११
يَغْشَى النَّاسَۗ هٰذَا عَذَابٌ اَلِيْمٌ ١١
- yaghshā
- يَغْشَى
- जो ढाँप लेगा
- l-nāsa
- ٱلنَّاسَۖ
- लोगों को
- hādhā
- هَٰذَا
- ये है
- ʿadhābun
- عَذَابٌ
- अज़ाब
- alīmun
- أَلِيمٌ
- दर्दनाक
वह लोगों का ढाँक लेगा। यह है दुखद यातना! ([४४] अद-दुखान: 11)Tafseer (तफ़सीर )
१२
رَبَّنَا اكْشِفْ عَنَّا الْعَذَابَ اِنَّا مُؤْمِنُوْنَ ١٢
- rabbanā
- رَّبَّنَا
- ऐ हमारे रब
- ik'shif
- ٱكْشِفْ
- हटा दे
- ʿannā
- عَنَّا
- हम से
- l-ʿadhāba
- ٱلْعَذَابَ
- अज़ाब को
- innā
- إِنَّا
- बेशक हम
- mu'minūna
- مُؤْمِنُونَ
- ईमान लाने वाले हैं
वे कहेंगे, 'ऐ हमारे रब! हमपर से यातना हटा दे। हम ईमान लाते है।' ([४४] अद-दुखान: 12)Tafseer (तफ़सीर )
१३
اَنّٰى لَهُمُ الذِّكْرٰى وَقَدْ جَاۤءَهُمْ رَسُوْلٌ مُّبِيْنٌۙ ١٣
- annā
- أَنَّىٰ
- कहाँ से है
- lahumu
- لَهُمُ
- उनके लिए
- l-dhik'rā
- ٱلذِّكْرَىٰ
- नसीहत
- waqad
- وَقَدْ
- हालाँकि तहक़ीक़
- jāahum
- جَآءَهُمْ
- आ चुका उनके पास
- rasūlun
- رَسُولٌ
- एक रसूल
- mubīnun
- مُّبِينٌ
- वाज़ेह करने वाला
अब उनके होश में आने का मौक़ा कहाँ बाक़ी रहा। उनका हाल तो यह है कि उनके पास साफ़-साफ़ बतानेवाला एक रसूल आ चुका है। ([४४] अद-दुखान: 13)Tafseer (तफ़सीर )
१४
ثُمَّ تَوَلَّوْا عَنْهُ وَقَالُوْا مُعَلَّمٌ مَّجْنُوْنٌۘ ١٤
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- tawallaw
- تَوَلَّوْا۟
- वो मुँह मोड़ गए
- ʿanhu
- عَنْهُ
- उससे
- waqālū
- وَقَالُوا۟
- और उन्होंने कहा
- muʿallamun
- مُعَلَّمٌ
- सिखाया पढ़ाया
- majnūnun
- مَّجْنُونٌ
- दीवाना है
फिर उन्होंने उसकी ओर से मुँह मोड़ लिया और कहने लगे, 'यह तो एक सिखाया-पढ़ाया दीवाना है।' ([४४] अद-दुखान: 14)Tafseer (तफ़सीर )
१५
اِنَّا كَاشِفُوا الْعَذَابِ قَلِيْلًا اِنَّكُمْ عَاۤىِٕدُوْنَۘ ١٥
- innā
- إِنَّا
- बेशक हम
- kāshifū
- كَاشِفُوا۟
- हटाने वाले हैं
- l-ʿadhābi
- ٱلْعَذَابِ
- अज़ाब को
- qalīlan
- قَلِيلًاۚ
- थोड़ी देर के लिए
- innakum
- إِنَّكُمْ
- बेशक तुम
- ʿāidūna
- عَآئِدُونَ
- लौटने वाले हो
'हम यातना थोड़ा हटा देते है तो तुम पुनः फिर जाते हो। ([४४] अद-दुखान: 15)Tafseer (तफ़सीर )
१६
يَوْمَ نَبْطِشُ الْبَطْشَةَ الْكُبْرٰىۚ اِنَّا مُنْتَقِمُوْنَ ١٦
- yawma
- يَوْمَ
- जिस दिन
- nabṭishu
- نَبْطِشُ
- हम पकड़ेंगे
- l-baṭshata
- ٱلْبَطْشَةَ
- पकड़
- l-kub'rā
- ٱلْكُبْرَىٰٓ
- बहुत बड़ी
- innā
- إِنَّا
- बेशक हम
