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सूरा सूरह अल-अह्काफ़ - शब्द द्वारा शब्द

Al-Ahqaf

(The Wind-curved Sandhills, The Dunes)

bismillaahirrahmaanirrahiim

حٰمۤ ۚ ١

hha-meem
حمٓ
ح م
हा॰ मीम॰ ([४६] सूरह अल-अह्काफ़: 1)
Tafseer (तफ़सीर )

تَنْزِيْلُ الْكِتٰبِ مِنَ اللّٰهِ الْعَزِيْزِ الْحَكِيْمِ ٢

tanzīlu
تَنزِيلُ
नाज़िल करना है
l-kitābi
ٱلْكِتَٰبِ
किताब का
mina
مِنَ
अल्लाह की तरफ़ से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की तरफ़ से
l-ʿazīzi
ٱلْعَزِيزِ
जो बहुत ज़बरदस्त है
l-ḥakīmi
ٱلْحَكِيمِ
ख़ूब हिकमत वाला है
इस किताब का अवतरण अल्लाह की ओर से है, जो प्रभुत्वशाली, अत्यन्त तत्वदर्शी है ([४६] सूरह अल-अह्काफ़: 2)
Tafseer (तफ़सीर )

مَا خَلَقْنَا السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ وَمَا بَيْنَهُمَآ اِلَّا بِالْحَقِّ وَاَجَلٍ مُّسَمًّىۗ وَالَّذِيْنَ كَفَرُوْا عَمَّآ اُنْذِرُوْا مُعْرِضُوْنَ ٣

مَا
नहीं
khalaqnā
خَلَقْنَا
पैदा किया हमने
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
wal-arḍa
وَٱلْأَرْضَ
और ज़मीन को
wamā
وَمَا
और जो कुछ
baynahumā
بَيْنَهُمَآ
दर्मियान है इन दोनों के
illā
إِلَّا
मगर
bil-ḥaqi
بِٱلْحَقِّ
साथ हक़ के
wa-ajalin
وَأَجَلٍ
और वक़्त
musamman
مُّسَمًّىۚ
मुक़र्रर के
wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
ʿammā
عَمَّآ
उस चीज़ से जो
undhirū
أُنذِرُوا۟
वो डराए गए
muʿ'riḍūna
مُعْرِضُونَ
ऐराज़ करने वाले हैं
हमने आकाशों और धरती को और जो कुछ उन दोनों के मध्य है उसे केवल हक़ के साथ और एक नियत अवधि तक के लिए पैदा किया है। किन्तु जिन लोगों ने इनकार किया है, वे उस चीज़ को ध्यान में नहीं लाते जिससे उन्हें सावधान किया गया है ([४६] सूरह अल-अह्काफ़: 3)
Tafseer (तफ़सीर )

قُلْ اَرَءَيْتُمْ مَّا تَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ اَرُوْنِيْ مَاذَا خَلَقُوْا مِنَ الْاَرْضِ اَمْ لَهُمْ شِرْكٌ فِى السَّمٰوٰتِ ۖائْتُوْنِيْ بِكِتٰبٍ مِّنْ قَبْلِ هٰذَآ اَوْ اَثٰرَةٍ مِّنْ عِلْمٍ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِيْنَ ٤

