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सूरा अल-फतह - Page: 2

Al-Fath

(जीत, विजय)

११

سَيَقُوْلُ لَكَ الْمُخَلَّفُوْنَ مِنَ الْاَعْرَابِ شَغَلَتْنَآ اَمْوَالُنَا وَاَهْلُوْنَا فَاسْتَغْفِرْ لَنَا ۚيَقُوْلُوْنَ بِاَلْسِنَتِهِمْ مَّا لَيْسَ فِيْ قُلُوْبِهِمْۗ قُلْ فَمَنْ يَّمْلِكُ لَكُمْ مِّنَ اللّٰهِ شَيْـًٔا اِنْ اَرَادَ بِكُمْ ضَرًّا اَوْ اَرَادَ بِكُمْ نَفْعًا ۗبَلْ كَانَ اللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ خَبِيْرًا ١١

sayaqūlu
سَيَقُولُ
अनक़रीब कहेंगे
laka
لَكَ
आपको
l-mukhalafūna
ٱلْمُخَلَّفُونَ
पीछे रहने वाले
mina
مِنَ
देहाती/ बदवियों में से
l-aʿrābi
ٱلْأَعْرَابِ
देहाती/ बदवियों में से
shaghalatnā
شَغَلَتْنَآ
कि मश्ग़ूल कर लिया हमें
amwālunā
أَمْوَٰلُنَا
हमारे मालों ने
wa-ahlūnā
وَأَهْلُونَا
और हमारे घर वालों ने
fa-is'taghfir
فَٱسْتَغْفِرْ
पस बख़्शिश माँगिए
lanā
لَنَاۚ
हमारे लिए
yaqūlūna
يَقُولُونَ
वो कहते हैं
bi-alsinatihim
بِأَلْسِنَتِهِم
अपनी ज़बानों से
مَّا
जो
laysa
لَيْسَ
नहीं
فِى
उनके दिलों में
qulūbihim
قُلُوبِهِمْۚ
उनके दिलों में
qul
قُلْ
कह दीजिए
faman
فَمَن
पस कौन
yamliku
يَمْلِكُ
मालिक होगा
lakum
لَكُم
तुम्हारे लिए
mina
مِّنَ
अल्लाह से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह से
shayan
شَيْـًٔا
किसी चीज़ क
in
إِنْ
अगर
arāda
أَرَادَ
उसने इरादा किया
bikum
بِكُمْ
तुम्हारे साथ
ḍarran
ضَرًّا
किसी नुक़्सान का
aw
أَوْ
या
arāda
أَرَادَ
उसने इरादा किया
bikum
بِكُمْ
तुम्हारे साथ
nafʿan
نَفْعًۢاۚ
किसी नफ़ा का
bal
بَلْ
बल्कि
kāna
كَانَ
है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
bimā
بِمَا
उससे जो
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते हो
khabīran
خَبِيرًۢا
पूरा बाख़बर
जो बद्‌दू पीछे रह गए थे, वे अब तुमसे कहेगे, 'हमारे माल और हमारे घरवालों ने हमें व्यस्त कर रखा था; तो आप हमारे लिए क्षमा की प्रार्थना कीजिए।' वे अपनी ज़बानों से वे बातें कहते है जो उनके दिलों में नहीं। कहना कि, 'कौन है जो अल्लाह के मुक़ाबले में तुम्हारे किए किसी चीज़ का अधिकार रखता है, यदि वह तुम्हें कोई हानि पहुँचानी चाहे या वह तुम्हें कोई लाभ पहुँचाने का इरादा करे? बल्कि जो कुछ तुम करते हो अल्लाह उसकी ख़बर रखता है। - ([४८] अल-फतह: 11)
Tafseer (तफ़सीर )
१२

بَلْ ظَنَنْتُمْ اَنْ لَّنْ يَّنْقَلِبَ الرَّسُوْلُ وَالْمُؤْمِنُوْنَ اِلٰٓى اَهْلِيْهِمْ اَبَدًا وَّزُيِّنَ ذٰلِكَ فِيْ قُلُوْبِكُمْ وَظَنَنْتُمْ ظَنَّ السَّوْءِۚ وَكُنْتُمْ قَوْمًاۢ بُوْرًا ١٢

