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सूरा अल-जाथीया - Page: 4

Al-Jathiyah

(Crouching)

३१

وَاَمَّا الَّذِيْنَ كَفَرُوْاۗ اَفَلَمْ تَكُنْ اٰيٰتِيْ تُتْلٰى عَلَيْكُمْ فَاسْتَكْبَرْتُمْ وَكُنْتُمْ قَوْمًا مُّجْرِمِيْنَ ٣١

wa-ammā
وَأَمَّا
और रहे
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوٓا۟
कुफ़्र किया
afalam
أَفَلَمْ
क्या फिर ना
takun
تَكُنْ
थीं
āyātī
ءَايَٰتِى
आयात मेरी
tut'lā
تُتْلَىٰ
वो पढ़ी जातीं
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
fa-is'takbartum
فَٱسْتَكْبَرْتُمْ
तो तकब्बुर किया तुमने
wakuntum
وَكُنتُمْ
और थे तुम
qawman
قَوْمًا
क़ौम
muj'rimīna
مُّجْرِمِينَ
मुजरिम
रहे वे लोग जिन्होंने इनकार किया (उनसे कहा जाएगा,) 'क्या तुम्हें हमारी आयतें पढ़कर नहीं सुनाई जाती थी? किन्तु तुमने घमंड किया और तुम थे ही अपराधी लोग ([४५] अल-जाथीया: 31)
Tafseer (तफ़सीर )
३२

وَاِذَا قِيْلَ اِنَّ وَعْدَ اللّٰهِ حَقٌّ وَّالسَّاعَةُ لَا رَيْبَ فِيْهَا قُلْتُمْ مَّا نَدْرِيْ مَا السَّاعَةُۙ اِنْ نَّظُنُّ اِلَّا ظَنًّا وَّمَا نَحْنُ بِمُسْتَيْقِنِيْنَ ٣٢

wa-idhā
وَإِذَا
और जब
qīla
قِيلَ
कहा गया
inna
إِنَّ
बेशक
waʿda
وَعْدَ
वादा
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
ḥaqqun
حَقٌّ
सच्चा है
wal-sāʿatu
وَٱلسَّاعَةُ
और क़यामत
لَا
नहीं कोई शक
rayba
رَيْبَ
नहीं कोई शक
fīhā
فِيهَا
उसमें
qul'tum
قُلْتُم
कहा तुमने
مَّا
नहीं
nadrī
نَدْرِى
हम जानते
مَا
क्या है
l-sāʿatu
ٱلسَّاعَةُ
क़यामत
in
إِن
नहीं
naẓunnu
نَّظُنُّ
हम समझते
illā
إِلَّا
मगर
ẓannan
ظَنًّا
एक गुमान ही
wamā
وَمَا
और नहीं हैं
naḥnu
نَحْنُ
हम
bimus'tayqinīna
بِمُسْتَيْقِنِينَ
यक़ीन करने वाले
और जब कहा जाता था कि अल्लाह का वादा सच्चा है और (क़ियामत की) घड़ी में कोई संदेह नहीं हैं। तो तुम कहते थे, 'हम नहीं जानते कि वह घड़ी क्या हैं? तो तुम कहते थे, 'हम नहीं जानते कि वह घड़ी क्या है? हमें तो बस एक अनुमान-सा प्रतीत होता है और हमें विश्वास नहीं होता।'' ([४५] अल-जाथीया: 32)
Tafseer (तफ़सीर )
३३

وَبَدَا لَهُمْ سَيِّاٰتُ مَا عَمِلُوْا وَحَاقَ بِهِمْ مَّا كَانُوْا بِهٖ يَسْتَهْزِءُوْنَ ٣٣

wabadā
وَبَدَا
और ज़ाहिर हो जाऐंगी
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
sayyiātu
سَيِّـَٔاتُ
बुराइयाँ
مَا
उनकी जो
ʿamilū
عَمِلُوا۟
उन्होंने अमल किए
waḥāqa
وَحَاقَ
और घेर लेगा
bihim
بِهِم
उन्हें
مَّا
वो जो
kānū
كَانُوا۟
थे वो
bihi
بِهِۦ
जिसका
yastahziūna
يَسْتَهْزِءُونَ
वो मज़ाक़ उड़ाया करते
और जो कुछ वे करते रहे उसकी बुराइयाँ उनपर प्रकट हो गई और जिस चीज़ का वे परिहास करते थे उसी ने उन्हें आ घेरा ([४५] अल-जाथीया: 33)
Tafseer (तफ़सीर )
३४

