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सूरा अल-फतह - शब्द द्वारा शब्द

Al-Fath

(जीत, विजय)

bismillaahirrahmaanirrahiim

اِنَّا فَتَحْنَا لَكَ فَتْحًا مُّبِيْنًاۙ ١

innā
إِنَّا
बेशक हम
fataḥnā
فَتَحْنَا
फ़तह अता की हमने
laka
لَكَ
आपको
fatḥan
فَتْحًا
फ़तह
mubīnan
مُّبِينًا
खुली
निश्चय ही हमने तुम्हारे लिए एक खुली विजय प्रकट की, ([४८] अल-फतह: 1)
Tafseer (तफ़सीर )

لِّيَغْفِرَ لَكَ اللّٰهُ مَا تَقَدَّمَ مِنْ ذَنْۢبِكَ وَمَا تَاَخَّرَ وَيُتِمَّ نِعْمَتَهٗ عَلَيْكَ وَيَهْدِيَكَ صِرَاطًا مُّسْتَقِيْمًاۙ ٢

liyaghfira
لِّيَغْفِرَ
ताकि बख़्श दे
laka
لَكَ
आपके लिए
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
مَا
जो
taqaddama
تَقَدَّمَ
पहले हुआ
min
مِن
आपके क़ुसूर में से
dhanbika
ذَنۢبِكَ
आपके क़ुसूर में से
wamā
وَمَا
और जो
ta-akhara
تَأَخَّرَ
बाद में हुआ
wayutimma
وَيُتِمَّ
और वो पूरा कर दे
niʿ'matahu
نِعْمَتَهُۥ
अपनी नेअमत को
ʿalayka
عَلَيْكَ
आप पर
wayahdiyaka
وَيَهْدِيَكَ
और वो रहनुमाई करे आपकी
ṣirāṭan
صِرَٰطًا
(तरफ़) रास्ते
mus'taqīman
مُّسْتَقِيمًا
सीधे के
ताकि अल्लाह तुम्हारे अगले और पिछले गुनाहों को क्षमा कर दे और तुमपर अपनी अनुकम्पा पूर्ण कर दे और तुम्हें सीधे मार्ग पर चलाए, ([४८] अल-फतह: 2)
Tafseer (तफ़सीर )

وَّيَنْصُرَكَ اللّٰهُ نَصْرًا عَزِيْزًا ٣

wayanṣuraka
وَيَنصُرَكَ
और मदद फ़रमाए आपकी
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
naṣran
نَصْرًا
मदद
ʿazīzan
عَزِيزًا
ज़बरदस्त
और अल्लाह तुम्हें प्रभावकारी सहायता प्रदान करे ([४८] अल-फतह: 3)
Tafseer (तफ़सीर )

هُوَ الَّذِيْٓ اَنْزَلَ السَّكِيْنَةَ فِيْ قُلُوْبِ الْمُؤْمِنِيْنَ لِيَزْدَادُوْٓا اِيْمَانًا مَّعَ اِيْمَانِهِمْ ۗ وَلِلّٰهِ جُنُوْدُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ وَكَانَ اللّٰهُ عَلِيْمًا حَكِيْمًاۙ ٤

huwa
هُوَ
वो ही है
alladhī
ٱلَّذِىٓ
जिसने
anzala
أَنزَلَ
नाज़िल की
l-sakīnata
ٱلسَّكِينَةَ
सकीनत
فِى
दिलों में
qulūbi
قُلُوبِ
दिलों में
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَ
मोमिनों के
liyazdādū
لِيَزْدَادُوٓا۟
ताकि वो बढ़ जाऐं
īmānan
إِيمَٰنًا
ईमान में
maʿa
مَّعَ
साथ
īmānihim
إِيمَٰنِهِمْۗ
अपने ईमान के
walillahi
وَلِلَّهِ
और अल्लाह ही के लिए हैं
junūdu
جُنُودُ
लश्कर
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِۚ
और ज़मीन के
wakāna
وَكَانَ
और है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ʿalīman
عَلِيمًا
बहुत इल्म वाला
ḥakīman
حَكِيمًا
ख़ूब हिकमत वाला
वहीं है जिसने ईमानवालों के दिलों में सकीना (प्रशान्ति) उतारी, ताकि अपने ईमान के साथ वे और ईमान की अभिवृद्धि करें - आकाशों और धरती की सभी सेनाएँ अल्लाह ही की है, और अल्लाह सर्वज्ञ, तत्वदर्शी है। - ([४८] अल-फतह: 4)
Tafseer (तफ़सीर )

