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सूरा अल-माइदा - शब्द द्वारा शब्द

Al-Ma'idah

(मेज़)

bismillaahirrahmaanirrahiim

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اَوْفُوْا بِالْعُقُوْدِۗ اُحِلَّتْ لَكُمْ بَهِيْمَةُ الْاَنْعَامِ اِلَّا مَا يُتْلٰى عَلَيْكُمْ غَيْرَ مُحِلِّى الصَّيْدِ وَاَنْتُمْ حُرُمٌۗ اِنَّ اللّٰهَ يَحْكُمُ مَا يُرِيْدُ ١

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوٓا۟
ईमान लाए हो
awfū
أَوْفُوا۟
पूरा करो
bil-ʿuqūdi
بِٱلْعُقُودِۚ
अहदो पैमान को
uḥillat
أُحِلَّتْ
हलाल कर दिए गए
lakum
لَكُم
तुम्हारे लिए
bahīmatu
بَهِيمَةُ
चौपाए
l-anʿāmi
ٱلْأَنْعَٰمِ
मवेशियों के
illā
إِلَّا
सिवाय
مَا
उनके जो
yut'lā
يُتْلَىٰ
पढ़े जाऐंगे
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
ghayra
غَيْرَ
ना
muḥillī
مُحِلِّى
हलाल करने वाले हो
l-ṣaydi
ٱلصَّيْدِ
शिकार को
wa-antum
وَأَنتُمْ
जबकि तुम
ḥurumun
حُرُمٌۗ
(हालत) ऐहराम में हो
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
yaḥkumu
يَحْكُمُ
वो फ़ैसला करता है
مَا
जो
yurīdu
يُرِيدُ
वो चाहता है
ऐ ईमान लानेवालो! प्रतिबन्धों (प्रतिज्ञाओं, समझौतों आदि) का पूर्ण रूप से पालन करो। तुम्हारे लिए चौपायों की जाति के जानवर हलाल हैं सिवाय उनके जो तुम्हें बताए जा रहें हैं; लेकिन जब तुम इहराम की दशा में हो तो शिकार को हलाल न समझना। निस्संदेह अल्लाह जो चाहते है, आदेश देता है ([५] अल-माइदा: 1)
Tafseer (तफ़सीर )

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا تُحِلُّوْا شَعَاۤىِٕرَ اللّٰهِ وَلَا الشَّهْرَ الْحَرَامَ وَلَا الْهَدْيَ وَلَا الْقَلَاۤىِٕدَ وَلَآ اٰۤمِّيْنَ الْبَيْتَ الْحَرَامَ يَبْتَغُوْنَ فَضْلًا مِّنْ رَّبِّهِمْ وَرِضْوَانًا ۗوَاِذَا حَلَلْتُمْ فَاصْطَادُوْا ۗوَلَا يَجْرِمَنَّكُمْ شَنَاٰنُ قَوْمٍ اَنْ صَدُّوْكُمْ عَنِ الْمَسْجِدِ الْحَرَامِ اَنْ تَعْتَدُوْۘا وَتَعَاوَنُوْا عَلَى الْبِرِّ وَالتَّقْوٰىۖ وَلَا تَعَاوَنُوْا عَلَى الْاِثْمِ وَالْعُدْوَانِ ۖوَاتَّقُوا اللّٰهَ ۗاِنَّ اللّٰهَ شَدِيْدُ الْعِقَابِ ٢