bal
بَلْ
बल्कि
ẓanantum
ظَنَنتُمْ
गुमान किया तुमने
an
أَن
कि
lan
لَّن
हरगिज़ नहीं
yanqaliba
يَنقَلِبَ
पलट कर आऐंगे
l-rasūlu
ٱلرَّسُولُ
रसूल
wal-mu'minūna
وَٱلْمُؤْمِنُونَ
और मोमिन
ilā
إِلَىٰٓ
तरफ़ अपने घर वालों के
ahlīhim
أَهْلِيهِمْ
तरफ़ अपने घर वालों के
abadan
أَبَدًا
कभी भी
wazuyyina
وَزُيِّنَ
और मुज़य्यन कर दी गई
dhālika
ذَٰلِكَ
ये (बात)
فِى
तुम्हारे दिलों में
qulūbikum
قُلُوبِكُمْ
तुम्हारे दिलों में
waẓanantum
وَظَنَنتُمْ
और गुमान किया तुमने
ẓanna
ظَنَّ
गुमान
l-sawi
ٱلسَّوْءِ
बुरा
wakuntum
وَكُنتُمْ
और हो तुम
qawman
قَوْمًۢا
लोग
būran
بُورًا
हलाक होने वाले
'नहीं, बल्कि तुमने यह समझा कि रसूल और ईमानवाले अपने घरवालों की ओर लौटकर कभी न आएँगे और यह तुम्हारे दिलों को अच्छा लगा। तुमने तो बहुत बुरे गुमान किए और तुम्हीं लोग हुए तबाही में पड़नेवाले।' ([४८] अल-फतह: 12)
Tafseer (तफ़सीर )
१३

وَمَنْ لَّمْ يُؤْمِنْۢ بِاللّٰهِ وَرَسُوْلِهٖ فَاِنَّآ اَعْتَدْنَا لِلْكٰفِرِيْنَ سَعِيْرًا ١٣

waman
وَمَن
और जो कोई
lam
لَّمْ
ना
yu'min
يُؤْمِنۢ
वो ईमान लाया
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
warasūlihi
وَرَسُولِهِۦ
और उसके रसूल पर
fa-innā
فَإِنَّآ
तो बेशक हम
aʿtadnā
أَعْتَدْنَا
तैयार कर रखा है हमने
lil'kāfirīna
لِلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों के लिए
saʿīran
سَعِيرًا
भड़कती हुई आग को
और अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान न लाया, तो हमने भी इनकार करनेवालों के लिए भड़कती आग तैयार कर रखी है ([४८] अल-फतह: 13)
Tafseer (तफ़सीर )
१४

وَلِلّٰهِ مُلْكُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ يَغْفِرُ لِمَنْ يَّشَاۤءُ وَيُعَذِّبُ مَنْ يَّشَاۤءُ ۗوَكَانَ اللّٰهُ غَفُوْرًا رَّحِيْمًا ١٤

walillahi
وَلِلَّهِ
और अल्लाह ही के लिए है
mul'ku
مُلْكُ
बादशाहत
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِۚ
और ज़मीन की
yaghfiru
يَغْفِرُ
वो बख़्श देगा
liman
لِمَن
जिसे
yashāu
يَشَآءُ
वो चाहेगा
wayuʿadhibu
وَيُعَذِّبُ
और वो अज़ाब देगा
man
مَن
जिसे
yashāu
يَشَآءُۚ
वो चाहेगा
wakāna
وَكَانَ
और है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ghafūran
غَفُورًا
बहुत बख़्शने वाला
raḥīman
رَّحِيمًا
निहायत रहम करने वाला
अल्लाह ही की है आकाशों और धरती की बादशाही। वह जिसे चाहे क्षमा करे और जिसे चाहे यातना दे। और अल्लाह बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है ([४८] अल-फतह: 14)
Tafseer (तफ़सीर )
१५

سَيَقُوْلُ الْمُخَلَّفُوْنَ اِذَا انْطَلَقْتُمْ اِلٰى مَغَانِمَ لِتَأْخُذُوْهَا ذَرُوْنَا نَتَّبِعْكُمْ ۚ يُرِيْدُوْنَ اَنْ يُّبَدِّلُوْا كَلٰمَ اللّٰهِ ۗ قُلْ لَّنْ تَتَّبِعُوْنَا كَذٰلِكُمْ قَالَ اللّٰهُ مِنْ قَبْلُ ۖفَسَيَقُوْلُوْنَ بَلْ تَحْسُدُوْنَنَا ۗ بَلْ كَانُوْا لَا يَفْقَهُوْنَ اِلَّا قَلِيْلًا ١٥

