२१
وَاِنْ لَّمْ تُؤْمِنُوْا لِيْ فَاعْتَزِلُوْنِ ٢١
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- lam
- لَّمْ
- नहीं
- tu'minū
- تُؤْمِنُوا۟
- तुम ईमान लाते
- lī
- لِى
- मुझ पर
- fa-iʿ'tazilūni
- فَٱعْتَزِلُونِ
- तो अलग हो जाओ मुझसे
किन्तु यदि तुम मेरी बात नहीं मानते तो मुझसे अलग हो जाओ!' ([४४] अद-दुखान: 21)Tafseer (तफ़सीर )
२२
فَدَعَا رَبَّهٗٓ اَنَّ هٰٓؤُلَاۤءِ قَوْمٌ مُّجْرِمُوْنَ ٢٢
- fadaʿā
- فَدَعَا
- तो उसने पुकारा
- rabbahu
- رَبَّهُۥٓ
- अपने रब को
- anna
- أَنَّ
- बेशक
- hāulāi
- هَٰٓؤُلَآءِ
- ये
- qawmun
- قَوْمٌ
- लोग
- muj'rimūna
- مُّجْرِمُونَ
- मुजरिम हैं
अन्ततः उसने अपने रब को पुकारा कि 'ये अपराधी लोग है।' ([४४] अद-दुखान: 22)Tafseer (तफ़सीर )
२३
فَاَسْرِ بِعِبَادِيْ لَيْلًا اِنَّكُمْ مُّتَّبَعُوْنَۙ ٢٣
- fa-asri
- فَأَسْرِ
- तो ले चलो
- biʿibādī
- بِعِبَادِى
- मेरे बन्दों को
- laylan
- لَيْلًا
- रातों रात
- innakum
- إِنَّكُم
- बेशक तुम
- muttabaʿūna
- مُّتَّبَعُونَ
- पीछा किए जाने वाले हो
'अच्छा तुम रातों रात मेरे बन्दों को लेकर चले जाओ। निश्चय ही तुम्हारा पीछा किया जाएगा ([४४] अद-दुखान: 23)Tafseer (तफ़सीर )
२४
وَاتْرُكِ الْبَحْرَ رَهْوًاۗ اِنَّهُمْ جُنْدٌ مُّغْرَقُوْنَ ٢٤
- wa-ut'ruki
- وَٱتْرُكِ
- और छोड़ दो
- l-baḥra
- ٱلْبَحْرَ
- समुन्दर को
- rahwan
- رَهْوًاۖ
- साकिन
- innahum
- إِنَّهُمْ
- बेशक वो
- jundun
- جُندٌ
- लश्कर हैं
- mugh'raqūna
- مُّغْرَقُونَ
- ग़र्क़ किए जाने वाले
और सागर को स्थिर छोड़ दो। वे तो एक सेना दल हैं, डूब जानेवाले।' ([४४] अद-दुखान: 24)Tafseer (तफ़सीर )
२५
كَمْ تَرَكُوْا مِنْ جَنّٰتٍ وَّعُيُوْنٍۙ ٢٥
- kam
- كَمْ
- कितने ही
- tarakū
- تَرَكُوا۟
- वो छोड़ गए
- min
- مِن
- बाग़ात
- jannātin
- جَنَّٰتٍ
- बाग़ात
- waʿuyūnin
- وَعُيُونٍ
- और चश्मे
वे छोड़ गये कितनॆ ही बाग़ और स्रोत ([४४] अद-दुखान: 25)Tafseer (तफ़सीर )
२६
وَّزُرُوْعٍ وَّمَقَامٍ كَرِيْمٍۙ ٢٦
- wazurūʿin
- وَزُرُوعٍ
- और खेतियाँ
- wamaqāmin
- وَمَقَامٍ
- और मक़ाम
- karīmin
- كَرِيمٍ
- उमदा
और ख़ेतियां और उत्तम आवास- ([४४] अद-दुखान: 26)Tafseer (तफ़सीर )
२७
وَّنَعْمَةٍ كَانُوْا فِيْهَا فٰكِهِيْنَۙ ٢٧
- wanaʿmatin
- وَنَعْمَةٍ
- और राहत व आसाइश
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- fīhā
- فِيهَا
- जिसमें
- fākihīna
- فَٰكِهِينَ
- ऐश करने वाले
और सुख सामग्री जिनमें वे मज़े कर रहे थे। ([४४] अद-दुखान: 27)Tafseer (तफ़सीर )
२८
كَذٰلِكَ ۗوَاَوْرَثْنٰهَا قَوْمًا اٰخَرِيْنَۚ ٢٨
- kadhālika
- كَذَٰلِكَۖ
- इसी तरह
- wa-awrathnāhā
- وَأَوْرَثْنَٰهَا
- और वारिस बना दिया हमने उनका
- qawman
- قَوْمًا
- क़ौम
- ākharīna
- ءَاخَرِينَ
- दूसरी
हम ऐसा ही मामला करते है, और उन चीज़ों का वारिस हमने दूसरे लोगों को बनाया ([४४] अद-दुखान: 28)Tafseer (तफ़सीर )
२९
فَمَا بَكَتْ عَلَيْهِمُ السَّمَاۤءُ وَالْاَرْضُۗ وَمَا كَانُوْا مُنْظَرِيْنَ ࣖ ٢٩
- famā
- فَمَا
- तो ना
- bakat
- بَكَتْ
- रोए
- ʿalayhimu
- عَلَيْهِمُ
- उन पर
- l-samāu
- ٱلسَّمَآءُ
- आसमान
- wal-arḍu
- وَٱلْأَرْضُ
- और ज़मीन
- wamā
- وَمَا
- और ना
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- munẓarīna
- مُنظَرِينَ
- मोहलत दिए जाने वाले
फिर न तो आकाश और धरती ने उनपर विलाप किया और न उन्हें मुहलत ही मिली ([४४] अद-दुखान: 29)Tafseer (तफ़सीर )
३०
وَلَقَدْ نَجَّيْنَا بَنِيْٓ اِسْرَاۤءِيْلَ مِنَ الْعَذَابِ الْمُهِيْنِۙ ٣٠
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- najjaynā
- نَجَّيْنَا
- निजात दी हमने
- banī
- بَنِىٓ
- बनी इस्राईल को
- is'rāīla
- إِسْرَٰٓءِيلَ
- बनी इस्राईल को
- mina
- مِنَ
- अज़ाब से
- l-ʿadhābi
- ٱلْعَذَابِ
- अज़ाब से
- l-muhīni
- ٱلْمُهِينِ
- ज़िल्लत के
इस प्रकार हमने इसराईल की सन्तान को अपमानजनक यातना से ([४४] अद-दुखान: 30)Tafseer (तफ़सीर )