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सूरा अद-दुखान - Page: 2

Ad-Dukhan

(धुँआ)

११

يَغْشَى النَّاسَۗ هٰذَا عَذَابٌ اَلِيْمٌ ١١

yaghshā
يَغْشَى
जो ढाँप लेगा
l-nāsa
ٱلنَّاسَۖ
लोगों को
hādhā
هَٰذَا
ये है
ʿadhābun
عَذَابٌ
अज़ाब
alīmun
أَلِيمٌ
दर्दनाक
वह लोगों का ढाँक लेगा। यह है दुखद यातना! ([४४] अद-दुखान: 11)
Tafseer (तफ़सीर )
१२

رَبَّنَا اكْشِفْ عَنَّا الْعَذَابَ اِنَّا مُؤْمِنُوْنَ ١٢

rabbanā
رَّبَّنَا
ऐ हमारे रब
ik'shif
ٱكْشِفْ
हटा दे
ʿannā
عَنَّا
हम से
l-ʿadhāba
ٱلْعَذَابَ
अज़ाब को
innā
إِنَّا
बेशक हम
mu'minūna
مُؤْمِنُونَ
ईमान लाने वाले हैं
वे कहेंगे, 'ऐ हमारे रब! हमपर से यातना हटा दे। हम ईमान लाते है।' ([४४] अद-दुखान: 12)
Tafseer (तफ़सीर )
१३

اَنّٰى لَهُمُ الذِّكْرٰى وَقَدْ جَاۤءَهُمْ رَسُوْلٌ مُّبِيْنٌۙ ١٣

annā
أَنَّىٰ
कहाँ से है
lahumu
لَهُمُ
उनके लिए
l-dhik'rā
ٱلذِّكْرَىٰ
नसीहत
waqad
وَقَدْ
हालाँकि तहक़ीक़
jāahum
جَآءَهُمْ
आ चुका उनके पास
rasūlun
رَسُولٌ
एक रसूल
mubīnun
مُّبِينٌ
वाज़ेह करने वाला
अब उनके होश में आने का मौक़ा कहाँ बाक़ी रहा। उनका हाल तो यह है कि उनके पास साफ़-साफ़ बतानेवाला एक रसूल आ चुका है। ([४४] अद-दुखान: 13)
Tafseer (तफ़सीर )
१४

ثُمَّ تَوَلَّوْا عَنْهُ وَقَالُوْا مُعَلَّمٌ مَّجْنُوْنٌۘ ١٤

thumma
ثُمَّ
फिर
tawallaw
تَوَلَّوْا۟
वो मुँह मोड़ गए
ʿanhu
عَنْهُ
उससे
waqālū
وَقَالُوا۟
और उन्होंने कहा
muʿallamun
مُعَلَّمٌ
सिखाया पढ़ाया
majnūnun
مَّجْنُونٌ
दीवाना है
फिर उन्होंने उसकी ओर से मुँह मोड़ लिया और कहने लगे, 'यह तो एक सिखाया-पढ़ाया दीवाना है।' ([४४] अद-दुखान: 14)
Tafseer (तफ़सीर )
१५

اِنَّا كَاشِفُوا الْعَذَابِ قَلِيْلًا اِنَّكُمْ عَاۤىِٕدُوْنَۘ ١٥

innā
إِنَّا
बेशक हम
kāshifū
كَاشِفُوا۟
हटाने वाले हैं
l-ʿadhābi
ٱلْعَذَابِ
अज़ाब को
qalīlan
قَلِيلًاۚ
थोड़ी देर के लिए
innakum
إِنَّكُمْ
बेशक तुम
ʿāidūna
عَآئِدُونَ
लौटने वाले हो
'हम यातना थोड़ा हटा देते है तो तुम पुनः फिर जाते हो। ([४४] अद-दुखान: 15)
Tafseer (तफ़सीर )
१६