qul
قُلْ
कह दीजिए
ara-aytum
أَرَءَيْتُم
क्या देखा तुमने
مَّا
जिन्हें
tadʿūna
تَدْعُونَ
तुम पुकारते हो
min
مِن
सिवाए
dūni
دُونِ
सिवाए
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
arūnī
أَرُونِى
दिखाओ मुझे
mādhā
مَاذَا
क्या कुछ
khalaqū
خَلَقُوا۟
उन्होंने पैदा किया है
mina
مِنَ
ज़मीन से
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन से
am
أَمْ
या
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
shir'kun
شِرْكٌ
कोई शराकत है
فِى
आसमानों में
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِۖ
आसमानों में
i'tūnī
ٱئْتُونِى
लाओ मेरे पास
bikitābin
بِكِتَٰبٍ
कोई किताब
min
مِّن
इससे पहले की
qabli
قَبْلِ
इससे पहले की
hādhā
هَٰذَآ
इससे पहले की
aw
أَوْ
या
athāratin
أَثَٰرَةٍ
बाक़ी मान्दा
min
مِّنْ
इल्म में से
ʿil'min
عِلْمٍ
इल्म में से
in
إِن
अगर
kuntum
كُنتُمْ
हो तुम
ṣādiqīna
صَٰدِقِينَ
सच्चे
कहो, 'क्या तुमने उनको देखा भी, जिन्हें तुम अल्लाह को छोड़कर पुकारते हो? मुझे दिखाओ उन्होंने धरती की चीज़ों में से क्या पैदा किया है या आकाशों में उनकी कोई साझेदारी है? मेरे पास इससे पहले की कोई किताब ले आओ या ज्ञान की कोई अवशेष बात ही, यदि तुम सच्चे हो।' ([४६] सूरह अल-अह्काफ़: 4)
Tafseer (तफ़सीर )

وَمَنْ اَضَلُّ مِمَّنْ يَّدْعُوْا مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ مَنْ لَّا يَسْتَجِيْبُ لَهٗٓ اِلٰى يَوْمِ الْقِيٰمَةِ وَهُمْ عَنْ دُعَاۤىِٕهِمْ غٰفِلُوْنَ ٥

waman
وَمَنْ
और कौन
aḍallu
أَضَلُّ
ज़्यादा गुमराह है
mimman
مِمَّن
उससे जो
yadʿū
يَدْعُوا۟
पुकारता है
min
مِن
सिवाए
dūni
دُونِ
सिवाए
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
man
مَن
उन्हें जो
لَّا
नहीं वो जवाब दे सकते
yastajību
يَسْتَجِيبُ
नहीं वो जवाब दे सकते
lahu
لَهُۥٓ
उसे
ilā
إِلَىٰ
क़यामत के दिन तक
yawmi
يَوْمِ
क़यामत के दिन तक
l-qiyāmati
ٱلْقِيَٰمَةِ
क़यामत के दिन तक
wahum
وَهُمْ
और वो
ʿan
عَن
उनकी पुकार से
duʿāihim
دُعَآئِهِمْ
उनकी पुकार से
ghāfilūna
غَٰفِلُونَ
गाफ़िल हैं
आख़़िर उस व्यक्ति से बढ़कर पथभ्रष्ट और कौन होगा, जो अल्लाह से हटकर उन्हें पुकारता हो जो क़ियामत के दिन तक उसकी पुकार को स्वीकार नहीं कर सकते, बल्कि वे तो उनकी पुकार से भी बेख़बर है; ([४६] सूरह अल-अह्काफ़: 5)
Tafseer (तफ़सीर )

وَاِذَا حُشِرَ النَّاسُ كَانُوْا لَهُمْ اَعْدَاۤءً وَّكَانُوْا بِعِبَادَتِهِمْ كٰفِرِيْنَ ٦

wa-idhā
وَإِذَا
और जब
ḥushira
حُشِرَ
जमा किए जाऐंगे
l-nāsu
ٱلنَّاسُ
लोग
kānū
كَانُوا۟
होंगे वो
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
aʿdāan
أَعْدَآءً
दुश्मन
wakānū
وَكَانُوا۟
और होंगे वो
biʿibādatihim
بِعِبَادَتِهِمْ
उनकी इबादत के
kāfirīna
كَٰفِرِينَ
इन्कारी
और जब लोग इकट्ठे किए जाएँगे तो वे उनके शत्रु होंगे औऱ उनकी बन्दगी का इनकार करेंगे ([४६] सूरह अल-अह्काफ़: 6)
Tafseer (तफ़सीर )

