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सूरा अल-माइदा - Page: 10

Al-Ma'idah

(मेज़)

९१

اِنَّمَا يُرِيْدُ الشَّيْطٰنُ اَنْ يُّوْقِعَ بَيْنَكُمُ الْعَدَاوَةَ وَالْبَغْضَاۤءَ فِى الْخَمْرِ وَالْمَيْسِرِ وَيَصُدَّكُمْ عَنْ ذِكْرِ اللّٰهِ وَعَنِ الصَّلٰوةِ فَهَلْ اَنْتُمْ مُّنْتَهُوْنَ ٩١

innamā
إِنَّمَا
बेशक
yurīdu
يُرِيدُ
चाहता है
l-shayṭānu
ٱلشَّيْطَٰنُ
शैतान
an
أَن
कि
yūqiʿa
يُوقِعَ
वो डाल दे
baynakumu
بَيْنَكُمُ
दर्मियान तुम्हारे
l-ʿadāwata
ٱلْعَدَٰوَةَ
अदावत
wal-baghḍāa
وَٱلْبَغْضَآءَ
और बुग़्ज़
فِى
बवजह शराब (नशे)
l-khamri
ٱلْخَمْرِ
बवजह शराब (नशे)
wal-maysiri
وَٱلْمَيْسِرِ
और जुए के
wayaṣuddakum
وَيَصُدَّكُمْ
और रोक दे तुम्हें
ʿan
عَن
ज़िक्र से
dhik'ri
ذِكْرِ
ज़िक्र से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
waʿani
وَعَنِ
और नमाज़ से
l-ṣalati
ٱلصَّلَوٰةِۖ
और नमाज़ से
fahal
فَهَلْ
तो क्या
antum
أَنتُم
तुम
muntahūna
مُّنتَهُونَ
बाज़ आने वाले हो
शैतान तो बस यही चाहता है कि शराब और जुए के द्वारा तुम्हारे बीच शत्रुता और द्वेष पैदा कर दे और तुम्हें अल्लाह की याद से और नमाज़ से रोक दे, तो क्या तुम बाज़ न आओगे? ([५] अल-माइदा: 91)
Tafseer (तफ़सीर )
९२

وَاَطِيْعُوا اللّٰهَ وَاَطِيْعُوا الرَّسُوْلَ وَاحْذَرُوْا ۚفَاِنْ تَوَلَّيْتُمْ فَاعْلَمُوْٓا اَنَّمَا عَلٰى رَسُوْلِنَا الْبَلٰغُ الْمُبِيْنُ ٩٢

wa-aṭīʿū
وَأَطِيعُوا۟
और इताअत करो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह की
wa-aṭīʿū
وَأَطِيعُوا۟
और इताअत करो
l-rasūla
ٱلرَّسُولَ
रसूल की
wa-iḥ'dharū
وَٱحْذَرُوا۟ۚ
और डरो
fa-in
فَإِن
फिर अगर
tawallaytum
تَوَلَّيْتُمْ
मुँह मोड़ लिया तुमने
fa-iʿ'lamū
فَٱعْلَمُوٓا۟
तो जान लो
annamā
أَنَّمَا
बेशक
ʿalā
عَلَىٰ
हमारे रसूल के ज़िम्मे
rasūlinā
رَسُولِنَا
हमारे रसूल के ज़िम्मे
l-balāghu
ٱلْبَلَٰغُ
पहुँचा देना है
l-mubīnu
ٱلْمُبِينُ
खुल्लम-खुल्ला
अल्लाह की आज्ञा का पालन करो और रसूल की आज्ञा का पालन करो और बचते रहो, किन्तु यदि तुमने मुँह मोड़ा तो जान लो कि हमारे रसूल पर केवल स्पष्ट रूप से (संदेश) पहुँचा देने की ज़िम्मेदारी है ([५] अल-माइदा: 92)
Tafseer (तफ़सीर )
९३