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
لَا
ना तुम हलाल करो
tuḥillū
تُحِلُّوا۟
ना तुम हलाल करो
shaʿāira
شَعَٰٓئِرَ
निशानियों को
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
walā
وَلَا
और ना
l-shahra
ٱلشَّهْرَ
माहे
l-ḥarāma
ٱلْحَرَامَ
हराम को
walā
وَلَا
और ना
l-hadya
ٱلْهَدْىَ
क़ुर्बानी के जानवर को
walā
وَلَا
और ना
l-qalāida
ٱلْقَلَٰٓئِدَ
पट्टे वाले जानवरों को
walā
وَلَآ
और ना
āmmīna
ءَآمِّينَ
इरादा करने वालों को
l-bayta
ٱلْبَيْتَ
बैतुल हराम का
l-ḥarāma
ٱلْحَرَامَ
बैतुल हराम का
yabtaghūna
يَبْتَغُونَ
जो चाहते हैं
faḍlan
فَضْلًا
फ़ज़ल
min
مِّن
अपने रब की तरफ़ से
rabbihim
رَّبِّهِمْ
अपने रब की तरफ़ से
wariḍ'wānan
وَرِضْوَٰنًاۚ
और रज़ामन्दी
wa-idhā
وَإِذَا
और जब
ḥalaltum
حَلَلْتُمْ
हलाल हो जाओ तुम
fa-iṣ'ṭādū
فَٱصْطَادُوا۟ۚ
तो शिकार करो (अगर तुम चाहो)
walā
وَلَا
और ना
yajrimannakum
يَجْرِمَنَّكُمْ
आमादा करे तुम्हें
shanaānu
شَنَـَٔانُ
दुश्मनी
qawmin
قَوْمٍ
किसी क़ौम की
an
أَن
कि
ṣaddūkum
صَدُّوكُمْ
उन्होंने रोका तुम्हें
ʿani
عَنِ
मस्जिदे हराम से
l-masjidi
ٱلْمَسْجِدِ
मस्जिदे हराम से
l-ḥarāmi
ٱلْحَرَامِ
मस्जिदे हराम से
an
أَن
कि
taʿtadū
تَعْتَدُواۘ
तुम ज़्यादती करो
wataʿāwanū
وَتَعَاوَنُوا۟
और तआवुन करो
ʿalā
عَلَى
नेकी पर
l-biri
ٱلْبِرِّ
नेकी पर
wal-taqwā
وَٱلتَّقْوَىٰۖ
और तक़वा पर
walā
وَلَا
और ना
taʿāwanū
تَعَاوَنُوا۟
तुम तआवुन करो
ʿalā
عَلَى
गुनाह पर
l-ith'mi
ٱلْإِثْمِ
गुनाह पर
wal-ʿud'wāni
وَٱلْعُدْوَٰنِۚ
और ज़्यादती पर
wa-ittaqū
وَٱتَّقُوا۟
और डरो
l-laha
ٱللَّهَۖ
अल्लाह से
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
shadīdu
شَدِيدُ
सख़्त
l-ʿiqābi
ٱلْعِقَابِ
सज़ा वाला है
ऐ ईमान लानेवालो! अल्लाह की निशानियों का अनादर न करो; न आदर के महीनों का, न क़ुरबानी के जानवरों का और न जानवरों का जिनका गरदनों में पट्टे पड़े हो और न उन लोगों का जो अपने रब के अनुग्रह और उसकी प्रसन्नता की चाह में प्रतिष्ठित गृह (काबा) को जाते हो। और जब इहराम की दशा से बाहर हो जाओ तो शिकार करो। और ऐसा न हो कि एक गिरोह की शत्रुता, जिसने तुम्हारे लिए प्रतिष्ठित घर का रास्ता बन्द कर दिया था, तुम्हें इस बात पर उभार दे कि तुम ज़्यादती करने लगो। हक़ अदा करने और ईश-भय के काम में तुम एक-दूसरे का सहयोग करो और हक़ मारने और ज़्यादती के काम में एक-दूसरे का सहयोग न करो। अल्लाह का डर रखो; निश्चय ही अल्लाह बड़ा कठोर दंड देनेवाला है ([५] अल-माइदा: 2)
Tafseer (तफ़सीर )

حُرِّمَتْ عَلَيْكُمُ الْمَيْتَةُ وَالدَّمُ وَلَحْمُ الْخِنْزِيْرِ وَمَآ اُهِلَّ لِغَيْرِ اللّٰهِ بِهٖ وَالْمُنْخَنِقَةُ وَالْمَوْقُوْذَةُ وَالْمُتَرَدِّيَةُ وَالنَّطِيْحَةُ وَمَآ اَكَلَ السَّبُعُ اِلَّا مَا ذَكَّيْتُمْۗ وَمَا ذُبِحَ عَلَى النُّصُبِ وَاَنْ تَسْتَقْسِمُوْا بِالْاَزْلَامِۗ ذٰلِكُمْ فِسْقٌۗ اَلْيَوْمَ يَىِٕسَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا مِنْ دِيْنِكُمْ فَلَا تَخْشَوْهُمْ وَاخْشَوْنِۗ اَلْيَوْمَ اَكْمَلْتُ لَكُمْ دِيْنَكُمْ وَاَتْمَمْتُ عَلَيْكُمْ نِعْمَتِيْ وَرَضِيْتُ لَكُمُ الْاِسْلَامَ دِيْنًاۗ فَمَنِ اضْطُرَّ فِيْ مَخْمَصَةٍ غَيْرَ مُتَجَانِفٍ لِّاِثْمٍۙ فَاِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ٣

