يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اَوْفُوْا بِالْعُقُوْدِۗ اُحِلَّتْ لَكُمْ بَهِيْمَةُ الْاَنْعَامِ اِلَّا مَا يُتْلٰى عَلَيْكُمْ غَيْرَ مُحِلِّى الصَّيْدِ وَاَنْتُمْ حُرُمٌۗ اِنَّ اللّٰهَ يَحْكُمُ مَا يُرِيْدُ ١
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوٓا۟
- ईमान लाए हो
- awfū
- أَوْفُوا۟
- पूरा करो
- bil-ʿuqūdi
- بِٱلْعُقُودِۚ
- अहदो पैमान को
- uḥillat
- أُحِلَّتْ
- हलाल कर दिए गए
- lakum
- لَكُم
- तुम्हारे लिए
- bahīmatu
- بَهِيمَةُ
- चौपाए
- l-anʿāmi
- ٱلْأَنْعَٰمِ
- मवेशियों के
- illā
- إِلَّا
- सिवाय
- mā
- مَا
- उनके जो
- yut'lā
- يُتْلَىٰ
- पढ़े जाऐंगे
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- ghayra
- غَيْرَ
- ना
- muḥillī
- مُحِلِّى
- हलाल करने वाले हो
- l-ṣaydi
- ٱلصَّيْدِ
- शिकार को
- wa-antum
- وَأَنتُمْ
- जबकि तुम
- ḥurumun
- حُرُمٌۗ
- (हालत) ऐहराम में हो
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- yaḥkumu
- يَحْكُمُ
- वो फ़ैसला करता है
- mā
- مَا
- जो
- yurīdu
- يُرِيدُ
- वो चाहता है
ऐ ईमान लानेवालो! प्रतिबन्धों (प्रतिज्ञाओं, समझौतों आदि) का पूर्ण रूप से पालन करो। तुम्हारे लिए चौपायों की जाति के जानवर हलाल हैं सिवाय उनके जो तुम्हें बताए जा रहें हैं; लेकिन जब तुम इहराम की दशा में हो तो शिकार को हलाल न समझना। निस्संदेह अल्लाह जो चाहते है, आदेश देता है ([५] अल-माइदा: 1)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا تُحِلُّوْا شَعَاۤىِٕرَ اللّٰهِ وَلَا الشَّهْرَ الْحَرَامَ وَلَا الْهَدْيَ وَلَا الْقَلَاۤىِٕدَ وَلَآ اٰۤمِّيْنَ الْبَيْتَ الْحَرَامَ يَبْتَغُوْنَ فَضْلًا مِّنْ رَّبِّهِمْ وَرِضْوَانًا ۗوَاِذَا حَلَلْتُمْ فَاصْطَادُوْا ۗوَلَا يَجْرِمَنَّكُمْ شَنَاٰنُ قَوْمٍ اَنْ صَدُّوْكُمْ عَنِ الْمَسْجِدِ الْحَرَامِ اَنْ تَعْتَدُوْۘا وَتَعَاوَنُوْا عَلَى الْبِرِّ وَالتَّقْوٰىۖ وَلَا تَعَاوَنُوْا عَلَى الْاِثْمِ وَالْعُدْوَانِ ۖوَاتَّقُوا اللّٰهَ ۗاِنَّ اللّٰهَ شَدِيْدُ الْعِقَابِ ٢
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए हो
- lā
- لَا
- ना तुम हलाल करो
- tuḥillū
- تُحِلُّوا۟
- ना तुम हलाल करो
- shaʿāira
- شَعَٰٓئِرَ
- निशानियों को
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- walā
- وَلَا
- और ना
- l-shahra
- ٱلشَّهْرَ
- माहे
- l-ḥarāma
- ٱلْحَرَامَ
- हराम को
- walā
- وَلَا
- और ना
- l-hadya
- ٱلْهَدْىَ
- क़ुर्बानी के जानवर को
- walā
- وَلَا
- और ना
- l-qalāida
- ٱلْقَلَٰٓئِدَ
- पट्टे वाले जानवरों को
- walā
- وَلَآ
- और ना
- āmmīna
- ءَآمِّينَ
- इरादा करने वालों को
- l-bayta
- ٱلْبَيْتَ
- बैतुल हराम का
- l-ḥarāma
- ٱلْحَرَامَ
- बैतुल हराम का
- yabtaghūna
- يَبْتَغُونَ
- जो चाहते हैं
- faḍlan
- فَضْلًا
- फ़ज़ल
- min
