ذٰلِكَ بِاَنَّ اللّٰهَ مَوْلَى الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَاَنَّ الْكٰفِرِيْنَ لَا مَوْلٰى لَهُمْ ࣖ ١١
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- bi-anna
- بِأَنَّ
- बवजह उसके कि
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- mawlā
- مَوْلَى
- मददगार है
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन लोगों का जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- wa-anna
- وَأَنَّ
- और बेशक
- l-kāfirīna
- ٱلْكَٰفِرِينَ
- काफ़िर
- lā
- لَا
- नहीं कोई मददगार
- mawlā
- مَوْلَىٰ
- नहीं कोई मददगार
- lahum
- لَهُمْ
- उनका
यह इसलिए कि जो लोग ईमान लाए उनका संरक्षक अल्लाह है और यह कि इनकार करनेवालों को कोई संरक्षक नहीं ([४७] मुहम्मद: 11)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ اللّٰهَ يُدْخِلُ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ جَنّٰتٍ تَجْرِيْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ ۗوَالَّذِيْنَ كَفَرُوْا يَتَمَتَّعُوْنَ وَيَأْكُلُوْنَ كَمَا تَأْكُلُ الْاَنْعَامُ وَالنَّارُ مَثْوًى لَّهُمْ ١٢
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- yud'khilu
- يُدْخِلُ
- वो दाख़िल करेगा
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन लोगों को जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- waʿamilū
- وَعَمِلُوا۟
- और उन्होंने अमल किए
- l-ṣāliḥāti
- ٱلصَّٰلِحَٰتِ
- नेक
- jannātin
- جَنَّٰتٍ
- बाग़ात में
- tajrī
- تَجْرِى
- बहती हैं
- min
- مِن
- उनके नीचे से
- taḥtihā
- تَحْتِهَا
- उनके नीचे से
- l-anhāru
- ٱلْأَنْهَٰرُۖ
- नहरें
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- yatamattaʿūna
- يَتَمَتَّعُونَ
- वो फ़ायदा उठाते हैं
- wayakulūna
- وَيَأْكُلُونَ
- और वो खाते हैं
- kamā
- كَمَا
- जैसा कि
- takulu
- تَأْكُلُ
- खाते है
- l-anʿāmu
- ٱلْأَنْعَٰمُ
- जानवर
- wal-nāru
- وَٱلنَّارُ
- और आग
- mathwan
- مَثْوًى
- ठिकाना है
- lahum
- لَّهُمْ
- उनका
निश्चय ही अल्लाह उन लोगों को जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए ऐसे बागों में दाख़िल करेगा जिनके नीचे नहरें बह रही होंगी। रहे वे लोग जिन्होंने इनकार किया, वे कुछ दिनों का सुख भोग रहे है और खा रहे है, जिसे चौपाए खाते है। और आग उनका ठिकाना है ([४७] मुहम्मद: 12)Tafseer (तफ़सीर )
وَكَاَيِّنْ مِّنْ قَرْيَةٍ هِيَ اَشَدُّ قُوَّةً مِّنْ قَرْيَتِكَ الَّتِيْٓ اَخْرَجَتْكَۚ اَهْلَكْنٰهُمْ فَلَا نَاصِرَ لَهُمْ ١٣
- waka-ayyin
- وَكَأَيِّن
- और कितनी ही
- min
- مِّن
- बस्तियाँ
- qaryatin
- قَرْيَةٍ
- बस्तियाँ
- hiya
- هِىَ
- वो
- ashaddu
- أَشَدُّ
