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सूरा अल-फतह - Page: 3

Al-Fath

(जीत, विजय)

२१

وَّاُخْرٰى لَمْ تَقْدِرُوْا عَلَيْهَا قَدْ اَحَاطَ اللّٰهُ بِهَا ۗوَكَانَ اللّٰهُ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرًا ٢١

wa-ukh'rā
وَأُخْرَىٰ
और दूसरी (ग़नीमतें )
lam
لَمْ
नहीं
taqdirū
تَقْدِرُوا۟
तुम क़ादिर हो
ʿalayhā
عَلَيْهَا
जिन पर
qad
قَدْ
तहक़ीक़
aḥāṭa
أَحَاطَ
घेर रखा है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
bihā
بِهَاۚ
उन्हें
wakāna
وَكَانَ
और है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर
kulli
كُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ के
qadīran
قَدِيرًا
ख़ूब क़ुदरत रखने वाला
इसके अतिरिक्त दूसरी और विजय का भी वादा है, जिसकी सामर्थ्य अभी तुम्हे प्राप्त नहीं, उन्हें अल्लाह ने घेर रखा है। अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है ([४८] अल-फतह: 21)
Tafseer (तफ़सीर )
२२

وَلَوْ قَاتَلَكُمُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا لَوَلَّوُا الْاَدْبَارَ ثُمَّ لَا يَجِدُوْنَ وَلِيًّا وَّلَا نَصِيْرًا ٢٢

walaw
وَلَوْ
और अगर
qātalakumu
قَٰتَلَكُمُ
जंग करते तुमसे
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
lawallawū
لَوَلَّوُا۟
अलबत्ता वो फेर लेते
l-adbāra
ٱلْأَدْبَٰرَ
पुश्तें
thumma
ثُمَّ
फिर
لَا
ना वो पाते
yajidūna
يَجِدُونَ
ना वो पाते
waliyyan
وَلِيًّا
कोई दोस्त
walā
وَلَا
और ना
naṣīran
نَصِيرًا
कोई मददगार
यदि (मक्का के) इनकार करनेवाले तुमसे लड़ते तो अवश्य ही पीठ फेर जाते। फिर यह भी कि वे न तो कोई संरक्षक पाएँगे और न कोई सहायक ([४८] अल-फतह: 22)
Tafseer (तफ़सीर )
२३

سُنَّةَ اللّٰهِ الَّتِيْ قَدْ خَلَتْ مِنْ قَبْلُ ۖوَلَنْ تَجِدَ لِسُنَّةِ اللّٰهِ تَبْدِيْلًا ٢٣

sunnata
سُنَّةَ
तरीक़ा
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
allatī
ٱلَّتِى
वो जो
qad
قَدْ
तहक़ीक़
khalat
خَلَتْ
वो गुज़र चुका
min
مِن
इससे पहले
qablu
قَبْلُۖ
इससे पहले
walan
وَلَن
और हरगिज़ ना
tajida
تَجِدَ
आप पाऐंगे
lisunnati
لِسُنَّةِ
तरीक़े को
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
tabdīlan
تَبْدِيلًا
बदलने वाला
यह अल्लाह की उस रीति के अनुकूल है जो पहले से चली आई है, और तुम अल्लाह की रीति में कदापि कोई परिवर्तन न पाओगे ([४८] अल-फतह: 23)
Tafseer (तफ़सीर )
२४

وَهُوَ الَّذِيْ كَفَّ اَيْدِيَهُمْ عَنْكُمْ وَاَيْدِيَكُمْ عَنْهُمْ بِبَطْنِ مَكَّةَ مِنْۢ بَعْدِ اَنْ اَظْفَرَكُمْ عَلَيْهِمْ ۗوَكَانَ اللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ بَصِيْرًا ٢٤

wahuwa
وَهُوَ
और वो ही है
alladhī
ٱلَّذِى
जिसने
kaffa
كَفَّ
रोक दिया
aydiyahum
أَيْدِيَهُمْ
उनके हाथों को
ʿankum
عَنكُمْ
तुम से
wa-aydiyakum
وَأَيْدِيَكُمْ
और तुम्हारे हाथों को
ʿanhum
عَنْهُم
उनसे
bibaṭni
بِبَطْنِ
वादी में
makkata
مَكَّةَ
मक्का की
min
مِنۢ
उसके बाद
baʿdi
بَعْدِ
उसके बाद
an
أَنْ
कि
aẓfarakum
أَظْفَرَكُمْ
उसने कामयाब किया तुम्हें
ʿalayhim
عَلَيْهِمْۚ
उन पर
wakāna
وَكَانَ
और है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
bimā
بِمَا
उसे जो
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते हो
baṣīran
بَصِيرًا
ख़ूब देखने वाला
वही है जिसने उसके हाथ तुमसे और तुम्हारे हाथ उनसे मक्के की घाटी में रोक दिए इसके पश्चात कि वह तुम्हें उनपर प्रभावी कर चुका था। अल्लाह उसे देख रहा था जो कुछ तुम कर रहे थे ([४८] अल-फतह: 24)
Tafseer (तफ़सीर )
२५

هُمُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا وَصَدُّوْكُمْ عَنِ الْمَسْجِدِ الْحَرَامِ وَالْهَدْيَ مَعْكُوْفًا اَنْ يَّبْلُغَ مَحِلَّهٗ ۚوَلَوْلَا رِجَالٌ مُّؤْمِنُوْنَ وَنِسَاۤءٌ مُّؤْمِنٰتٌ لَّمْ تَعْلَمُوْهُمْ اَنْ تَطَـُٔوْهُمْ فَتُصِيْبَكُمْ مِّنْهُمْ مَّعَرَّةٌ ۢبِغَيْرِ عِلْمٍ ۚ لِيُدْخِلَ اللّٰهُ فِيْ رَحْمَتِهٖ مَنْ يَّشَاۤءُۚ لَوْ تَزَيَّلُوْا لَعَذَّبْنَا الَّذِيْنَ كَفَرُوْا مِنْهُمْ عَذَابًا اَلِيْمًا ٢٥

humu
هُمُ
वो ही हैं
alladhīna
ٱلَّذِينَ
जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
waṣaddūkum
وَصَدُّوكُمْ
और उन्होंने रोका तुम्हें
ʿani
عَنِ
मस्जिदे हराम से
l-masjidi
ٱلْمَسْجِدِ
मस्जिदे हराम से
l-ḥarāmi
ٱلْحَرَامِ
मस्जिदे हराम से
wal-hadya
وَٱلْهَدْىَ
और क़ुर्बानी के जानवरों को
maʿkūfan
مَعْكُوفًا
जो रोके हुए थे
an
أَن
कि
yablugha
يَبْلُغَ
वो पहुँचें
maḥillahu
مَحِلَّهُۥۚ
अपनी हलाल गाह को
walawlā
وَلَوْلَا
और अगर ना होते
rijālun
رِجَالٌ
कुछ मर्द
mu'minūna
مُّؤْمِنُونَ
मोमिन
wanisāon
وَنِسَآءٌ
और औरतें
mu'minātun
مُّؤْمِنَٰتٌ
मोमिन
lam
لَّمْ
नहीं
taʿlamūhum
تَعْلَمُوهُمْ
तुम जानते उन्हें
an
أَن
कि
taṭaūhum
تَطَـُٔوهُمْ
तुम पामाल कर दोगे उन्हें
fatuṣībakum
فَتُصِيبَكُم
फिर पहुँचती तुम्हें
min'hum
مِّنْهُم
उन(की वजह) से
maʿarratun
مَّعَرَّةٌۢ
कोई तक्लीफ़
bighayri
بِغَيْرِ
बग़ैर
ʿil'min
عِلْمٍۖ
इल्म के
liyud'khila
لِّيُدْخِلَ
ताकि दाख़िल करे
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
فِى
अपनी रहमत में
raḥmatihi
رَحْمَتِهِۦ
अपनी रहमत में
man
مَن
जिसे
yashāu
يَشَآءُۚ
वो चाहे
law
لَوْ
अगर
tazayyalū
تَزَيَّلُوا۟
वो अलग हो गए होते
laʿadhabnā
لَعَذَّبْنَا
अलबत्ता अज़ाब देते हम
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों को जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
min'hum
مِنْهُمْ
उनमें से
ʿadhāban
عَذَابًا
अज़ाब
alīman
أَلِيمًا
दर्दनाक
ये वही लोग तो है जिन्होंने इनकार किया और तुम्हें मस्जिदे हराम (काबा) से रोक दिया और क़ुरबानी के बँधे हुए जानवरों को भी इससे रोके रखा कि वे अपने ठिकाने पर पहुँचे। यदि यह ख़याल न होता कि बहुत-से मोमिन पुरुष और मोमिन स्त्रियाँ (मक्का में) मौजूद है, जिन्हें तुम नहीं जानते, उन्हें कुचल दोगे, फिर उनके सिलसिले में अनजाने तुमपर इल्ज़ाम आएगा (तो युद्ध की अनुमति दे दी जाती, अनुमति इसलिए नहीं दी गई) ताकि अल्लाह जिसे चाहे अपनी दयालुता में दाख़िल कर ले। यदि वे ईमानवाले अलग हो गए होते तो उनमें से जिन लोगों ने इनकार किया उनको हम अवश्य दुखद यातना देते ([४८] अल-फतह: 25)
Tafseer (तफ़सीर )
२६