- muntaqimūna
- مُنتَقِمُونَ
- इन्तक़ाम लेने वाले हैं
याद रखो, जिस दिन हम बड़ी पकड़ पकड़ेंगे, तो निश्चय ही हम बदला लेकर रहेंगे ([४४] अद-दुखान: 16)Tafseer (तफ़सीर )
१७
۞ وَلَقَدْ فَتَنَّا قَبْلَهُمْ قَوْمَ فِرْعَوْنَ وَجَاۤءَهُمْ رَسُوْلٌ كَرِيْمٌۙ ١٧
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- fatannā
- فَتَنَّا
- आज़माया हमने
- qablahum
- قَبْلَهُمْ
- उनसे क़ब्ल
- qawma
- قَوْمَ
- क़ौमे
- fir'ʿawna
- فِرْعَوْنَ
- फ़िरऔन को
- wajāahum
- وَجَآءَهُمْ
- और आया उनके पास
- rasūlun
- رَسُولٌ
- रसूल
- karīmun
- كَرِيمٌ
- मुअज़िज़
उनसे पहले हम फ़िरऔन की क़ौम के लोगों को परीक्षा में डाल चुके हैं, जबकि उनके पास एक अत्यन्त सज्जन रसूल आया ([४४] अद-दुखान: 17)Tafseer (तफ़सीर )
१८
اَنْ اَدُّوْٓا اِلَيَّ عِبَادَ اللّٰهِ ۗاِنِّيْ لَكُمْ رَسُوْلٌ اَمِيْنٌۙ ١٨
- an
- أَنْ
- ये कि
- addū
- أَدُّوٓا۟
- हवाले कर दो
- ilayya
- إِلَىَّ
- मेरी तरफ़
- ʿibāda
- عِبَادَ
- बन्दों को
- l-lahi
- ٱللَّهِۖ
- अल्लाह के
- innī
- إِنِّى
- बेशक मैं
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- rasūlun
- رَسُولٌ
- एक रसूल हूँ
- amīnun
- أَمِينٌ
- अमानतदार
कि 'तुम अल्लाह के बन्दों को मेरे हवाले कर दो। निश्चय ही मै तुम्हारे लिए एक विश्वसनीय रसूल हूँ ([४४] अद-दुखान: 18)Tafseer (तफ़सीर )
१९
وَّاَنْ لَّا تَعْلُوْا عَلَى اللّٰهِ ۚاِنِّيْٓ اٰتِيْكُمْ بِسُلْطٰنٍ مُّبِيْنٍۚ ١٩
- wa-an
- وَأَن
- और ये कि
- lā
- لَّا
- ना तुम सरकशी करो
- taʿlū
- تَعْلُوا۟
- ना तुम सरकशी करो
- ʿalā
- عَلَى
- अल्लाह (के मुक़ाबले) पर
- l-lahi
- ٱللَّهِۖ
- अल्लाह (के मुक़ाबले) पर
- innī
- إِنِّىٓ
- बेशक मैं
- ātīkum
- ءَاتِيكُم
- लाया हूँ तुम्हारे पास
- bisul'ṭānin
- بِسُلْطَٰنٍ
- दलील
- mubīnin
- مُّبِينٍ
- वाज़ेह
और अल्लाह के मुक़ाबले में सरकशी न करो, मैं तुम्हारे लिए एक स्पष्ट प्रमाण लेकर आया हूँ ([४४] अद-दुखान: 19)Tafseer (तफ़सीर )
२०
وَاِنِّيْ عُذْتُ بِرَبِّيْ وَرَبِّكُمْ اَنْ تَرْجُمُوْنِۚ ٢٠
- wa-innī
- وَإِنِّى
- और बेशक मैं
- ʿudh'tu
- عُذْتُ
- पनाह ले चुका मैं
- birabbī
- بِرَبِّى
- अपने रब की
- warabbikum
- وَرَبِّكُمْ
- और तुम्हारे रब की
- an
- أَن
- कि
- tarjumūni
- تَرْجُمُونِ
- तुम संगसार करो मुझे
और मैं इससे अपने रब और तुम्हारे रब की शरण ले चुका हूँ कि तुम मुझ पर पथराव करके मार डालो ([४४] अद-दुखान: 20)Tafseer (तफ़सीर )