- مِّن
- अपने रब की तरफ़ से
- rabbihim
- رَّبِّهِمْ
- अपने रब की तरफ़ से
- wariḍ'wānan
- وَرِضْوَٰنًاۚ
- और रज़ामन्दी
- wa-idhā
- وَإِذَا
- और जब
- ḥalaltum
- حَلَلْتُمْ
- हलाल हो जाओ तुम
- fa-iṣ'ṭādū
- فَٱصْطَادُوا۟ۚ
- तो शिकार करो (अगर तुम चाहो)
- walā
- وَلَا
- और ना
- yajrimannakum
- يَجْرِمَنَّكُمْ
- आमादा करे तुम्हें
- shanaānu
- شَنَـَٔانُ
- दुश्मनी
- qawmin
- قَوْمٍ
- किसी क़ौम की
- an
- أَن
- कि
- ṣaddūkum
- صَدُّوكُمْ
- उन्होंने रोका तुम्हें
- ʿani
- عَنِ
- मस्जिदे हराम से
- l-masjidi
- ٱلْمَسْجِدِ
- मस्जिदे हराम से
- l-ḥarāmi
- ٱلْحَرَامِ
- मस्जिदे हराम से
- an
- أَن
- कि
- taʿtadū
- تَعْتَدُواۘ
- तुम ज़्यादती करो
- wataʿāwanū
- وَتَعَاوَنُوا۟
- और तआवुन करो
- ʿalā
- عَلَى
- नेकी पर
- l-biri
- ٱلْبِرِّ
- नेकी पर
- wal-taqwā
- وَٱلتَّقْوَىٰۖ
- और तक़वा पर
- walā
- وَلَا
- और ना
- taʿāwanū
- تَعَاوَنُوا۟
- तुम तआवुन करो
- ʿalā
- عَلَى
- गुनाह पर
- l-ith'mi
- ٱلْإِثْمِ
- गुनाह पर
- wal-ʿud'wāni
- وَٱلْعُدْوَٰنِۚ
- और ज़्यादती पर
- wa-ittaqū
- وَٱتَّقُوا۟
- और डरो
- l-laha
- ٱللَّهَۖ
- अल्लाह से
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- shadīdu
- شَدِيدُ
- सख़्त
- l-ʿiqābi
- ٱلْعِقَابِ
- सज़ा वाला है
ऐ ईमान लानेवालो! अल्लाह की निशानियों का अनादर न करो; न आदर के महीनों का, न क़ुरबानी के जानवरों का और न जानवरों का जिनका गरदनों में पट्टे पड़े हो और न उन लोगों का जो अपने रब के अनुग्रह और उसकी प्रसन्नता की चाह में प्रतिष्ठित गृह (काबा) को जाते हो। और जब इहराम की दशा से बाहर हो जाओ तो शिकार करो। और ऐसा न हो कि एक गिरोह की शत्रुता, जिसने तुम्हारे लिए प्रतिष्ठित घर का रास्ता बन्द कर दिया था, तुम्हें इस बात पर उभार दे कि तुम ज़्यादती करने लगो। हक़ अदा करने और ईश-भय के काम में तुम एक-दूसरे का सहयोग करो और हक़ मारने और ज़्यादती के काम में एक-दूसरे का सहयोग न करो। अल्लाह का डर रखो; निश्चय ही अल्लाह बड़ा कठोर दंड देनेवाला है ([५] अल-माइदा: 2)Tafseer (तफ़सीर )
حُرِّمَتْ عَلَيْكُمُ الْمَيْتَةُ وَالدَّمُ وَلَحْمُ الْخِنْزِيْرِ وَمَآ اُهِلَّ لِغَيْرِ اللّٰهِ بِهٖ وَالْمُنْخَنِقَةُ وَالْمَوْقُوْذَةُ وَالْمُتَرَدِّيَةُ وَالنَّطِيْحَةُ وَمَآ اَكَلَ السَّبُعُ اِلَّا مَا ذَكَّيْتُمْۗ وَمَا ذُبِحَ عَلَى النُّصُبِ وَاَنْ تَسْتَقْسِمُوْا بِالْاَزْلَامِۗ ذٰلِكُمْ فِسْقٌۗ اَلْيَوْمَ يَىِٕسَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا مِنْ دِيْنِكُمْ فَلَا تَخْشَوْهُمْ وَاخْشَوْنِۗ اَلْيَوْمَ اَكْمَلْتُ لَكُمْ دِيْنَكُمْ وَاَتْمَمْتُ عَلَيْكُمْ نِعْمَتِيْ وَرَضِيْتُ لَكُمُ الْاِسْلَامَ دِيْنًاۗ فَمَنِ اضْطُرَّ فِيْ مَخْمَصَةٍ غَيْرَ مُتَجَانِفٍ لِّاِثْمٍۙ فَاِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ٣
