تَنْزِيْلُ الْكِتٰبِ مِنَ اللّٰهِ الْعَزِيْزِ الْحَكِيْمِ ٢
- tanzīlu
- تَنزِيلُ
- नाज़िल करना है
- l-kitābi
- ٱلْكِتَٰبِ
- किताब का
- mina
- مِنَ
- अल्लाह की तरफ़ से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की तरफ़ से
- l-ʿazīzi
- ٱلْعَزِيزِ
- जो बहुत ज़बरदस्त है
- l-ḥakīmi
- ٱلْحَكِيمِ
- ख़ूब हिकमत वाला है
इस किताब का अवतरण अल्लाह की ओर से है, जो अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है। - ([४५] अल-जाथीया: 2)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ لَاٰيٰتٍ لِّلْمُؤْمِنِيْنَۗ ٣
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- fī
- فِى
- आसमानों में
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों में
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِ
- और ज़मीन में
- laāyātin
- لَءَايَٰتٍ
- अलबत्ता निशानियाँ हैं
- lil'mu'minīna
- لِّلْمُؤْمِنِينَ
- ईमान वालों के लिए
निस्संदेह आकाशों और धरती में ईमानवालों के लिए बहुत-सी निशानियाँ है ([४५] अल-जाथीया: 3)Tafseer (तफ़सीर )
وَفِيْ خَلْقِكُمْ وَمَا يَبُثُّ مِنْ دَاۤبَّةٍ اٰيٰتٌ لِّقَوْمٍ يُّوْقِنُوْنَۙ ٤
- wafī
- وَفِى
- और तुम्हारी पैदाइश में
- khalqikum
- خَلْقِكُمْ
- और तुम्हारी पैदाइश में
- wamā
- وَمَا
- और जो
- yabuthu
- يَبُثُّ
- वो फैलाता है
- min
- مِن
- जानदारों में से
- dābbatin
- دَآبَّةٍ
- जानदारों में से
- āyātun
- ءَايَٰتٌ
- निशानियाँ हैं
- liqawmin
- لِّقَوْمٍ
- उन लोगों के लिए
- yūqinūna
- يُوقِنُونَ
- जो यक़ीन रखते हैं
और तुम्हारी संरचना में, और उनकी भी जो जानवर वह फैलाता रहता है, निशानियाँ है उन लोगों के लिए जो विश्वास करें ([४५] अल-जाथीया: 4)Tafseer (तफ़सीर )
وَاخْتِلَافِ الَّيْلِ وَالنَّهَارِ وَمَآ اَنْزَلَ اللّٰهُ مِنَ السَّمَاۤءِ مِنْ رِّزْقٍ فَاَحْيَا بِهِ الْاَرْضَ بَعْدَ مَوْتِهَا وَتَصْرِيْفِ الرِّيٰحِ اٰيٰتٌ لِّقَوْمٍ يَّعْقِلُوْنَ ٥
- wa-ikh'tilāfi
- وَٱخْتِلَٰفِ
- और इख़्तिलाफ़ में
- al-layli
- ٱلَّيْلِ
- रात
- wal-nahāri
- وَٱلنَّهَارِ
- और दिन के
- wamā
- وَمَآ
- और जो
- anzala
- أَنزَلَ
- उतारा
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- mina
- مِنَ
- आसमान से
- l-samāi
- ٱلسَّمَآءِ
- आसमान से
- min
- مِن
- रिज़्क़ में से
- riz'qin
- رِّزْقٍ
- रिज़्क़ में से
- fa-aḥyā
- فَأَحْيَا
- फिर उसने ज़िन्दा किया
- bihi
- بِهِ
- साथ उसके
- l-arḍa
- ٱلْأَرْضَ
- ज़मीन को
- baʿda
- بَعْدَ
- बाद
- mawtihā
- مَوْتِهَا
- उसकी मौत के
- wataṣrīfi
- وَتَصْرِيفِ
- और गर्दिश में
- l-riyāḥi
- ٱلرِّيَٰحِ
- हवाओं की
- āyātun
- ءَايَٰتٌ
- निशानियाँ हैं
- liqawmin
- لِّقَوْمٍ
- उन लोगों के लिए
- yaʿqilūna
- يَعْقِلُونَ
- जो अक़्ल रखते हैं
और रात और दिन के उलट-फेर में भी, और उस रोज़ी (पानी) में भी जिसे अल्लाह ने आकाश से उतारा, फिर उसके द्वारा धरती को उसके उन मुर्दा हो जाने के पश्चात जीवित किया और हवाओं की गर्दिश में भीलोगों के लिए बहुत-सी निशानियाँ है जो बुद्धि से काम लें ([४५] अल-जाथीया: 5)Tafseer (तफ़सीर )
تِلْكَ اٰيٰتُ اللّٰهِ نَتْلُوْهَا عَلَيْكَ بِالْحَقِّۚ فَبِاَيِّ حَدِيْثٍۢ بَعْدَ اللّٰهِ وَاٰيٰتِهٖ يُؤْمِنُوْنَ ٦
- til'ka
- تِلْكَ
- ये
- āyātu
- ءَايَٰتُ
- आयात हैं
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- natlūhā
- نَتْلُوهَا
- हम पढ़ते हैं उन्हें
- ʿalayka
- عَلَيْكَ
- आप पर
- bil-ḥaqi
- بِٱلْحَقِّۖ
- साथ हक़ के
- fabi-ayyi
- فَبِأَىِّ
- तो साथ किस
- ḥadīthin
- حَدِيثٍۭ
- बात के
- baʿda
- بَعْدَ
- बाद
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- waāyātihi
