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सूरा मुहम्मद - शब्द द्वारा शब्द

Muhammad

(मुहम्मद साहब)

bismillaahirrahmaanirrahiim

اَلَّذِيْنَ كَفَرُوْا وَصَدُّوْا عَنْ سَبِيْلِ اللّٰهِ اَضَلَّ اَعْمَالَهُمْ ١

alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
waṣaddū
وَصَدُّوا۟
और उन्होंने रोका
ʿan
عَن
अल्लाह के रास्ते से
sabīli
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के रास्ते से
aḍalla
أَضَلَّ
उसने ज़ाए कर दिए
aʿmālahum
أَعْمَٰلَهُمْ
आमाल उनके
जिन लोगों ने इनकार किया और अल्लाह के मार्ग से रोका उनके कर्म उसने अकारथ कर दिए ([४७] मुहम्मद: 1)
Tafseer (तफ़सीर )

وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ وَاٰمَنُوْا بِمَا نُزِّلَ عَلٰى مُحَمَّدٍ وَّهُوَ الْحَقُّ مِنْ رَّبِّهِمْ ۚ كَفَّرَ عَنْهُمْ سَيِّاٰتِهِمْ وَاَصْلَحَ بَالَهُمْ ٢

wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
waʿamilū
وَعَمِلُوا۟
और उन्होंने अमल किए
l-ṣāliḥāti
ٱلصَّٰلِحَٰتِ
नेक
waāmanū
وَءَامَنُوا۟
और वो ईमान लाए
bimā
بِمَا
उस पर जो
nuzzila
نُزِّلَ
नाज़िल किया गया
ʿalā
عَلَىٰ
मुहम्मद पर
muḥammadin
مُحَمَّدٍ
मुहम्मद पर
wahuwa
وَهُوَ
और वो ही
l-ḥaqu
ٱلْحَقُّ
हक़ है
min
مِن
उनके रब की तरफ़ से
rabbihim
رَّبِّهِمْۙ
उनके रब की तरफ़ से
kaffara
كَفَّرَ
उसने दूर कर दीं
ʿanhum
عَنْهُمْ
उनसे
sayyiātihim
سَيِّـَٔاتِهِمْ
बुराइयाँ उनकी
wa-aṣlaḥa
وَأَصْلَحَ
और उसने दुरुस्त कर दिया
bālahum
بَالَهُمْ
हाल उनका
रहे वे लोग जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए और उस चीज़ पर ईमान लाए जो मुहम्मद पर अवतरित किया गया - और वही सत्य है उनके रब की ओर से - उसने उसकी बुराइयाँ उनसे दूर कर दीं और उनका हाल ठीक कर दिया ([४७] मुहम्मद: 2)
Tafseer (तफ़सीर )

ذٰلِكَ بِاَنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوا اتَّبَعُوا الْبَاطِلَ وَاَنَّ الَّذِيْنَ اٰمَنُوا اتَّبَعُوا الْحَقَّ مِنْ رَّبِّهِمْ ۗ كَذٰلِكَ يَضْرِبُ اللّٰهُ لِلنَّاسِ اَمْثَالَهُمْ ٣

dhālika
ذَٰلِكَ
ये
bi-anna
بِأَنَّ
बवजह इसके कि
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
ittabaʿū
ٱتَّبَعُوا۟
उन्होंने पैरवी की
l-bāṭila
ٱلْبَٰطِلَ
बातिल की
wa-anna
وَأَنَّ
और ये कि
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
ittabaʿū
ٱتَّبَعُوا۟
उन्होंने पैरवी की
l-ḥaqa
ٱلْحَقَّ
हक़ की
min
مِن
अपने रब की तरफ़ से
rabbihim
رَّبِّهِمْۚ
अपने रब की तरफ़ से
kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
yaḍribu
يَضْرِبُ
बयान करता है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
lilnnāsi
لِلنَّاسِ
लोगों के लिए
amthālahum
أَمْثَٰلَهُمْ
मिसालें उनकी
यह इसलिए कि जिन लोगों ने इनकार किया उन्होंने असत्य का अनुसरण किया और यह कि जो लोग ईमान लाए उन्होंने सत्य का अनुसरण किया, जो उनके रब की ओर से है। इस प्रकार अल्लाह लोगों के लिए उनकी मिसालें बयान करता है ([४७] मुहम्मद: 3)
Tafseer (तफ़सीर )

