وَلَنَبْلُوَنَّكُمْ حَتّٰى نَعْلَمَ الْمُجٰهِدِيْنَ مِنْكُمْ وَالصّٰبِرِيْنَۙ وَنَبْلُوَا۟ اَخْبَارَكُمْ ٣١
- walanabluwannakum
- وَلَنَبْلُوَنَّكُمْ
- और अलबत्ता हम ज़रूर आज़माऐंगे तुम्हें
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- naʿlama
- نَعْلَمَ
- हम जान लें
- l-mujāhidīna
- ٱلْمُجَٰهِدِينَ
- मुजाहिदों को
- minkum
- مِنكُمْ
- तुम में से
- wal-ṣābirīna
- وَٱلصَّٰبِرِينَ
- और सब्र करने वालों को
- wanabluwā
- وَنَبْلُوَا۟
- और हम आज़माऐंगे
- akhbārakum
- أَخْبَارَكُمْ
- तुम्हारे हालात को
हम अवश्य तुम्हारी परीक्षा करेंगे, यहाँ तक कि हम तुममें से जो जिहाद करनेवाले है और जो दृढ़तापूर्वक जमे रहनेवाले है उनको जान ले और तुम्हारी हालतों को जाँच लें ([४७] मुहम्मद: 31)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا وَصَدُّوْا عَنْ سَبِيْلِ اللّٰهِ وَشَاۤقُّوا الرَّسُوْلَ مِنْۢ بَعْدِ مَا تَبَيَّنَ لَهُمُ الْهُدٰى لَنْ يَّضُرُّوا اللّٰهَ شَيْـًٔاۗ وَسَيُحْبِطُ اَعْمَالَهُمْ ٣٢
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- waṣaddū
- وَصَدُّوا۟
- और उन्होंने रोका
- ʿan
- عَن
- अल्लाह के रास्ते से
- sabīli
- سَبِيلِ
- अल्लाह के रास्ते से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के रास्ते से
- washāqqū
- وَشَآقُّوا۟
- और उन्होंने मुख़ालिफ़त की
- l-rasūla
- ٱلرَّسُولَ
- रसूल की
- min
- مِنۢ
- उसके बाद
- baʿdi
- بَعْدِ
- उसके बाद
- mā
- مَا
- कि
- tabayyana
- تَبَيَّنَ
- वाज़ेह हो चुकी
- lahumu
- لَهُمُ
- उनके लिए
- l-hudā
- ٱلْهُدَىٰ
- हिदायत
- lan
- لَن
- हरगिज़ नहीं
- yaḍurrū
- يَضُرُّوا۟
- वो नुक़्सान पहुँचा सकते
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह को
- shayan
- شَيْـًٔا
- कुछ भी
- wasayuḥ'biṭu
- وَسَيُحْبِطُ
- और अनक़रीब वो ज़ाया करदेगा
- aʿmālahum
- أَعْمَٰلَهُمْ
- आमाल उनके
जिन लोगों ने इसके पश्चात कि मार्ग उनपर स्पष्ट हो चुका था, इनकार किया और अल्लाह के मार्ग से रोका और रसूल का विरोध किया, वे अल्लाह को कदापि कोई हानि नहीं पहुँचा सकेंगे, बल्कि वही उनका सब किया-कराया उनकी जान को लागू कर देगा ([४७] मुहम्मद: 32)Tafseer (तफ़सीर )
۞ يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اَطِيْعُوا اللّٰهَ وَاَطِيْعُوا الرَّسُوْلَ وَلَا تُبْطِلُوْٓا اَعْمَالَكُمْ ٣٣
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوٓا۟
- ईमान लाए हो
- aṭīʿū
- أَطِيعُوا۟
- इताअत करो
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह की
- wa-aṭīʿū
- وَأَطِيعُوا۟
- और इताअत करो
- l-rasūla
- ٱلرَّسُولَ
- रसूल की
- walā
- وَلَا
- और ना
- tub'ṭilū
- تُبْطِلُوٓا۟
- तुम बातिल करो
- aʿmālakum
- أَعْمَٰلَكُمْ
- आमाल अपने