ḥurrimat
حُرِّمَتْ
हराम किया गया
ʿalaykumu
عَلَيْكُمُ
तुम पर
l-maytatu
ٱلْمَيْتَةُ
मुर्दार
wal-damu
وَٱلدَّمُ
और ख़ून
walaḥmu
وَلَحْمُ
और गोश्त
l-khinzīri
ٱلْخِنزِيرِ
ख़िन्ज़ीर का
wamā
وَمَآ
और जो
uhilla
أُهِلَّ
पुकारा गया
lighayri
لِغَيْرِ
वास्ते ग़ैर
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
bihi
بِهِۦ
उसको
wal-mun'khaniqatu
وَٱلْمُنْخَنِقَةُ
और गला घुटकर मरने वाली
wal-mawqūdhatu
وَٱلْمَوْقُوذَةُ
और चोट लगकर मरने वाली
wal-mutaradiyatu
وَٱلْمُتَرَدِّيَةُ
और बुलन्दी से गिर कर मरने वाली
wal-naṭīḥatu
وَٱلنَّطِيحَةُ
और सींग लग कर मरने वाली
wamā
وَمَآ
और जिसे
akala
أَكَلَ
खा जाए
l-sabuʿu
ٱلسَّبُعُ
दरिन्दा
illā
إِلَّا
मगर
مَا
जिसको
dhakkaytum
ذَكَّيْتُمْ
ज़िबह कर लिया तुमने
wamā
وَمَا
और जो
dhubiḥa
ذُبِحَ
ज़िबह किया गया
ʿalā
عَلَى
आस्तानों पर
l-nuṣubi
ٱلنُّصُبِ
आस्तानों पर
wa-an
وَأَن
और ये कि
tastaqsimū
تَسْتَقْسِمُوا۟
तुम क़िस्मत मालूम करो
bil-azlāmi
بِٱلْأَزْلَٰمِۚ
तीरों/पाँसों के ज़रिए
dhālikum
ذَٰلِكُمْ
ये सब
fis'qun
فِسْقٌۗ
गुनाह (के काम) हैं
l-yawma
ٱلْيَوْمَ
आज के दिन
ya-isa
يَئِسَ
मायूस हो गए
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
min
مِن
तुम्हारे दीन से
dīnikum
دِينِكُمْ
तुम्हारे दीन से
falā
فَلَا
तो ना
takhshawhum
تَخْشَوْهُمْ
तुम डरो उनसे
wa-ikh'shawni
وَٱخْشَوْنِۚ
और डरो मुझसे
l-yawma
ٱلْيَوْمَ
आज के दिन
akmaltu
أَكْمَلْتُ
मुकम्मल कर दिया मैंने
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
dīnakum
دِينَكُمْ
दीन तुम्हारा
wa-atmamtu
وَأَتْمَمْتُ
और तमाम कर दी मैंने
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
niʿ'matī
نِعْمَتِى
नेअमत अपनी
waraḍītu
وَرَضِيتُ
और पसंद कर लिया मैंने
lakumu
لَكُمُ
तुम्हारे लिए
l-is'lāma
ٱلْإِسْلَٰمَ
इस्लाम को
dīnan
دِينًاۚ
बतौर दीन
famani
فَمَنِ
तो जो कोई
uḍ'ṭurra
ٱضْطُرَّ
मजबूर किया गया
فِى
भूख में
makhmaṣatin
مَخْمَصَةٍ
भूख में
ghayra
غَيْرَ
नहीं माइल होने वाला
mutajānifin
مُتَجَانِفٍ
नहीं माइल होने वाला
li-ith'min
لِّإِثْمٍۙ
तरफ़ गुनाह के
fa-inna
فَإِنَّ
तो बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
ghafūrun
غَفُورٌ
बहुत बख़्शने वाला है
raḥīmun
رَّحِيمٌ
निहायत रहम करने वाला है
तुम्हारे लिए हराम हुआ मुर्दार रक्त, सूअर का मांस और वह जानवर जिसपर अल्लाह के अतिरिक्त किसी और का नाम लिया गया हो और वह जो घुटकर या चोट खाकर या ऊँचाई से गिरकर या सींग लगने से मरा हो या जिसे किसी हिंसक पशु ने फाड़ खाया हो - सिवाय उसके जिसे तुमने ज़बह कर लिया हो - और वह किसी थान पर ज़बह कियी गया हो। और यह भी (तुम्हारे लिए हराम हैं) कि तीरो के द्वारा किस्मत मालूम करो। यह आज्ञा का उल्लंघन है - आज इनकार करनेवाले तुम्हारे धर्म की ओर से निराश हो चुके हैं तो तुम उनसे न डरो, बल्कि मुझसे डरो। आज मैंने तुम्हारे धर्म को पूर्ण कर दिया और तुमपर अपनी नेमत पूरी कर दी और मैंने तुम्हारे धर्म के रूप में इस्लाम को पसन्द किया - तो जो कोई भूख से विवश हो जाए, परन्तु गुनाह की ओर उसका झुकाव न हो, तो निश्चय ही अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है ([५] अल-माइदा: 3)
Tafseer (तफ़सीर )