- ḥurrimat
- حُرِّمَتْ
- हराम किया गया
- ʿalaykumu
- عَلَيْكُمُ
- तुम पर
- l-maytatu
- ٱلْمَيْتَةُ
- मुर्दार
- wal-damu
- وَٱلدَّمُ
- और ख़ून
- walaḥmu
- وَلَحْمُ
- और गोश्त
- l-khinzīri
- ٱلْخِنزِيرِ
- ख़िन्ज़ीर का
- wamā
- وَمَآ
- और जो
- uhilla
- أُهِلَّ
- पुकारा गया
- lighayri
- لِغَيْرِ
- वास्ते ग़ैर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- bihi
- بِهِۦ
- उसको
- wal-mun'khaniqatu
- وَٱلْمُنْخَنِقَةُ
- और गला घुटकर मरने वाली
- wal-mawqūdhatu
- وَٱلْمَوْقُوذَةُ
- और चोट लगकर मरने वाली
- wal-mutaradiyatu
- وَٱلْمُتَرَدِّيَةُ
- और बुलन्दी से गिर कर मरने वाली
- wal-naṭīḥatu
- وَٱلنَّطِيحَةُ
- और सींग लग कर मरने वाली
- wamā
- وَمَآ
- और जिसे
- akala
- أَكَلَ
- खा जाए
- l-sabuʿu
- ٱلسَّبُعُ
- दरिन्दा
- illā
- إِلَّا
- मगर
- mā
- مَا
- जिसको
- dhakkaytum
- ذَكَّيْتُمْ
- ज़िबह कर लिया तुमने
- wamā
- وَمَا
- और जो
- dhubiḥa
- ذُبِحَ
- ज़िबह किया गया
- ʿalā
- عَلَى
- आस्तानों पर
- l-nuṣubi
- ٱلنُّصُبِ
- आस्तानों पर
- wa-an
- وَأَن
- और ये कि
- tastaqsimū
- تَسْتَقْسِمُوا۟
- तुम क़िस्मत मालूम करो
- bil-azlāmi
- بِٱلْأَزْلَٰمِۚ
- तीरों/पाँसों के ज़रिए
- dhālikum
- ذَٰلِكُمْ
- ये सब
- fis'qun
- فِسْقٌۗ
- गुनाह (के काम) हैं
- l-yawma
- ٱلْيَوْمَ
- आज के दिन
- ya-isa
- يَئِسَ
- मायूस हो गए
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- min
- مِن
- तुम्हारे दीन से
- dīnikum
- دِينِكُمْ
- तुम्हारे दीन से
- falā
- فَلَا
- तो ना
- takhshawhum
- تَخْشَوْهُمْ
- तुम डरो उनसे
- wa-ikh'shawni
- وَٱخْشَوْنِۚ
- और डरो मुझसे
- l-yawma
- ٱلْيَوْمَ
- आज के दिन
- akmaltu
- أَكْمَلْتُ
- मुकम्मल कर दिया मैंने
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- dīnakum
- دِينَكُمْ
- दीन तुम्हारा
- wa-atmamtu
- وَأَتْمَمْتُ
- और तमाम कर दी मैंने
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- niʿ'matī
- نِعْمَتِى
- नेअमत अपनी
- waraḍītu
- وَرَضِيتُ
- और पसंद कर लिया मैंने
- lakumu
- لَكُمُ
- तुम्हारे लिए
- l-is'lāma
- ٱلْإِسْلَٰمَ
- इस्लाम को
- dīnan
- دِينًاۚ
- बतौर दीन
- famani
- فَمَنِ
- तो जो कोई
- uḍ'ṭurra
- ٱضْطُرَّ
- मजबूर किया गया
- fī
- فِى
- भूख में
- makhmaṣatin
- مَخْمَصَةٍ
- भूख में
- ghayra
- غَيْرَ
- नहीं माइल होने वाला
- mutajānifin
- مُتَجَانِفٍ
- नहीं माइल होने वाला
- li-ith'min
- لِّإِثْمٍۙ
- तरफ़ गुनाह के
- fa-inna
- فَإِنَّ
- तो बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- ghafūrun
- غَفُورٌ
- बहुत बख़्शने वाला है
- raḥīmun
- رَّحِيمٌ
- निहायत रहम करने वाला है