- ज़्यादा शदीद थीं
- quwwatan
- قُوَّةً
- क़ुव्वत में
- min
- مِّن
- आपकी बस्ती से
- qaryatika
- قَرْيَتِكَ
- आपकी बस्ती से
- allatī
- ٱلَّتِىٓ
- वो जिसने
- akhrajatka
- أَخْرَجَتْكَ
- निकाल दिया आपको
- ahlaknāhum
- أَهْلَكْنَٰهُمْ
- हलाक किया हमने उन्हें
- falā
- فَلَا
- पस ना था
- nāṣira
- نَاصِرَ
- कोई मदद करने वाला
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
कितनी ही बस्तियाँ थी जो शक्ति में तुम्हारी उस बस्ती से, जिसने तुम्हें निकाल दिया, बढ़-चढ़कर थीं। हमने उन्हे विनष्टम कर दिया! फिर कोई उनका सहायक न हुआ ([४७] मुहम्मद: 13)Tafseer (तफ़सीर )
اَفَمَنْ كَانَ عَلٰى بَيِّنَةٍ مِّنْ رَّبِّهٖ كَمَنْ زُيِّنَ لَهٗ سُوْۤءُ عَمَلِهٖ وَاتَّبَعُوْٓا اَهْوَاۤءَهُمْ ١٤
- afaman
- أَفَمَن
- क्या भला जो
- kāna
- كَانَ
- हो
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर एक वाज़ेह दलील के
- bayyinatin
- بَيِّنَةٍ
- ऊपर एक वाज़ेह दलील के
- min
- مِّن
- अपने रब की तरफ़ से
- rabbihi
- رَّبِّهِۦ
- अपने रब की तरफ़ से
- kaman
- كَمَن
- मानिन्द उसके हो सकता है जो
- zuyyina
- زُيِّنَ
- मुज़य्यन कर दिए गए हों
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- sūu
- سُوٓءُ
- बुरे
- ʿamalihi
- عَمَلِهِۦ
- अमल उसके
- wa-ittabaʿū
- وَٱتَّبَعُوٓا۟
- और उन्होंने पैरवी की
- ahwāahum
- أَهْوَآءَهُم
- अपनी ख़्वाहिशात की
तो क्या जो व्यक्ति अपने रब की ओर से एक स्पष्ट प्रमाण पर हो वह उन लोगों जैसा हो सकता है, जिन्हें उनका बुरा कर्म ही सुहाना लगता हो और वे अपनी इच्छाओं के पीछे ही चलने लग गए हो? ([४७] मुहम्मद: 14)Tafseer (तफ़सीर )
مَثَلُ الْجَنَّةِ الَّتِيْ وُعِدَ الْمُتَّقُوْنَ ۗفِيْهَآ اَنْهٰرٌ مِّنْ مَّاۤءٍ غَيْرِ اٰسِنٍۚ وَاَنْهٰرٌ مِّنْ لَّبَنٍ لَّمْ يَتَغَيَّرْ طَعْمُهٗ ۚوَاَنْهٰرٌ مِّنْ خَمْرٍ لَّذَّةٍ لِّلشّٰرِبِيْنَ ەۚ وَاَنْهٰرٌ مِّنْ عَسَلٍ مُّصَفًّى ۗوَلَهُمْ فِيْهَا مِنْ كُلِّ الثَّمَرٰتِ وَمَغْفِرَةٌ مِّنْ رَّبِّهِمْ ۗ كَمَنْ هُوَ خَالِدٌ فِى النَّارِ وَسُقُوْا مَاۤءً حَمِيْمًا فَقَطَّعَ اَمْعَاۤءَهُمْ ١٥
- mathalu
- مَّثَلُ
- मिसाल
- l-janati
- ٱلْجَنَّةِ
- उस जन्नत की
- allatī
- ٱلَّتِى
- वो जो
- wuʿida
- وُعِدَ
- वादा दिए गए
- l-mutaqūna
- ٱلْمُتَّقُونَۖ
- मुत्तक़ी लोग
- fīhā
- فِيهَآ
- उसमें
- anhārun
- أَنْهَٰرٌ
- नहरें है
- min
- مِّن
- पानी की
- māin
- مَّآءٍ
- पानी की
- ghayri
- غَيْرِ
- ना
- āsinin
- ءَاسِنٍ
- बदलने वाले
- wa-anhārun
- وَأَنْهَٰرٌ
- और नहरें हैं
- min
- مِّن
- दूध की
- labanin
- لَّبَنٍ
- दूध की
- lam
- لَّمْ
- ना
- yataghayyar
- يَتَغَيَّرْ
- तब्दील होगा
- ṭaʿmuhu
- طَعْمُهُۥ
- मज़ा जिसका
- wa-anhārun