يَسْـَٔلُوْنَكَ مَاذَآ اُحِلَّ لَهُمْۗ قُلْ اُحِلَّ لَكُمُ الطَّيِّبٰتُۙ وَمَا عَلَّمْتُمْ مِّنَ الْجَوَارِحِ مُكَلِّبِيْنَ تُعَلِّمُوْنَهُنَّ مِمَّا عَلَّمَكُمُ اللّٰهُ فَكُلُوْا مِمَّآ اَمْسَكْنَ عَلَيْكُمْ وَاذْكُرُوا اسْمَ اللّٰهِ عَلَيْهِ ۖوَاتَّقُوا اللّٰهَ ۗاِنَّ اللّٰهَ سَرِيْعُ الْحِسَابِ ٤

yasalūnaka
يَسْـَٔلُونَكَ
वो सवाल करते हैं आपसे
mādhā
مَاذَآ
क्या कुछ
uḥilla
أُحِلَّ
हलाल किया गया
lahum
لَهُمْۖ
उनके लिए
qul
قُلْ
कह दीजिए
uḥilla
أُحِلَّ
हलाल की गईं
lakumu
لَكُمُ
तुम्हारे लिए
l-ṭayibātu
ٱلطَّيِّبَٰتُۙ
पाकीज़ा चीज़ें
wamā
وَمَا
और जो
ʿallamtum
عَلَّمْتُم
सिखाया तुमने
mina
مِّنَ
शिकारी जानवरों को
l-jawāriḥi
ٱلْجَوَارِحِ
शिकारी जानवरों को
mukallibīna
مُكَلِّبِينَ
शिकार की तालीम देने वाले
tuʿallimūnahunna
تُعَلِّمُونَهُنَّ
तुम सिखाते हो उन्हें
mimmā
مِمَّا
उसमें से जो
ʿallamakumu
عَلَّمَكُمُ
सिखाया तुम्हें
l-lahu
ٱللَّهُۖ
अल्लाह ने
fakulū
فَكُلُوا۟
तो खाओ
mimmā
مِمَّآ
उसमें से जो
amsakna
أَمْسَكْنَ
वो रोक रखें
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
wa-udh'kurū
وَٱذْكُرُوا۟
और ज़िक्र करो
is'ma
ٱسْمَ
नाम
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
ʿalayhi
عَلَيْهِۖ
उस पर
wa-ittaqū
وَٱتَّقُوا۟
और डरो
l-laha
ٱللَّهَۚ
अल्लाह से
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
sarīʿu
سَرِيعُ
जल्द लेने वाला है
l-ḥisābi
ٱلْحِسَابِ
हिसाब
वे तुमसे पूछते है कि 'उनके लिए क्या हलाल है?' कह दो, 'तुम्हारे लिए सारी अच्छी स्वच्छ चीज़ें हलाल है और जिन शिकारी जानवरों को तुमने सधे हुए शिकारी जानवर के रूप में सधा रखा हो - जिनको जैस अल्लाह ने तुम्हें सिखाया हैं, सिखाते हो - वे जिस शिकार को तुम्हारे लिए पकड़े रखे, उसको खाओ और उसपर अल्लाह का नाम लो। और अल्लाह का डर रखो। निश्चय ही अल्लाह जल्द हिसाब लेनेवाला है।' ([५] अल-माइदा: 4)
Tafseer (तफ़सीर )

