يٰقَوْمَنَآ اَجِيْبُوْا دَاعِيَ اللّٰهِ وَاٰمِنُوْا بِهٖ يَغْفِرْ لَكُمْ مِّنْ ذُنُوْبِكُمْ وَيُجِرْكُمْ مِّنْ عَذَابٍ اَلِيْمٍ ٣١
- yāqawmanā
- يَٰقَوْمَنَآ
- ऐ हमारी क़ौम
- ajībū
- أَجِيبُوا۟
- जवाब दो
- dāʿiya
- دَاعِىَ
- अल्लाह के दाई को
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के दाई को
- waāminū
- وَءَامِنُوا۟
- और ईमान ले आओ
- bihi
- بِهِۦ
- उस पर
- yaghfir
- يَغْفِرْ
- वो बख़्श देगा
- lakum
- لَكُم
- तुम्हारे लिए
- min
- مِّن
- तुम्हारे गुनाहों को
- dhunūbikum
- ذُنُوبِكُمْ
- तुम्हारे गुनाहों को
- wayujir'kum
- وَيُجِرْكُم
- और वो पनाह देगा तुम्हें
- min
- مِّنْ
- दर्दनाक अज़ाब से
- ʿadhābin
- عَذَابٍ
- दर्दनाक अज़ाब से
- alīmin
- أَلِيمٍ
- दर्दनाक अज़ाब से
ऐ हमारी क़ौम के लोगो! अल्लाह के आमंत्रणकर्त्ता का आमंत्रण स्वीकार करो और उसपर ईमान लाओ। अल्लाह तुम्हें क्षमा करके गुनाहों से तुम्हें पाक कर देगा और दुखद यातना से तुम्हें बचाएगा ([४६] सूरह अल-अह्काफ़: 31)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَنْ لَّا يُجِبْ دَاعِيَ اللّٰهِ فَلَيْسَ بِمُعْجِزٍ فِى الْاَرْضِ وَلَيْسَ لَهٗ مِنْ دُوْنِهٖٓ اَوْلِيَاۤءُ ۗ اُولٰۤىِٕكَ فِيْ ضَلٰلٍ مُّبِيْنٍ ٣٢
- waman
- وَمَن
- और जो
- lā
- لَّا
- ना जवाब दे
- yujib
- يُجِبْ
- ना जवाब दे
- dāʿiya
- دَاعِىَ
- अल्लाह के दाई को
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के दाई को
- falaysa
- فَلَيْسَ
- तो नहीं है वो
- bimuʿ'jizin
- بِمُعْجِزٍ
- आजिज़ करने वाला
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- walaysa
- وَلَيْسَ
- और नहीं
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- min
- مِن
- उसके सिवा
- dūnihi
- دُونِهِۦٓ
- उसके सिवा
- awliyāu
- أَوْلِيَآءُۚ
- कोई मददगार
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग हैं
- fī
- فِى
- गुमराही में
- ḍalālin
- ضَلَٰلٍ
- गुमराही में
- mubīnin
- مُّبِينٍ
- खुली
और जो कोई अल्लाह के आमंत्रणकर्त्ता का आमंत्रण स्वीकार नहीं करेगा तो वह धरती में क़ाबू से बच निकलनेवाला नहीं है और न अल्लाह से हटकर उसके संरक्षक होंगे। ऐसे ही लोग खुली गुमराही में हैं।' ([४६] सूरह अल-अह्काफ़: 32)Tafseer (तफ़सीर )
اَوَلَمْ يَرَوْا اَنَّ اللّٰهَ الَّذِيْ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ وَلَمْ يَعْيَ بِخَلْقِهِنَّ بِقٰدِرٍ عَلٰٓى اَنْ يُّحْيِ َۧ الْمَوْتٰى ۗبَلٰٓى اِنَّهٗ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ ٣٣
- awalam
- أَوَلَمْ
- क्या भला नहीं
- yaraw
- يَرَوْا۟
- उन्होंने देखा
- anna
- أَنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो है जिसने
- khalaqa
- خَلَقَ
- पैदा किया
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍa
- وَٱلْأَرْضَ
- और ज़मीन को
- walam
- وَلَمْ
- और नहीं
- yaʿya
- يَعْىَ
- वो थका
- bikhalqihinna
- بِخَلْقِهِنَّ
- उनको पैदा करने से
- biqādirin
- بِقَٰدِرٍ
- क़ादिर है
- ʿalā
- عَلَىٰٓ
- इस पर
- an
- أَن
- कि
- yuḥ'yiya
- يُحْۦِىَ
- वो ज़िन्दा करे
- l-mawtā
- ٱلْمَوْتَىٰۚ
- मुर्दों को
- balā
- بَلَىٰٓ
- क्यों नहीं
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- kulli
- كُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ के