لَيْسَ عَلَى الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ جُنَاحٌ فِيْمَا طَعِمُوْٓا اِذَا مَا اتَّقَوْا وَّاٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ ثُمَّ اتَّقَوْا وَّاٰمَنُوْا ثُمَّ اتَّقَوْا وَّاَحْسَنُوْا ۗوَاللّٰهُ يُحِبُّ الْمُحْسِنِيْنَ ࣖ ٩٣

laysa
لَيْسَ
नहीं है
ʿalā
عَلَى
ऊपर उनके जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऊपर उनके जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
waʿamilū
وَعَمِلُوا۟
और उन्होंने अमल किए
l-ṣāliḥāti
ٱلصَّٰلِحَٰتِ
नेक
junāḥun
جُنَاحٌ
कोई गुनाह
fīmā
فِيمَا
उसमें जो
ṭaʿimū
طَعِمُوٓا۟
उन्होंने खाया
idhā
إِذَا
जब
مَا
जब
ittaqaw
ٱتَّقَوا۟
उन्होंने तक़वा किया
waāmanū
وَّءَامَنُوا۟
और वो ईमान लाए
waʿamilū
وَعَمِلُوا۟
और उन्होंने अमल किए
l-ṣāliḥāti
ٱلصَّٰلِحَٰتِ
नेक
thumma
ثُمَّ
फिर
ittaqaw
ٱتَّقَوا۟
उन्होंने तक़वा किया
waāmanū
وَّءَامَنُوا۟
और वो ईमान लाए
thumma
ثُمَّ
फिर
ittaqaw
ٱتَّقَوا۟
उन्होंने तक़वा किया
wa-aḥsanū
وَّأَحْسَنُوا۟ۗ
और उन्होंने नेक काम किए
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
yuḥibbu
يُحِبُّ
वो पसंद करता है
l-muḥ'sinīna
ٱلْمُحْسِنِينَ
नेक काम करने वालों को
जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए, वे पहले जो कुछ खा-पी चुके उसके लिए उनपर कोई गुनाह नहीं; जबकि वे डर रखें और ईमान पर क़ायम रहें और अच्छे कर्म करें। फिर डर रखें और ईमान लाए, फिर डर रखे और अच्छे से अच्छा कर्म करें। अल्लाह सत्कर्मियों से प्रेम करता है ([५] अल-माइदा: 93)
Tafseer (तफ़सीर )
९४

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَيَبْلُوَنَّكُمُ اللّٰهُ بِشَيْءٍ مِّنَ الصَّيْدِ تَنَالُهٗٓ اَيْدِيْكُمْ وَرِمَاحُكُمْ لِيَعْلَمَ اللّٰهُ مَنْ يَّخَافُهٗ بِالْغَيْبِۚ فَمَنِ اعْتَدٰى بَعْدَ ذٰلِكَ فَلَهٗ عَذَابٌ اَلِيْمٌ ٩٤

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
layabluwannakumu
لَيَبْلُوَنَّكُمُ
अलबत्ता ज़रूर आज़माएगा तुम्हें
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
bishayin
بِشَىْءٍ
साथ एक चीज़ के
mina
مِّنَ
शिकार में से
l-ṣaydi
ٱلصَّيْدِ
शिकार में से
tanāluhu
تَنَالُهُۥٓ
पा लेंगे उसे
aydīkum
أَيْدِيكُمْ
हाथ तुम्हारे
warimāḥukum
وَرِمَاحُكُمْ
और नेज़े तुम्हारे
liyaʿlama
لِيَعْلَمَ
ताकि जान ले
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
man
مَن
कौन
yakhāfuhu
يَخَافُهُۥ
डरता है उस से
bil-ghaybi
بِٱلْغَيْبِۚ
ग़ायबाना तौर पर
famani
فَمَنِ
तो जो कोई
iʿ'tadā
ٱعْتَدَىٰ
ज़्यादती करे
baʿda
بَعْدَ
बाद इसके
dhālika
ذَٰلِكَ
बाद इसके
falahu
فَلَهُۥ
तो उसके लिए
ʿadhābun
عَذَابٌ
अज़ाब है
alīmun
أَلِيمٌ
दर्दनाक
ऐ ईमान लानेवालो! अल्लाह उस शिकार के द्वारा तुम्हारी अवश्य परीक्षा लेगा जिस तक तुम्हारे हाथ और नेज़े पहुँच सकें, ताकि अल्लाह यह जान ले कि उससे बिन देखे कौन डरता है। फिर इसके पश्चात जिसने ज़्यादती की, उसके लिए दुखद यातना है ([५] अल-माइदा: 94)
Tafseer (तफ़सीर )
९५