لِّيُدْخِلَ الْمُؤْمِنِيْنَ وَالْمُؤْمِنٰتِ جَنّٰتٍ تَجْرِيْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ خٰلِدِيْنَ فِيْهَا وَيُكَفِّرَ عَنْهُمْ سَيِّاٰتِهِمْۗ وَكَانَ ذٰلِكَ عِنْدَ اللّٰهِ فَوْزًا عَظِيْمًاۙ ٥

liyud'khila
لِّيُدْخِلَ
ताकि वो दाख़िल करे
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَ
मोमिन मर्दों
wal-mu'mināti
وَٱلْمُؤْمِنَٰتِ
और मोमिन औरतों को
jannātin
جَنَّٰتٍ
बाग़ात में
tajrī
تَجْرِى
बहती हैं
min
مِن
उनके नीचे से
taḥtihā
تَحْتِهَا
उनके नीचे से
l-anhāru
ٱلْأَنْهَٰرُ
नहरें
khālidīna
خَٰلِدِينَ
हमेशा रहने वाले हैं
fīhā
فِيهَا
उसमें
wayukaffira
وَيُكَفِّرَ
और वो दूर कर दे
ʿanhum
عَنْهُمْ
उनसे
sayyiātihim
سَيِّـَٔاتِهِمْۚ
बुराइयाँ उनकी
wakāna
وَكَانَ
और है
dhālika
ذَٰلِكَ
ये
ʿinda
عِندَ
अल्लाह के नज़दीक
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के नज़दीक
fawzan
فَوْزًا
कामयाबी
ʿaẓīman
عَظِيمًا
बहुत बड़ी
ताकि वह मोमिन पुरुषों औप मोमिन स्त्रियों को ऐसे बाग़ों में दाख़िल करे जिनके नीचे नहरें बहती होंगी कि वे उनमें सदैव रहें और उनसे उनकी बुराईयाँ दूर कर दे - यह अल्लाह के यहाँ बड़ी सफलता है। - ([४८] अल-फतह: 5)
Tafseer (तफ़सीर )

وَّيُعَذِّبَ الْمُنٰفِقِيْنَ وَالْمُنٰفِقٰتِ وَالْمُشْرِكِيْنَ وَالْمُشْرِكٰتِ الظَّاۤنِّيْنَ بِاللّٰهِ ظَنَّ السَّوْءِۗ عَلَيْهِمْ دَاۤىِٕرَةُ السَّوْءِۚ وَغَضِبَ اللّٰهُ عَلَيْهِمْ وَلَعَنَهُمْ وَاَعَدَّ لَهُمْ جَهَنَّمَۗ وَسَاۤءَتْ مَصِيْرًا ٦

wayuʿadhiba
وَيُعَذِّبَ
और वो अज़ाब दे
l-munāfiqīna
ٱلْمُنَٰفِقِينَ
मुनाफ़िक़ मर्दों
wal-munāfiqāti
وَٱلْمُنَٰفِقَٰتِ
और मुनाफ़िक़ औरतों को
wal-mush'rikīna
وَٱلْمُشْرِكِينَ
और मुशरिक मर्दों
wal-mush'rikāti
وَٱلْمُشْرِكَٰتِ
और मुशरिक औरतों को
l-ẓānīna
ٱلظَّآنِّينَ
जो गुमान करने वाले हैं
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह के बारे में
ẓanna
ظَنَّ
गुमान
l-sawi
ٱلسَّوْءِۚ
बुरा
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन्हीं पर है
dāiratu
دَآئِرَةُ
गर्दिश
l-sawi
ٱلسَّوْءِۖ
बुरी
waghaḍiba
وَغَضِبَ
और ग़ज़बनाक हुआ
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर
walaʿanahum
وَلَعَنَهُمْ
और उसने लानत की उन पर
wa-aʿadda
وَأَعَدَّ
और उसने तैयार कर रखा है
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
jahannama
جَهَنَّمَۖ
जहन्नम को
wasāat
وَسَآءَتْ
और वो बहुत ही बुरा
maṣīran
مَصِيرًا
ठिकाना है
और कपटाचारी पुरुषों और कपटाचारी स्त्रियों और बहुदेववादी पुरुषों और बहुदेववादी स्त्रियों को, जो अल्लाह के बारे में बुरा गुमान रखते है, यातना दे। उन्हीं पर बुराई की गर्दिश है। उनपर अल्लाह का क्रोध हुआ और उसने उनपर लानत की, और उसने उनके लिए जहन्नम तैयार कर रखा है, और वह अत्यन्त बुरा ठिकाना है! ([४८] अल-फतह: 6)
Tafseer (तफ़सीर )

وَلِلّٰهِ جُنُوْدُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ وَكَانَ اللّٰهُ عَزِيْزًا حَكِيْمًا ٧

walillahi
وَلِلَّهِ
और अल्लाह ही के लिए हैं
junūdu
جُنُودُ
लश्कर
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِۚ
और ज़मीन के
wakāna
وَكَانَ
और है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ʿazīzan
عَزِيزًا
बहुत ज़बरदस्त
ḥakīman
حَكِيمًا
ख़ूब हिकमत वाला
आकाशों और धरती की सब सेनाएँ अल्लाह ही की है। अल्लाह प्रभुत्वशाली, अत्यन्त तत्वदर्शी है ([४८] अल-फतह: 7)
Tafseer (तफ़सीर )

