४१
يَوْمَ لَا يُغْنِيْ مَوْلًى عَنْ مَّوْلًى شَيْـًٔا وَّلَا هُمْ يُنْصَرُوْنَۙ ٤١
- yawma
- يَوْمَ
- जिस दिन
- lā
- لَا
- ना काम आएगा
- yugh'nī
- يُغْنِى
- ना काम आएगा
- mawlan
- مَوْلًى
- कोई दोस्त
- ʿan
- عَن
- किसी दोस्त के
- mawlan
- مَّوْلًى
- किसी दोस्त के
- shayan
- شَيْـًٔا
- कुछ भी
- walā
- وَلَا
- और ना
- hum
- هُمْ
- वो
- yunṣarūna
- يُنصَرُونَ
- वो मदद किए जाऐंगे
जिस दिन कोई अपना किसी अपने के कुछ काम न आएगा और न कोई सहायता पहुँचेगी, ([४४] अद-दुखान: 41)Tafseer (तफ़सीर )
४२
اِلَّا مَنْ رَّحِمَ اللّٰهُ ۗاِنَّهٗ هُوَ الْعَزِيْزُ الرَّحِيْمُ ࣖ ٤٢
- illā
- إِلَّا
- मगर
- man
- مَن
- जिस पर
- raḥima
- رَّحِمَ
- रहम फ़रमाय
- l-lahu
- ٱللَّهُۚ
- अल्लाह
- innahu
- إِنَّهُۥ
- यक़ीनन
- huwa
- هُوَ
- वो ही है
- l-ʿazīzu
- ٱلْعَزِيزُ
- बहुत ज़बरदस्त
- l-raḥīmu
- ٱلرَّحِيمُ
- निहायत रहम करने वाला
सिवाय उस व्यक्ति के जिसपर अल्लाह दया करे। निश्चय ही वह प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है ([४४] अद-दुखान: 42)Tafseer (तफ़सीर )
४३
اِنَّ شَجَرَتَ الزَّقُّوْمِۙ ٤٣
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- shajarata
- شَجَرَتَ
- दरख़्त
- l-zaqūmi
- ٱلزَّقُّومِ
- जक़्क़ूम का
निस्संदेह ज़क़्क़ूम का वृक्ष ([४४] अद-दुखान: 43)Tafseer (तफ़सीर )
४४
طَعَامُ الْاَثِيْمِ ۛ ٤٤
- ṭaʿāmu
- طَعَامُ
- खाना है
- l-athīmi
- ٱلْأَثِيمِ
- गुनहगार का
गुनहगार का भोजन होगा, ([४४] अद-दुखान: 44)Tafseer (तफ़सीर )
४५
كَالْمُهْلِ ۛ يَغْلِيْ فِى الْبُطُوْنِۙ ٤٥
- kal-muh'li
- كَٱلْمُهْلِ
- पिघले हुए ताँबे की तरह
- yaghlī
- يَغْلِى
- जोश खाएगा
- fī
- فِى
- पेटों में
- l-buṭūni
- ٱلْبُطُونِ
- पेटों में
तेल की तलछट जैसा, वह पेटों में खौलता होगा, ([४४] अद-दुखान: 45)Tafseer (तफ़सीर )
४६
كَغَلْيِ الْحَمِيْمِ ۗ ٤٦
- kaghalyi
- كَغَلْىِ
- मानिन्द जोश खाने
- l-ḥamīmi
- ٱلْحَمِيمِ
- खौलते पानी के
जैसे गर्म पानी खौलता है ([४४] अद-दुखान: 46)Tafseer (तफ़सीर )
४७
خُذُوْهُ فَاعْتِلُوْهُ اِلٰى سَوَاۤءِ الْجَحِيْمِۙ ٤٧
- khudhūhu
- خُذُوهُ
- (कहा जाएगा) पकड़ो उसे
- fa-iʿ'tilūhu
- فَٱعْتِلُوهُ
- पस घसीटो उसे
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़
- sawāi
- سَوَآءِ
- दर्मियान
- l-jaḥīmi
- ٱلْجَحِيمِ
- जहन्नम के
'पकड़ो उसे, और भड़कती हुई आग के बीच तक घसीट ले जाओ, ([४४] अद-दुखान: 47)Tafseer (तफ़सीर )
४८
ثُمَّ صُبُّوْا فَوْقَ رَأْسِهٖ مِنْ عَذَابِ الْحَمِيْمِۗ ٤٨
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- ṣubbū
- صُبُّوا۟
- उन्डेल दो
- fawqa
- فَوْقَ
- ऊपर
- rasihi
- رَأْسِهِۦ
- उसके सिर के
- min
- مِنْ
- अज़ाब से
- ʿadhābi
- عَذَابِ
- अज़ाब से
- l-ḥamīmi
- ٱلْحَمِيمِ
- खौलते पानी के
फिर उसके सिर पर खौलते हुए पानी का यातना उंडेल दो!' ([४४] अद-दुखान: 48)Tafseer (तफ़सीर )
४९
ذُقْۚ اِنَّكَ اَنْتَ الْعَزِيْزُ الْكَرِيْمُ ٤٩
- dhuq
- ذُقْ
- (कहा जाऐगा) चखो
- innaka
- إِنَّكَ
- बेशक तुम
- anta
- أَنتَ
- तुम ही
- l-ʿazīzu
- ٱلْعَزِيزُ
- बहुत ज़बरदस्त
- l-karīmu
- ٱلْكَرِيمُ
- इज़्ज़त वाले थे
'मज़ा चख, तू तो बड़ा बलशाली, सज्जन और आदरणीय है! ([४४] अद-दुखान: 49)Tafseer (तफ़सीर )
५०
اِنَّ هٰذَا مَا كُنْتُمْ بِهٖ تَمْتَرُوْنَ ٥٠
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- hādhā
- هَٰذَا
- ये है
- mā
- مَا
- वो जो
- kuntum
- كُنتُم
- थे तुम
- bihi
- بِهِۦ
- उसमें
- tamtarūna
- تَمْتَرُونَ
- तुम शक करते थे
यही तो है जिसके विषय में तुम संदेह करते थे।' ([४४] अद-दुखान: 50)Tafseer (तफ़सीर )