تَنْزِيْلُ الْكِتٰبِ مِنَ اللّٰهِ الْعَزِيْزِ الْحَكِيْمِ ٢
- tanzīlu
- تَنزِيلُ
- नाज़िल करना है
- l-kitābi
- ٱلْكِتَٰبِ
- किताब का
- mina
- مِنَ
- अल्लाह की तरफ़ से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की तरफ़ से
- l-ʿazīzi
- ٱلْعَزِيزِ
- जो बहुत ज़बरदस्त है
- l-ḥakīmi
- ٱلْحَكِيمِ
- ख़ूब हिकमत वाला है
इस किताब का अवतरण अल्लाह की ओर से है, जो प्रभुत्वशाली, अत्यन्त तत्वदर्शी है ([४६] सूरह अल-अह्काफ़: 2)Tafseer (तफ़सीर )
مَا خَلَقْنَا السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ وَمَا بَيْنَهُمَآ اِلَّا بِالْحَقِّ وَاَجَلٍ مُّسَمًّىۗ وَالَّذِيْنَ كَفَرُوْا عَمَّآ اُنْذِرُوْا مُعْرِضُوْنَ ٣
- mā
- مَا
- नहीं
- khalaqnā
- خَلَقْنَا
- पैदा किया हमने
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍa
- وَٱلْأَرْضَ
- और ज़मीन को
- wamā
- وَمَا
- और जो कुछ
- baynahumā
- بَيْنَهُمَآ
- दर्मियान है इन दोनों के
- illā
- إِلَّا
- मगर
- bil-ḥaqi
- بِٱلْحَقِّ
- साथ हक़ के
- wa-ajalin
- وَأَجَلٍ
- और वक़्त
- musamman
- مُّسَمًّىۚ
- मुक़र्रर के
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- ʿammā
- عَمَّآ
- उस चीज़ से जो
- undhirū
- أُنذِرُوا۟
- वो डराए गए
- muʿ'riḍūna
- مُعْرِضُونَ
- ऐराज़ करने वाले हैं
हमने आकाशों और धरती को और जो कुछ उन दोनों के मध्य है उसे केवल हक़ के साथ और एक नियत अवधि तक के लिए पैदा किया है। किन्तु जिन लोगों ने इनकार किया है, वे उस चीज़ को ध्यान में नहीं लाते जिससे उन्हें सावधान किया गया है ([४६] सूरह अल-अह्काफ़: 3)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ اَرَءَيْتُمْ مَّا تَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ اَرُوْنِيْ مَاذَا خَلَقُوْا مِنَ الْاَرْضِ اَمْ لَهُمْ شِرْكٌ فِى السَّمٰوٰتِ ۖائْتُوْنِيْ بِكِتٰبٍ مِّنْ قَبْلِ هٰذَآ اَوْ اَثٰرَةٍ مِّنْ عِلْمٍ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِيْنَ ٤
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- ara-aytum
- أَرَءَيْتُم
- क्या देखा तुमने
- mā
- مَّا
- जिन्हें
- tadʿūna
- تَدْعُونَ
- तुम पुकारते हो
- min
- مِن
- सिवाए
- dūni
- دُونِ
- सिवाए
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- arūnī
- أَرُونِى
- दिखाओ मुझे
- mādhā
- مَاذَا
- क्या कुछ
- khalaqū
- خَلَقُوا۟
- उन्होंने पैदा किया है
- mina
- مِنَ
- ज़मीन से
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन से
- am
- أَمْ
- या
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- shir'kun
- شِرْكٌ
- कोई शराकत है
- fī
- فِى
- आसमानों में
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِۖ
- आसमानों में
- i'tūnī
- ٱئْتُونِى
- लाओ मेरे पास
- bikitābin
- بِكِتَٰبٍ
- कोई किताब
- min
- مِّن