तुम्हारे लिए हराम हुआ मुर्दार रक्त, सूअर का मांस और वह जानवर जिसपर अल्लाह के अतिरिक्त किसी और का नाम लिया गया हो और वह जो घुटकर या चोट खाकर या ऊँचाई से गिरकर या सींग लगने से मरा हो या जिसे किसी हिंसक पशु ने फाड़ खाया हो - सिवाय उसके जिसे तुमने ज़बह कर लिया हो - और वह किसी थान पर ज़बह कियी गया हो। और यह भी (तुम्हारे लिए हराम हैं) कि तीरो के द्वारा किस्मत मालूम करो। यह आज्ञा का उल्लंघन है - आज इनकार करनेवाले तुम्हारे धर्म की ओर से निराश हो चुके हैं तो तुम उनसे न डरो, बल्कि मुझसे डरो। आज मैंने तुम्हारे धर्म को पूर्ण कर दिया और तुमपर अपनी नेमत पूरी कर दी और मैंने तुम्हारे धर्म के रूप में इस्लाम को पसन्द किया - तो जो कोई भूख से विवश हो जाए, परन्तु गुनाह की ओर उसका झुकाव न हो, तो निश्चय ही अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है ([५] अल-माइदा: 3)Tafseer (तफ़सीर )
يَسْـَٔلُوْنَكَ مَاذَآ اُحِلَّ لَهُمْۗ قُلْ اُحِلَّ لَكُمُ الطَّيِّبٰتُۙ وَمَا عَلَّمْتُمْ مِّنَ الْجَوَارِحِ مُكَلِّبِيْنَ تُعَلِّمُوْنَهُنَّ مِمَّا عَلَّمَكُمُ اللّٰهُ فَكُلُوْا مِمَّآ اَمْسَكْنَ عَلَيْكُمْ وَاذْكُرُوا اسْمَ اللّٰهِ عَلَيْهِ ۖوَاتَّقُوا اللّٰهَ ۗاِنَّ اللّٰهَ سَرِيْعُ الْحِسَابِ ٤
- yasalūnaka
- يَسْـَٔلُونَكَ
- वो सवाल करते हैं आपसे
- mādhā
- مَاذَآ
- क्या कुछ
- uḥilla
- أُحِلَّ
- हलाल किया गया
- lahum
- لَهُمْۖ
- उनके लिए
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- uḥilla
- أُحِلَّ
- हलाल की गईं
- lakumu
- لَكُمُ
- तुम्हारे लिए
- l-ṭayibātu
- ٱلطَّيِّبَٰتُۙ
- पाकीज़ा चीज़ें
- wamā
- وَمَا
- और जो
- ʿallamtum
- عَلَّمْتُم
- सिखाया तुमने
- mina
- مِّنَ
- शिकारी जानवरों को
- l-jawāriḥi
- ٱلْجَوَارِحِ
- शिकारी जानवरों को
- mukallibīna
- مُكَلِّبِينَ
- शिकार की तालीम देने वाले
- tuʿallimūnahunna
- تُعَلِّمُونَهُنَّ
- तुम सिखाते हो उन्हें
- mimmā
- مِمَّا
- उसमें से जो
- ʿallamakumu
- عَلَّمَكُمُ
- सिखाया तुम्हें
- l-lahu
- ٱللَّهُۖ
- अल्लाह ने
- fakulū
- فَكُلُوا۟
- तो खाओ
- mimmā
- مِمَّآ
- उसमें से जो
- amsakna
- أَمْسَكْنَ
- वो रोक रखें
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- wa-udh'kurū
- وَٱذْكُرُوا۟
- और ज़िक्र करो
- is'ma
- ٱسْمَ
- नाम
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह का
- ʿalayhi
- عَلَيْهِۖ
- उस पर
- wa-ittaqū
- وَٱتَّقُوا۟
- और डरो
- l-laha
- ٱللَّهَۚ
- अल्लाह से
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- sarīʿu
- سَرِيعُ
- जल्द लेने वाला है
- l-ḥisābi
- ٱلْحِسَابِ
- हिसाब
वे तुमसे पूछते है कि 'उनके लिए क्या हलाल है?' कह दो, 'तुम्हारे लिए सारी अच्छी स्वच्छ चीज़ें हलाल है और जिन शिकारी जानवरों को तुमने सधे हुए शिकारी जानवर के रूप में सधा रखा हो - जिनको जैस अल्लाह ने तुम्हें सिखाया हैं, सिखाते हो - वे जिस शिकार को तुम्हारे लिए पकड़े रखे, उसको खाओ और उसपर अल्लाह का नाम लो। और अल्लाह का डर रखो। निश्चय ही अल्लाह जल्द हिसाब लेनेवाला है।' ([५] अल-माइदा: 4)Tafseer (तफ़सीर )