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا تَقْتُلُوا الصَّيْدَ وَاَنْتُمْ حُرُمٌ ۗوَمَنْ قَتَلَهٗ مِنْكُمْ مُّتَعَمِّدًا فَجَزَۤاءٌ مِّثْلُ مَا قَتَلَ مِنَ النَّعَمِ يَحْكُمُ بِهٖ ذَوَا عَدْلٍ مِّنْكُمْ هَدْيًاۢ بٰلِغَ الْكَعْبَةِ اَوْ كَفَّارَةٌ طَعَامُ مَسٰكِيْنَ اَوْ عَدْلُ ذٰلِكَ صِيَامًا لِّيَذُوْقَ وَبَالَ اَمْرِهٖ ۗعَفَا اللّٰهُ عَمَّا سَلَفَ ۗوَمَنْ عَادَ فَيَنْتَقِمُ اللّٰهُ مِنْهُ ۗوَاللّٰهُ عَزِيْزٌ ذُو انْتِقَامٍ ٩٥

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
لَا
ना तुम मारो
taqtulū
تَقْتُلُوا۟
ना तुम मारो
l-ṣayda
ٱلصَّيْدَ
शिकार को
wa-antum
وَأَنتُمْ
जब कि तुम
ḥurumun
حُرُمٌۚ
एहराम में हो
waman
وَمَن
और जिसने
qatalahu
قَتَلَهُۥ
मारा उसे
minkum
مِنكُم
तुम में से
mutaʿammidan
مُّتَعَمِّدًا
जान बूझ कर
fajazāon
فَجَزَآءٌ
तो बदला है
mith'lu
مِّثْلُ
मानिन्द
مَا
उसके जो
qatala
قَتَلَ
उसने मारा
mina
مِنَ
चौपायों में से
l-naʿami
ٱلنَّعَمِ
चौपायों में से
yaḥkumu
يَحْكُمُ
फ़ैसला करेंगे
bihi
بِهِۦ
उसका
dhawā
ذَوَا
दो अदल वाले
ʿadlin
عَدْلٍ
दो अदल वाले
minkum
مِّنكُمْ
तुम में से
hadyan
هَدْيًۢا
बतौर क़ुर्बानी के
bāligha
بَٰلِغَ
पहुँचने वाली
l-kaʿbati
ٱلْكَعْبَةِ
काबा तक
aw
أَوْ
या
kaffāratun
كَفَّٰرَةٌ
कफ़्फ़ारा है
ṭaʿāmu
طَعَامُ
खाना खिलाना
masākīna
مَسَٰكِينَ
चंद मिस्कीनों का
aw
أَوْ
या
ʿadlu
عَدْلُ
बराबर
dhālika
ذَٰلِكَ
उसके
ṣiyāman
صِيَامًا
रोज़े रखना है
liyadhūqa
لِّيَذُوقَ
ताकि वो चखें
wabāla
وَبَالَ
वबाल
amrihi
أَمْرِهِۦۗ
अपने काम का
ʿafā
عَفَا
दरगुज़र किया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
ʿammā
عَمَّا
उससे जो
salafa
سَلَفَۚ
गुज़र चुका
waman
وَمَنْ
और जो कोई
ʿāda
عَادَ
लौटा
fayantaqimu
فَيَنتَقِمُ
तो इन्तिक़ाम लेगा
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
min'hu
مِنْهُۗ
उससे
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
ʿazīzun
عَزِيزٌ
बहुत ज़बरदस्त है
dhū
ذُو
इन्तिक़ाम लेने वाला है
intiqāmin
ٱنتِقَامٍ
इन्तिक़ाम लेने वाला है
ऐ ईमान लानेवालो! इहराम की हालत में तुम शिकार न मारो। तुम में जो कोई जान-बूझकर उसे मारे, तो उसने जो जानवर मारा हो, चौपायों में से उसी जैसा एक जानवर - जिसका फ़ैसला तुम्हारे दो न्यायप्रिय व्यक्ति कर दें - काबा पहुँचाकर क़ुरबान किया जाए, या प्रायश्चित के रूप में मुहताजों को भोजन कराना होगा या उसके बराबर रोज़े रखने होंगे, ताकि वह अपने किए का मज़ा चख ले। जो पहले हो चुका उसे अल्लाह ने क्षमा कर दिया; परन्तु जिस किसी ने फिर ऐसा किया तो अल्लाह उससे बदला लेगा। अल्लाह प्रभुत्वशाली, बदला लेनेवाला है ([५] अल-माइदा: 95)
Tafseer (तफ़सीर )
९६

