- wabāla
- وَبَالَ
- वबाल
- amrihi
- أَمْرِهِۦۗ
- अपने काम का
- ʿafā
- عَفَا
- दरगुज़र किया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- ʿammā
- عَمَّا
- उससे जो
- salafa
- سَلَفَۚ
- गुज़र चुका
- waman
- وَمَنْ
- और जो कोई
- ʿāda
- عَادَ
- लौटा
- fayantaqimu
- فَيَنتَقِمُ
- तो इन्तिक़ाम लेगा
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- min'hu
- مِنْهُۗ
- उससे
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- ʿazīzun
- عَزِيزٌ
- बहुत ज़बरदस्त है
- dhū
- ذُو
- इन्तिक़ाम लेने वाला है
- intiqāmin
- ٱنتِقَامٍ
- इन्तिक़ाम लेने वाला है
ऐ ईमान लानेवालो! इहराम की हालत में तुम शिकार न मारो। तुम में जो कोई जान-बूझकर उसे मारे, तो उसने जो जानवर मारा हो, चौपायों में से उसी जैसा एक जानवर - जिसका फ़ैसला तुम्हारे दो न्यायप्रिय व्यक्ति कर दें - काबा पहुँचाकर क़ुरबान किया जाए, या प्रायश्चित के रूप में मुहताजों को भोजन कराना होगा या उसके बराबर रोज़े रखने होंगे, ताकि वह अपने किए का मज़ा चख ले। जो पहले हो चुका उसे अल्लाह ने क्षमा कर दिया; परन्तु जिस किसी ने फिर ऐसा किया तो अल्लाह उससे बदला लेगा। अल्लाह प्रभुत्वशाली, बदला लेनेवाला है ([५] अल-माइदा: 95)Tafseer (तफ़सीर )
اُحِلَّ لَكُمْ صَيْدُ الْبَحْرِ وَطَعَامُهٗ مَتَاعًا لَّكُمْ وَلِلسَّيَّارَةِ ۚوَحُرِّمَ عَلَيْكُمْ صَيْدُ الْبَرِّ مَا دُمْتُمْ حُرُمًا ۗوَاتَّقُوا اللّٰهَ الَّذِيْٓ اِلَيْهِ تُحْشَرُوْنَ ٩٦
- uḥilla
- أُحِلَّ
- हलाल किया गया है
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- ṣaydu
- صَيْدُ
- शिकार
- l-baḥri
- ٱلْبَحْرِ
- समुन्दर का
- waṭaʿāmuhu
- وَطَعَامُهُۥ
- और खाना उसका
- matāʿan
- مَتَٰعًا
- फ़ायदामंद है
- lakum
- لَّكُمْ
- तुम्हारे लिए
- walilssayyārati
- وَلِلسَّيَّارَةِۖ
- और क़ाफ़िले के लिए
- waḥurrima
- وَحُرِّمَ
- और हराम किया गया
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- ṣaydu
- صَيْدُ
- शिकार
- l-bari
- ٱلْبَرِّ
- ख़ुश्की का
- mā
- مَا
- जब तक हो तुम
- dum'tum
- دُمْتُمْ
- जब तक हो तुम
- ḥuruman
- حُرُمًاۗ
- ऐहराम में
- wa-ittaqū
- وَٱتَّقُوا۟
- और डरो
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह से
- alladhī
- ٱلَّذِىٓ
- वो जो
- ilayhi
- إِلَيْهِ
- तरफ़ उसके
- tuḥ'sharūna
- تُحْشَرُونَ
- तुम इकट्ठे किए जाओगे
तुम्हारे लिए जल की शिकार और उसका खाना हलाल है कि तुम उससे फ़ायदा उठाओ और मुसाफ़िर भी। किन्तु थलीय शिकार जब तक तुम इहराम में हो, तुमपर हराम है। और अल्लाह से डरते रहो, जिसकी ओर तुम इकट्ठा होगे ([५] अल-माइदा: 96)Tafseer (तफ़सीर )
۞ جَعَلَ اللّٰهُ الْكَعْبَةَ الْبَيْتَ الْحَرَامَ قِيٰمًا لِّلنَّاسِ وَالشَّهْرَ الْحَرَامَ وَالْهَدْيَ وَالْقَلَاۤىِٕدَ ۗذٰلِكَ لِتَعْلَمُوْٓا اَنَّ اللّٰهَ يَعْلَمُ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَمَا فِى الْاَرْضِۙ وَاَنَّ اللّٰهَ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيْمٌ ٩٧
- jaʿala
- جَعَلَ
- बनाया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- l-kaʿbata
- ٱلْكَعْبَةَ
- काबा को
- l-bayta
- ٱلْبَيْتَ
- घर
- l-ḥarāma
- ٱلْحَرَامَ
- हुरमत वाला
- qiyāman
- قِيَٰمًا
- क़याम का ज़रिया
- lilnnāsi
- لِّلنَّاسِ
- लोगों के लिए
- wal-shahra
- وَٱلشَّهْرَ
- और माहे
- l-ḥarāma
- ٱلْحَرَامَ
- हराम को
- wal-hadya
- وَٱلْهَدْىَ
- और क़ुर्बानी को
- wal-qalāida
- وَٱلْقَلَٰٓئِدَۚ
- और पट्टे वाले जानवरों को
