اَلَّذِيْنَ كَفَرُوْا وَصَدُّوْا عَنْ سَبِيْلِ اللّٰهِ اَضَلَّ اَعْمَالَهُمْ ١
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो लोग जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- waṣaddū
- وَصَدُّوا۟
- और उन्होंने रोका
- ʿan
- عَن
- अल्लाह के रास्ते से
- sabīli
- سَبِيلِ
- अल्लाह के रास्ते से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के रास्ते से
- aḍalla
- أَضَلَّ
- उसने ज़ाए कर दिए
- aʿmālahum
- أَعْمَٰلَهُمْ
- आमाल उनके
जिन लोगों ने इनकार किया और अल्लाह के मार्ग से रोका उनके कर्म उसने अकारथ कर दिए ([४७] मुहम्मद: 1)Tafseer (तफ़सीर )
وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ وَاٰمَنُوْا بِمَا نُزِّلَ عَلٰى مُحَمَّدٍ وَّهُوَ الْحَقُّ مِنْ رَّبِّهِمْ ۚ كَفَّرَ عَنْهُمْ سَيِّاٰتِهِمْ وَاَصْلَحَ بَالَهُمْ ٢
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- waʿamilū
- وَعَمِلُوا۟
- और उन्होंने अमल किए
- l-ṣāliḥāti
- ٱلصَّٰلِحَٰتِ
- नेक
- waāmanū
- وَءَامَنُوا۟
- और वो ईमान लाए
- bimā
- بِمَا
- उस पर जो
- nuzzila
- نُزِّلَ
- नाज़िल किया गया
- ʿalā
- عَلَىٰ
- मुहम्मद पर
- muḥammadin
- مُحَمَّدٍ
- मुहम्मद पर
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो ही
- l-ḥaqu
- ٱلْحَقُّ
- हक़ है
- min
- مِن
- उनके रब की तरफ़ से
- rabbihim
- رَّبِّهِمْۙ
- उनके रब की तरफ़ से
- kaffara
- كَفَّرَ
- उसने दूर कर दीं
- ʿanhum
- عَنْهُمْ
- उनसे
- sayyiātihim
- سَيِّـَٔاتِهِمْ
- बुराइयाँ उनकी
- wa-aṣlaḥa
- وَأَصْلَحَ
- और उसने दुरुस्त कर दिया
- bālahum
- بَالَهُمْ
- हाल उनका
रहे वे लोग जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए और उस चीज़ पर ईमान लाए जो मुहम्मद पर अवतरित किया गया - और वही सत्य है उनके रब की ओर से - उसने उसकी बुराइयाँ उनसे दूर कर दीं और उनका हाल ठीक कर दिया ([४७] मुहम्मद: 2)Tafseer (तफ़सीर )
ذٰلِكَ بِاَنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوا اتَّبَعُوا الْبَاطِلَ وَاَنَّ الَّذِيْنَ اٰمَنُوا اتَّبَعُوا الْحَقَّ مِنْ رَّبِّهِمْ ۗ كَذٰلِكَ يَضْرِبُ اللّٰهُ لِلنَّاسِ اَمْثَالَهُمْ ٣
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- bi-anna
- بِأَنَّ
- बवजह इसके कि
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- ittabaʿū
- ٱتَّبَعُوا۟
- उन्होंने पैरवी की
- l-bāṭila
- ٱلْبَٰطِلَ
- बातिल की
- wa-anna
- وَأَنَّ
- और ये कि
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो लोग जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- ittabaʿū
- ٱتَّبَعُوا۟
- उन्होंने पैरवी की
- l-ḥaqa
- ٱلْحَقَّ
- हक़ की
- min
- مِن
- अपने रब की तरफ़ से
- rabbihim
- رَّبِّهِمْۚ
- अपने रब की तरफ़ से
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह
- yaḍribu
- يَضْرِبُ
- बयान करता है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- lilnnāsi
- لِلنَّاسِ
- लोगों के लिए
- amthālahum
- أَمْثَٰلَهُمْ
- मिसालें उनकी
यह इसलिए कि जिन लोगों ने इनकार किया उन्होंने असत्य का अनुसरण किया और यह कि जो लोग ईमान लाए उन्होंने सत्य का अनुसरण किया, जो उनके रब की ओर से है। इस प्रकार अल्लाह लोगों के लिए उनकी मिसालें बयान करता है ([४७] मुहम्मद: 3)Tafseer (तफ़सीर )