اِذْ جَعَلَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا فِيْ قُلُوْبِهِمُ الْحَمِيَّةَ حَمِيَّةَ الْجَاهِلِيَّةِ فَاَنْزَلَ اللّٰهُ سَكِيْنَتَهٗ عَلٰى رَسُوْلِهٖ وَعَلَى الْمُؤْمِنِيْنَ وَاَلْزَمَهُمْ كَلِمَةَ التَّقْوٰى وَكَانُوْٓا اَحَقَّ بِهَا وَاَهْلَهَا ۗوَكَانَ اللّٰهُ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيْمًا ࣖ ٢٦

idh
إِذْ
जब
jaʿala
جَعَلَ
रख लिया
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों ने जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
فِى
अपने दिलों में
qulūbihimu
قُلُوبِهِمُ
अपने दिलों में
l-ḥamiyata
ٱلْحَمِيَّةَ
हमीयत(ज़िद) को
ḥamiyyata
حَمِيَّةَ
(जैसे) हमीयत
l-jāhiliyati
ٱلْجَٰهِلِيَّةِ
जाहिलियत की
fa-anzala
فَأَنزَلَ
तो नाज़िल की
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
sakīnatahu
سَكِينَتَهُۥ
सकीनत अपनी
ʿalā
عَلَىٰ
अपने रसूल पर
rasūlihi
رَسُولِهِۦ
अपने रसूल पर
waʿalā
وَعَلَى
और मोमिनों पर
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَ
और मोमिनों पर
wa-alzamahum
وَأَلْزَمَهُمْ
और उसने लाज़िम कर दी उन पर
kalimata
كَلِمَةَ
बात
l-taqwā
ٱلتَّقْوَىٰ
तक़्वा की
wakānū
وَكَانُوٓا۟
और थे वो
aḥaqqa
أَحَقَّ
ज़्यादा हक़दार
bihā
بِهَا
उसके
wa-ahlahā
وَأَهْلَهَاۚ
और अहल उसके
wakāna
وَكَانَ
और है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
bikulli
بِكُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ को
ʿalīman
عَلِيمًا
ख़ूब जानने वाला
याद करो जब इनकार करनेवाले लोगों ने अपने दिलों में हठ को जगह दी, अज्ञानपूर्ण हठ को; तो अल्लाह ने अपने रसूल पर और ईमानवालो पर सकीना (प्रशान्ति) उतारी और उन्हें परहेज़गारी (धर्मपरायणता) की बात का पाबन्द रखा। वे इसके ज़्यादा हक़दार और इसके योग्य भी थे। अल्लाह तो हर चीज़ जानता है ([४८] अल-फतह: 26)
Tafseer (तफ़सीर )
२७

لَقَدْ صَدَقَ اللّٰهُ رَسُوْلَهُ الرُّءْيَا بِالْحَقِّ ۚ لَتَدْخُلُنَّ الْمَسْجِدَ الْحَرَامَ اِنْ شَاۤءَ اللّٰهُ اٰمِنِيْنَۙ مُحَلِّقِيْنَ رُءُوْسَكُمْ وَمُقَصِّرِيْنَۙ لَا تَخَافُوْنَ ۗفَعَلِمَ مَا لَمْ تَعْلَمُوْا فَجَعَلَ مِنْ دُوْنِ ذٰلِكَ فَتْحًا قَرِيْبًا ٢٧