يَوْمَ نَبْطِشُ الْبَطْشَةَ الْكُبْرٰىۚ اِنَّا مُنْتَقِمُوْنَ ١٦

yawma
يَوْمَ
जिस दिन
nabṭishu
نَبْطِشُ
हम पकड़ेंगे
l-baṭshata
ٱلْبَطْشَةَ
पकड़
l-kub'rā
ٱلْكُبْرَىٰٓ
बहुत बड़ी
innā
إِنَّا
बेशक हम
muntaqimūna
مُنتَقِمُونَ
इन्तक़ाम लेने वाले हैं
याद रखो, जिस दिन हम बड़ी पकड़ पकड़ेंगे, तो निश्चय ही हम बदला लेकर रहेंगे ([४४] अद-दुखान: 16)
Tafseer (तफ़सीर )
१७

۞ وَلَقَدْ فَتَنَّا قَبْلَهُمْ قَوْمَ فِرْعَوْنَ وَجَاۤءَهُمْ رَسُوْلٌ كَرِيْمٌۙ ١٧

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
fatannā
فَتَنَّا
आज़माया हमने
qablahum
قَبْلَهُمْ
उनसे क़ब्ल
qawma
قَوْمَ
क़ौमे
fir'ʿawna
فِرْعَوْنَ
फ़िरऔन को
wajāahum
وَجَآءَهُمْ
और आया उनके पास
rasūlun
رَسُولٌ
रसूल
karīmun
كَرِيمٌ
मुअज़िज़
उनसे पहले हम फ़िरऔन की क़ौम के लोगों को परीक्षा में डाल चुके हैं, जबकि उनके पास एक अत्यन्त सज्जन रसूल आया ([४४] अद-दुखान: 17)
Tafseer (तफ़सीर )
१८

اَنْ اَدُّوْٓا اِلَيَّ عِبَادَ اللّٰهِ ۗاِنِّيْ لَكُمْ رَسُوْلٌ اَمِيْنٌۙ ١٨

an
أَنْ
ये कि
addū
أَدُّوٓا۟
हवाले कर दो
ilayya
إِلَىَّ
मेरी तरफ़
ʿibāda
عِبَادَ
बन्दों को
l-lahi
ٱللَّهِۖ
अल्लाह के
innī
إِنِّى
बेशक मैं
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
rasūlun
رَسُولٌ
एक रसूल हूँ
amīnun
أَمِينٌ
अमानतदार
कि 'तुम अल्लाह के बन्दों को मेरे हवाले कर दो। निश्चय ही मै तुम्हारे लिए एक विश्वसनीय रसूल हूँ ([४४] अद-दुखान: 18)
Tafseer (तफ़सीर )
१९

وَّاَنْ لَّا تَعْلُوْا عَلَى اللّٰهِ ۚاِنِّيْٓ اٰتِيْكُمْ بِسُلْطٰنٍ مُّبِيْنٍۚ ١٩

wa-an
وَأَن
और ये कि
لَّا
ना तुम सरकशी करो
taʿlū
تَعْلُوا۟
ना तुम सरकशी करो
ʿalā
عَلَى
अल्लाह (के मुक़ाबले) पर
l-lahi
ٱللَّهِۖ
अल्लाह (के मुक़ाबले) पर
innī
إِنِّىٓ
बेशक मैं
ātīkum
ءَاتِيكُم
लाया हूँ तुम्हारे पास
bisul'ṭānin
بِسُلْطَٰنٍ
दलील
mubīnin
مُّبِينٍ
वाज़ेह
और अल्लाह के मुक़ाबले में सरकशी न करो, मैं तुम्हारे लिए एक स्पष्ट प्रमाण लेकर आया हूँ ([४४] अद-दुखान: 19)
Tafseer (तफ़सीर )
२०

وَاِنِّيْ عُذْتُ بِرَبِّيْ وَرَبِّكُمْ اَنْ تَرْجُمُوْنِۚ ٢٠

wa-innī
وَإِنِّى
और बेशक मैं
ʿudh'tu
عُذْتُ
पनाह ले चुका मैं
birabbī
بِرَبِّى
अपने रब की
warabbikum
وَرَبِّكُمْ
और तुम्हारे रब की
an
أَن
कि
tarjumūni
تَرْجُمُونِ
तुम संगसार करो मुझे
और मैं इससे अपने रब और तुम्हारे रब की शरण ले चुका हूँ कि तुम मुझ पर पथराव करके मार डालो ([४४] अद-दुखान: 20)
Tafseer (तफ़सीर )