اُحِلَّ لَكُمْ صَيْدُ الْبَحْرِ وَطَعَامُهٗ مَتَاعًا لَّكُمْ وَلِلسَّيَّارَةِ ۚوَحُرِّمَ عَلَيْكُمْ صَيْدُ الْبَرِّ مَا دُمْتُمْ حُرُمًا ۗوَاتَّقُوا اللّٰهَ الَّذِيْٓ اِلَيْهِ تُحْشَرُوْنَ ٩٦

uḥilla
أُحِلَّ
हलाल किया गया है
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
ṣaydu
صَيْدُ
शिकार
l-baḥri
ٱلْبَحْرِ
समुन्दर का
waṭaʿāmuhu
وَطَعَامُهُۥ
और खाना उसका
matāʿan
مَتَٰعًا
फ़ायदामंद है
lakum
لَّكُمْ
तुम्हारे लिए
walilssayyārati
وَلِلسَّيَّارَةِۖ
और क़ाफ़िले के लिए
waḥurrima
وَحُرِّمَ
और हराम किया गया
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
ṣaydu
صَيْدُ
शिकार
l-bari
ٱلْبَرِّ
ख़ुश्की का
مَا
जब तक हो तुम
dum'tum
دُمْتُمْ
जब तक हो तुम
ḥuruman
حُرُمًاۗ
ऐहराम में
wa-ittaqū
وَٱتَّقُوا۟
और डरो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह से
alladhī
ٱلَّذِىٓ
वो जो
ilayhi
إِلَيْهِ
तरफ़ उसके
tuḥ'sharūna
تُحْشَرُونَ
तुम इकट्ठे किए जाओगे
तुम्हारे लिए जल की शिकार और उसका खाना हलाल है कि तुम उससे फ़ायदा उठाओ और मुसाफ़िर भी। किन्तु थलीय शिकार जब तक तुम इहराम में हो, तुमपर हराम है। और अल्लाह से डरते रहो, जिसकी ओर तुम इकट्ठा होगे ([५] अल-माइदा: 96)
Tafseer (तफ़सीर )
९७

۞ جَعَلَ اللّٰهُ الْكَعْبَةَ الْبَيْتَ الْحَرَامَ قِيٰمًا لِّلنَّاسِ وَالشَّهْرَ الْحَرَامَ وَالْهَدْيَ وَالْقَلَاۤىِٕدَ ۗذٰلِكَ لِتَعْلَمُوْٓا اَنَّ اللّٰهَ يَعْلَمُ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَمَا فِى الْاَرْضِۙ وَاَنَّ اللّٰهَ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيْمٌ ٩٧

jaʿala
جَعَلَ
बनाया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
l-kaʿbata
ٱلْكَعْبَةَ
काबा को
l-bayta
ٱلْبَيْتَ
घर
l-ḥarāma
ٱلْحَرَامَ
हुरमत वाला
qiyāman
قِيَٰمًا
क़याम का ज़रिया
lilnnāsi
لِّلنَّاسِ
लोगों के लिए
wal-shahra
وَٱلشَّهْرَ
और माहे
l-ḥarāma
ٱلْحَرَامَ
हराम को
wal-hadya
وَٱلْهَدْىَ
और क़ुर्बानी को
wal-qalāida
وَٱلْقَلَٰٓئِدَۚ
और पट्टे वाले जानवरों को
dhālika
ذَٰلِكَ
ये (इसलिए)
litaʿlamū
لِتَعْلَمُوٓا۟
ताकि तुम जान लो
anna
أَنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
yaʿlamu
يَعْلَمُ
वो जानता है
مَا
जो कुछ
فِى
आसमानों में है
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों में है
wamā
وَمَا
और जो कुछ
فِى
ज़मीन में है
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में है
wa-anna
وَأَنَّ
और बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
bikulli
بِكُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ को
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब जानने वाला है
अल्लाह ने आदरणीय घर काबा को लोगों के लिए क़ायम रहने का साधन बनाया और आदरणीय महीनों और क़ुरबानी के जानबरों और उन जानवरों को भी जिनके गले में पट्टे बँधे हो, यह इसलिए कि तुम जान लो कि अल्लाह जानता है जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है। और यह कि अल्लाह हर चीज़ से अवगत है ([५] अल-माइदा: 97)
Tafseer (तफ़सीर )
९८