فَاِذَا لَقِيْتُمُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا فَضَرْبَ الرِّقَابِۗ حَتّٰٓى اِذَآ اَثْخَنْتُمُوْهُمْ فَشُدُّوا الْوَثَاقَۖ فَاِمَّا مَنًّاۢ بَعْدُ وَاِمَّا فِدَاۤءً حَتّٰى تَضَعَ الْحَرْبُ اَوْزَارَهَا ەۛ ذٰلِكَ ۛ وَلَوْ يَشَاۤءُ اللّٰهُ لَانْتَصَرَ مِنْهُمْ وَلٰكِنْ لِّيَبْلُوَا۟ بَعْضَكُمْ بِبَعْضٍۗ وَالَّذِيْنَ قُتِلُوْا فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ فَلَنْ يُّضِلَّ اَعْمَالَهُمْ ٤
- fa-idhā
- فَإِذَا
- फिर जब
- laqītumu
- لَقِيتُمُ
- मिलो तुम
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनसे जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- faḍarba
- فَضَرْبَ
- तो मारना है
- l-riqābi
- ٱلرِّقَابِ
- गर्दनों का
- ḥattā
- حَتَّىٰٓ
- यहाँ तक कि
- idhā
- إِذَآ
- जब
- athkhantumūhum
- أَثْخَنتُمُوهُمْ
- ख़ूब ख़ून रेज़ी कर चुको तुम उनकी
- fashuddū
- فَشُدُّوا۟
- फिर मज़बूत बाँधो
- l-wathāqa
- ٱلْوَثَاقَ
- बन्धन
- fa-immā
- فَإِمَّا
- फिर ख़्वाह
- mannan
- مَنًّۢا
- एहसान करो
- baʿdu
- بَعْدُ
- उसके बाद
- wa-immā
- وَإِمَّا
- और ख़्वाह
- fidāan
- فِدَآءً
- फ़िदया लो
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- taḍaʿa
- تَضَعَ
- रख दे
- l-ḥarbu
- ٱلْحَرْبُ
- जंग
- awzārahā
- أَوْزَارَهَاۚ
- हथियार उपने
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये है (हुक्म)
- walaw
- وَلَوْ
- और अगर
- yashāu
- يَشَآءُ
- चाहता
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- la-intaṣara
- لَٱنتَصَرَ
- अलबत्ता वो बदला ले लेता
- min'hum
- مِنْهُمْ
- उनसे
- walākin
- وَلَٰكِن
- और लेकिन
- liyabluwā
- لِّيَبْلُوَا۟
- ताकि वो आज़माए
- baʿḍakum
- بَعْضَكُم
- तुम्हारे बाज़ को
- bibaʿḍin
- بِبَعْضٍۗ
- साथ बाज़ के
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो लोग जो
- qutilū
- قُتِلُوا۟
- मारे गए
- fī
- فِى
- अल्लाह के रास्ते में
- sabīli
- سَبِيلِ
- अल्लाह के रास्ते में
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के रास्ते में
- falan
- فَلَن
- तो हरगिज़ ना
- yuḍilla
- يُضِلَّ
- वो ज़ाया करेगा
- aʿmālahum
- أَعْمَٰلَهُمْ
- आमाल उनके
अतः जब इनकार करनेवालो से तुम्हारी मुठभेड़ हो तो (उनकी) गरदनें मारना है, यहाँ तक कि जब उन्हें अच्छी तरह कुचल दो तो बन्धनों में जकड़ो, फिर बाद में या तो एहसान करो या फ़िदया (अर्थ-दंड) का मामला करो, यहाँ तक कि युद्ध अपने बोझ उतारकर रख दे। यह भली-भाँति समझ लो, यदि अल्लाह चाहे तो स्वयं उनसे निपट ले। किन्तु (उसने या आदेश इसलिए दिया) ताकि तुम्हारी एक-दूसरे की परीक्षा ले। और जो लोग अल्लाह के मार्ग में मारे जाते है उनके कर्म वह कदापि अकारथ न करेगा ([४७] मुहम्मद: 4)Tafseer (तफ़सीर )
سَيَهْدِيْهِمْ وَيُصْلِحُ بَالَهُمْۚ ٥
- sayahdīhim
- سَيَهْدِيهِمْ
- ज़रूर वो रहनुमाई करेगा उनकी
- wayuṣ'liḥu
- وَيُصْلِحُ
- और वो दुरूस्त कर देगा
- bālahum
- بَالَهُمْ
- हाल उनके
वह उनका मार्गदर्शन करेगा और उनका हाल ठीक कर देगा ([४७] मुहम्मद: 5)Tafseer (तफ़सीर )
وَيُدْخِلُهُمُ الْجَنَّةَ عَرَّفَهَا لَهُمْ ٦
- wayud'khiluhumu
- وَيُدْخِلُهُمُ
- और वो दाख़िल करेगा उन्हें
- l-janata
- ٱلْجَنَّةَ