- इससे पहले की
- qabli
- قَبْلِ
- इससे पहले की
- hādhā
- هَٰذَآ
- इससे पहले की
- aw
- أَوْ
- या
- athāratin
- أَثَٰرَةٍ
- बाक़ी मान्दा
- min
- مِّنْ
- इल्म में से
- ʿil'min
- عِلْمٍ
- इल्म में से
- in
- إِن
- अगर
- kuntum
- كُنتُمْ
- हो तुम
- ṣādiqīna
- صَٰدِقِينَ
- सच्चे
कहो, 'क्या तुमने उनको देखा भी, जिन्हें तुम अल्लाह को छोड़कर पुकारते हो? मुझे दिखाओ उन्होंने धरती की चीज़ों में से क्या पैदा किया है या आकाशों में उनकी कोई साझेदारी है? मेरे पास इससे पहले की कोई किताब ले आओ या ज्ञान की कोई अवशेष बात ही, यदि तुम सच्चे हो।' ([४६] सूरह अल-अह्काफ़: 4)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَنْ اَضَلُّ مِمَّنْ يَّدْعُوْا مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ مَنْ لَّا يَسْتَجِيْبُ لَهٗٓ اِلٰى يَوْمِ الْقِيٰمَةِ وَهُمْ عَنْ دُعَاۤىِٕهِمْ غٰفِلُوْنَ ٥
- waman
- وَمَنْ
- और कौन
- aḍallu
- أَضَلُّ
- ज़्यादा गुमराह है
- mimman
- مِمَّن
- उससे जो
- yadʿū
- يَدْعُوا۟
- पुकारता है
- min
- مِن
- सिवाए
- dūni
- دُونِ
- सिवाए
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- man
- مَن
- उन्हें जो
- lā
- لَّا
- नहीं वो जवाब दे सकते
- yastajību
- يَسْتَجِيبُ
- नहीं वो जवाब दे सकते
- lahu
- لَهُۥٓ
- उसे
- ilā
- إِلَىٰ
- क़यामत के दिन तक
- yawmi
- يَوْمِ
- क़यामत के दिन तक
- l-qiyāmati
- ٱلْقِيَٰمَةِ
- क़यामत के दिन तक
- wahum
- وَهُمْ
- और वो
- ʿan
- عَن
- उनकी पुकार से
- duʿāihim
- دُعَآئِهِمْ
- उनकी पुकार से
- ghāfilūna
- غَٰفِلُونَ
- गाफ़िल हैं
आख़़िर उस व्यक्ति से बढ़कर पथभ्रष्ट और कौन होगा, जो अल्लाह से हटकर उन्हें पुकारता हो जो क़ियामत के दिन तक उसकी पुकार को स्वीकार नहीं कर सकते, बल्कि वे तो उनकी पुकार से भी बेख़बर है; ([४६] सूरह अल-अह्काफ़: 5)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذَا حُشِرَ النَّاسُ كَانُوْا لَهُمْ اَعْدَاۤءً وَّكَانُوْا بِعِبَادَتِهِمْ كٰفِرِيْنَ ٦
- wa-idhā
- وَإِذَا
- और जब
- ḥushira
- حُشِرَ
- जमा किए जाऐंगे
- l-nāsu
- ٱلنَّاسُ
- लोग
- kānū
- كَانُوا۟
- होंगे वो
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- aʿdāan
- أَعْدَآءً
- दुश्मन
- wakānū
- وَكَانُوا۟
- और होंगे वो
- biʿibādatihim
- بِعِبَادَتِهِمْ
- उनकी इबादत के
- kāfirīna
- كَٰفِرِينَ
- इन्कारी
और जब लोग इकट्ठे किए जाएँगे तो वे उनके शत्रु होंगे औऱ उनकी बन्दगी का इनकार करेंगे ([४६] सूरह अल-अह्काफ़: 6)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذَا تُتْلٰى عَلَيْهِمْ اٰيٰتُنَا بَيِّنٰتٍ قَالَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا لِلْحَقِّ لَمَّا جَاۤءَهُمْۙ هٰذَا سِحْرٌ مُّبِيْنٌۗ ٧
- wa-idhā
- وَإِذَا
- और जब
- tut'lā
- تُتْلَىٰ
- पढ़ी जाती हैं