فَاِذَا لَقِيْتُمُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا فَضَرْبَ الرِّقَابِۗ حَتّٰٓى اِذَآ اَثْخَنْتُمُوْهُمْ فَشُدُّوا الْوَثَاقَۖ فَاِمَّا مَنًّاۢ بَعْدُ وَاِمَّا فِدَاۤءً حَتّٰى تَضَعَ الْحَرْبُ اَوْزَارَهَا ەۛ ذٰلِكَ ۛ وَلَوْ يَشَاۤءُ اللّٰهُ لَانْتَصَرَ مِنْهُمْ وَلٰكِنْ لِّيَبْلُوَا۟ بَعْضَكُمْ بِبَعْضٍۗ وَالَّذِيْنَ قُتِلُوْا فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ فَلَنْ يُّضِلَّ اَعْمَالَهُمْ ٤

fa-idhā
فَإِذَا
फिर जब
laqītumu
لَقِيتُمُ
मिलो तुम
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनसे जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
faḍarba
فَضَرْبَ
तो मारना है
l-riqābi
ٱلرِّقَابِ
गर्दनों का
ḥattā
حَتَّىٰٓ
यहाँ तक कि
idhā
إِذَآ
जब
athkhantumūhum
أَثْخَنتُمُوهُمْ
ख़ूब ख़ून रेज़ी कर चुको तुम उनकी
fashuddū
فَشُدُّوا۟
फिर मज़बूत बाँधो
l-wathāqa
ٱلْوَثَاقَ
बन्धन
fa-immā
فَإِمَّا
फिर ख़्वाह
mannan
مَنًّۢا
एहसान करो
baʿdu
بَعْدُ
उसके बाद
wa-immā
وَإِمَّا
और ख़्वाह
fidāan
فِدَآءً
फ़िदया लो
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
taḍaʿa
تَضَعَ
रख दे
l-ḥarbu
ٱلْحَرْبُ
जंग
awzārahā
أَوْزَارَهَاۚ
हथियार उपने
dhālika
ذَٰلِكَ
ये है (हुक्म)
walaw
وَلَوْ
और अगर
yashāu
يَشَآءُ
चाहता
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
la-intaṣara
لَٱنتَصَرَ
अलबत्ता वो बदला ले लेता
min'hum
مِنْهُمْ
उनसे
walākin
وَلَٰكِن
और लेकिन
liyabluwā
لِّيَبْلُوَا۟
ताकि वो आज़माए
baʿḍakum
بَعْضَكُم
तुम्हारे बाज़ को
bibaʿḍin
بِبَعْضٍۗ
साथ बाज़ के
wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो लोग जो
qutilū
قُتِلُوا۟
मारे गए
فِى
अल्लाह के रास्ते में
sabīli
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते में
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के रास्ते में
falan
فَلَن
तो हरगिज़ ना
yuḍilla
يُضِلَّ
वो ज़ाया करेगा
aʿmālahum
أَعْمَٰلَهُمْ
आमाल उनके
अतः जब इनकार करनेवालो से तुम्हारी मुठभेड़ हो तो (उनकी) गरदनें मारना है, यहाँ तक कि जब उन्हें अच्छी तरह कुचल दो तो बन्धनों में जकड़ो, फिर बाद में या तो एहसान करो या फ़िदया (अर्थ-दंड) का मामला करो, यहाँ तक कि युद्ध अपने बोझ उतारकर रख दे। यह भली-भाँति समझ लो, यदि अल्लाह चाहे तो स्वयं उनसे निपट ले। किन्तु (उसने या आदेश इसलिए दिया) ताकि तुम्हारी एक-दूसरे की परीक्षा ले। और जो लोग अल्लाह के मार्ग में मारे जाते है उनके कर्म वह कदापि अकारथ न करेगा ([४७] मुहम्मद: 4)
Tafseer (तफ़सीर )

سَيَهْدِيْهِمْ وَيُصْلِحُ بَالَهُمْۚ ٥

sayahdīhim
سَيَهْدِيهِمْ
ज़रूर वो रहनुमाई करेगा उनकी
wayuṣ'liḥu
وَيُصْلِحُ
और वो दुरूस्त कर देगा
bālahum
بَالَهُمْ
हाल उनके
वह उनका मार्गदर्शन करेगा और उनका हाल ठीक कर देगा ([४७] मुहम्मद: 5)
Tafseer (तफ़सीर )

