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सूरा अल-जाथीया - शब्द द्वारा शब्द

Al-Jathiyah

(Crouching)

bismillaahirrahmaanirrahiim

حٰمۤ ١

hha-meem
حمٓ
ح م
हा॰ मीम॰ ([४५] अल-जाथीया: 1)
Tafseer (तफ़सीर )

تَنْزِيْلُ الْكِتٰبِ مِنَ اللّٰهِ الْعَزِيْزِ الْحَكِيْمِ ٢

tanzīlu
تَنزِيلُ
नाज़िल करना है
l-kitābi
ٱلْكِتَٰبِ
किताब का
mina
مِنَ
अल्लाह की तरफ़ से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की तरफ़ से
l-ʿazīzi
ٱلْعَزِيزِ
जो बहुत ज़बरदस्त है
l-ḥakīmi
ٱلْحَكِيمِ
ख़ूब हिकमत वाला है
इस किताब का अवतरण अल्लाह की ओर से है, जो अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है। - ([४५] अल-जाथीया: 2)
Tafseer (तफ़सीर )

اِنَّ فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ لَاٰيٰتٍ لِّلْمُؤْمِنِيْنَۗ ٣

inna
إِنَّ
बेशक
فِى
आसमानों में
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों में
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِ
और ज़मीन में
laāyātin
لَءَايَٰتٍ
अलबत्ता निशानियाँ हैं
lil'mu'minīna
لِّلْمُؤْمِنِينَ
ईमान वालों के लिए
निस्संदेह आकाशों और धरती में ईमानवालों के लिए बहुत-सी निशानियाँ है ([४५] अल-जाथीया: 3)
Tafseer (तफ़सीर )

وَفِيْ خَلْقِكُمْ وَمَا يَبُثُّ مِنْ دَاۤبَّةٍ اٰيٰتٌ لِّقَوْمٍ يُّوْقِنُوْنَۙ ٤

wafī
وَفِى
और तुम्हारी पैदाइश में
khalqikum
خَلْقِكُمْ
और तुम्हारी पैदाइश में
wamā
وَمَا
और जो
yabuthu
يَبُثُّ
वो फैलाता है
min
مِن
जानदारों में से
dābbatin
دَآبَّةٍ
जानदारों में से
āyātun
ءَايَٰتٌ
निशानियाँ हैं
liqawmin
لِّقَوْمٍ
उन लोगों के लिए
yūqinūna
يُوقِنُونَ
जो यक़ीन रखते हैं
और तुम्हारी संरचना में, और उनकी भी जो जानवर वह फैलाता रहता है, निशानियाँ है उन लोगों के लिए जो विश्वास करें ([४५] अल-जाथीया: 4)
Tafseer (तफ़सीर )

وَاخْتِلَافِ الَّيْلِ وَالنَّهَارِ وَمَآ اَنْزَلَ اللّٰهُ مِنَ السَّمَاۤءِ مِنْ رِّزْقٍ فَاَحْيَا بِهِ الْاَرْضَ بَعْدَ مَوْتِهَا وَتَصْرِيْفِ الرِّيٰحِ اٰيٰتٌ لِّقَوْمٍ يَّعْقِلُوْنَ ٥

wa-ikh'tilāfi
وَٱخْتِلَٰفِ
और इख़्तिलाफ़ में
al-layli
ٱلَّيْلِ
रात
wal-nahāri
وَٱلنَّهَارِ
और दिन के
wamā
وَمَآ
और जो
anzala
أَنزَلَ
उतारा
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
mina
مِنَ
आसमान से
l-samāi
ٱلسَّمَآءِ
आसमान से
min
مِن
रिज़्क़ में से
riz'qin
رِّزْقٍ
रिज़्क़ में से
fa-aḥyā
فَأَحْيَا
फिर उसने ज़िन्दा किया
bihi
بِهِ
साथ उसके
l-arḍa
ٱلْأَرْضَ
ज़मीन को
baʿda
بَعْدَ
बाद
mawtihā
مَوْتِهَا
उसकी मौत के
wataṣrīfi
وَتَصْرِيفِ
और गर्दिश में
l-riyāḥi
ٱلرِّيَٰحِ
हवाओं की
āyātun
ءَايَٰتٌ
निशानियाँ हैं
liqawmin
لِّقَوْمٍ
उन लोगों के लिए
yaʿqilūna
يَعْقِلُونَ
जो अक़्ल रखते हैं
और रात और दिन के उलट-फेर में भी, और उस रोज़ी (पानी) में भी जिसे अल्लाह ने आकाश से उतारा, फिर उसके द्वारा धरती को उसके उन मुर्दा हो जाने के पश्चात जीवित किया और हवाओं की गर्दिश में भीलोगों के लिए बहुत-सी निशानियाँ है जो बुद्धि से काम लें ([४५] अल-जाथीया: 5)
Tafseer (तफ़सीर )

