وَاَمَّا الَّذِيْنَ كَفَرُوْاۗ اَفَلَمْ تَكُنْ اٰيٰتِيْ تُتْلٰى عَلَيْكُمْ فَاسْتَكْبَرْتُمْ وَكُنْتُمْ قَوْمًا مُّجْرِمِيْنَ ٣١
- wa-ammā
- وَأَمَّا
- और रहे
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوٓا۟
- कुफ़्र किया
- afalam
- أَفَلَمْ
- क्या फिर ना
- takun
- تَكُنْ
- थीं
- āyātī
- ءَايَٰتِى
- आयात मेरी
- tut'lā
- تُتْلَىٰ
- वो पढ़ी जातीं
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- fa-is'takbartum
- فَٱسْتَكْبَرْتُمْ
- तो तकब्बुर किया तुमने
- wakuntum
- وَكُنتُمْ
- और थे तुम
- qawman
- قَوْمًا
- क़ौम
- muj'rimīna
- مُّجْرِمِينَ
- मुजरिम
रहे वे लोग जिन्होंने इनकार किया (उनसे कहा जाएगा,) 'क्या तुम्हें हमारी आयतें पढ़कर नहीं सुनाई जाती थी? किन्तु तुमने घमंड किया और तुम थे ही अपराधी लोग ([४५] अल-जाथीया: 31)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذَا قِيْلَ اِنَّ وَعْدَ اللّٰهِ حَقٌّ وَّالسَّاعَةُ لَا رَيْبَ فِيْهَا قُلْتُمْ مَّا نَدْرِيْ مَا السَّاعَةُۙ اِنْ نَّظُنُّ اِلَّا ظَنًّا وَّمَا نَحْنُ بِمُسْتَيْقِنِيْنَ ٣٢
- wa-idhā
- وَإِذَا
- और जब
- qīla
- قِيلَ
- कहा गया
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- waʿda
- وَعْدَ
- वादा
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह का
- ḥaqqun
- حَقٌّ
- सच्चा है
- wal-sāʿatu
- وَٱلسَّاعَةُ
- और क़यामत
- lā
- لَا
- नहीं कोई शक
- rayba
- رَيْبَ
- नहीं कोई शक
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- qul'tum
- قُلْتُم
- कहा तुमने
- mā
- مَّا
- नहीं
- nadrī
- نَدْرِى
- हम जानते
- mā
- مَا
- क्या है
- l-sāʿatu
- ٱلسَّاعَةُ
- क़यामत
- in
- إِن
- नहीं
- naẓunnu
- نَّظُنُّ
- हम समझते
- illā
- إِلَّا
- मगर
- ẓannan
- ظَنًّا
- एक गुमान ही
- wamā
- وَمَا
- और नहीं हैं
- naḥnu
- نَحْنُ
- हम
- bimus'tayqinīna
- بِمُسْتَيْقِنِينَ
- यक़ीन करने वाले
और जब कहा जाता था कि अल्लाह का वादा सच्चा है और (क़ियामत की) घड़ी में कोई संदेह नहीं हैं। तो तुम कहते थे, 'हम नहीं जानते कि वह घड़ी क्या हैं? तो तुम कहते थे, 'हम नहीं जानते कि वह घड़ी क्या है? हमें तो बस एक अनुमान-सा प्रतीत होता है और हमें विश्वास नहीं होता।'' ([४५] अल-जाथीया: 32)Tafseer (तफ़सीर )
وَبَدَا لَهُمْ سَيِّاٰتُ مَا عَمِلُوْا وَحَاقَ بِهِمْ مَّا كَانُوْا بِهٖ يَسْتَهْزِءُوْنَ ٣٣
- wabadā
- وَبَدَا
- और ज़ाहिर हो जाऐंगी
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- sayyiātu
- سَيِّـَٔاتُ
- बुराइयाँ
- mā
- مَا
- उनकी जो
- ʿamilū
- عَمِلُوا۟
- उन्होंने अमल किए
- waḥāqa
- وَحَاقَ
- और घेर लेगा
- bihim
- بِهِم
- उन्हें
- mā
- مَّا
- वो जो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- bihi
- بِهِۦ
- जिसका
- yastahziūna
- يَسْتَهْزِءُونَ
- वो मज़ाक़ उड़ाया करते
और जो कुछ वे करते रहे उसकी बुराइयाँ उनपर प्रकट हो गई और जिस चीज़ का वे परिहास करते थे उसी ने उन्हें आ घेरा ([४५] अल-जाथीया: 33)Tafseer (तफ़सीर )
وَقِيْلَ الْيَوْمَ نَنْسٰىكُمْ كَمَا نَسِيْتُمْ لِقَاۤءَ يَوْمِكُمْ هٰذَاۙ وَمَأْوٰىكُمُ النَّارُ وَمَا لَكُمْ مِّنْ نّٰصِرِيْنَ ٣٤
- waqīla
- وَقِيلَ
- और कह दिया जाएगा
- l-yawma
- ٱلْيَوْمَ
- आज
- nansākum
- نَنسَىٰكُمْ
- हम भुला देंगे तुम्हें