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْ
- उन पर
- āyātunā
- ءَايَٰتُنَا
- आयात हमारी
- bayyinātin
- بَيِّنَٰتٍ
- वाज़ेह
- qāla
- قَالَ
- कहा
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन्होंने जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- lil'ḥaqqi
- لِلْحَقِّ
- हक़ के बारे में
- lammā
- لَمَّا
- जब
- jāahum
- جَآءَهُمْ
- वो आ गया उनके पास
- hādhā
- هَٰذَا
- ये है
- siḥ'run
- سِحْرٌ
- जादू
- mubīnun
- مُّبِينٌ
- खुल्लम-खुल्ला
जब हमारी स्पष्ट आयतें उन्हें पढ़कर सुनाई जाती है तो वे लोग जिन्होंने इनकार किया, सत्य के विषय में, जबकि वह उनके पास आ गया, कहते है कि 'यह तो खुला जादू है।' ([४६] सूरह अल-अह्काफ़: 7)Tafseer (तफ़सीर )
اَمْ يَقُوْلُوْنَ افْتَرٰىهُ ۗ قُلْ اِنِ افْتَرَيْتُهٗ فَلَا تَمْلِكُوْنَ لِيْ مِنَ اللّٰهِ شَيْـًٔا ۗهُوَ اَعْلَمُ بِمَا تُفِيْضُوْنَ فِيْهِۗ كَفٰى بِهٖ شَهِيْدًا ۢ بَيْنِيْ وَبَيْنَكُمْ ۗ وَهُوَ الْغَفُوْرُ الرَّحِيْمُ ٨
- am
- أَمْ
- या
- yaqūlūna
- يَقُولُونَ
- वो कहते हैं
- if'tarāhu
- ٱفْتَرَىٰهُۖ
- कि इसने गढ़ लिया है उसे
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- ini
- إِنِ
- अगर
- if'taraytuhu
- ٱفْتَرَيْتُهُۥ
- मैं ने गढ़ लिया है उसे
- falā
- فَلَا
- तो नहीं
- tamlikūna
- تَمْلِكُونَ
- तुम मालिक हो सकते
- lī
- لِى
- मेरे लिए
- mina
- مِنَ
- अल्लाह से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह से
- shayan
- شَيْـًٔاۖ
- किसी चीज़ के
- huwa
- هُوَ
- वो
- aʿlamu
- أَعْلَمُ
- ज़्यादा जानने वाला है
- bimā
- بِمَا
- उसे जो
- tufīḍūna
- تُفِيضُونَ
- तुम मश्ग़ूल होते हो
- fīhi
- فِيهِۖ
- जिसमें
- kafā
- كَفَىٰ
- काफ़ी है
- bihi
- بِهِۦ
- उसका
- shahīdan
- شَهِيدًۢا
- गवाह होना
- baynī
- بَيْنِى
- दर्मियान मेरे
- wabaynakum
- وَبَيْنَكُمْۖ
- और दर्मियान तुम्हारे
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो ही है
- l-ghafūru
- ٱلْغَفُورُ
- बहुत बख़्शने वाला
- l-raḥīmu
- ٱلرَّحِيمُ
- निहायत रहम करने वाला
(क्या ईमान लाने से उन्हें कोई चीज़ रोक रही है) या वे कहते है, 'उसने इसे स्वयं ही घड़ लिया है?' कहो, 'यदि मैंने इसे स्वयं घड़ा है तो अल्लाह के विरुद्ध मेरे लिए तुम कुछ भी अधिकार नहीं रखते। जिसके विषय में तुम बातें बनाने में लगे हो, वह उसे भली-भाँति जानता है। और वह मेरे और तुम्हारे बीच गवाह की हैसियत से काफ़ी है। और वही बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है।' ([४६] सूरह अल-अह्काफ़: 8)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ مَا كُنْتُ بِدْعًا مِّنَ الرُّسُلِ وَمَآ اَدْرِيْ مَا يُفْعَلُ بِيْ وَلَا بِكُمْۗ اِنْ اَتَّبِعُ اِلَّا مَا يُوْحٰٓى اِلَيَّ وَمَآ اَنَا۠ اِلَّا نَذِيْرٌ مُّبِيْنٌ ٩