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये (इसलिए)
- litaʿlamū
- لِتَعْلَمُوٓا۟
- ताकि तुम जान लो
- anna
- أَنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- yaʿlamu
- يَعْلَمُ
- वो जानता है
- mā
- مَا
- जो कुछ
- fī
- فِى
- आसमानों में है
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों में है
- wamā
- وَمَا
- और जो कुछ
- fī
- فِى
- ज़मीन में है
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में है
- wa-anna
- وَأَنَّ
- और बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- bikulli
- بِكُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ को
- ʿalīmun
- عَلِيمٌ
- ख़ूब जानने वाला है
अल्लाह ने आदरणीय घर काबा को लोगों के लिए क़ायम रहने का साधन बनाया और आदरणीय महीनों और क़ुरबानी के जानबरों और उन जानवरों को भी जिनके गले में पट्टे बँधे हो, यह इसलिए कि तुम जान लो कि अल्लाह जानता है जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है। और यह कि अल्लाह हर चीज़ से अवगत है ([५] अल-माइदा: 97)Tafseer (तफ़सीर )
اِعْلَمُوْٓا اَنَّ اللّٰهَ شَدِيْدُ الْعِقَابِۙ وَاَنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌۗ ٩٨
- iʿ'lamū
- ٱعْلَمُوٓا۟
- जान लो
- anna
- أَنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- shadīdu
- شَدِيدُ
- सख़्त
- l-ʿiqābi
- ٱلْعِقَابِ
- सज़ा वाला है
- wa-anna
- وَأَنَّ
- और बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- ghafūrun
- غَفُورٌ
- बहुत बख़्शने वाला है
- raḥīmun
- رَّحِيمٌ
- निहायत रहम करने वाला है
जान लो अल्लाह कठोर दड देनेवाला है और यह कि अल्लाह बड़ा क्षमाशील, दयावान है ([५] अल-माइदा: 98)Tafseer (तफ़सीर )
مَا عَلَى الرَّسُوْلِ اِلَّا الْبَلٰغُ ۗوَاللّٰهُ يَعْلَمُ مَا تُبْدُوْنَ وَمَا تَكْتُمُوْنَ ٩٩
- mā
- مَّا
- नहीं है
- ʿalā
- عَلَى
- रसूल पर
- l-rasūli
- ٱلرَّسُولِ
- रसूल पर
- illā
- إِلَّا
- मगर
- l-balāghu
- ٱلْبَلَٰغُۗ
- पहुँचा देना
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- yaʿlamu
- يَعْلَمُ
- जानता है
- mā
- مَا
- जो
- tub'dūna
- تُبْدُونَ
- तुम ज़ाहिर करते हो
- wamā
- وَمَا
- और जो
- taktumūna
- تَكْتُمُونَ
- तुम छुपाते हो
रसूल पर (सन्देश) पहुँचा देने के अतिरिक्त और कोई ज़िम्मेदारी नहीं। अल्लाह तो जानता है, जो कुछ तुम प्रकट करते हो और जो कुछ तुम छिपाते हो ([५] अल-माइदा: 99)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ لَّا يَسْتَوِى الْخَبِيْثُ وَالطَّيِّبُ وَلَوْ اَعْجَبَكَ كَثْرَةُ الْخَبِيْثِۚ فَاتَّقُوا اللّٰهَ يٰٓاُولِى الْاَلْبَابِ لَعَلَّكُمْ تُفْلِحُوْنَ ࣖ ١٠٠
- qul
- قُل
- कह दीजिए
- lā
- لَّا
- नहीं बराबर हो सकते
- yastawī
- يَسْتَوِى
- नहीं बराबर हो सकते
- l-khabīthu
- ٱلْخَبِيثُ
- नापाक
- wal-ṭayibu
- وَٱلطَّيِّبُ
- और पाक
- walaw
- وَلَوْ
- और अगरचे
- aʿjabaka
- أَعْجَبَكَ
- अच्छी लगे तुम्हें
- kathratu
- كَثْرَةُ
- कसरत
- l-khabīthi
- ٱلْخَبِيثِۚ
- नापाक की
- fa-ittaqū
- فَٱتَّقُوا۟
- पस डरो
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह से
- yāulī
- يَٰٓأُو۟لِى
- ऐ अक़्ल वालो
- l-albābi
- ٱلْأَلْبَٰبِ
- ऐ अक़्ल वालो
- laʿallakum
- لَعَلَّكُمْ
- ताकि तुम
- tuf'liḥūna
- تُفْلِحُونَ
- तुम फ़लाह पा जाओ
कह दो, 'बुरी चीज़ और अच्छी चीज़ समान नहीं होती, चाहे बुरी चीज़ों की बहुतायत तुम्हें प्रिय ही क्यों न लगे।' अतः ऐ बुद्धि और समझवालों! अल्लाह का डर रखो, ताकि तुम सफल हो सको ([५] अल-माइदा: 100)Tafseer (तफ़सीर )