وَقِيْلَ الْيَوْمَ نَنْسٰىكُمْ كَمَا نَسِيْتُمْ لِقَاۤءَ يَوْمِكُمْ هٰذَاۙ وَمَأْوٰىكُمُ النَّارُ وَمَا لَكُمْ مِّنْ نّٰصِرِيْنَ ٣٤

waqīla
وَقِيلَ
और कह दिया जाएगा
l-yawma
ٱلْيَوْمَ
आज
nansākum
نَنسَىٰكُمْ
हम भुला देंगे तुम्हें
kamā
كَمَا
जैसा कि
nasītum
نَسِيتُمْ
भुला दिया तुमने
liqāa
لِقَآءَ
मुलाक़ात को
yawmikum
يَوْمِكُمْ
अपने इस दिन की
hādhā
هَٰذَا
अपने इस दिन की
wamawākumu
وَمَأْوَىٰكُمُ
और ठिकाना तुम्हारा
l-nāru
ٱلنَّارُ
आग है
wamā
وَمَا
और नहीं
lakum
لَكُم
तुम्हारे लिए
min
مِّن
मददगारों में से कोई
nāṣirīna
نَّٰصِرِينَ
मददगारों में से कोई
और कह दिया जाएगा कि 'आज हम तुम्हें भुला देते हैं जैसे तुमने इस दिन की भेंट को भुला रखा था। तुम्हारा ठिकाना अब आग है और तुम्हारा कोई सहायक नहीं ([४५] अल-जाथीया: 34)
Tafseer (तफ़सीर )
३५

ذٰلِكُمْ بِاَنَّكُمُ اتَّخَذْتُمْ اٰيٰتِ اللّٰهِ هُزُوًا وَّغَرَّتْكُمُ الْحَيٰوةُ الدُّنْيَا ۚفَالْيَوْمَ لَا يُخْرَجُوْنَ مِنْهَا وَلَا هُمْ يُسْتَعْتَبُوْنَ ٣٥

dhālikum
ذَٰلِكُم
ये बात
bi-annakumu
بِأَنَّكُمُ
बवजह उसके कि तुम
ittakhadhtum
ٱتَّخَذْتُمْ
बना लिया तुमने
āyāti
ءَايَٰتِ
आयात को
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
huzuwan
هُزُوًا
मज़ाक़
wagharratkumu
وَغَرَّتْكُمُ
और धोखा दिया तुम्हें
l-ḥayatu
ٱلْحَيَوٰةُ
ज़िन्दगी ने
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَاۚ
दुनिया की
fal-yawma
فَٱلْيَوْمَ
तो आज
لَا
ना वो निकाले जाऐंगे
yukh'rajūna
يُخْرَجُونَ
ना वो निकाले जाऐंगे
min'hā
مِنْهَا
उससे
walā
وَلَا
और नहीं
hum
هُمْ
वो
yus'taʿtabūna
يُسْتَعْتَبُونَ
वो उज़्र क़ुबूल किए जाऐंगे
यह इस कारण कि तुमने अल्लाह की आयतों की हँसी उड़ाई थी और सांसारिक जीवन ने तुम्हें धोखे में डाले रखा।' अतः आज वे न तो उससे निकाले जाएँगे और न उनसे यह चाहा जाएगा कि वे किसी उपाय से (अल्लाह के) प्रकोप को दूर कर सकें ([४५] अल-जाथीया: 35)
Tafseer (तफ़सीर )
३६

فَلِلّٰهِ الْحَمْدُ رَبِّ السَّمٰوٰتِ وَرَبِّ الْاَرْضِ رَبِّ الْعٰلَمِيْنَ ٣٦

falillahi
فَلِلَّهِ
पस अल्लाह ही के लिए है
l-ḥamdu
ٱلْحَمْدُ
सब तारीफ़
rabbi
رَبِّ
जो रब है
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों का
warabbi
وَرَبِّ
और रब है
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन का
rabbi
رَبِّ
जो रब है
l-ʿālamīna
ٱلْعَٰلَمِينَ
तमाम जहानों का
अतः सारी प्रशंसा अल्लाह ही के लिए है जो आकाशों का रब और घरती का रब, सारे संसार का रब है ([४५] अल-जाथीया: 36)
Tafseer (तफ़सीर )
३७

وَلَهُ الْكِبْرِيَاۤءُ فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ۗوَهُوَ الْعَزِيْزُ الْحَكِيْمُ ࣖ ۔ ٣٧

walahu
وَلَهُ
और उसी के लिए है
l-kib'riyāu
ٱلْكِبْرِيَآءُ
बड़ाई
فِى
आसमानों में
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों में
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِۖ
और ज़मीन में
wahuwa
وَهُوَ
और वो
l-ʿazīzu
ٱلْعَزِيزُ
बहुत ज़बरदस्त है
l-ḥakīmu
ٱلْحَكِيمُ
ख़ूब हिकमत वाला है
आकाशों और धरती में बड़ाई उसी के लिए है, और वही प्रभुत्वशाली, अत्यन्त तत्वदर्शी है ([४५] अल-जाथीया: 37)
Tafseer (तफ़सीर )