- وَأَنْهَٰرٌ
- और नहरें हैं
- min
- مِّنْ
- शराब की
- khamrin
- خَمْرٍ
- शराब की
- ladhatin
- لَّذَّةٍ
- बाइसे लज़्ज़त हैं
- lilshāribīna
- لِّلشَّٰرِبِينَ
- पीने वालों के लिए
- wa-anhārun
- وَأَنْهَٰرٌ
- और नहरें हैं
- min
- مِّنْ
- शहद की
- ʿasalin
- عَسَلٍ
- शहद की
- muṣaffan
- مُّصَفًّىۖ
- ख़ूब साफ़ किया हुआ
- walahum
- وَلَهُمْ
- और उनके लिए हैं
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- min
- مِن
- हर क़िस्म के
- kulli
- كُلِّ
- हर क़िस्म के
- l-thamarāti
- ٱلثَّمَرَٰتِ
- फल
- wamaghfiratun
- وَمَغْفِرَةٌ
- और बख़्शिश
- min
- مِّن
- उनके रब की तरफ़ से
- rabbihim
- رَّبِّهِمْۖ
- उनके रब की तरफ़ से
- kaman
- كَمَنْ
- मानिन्द उसके हो सकता है जो
- huwa
- هُوَ
- वो
- khālidun
- خَٰلِدٌ
- हमेशा रहने वाला है
- fī
- فِى
- आग में
- l-nāri
- ٱلنَّارِ
- आग में
- wasuqū
- وَسُقُوا۟
- और वो पिलाए जाऐंगे
- māan
- مَآءً
- पानी
- ḥamīman
- حَمِيمًا
- खौलता हुआ
- faqaṭṭaʿa
- فَقَطَّعَ
- तो वो काट देगा
- amʿāahum
- أَمْعَآءَهُمْ
- आँतें उनकी
उस जन्नत की शान, जिसका वादा डर रखनेवालों से किया गया है, यह है कि ऐसे पानी की नहरें होगी जो प्रदूषित नहीं होता। और ऐसे दूध की नहरें होंगी जिसके स्वाद में तनिक भी अन्तर न आया होगा, और ऐसे पेय की नहरें होंगी जो पीनेवालों के लिए मज़ा ही मज़ा होंगी, और साफ़-सुधरे शहद की नहरें भी होंगी। और उनके लिए वहाँ हर प्रकार के फल होंगे और क्षमा उनके अपने रब की ओर से - क्या वे उन जैसे हो सकते है, जो सदैव आग में रहनेवाले है और जिन्हें खौलता हुआ पानी पिलाया जाएगा, जो उनकी आँतों को टुकड़े-टुकड़े करके रख देगा? ([४७] मुहम्मद: 15)Tafseer (तफ़सीर )
وَمِنْهُمْ مَّنْ يَّسْتَمِعُ اِلَيْكَۚ حَتّٰىٓ اِذَا خَرَجُوْا مِنْ عِنْدِكَ قَالُوْا لِلَّذِيْنَ اُوْتُوا الْعِلْمَ مَاذَا قَالَ اٰنِفًا ۗ اُولٰۤىِٕكَ الَّذِيْنَ طَبَعَ اللّٰهُ عَلٰى قُلُوْبِهِمْ وَاتَّبَعُوْٓا اَهْوَاۤءَهُمْ ١٦
- wamin'hum
- وَمِنْهُم
- और उनमें से कुछ हैं
- man
- مَّن
- जो
- yastamiʿu
- يَسْتَمِعُ
- ग़ौर से सुनते है
- ilayka
- إِلَيْكَ
- आपको
- ḥattā
- حَتَّىٰٓ
- यहाँ तक कि
- idhā
- إِذَا
- जब
- kharajū
- خَرَجُوا۟
- वो निकलते हैं
- min
- مِنْ
- आपके पास से
- ʿindika
- عِندِكَ
- आपके पास से
- qālū
- قَالُوا۟
- वो कहते हैं
- lilladhīna
- لِلَّذِينَ
- उन लोगों से जो
- ūtū
- أُوتُوا۟
- दिए गए
- l-ʿil'ma
- ٱلْعِلْمَ
- इल्म
- mādhā
- مَاذَا
- क्या कुछ
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा था
- ānifan
- ءَانِفًاۚ
- अभी
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही वो लोग हैं
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- जो