اَلْيَوْمَ اُحِلَّ لَكُمُ الطَّيِّبٰتُۗ وَطَعَامُ الَّذِيْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ حِلٌّ لَّكُمْ ۖوَطَعَامُكُمْ حِلٌّ لَّهُمْ ۖوَالْمُحْصَنٰتُ مِنَ الْمُؤْمِنٰتِ وَالْمُحْصَنٰتُ مِنَ الَّذِيْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ مِنْ قَبْلِكُمْ اِذَآ اٰتَيْتُمُوْهُنَّ اُجُوْرَهُنَّ مُحْصِنِيْنَ غَيْرَ مُسَافِحِيْنَ وَلَا مُتَّخِذِيْٓ اَخْدَانٍۗ وَمَنْ يَّكْفُرْ بِالْاِيْمَانِ فَقَدْ حَبِطَ عَمَلُهٗ ۖوَهُوَ فِى الْاٰخِرَةِ مِنَ الْخٰسِرِيْنَ ࣖ ٥
- al-yawma
- ٱلْيَوْمَ
- आज के दिन
- uḥilla
- أُحِلَّ
- हलाल कर दी गईं
- lakumu
- لَكُمُ
- तुम्हारे लिए
- l-ṭayibātu
- ٱلطَّيِّبَٰتُۖ
- पाकीज़ा चीज़ें
- waṭaʿāmu
- وَطَعَامُ
- और खाना
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनका जो
- ūtū
- أُوتُوا۟
- दिए गए
- l-kitāba
- ٱلْكِتَٰبَ
- किताब
- ḥillun
- حِلٌّ
- हलाल है
- lakum
- لَّكُمْ
- तुम्हारे लिए
- waṭaʿāmukum
- وَطَعَامُكُمْ
- और खाना तुम्हारा
- ḥillun
- حِلٌّ
- हलाल है
- lahum
- لَّهُمْۖ
- उनके लिए
- wal-muḥ'ṣanātu
- وَٱلْمُحْصَنَٰتُ
- और पाक दामन औरतें
- mina
- مِنَ
- मोमिन औरतों में से
- l-mu'mināti
- ٱلْمُؤْمِنَٰتِ
- मोमिन औरतों में से
- wal-muḥ'ṣanātu
- وَٱلْمُحْصَنَٰتُ
- और पाक दामन औरतें
- mina
- مِنَ
- उनमें से जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनमें से जो
- ūtū
- أُوتُوا۟
- दिए गए
- l-kitāba
- ٱلْكِتَٰبَ
- किताब
- min
- مِن
- तुमसे पहले
- qablikum
- قَبْلِكُمْ
- तुमसे पहले
- idhā
- إِذَآ
- जब
- ātaytumūhunna
- ءَاتَيْتُمُوهُنَّ
- दे दो तुम उन्हें
- ujūrahunna
- أُجُورَهُنَّ
- महर उनके
- muḥ'ṣinīna
- مُحْصِنِينَ
- निकाह में लाने वाले
- ghayra
- غَيْرَ
- ना बदकारी करने वाले
- musāfiḥīna
- مُسَٰفِحِينَ
- ना बदकारी करने वाले
- walā
- وَلَا
- और ना
- muttakhidhī
- مُتَّخِذِىٓ
- बनाने वाले
- akhdānin
- أَخْدَانٍۗ
- छुपे दोस्त
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yakfur
- يَكْفُرْ
- कुफ़्र करेगा
- bil-īmāni
- بِٱلْإِيمَٰنِ
- साथ ईमान के
- faqad
- فَقَدْ
- पस तहक़ीक़
- ḥabiṭa
- حَبِطَ
- ज़ाया हो गया
- ʿamaluhu
- عَمَلُهُۥ
- अमल उसका
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- fī
- فِى
- आख़िरत में
- l-ākhirati
- ٱلْءَاخِرَةِ
- आख़िरत में
- mina
- مِنَ
- ख़सारा पाने वालों में से होगा
- l-khāsirīna
- ٱلْخَٰسِرِينَ
- ख़सारा पाने वालों में से होगा