اَلْيَوْمَ اُحِلَّ لَكُمُ الطَّيِّبٰتُۗ وَطَعَامُ الَّذِيْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ حِلٌّ لَّكُمْ ۖوَطَعَامُكُمْ حِلٌّ لَّهُمْ ۖوَالْمُحْصَنٰتُ مِنَ الْمُؤْمِنٰتِ وَالْمُحْصَنٰتُ مِنَ الَّذِيْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ مِنْ قَبْلِكُمْ اِذَآ اٰتَيْتُمُوْهُنَّ اُجُوْرَهُنَّ مُحْصِنِيْنَ غَيْرَ مُسَافِحِيْنَ وَلَا مُتَّخِذِيْٓ اَخْدَانٍۗ وَمَنْ يَّكْفُرْ بِالْاِيْمَانِ فَقَدْ حَبِطَ عَمَلُهٗ ۖوَهُوَ فِى الْاٰخِرَةِ مِنَ الْخٰسِرِيْنَ ࣖ ٥

al-yawma
ٱلْيَوْمَ
आज के दिन
uḥilla
أُحِلَّ
हलाल कर दी गईं
lakumu
لَكُمُ
तुम्हारे लिए
l-ṭayibātu
ٱلطَّيِّبَٰتُۖ
पाकीज़ा चीज़ें
waṭaʿāmu
وَطَعَامُ
और खाना
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनका जो
ūtū
أُوتُوا۟
दिए गए
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَ
किताब
ḥillun
حِلٌّ
हलाल है
lakum
لَّكُمْ
तुम्हारे लिए
waṭaʿāmukum
وَطَعَامُكُمْ
और खाना तुम्हारा
ḥillun
حِلٌّ
हलाल है
lahum
لَّهُمْۖ
उनके लिए
wal-muḥ'ṣanātu
وَٱلْمُحْصَنَٰتُ
और पाक दामन औरतें
mina
مِنَ
मोमिन औरतों में से
l-mu'mināti
ٱلْمُؤْمِنَٰتِ
मोमिन औरतों में से
wal-muḥ'ṣanātu
وَٱلْمُحْصَنَٰتُ
और पाक दामन औरतें
mina
مِنَ
उनमें से जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनमें से जो
ūtū
أُوتُوا۟
दिए गए
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَ
किताब
min
مِن
तुमसे पहले
qablikum
قَبْلِكُمْ
तुमसे पहले
idhā
إِذَآ
जब
ātaytumūhunna
ءَاتَيْتُمُوهُنَّ
दे दो तुम उन्हें
ujūrahunna
أُجُورَهُنَّ
महर उनके
muḥ'ṣinīna
مُحْصِنِينَ
निकाह में लाने वाले
ghayra
غَيْرَ
ना बदकारी करने वाले
musāfiḥīna
مُسَٰفِحِينَ
ना बदकारी करने वाले
walā
وَلَا
और ना
muttakhidhī
مُتَّخِذِىٓ
बनाने वाले
akhdānin
أَخْدَانٍۗ
छुपे दोस्त
waman
وَمَن
और जो कोई
yakfur
يَكْفُرْ
कुफ़्र करेगा
bil-īmāni
بِٱلْإِيمَٰنِ
साथ ईमान के
faqad
فَقَدْ
पस तहक़ीक़
ḥabiṭa
حَبِطَ
ज़ाया हो गया
ʿamaluhu
عَمَلُهُۥ
अमल उसका
wahuwa
وَهُوَ
और वो
فِى
आख़िरत में
l-ākhirati
ٱلْءَاخِرَةِ
आख़िरत में
mina
مِنَ
ख़सारा पाने वालों में से होगा
l-khāsirīna
ٱلْخَٰسِرِينَ
ख़सारा पाने वालों में से होगा
आज तुम्हारे लिए अच्छी स्वच्छ चीज़ें हलाल कर दी गई और जिन्हें किताब दी गई उनका भोजन भी तुम्हारे लिए हलाल है और तुम्हारा भोजन उनके लिए हलाल है और शरीफ़ और स्वतंत्र ईमानवाली स्त्रियाँ भी जो तुमसे पहले के किताबवालों में से हो, जबकि तुम उनका हक़ (मेहर) देकर उन्हें निकाह में लाओ। न तो यह काम स्वछन्द कामतृप्ति के लिए हो और न चोरी-छिपे याराना करने को। और जिस किसी ने ईमान से इनकार किया, उसका सारा किया-धरा अकारथ गया और वह आख़िरत में भी घाटे में रहेगा ([५] अल-माइदा: 5)
Tafseer (तफ़सीर )