- ṭabaʿa
- طَبَعَ
- मोहर लगा दी
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- ʿalā
- عَلَىٰ
- उनके दिलों पर
- qulūbihim
- قُلُوبِهِمْ
- उनके दिलों पर
- wa-ittabaʿū
- وَٱتَّبَعُوٓا۟
- और उन्होंने पैरवी की
- ahwāahum
- أَهْوَآءَهُمْ
- अपनी ख़्वाहिशात की
और उनमें कुछ लोग ऐसे है जो तुम्हारी ओर कान लगाते है, यहाँ तक कि जब वे तुम्हारे पास से निकलते है तो उन लोगों से, जिन्हें ज्ञान प्रदान हुआ है कहते है, 'उन्होंने अभी-अभी क्या कहा?' वही वे लोग है जिनके दिलों पर अल्लाह ने ठप्पा लगा दिया है और वे अपनी इच्छाओं के पीछे चले है ([४७] मुहम्मद: 16)Tafseer (तफ़सीर )
وَالَّذِيْنَ اهْتَدَوْا زَادَهُمْ هُدًى وَّاٰتٰىهُمْ تَقْوٰىهُمْ ١٧
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जिन्होंने
- ih'tadaw
- ٱهْتَدَوْا۟
- हिदायत पाई
- zādahum
- زَادَهُمْ
- उसने ज़्यादा किया उन्हें
- hudan
- هُدًى
- हिदायत में
- waātāhum
- وَءَاتَىٰهُمْ
- और उसने दिया उन्हें
- taqwāhum
- تَقْوَىٰهُمْ
- तक़्वा उनका
रहे वे लोग जिन्होंने सीधा रास्ता अपनाया, (अल्लाह ने) उनके मार्गदर्शन में अभिवृद्धि कर दी और उन्हें उनकी परहेज़गारी प्रदान की ([४७] मुहम्मद: 17)Tafseer (तफ़सीर )
فَهَلْ يَنْظُرُوْنَ اِلَّا السَّاعَةَ اَنْ تَأْتِيَهُمْ بَغْتَةً ۚ فَقَدْ جَاۤءَ اَشْرَاطُهَا ۚ فَاَنّٰى لَهُمْ اِذَا جَاۤءَتْهُمْ ذِكْرٰىهُمْ ١٨
- fahal
- فَهَلْ
- तो नहीं
- yanẓurūna
- يَنظُرُونَ
- वो इन्तिज़ार करते
- illā
- إِلَّا
- मगर
- l-sāʿata
- ٱلسَّاعَةَ
- क़यामत का
- an
- أَن
- कि
- tatiyahum
- تَأْتِيَهُم
- वो आ जाए उनके पास
- baghtatan
- بَغْتَةًۖ
- अचानक
- faqad
- فَقَدْ
- तो तहक़ीक़
- jāa
- جَآءَ
- आ चुकीं
- ashrāṭuhā
- أَشْرَاطُهَاۚ
- अलामात उसकी
- fa-annā
- فَأَنَّىٰ
- तो कहाँ से होगी
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- idhā
- إِذَا
- जब
- jāathum
- جَآءَتْهُمْ
- आ जाएगी उनके पास
- dhik'rāhum
- ذِكْرَىٰهُمْ
- नसीहत उनकी
अब क्या वे लोग बस उस घड़ी की प्रतीक्षा कर रहे है कि वह उनपर अचानक आ जाए? उसके लक्षण तो सामने आ चुके है, जब वह स्वयं भी उनपर आ जाएगी तो फिर उनके लिए होश में आने का अवसर कहाँ शेष रहेगा? ([४७] मुहम्मद: 18)Tafseer (तफ़सीर )
فَاعْلَمْ اَنَّهٗ لَآ اِلٰهَ اِلَّا اللّٰهُ وَاسْتَغْفِرْ لِذَنْۢبِكَ وَلِلْمُؤْمِنِيْنَ وَالْمُؤْمِنٰتِۚ وَاللّٰهُ يَعْلَمُ مُتَقَلَّبَكُمْ وَمَثْوٰىكُمْ ࣖ ١٩
- fa-iʿ'lam
- فَٱعْلَمْ
- तो जान लीजिए
- annahu
- أَنَّهُۥ
- बेशक
- lā
- لَآ
- नहीं
- ilāha
- إِلَٰهَ
- कोई इलाह (बरहक़)
- illā
- إِلَّا
- मगर
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- wa-is'taghfir
- وَٱسْتَغْفِرْ