आज तुम्हारे लिए अच्छी स्वच्छ चीज़ें हलाल कर दी गई और जिन्हें किताब दी गई उनका भोजन भी तुम्हारे लिए हलाल है और तुम्हारा भोजन उनके लिए हलाल है और शरीफ़ और स्वतंत्र ईमानवाली स्त्रियाँ भी जो तुमसे पहले के किताबवालों में से हो, जबकि तुम उनका हक़ (मेहर) देकर उन्हें निकाह में लाओ। न तो यह काम स्वछन्द कामतृप्ति के लिए हो और न चोरी-छिपे याराना करने को। और जिस किसी ने ईमान से इनकार किया, उसका सारा किया-धरा अकारथ गया और वह आख़िरत में भी घाटे में रहेगा ([५] अल-माइदा: 5)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اِذَا قُمْتُمْ اِلَى الصَّلٰوةِ فَاغْسِلُوْا وُجُوْهَكُمْ وَاَيْدِيَكُمْ اِلَى الْمَرَافِقِ وَامْسَحُوْا بِرُءُوْسِكُمْ وَاَرْجُلَكُمْ اِلَى الْكَعْبَيْنِۗ وَاِنْ كُنْتُمْ جُنُبًا فَاطَّهَّرُوْاۗ وَاِنْ كُنْتُمْ مَّرْضٰٓى اَوْ عَلٰى سَفَرٍ اَوْ جَاۤءَ اَحَدٌ مِّنْكُمْ مِّنَ الْغَاۤىِٕطِ اَوْ لٰمَسْتُمُ النِّسَاۤءَ فَلَمْ تَجِدُوْا مَاۤءً فَتَيَمَّمُوْا صَعِيْدًا طَيِّبًا فَامْسَحُوْا بِوُجُوْهِكُمْ وَاَيْدِيْكُمْ مِّنْهُ ۗمَا يُرِيْدُ اللّٰهُ لِيَجْعَلَ عَلَيْكُمْ مِّنْ حَرَجٍ وَّلٰكِنْ يُّرِيْدُ لِيُطَهِّرَكُمْ وَلِيُتِمَّ نِعْمَتَهٗ عَلَيْكُمْ لَعَلَّكُمْ تَشْكُرُوْنَ ٦
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوٓا۟
- ईमान लाए हो
- idhā
- إِذَا
- जब
- qum'tum
- قُمْتُمْ
- खड़े हो तुम
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ नमाज़ के
- l-ṣalati
- ٱلصَّلَوٰةِ
- तरफ़ नमाज़ के
- fa-igh'silū
- فَٱغْسِلُوا۟
- तो धो लो तुम
- wujūhakum
- وُجُوهَكُمْ
- अपने चेहरों को
- wa-aydiyakum
- وَأَيْدِيَكُمْ
- और अपने हाथों के
- ilā
- إِلَى
- कोहनियों तक
- l-marāfiqi
- ٱلْمَرَافِقِ
- कोहनियों तक
- wa-im'saḥū
- وَٱمْسَحُوا۟
- और मसह कर लो
- biruūsikum
- بِرُءُوسِكُمْ
- अपने सरों का
- wa-arjulakum
- وَأَرْجُلَكُمْ
- और अपने पाँवों को (धो लो)
- ilā
- إِلَى
- टख़नों तक
- l-kaʿbayni
- ٱلْكَعْبَيْنِۚ
- टख़नों तक
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- kuntum
- كُنتُمْ
- हो तुम
- junuban
- جُنُبًا
- हालते जनाबत में
- fa-iṭṭahharū
- فَٱطَّهَّرُوا۟ۚ
- तो ख़ूब पाक हो जाओ
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- kuntum
- كُنتُم
- हो तुम
- marḍā
- مَّرْضَىٰٓ
- बीमार
- aw
- أَوْ
- या
- ʿalā
- عَلَىٰ
- किसी सफ़र पर
- safarin
- سَفَرٍ
- किसी सफ़र पर
- aw
- أَوْ
- या
- jāa
- جَآءَ
- आया
- aḥadun
- أَحَدٌ
- कोई एक
- minkum
- مِّنكُم
- तुम में से
- mina
- مِّنَ
- क़ज़ा-ए-हाजत से
- l-ghāiṭi
- ٱلْغَآئِطِ
- क़ज़ा-ए-हाजत से
- aw
- أَوْ
- या
- lāmastumu
- لَٰمَسْتُمُ
- छुआ हो तुमने
- l-nisāa
- ٱلنِّسَآءَ
- औरतों को
- falam
- فَلَمْ
- फिर ना
- tajidū
- تَجِدُوا۟
- तुम पाओ
- māan
- مَآءً
- पानी
- fatayammamū
- فَتَيَمَّمُوا۟
- तो तयम्मुम कर लो
- ṣaʿīdan
- صَعِيدًا
- मिट्टी
- ṭayyiban
- طَيِّبًا
- पाक से
- fa-im'saḥū
- فَٱمْسَحُوا۟
- फिर मसह करो
- biwujūhikum