ऐ ईमान लानेवालों! अल्लाह का आज्ञापालन करो और रसूल का आज्ञापालन करो और अपने कर्मों को विनष्ट न करो ([४७] मुहम्मद: 33)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا وَصَدُّوْا عَنْ سَبِيْلِ اللّٰهِ ثُمَّ مَاتُوْا وَهُمْ كُفَّارٌ فَلَنْ يَّغْفِرَ اللّٰهُ لَهُمْ ٣٤
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- waṣaddū
- وَصَدُّوا۟
- और उन्होंने रोका
- ʿan
- عَن
- अल्लाह के रास्ते से
- sabīli
- سَبِيلِ
- अल्लाह के रास्ते से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के रास्ते से
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- mātū
- مَاتُوا۟
- वो मर गए
- wahum
- وَهُمْ
- इस हाल में कि वो
- kuffārun
- كُفَّارٌ
- काफ़िर थे
- falan
- فَلَن
- तो हरगिज़ नहीं
- yaghfira
- يَغْفِرَ
- माफ़ करेगा
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- lahum
- لَهُمْ
- उन्हें
निश्चय ही जिन लोगों ने इनकार किया और अल्लाह के मार्ग से रोका और इनकार करनेवाले ही रहकर मर गए, अल्लाह उन्हें कदापि क्षमा न करेगा ([४७] मुहम्मद: 34)Tafseer (तफ़सीर )
فَلَا تَهِنُوْا وَتَدْعُوْٓا اِلَى السَّلْمِۖ وَاَنْتُمُ الْاَعْلَوْنَۗ وَاللّٰهُ مَعَكُمْ وَلَنْ يَّتِرَكُمْ اَعْمَالَكُمْ ٣٥
- falā
- فَلَا
- पस ना
- tahinū
- تَهِنُوا۟
- तुम सुस्ती करो
- watadʿū
- وَتَدْعُوٓا۟
- और (ना) तुम बुलाओ
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ सुलह के
- l-salmi
- ٱلسَّلْمِ
- तरफ़ सुलह के
- wa-antumu
- وَأَنتُمُ
- और तुम ही
- l-aʿlawna
- ٱلْأَعْلَوْنَ
- ग़ालिब रहने वाले हो
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- maʿakum
- مَعَكُمْ
- साथ है तुम्हारे
- walan
- وَلَن
- और हरगिज़ ना
- yatirakum
- يَتِرَكُمْ
- वो कम करेगा तुमसे
- aʿmālakum
- أَعْمَٰلَكُمْ
- आमाल तुम्हारे
अतः ऐसा न हो कि तुम हिम्मत हार जाओ और सुलह का निमंत्रण देने लगो, जबकि तुम ही प्रभावी हो। अल्लाह तुम्हारे साथ है और वह तुम्हारे कर्मों (के फल) में तुम्हें कदापि हानि न पहुँचाएगा ([४७] मुहम्मद: 35)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّمَا الْحَيٰوةُ الدُّنْيَا لَعِبٌ وَّلَهْوٌ ۗوَاِنْ تُؤْمِنُوْا وَتَتَّقُوْا يُؤْتِكُمْ اُجُوْرَكُمْ وَلَا يَسْـَٔلْكُمْ اَمْوَالَكُمْ ٣٦
- innamā
- إِنَّمَا
- बेशक
- l-ḥayatu
- ٱلْحَيَوٰةُ
- ज़िन्दगी
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَا
- दुनिया की
- laʿibun
- لَعِبٌ
- खेल
- walahwun
- وَلَهْوٌۚ
- तमाशा है
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- tu'minū
- تُؤْمِنُوا۟
- तुम ईमान ले आओ
- watattaqū
- وَتَتَّقُوا۟
- और तुम तक़्वा करो
- yu'tikum
- يُؤْتِكُمْ
- वो देगा तुम्हें
- ujūrakum
- أُجُورَكُمْ
- अजर तुम्हारे
- walā
- وَلَا
- और ना
- yasalkum
- يَسْـَٔلْكُمْ
- वो तलब करेगा तुमसे
- amwālakum
- أَمْوَٰلَكُمْ
- माल तुम्हारे