- और बख़्शिश माँगिए
- lidhanbika
- لِذَنۢبِكَ
- अपने क़ुसूर के लिए
- walil'mu'minīna
- وَلِلْمُؤْمِنِينَ
- और मोमिन मर्दों के लिए
- wal-mu'mināti
- وَٱلْمُؤْمِنَٰتِۗ
- और मोमिन औरतों के लिए
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- yaʿlamu
- يَعْلَمُ
- वो जानता है
- mutaqallabakum
- مُتَقَلَّبَكُمْ
- चलना-फिरना तुम्हारा
- wamathwākum
- وَمَثْوَىٰكُمْ
- और ठिकाना तुम्हारा
अतः जान रखों कि अल्लाह के अतिरिक्त कोई पूज्य-प्रभु नहीं। और अपने गुनाहों के लिए क्षमा-याचना करो और मोमिन पुरुषों और मोमिन स्त्रियों के लिए भी। अल्लाह तुम्हारी चलत-फिरत को भी जानता है और तुम्हारे ठिकाने को भी ([४७] मुहम्मद: 19)Tafseer (तफ़सीर )
وَيَقُوْلُ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَوْلَا نُزِّلَتْ سُوْرَةٌ ۚفَاِذَآ اُنْزِلَتْ سُوْرَةٌ مُّحْكَمَةٌ وَّذُكِرَ فِيْهَا الْقِتَالُ ۙرَاَيْتَ الَّذِيْنَ فِيْ قُلُوْبِهِمْ مَّرَضٌ يَّنْظُرُوْنَ اِلَيْكَ نَظَرَ الْمَغْشِيِّ عَلَيْهِ مِنَ الْمَوْتِۗ فَاَوْلٰى لَهُمْۚ ٢٠
- wayaqūlu
- وَيَقُولُ
- और कहते हैं
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो लोग जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- lawlā
- لَوْلَا
- क्यों नहीं
- nuzzilat
- نُزِّلَتْ
- नाज़िल की गई
- sūratun
- سُورَةٌۖ
- कोई सूरत
- fa-idhā
- فَإِذَآ
- फिर जब
- unzilat
- أُنزِلَتْ
- नाज़िल की जाती है
- sūratun
- سُورَةٌ
- कोई सूरत
- muḥ'kamatun
- مُّحْكَمَةٌ
- मोहकम
- wadhukira
- وَذُكِرَ
- और ज़िक्र किया जाता है
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- l-qitālu
- ٱلْقِتَالُۙ
- जंग का
- ra-ayta
- رَأَيْتَ
- आप देखेंगे
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन लोगों को
- fī
- فِى
- जिनके दिलों में
- qulūbihim
- قُلُوبِهِم
- जिनके दिलों में
- maraḍun
- مَّرَضٌ
- बीमारी है
- yanẓurūna
- يَنظُرُونَ
- वो देख रहे होंगे
- ilayka
- إِلَيْكَ
- आपकी तरफ़
- naẓara
- نَظَرَ
- (जैसे) देखना
- l-maghshiyi
- ٱلْمَغْشِىِّ
- उसका ग़शी तारी हो गई हो
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- जिस पर
- mina
- مِنَ
- मौत की वजह से
- l-mawti
- ٱلْمَوْتِۖ
- मौत की वजह से
- fa-awlā
- فَأَوْلَىٰ
- तो तबाही/हलाकत है
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
जो लोग ईमान लाए वे कहते है, 'कोई सूरा क्यों नहीं उतरी?' किन्तु जब एक पक्की सूरा अवतरित की जाती है, जिसमें युद्ध का उल्लेख होता है, तो तुम उन लोगों को देखते हो जिनके दिलों में रोग है कि वे तुम्हारी ओर इस प्रकार देखते है जैसे किसी पर मृत्यु की बेहोशी छा गई हो। तो अफ़सोस है उनके हाल पर! ([४७] मुहम्मद: 20)Tafseer (तफ़सीर )