- بِوُجُوهِكُمْ
- अपने चेहरों का
- wa-aydīkum
- وَأَيْدِيكُم
- और अपने हाथों का
- min'hu
- مِّنْهُۚ
- उससे
- mā
- مَا
- नहीं
- yurīdu
- يُرِيدُ
- चाहता
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- liyajʿala
- لِيَجْعَلَ
- कि वो कर दे
- ʿalaykum
- عَلَيْكُم
- तुम पर
- min
- مِّنْ
- कोई तंगी
- ḥarajin
- حَرَجٍ
- कोई तंगी
- walākin
- وَلَٰكِن
- और लेकिन
- yurīdu
- يُرِيدُ
- वो चाहता है
- liyuṭahhirakum
- لِيُطَهِّرَكُمْ
- कि वो पाक कर दे तुम्हें
- waliyutimma
- وَلِيُتِمَّ
- और ताकि वो पूरा कर दे
- niʿ'matahu
- نِعْمَتَهُۥ
- अपनी नेअमत को
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- laʿallakum
- لَعَلَّكُمْ
- ताकि तुम
- tashkurūna
- تَشْكُرُونَ
- तुम शुक्र अदा करो
ऐ ईमान लेनेवालो! जब तुम नमाज़ के लिए उठो तो अपने चहरों को और हाथों को कुहनियों तक धो लिया करो और अपने सिरों पर हाथ फेर लो और अपने पैरों को भी टखनों तक धो लो। और यदि नापाक हो तो अच्छी तरह पाक हो जाओ। परन्तु यदि बीमार हो या सफ़र में हो या तुममें से कोई शौच करके आया हो या तुमने स्त्रियों को हाथ लगया हो, फिर पानी न मिले तो पाक मिट्टी से काम लो। उसपर हाथ मारकर अपने मुँह और हाथों पर फेर लो। अल्लाह तुम्हें किसी तंगी में नहीं डालना चाहता। अपितु वह चाहता हैं कि तुम्हें पवित्र करे और अपनी नेमत तुमपर पूरी कर दे, ताकि तुम कृतज्ञ बनो ([५] अल-माइदा: 6)Tafseer (तफ़सीर )
وَاذْكُرُوْا نِعْمَةَ اللّٰهِ عَلَيْكُمْ وَمِيْثَاقَهُ الَّذِيْ وَاثَقَكُمْ بِهٖٓ ۙاِذْ قُلْتُمْ سَمِعْنَا وَاَطَعْنَا ۖوَاتَّقُوا اللّٰهَ ۗاِنَّ اللّٰهَ عَلِيْمٌ ۢبِذَاتِ الصُّدُوْرِ ٧
- wa-udh'kurū
- وَٱذْكُرُوا۟
- और याद करो
- niʿ'mata
- نِعْمَةَ
- नेअमत को
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- जो तुम पर है
- wamīthāqahu
- وَمِيثَٰقَهُ
- और उसका पुख़्ता अहद
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो जो
- wāthaqakum
- وَاثَقَكُم
- उसने तुमसे अहद लिया
- bihi
- بِهِۦٓ
- साथ उसके
- idh
- إِذْ
- जब
- qul'tum
- قُلْتُمْ
- कहा तुमने
- samiʿ'nā
- سَمِعْنَا
- सुना हमने
- wa-aṭaʿnā
- وَأَطَعْنَاۖ
- और इताअत की हमने
- wa-ittaqū
- وَٱتَّقُوا۟
- और डरो
- l-laha
- ٱللَّهَۚ
- अल्लाह से
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- ʿalīmun
- عَلِيمٌۢ
- ख़ूब जानने वाला है
- bidhāti
- بِذَاتِ
- सीनों वाले (भेद)
- l-ṣudūri
- ٱلصُّدُورِ
- सीनों वाले (भेद)
और अल्लाह के उस अनुग्रह को याद करो जो उसने तुमपर किया हैं और उस प्रतिज्ञा को भी जो उसने तुमसे की है, जबकि तुमने कहा था - 'हमने सुना और माना।' अल्लाह जो कुछ सीनों (दिलों) में है, उसे भी जानता हैं ([५] अल-माइदा: 7)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا كُوْنُوْا قَوَّامِيْنَ لِلّٰهِ شُهَدَاۤءَ بِالْقِسْطِۖ وَلَا يَجْرِمَنَّكُمْ شَنَاٰنُ قَوْمٍ عَلٰٓى اَلَّا تَعْدِلُوْا ۗاِعْدِلُوْاۗ هُوَ اَقْرَبُ لِلتَّقْوٰىۖ وَاتَّقُوا اللّٰهَ ۗاِنَّ اللّٰهَ خَبِيْرٌۢ بِمَا تَعْمَلُوْنَ ٨