laqad
لَّقَدْ
अलबत्ता तहक़ीक़
ṣadaqa
صَدَقَ
सच्ची ख़बर दी
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
rasūlahu
رَسُولَهُ
अपने रसूल को
l-ru'yā
ٱلرُّءْيَا
ख़्वाब में
bil-ḥaqi
بِٱلْحَقِّۖ
साथ हक़ के
latadkhulunna
لَتَدْخُلُنَّ
अलबत्ता तुम ज़रूर दाख़िल होगे
l-masjida
ٱلْمَسْجِدَ
मस्जिदे
l-ḥarāma
ٱلْحَرَامَ
हराम में
in
إِن
अगर
shāa
شَآءَ
चाहा
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
āminīna
ءَامِنِينَ
अमन की हालत में
muḥalliqīna
مُحَلِّقِينَ
मुंडवाए हुए
ruūsakum
رُءُوسَكُمْ
अपने सिरों को
wamuqaṣṣirīna
وَمُقَصِّرِينَ
और तरशवाए हुए
لَا
नहीं तुम्हें ख़ौफ़ होगा
takhāfūna
تَخَافُونَۖ
नहीं तुम्हें ख़ौफ़ होगा
faʿalima
فَعَلِمَ
तो उसने जान लिया
مَا
जो
lam
لَمْ
नहीं
taʿlamū
تَعْلَمُوا۟
तुम जानते थे
fajaʿala
فَجَعَلَ
तो उसने कर दी
min
مِن
अलावा
dūni
دُونِ
अलावा
dhālika
ذَٰلِكَ
उसके
fatḥan
فَتْحًا
फ़तह
qarīban
قَرِيبًا
क़रीबी
निश्चय ही अल्लाह ने अपने रसूल को हक़ के साथ सच्चा स्वप्न दिखाया, 'यदि अल्लाह ने चाहा तो तुम अवश्य मस्जिदे हराम (काबा) में प्रवेश करोगे बेखटके, अपने सिर के बाल मुड़ाते और कतरवाते हुए, तुम्हें कोई भय न होगा।' हुआ यह कि उसने वह बात जान ली जो तुमने नहीं जानी। अतः इससे पहले उसने शीघ्र प्राप्त होनेवाली विजय तुम्हारे लिए निश्चिंत कर दी ([४८] अल-फतह: 27)
Tafseer (तफ़सीर )
२८

هُوَ الَّذِيْٓ اَرْسَلَ رَسُوْلَهٗ بِالْهُدٰى وَدِيْنِ الْحَقِّ لِيُظْهِرَهٗ عَلَى الدِّيْنِ كُلِّهٖ ۗوَكَفٰى بِاللّٰهِ شَهِيْدًا ٢٨

huwa
هُوَ
वो ही है
alladhī
ٱلَّذِىٓ
जिसने
arsala
أَرْسَلَ
भेजा
rasūlahu
رَسُولَهُۥ
अपने रसूल को
bil-hudā
بِٱلْهُدَىٰ
साथ हिदायत
wadīni
وَدِينِ
और दीने हक़ के
l-ḥaqi
ٱلْحَقِّ
और दीने हक़ के
liyuẓ'hirahu
لِيُظْهِرَهُۥ
ताकि वो ग़ालिब कर दे
ʿalā
عَلَى
ऊपर दीन
l-dīni
ٱلدِّينِ
ऊपर दीन
kullihi
كُلِّهِۦۚ
तमाम उसके
wakafā
وَكَفَىٰ
और काफ़ी है
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह
shahīdan
شَهِيدًا
गवाह
वही है जिसने अपने रसूल को मार्गदर्शन और सत्यधर्म के साथ भेजा, ताकि उसे पूरे के पूरे धर्म पर प्रभुत्व प्रदान करे और गवाह की हैसियत से अल्लाह काफ़ी है ([४८] अल-फतह: 28)
Tafseer (तफ़सीर )
२९

مُحَمَّدٌ رَّسُوْلُ اللّٰهِ ۗوَالَّذِيْنَ مَعَهٗٓ اَشِدَّاۤءُ عَلَى الْكُفَّارِ رُحَمَاۤءُ بَيْنَهُمْ تَرٰىهُمْ رُكَّعًا سُجَّدًا يَّبْتَغُوْنَ فَضْلًا مِّنَ اللّٰهِ وَرِضْوَانًا ۖ سِيْمَاهُمْ فِيْ وُجُوْهِهِمْ مِّنْ اَثَرِ السُّجُوْدِ ۗذٰلِكَ مَثَلُهُمْ فِى التَّوْرٰىةِ ۖوَمَثَلُهُمْ فِى الْاِنْجِيْلِۚ كَزَرْعٍ اَخْرَجَ شَطْـَٔهٗ فَاٰزَرَهٗ فَاسْتَغْلَظَ فَاسْتَوٰى عَلٰى سُوْقِهٖ يُعْجِبُ الزُّرَّاعَ لِيَغِيْظَ بِهِمُ الْكُفَّارَ ۗوَعَدَ اللّٰهُ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ مِنْهُمْ مَّغْفِرَةً وَّاَجْرًا عَظِيْمًا ࣖ ٢٩