- kamā
- كَمَا
- जैसा कि
- nasītum
- نَسِيتُمْ
- भुला दिया तुमने
- liqāa
- لِقَآءَ
- मुलाक़ात को
- yawmikum
- يَوْمِكُمْ
- अपने इस दिन की
- hādhā
- هَٰذَا
- अपने इस दिन की
- wamawākumu
- وَمَأْوَىٰكُمُ
- और ठिकाना तुम्हारा
- l-nāru
- ٱلنَّارُ
- आग है
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- lakum
- لَكُم
- तुम्हारे लिए
- min
- مِّن
- मददगारों में से कोई
- nāṣirīna
- نَّٰصِرِينَ
- मददगारों में से कोई
और कह दिया जाएगा कि 'आज हम तुम्हें भुला देते हैं जैसे तुमने इस दिन की भेंट को भुला रखा था। तुम्हारा ठिकाना अब आग है और तुम्हारा कोई सहायक नहीं ([४५] अल-जाथीया: 34)Tafseer (तफ़सीर )
ذٰلِكُمْ بِاَنَّكُمُ اتَّخَذْتُمْ اٰيٰتِ اللّٰهِ هُزُوًا وَّغَرَّتْكُمُ الْحَيٰوةُ الدُّنْيَا ۚفَالْيَوْمَ لَا يُخْرَجُوْنَ مِنْهَا وَلَا هُمْ يُسْتَعْتَبُوْنَ ٣٥
- dhālikum
- ذَٰلِكُم
- ये बात
- bi-annakumu
- بِأَنَّكُمُ
- बवजह उसके कि तुम
- ittakhadhtum
- ٱتَّخَذْتُمْ
- बना लिया तुमने
- āyāti
- ءَايَٰتِ
- आयात को
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- huzuwan
- هُزُوًا
- मज़ाक़
- wagharratkumu
- وَغَرَّتْكُمُ
- और धोखा दिया तुम्हें
- l-ḥayatu
- ٱلْحَيَوٰةُ
- ज़िन्दगी ने
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَاۚ
- दुनिया की
- fal-yawma
- فَٱلْيَوْمَ
- तो आज
- lā
- لَا
- ना वो निकाले जाऐंगे
- yukh'rajūna
- يُخْرَجُونَ
- ना वो निकाले जाऐंगे
- min'hā
- مِنْهَا
- उससे
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- hum
- هُمْ
- वो
- yus'taʿtabūna
- يُسْتَعْتَبُونَ
- वो उज़्र क़ुबूल किए जाऐंगे
यह इस कारण कि तुमने अल्लाह की आयतों की हँसी उड़ाई थी और सांसारिक जीवन ने तुम्हें धोखे में डाले रखा।' अतः आज वे न तो उससे निकाले जाएँगे और न उनसे यह चाहा जाएगा कि वे किसी उपाय से (अल्लाह के) प्रकोप को दूर कर सकें ([४५] अल-जाथीया: 35)Tafseer (तफ़सीर )
فَلِلّٰهِ الْحَمْدُ رَبِّ السَّمٰوٰتِ وَرَبِّ الْاَرْضِ رَبِّ الْعٰلَمِيْنَ ٣٦
- falillahi
- فَلِلَّهِ
- पस अल्लाह ही के लिए है
- l-ḥamdu
- ٱلْحَمْدُ
- सब तारीफ़
- rabbi
- رَبِّ
- जो रब है
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों का
- warabbi
- وَرَبِّ
- और रब है
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन का
- rabbi
- رَبِّ
- जो रब है
- l-ʿālamīna
- ٱلْعَٰلَمِينَ
- तमाम जहानों का
अतः सारी प्रशंसा अल्लाह ही के लिए है जो आकाशों का रब और घरती का रब, सारे संसार का रब है ([४५] अल-जाथीया: 36)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَهُ الْكِبْرِيَاۤءُ فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ۗوَهُوَ الْعَزِيْزُ الْحَكِيْمُ ࣖ ۔ ٣٧
- walahu
- وَلَهُ
- और उसी के लिए है
- l-kib'riyāu
- ٱلْكِبْرِيَآءُ
- बड़ाई
- fī
- فِى
- आसमानों में
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों में
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِۖ
- और ज़मीन में
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- l-ʿazīzu
- ٱلْعَزِيزُ
- बहुत ज़बरदस्त है
- l-ḥakīmu
- ٱلْحَكِيمُ
- ख़ूब हिकमत वाला है
आकाशों और धरती में बड़ाई उसी के लिए है, और वही प्रभुत्वशाली, अत्यन्त तत्वदर्शी है ([४५] अल-जाथीया: 37)Tafseer (तफ़सीर )