sayaqūlu
سَيَقُولُ
अनक़रीब कहेंगे
l-mukhalafūna
ٱلْمُخَلَّفُونَ
पीछे रहने वाले
idhā
إِذَا
जब
inṭalaqtum
ٱنطَلَقْتُمْ
चलोगे तुम
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ ग़नीमतों के
maghānima
مَغَانِمَ
तरफ़ ग़नीमतों के
litakhudhūhā
لِتَأْخُذُوهَا
ताकि तुम ले सको उन्हें
dharūnā
ذَرُونَا
छोड़ दो हमें
nattabiʿ'kum
نَتَّبِعْكُمْۖ
हम पीछे चलें तुम्हारे
yurīdūna
يُرِيدُونَ
वो चाहते है
an
أَن
कि
yubaddilū
يُبَدِّلُوا۟
वो बदल डालें
kalāma
كَلَٰمَ
कलाम
l-lahi
ٱللَّهِۚ
अल्लाह का
qul
قُل
कह दीजिए
lan
لَّن
हरगिज़ नहीं
tattabiʿūnā
تَتَّبِعُونَا
तुम पीछे आओगे हमारे
kadhālikum
كَذَٰلِكُمْ
इसी तरह
qāla
قَالَ
फ़रमाया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
min
مِن
इससे पहले
qablu
قَبْلُۖ
इससे पहले
fasayaqūlūna
فَسَيَقُولُونَ
पस ज़रूर वो कहेंगे
bal
بَلْ
बल्कि
taḥsudūnanā
تَحْسُدُونَنَاۚ
तुम हसद करते हो हम से
bal
بَلْ
बल्कि
kānū
كَانُوا۟
हैं वो
لَا
नहीं वो समझते
yafqahūna
يَفْقَهُونَ
नहीं वो समझते
illā
إِلَّا
मगर
qalīlan
قَلِيلًا
बहुत कम
जब तुम ग़नीमतों को प्राप्त करने के लिए उनकी ओर चलोगे तो पीछे रहनेवाले कहेंगे, 'हमें भी अनुमति दी जाए कि हम तुम्हारे साथ चले।' वे चाहते है कि अल्लाह का कथन को बदल दे। कह देना, 'तुम हमारे साथ कदापि नहीं चल सकते। अल्लाह ने पहले ही ऐसा कह दिया है।' इसपर वे कहेंगे, 'नहीं, बल्कि तुम हमसे ईर्ष्या कर रहे हो।' नहीं, बल्कि वे लोग समझते थोड़े ही है ([४८] अल-फतह: 15)
Tafseer (तफ़सीर )
१६

قُلْ لِّلْمُخَلَّفِيْنَ مِنَ الْاَعْرَابِ سَتُدْعَوْنَ اِلٰى قَوْمٍ اُولِيْ بَأْسٍ شَدِيْدٍ تُقَاتِلُوْنَهُمْ اَوْ يُسْلِمُوْنَ ۚ فَاِنْ تُطِيْعُوْا يُؤْتِكُمُ اللّٰهُ اَجْرًا حَسَنًا ۚ وَاِنْ تَتَوَلَّوْا كَمَا تَوَلَّيْتُمْ مِّنْ قَبْلُ يُعَذِّبْكُمْ عَذَابًا اَلِيْمًا ١٦