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए हो
- kūnū
- كُونُوا۟
- हो जाओ तुम
- qawwāmīna
- قَوَّٰمِينَ
- क़ायम रहने वाले
- lillahi
- لِلَّهِ
- अल्लाह के लिए
- shuhadāa
- شُهَدَآءَ
- गवाह
- bil-qis'ṭi
- بِٱلْقِسْطِۖ
- साथ इन्साफ़ के
- walā
- وَلَا
- और ना
- yajrimannakum
- يَجْرِمَنَّكُمْ
- हरगिज़ आमादा करे तुम्हें
- shanaānu
- شَنَـَٔانُ
- दुश्मनी
- qawmin
- قَوْمٍ
- किसी क़ौम की
- ʿalā
- عَلَىٰٓ
- इस पर
- allā
- أَلَّا
- कि ना
- taʿdilū
- تَعْدِلُوا۟ۚ
- तुम अदल करोगे
- iʿ'dilū
- ٱعْدِلُوا۟
- अदल करो
- huwa
- هُوَ
- वो
- aqrabu
- أَقْرَبُ
- ज़्यादा क़रीब है
- lilttaqwā
- لِلتَّقْوَىٰۖ
- तक़वा के
- wa-ittaqū
- وَٱتَّقُوا۟
- और डरो
- l-laha
- ٱللَّهَۚ
- अल्लाह से
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- khabīrun
- خَبِيرٌۢ
- ख़ूब ख़बर रखने वाला है
- bimā
- بِمَا
- उसकी जो
- taʿmalūna
- تَعْمَلُونَ
- तुम अमल करते हो
ऐ ईमान लेनेवालो! अल्लाह के लिए खूब उठनेवाले, इनसाफ़ की निगरानी करनेवाले बनो और ऐसा न हो कि किसी गिरोह की शत्रुता तुम्हें इस बात पर उभार दे कि तुम इनसाफ़ करना छोड़ दो। इनसाफ़ करो, यही धर्मपरायणता से अधिक निकट है। अल्लाह का डर रखो, निश्चय ही जो कुछ तुम करते हो, अल्लाह को उसकी ख़बर हैं ([५] अल-माइदा: 8)Tafseer (तफ़सीर )
وَعَدَ اللّٰهُ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِۙ لَهُمْ مَّغْفِرَةٌ وَّاَجْرٌ عَظِيْمٌ ٩
- waʿada
- وَعَدَ
- वादा किया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनसे जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- जो ईमान लाए
- waʿamilū
- وَعَمِلُوا۟
- और उन्होंने अमल किए
- l-ṣāliḥāti
- ٱلصَّٰلِحَٰتِۙ
- नेक
- lahum
- لَهُم
- उनके लिए
- maghfiratun
- مَّغْفِرَةٌ
- मग़फ़िरत
- wa-ajrun
- وَأَجْرٌ
- और अजर है
- ʿaẓīmun
- عَظِيمٌ
- बहुत बड़ा
जो लोग ईमान लाए और उन्होंन अच्छे कर्म किए उनसे अल्लाह का वादा है कि उनके लिए क्षमा और बड़ा प्रतिदान है ([५] अल-माइदा: 9)Tafseer (तफ़सीर )
وَالَّذِيْنَ كَفَرُوْا وَكَذَّبُوْا بِاٰيٰتِنَآ اُولٰۤىِٕكَ اَصْحٰبُ الْجَحِيْمِ ١٠
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- wakadhabū
- وَكَذَّبُوا۟
- और उन्होंने झुठलाया
- biāyātinā
- بِـَٔايَٰتِنَآ
- हमारी आयात को
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग हैं
- aṣḥābu
- أَصْحَٰبُ
- साथी
- l-jaḥīmi
- ٱلْجَحِيمِ
- जहन्नम के
रहे वे लोग जिन्होंने इनकार किया और हमारी आयतों को झुठलाया, वही भड़कती आग में पड़नेवाले है ([५] अल-माइदा: 10)Tafseer (तफ़सीर )