१
२
وَالْكِتٰبِ الْمُبِيْنِۙ ٢
- wal-kitābi
- وَٱلْكِتَٰبِ
- क़सम है वाज़ेह किताब की
- l-mubīni
- ٱلْمُبِينِ
- क़सम है वाज़ेह किताब की
गवाह है स्पष्ट किताब ([४४] अद-दुखान: 2)Tafseer (तफ़सीर )
३
اِنَّآ اَنْزَلْنٰهُ فِيْ لَيْلَةٍ مُّبٰرَكَةٍ اِنَّا كُنَّا مُنْذِرِيْنَ ٣
- innā
- إِنَّآ
- बेशक हम
- anzalnāhu
- أَنزَلْنَٰهُ
- नाज़िल किया हमने उसे
- fī
- فِى
- एक रात में
- laylatin
- لَيْلَةٍ
- एक रात में
- mubārakatin
- مُّبَٰرَكَةٍۚ
- बरकत वाली
- innā
- إِنَّا
- बेशक हम
- kunnā
- كُنَّا
- हैं हम
- mundhirīna
- مُنذِرِينَ
- डराने वाले
निस्संदेह हमने उसे एक बरकत भरी रात में अवतरित किया है। - निश्चय ही हम सावधान करनेवाले है।- ([४४] अद-दुखान: 3)Tafseer (तफ़सीर )
४
فِيْهَا يُفْرَقُ كُلُّ اَمْرٍ حَكِيْمٍۙ ٤
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- yuf'raqu
- يُفْرَقُ
- फ़ैसला किया जाता है
- kullu
- كُلُّ
- हर
- amrin
- أَمْرٍ
- काम
- ḥakīmin
- حَكِيمٍ
- मोहकम का
उस (रात) में तमाम तत्वदर्शिता युक्त मामलों का फ़ैसला किया जाता है, ([४४] अद-दुखान: 4)Tafseer (तफ़सीर )
५
اَمْرًا مِّنْ عِنْدِنَاۗ اِنَّا كُنَّا مُرْسِلِيْنَۖ ٥
- amran
- أَمْرًا
- एक हुक्म का
- min
- مِّنْ
- हमारे पास से
- ʿindinā
- عِندِنَآۚ
- हमारे पास से
- innā
- إِنَّا
- बेशक हम
- kunnā
- كُنَّا
- थे हम
- mur'silīna
- مُرْسِلِينَ
- भेजने वाले
हमारे यहाँ से आदेश के रूप में। निस्संदेह रसूलों को भेजनेवाले हम ही है। - ([४४] अद-दुखान: 5)Tafseer (तफ़सीर )
६
رَحْمَةً مِّنْ رَّبِّكَ ۗاِنَّهٗ هُوَ السَّمِيْعُ الْعَلِيْمُۗ ٦
- raḥmatan
- رَحْمَةً
- बतौर रहमत
- min
- مِّن
- आपके रब की तरफ़ से
- rabbika
- رَّبِّكَۚ
- आपके रब की तरफ़ से
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक
- huwa
- هُوَ
- वो ही है
- l-samīʿu
- ٱلسَّمِيعُ
- ख़ूब सुनने वाला
- l-ʿalīmu
- ٱلْعَلِيمُ
- ख़ूब इल्म वाला
तुम्हारे रब की दयालुता के कारण। निस्संदेह वही सब कुछ सुननेवाला, जाननेवाला है ([४४] अद-दुखान: 6)Tafseer (तफ़सीर )
७
رَبِّ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَاۘ اِنْ كُنْتُمْ مُّوْقِنِيْنَ ٧
- rabbi
- رَبِّ
- रब है
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِ
- और ज़मीन का
- wamā
- وَمَا
- और जो
- baynahumā
- بَيْنَهُمَآۖ
- दर्मियान है उन दोनों के
- in
- إِن
- अगर
- kuntum
- كُنتُم
- हो तुम
- mūqinīna
- مُّوقِنِينَ
- यक़ीन करने वाले
आकाशों और धरती का रब और जो कुछ उन दोनों के बीच है उसका भी, यदि तुम विश्वास रखनेवाले हो (तो विश्वास करो कि किताब का अवतरण अल्लाह की दयालुता है) ([४४] अद-दुखान: 7)Tafseer (तफ़सीर )
८
لَآ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ يُحْيٖ وَيُمِيْتُ ۗرَبُّكُمْ وَرَبُّ اٰبَاۤىِٕكُمُ الْاَوَّلِيْنَ ٨
- lā
- لَآ
- नहीं
- ilāha
- إِلَٰهَ
- कोई इलाह (बरहक़)
- illā
- إِلَّا
- मगर
- huwa
- هُوَ
- वो ही
- yuḥ'yī
- يُحْىِۦ
- वो ज़िन्दा करता है
- wayumītu
- وَيُمِيتُۖ
- और वो मौत देता है
- rabbukum
- رَبُّكُمْ
- रब तुम्हारा
- warabbu
- وَرَبُّ
- और रब
- ābāikumu
- ءَابَآئِكُمُ
- तुम्हारे आबा ओ अजदाद का
- l-awalīna
- ٱلْأَوَّلِينَ
- जो पहले थे
उसके अतिरिक्त कोई पूज्य-प्रभु नहीं; वही जीवित करता और मारता है; तुम्हारा रब और तुम्हारे अगले बाप-दादों का रब है ([४४] अद-दुखान: 8)Tafseer (तफ़सीर )
९
بَلْ هُمْ فِيْ شَكٍّ يَّلْعَبُوْنَ ٩
- bal
- بَلْ
- बल्कि
- hum
- هُمْ
- वो
- fī
- فِى
- शक में
- shakkin
- شَكٍّ
- शक में
- yalʿabūna
- يَلْعَبُونَ
- वो खेल रहे हैं
बल्कि वे संदेह में पड़े रहे हैं ([४४] अद-दुखान: 9)Tafseer (तफ़सीर )
१०
فَارْتَقِبْ يَوْمَ تَأْتِى السَّمَاۤءُ بِدُخَانٍ مُّبِيْنٍ ١٠
- fa-ir'taqib
- فَٱرْتَقِبْ
- पस इन्तज़ार कीजिए
- yawma
- يَوْمَ
- जिस दिन
- tatī
- تَأْتِى
- आएगा
- l-samāu
- ٱلسَّمَآءُ
- आसमान
- bidukhānin
- بِدُخَانٍ
- साथ धुएँ के
- mubīnin
- مُّبِينٍ
- खुले
अच्छा तो तुम उस दिन की प्रतीक्षा करो, जब आकाश प्रत्यक्ष धुँआ लाएगा। ([४४] अद-दुखान: 10)Tafseer (तफ़सीर )