Skip to content

सूरा अद-दुखान - Page: 5

Ad-Dukhan

(धुँआ)

४१

يَوْمَ لَا يُغْنِيْ مَوْلًى عَنْ مَّوْلًى شَيْـًٔا وَّلَا هُمْ يُنْصَرُوْنَۙ ٤١

yawma
يَوْمَ
जिस दिन
لَا
ना काम आएगा
yugh'nī
يُغْنِى
ना काम आएगा
mawlan
مَوْلًى
कोई दोस्त
ʿan
عَن
किसी दोस्त के
mawlan
مَّوْلًى
किसी दोस्त के
shayan
شَيْـًٔا
कुछ भी
walā
وَلَا
और ना
hum
هُمْ
वो
yunṣarūna
يُنصَرُونَ
वो मदद किए जाऐंगे
जिस दिन कोई अपना किसी अपने के कुछ काम न आएगा और न कोई सहायता पहुँचेगी, ([४४] अद-दुखान: 41)
Tafseer (तफ़सीर )
४२

اِلَّا مَنْ رَّحِمَ اللّٰهُ ۗاِنَّهٗ هُوَ الْعَزِيْزُ الرَّحِيْمُ ࣖ ٤٢

illā
إِلَّا
मगर
man
مَن
जिस पर
raḥima
رَّحِمَ
रहम फ़रमाय
l-lahu
ٱللَّهُۚ
अल्लाह
innahu
إِنَّهُۥ
यक़ीनन
huwa
هُوَ
वो ही है
l-ʿazīzu
ٱلْعَزِيزُ
बहुत ज़बरदस्त
l-raḥīmu
ٱلرَّحِيمُ
निहायत रहम करने वाला
सिवाय उस व्यक्ति के जिसपर अल्लाह दया करे। निश्चय ही वह प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है ([४४] अद-दुखान: 42)
Tafseer (तफ़सीर )
४३

اِنَّ شَجَرَتَ الزَّقُّوْمِۙ ٤٣

inna
إِنَّ
बेशक
shajarata
شَجَرَتَ
दरख़्त
l-zaqūmi
ٱلزَّقُّومِ
जक़्क़ूम का
निस्संदेह ज़क़्क़ूम का वृक्ष ([४४] अद-दुखान: 43)
Tafseer (तफ़सीर )
४४

طَعَامُ الْاَثِيْمِ ۛ ٤٤

ṭaʿāmu
طَعَامُ
खाना है
l-athīmi
ٱلْأَثِيمِ
गुनहगार का
गुनहगार का भोजन होगा, ([४४] अद-दुखान: 44)
Tafseer (तफ़सीर )
४५

كَالْمُهْلِ ۛ يَغْلِيْ فِى الْبُطُوْنِۙ ٤٥

kal-muh'li
كَٱلْمُهْلِ
पिघले हुए ताँबे की तरह
yaghlī
يَغْلِى
जोश खाएगा
فِى
पेटों में
l-buṭūni
ٱلْبُطُونِ
पेटों में
तेल की तलछट जैसा, वह पेटों में खौलता होगा, ([४४] अद-दुखान: 45)
Tafseer (तफ़सीर )
४६

كَغَلْيِ الْحَمِيْمِ ۗ ٤٦

kaghalyi
كَغَلْىِ
मानिन्द जोश खाने
l-ḥamīmi
ٱلْحَمِيمِ
खौलते पानी के
जैसे गर्म पानी खौलता है ([४४] अद-दुखान: 46)
Tafseer (तफ़सीर )
४७

خُذُوْهُ فَاعْتِلُوْهُ اِلٰى سَوَاۤءِ الْجَحِيْمِۙ ٤٧

khudhūhu
خُذُوهُ
(कहा जाएगा) पकड़ो उसे
fa-iʿ'tilūhu
فَٱعْتِلُوهُ
पस घसीटो उसे
ilā
إِلَىٰ
तरफ़
sawāi
سَوَآءِ
दर्मियान
l-jaḥīmi
ٱلْجَحِيمِ
जहन्नम के
'पकड़ो उसे, और भड़कती हुई आग के बीच तक घसीट ले जाओ, ([४४] अद-दुखान: 47)
Tafseer (तफ़सीर )
४८

ثُمَّ صُبُّوْا فَوْقَ رَأْسِهٖ مِنْ عَذَابِ الْحَمِيْمِۗ ٤٨

thumma
ثُمَّ
फिर
ṣubbū
صُبُّوا۟
उन्डेल दो
fawqa
فَوْقَ
ऊपर
rasihi
رَأْسِهِۦ
उसके सिर के
min
مِنْ
अज़ाब से
ʿadhābi
عَذَابِ
अज़ाब से
l-ḥamīmi
ٱلْحَمِيمِ
खौलते पानी के
फिर उसके सिर पर खौलते हुए पानी का यातना उंडेल दो!' ([४४] अद-दुखान: 48)
Tafseer (तफ़सीर )
४९

ذُقْۚ اِنَّكَ اَنْتَ الْعَزِيْزُ الْكَرِيْمُ ٤٩

dhuq
ذُقْ
(कहा जाऐगा) चखो
innaka
إِنَّكَ
बेशक तुम
anta
أَنتَ
तुम ही
l-ʿazīzu
ٱلْعَزِيزُ
बहुत ज़बरदस्त
l-karīmu
ٱلْكَرِيمُ
इज़्ज़त वाले थे
'मज़ा चख, तू तो बड़ा बलशाली, सज्जन और आदरणीय है! ([४४] अद-दुखान: 49)
Tafseer (तफ़सीर )
५०

اِنَّ هٰذَا مَا كُنْتُمْ بِهٖ تَمْتَرُوْنَ ٥٠

inna
إِنَّ
बेशक
hādhā
هَٰذَا
ये है
مَا
वो जो
kuntum
كُنتُم
थे तुम
bihi
بِهِۦ
उसमें
tamtarūna
تَمْتَرُونَ
तुम शक करते थे
यही तो है जिसके विषय में तुम संदेह करते थे।' ([४४] अद-दुखान: 50)
Tafseer (तफ़सीर )