- उस जन्नत में
- ʿarrafahā
- عَرَّفَهَا
- उसने पहचान करा दी जिसकी
- lahum
- لَهُمْ
- उनको
और उन्हें जन्नत में दाख़िल करेगा, जिससे वह उन्हें परिचित करा चुका है ([४७] मुहम्मद: 6)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اِنْ تَنْصُرُوا اللّٰهَ يَنْصُرْكُمْ وَيُثَبِّتْ اَقْدَامَكُمْ ٧
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوٓا۟
- ईमान लाए हो
- in
- إِن
- अगर
- tanṣurū
- تَنصُرُوا۟
- तुम मदद करोगे
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह की
- yanṣur'kum
- يَنصُرْكُمْ
- वो मदद करेगा तुम्हारी
- wayuthabbit
- وَيُثَبِّتْ
- और वो जमा देगा
- aqdāmakum
- أَقْدَامَكُمْ
- तुम्हारे क़दमों को
ऐ लोगों, जो ईमान लाए हो, यदि तुम अल्लाह की सहायता करोगे तो वह तुम्हारी सहायता करेगा और तुम्हारे क़दम जमा देगा ([४७] मुहम्मद: 7)Tafseer (तफ़सीर )
وَالَّذِيْنَ كَفَرُوْا فَتَعْسًا لَّهُمْ وَاَضَلَّ اَعْمَالَهُمْ ٨
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो लोग जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- fataʿsan
- فَتَعْسًا
- पस तबाही है
- lahum
- لَّهُمْ
- उनके लिए
- wa-aḍalla
- وَأَضَلَّ
- और उसने ज़ाया कर दिए
- aʿmālahum
- أَعْمَٰلَهُمْ
- आमाल उनके
रहे वे लोग जिन्होंने इनकार किया, तो उनके लिए तबाही है। और उनके कर्मों को अल्लाह ने अकारथ कर दिया ([४७] मुहम्मद: 8)Tafseer (तफ़सीर )
ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ كَرِهُوْا مَآ اَنْزَلَ اللّٰهُ فَاَحْبَطَ اَعْمَالَهُمْ ٩
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- bi-annahum
- بِأَنَّهُمْ
- बवजह उसके कि वो
- karihū
- كَرِهُوا۟
- उन्होंने नापसंद किया
- mā
- مَآ
- जो
- anzala
- أَنزَلَ
- नाज़िल किया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- fa-aḥbaṭa
- فَأَحْبَطَ
- तो उसने बरबाद कर दिए
- aʿmālahum
- أَعْمَٰلَهُمْ
- आमाल उनके
यह इसलिए कि उन्होंने उस चीज़ को नापसन्द किया जिसे अल्लाह ने अवतरित किया, तो उसने उनके कर्म अकारथ कर दिए ([४७] मुहम्मद: 9)Tafseer (तफ़सीर )
۞ اَفَلَمْ يَسِيْرُوْا فِى الْاَرْضِ فَيَنْظُرُوْا كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الَّذِيْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ ۗ دَمَّرَ اللّٰهُ عَلَيْهِمْ ۖوَلِلْكٰفِرِيْنَ اَمْثَالُهَا ١٠
- afalam
- أَفَلَمْ
- क्या फिर नहीं
- yasīrū
- يَسِيرُوا۟
- वो चले फिरे
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- fayanẓurū
- فَيَنظُرُوا۟
- तो वो देखते
- kayfa
- كَيْفَ
- किस तरह
- kāna
- كَانَ
- हुआ
- ʿāqibatu
- عَٰقِبَةُ
- अंजाम
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन लोगों का जो
- min
- مِن
- उनसे पहले थे
- qablihim
- قَبْلِهِمْۚ
- उनसे पहले थे
- dammara
- دَمَّرَ
- हलाकत डाली
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْۖ
- उन पर
- walil'kāfirīna
- وَلِلْكَٰفِرِينَ
- और काफ़िरों के लिए
- amthāluhā
- أَمْثَٰلُهَا
- उस जैसी (सज़ाऐं )हैं
क्या वे धरती में चले-फिरे नहीं कि देखते कि उन लोगों का कैसा परिणाम हुआ जो उनसे पहले गुज़र चुके है? अल्लाह ने उन्हें तहस-नहस कर दिया और इनकार करनेवालों के लिए ऐसे ही मामले होने है ([४७] मुहम्मद: 10)Tafseer (तफ़सीर )