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اِذَا قُمْتُمْ اِلَى الصَّلٰوةِ فَاغْسِلُوْا وُجُوْهَكُمْ وَاَيْدِيَكُمْ اِلَى الْمَرَافِقِ وَامْسَحُوْا بِرُءُوْسِكُمْ وَاَرْجُلَكُمْ اِلَى الْكَعْبَيْنِۗ وَاِنْ كُنْتُمْ جُنُبًا فَاطَّهَّرُوْاۗ وَاِنْ كُنْتُمْ مَّرْضٰٓى اَوْ عَلٰى سَفَرٍ اَوْ جَاۤءَ اَحَدٌ مِّنْكُمْ مِّنَ الْغَاۤىِٕطِ اَوْ لٰمَسْتُمُ النِّسَاۤءَ فَلَمْ تَجِدُوْا مَاۤءً فَتَيَمَّمُوْا صَعِيْدًا طَيِّبًا فَامْسَحُوْا بِوُجُوْهِكُمْ وَاَيْدِيْكُمْ مِّنْهُ ۗمَا يُرِيْدُ اللّٰهُ لِيَجْعَلَ عَلَيْكُمْ مِّنْ حَرَجٍ وَّلٰكِنْ يُّرِيْدُ لِيُطَهِّرَكُمْ وَلِيُتِمَّ نِعْمَتَهٗ عَلَيْكُمْ لَعَلَّكُمْ تَشْكُرُوْنَ ٦

