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सूरा सूरह अल-अह्काफ़ - Page: 4

Al-Ahqaf

(The Wind-curved Sandhills, The Dunes)

३१

يٰقَوْمَنَآ اَجِيْبُوْا دَاعِيَ اللّٰهِ وَاٰمِنُوْا بِهٖ يَغْفِرْ لَكُمْ مِّنْ ذُنُوْبِكُمْ وَيُجِرْكُمْ مِّنْ عَذَابٍ اَلِيْمٍ ٣١

yāqawmanā
يَٰقَوْمَنَآ
ऐ हमारी क़ौम
ajībū
أَجِيبُوا۟
जवाब दो
dāʿiya
دَاعِىَ
अल्लाह के दाई को
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के दाई को
waāminū
وَءَامِنُوا۟
और ईमान ले आओ
bihi
بِهِۦ
उस पर
yaghfir
يَغْفِرْ
वो बख़्श देगा
lakum
لَكُم
तुम्हारे लिए
min
مِّن
तुम्हारे गुनाहों को
dhunūbikum
ذُنُوبِكُمْ
तुम्हारे गुनाहों को
wayujir'kum
وَيُجِرْكُم
और वो पनाह देगा तुम्हें
min
مِّنْ
दर्दनाक अज़ाब से
ʿadhābin
عَذَابٍ
दर्दनाक अज़ाब से
alīmin
أَلِيمٍ
दर्दनाक अज़ाब से
ऐ हमारी क़ौम के लोगो! अल्लाह के आमंत्रणकर्त्ता का आमंत्रण स्वीकार करो और उसपर ईमान लाओ। अल्लाह तुम्हें क्षमा करके गुनाहों से तुम्हें पाक कर देगा और दुखद यातना से तुम्हें बचाएगा ([४६] सूरह अल-अह्काफ़: 31)
Tafseer (तफ़सीर )
३२

وَمَنْ لَّا يُجِبْ دَاعِيَ اللّٰهِ فَلَيْسَ بِمُعْجِزٍ فِى الْاَرْضِ وَلَيْسَ لَهٗ مِنْ دُوْنِهٖٓ اَوْلِيَاۤءُ ۗ اُولٰۤىِٕكَ فِيْ ضَلٰلٍ مُّبِيْنٍ ٣٢

waman
وَمَن
और जो
لَّا
ना जवाब दे
yujib
يُجِبْ
ना जवाब दे
dāʿiya
دَاعِىَ
अल्लाह के दाई को
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के दाई को
falaysa
فَلَيْسَ
तो नहीं है वो
bimuʿ'jizin
بِمُعْجِزٍ
आजिज़ करने वाला
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
walaysa
وَلَيْسَ
और नहीं
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
min
مِن
उसके सिवा
dūnihi
دُونِهِۦٓ
उसके सिवा
awliyāu
أَوْلِيَآءُۚ
कोई मददगार
ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
فِى
गुमराही में
ḍalālin
ضَلَٰلٍ
गुमराही में
mubīnin
مُّبِينٍ
खुली
और जो कोई अल्लाह के आमंत्रणकर्त्ता का आमंत्रण स्वीकार नहीं करेगा तो वह धरती में क़ाबू से बच निकलनेवाला नहीं है और न अल्लाह से हटकर उसके संरक्षक होंगे। ऐसे ही लोग खुली गुमराही में हैं।' ([४६] सूरह अल-अह्काफ़: 32)
Tafseer (तफ़सीर )
३३

اَوَلَمْ يَرَوْا اَنَّ اللّٰهَ الَّذِيْ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ وَلَمْ يَعْيَ بِخَلْقِهِنَّ بِقٰدِرٍ عَلٰٓى اَنْ يُّحْيِ َۧ الْمَوْتٰى ۗبَلٰٓى اِنَّهٗ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ ٣٣

awalam
أَوَلَمْ
क्या भला नहीं
yaraw
يَرَوْا۟
उन्होंने देखा
anna
أَنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
alladhī
ٱلَّذِى
वो है जिसने
khalaqa
خَلَقَ
पैदा किया
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
wal-arḍa
وَٱلْأَرْضَ
और ज़मीन को
walam
وَلَمْ
और नहीं
yaʿya
يَعْىَ
वो थका
bikhalqihinna
بِخَلْقِهِنَّ
उनको पैदा करने से
biqādirin
بِقَٰدِرٍ
क़ादिर है
ʿalā
عَلَىٰٓ
इस पर
an
أَن
कि
yuḥ'yiya
يُحْۦِىَ
वो ज़िन्दा करे
l-mawtā
ٱلْمَوْتَىٰۚ
मुर्दों को
balā
بَلَىٰٓ
क्यों नहीं
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर
kulli
كُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ के
qadīrun
قَدِيرٌ
ख़ूब क़ुदरत रखने वाला है
क्या उन्होंने देखा नहीं कि जिस अल्लाह ने आकाशों और धरती को पैदा किया और उनके पैदा करने से थका नहीं; क्या ऐसा नहीं कि वह मुर्दों को जीवित कर दे? क्यों नहीं, निश्चय ही उसे हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है ([४६] सूरह अल-अह्काफ़: 33)
Tafseer (तफ़सीर )
३४