تِلْكَ اٰيٰتُ اللّٰهِ نَتْلُوْهَا عَلَيْكَ بِالْحَقِّۚ فَبِاَيِّ حَدِيْثٍۢ بَعْدَ اللّٰهِ وَاٰيٰتِهٖ يُؤْمِنُوْنَ ٦

til'ka
تِلْكَ
ये
āyātu
ءَايَٰتُ
आयात हैं
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
natlūhā
نَتْلُوهَا
हम पढ़ते हैं उन्हें
ʿalayka
عَلَيْكَ
आप पर
bil-ḥaqi
بِٱلْحَقِّۖ
साथ हक़ के
fabi-ayyi
فَبِأَىِّ
तो साथ किस
ḥadīthin
حَدِيثٍۭ
बात के
baʿda
بَعْدَ
बाद
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
waāyātihi
وَءَايَٰتِهِۦ
और उसकी आयात के
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
वो ईमान लाऐंगे
ये अल्लाह की आयतें हैं, हम उन्हें हक़ के साथ तुमको सुना रहे हैं। अब आख़िर अल्लाह और उसकी आयतों के पश्चात और कौन-सी बात है जिसपर वे ईमान लाएँगे? ([४५] अल-जाथीया: 6)
Tafseer (तफ़सीर )

وَيْلٌ لِّكُلِّ اَفَّاكٍ اَثِيْمٍۙ ٧

waylun
وَيْلٌ
हलाकत है
likulli
لِّكُلِّ
वास्ते हर
affākin
أَفَّاكٍ
बहुत झूठे
athīmin
أَثِيمٍ
बहुत गुनहगार के
तबाही है हर झूठ घड़नेवाले गुनहगार के लिए, ([४५] अल-जाथीया: 7)
Tafseer (तफ़सीर )

يَّسْمَعُ اٰيٰتِ اللّٰهِ تُتْلٰى عَلَيْهِ ثُمَّ يُصِرُّ مُسْتَكْبِرًا كَاَنْ لَّمْ يَسْمَعْهَاۚ فَبَشِّرْهُ بِعَذَابٍ اَلِيْمٍ ٨

yasmaʿu
يَسْمَعُ
वो सुनता है
āyāti
ءَايَٰتِ
आयात को
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
tut'lā
تُتْلَىٰ
जो पढ़ी जाती हैं
ʿalayhi
عَلَيْهِ
उस पर
thumma
ثُمَّ
फिर
yuṣirru
يُصِرُّ
वो इसरार करता है
mus'takbiran
مُسْتَكْبِرًا
तकब्बुर करते हुए
ka-an
كَأَن
गोया कि
lam
لَّمْ
नहीं
yasmaʿhā
يَسْمَعْهَاۖ
उसने सुना उन्हें
fabashir'hu
فَبَشِّرْهُ
तो ख़ुशख़बरी दे दीजिए उसे
biʿadhābin
بِعَذَابٍ
अज़ाब
alīmin
أَلِيمٍ
दर्दनाक की
जो अल्लाह की उन आयतों को सुनता है जो उसे पढ़कर सुनाई जाती है। फिर घमंड के साथ अपनी (इनकार की) नीति पर अड़ा रहता है मानो उसने उनको सुना ही नहीं। अतः उसको दुखद यातना की शुभ सूचना दे दो ([४५] अल-जाथीया: 8)
Tafseer (तफ़सीर )

وَاِذَا عَلِمَ مِنْ اٰيٰتِنَا شَيْـًٔا ۨاتَّخَذَهَا هُزُوًاۗ اُولٰۤىِٕكَ لَهُمْ عَذَابٌ مُّهِيْنٌۗ ٩

wa-idhā
وَإِذَا
और जब
ʿalima
عَلِمَ
वो जान लेता है
min
مِنْ
हमारी आयात में से
āyātinā
ءَايَٰتِنَا
हमारी आयात में से
shayan
شَيْـًٔا
कोई चीज़
ittakhadhahā
ٱتَّخَذَهَا
वो बना लेता है उसे
huzuwan
هُزُوًاۚ
मज़ाक़
ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
ʿadhābun
عَذَابٌ
अज़ाब है
muhīnun
مُّهِينٌ
ज़लील करने वाला
जब हमारी आयतों में से कोई बात वह जान लेता है तो वह उनका परिहास करता है, ऐसे लोगों के लिए रुसवा कर देनेवाली यातना है ([४५] अल-जाथीया: 9)
Tafseer (तफ़सीर )
१०

مِنْ وَّرَاۤىِٕهِمْ جَهَنَّمُ ۚوَلَا يُغْنِيْ عَنْهُمْ مَّا كَسَبُوْا شَيْـًٔا وَّلَا مَا اتَّخَذُوْا مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ اَوْلِيَاۤءَۚ وَلَهُمْ عَذَابٌ عَظِيْمٌۗ ١٠

min
مِّن
उनके आगे
warāihim
وَرَآئِهِمْ
उनके आगे
jahannamu
جَهَنَّمُۖ
जहन्नम है
walā
وَلَا
और ना
yugh'nī
يُغْنِى
काम आएगा
ʿanhum
عَنْهُم
उन्हें
مَّا
जो
kasabū
كَسَبُوا۟
उन्होंने ने कमाया
shayan
شَيْـًٔا
कुछ भी
walā
وَلَا
और ना
مَا
वो जो
ittakhadhū
ٱتَّخَذُوا۟
उन्होंने बना लिए
min
مِن
सिवाय
dūni
دُونِ
सिवाय
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
awliyāa
أَوْلِيَآءَۖ
हिमायती
walahum
وَلَهُمْ
और उनके लिए
ʿadhābun
عَذَابٌ
अज़ाब है
ʿaẓīmun
عَظِيمٌ
बहुत बड़ा
उनके आगे जहन्नम है, जो उन्होंने कमाया वह उनके कुछ काम न आएगा और न यही कि उन्होंने अल्लाह को छोड़कर अपने संरक्षक ठहरा रखे है। उनके लिए तो बड़ी यातना है ([४५] अल-जाथीया: 10)
Tafseer (तफ़सीर )