qul
قُل
कह दीजिए
lil'mukhallafīna
لِّلْمُخَلَّفِينَ
पीछे रहने वालों से
mina
مِنَ
देहाती /बदवियों में से
l-aʿrābi
ٱلْأَعْرَابِ
देहाती /बदवियों में से
satud'ʿawna
سَتُدْعَوْنَ
अनक़रीब तुम बुलाए जाओगे
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ एक क़ौम के
qawmin
قَوْمٍ
तरफ़ एक क़ौम के
ulī
أُو۟لِى
सख़्त जंगजू/ लड़ने वाली
basin
بَأْسٍ
सख़्त जंगजू/ लड़ने वाली
shadīdin
شَدِيدٍ
सख़्त जंगजू/ लड़ने वाली
tuqātilūnahum
تُقَٰتِلُونَهُمْ
तुम जंग करोगे उनसे
aw
أَوْ
या
yus'limūna
يُسْلِمُونَۖ
वो मुसलमान हो जाऐंगे
fa-in
فَإِن
फिर अगर
tuṭīʿū
تُطِيعُوا۟
तुम इताअत करोगे
yu'tikumu
يُؤْتِكُمُ
देगा तुम्हें
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ajran
أَجْرًا
अजर
ḥasanan
حَسَنًاۖ
अच्छा
wa-in
وَإِن
और अगर
tatawallaw
تَتَوَلَّوْا۟
तुम मुँह मोड़ गए
kamā
كَمَا
जैसा कि
tawallaytum
تَوَلَّيْتُم
तुमने मुँह मोड़ा था
min
مِّن
इससे पहले
qablu
قَبْلُ
इससे पहले
yuʿadhib'kum
يُعَذِّبْكُمْ
वो अज़ाब देगा तुम्हें
ʿadhāban
عَذَابًا
अज़ाब
alīman
أَلِيمًا
दर्दनाक
पीछे रह जानेवाले बद्‌दूओं से कहना, 'शीघ्र ही तुम्हें ऐसे लोगों की ओर बुलाया जाएगा जो बड़े युद्धवीर है कि तुम उनसे लड़ो या वे आज्ञाकारी हो जाएँ। तो यदि तुम आज्ञाकारी हो जाएँ। तो यदि तुम आज्ञापालन करोगे तो अल्लाह तुम्हें अच्छा बदला प्रदान करेगा। किन्तु यदि तुम फिर गए, जैसे पहले फिर गए थे, तो वह तुम्हें दुखद यातना देगा।' ([४८] अल-फतह: 16)
Tafseer (तफ़सीर )
१७

لَيْسَ عَلَى الْاَعْمٰى حَرَجٌ وَّلَا عَلَى الْاَعْرَجِ حَرَجٌ وَّلَا عَلَى الْمَرِيْضِ حَرَجٌ ۗ وَمَنْ يُّطِعِ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ يُدْخِلْهُ جَنّٰتٍ تَجْرِيْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ ۚ وَمَنْ يَّتَوَلَّ يُعَذِّبْهُ عَذَابًا اَلِيْمًا ࣖ ١٧

laysa
لَّيْسَ
नहीं है
ʿalā
عَلَى
अंधे पर
l-aʿmā
ٱلْأَعْمَىٰ
अंधे पर
ḥarajun
حَرَجٌ
कोई गुनाह
walā
وَلَا
और ना
ʿalā
عَلَى
लंगड़े पर
l-aʿraji
ٱلْأَعْرَجِ
लंगड़े पर
ḥarajun
حَرَجٌ
कोई गुनाह
walā
وَلَا
और ना
ʿalā
عَلَى
मरीज़ पर
l-marīḍi
ٱلْمَرِيضِ
मरीज़ पर
ḥarajun
حَرَجٌۗ
कोई गुनाह
waman
وَمَن
और जो कोई
yuṭiʿi
يُطِعِ
इताअत करेगा
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह की
warasūlahu
وَرَسُولَهُۥ
और उसके रसूल की
yud'khil'hu
يُدْخِلْهُ
वो दाख़िल करेगा उसे
jannātin
جَنَّٰتٍ
बाग़ात में
tajrī
تَجْرِى
बहती हैं
min
مِن
उनके नीचे से
taḥtihā
تَحْتِهَا
उनके नीचे से
l-anhāru
ٱلْأَنْهَٰرُۖ
नहरें
waman
وَمَن
और जो कोई
yatawalla
يَتَوَلَّ
मुँह फेरेगा
yuʿadhib'hu
يُعَذِّبْهُ
वो अज़ाब देगा उसे
ʿadhāban
عَذَابًا
अज़ाब
alīman
أَلِيمًا
दर्दनाक
न अन्धे के लिए कोई हरज है, न लँगडे के लिए कोई हरज है और न बीमार के लिए कोई हरज है। जो भी अल्लाह और उसके रसूल की आज्ञा का पालन करेगा, उसे वह ऐसे बाग़ों में दाख़िल करके, जिनके नीचे नहरे बह रही होगी, किन्तु जो मुँह फेरेगा उसे वह दुखद यातना देगा ([४८] अल-फतह: 17)
Tafseer (तफ़सीर )
१८