اِعْلَمُوْٓا اَنَّ اللّٰهَ شَدِيْدُ الْعِقَابِۙ وَاَنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌۗ ٩٨

iʿ'lamū
ٱعْلَمُوٓا۟
जान लो
anna
أَنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
shadīdu
شَدِيدُ
सख़्त
l-ʿiqābi
ٱلْعِقَابِ
सज़ा वाला है
wa-anna
وَأَنَّ
और बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
ghafūrun
غَفُورٌ
बहुत बख़्शने वाला है
raḥīmun
رَّحِيمٌ
निहायत रहम करने वाला है
जान लो अल्लाह कठोर दड देनेवाला है और यह कि अल्लाह बड़ा क्षमाशील, दयावान है ([५] अल-माइदा: 98)
Tafseer (तफ़सीर )
९९

مَا عَلَى الرَّسُوْلِ اِلَّا الْبَلٰغُ ۗوَاللّٰهُ يَعْلَمُ مَا تُبْدُوْنَ وَمَا تَكْتُمُوْنَ ٩٩

مَّا
नहीं है
ʿalā
عَلَى
रसूल पर
l-rasūli
ٱلرَّسُولِ
रसूल पर
illā
إِلَّا
मगर
l-balāghu
ٱلْبَلَٰغُۗ
पहुँचा देना
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
yaʿlamu
يَعْلَمُ
जानता है
مَا
जो
tub'dūna
تُبْدُونَ
तुम ज़ाहिर करते हो
wamā
وَمَا
और जो
taktumūna
تَكْتُمُونَ
तुम छुपाते हो
रसूल पर (सन्देश) पहुँचा देने के अतिरिक्त और कोई ज़िम्मेदारी नहीं। अल्लाह तो जानता है, जो कुछ तुम प्रकट करते हो और जो कुछ तुम छिपाते हो ([५] अल-माइदा: 99)
Tafseer (तफ़सीर )
१००

قُلْ لَّا يَسْتَوِى الْخَبِيْثُ وَالطَّيِّبُ وَلَوْ اَعْجَبَكَ كَثْرَةُ الْخَبِيْثِۚ فَاتَّقُوا اللّٰهَ يٰٓاُولِى الْاَلْبَابِ لَعَلَّكُمْ تُفْلِحُوْنَ ࣖ ١٠٠

qul
قُل
कह दीजिए
لَّا
नहीं बराबर हो सकते
yastawī
يَسْتَوِى
नहीं बराबर हो सकते
l-khabīthu
ٱلْخَبِيثُ
नापाक
wal-ṭayibu
وَٱلطَّيِّبُ
और पाक
walaw
وَلَوْ
और अगरचे
aʿjabaka
أَعْجَبَكَ
अच्छी लगे तुम्हें
kathratu
كَثْرَةُ
कसरत
l-khabīthi
ٱلْخَبِيثِۚ
नापाक की
fa-ittaqū
فَٱتَّقُوا۟
पस डरो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह से
yāulī
يَٰٓأُو۟لِى
ऐ अक़्ल वालो
l-albābi
ٱلْأَلْبَٰبِ
ऐ अक़्ल वालो
laʿallakum
لَعَلَّكُمْ
ताकि तुम
tuf'liḥūna
تُفْلِحُونَ
तुम फ़लाह पा जाओ
कह दो, 'बुरी चीज़ और अच्छी चीज़ समान नहीं होती, चाहे बुरी चीज़ों की बहुतायत तुम्हें प्रिय ही क्यों न लगे।' अतः ऐ बुद्धि और समझवालों! अल्लाह का डर रखो, ताकि तुम सफल हो सको ([५] अल-माइदा: 100)
Tafseer (तफ़सीर )