وَاِذَا تُتْلٰى عَلَيْهِمْ اٰيٰتُنَا بَيِّنٰتٍ قَالَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا لِلْحَقِّ لَمَّا جَاۤءَهُمْۙ هٰذَا سِحْرٌ مُّبِيْنٌۗ ٧

wa-idhā
وَإِذَا
और जब
tut'lā
تُتْلَىٰ
पढ़ी जाती हैं
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर
āyātunā
ءَايَٰتُنَا
आयात हमारी
bayyinātin
بَيِّنَٰتٍ
वाज़ेह
qāla
قَالَ
कहा
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन्होंने जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
lil'ḥaqqi
لِلْحَقِّ
हक़ के बारे में
lammā
لَمَّا
जब
jāahum
جَآءَهُمْ
वो आ गया उनके पास
hādhā
هَٰذَا
ये है
siḥ'run
سِحْرٌ
जादू
mubīnun
مُّبِينٌ
खुल्लम-खुल्ला
जब हमारी स्पष्ट आयतें उन्हें पढ़कर सुनाई जाती है तो वे लोग जिन्होंने इनकार किया, सत्य के विषय में, जबकि वह उनके पास आ गया, कहते है कि 'यह तो खुला जादू है।' ([४६] सूरह अल-अह्काफ़: 7)
Tafseer (तफ़सीर )

اَمْ يَقُوْلُوْنَ افْتَرٰىهُ ۗ قُلْ اِنِ افْتَرَيْتُهٗ فَلَا تَمْلِكُوْنَ لِيْ مِنَ اللّٰهِ شَيْـًٔا ۗهُوَ اَعْلَمُ بِمَا تُفِيْضُوْنَ فِيْهِۗ كَفٰى بِهٖ شَهِيْدًا ۢ بَيْنِيْ وَبَيْنَكُمْ ۗ وَهُوَ الْغَفُوْرُ الرَّحِيْمُ ٨

am
أَمْ
या
yaqūlūna
يَقُولُونَ
वो कहते हैं
if'tarāhu
ٱفْتَرَىٰهُۖ
कि इसने गढ़ लिया है उसे
qul
قُلْ
कह दीजिए
ini
إِنِ
अगर
if'taraytuhu
ٱفْتَرَيْتُهُۥ
मैं ने गढ़ लिया है उसे
falā
فَلَا
तो नहीं
tamlikūna
تَمْلِكُونَ
तुम मालिक हो सकते
لِى
मेरे लिए
mina
مِنَ
अल्लाह से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह से
shayan
شَيْـًٔاۖ
किसी चीज़ के
huwa
هُوَ
वो
aʿlamu
أَعْلَمُ
ज़्यादा जानने वाला है
bimā
بِمَا
उसे जो
tufīḍūna
تُفِيضُونَ
तुम मश्ग़ूल होते हो
fīhi
فِيهِۖ
जिसमें
kafā
كَفَىٰ
काफ़ी है
bihi
بِهِۦ
उसका
shahīdan
شَهِيدًۢا
गवाह होना
baynī
بَيْنِى
दर्मियान मेरे
wabaynakum
وَبَيْنَكُمْۖ
और दर्मियान तुम्हारे
wahuwa
وَهُوَ
और वो ही है
l-ghafūru
ٱلْغَفُورُ
बहुत बख़्शने वाला
l-raḥīmu
ٱلرَّحِيمُ
निहायत रहम करने वाला
(क्या ईमान लाने से उन्हें कोई चीज़ रोक रही है) या वे कहते है, 'उसने इसे स्वयं ही घड़ लिया है?' कहो, 'यदि मैंने इसे स्वयं घड़ा है तो अल्लाह के विरुद्ध मेरे लिए तुम कुछ भी अधिकार नहीं रखते। जिसके विषय में तुम बातें बनाने में लगे हो, वह उसे भली-भाँति जानता है। और वह मेरे और तुम्हारे बीच गवाह की हैसियत से काफ़ी है। और वही बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है।' ([४६] सूरह अल-अह्काफ़: 8)
Tafseer (तफ़सीर )