۞ لَقَدْ رَضِيَ اللّٰهُ عَنِ الْمُؤْمِنِيْنَ اِذْ يُبَايِعُوْنَكَ تَحْتَ الشَّجَرَةِ فَعَلِمَ مَا فِيْ قُلُوْبِهِمْ فَاَنْزَلَ السَّكِيْنَةَ عَلَيْهِمْ وَاَثَابَهُمْ فَتْحًا قَرِيْبًاۙ ١٨

laqad
لَّقَدْ
अलबत्ता तहक़ीक़
raḍiya
رَضِىَ
राज़ी हो गया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ʿani
عَنِ
मोमिनों से
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَ
मोमिनों से
idh
إِذْ
जब
yubāyiʿūnaka
يُبَايِعُونَكَ
वो बैअत कर रहे थे आपसे
taḥta
تَحْتَ
नीचे
l-shajarati
ٱلشَّجَرَةِ
दरख़्त के
faʿalima
فَعَلِمَ
तो उसने जान लिया
مَا
जो
فِى
उनके दिलों में था
qulūbihim
قُلُوبِهِمْ
उनके दिलों में था
fa-anzala
فَأَنزَلَ
तो उसने उतारी
l-sakīnata
ٱلسَّكِينَةَ
सकीनत /तस्कीन
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर
wa-athābahum
وَأَثَٰبَهُمْ
और अता की उन्हें
fatḥan
فَتْحًا
फ़तह
qarīban
قَرِيبًا
क़रीबी
निश्चय ही अल्लाह मोमिनों से प्रसन्न हुआ, जब वे वृक्ष के नीचे तुमसे बैअत कर रहे थे। उसने जान लिया जो कुछ उनके दिलों में था। अतः उनपर उसने सकीना (प्रशान्ति) उतारी और बदले में उन्हें मिलनेवाली विजय निश्चित कर दी; ([४८] अल-फतह: 18)
Tafseer (तफ़सीर )
१९

وَّمَغَانِمَ كَثِيْرَةً يَّأْخُذُوْنَهَا ۗ وَكَانَ اللّٰهُ عَزِيْزًا حَكِيْمًا ١٩

wamaghānima
وَمَغَانِمَ
और ग़नीमतें
kathīratan
كَثِيرَةً
बहुत सी
yakhudhūnahā
يَأْخُذُونَهَاۗ
वो हासिल करेंगे जिन्हें
wakāna
وَكَانَ
और है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ʿazīzan
عَزِيزًا
बहुत ज़बरदस्त
ḥakīman
حَكِيمًا
बहुत हिकमत वाला
और बहुत-सी ग़नीमतें भी, जिन्हें वे प्राप्त करेंगे। अल्लाह प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है ([४८] अल-फतह: 19)
Tafseer (तफ़सीर )
२०

وَعَدَكُمُ اللّٰهُ مَغَانِمَ كَثِيْرَةً تَأْخُذُوْنَهَا فَعَجَّلَ لَكُمْ هٰذِهٖ وَكَفَّ اَيْدِيَ النَّاسِ عَنْكُمْۚ وَلِتَكُوْنَ اٰيَةً لِّلْمُؤْمِنِيْنَ وَيَهْدِيَكُمْ صِرَاطًا مُّسْتَقِيْمًاۙ ٢٠

waʿadakumu
وَعَدَكُمُ
वादा किया तुमसे
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
maghānima
مَغَانِمَ
ग़नीमतों का
kathīratan
كَثِيرَةً
बहुत सी
takhudhūnahā
تَأْخُذُونَهَا
तुम हासिल करोगे जिन्हें
faʿajjala
فَعَجَّلَ
तो उसने जल्दी दी
lakum
لَكُمْ
तुम्हें
hādhihi
هَٰذِهِۦ
ये
wakaffa
وَكَفَّ
और उसने रोक दिए
aydiya
أَيْدِىَ
हाथ
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
लोगों क
ʿankum
عَنكُمْ
तुम से
walitakūna
وَلِتَكُونَ
और ताकि वो हो जाए
āyatan
ءَايَةً
एक निशानी
lil'mu'minīna
لِّلْمُؤْمِنِينَ
मोमिनों के लिए
wayahdiyakum
وَيَهْدِيَكُمْ
और वो हिदायत दे तुम्हें
ṣirāṭan
صِرَٰطًا
(तरफ़) रास्ते
mus'taqīman
مُّسْتَقِيمًا
सीधे के
अल्लाह ने तुमसे बहुत-सी गंनीमतों का वादा किया हैं, जिन्हें तुम प्राप्त करोगे। यह विजय तो उसने तुम्हें तात्कालिक रूप से निश्चित कर दी। और लोगों के हाथ तुमसे रोक दिए (कि वे तुमपर आक्रमण करने का साहस न कर सकें) और ताकि ईमानवालों के लिए एक निशानी हो। और वह सीधे मार्ग की ओर तुम्हारा मार्गदर्शन करे ([४८] अल-फतह: 20)
Tafseer (तफ़सीर )