- وَءَايَٰتِهِۦ
- और उसकी आयात के
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- वो ईमान लाऐंगे
ये अल्लाह की आयतें हैं, हम उन्हें हक़ के साथ तुमको सुना रहे हैं। अब आख़िर अल्लाह और उसकी आयतों के पश्चात और कौन-सी बात है जिसपर वे ईमान लाएँगे? ([४५] अल-जाथीया: 6)Tafseer (तफ़सीर )
وَيْلٌ لِّكُلِّ اَفَّاكٍ اَثِيْمٍۙ ٧
- waylun
- وَيْلٌ
- हलाकत है
- likulli
- لِّكُلِّ
- वास्ते हर
- affākin
- أَفَّاكٍ
- बहुत झूठे
- athīmin
- أَثِيمٍ
- बहुत गुनहगार के
तबाही है हर झूठ घड़नेवाले गुनहगार के लिए, ([४५] अल-जाथीया: 7)Tafseer (तफ़सीर )
يَّسْمَعُ اٰيٰتِ اللّٰهِ تُتْلٰى عَلَيْهِ ثُمَّ يُصِرُّ مُسْتَكْبِرًا كَاَنْ لَّمْ يَسْمَعْهَاۚ فَبَشِّرْهُ بِعَذَابٍ اَلِيْمٍ ٨
- yasmaʿu
- يَسْمَعُ
- वो सुनता है
- āyāti
- ءَايَٰتِ
- आयात को
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- tut'lā
- تُتْلَىٰ
- जो पढ़ी जाती हैं
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- उस पर
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- yuṣirru
- يُصِرُّ
- वो इसरार करता है
- mus'takbiran
- مُسْتَكْبِرًا
- तकब्बुर करते हुए
- ka-an
- كَأَن
- गोया कि
- lam
- لَّمْ
- नहीं
- yasmaʿhā
- يَسْمَعْهَاۖ
- उसने सुना उन्हें
- fabashir'hu
- فَبَشِّرْهُ
- तो ख़ुशख़बरी दे दीजिए उसे
- biʿadhābin
- بِعَذَابٍ
- अज़ाब
- alīmin
- أَلِيمٍ
- दर्दनाक की
जो अल्लाह की उन आयतों को सुनता है जो उसे पढ़कर सुनाई जाती है। फिर घमंड के साथ अपनी (इनकार की) नीति पर अड़ा रहता है मानो उसने उनको सुना ही नहीं। अतः उसको दुखद यातना की शुभ सूचना दे दो ([४५] अल-जाथीया: 8)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذَا عَلِمَ مِنْ اٰيٰتِنَا شَيْـًٔا ۨاتَّخَذَهَا هُزُوًاۗ اُولٰۤىِٕكَ لَهُمْ عَذَابٌ مُّهِيْنٌۗ ٩
- wa-idhā
- وَإِذَا
- और जब
- ʿalima
- عَلِمَ
- वो जान लेता है
- min
- مِنْ
- हमारी आयात में से
- āyātinā
- ءَايَٰتِنَا
- हमारी आयात में से
- shayan
- شَيْـًٔا
- कोई चीज़
- ittakhadhahā
- ٱتَّخَذَهَا
- वो बना लेता है उसे
- huzuwan
- هُزُوًاۚ
- मज़ाक़
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग हैं
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- ʿadhābun
- عَذَابٌ
- अज़ाब है
- muhīnun
- مُّهِينٌ
- ज़लील करने वाला
जब हमारी आयतों में से कोई बात वह जान लेता है तो वह उनका परिहास करता है, ऐसे लोगों के लिए रुसवा कर देनेवाली यातना है ([४५] अल-जाथीया: 9)Tafseer (तफ़सीर )
مِنْ وَّرَاۤىِٕهِمْ جَهَنَّمُ ۚوَلَا يُغْنِيْ عَنْهُمْ مَّا كَسَبُوْا شَيْـًٔا وَّلَا مَا اتَّخَذُوْا مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ اَوْلِيَاۤءَۚ وَلَهُمْ عَذَابٌ عَظِيْمٌۗ ١٠
- min
- مِّن
- उनके आगे
- warāihim
- وَرَآئِهِمْ
- उनके आगे
- jahannamu
- جَهَنَّمُۖ
- जहन्नम है
- walā
- وَلَا
- और ना
- yugh'nī
- يُغْنِى
- काम आएगा
- ʿanhum
- عَنْهُم
- उन्हें
- mā
- مَّا
- जो
- kasabū
- كَسَبُوا۟
- उन्होंने ने कमाया
- shayan
- شَيْـًٔا
- कुछ भी
- walā
- وَلَا
- और ना
- mā
- مَا
- वो जो
- ittakhadhū
- ٱتَّخَذُوا۟
- उन्होंने बना लिए
- min
- مِن
- सिवाय
- dūni
- دُونِ
- सिवाय
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- awliyāa
- أَوْلِيَآءَۖ
- हिमायती
- walahum
- وَلَهُمْ
- और उनके लिए
- ʿadhābun
- عَذَابٌ
- अज़ाब है
- ʿaẓīmun
- عَظِيمٌ
- बहुत बड़ा
उनके आगे जहन्नम है, जो उन्होंने कमाया वह उनके कुछ काम न आएगा और न यही कि उन्होंने अल्लाह को छोड़कर अपने संरक्षक ठहरा रखे है। उनके लिए तो बड़ी यातना है ([४५] अल-जाथीया: 10)Tafseer (तफ़सीर )