muḥammadun
مُّحَمَّدٌ
मोहम्मद
rasūlu
رَّسُولُ
रसूल हैं
l-lahi
ٱللَّهِۚ
अल्लाह के
wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जो
maʿahu
مَعَهُۥٓ
साथ हैं उनके
ashiddāu
أَشِدَّآءُ
सख़्त हैं
ʿalā
عَلَى
काफ़िरों पर
l-kufāri
ٱلْكُفَّارِ
काफ़िरों पर
ruḥamāu
رُحَمَآءُ
मेहरबान हैं
baynahum
بَيْنَهُمْۖ
आपस में
tarāhum
تَرَىٰهُمْ
आप देखेंगे उन्हें
rukkaʿan
رُكَّعًا
रुकूअ करते हुए
sujjadan
سُجَّدًا
सजदा करते हुए
yabtaghūna
يَبْتَغُونَ
वो तलाश करते हैं
faḍlan
فَضْلًا
फ़ज़ल
mina
مِّنَ
अल्लाह की तरफ़ से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की तरफ़ से
wariḍ'wānan
وَرِضْوَٰنًاۖ
और रज़ामंदी
sīmāhum
سِيمَاهُمْ
अलामत उनकी
فِى
उनके चेहरों में है
wujūhihim
وُجُوهِهِم
उनके चेहरों में है
min
مِّنْ
सजदों के असर से
athari
أَثَرِ
सजदों के असर से
l-sujūdi
ٱلسُّجُودِۚ
सजदों के असर से
dhālika
ذَٰلِكَ
ये है
mathaluhum
مَثَلُهُمْ
मिसाल उनकी
فِى
तौरात में
l-tawrāti
ٱلتَّوْرَىٰةِۚ
तौरात में
wamathaluhum
وَمَثَلُهُمْ
और मिसाल उनकी
فِى
इन्जील में
l-injīli
ٱلْإِنجِيلِ
इन्जील में
kazarʿin
كَزَرْعٍ
मानिन्द एक खेती के
akhraja
أَخْرَجَ
जिसने निकाली
shaṭahu
شَطْـَٔهُۥ
कोंपल अपनी
faāzarahu
فَـَٔازَرَهُۥ
फिर उसने मज़बूत किया उसको
fa-is'taghlaẓa
فَٱسْتَغْلَظَ
फिर वो सख़्त हो गई
fa-is'tawā
فَٱسْتَوَىٰ
फिर वो खड़ी हो गई
ʿalā
عَلَىٰ
अपने तने पर
sūqihi
سُوقِهِۦ
अपने तने पर
yuʿ'jibu
يُعْجِبُ
वो ख़ुश करती है
l-zurāʿa
ٱلزُّرَّاعَ
काश्तकारों को
liyaghīẓa
لِيَغِيظَ
ताकि वो ग़ज़बनाक कर दे
bihimu
بِهِمُ
उनके ज़रिए
l-kufāra
ٱلْكُفَّارَۗ
काफ़िरों को
waʿada
وَعَدَ
वादा किया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों से जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
waʿamilū
وَعَمِلُوا۟
और उन्होंने अमल किए
l-ṣāliḥāti
ٱلصَّٰلِحَٰتِ
नेक
min'hum
مِنْهُم
उनमें से
maghfiratan
مَّغْفِرَةً
बख़्शिश का
wa-ajran
وَأَجْرًا
और अजर
ʿaẓīman
عَظِيمًۢا
बहुत बड़े का
अल्लाह के रसूल मुहम्मद और जो लोग उनके साथ हैं, वे इनकार करनेवालों पर भारी हैं, आपस में दयालु है। तुम उन्हें रुकू में, सजदे में, अल्लाह का उदार अनुग्रह और उसकी प्रसन्नता चाहते हुए देखोगे। वे अपने चहरों से पहचाने जाते हैं जिनपर सजदों का प्रभाव है। यही उनकी विशेषता तौरात में और उनकी विशेषता इंजील में उस खेती की तरह उल्लिखित है जिसने अपना अंकुर निकाला; फिर उसे शक्ति पहुँचाई तो वह मोटा हुआ और वह अपने तने पर सीधा खड़ा हो गया। खेती करनेवालों को भा रहा है, ताकि उनसे इनकार करनेवालों का भी जी जलाए। उनमें से जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए उनसे अल्लाह ने क्षमा और बदले का वादा किया है ([४८] अल-फतह: 29)
Tafseer (तफ़सीर )