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوٓا۟
ईमान लाए हो
idhā
إِذَا
जब
qum'tum
قُمْتُمْ
खड़े हो तुम
ilā
إِلَى
तरफ़ नमाज़ के
l-ṣalati
ٱلصَّلَوٰةِ
तरफ़ नमाज़ के
fa-igh'silū
فَٱغْسِلُوا۟
तो धो लो तुम
wujūhakum
وُجُوهَكُمْ
अपने चेहरों को
wa-aydiyakum
وَأَيْدِيَكُمْ
और अपने हाथों के
ilā
إِلَى
कोहनियों तक
l-marāfiqi
ٱلْمَرَافِقِ
कोहनियों तक
wa-im'saḥū
وَٱمْسَحُوا۟
और मसह कर लो
biruūsikum
بِرُءُوسِكُمْ
अपने सरों का
wa-arjulakum
وَأَرْجُلَكُمْ
और अपने पाँवों को (धो लो)
ilā
إِلَى
टख़नों तक
l-kaʿbayni
ٱلْكَعْبَيْنِۚ
टख़नों तक
wa-in
وَإِن
और अगर
kuntum
كُنتُمْ
हो तुम
junuban
جُنُبًا
हालते जनाबत में
fa-iṭṭahharū
فَٱطَّهَّرُوا۟ۚ
तो ख़ूब पाक हो जाओ
wa-in
وَإِن
और अगर
kuntum
كُنتُم
हो तुम
marḍā
مَّرْضَىٰٓ
बीमार
aw
أَوْ
या
ʿalā
عَلَىٰ
किसी सफ़र पर
safarin
سَفَرٍ
किसी सफ़र पर
aw
أَوْ
या
jāa
جَآءَ
आया
aḥadun
أَحَدٌ
कोई एक
minkum
مِّنكُم
तुम में से
mina
مِّنَ
क़ज़ा-ए-हाजत से
l-ghāiṭi
ٱلْغَآئِطِ
क़ज़ा-ए-हाजत से
aw
أَوْ
या
lāmastumu
لَٰمَسْتُمُ
छुआ हो तुमने
l-nisāa
ٱلنِّسَآءَ
औरतों को
falam
فَلَمْ
फिर ना
tajidū
تَجِدُوا۟
तुम पाओ
māan
مَآءً
पानी
fatayammamū
فَتَيَمَّمُوا۟
तो तयम्मुम कर लो
ṣaʿīdan
صَعِيدًا
मिट्टी
ṭayyiban
طَيِّبًا
पाक से
fa-im'saḥū
فَٱمْسَحُوا۟
फिर मसह करो
biwujūhikum
بِوُجُوهِكُمْ
अपने चेहरों का
wa-aydīkum
وَأَيْدِيكُم
और अपने हाथों का
min'hu
مِّنْهُۚ
उससे
مَا
नहीं
yurīdu
يُرِيدُ
चाहता
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
liyajʿala
لِيَجْعَلَ
कि वो कर दे
ʿalaykum
عَلَيْكُم
तुम पर
min
مِّنْ
कोई तंगी
ḥarajin
حَرَجٍ
कोई तंगी
walākin
وَلَٰكِن
और लेकिन
yurīdu
يُرِيدُ
वो चाहता है
liyuṭahhirakum
لِيُطَهِّرَكُمْ
कि वो पाक कर दे तुम्हें
waliyutimma
وَلِيُتِمَّ
और ताकि वो पूरा कर दे
niʿ'matahu
نِعْمَتَهُۥ
अपनी नेअमत को
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
laʿallakum
لَعَلَّكُمْ
ताकि तुम
tashkurūna
تَشْكُرُونَ
तुम शुक्र अदा करो
ऐ ईमान लेनेवालो! जब तुम नमाज़ के लिए उठो तो अपने चहरों को और हाथों को कुहनियों तक धो लिया करो और अपने सिरों पर हाथ फेर लो और अपने पैरों को भी टखनों तक धो लो। और यदि नापाक हो तो अच्छी तरह पाक हो जाओ। परन्तु यदि बीमार हो या सफ़र में हो या तुममें से कोई शौच करके आया हो या तुमने स्त्रियों को हाथ लगया हो, फिर पानी न मिले तो पाक मिट्टी से काम लो। उसपर हाथ मारकर अपने मुँह और हाथों पर फेर लो। अल्लाह तुम्हें किसी तंगी में नहीं डालना चाहता। अपितु वह चाहता हैं कि तुम्हें पवित्र करे और अपनी नेमत तुमपर पूरी कर दे, ताकि तुम कृतज्ञ बनो ([५] अल-माइदा: 6)
Tafseer (तफ़सीर )

وَاذْكُرُوْا نِعْمَةَ اللّٰهِ عَلَيْكُمْ وَمِيْثَاقَهُ الَّذِيْ وَاثَقَكُمْ بِهٖٓ ۙاِذْ قُلْتُمْ سَمِعْنَا وَاَطَعْنَا ۖوَاتَّقُوا اللّٰهَ ۗاِنَّ اللّٰهَ عَلِيْمٌ ۢبِذَاتِ الصُّدُوْرِ ٧

wa-udh'kurū
وَٱذْكُرُوا۟
और याद करो
niʿ'mata
نِعْمَةَ
नेअमत को
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
जो तुम पर है
wamīthāqahu
وَمِيثَٰقَهُ
और उसका पुख़्ता अहद
alladhī
ٱلَّذِى
वो जो
wāthaqakum
وَاثَقَكُم
उसने तुमसे अहद लिया
bihi
بِهِۦٓ
साथ उसके
idh
إِذْ
जब
qul'tum
قُلْتُمْ
कहा तुमने
samiʿ'nā
سَمِعْنَا
सुना हमने
wa-aṭaʿnā
وَأَطَعْنَاۖ
और इताअत की हमने
wa-ittaqū
وَٱتَّقُوا۟
और डरो
l-laha
ٱللَّهَۚ
अल्लाह से
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
ʿalīmun
عَلِيمٌۢ
ख़ूब जानने वाला है
bidhāti
بِذَاتِ
सीनों वाले (भेद)
l-ṣudūri
ٱلصُّدُورِ
सीनों वाले (भेद)
और अल्लाह के उस अनुग्रह को याद करो जो उसने तुमपर किया हैं और उस प्रतिज्ञा को भी जो उसने तुमसे की है, जबकि तुमने कहा था - 'हमने सुना और माना।' अल्लाह जो कुछ सीनों (दिलों) में है, उसे भी जानता हैं ([५] अल-माइदा: 7)
Tafseer (तफ़सीर )

