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सूरा मुहम्मद - Page: 4

Muhammad

(मुहम्मद साहब)

३१

وَلَنَبْلُوَنَّكُمْ حَتّٰى نَعْلَمَ الْمُجٰهِدِيْنَ مِنْكُمْ وَالصّٰبِرِيْنَۙ وَنَبْلُوَا۟ اَخْبَارَكُمْ ٣١

walanabluwannakum
وَلَنَبْلُوَنَّكُمْ
और अलबत्ता हम ज़रूर आज़माऐंगे तुम्हें
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
naʿlama
نَعْلَمَ
हम जान लें
l-mujāhidīna
ٱلْمُجَٰهِدِينَ
मुजाहिदों को
minkum
مِنكُمْ
तुम में से
wal-ṣābirīna
وَٱلصَّٰبِرِينَ
और सब्र करने वालों को
wanabluwā
وَنَبْلُوَا۟
और हम आज़माऐंगे
akhbārakum
أَخْبَارَكُمْ
तुम्हारे हालात को
हम अवश्य तुम्हारी परीक्षा करेंगे, यहाँ तक कि हम तुममें से जो जिहाद करनेवाले है और जो दृढ़तापूर्वक जमे रहनेवाले है उनको जान ले और तुम्हारी हालतों को जाँच लें ([४७] मुहम्मद: 31)
Tafseer (तफ़सीर )
३२

اِنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا وَصَدُّوْا عَنْ سَبِيْلِ اللّٰهِ وَشَاۤقُّوا الرَّسُوْلَ مِنْۢ بَعْدِ مَا تَبَيَّنَ لَهُمُ الْهُدٰى لَنْ يَّضُرُّوا اللّٰهَ شَيْـًٔاۗ وَسَيُحْبِطُ اَعْمَالَهُمْ ٣٢

inna
إِنَّ
बेशक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
waṣaddū
وَصَدُّوا۟
और उन्होंने रोका
ʿan
عَن
अल्लाह के रास्ते से
sabīli
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के रास्ते से
washāqqū
وَشَآقُّوا۟
और उन्होंने मुख़ालिफ़त की
l-rasūla
ٱلرَّسُولَ
रसूल की
min
مِنۢ
उसके बाद
baʿdi
بَعْدِ
उसके बाद
مَا
कि
tabayyana
تَبَيَّنَ
वाज़ेह हो चुकी
lahumu
لَهُمُ
उनके लिए
l-hudā
ٱلْهُدَىٰ
हिदायत
lan
لَن
हरगिज़ नहीं
yaḍurrū
يَضُرُّوا۟
वो नुक़्सान पहुँचा सकते
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह को
shayan
شَيْـًٔا
कुछ भी
wasayuḥ'biṭu
وَسَيُحْبِطُ
और अनक़रीब वो ज़ाया करदेगा
aʿmālahum
أَعْمَٰلَهُمْ
आमाल उनके
जिन लोगों ने इसके पश्चात कि मार्ग उनपर स्पष्ट हो चुका था, इनकार किया और अल्लाह के मार्ग से रोका और रसूल का विरोध किया, वे अल्लाह को कदापि कोई हानि नहीं पहुँचा सकेंगे, बल्कि वही उनका सब किया-कराया उनकी जान को लागू कर देगा ([४७] मुहम्मद: 32)
Tafseer (तफ़सीर )
३३

۞ يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اَطِيْعُوا اللّٰهَ وَاَطِيْعُوا الرَّسُوْلَ وَلَا تُبْطِلُوْٓا اَعْمَالَكُمْ ٣٣

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوٓا۟
ईमान लाए हो
aṭīʿū
أَطِيعُوا۟
इताअत करो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह की
wa-aṭīʿū
وَأَطِيعُوا۟
और इताअत करो
l-rasūla
ٱلرَّسُولَ
रसूल की
walā
وَلَا
और ना
tub'ṭilū
تُبْطِلُوٓا۟
तुम बातिल करो
aʿmālakum
أَعْمَٰلَكُمْ
आमाल अपने
ऐ ईमान लानेवालों! अल्लाह का आज्ञापालन करो और रसूल का आज्ञापालन करो और अपने कर्मों को विनष्ट न करो ([४७] मुहम्मद: 33)
Tafseer (तफ़सीर )
३४

اِنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا وَصَدُّوْا عَنْ سَبِيْلِ اللّٰهِ ثُمَّ مَاتُوْا وَهُمْ كُفَّارٌ فَلَنْ يَّغْفِرَ اللّٰهُ لَهُمْ ٣٤

inna
إِنَّ
बेशक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
waṣaddū
وَصَدُّوا۟
और उन्होंने रोका
ʿan
عَن
अल्लाह के रास्ते से
sabīli
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के रास्ते से
thumma
ثُمَّ
फिर
mātū
مَاتُوا۟
वो मर गए
wahum
وَهُمْ
इस हाल में कि वो
kuffārun
كُفَّارٌ
काफ़िर थे
falan
فَلَن
तो हरगिज़ नहीं
yaghfira
يَغْفِرَ
माफ़ करेगा
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
lahum
لَهُمْ
उन्हें
निश्चय ही जिन लोगों ने इनकार किया और अल्लाह के मार्ग से रोका और इनकार करनेवाले ही रहकर मर गए, अल्लाह उन्हें कदापि क्षमा न करेगा ([४७] मुहम्मद: 34)
Tafseer (तफ़सीर )
३५

فَلَا تَهِنُوْا وَتَدْعُوْٓا اِلَى السَّلْمِۖ وَاَنْتُمُ الْاَعْلَوْنَۗ وَاللّٰهُ مَعَكُمْ وَلَنْ يَّتِرَكُمْ اَعْمَالَكُمْ ٣٥

falā
فَلَا
पस ना
tahinū
تَهِنُوا۟
तुम सुस्ती करो
watadʿū
وَتَدْعُوٓا۟
और (ना) तुम बुलाओ
ilā
إِلَى
तरफ़ सुलह के
l-salmi
ٱلسَّلْمِ
तरफ़ सुलह के
wa-antumu
وَأَنتُمُ
और तुम ही
l-aʿlawna
ٱلْأَعْلَوْنَ
ग़ालिब रहने वाले हो
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
maʿakum
مَعَكُمْ
साथ है तुम्हारे
walan
وَلَن
और हरगिज़ ना
yatirakum
يَتِرَكُمْ
वो कम करेगा तुमसे
aʿmālakum
أَعْمَٰلَكُمْ
आमाल तुम्हारे
अतः ऐसा न हो कि तुम हिम्मत हार जाओ और सुलह का निमंत्रण देने लगो, जबकि तुम ही प्रभावी हो। अल्लाह तुम्हारे साथ है और वह तुम्हारे कर्मों (के फल) में तुम्हें कदापि हानि न पहुँचाएगा ([४७] मुहम्मद: 35)
Tafseer (तफ़सीर )
३६

اِنَّمَا الْحَيٰوةُ الدُّنْيَا لَعِبٌ وَّلَهْوٌ ۗوَاِنْ تُؤْمِنُوْا وَتَتَّقُوْا يُؤْتِكُمْ اُجُوْرَكُمْ وَلَا يَسْـَٔلْكُمْ اَمْوَالَكُمْ ٣٦

innamā
إِنَّمَا
बेशक
l-ḥayatu
ٱلْحَيَوٰةُ
ज़िन्दगी
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَا
दुनिया की
laʿibun
لَعِبٌ
खेल
walahwun
وَلَهْوٌۚ
तमाशा है
wa-in
وَإِن
और अगर
tu'minū
تُؤْمِنُوا۟
तुम ईमान ले आओ
watattaqū
وَتَتَّقُوا۟
और तुम तक़्वा करो
yu'tikum
يُؤْتِكُمْ
वो देगा तुम्हें
ujūrakum
أُجُورَكُمْ
अजर तुम्हारे
walā
وَلَا
और ना
yasalkum
يَسْـَٔلْكُمْ
वो तलब करेगा तुमसे
amwālakum
أَمْوَٰلَكُمْ
माल तुम्हारे
सांसारिक जीवन तो बस एक खेल और तमाशा है। और यदि तुम ईमान लाओ और डर रखो तो वह तुम्हारे कर्मफल तुम्हें प्रदान करेगा और तुमसे धन नही माँगेगा। - ([४७] मुहम्मद: 36)
Tafseer (तफ़सीर )
३७