قُلْ مَا كُنْتُ بِدْعًا مِّنَ الرُّسُلِ وَمَآ اَدْرِيْ مَا يُفْعَلُ بِيْ وَلَا بِكُمْۗ اِنْ اَتَّبِعُ اِلَّا مَا يُوْحٰٓى اِلَيَّ وَمَآ اَنَا۠ اِلَّا نَذِيْرٌ مُّبِيْنٌ ٩

qul
قُلْ
कह दीजिए
مَا
नहीं
kuntu
كُنتُ
हूँ मैं
bid'ʿan
بِدْعًا
नया /अनोखा
mina
مِّنَ
रसूलों में से
l-rusuli
ٱلرُّسُلِ
रसूलों में से
wamā
وَمَآ
और नहीं
adrī
أَدْرِى
मैं जानता
مَا
क्या
yuf'ʿalu
يُفْعَلُ
किया जाएगा
بِى
मेरे साथ
walā
وَلَا
और ना
bikum
بِكُمْۖ
तुम्हारे साथ
in
إِنْ
नहीं
attabiʿu
أَتَّبِعُ
मैं पैरवी करता
illā
إِلَّا
मगर
مَا
उसकी जो
yūḥā
يُوحَىٰٓ
वही की जाती है
ilayya
إِلَىَّ
मेरी तरफ़
wamā
وَمَآ
और नहीं
anā
أَنَا۠
मैं
illā
إِلَّا
मगर
nadhīrun
نَذِيرٌ
डराने वाला
mubīnun
مُّبِينٌ
खुल्लम-खुल्ला
कह दो, 'मैं कोई पहला रसूल तो नहीं हूँ। और मैं नहीं जानता कि मेरे साथ क्या किया जाएगा और न यह कि तुम्हारे साथ क्या किया जाएगा। मैं तो बस उसी का अनुगामी हूँ, जिसकी प्रकाशना मेरी ओर की जाती है और मैं तो केवल एक स्पष्ट सावधान करनेवाला हूँ।' ([४६] सूरह अल-अह्काफ़: 9)
Tafseer (तफ़सीर )
१०

قُلْ اَرَءَيْتُمْ اِنْ كَانَ مِنْ عِنْدِ اللّٰهِ وَكَفَرْتُمْ بِهٖ وَشَهِدَ شَاهِدٌ مِّنْۢ بَنِيْٓ اِسْرَاۤءِيْلَ عَلٰى مِثْلِهٖ فَاٰمَنَ وَاسْتَكْبَرْتُمْۗ اِنَّ اللّٰهَ لَا يَهْدِى الْقَوْمَ الظّٰلِمِيْنَ ࣖ ١٠

qul
قُلْ
कह दीजिए
ara-aytum
أَرَءَيْتُمْ
क्या देखा तुमने
in
إِن
अगर
kāna
كَانَ
है वो
min
مِنْ
अल्लाह की तरफ़ से
ʿindi
عِندِ
अल्लाह की तरफ़ से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की तरफ़ से
wakafartum
وَكَفَرْتُم
और कुफ़्र किया तुमने
bihi
بِهِۦ
साथ उसके
washahida
وَشَهِدَ
और गवाही दे चुका
shāhidun
شَاهِدٌ
एक गवाह
min
مِّنۢ
बनी इस्राईल में से
banī
بَنِىٓ
बनी इस्राईल में से
is'rāīla
إِسْرَٰٓءِيلَ
बनी इस्राईल में से
ʿalā
عَلَىٰ
इस जैसे (कलाम) पर
mith'lihi
مِثْلِهِۦ
इस जैसे (कलाम) पर
faāmana
فَـَٔامَنَ
पस वो ईमान ले आया
wa-is'takbartum
وَٱسْتَكْبَرْتُمْۖ
और तकब्बुर किया तुमने
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
لَا
नहीं वो हिदायत देता
yahdī
يَهْدِى
नहीं वो हिदायत देता
l-qawma
ٱلْقَوْمَ
उन लोगों को
l-ẓālimīna
ٱلظَّٰلِمِينَ
जो ज़ालिम हैं
कहो, 'क्या तुमने सोचा भी (कि तुम्हारा क्या परिणाम होगा)? यदि वह (क़ुरआन) अल्लाह के यहाँ से हुआ और तुमने उसका इनकार कर दिया, हालाँकि इसराईल की सन्तान में से एक गवाह ने उसके एक भाग की गवाही भी दी। सो वह ईमान ले आया और तुम घमंड में पड़े रहे। अल्लाह तो ज़ालिम लोगों को मार्ग नहीं दिखाता।' ([४६] सूरह अल-अह्काफ़: 10)
Tafseer (तफ़सीर )