اِنَّآ اَرْسَلْنٰكَ شَاهِدًا وَّمُبَشِّرًا وَّنَذِيْرًاۙ ٨

innā
إِنَّآ
बेशक हम
arsalnāka
أَرْسَلْنَٰكَ
भेजा हमने आपको
shāhidan
شَٰهِدًا
गवाही देने वाला
wamubashiran
وَمُبَشِّرًا
और ख़ुशख़बरी देने वाला
wanadhīran
وَنَذِيرًا
और डराने वाला बनाकर
निश्चय ही हमने तुम्हें गवाही देनेवाला और शुभ सूचना देनेवाला और सचेतकर्त्ता बनाकर भेजा, ([४८] अल-फतह: 8)
Tafseer (तफ़सीर )

لِّتُؤْمِنُوْا بِاللّٰهِ وَرَسُوْلِهٖ وَتُعَزِّرُوْهُ وَتُوَقِّرُوْهُۗ وَتُسَبِّحُوْهُ بُكْرَةً وَّاَصِيْلًا ٩

litu'minū
لِّتُؤْمِنُوا۟
ताकि तुम ईमान लाओ
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
warasūlihi
وَرَسُولِهِۦ
और उसके रसूल पर
watuʿazzirūhu
وَتُعَزِّرُوهُ
और तुम क़ुव्वत दो उसे
watuwaqqirūhu
وَتُوَقِّرُوهُ
और तुम ताज़ीम करो उसकी
watusabbiḥūhu
وَتُسَبِّحُوهُ
और तुम तस्बीह बयान करो
buk'ratan
بُكْرَةً
सुबह
wa-aṣīlan
وَأَصِيلًا
और शाम
ताकि तुम अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाओ, उसे सहायता पहुँचाओ और उसका आदर करो, और प्रातःकाल और संध्या समय उसकी तसबीह करते रहो ([४८] अल-फतह: 9)
Tafseer (तफ़सीर )
१०

اِنَّ الَّذِيْنَ يُبَايِعُوْنَكَ اِنَّمَا يُبَايِعُوْنَ اللّٰهَ ۗيَدُ اللّٰهِ فَوْقَ اَيْدِيْهِمْ ۚ فَمَنْ نَّكَثَ فَاِنَّمَا يَنْكُثُ عَلٰى نَفْسِهٖۚ وَمَنْ اَوْفٰى بِمَا عٰهَدَ عَلَيْهُ اللّٰهَ فَسَيُؤْتِيْهِ اَجْرًا عَظِيْمًا ࣖ ١٠

inna
إِنَّ
बेशक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
yubāyiʿūnaka
يُبَايِعُونَكَ
बैअत करते हैं आपसे
innamā
إِنَّمَا
बेशक
yubāyiʿūna
يُبَايِعُونَ
वो बैअत करते है
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह से
yadu
يَدُ
हाथ
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
fawqa
فَوْقَ
ऊपर है
aydīhim
أَيْدِيهِمْۚ
उनके हाथों के
faman
فَمَن
तो जो कोई
nakatha
نَّكَثَ
अहद तोड़ दे
fa-innamā
فَإِنَّمَا
तो बेशक
yankuthu
يَنكُثُ
वो अहद तोड़ता है
ʿalā
عَلَىٰ
अपने ही नफ़्स पर
nafsihi
نَفْسِهِۦۖ
अपने ही नफ़्स पर
waman
وَمَنْ
और जो कोई
awfā
أَوْفَىٰ
पूरा करे
bimā
بِمَا
उसे जो
ʿāhada
عَٰهَدَ
अहद किया था उसने
ʿalayhu
عَلَيْهُ
उस पर
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह से
fasayu'tīhi
فَسَيُؤْتِيهِ
तो अनक़रीब वो देगा उसे
ajran
أَجْرًا
अजर
ʿaẓīman
عَظِيمًا
बहुत बड़ा
(ऐ नबी) वे लोग जो तुमसे बैअत करते है वे तो वास्तव में अल्लाह ही से बैअत करते है। उनके हाथों के ऊपर अल्लाह का हाथ होता है। फिर जिस किसी ने वचन भंग किया तो वह वचन भंग करके उसका बवाल अपने ही सिर लेता है, किन्तु जिसने उस प्रतिज्ञा को पूरा किया जो उसने अल्लाह से की है तो उसे वह बड़ा बदला प्रदान करेगा ([४८] अल-फतह: 10)
Tafseer (तफ़सीर )