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- mā
- مَا
- नहीं
- kuntu
- كُنتُ
- हूँ मैं
- bid'ʿan
- بِدْعًا
- नया /अनोखा
- mina
- مِّنَ
- रसूलों में से
- l-rusuli
- ٱلرُّسُلِ
- रसूलों में से
- wamā
- وَمَآ
- और नहीं
- adrī
- أَدْرِى
- मैं जानता
- mā
- مَا
- क्या
- yuf'ʿalu
- يُفْعَلُ
- किया जाएगा
- bī
- بِى
- मेरे साथ
- walā
- وَلَا
- और ना
- bikum
- بِكُمْۖ
- तुम्हारे साथ
- in
- إِنْ
- नहीं
- attabiʿu
- أَتَّبِعُ
- मैं पैरवी करता
- illā
- إِلَّا
- मगर
- mā
- مَا
- उसकी जो
- yūḥā
- يُوحَىٰٓ
- वही की जाती है
- ilayya
- إِلَىَّ
- मेरी तरफ़
- wamā
- وَمَآ
- और नहीं
- anā
- أَنَا۠
- मैं
- illā
- إِلَّا
- मगर
- nadhīrun
- نَذِيرٌ
- डराने वाला
- mubīnun
- مُّبِينٌ
- खुल्लम-खुल्ला
कह दो, 'मैं कोई पहला रसूल तो नहीं हूँ। और मैं नहीं जानता कि मेरे साथ क्या किया जाएगा और न यह कि तुम्हारे साथ क्या किया जाएगा। मैं तो बस उसी का अनुगामी हूँ, जिसकी प्रकाशना मेरी ओर की जाती है और मैं तो केवल एक स्पष्ट सावधान करनेवाला हूँ।' ([४६] सूरह अल-अह्काफ़: 9)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ اَرَءَيْتُمْ اِنْ كَانَ مِنْ عِنْدِ اللّٰهِ وَكَفَرْتُمْ بِهٖ وَشَهِدَ شَاهِدٌ مِّنْۢ بَنِيْٓ اِسْرَاۤءِيْلَ عَلٰى مِثْلِهٖ فَاٰمَنَ وَاسْتَكْبَرْتُمْۗ اِنَّ اللّٰهَ لَا يَهْدِى الْقَوْمَ الظّٰلِمِيْنَ ࣖ ١٠
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- ara-aytum
- أَرَءَيْتُمْ
- क्या देखा तुमने
- in
- إِن
- अगर
- kāna
- كَانَ
- है वो
- min
- مِنْ
- अल्लाह की तरफ़ से
- ʿindi
- عِندِ
- अल्लाह की तरफ़ से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की तरफ़ से
- wakafartum
- وَكَفَرْتُم
- और कुफ़्र किया तुमने
- bihi
- بِهِۦ
- साथ उसके
- washahida
- وَشَهِدَ
- और गवाही दे चुका
- shāhidun
- شَاهِدٌ
- एक गवाह
- min
- مِّنۢ
- बनी इस्राईल में से
- banī
- بَنِىٓ
- बनी इस्राईल में से
- is'rāīla
- إِسْرَٰٓءِيلَ
- बनी इस्राईल में से
- ʿalā
- عَلَىٰ
- इस जैसे (कलाम) पर
- mith'lihi
- مِثْلِهِۦ
- इस जैसे (कलाम) पर
- faāmana
- فَـَٔامَنَ
- पस वो ईमान ले आया
- wa-is'takbartum
- وَٱسْتَكْبَرْتُمْۖ
- और तकब्बुर किया तुमने
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- lā
- لَا
- नहीं वो हिदायत देता
- yahdī
- يَهْدِى
- नहीं वो हिदायत देता
- l-qawma
- ٱلْقَوْمَ
- उन लोगों को
- l-ẓālimīna
- ٱلظَّٰلِمِينَ
- जो ज़ालिम हैं
कहो, 'क्या तुमने सोचा भी (कि तुम्हारा क्या परिणाम होगा)? यदि वह (क़ुरआन) अल्लाह के यहाँ से हुआ और तुमने उसका इनकार कर दिया, हालाँकि इसराईल की सन्तान में से एक गवाह ने उसके एक भाग की गवाही भी दी। सो वह ईमान ले आया और तुम घमंड में पड़े रहे। अल्लाह तो ज़ालिम लोगों को मार्ग नहीं दिखाता।' ([४६] सूरह अल-अह्काफ़: 10)Tafseer (तफ़सीर )