وَيَوْمَ يُعْرَضُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا عَلَى النَّارِۗ اَلَيْسَ هٰذَا بِالْحَقِّ ۗ قَالُوْا بَلٰى وَرَبِّنَا ۗقَالَ فَذُوْقُوا الْعَذَابَ بِمَا كُنْتُمْ تَكْفُرُوْنَ ٣٤

wayawma
وَيَوْمَ
और जिस दिन
yuʿ'raḍu
يُعْرَضُ
पेश किए जाऐंगे
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
ʿalā
عَلَى
आग पर
l-nāri
ٱلنَّارِ
आग पर
alaysa
أَلَيْسَ
क्या नहीं है
hādhā
هَٰذَا
ये
bil-ḥaqi
بِٱلْحَقِّۖ
हक़
qālū
قَالُوا۟
वो कहेंगे
balā
بَلَىٰ
क्यों नहीं
warabbinā
وَرَبِّنَاۚ
क़सम हमारे रब की
qāla
قَالَ
वो फ़रमायगा
fadhūqū
فَذُوقُوا۟
पस चखो
l-ʿadhāba
ٱلْعَذَابَ
अज़ाब
bimā
بِمَا
बवजह उसक जो
kuntum
كُنتُمْ
थे तुम
takfurūna
تَكْفُرُونَ
तुम कुफ़्र करते
और याद करो जिस दिन वे लोग, जिन्होंने इनकार किया, आग के सामने पेश किए जाएँगे, (कहा जाएगा) 'क्या यह सत्य नहीं है?' वे कहेंगे, 'नहीं, हमारे रब की क़सम!' वह कहेगा, 'तो अब यातना का मज़ा चखो, उउस इनकार के बदले में जो तुम करते रहे थे।' ([४६] सूरह अल-अह्काफ़: 34)
Tafseer (तफ़सीर )
३५

فَاصْبِرْ كَمَا صَبَرَ اُولُوا الْعَزْمِ مِنَ الرُّسُلِ وَلَا تَسْتَعْجِلْ لَّهُمْ ۗ كَاَنَّهُمْ يَوْمَ يَرَوْنَ مَا يُوْعَدُوْنَۙ لَمْ يَلْبَثُوْٓا اِلَّا سَاعَةً مِّنْ نَّهَارٍ ۗ بَلٰغٌ ۚفَهَلْ يُهْلَكُ اِلَّا الْقَوْمُ الْفٰسِقُوْنَ ࣖ ٣٥

fa-iṣ'bir
فَٱصْبِرْ
पस सब्र कीजिए
kamā
كَمَا
जैसा कि
ṣabara
صَبَرَ
सब्र किया
ulū
أُو۟لُوا۟
उलुल अज़म /हिम्मत वालों ने
l-ʿazmi
ٱلْعَزْمِ
उलुल अज़म /हिम्मत वालों ने
mina
مِنَ
रसूलों में से
l-rusuli
ٱلرُّسُلِ
रसूलों में से
walā
وَلَا
और ना
tastaʿjil
تَسْتَعْجِل
आप जल्दी तलब कीजिए
lahum
لَّهُمْۚ
उनके लिए
ka-annahum
كَأَنَّهُمْ
गोया कि वो
yawma
يَوْمَ
जिस दिन
yarawna
يَرَوْنَ
वो देखेंगे
مَا
जो
yūʿadūna
يُوعَدُونَ
वो वादा किए जाते हैं
lam
لَمْ
नहीं
yalbathū
يَلْبَثُوٓا۟
वो ठहरे
illā
إِلَّا
मगर
sāʿatan
سَاعَةً
एक घड़ी
min
مِّن
दिन की
nahārin
نَّهَارٍۭۚ
दिन की
balāghun
بَلَٰغٌۚ
पहुँचा देना है
fahal
فَهَلْ
तो नहीं
yuh'laku
يُهْلَكُ
हलाक किया जाएगा
illā
إِلَّا
मगर
l-qawmu
ٱلْقَوْمُ
उन लोगों को
l-fāsiqūna
ٱلْفَٰسِقُونَ
जो फ़ासिक़ हैं
अतः धैर्य से काम लो, जिस प्रकार संकल्पवान रसूलों ने धैर्य से काम लिया। और उनके लिए जल्दी न करो। जिस दिन वे लोग उस चीज़ को देख लेंगे जिसका उनसे वादा किया जाता है, तो वे महसूस करेंगे कि जैसे वे बस दिन की एक घड़ी भर ही ठहरे थे। यह (संदेश) साफ़-साफ़ पहुँचा देना है। अब क्या अवज्ञाकारी लोगों के अतिरिक्त कोई और विनष्ट होगा? ([४६] सूरह अल-अह्काफ़: 35)
Tafseer (तफ़सीर )