सांसारिक जीवन तो बस एक खेल और तमाशा है। और यदि तुम ईमान लाओ और डर रखो तो वह तुम्हारे कर्मफल तुम्हें प्रदान करेगा और तुमसे धन नही माँगेगा। - ([४७] मुहम्मद: 36)Tafseer (तफ़सीर )
اِنْ يَّسْـَٔلْكُمُوْهَا فَيُحْفِكُمْ تَبْخَلُوْا وَيُخْرِجْ اَضْغَانَكُمْ ٣٧
- in
- إِن
- अगर
- yasalkumūhā
- يَسْـَٔلْكُمُوهَا
- वो तलब करे तुमसे उन्हें
- fayuḥ'fikum
- فَيُحْفِكُمْ
- फिर वो इसरार करे तुमसे
- tabkhalū
- تَبْخَلُوا۟
- तुम बुख़्ल करोगे
- wayukh'rij
- وَيُخْرِجْ
- और वो ज़ाहिर कर देगा
- aḍghānakum
- أَضْغَٰنَكُمْ
- कीने तुम्हारे
और यदि वह उनको तुमसे माँगे और समेटकर तुमसे माँगे तो तुम कंजूसी करोगे। और वह तुम्हारे द्वेष को निकाल बाहर कर देगा ([४७] मुहम्मद: 37)Tafseer (तफ़सीर )
هٰٓاَنْتُمْ هٰٓؤُلَاۤءِ تُدْعَوْنَ لِتُنْفِقُوْا فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِۚ فَمِنْكُمْ مَّنْ يَّبْخَلُ ۚوَمَنْ يَّبْخَلْ فَاِنَّمَا يَبْخَلُ عَنْ نَّفْسِهٖ ۗوَاللّٰهُ الْغَنِيُّ وَاَنْتُمُ الْفُقَرَاۤءُ ۗ وَاِنْ تَتَوَلَّوْا يَسْتَبْدِلْ قَوْمًا غَيْرَكُمْۙ ثُمَّ لَا يَكُوْنُوْٓا اَمْثَالَكُمْ ࣖ ٣٨
- hāantum
- هَٰٓأَنتُمْ
- सुनो तुम
- hāulāi
- هَٰٓؤُلَآءِ
- वो लोग हो
- tud'ʿawna
- تُدْعَوْنَ
- तुम बुलाए जाते हो
- litunfiqū
- لِتُنفِقُوا۟
- कि तुम ख़र्च करो
- fī
- فِى
- अल्लाह के रास्ते में
- sabīli
- سَبِيلِ
- अल्लाह के रास्ते में
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के रास्ते में
- faminkum
- فَمِنكُم
- तो तुम में से कोई है
- man
- مَّن
- जो
- yabkhalu
- يَبْخَلُۖ
- बुख़्ल करता है
- waman
- وَمَن
- और जो
- yabkhal
- يَبْخَلْ
- बुख़्ल करता है
- fa-innamā
- فَإِنَّمَا
- तो बेशक वो
- yabkhalu
- يَبْخَلُ
- वो बुख़्ल करता है
- ʿan
- عَن
- अपने आपसे
- nafsihi
- نَّفْسِهِۦۚ
- अपने आपसे
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- l-ghaniyu
- ٱلْغَنِىُّ
- बहुत ग़नी है
- wa-antumu
- وَأَنتُمُ
- और तुम
- l-fuqarāu
- ٱلْفُقَرَآءُۚ
- मोहताज हो
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- tatawallaw
- تَتَوَلَّوْا۟
- तुम मुँह मोड़ोगे
- yastabdil
- يَسْتَبْدِلْ
- वो बदल लाएगा
- qawman
- قَوْمًا
- एक क़ौम को
- ghayrakum
- غَيْرَكُمْ
- तुम्हारे सिवा
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- lā
- لَا
- ना होंगे वो
- yakūnū
- يَكُونُوٓا۟
- ना होंगे वो
- amthālakum
- أَمْثَٰلَكُم
- तुम जैसे
सुनो! यह तुम्ही लोग हो कि तुम्हें आमंत्रण दिया जा रहा है कि 'अल्लाह के मार्ग में ख़र्च करो।' फिर तुमसे कुछ लोग है जो कंजूसी करते है। हालाँकि जो कंजूसी करता है वह वास्तव में अपने आप ही से कंजूसी करता है। अल्लाह तो निस्पृह है, तुम्हीं मुहताज हो। और यदि तुम फिर जाओ तो वह तुम्हारी जगह अन्य लोगों को ले आएगा; फिर वे तुम जैसे न होंगे ([४७] मुहम्मद: 38)Tafseer (तफ़सीर )