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا كُوْنُوْا قَوَّامِيْنَ لِلّٰهِ شُهَدَاۤءَ بِالْقِسْطِۖ وَلَا يَجْرِمَنَّكُمْ شَنَاٰنُ قَوْمٍ عَلٰٓى اَلَّا تَعْدِلُوْا ۗاِعْدِلُوْاۗ هُوَ اَقْرَبُ لِلتَّقْوٰىۖ وَاتَّقُوا اللّٰهَ ۗاِنَّ اللّٰهَ خَبِيْرٌۢ بِمَا تَعْمَلُوْنَ ٨

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
kūnū
كُونُوا۟
हो जाओ तुम
qawwāmīna
قَوَّٰمِينَ
क़ायम रहने वाले
lillahi
لِلَّهِ
अल्लाह के लिए
shuhadāa
شُهَدَآءَ
गवाह
bil-qis'ṭi
بِٱلْقِسْطِۖ
साथ इन्साफ़ के
walā
وَلَا
और ना
yajrimannakum
يَجْرِمَنَّكُمْ
हरगिज़ आमादा करे तुम्हें
shanaānu
شَنَـَٔانُ
दुश्मनी
qawmin
قَوْمٍ
किसी क़ौम की
ʿalā
عَلَىٰٓ
इस पर
allā
أَلَّا
कि ना
taʿdilū
تَعْدِلُوا۟ۚ
तुम अदल करोगे
iʿ'dilū
ٱعْدِلُوا۟
अदल करो
huwa
هُوَ
वो
aqrabu
أَقْرَبُ
ज़्यादा क़रीब है
lilttaqwā
لِلتَّقْوَىٰۖ
तक़वा के
wa-ittaqū
وَٱتَّقُوا۟
और डरो
l-laha
ٱللَّهَۚ
अल्लाह से
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
khabīrun
خَبِيرٌۢ
ख़ूब ख़बर रखने वाला है
bimā
بِمَا
उसकी जो
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते हो
ऐ ईमान लेनेवालो! अल्लाह के लिए खूब उठनेवाले, इनसाफ़ की निगरानी करनेवाले बनो और ऐसा न हो कि किसी गिरोह की शत्रुता तुम्हें इस बात पर उभार दे कि तुम इनसाफ़ करना छोड़ दो। इनसाफ़ करो, यही धर्मपरायणता से अधिक निकट है। अल्लाह का डर रखो, निश्चय ही जो कुछ तुम करते हो, अल्लाह को उसकी ख़बर हैं ([५] अल-माइदा: 8)
Tafseer (तफ़सीर )

وَعَدَ اللّٰهُ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِۙ لَهُمْ مَّغْفِرَةٌ وَّاَجْرٌ عَظِيْمٌ ٩

waʿada
وَعَدَ
वादा किया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनसे जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
जो ईमान लाए
waʿamilū
وَعَمِلُوا۟
और उन्होंने अमल किए
l-ṣāliḥāti
ٱلصَّٰلِحَٰتِۙ
नेक
lahum
لَهُم
उनके लिए
maghfiratun
مَّغْفِرَةٌ
मग़फ़िरत
wa-ajrun
وَأَجْرٌ
और अजर है
ʿaẓīmun
عَظِيمٌ
बहुत बड़ा
जो लोग ईमान लाए और उन्होंन अच्छे कर्म किए उनसे अल्लाह का वादा है कि उनके लिए क्षमा और बड़ा प्रतिदान है ([५] अल-माइदा: 9)
Tafseer (तफ़सीर )
१०

وَالَّذِيْنَ كَفَرُوْا وَكَذَّبُوْا بِاٰيٰتِنَآ اُولٰۤىِٕكَ اَصْحٰبُ الْجَحِيْمِ ١٠

wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
wakadhabū
وَكَذَّبُوا۟
और उन्होंने झुठलाया
biāyātinā
بِـَٔايَٰتِنَآ
हमारी आयात को
ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
aṣḥābu
أَصْحَٰبُ
साथी
l-jaḥīmi
ٱلْجَحِيمِ
जहन्नम के
रहे वे लोग जिन्होंने इनकार किया और हमारी आयतों को झुठलाया, वही भड़कती आग में पड़नेवाले है ([५] अल-माइदा: 10)
Tafseer (तफ़सीर )