وَيُدْخِلُهُمُ الْجَنَّةَ عَرَّفَهَا لَهُمْ ٦

wayud'khiluhumu
وَيُدْخِلُهُمُ
और वो दाख़िल करेगा उन्हें
l-janata
ٱلْجَنَّةَ
उस जन्नत में
ʿarrafahā
عَرَّفَهَا
उसने पहचान करा दी जिसकी
lahum
لَهُمْ
उनको
और उन्हें जन्नत में दाख़िल करेगा, जिससे वह उन्हें परिचित करा चुका है ([४७] मुहम्मद: 6)
Tafseer (तफ़सीर )

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اِنْ تَنْصُرُوا اللّٰهَ يَنْصُرْكُمْ وَيُثَبِّتْ اَقْدَامَكُمْ ٧

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوٓا۟
ईमान लाए हो
in
إِن
अगर
tanṣurū
تَنصُرُوا۟
तुम मदद करोगे
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह की
yanṣur'kum
يَنصُرْكُمْ
वो मदद करेगा तुम्हारी
wayuthabbit
وَيُثَبِّتْ
और वो जमा देगा
aqdāmakum
أَقْدَامَكُمْ
तुम्हारे क़दमों को
ऐ लोगों, जो ईमान लाए हो, यदि तुम अल्लाह की सहायता करोगे तो वह तुम्हारी सहायता करेगा और तुम्हारे क़दम जमा देगा ([४७] मुहम्मद: 7)
Tafseer (तफ़सीर )

وَالَّذِيْنَ كَفَرُوْا فَتَعْسًا لَّهُمْ وَاَضَلَّ اَعْمَالَهُمْ ٨

wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो लोग जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
fataʿsan
فَتَعْسًا
पस तबाही है
lahum
لَّهُمْ
उनके लिए
wa-aḍalla
وَأَضَلَّ
और उसने ज़ाया कर दिए
aʿmālahum
أَعْمَٰلَهُمْ
आमाल उनके
रहे वे लोग जिन्होंने इनकार किया, तो उनके लिए तबाही है। और उनके कर्मों को अल्लाह ने अकारथ कर दिया ([४७] मुहम्मद: 8)
Tafseer (तफ़सीर )

ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ كَرِهُوْا مَآ اَنْزَلَ اللّٰهُ فَاَحْبَطَ اَعْمَالَهُمْ ٩

dhālika
ذَٰلِكَ
ये
bi-annahum
بِأَنَّهُمْ
बवजह उसके कि वो
karihū
كَرِهُوا۟
उन्होंने नापसंद किया
مَآ
जो
anzala
أَنزَلَ
नाज़िल किया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
fa-aḥbaṭa
فَأَحْبَطَ
तो उसने बरबाद कर दिए
aʿmālahum
أَعْمَٰلَهُمْ
आमाल उनके
यह इसलिए कि उन्होंने उस चीज़ को नापसन्द किया जिसे अल्लाह ने अवतरित किया, तो उसने उनके कर्म अकारथ कर दिए ([४७] मुहम्मद: 9)
Tafseer (तफ़सीर )
१०

۞ اَفَلَمْ يَسِيْرُوْا فِى الْاَرْضِ فَيَنْظُرُوْا كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الَّذِيْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ ۗ دَمَّرَ اللّٰهُ عَلَيْهِمْ ۖوَلِلْكٰفِرِيْنَ اَمْثَالُهَا ١٠

afalam
أَفَلَمْ
क्या फिर नहीं
yasīrū
يَسِيرُوا۟
वो चले फिरे
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
fayanẓurū
فَيَنظُرُوا۟
तो वो देखते
kayfa
كَيْفَ
किस तरह
kāna
كَانَ
हुआ
ʿāqibatu
عَٰقِبَةُ
अंजाम
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों का जो
min
مِن
उनसे पहले थे
qablihim
قَبْلِهِمْۚ
उनसे पहले थे
dammara
دَمَّرَ
हलाकत डाली
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
ʿalayhim
عَلَيْهِمْۖ
उन पर
walil'kāfirīna
وَلِلْكَٰفِرِينَ
और काफ़िरों के लिए
amthāluhā
أَمْثَٰلُهَا
उस जैसी (सज़ाऐं )हैं
क्या वे धरती में चले-फिरे नहीं कि देखते कि उन लोगों का कैसा परिणाम हुआ जो उनसे पहले गुज़र चुके है? अल्लाह ने उन्हें तहस-नहस कर दिया और इनकार करनेवालों के लिए ऐसे ही मामले होने है ([४७] मुहम्मद: 10)
Tafseer (तफ़सीर )