اِنْ يَّسْـَٔلْكُمُوْهَا فَيُحْفِكُمْ تَبْخَلُوْا وَيُخْرِجْ اَضْغَانَكُمْ ٣٧

in
إِن
अगर
yasalkumūhā
يَسْـَٔلْكُمُوهَا
वो तलब करे तुमसे उन्हें
fayuḥ'fikum
فَيُحْفِكُمْ
फिर वो इसरार करे तुमसे
tabkhalū
تَبْخَلُوا۟
तुम बुख़्ल करोगे
wayukh'rij
وَيُخْرِجْ
और वो ज़ाहिर कर देगा
aḍghānakum
أَضْغَٰنَكُمْ
कीने तुम्हारे
और यदि वह उनको तुमसे माँगे और समेटकर तुमसे माँगे तो तुम कंजूसी करोगे। और वह तुम्हारे द्वेष को निकाल बाहर कर देगा ([४७] मुहम्मद: 37)
Tafseer (तफ़सीर )
३८

هٰٓاَنْتُمْ هٰٓؤُلَاۤءِ تُدْعَوْنَ لِتُنْفِقُوْا فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِۚ فَمِنْكُمْ مَّنْ يَّبْخَلُ ۚوَمَنْ يَّبْخَلْ فَاِنَّمَا يَبْخَلُ عَنْ نَّفْسِهٖ ۗوَاللّٰهُ الْغَنِيُّ وَاَنْتُمُ الْفُقَرَاۤءُ ۗ وَاِنْ تَتَوَلَّوْا يَسْتَبْدِلْ قَوْمًا غَيْرَكُمْۙ ثُمَّ لَا يَكُوْنُوْٓا اَمْثَالَكُمْ ࣖ ٣٨

hāantum
هَٰٓأَنتُمْ
सुनो तुम
hāulāi
هَٰٓؤُلَآءِ
वो लोग हो
tud'ʿawna
تُدْعَوْنَ
तुम बुलाए जाते हो
litunfiqū
لِتُنفِقُوا۟
कि तुम ख़र्च करो
فِى
अल्लाह के रास्ते में
sabīli
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते में
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के रास्ते में
faminkum
فَمِنكُم
तो तुम में से कोई है
man
مَّن
जो
yabkhalu
يَبْخَلُۖ
बुख़्ल करता है
waman
وَمَن
और जो
yabkhal
يَبْخَلْ
बुख़्ल करता है
fa-innamā
فَإِنَّمَا
तो बेशक वो
yabkhalu
يَبْخَلُ
वो बुख़्ल करता है
ʿan
عَن
अपने आपसे
nafsihi
نَّفْسِهِۦۚ
अपने आपसे
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
l-ghaniyu
ٱلْغَنِىُّ
बहुत ग़नी है
wa-antumu
وَأَنتُمُ
और तुम
l-fuqarāu
ٱلْفُقَرَآءُۚ
मोहताज हो
wa-in
وَإِن
और अगर
tatawallaw
تَتَوَلَّوْا۟
तुम मुँह मोड़ोगे
yastabdil
يَسْتَبْدِلْ
वो बदल लाएगा
qawman
قَوْمًا
एक क़ौम को
ghayrakum
غَيْرَكُمْ
तुम्हारे सिवा
thumma
ثُمَّ
फिर
لَا
ना होंगे वो
yakūnū
يَكُونُوٓا۟
ना होंगे वो
amthālakum
أَمْثَٰلَكُم
तुम जैसे
सुनो! यह तुम्ही लोग हो कि तुम्हें आमंत्रण दिया जा रहा है कि 'अल्लाह के मार्ग में ख़र्च करो।' फिर तुमसे कुछ लोग है जो कंजूसी करते है। हालाँकि जो कंजूसी करता है वह वास्तव में अपने आप ही से कंजूसी करता है। अल्लाह तो निस्पृह है, तुम्हीं मुहताज हो। और यदि तुम फिर जाओ तो वह तुम्हारी जगह अन्य लोगों को ले आएगा; फिर वे तुम जैसे न होंगे ([४७] मुहम्मद: 38)
Tafseer (तफ़सीर )