- qadīrun
- قَدِيرٌ
- ख़ूब क़ुदरत रखने वाला है
क्या उन्होंने देखा नहीं कि जिस अल्लाह ने आकाशों और धरती को पैदा किया और उनके पैदा करने से थका नहीं; क्या ऐसा नहीं कि वह मुर्दों को जीवित कर दे? क्यों नहीं, निश्चय ही उसे हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है ([४६] सूरह अल-अह्काफ़: 33)Tafseer (तफ़सीर )
وَيَوْمَ يُعْرَضُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا عَلَى النَّارِۗ اَلَيْسَ هٰذَا بِالْحَقِّ ۗ قَالُوْا بَلٰى وَرَبِّنَا ۗقَالَ فَذُوْقُوا الْعَذَابَ بِمَا كُنْتُمْ تَكْفُرُوْنَ ٣٤
- wayawma
- وَيَوْمَ
- और जिस दिन
- yuʿ'raḍu
- يُعْرَضُ
- पेश किए जाऐंगे
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- ʿalā
- عَلَى
- आग पर
- l-nāri
- ٱلنَّارِ
- आग पर
- alaysa
- أَلَيْسَ
- क्या नहीं है
- hādhā
- هَٰذَا
- ये
- bil-ḥaqi
- بِٱلْحَقِّۖ
- हक़
- qālū
- قَالُوا۟
- वो कहेंगे
- balā
- بَلَىٰ
- क्यों नहीं
- warabbinā
- وَرَبِّنَاۚ
- क़सम हमारे रब की
- qāla
- قَالَ
- वो फ़रमायगा
- fadhūqū
- فَذُوقُوا۟
- पस चखो
- l-ʿadhāba
- ٱلْعَذَابَ
- अज़ाब
- bimā
- بِمَا
- बवजह उसक जो
- kuntum
- كُنتُمْ
- थे तुम
- takfurūna
- تَكْفُرُونَ
- तुम कुफ़्र करते
और याद करो जिस दिन वे लोग, जिन्होंने इनकार किया, आग के सामने पेश किए जाएँगे, (कहा जाएगा) 'क्या यह सत्य नहीं है?' वे कहेंगे, 'नहीं, हमारे रब की क़सम!' वह कहेगा, 'तो अब यातना का मज़ा चखो, उउस इनकार के बदले में जो तुम करते रहे थे।' ([४६] सूरह अल-अह्काफ़: 34)Tafseer (तफ़सीर )
فَاصْبِرْ كَمَا صَبَرَ اُولُوا الْعَزْمِ مِنَ الرُّسُلِ وَلَا تَسْتَعْجِلْ لَّهُمْ ۗ كَاَنَّهُمْ يَوْمَ يَرَوْنَ مَا يُوْعَدُوْنَۙ لَمْ يَلْبَثُوْٓا اِلَّا سَاعَةً مِّنْ نَّهَارٍ ۗ بَلٰغٌ ۚفَهَلْ يُهْلَكُ اِلَّا الْقَوْمُ الْفٰسِقُوْنَ ࣖ ٣٥
- fa-iṣ'bir
- فَٱصْبِرْ
- पस सब्र कीजिए
- kamā
- كَمَا
- जैसा कि
- ṣabara
- صَبَرَ
- सब्र किया
- ulū
- أُو۟لُوا۟
- उलुल अज़म /हिम्मत वालों ने
- l-ʿazmi
- ٱلْعَزْمِ
- उलुल अज़म /हिम्मत वालों ने
- mina
- مِنَ
- रसूलों में से
- l-rusuli
- ٱلرُّسُلِ
- रसूलों में से
- walā
- وَلَا
- और ना
- tastaʿjil
- تَسْتَعْجِل
- आप जल्दी तलब कीजिए
- lahum
- لَّهُمْۚ
- उनके लिए
- ka-annahum
- كَأَنَّهُمْ
- गोया कि वो
- yawma
- يَوْمَ
- जिस दिन
- yarawna
- يَرَوْنَ
- वो देखेंगे
- mā
- مَا
- जो
- yūʿadūna
- يُوعَدُونَ
- वो वादा किए जाते हैं
- lam
- لَمْ
- नहीं
- yalbathū
- يَلْبَثُوٓا۟
- वो ठहरे
- illā
- إِلَّا
- मगर
- sāʿatan
- سَاعَةً
- एक घड़ी
- min
- مِّن
- दिन की
- nahārin
- نَّهَارٍۭۚ
- दिन की
- balāghun
- بَلَٰغٌۚ
- पहुँचा देना है
- fahal
- فَهَلْ
- तो नहीं
- yuh'laku
- يُهْلَكُ
- हलाक किया जाएगा
- illā
- إِلَّا
- मगर
- l-qawmu
- ٱلْقَوْمُ
- उन लोगों को
- l-fāsiqūna
- ٱلْفَٰسِقُونَ
- जो फ़ासिक़ हैं
अतः धैर्य से काम लो, जिस प्रकार संकल्पवान रसूलों ने धैर्य से काम लिया। और उनके लिए जल्दी न करो। जिस दिन वे लोग उस चीज़ को देख लेंगे जिसका उनसे वादा किया जाता है, तो वे महसूस करेंगे कि जैसे वे बस दिन की एक घड़ी भर ही ठहरे थे। यह (संदेश) साफ़-साफ़ पहुँचा देना है। अब क्या अवज्ञाकारी लोगों के अतिरिक्त कोई और विनष्ट होगा? ([४६] सूरह अल-अह्काफ़: 35)Tafseer (तफ़सीर )