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सूरा अज-जुखरूफ - Page: 2

Az-Zukhruf

(सोने के गहने, ऐश्वर्य प्रसाधन)

११

وَالَّذِيْ نَزَّلَ مِنَ السَّمَاۤءِ مَاۤءًۢ بِقَدَرٍۚ فَاَنْشَرْنَا بِهٖ بَلْدَةً مَّيْتًا ۚ كَذٰلِكَ تُخْرَجُوْنَ ١١

wa-alladhī
وَٱلَّذِى
और वो जिसने
nazzala
نَزَّلَ
उतारा
mina
مِنَ
आसमान से
l-samāi
ٱلسَّمَآءِ
आसमान से
māan
مَآءًۢ
पानी
biqadarin
بِقَدَرٍ
साथ एक अंदाज़े के
fa-ansharnā
فَأَنشَرْنَا
फिर ज़िन्दा किया हमने
bihi
بِهِۦ
साथ उसके
baldatan
بَلْدَةً
शहर
maytan
مَّيْتًاۚ
मुर्दा को
kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
tukh'rajūna
تُخْرَجُونَ
तुम निकाले जाओगे
और जिसने आकाश से एक अन्दाज़े से पानी उतारा। और हमने उसके द्वारा मृत भूमि को जीवित कर दिया। इसी तरह तुम भी (जीवित करके) निकाले जाओगे ([४३] अज-जुखरूफ: 11)
Tafseer (तफ़सीर )
१२

وَالَّذِيْ خَلَقَ الْاَزْوَاجَ كُلَّهَا وَجَعَلَ لَكُمْ مِّنَ الْفُلْكِ وَالْاَنْعَامِ مَا تَرْكَبُوْنَۙ ١٢

wa-alladhī
وَٱلَّذِى
और वो जिसने
khalaqa
خَلَقَ
बनाए
l-azwāja
ٱلْأَزْوَٰجَ
जोड़े
kullahā
كُلَّهَا
सारे के सारे
wajaʿala
وَجَعَلَ
और उसने बनाया
lakum
لَكُم
तुम्हारे लिए
mina
مِّنَ
कश्तियों
l-ful'ki
ٱلْفُلْكِ
कश्तियों
wal-anʿāmi
وَٱلْأَنْعَٰمِ
और मवेशियों को
مَا
जिन पर
tarkabūna
تَرْكَبُونَ
तुम सवारी करते हो
और जिसने विभिन्न प्रकार की चीज़े पैदा कीं, और तुम्हारे लिए वे नौकाएँ और जानवर बनाए जिनपर तुम सवार होते हो ([४३] अज-जुखरूफ: 12)
Tafseer (तफ़सीर )
१३

لِتَسْتَوٗا عَلٰى ظُهُوْرِهٖ ثُمَّ تَذْكُرُوْا نِعْمَةَ رَبِّكُمْ اِذَا اسْتَوَيْتُمْ عَلَيْهِ وَتَقُوْلُوْا سُبْحٰنَ الَّذِيْ سَخَّرَ لَنَا هٰذَا وَمَا كُنَّا لَهٗ مُقْرِنِيْنَۙ ١٣

litastawū
لِتَسْتَوُۥا۟
ताकि तुम जम कर बैठो
ʿalā
عَلَىٰ
उनकी पुश्तों पर
ẓuhūrihi
ظُهُورِهِۦ
उनकी पुश्तों पर
thumma
ثُمَّ
फिर
tadhkurū
تَذْكُرُوا۟
तुम याद करो
niʿ'mata
نِعْمَةَ
नेअमत
rabbikum
رَبِّكُمْ
अपने रब की
idhā
إِذَا
जब
is'tawaytum
ٱسْتَوَيْتُمْ
तुम जम कर बैठ जाओ
ʿalayhi
عَلَيْهِ
उन पर
wataqūlū
وَتَقُولُوا۟
और तुम कहो
sub'ḥāna
سُبْحَٰنَ
पाक है
alladhī
ٱلَّذِى
वो जिसने
sakhara
سَخَّرَ
मुसख़्खर किया
lanā
لَنَا
हमारे लिए
hādhā
هَٰذَا
उसे
wamā
وَمَا
और ना
kunnā
كُنَّا
थे हम
lahu
لَهُۥ
उसे
muq'rinīna
مُقْرِنِينَ
क़ाबू में लाने वाले
ताकि तुम उनकी पीठों पर जमकर बैठो, फिर याद करो अपने रब की अनुकम्पा को जब तुम उनपर बैठ जाओ और कहो, 'कितना महिमावान है वह जिसने इसको हमारे वश में किया, अन्यथा हम तो इसे क़ाबू में कर सकनेवाले न थे ([४३] अज-जुखरूफ: 13)
Tafseer (तफ़सीर )
१४

وَاِنَّآ اِلٰى رَبِّنَا لَمُنْقَلِبُوْنَ ١٤

wa-innā
وَإِنَّآ
और बेशक हम
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ अपने रब के
rabbinā
رَبِّنَا
तरफ़ अपने रब के
lamunqalibūna
لَمُنقَلِبُونَ
यक़ीनन पलटने वाले हैं
और निश्चय ही हम अपने रब की ओर लौटनेवाले है।' ([४३] अज-जुखरूफ: 14)
Tafseer (तफ़सीर )
१५

وَجَعَلُوْا لَهٗ مِنْ عِبَادِهٖ جُزْءًا ۗاِنَّ الْاِنْسَانَ لَكَفُوْرٌ مُّبِيْنٌ ۗ ࣖ ١٥

wajaʿalū
وَجَعَلُوا۟
और उन्होंने बना दिया
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
min
مِنْ
उसके बन्दों में से
ʿibādihi
عِبَادِهِۦ
उसके बन्दों में से
juz'an
جُزْءًاۚ
एक जुज़(औलाद)
inna
إِنَّ
बेशक
l-insāna
ٱلْإِنسَٰنَ
इन्सान
lakafūrun
لَكَفُورٌ
यक़ीनन बहुत नाशुक्रा है
mubīnun
مُّبِينٌ
खुल्लम-खुल्ला
उन्होंने उसके बन्दों में से कुछ को उसका अंश ठहरा दिया! निश्चय ही मनुष्य खुला कृतघ्न है ([४३] अज-जुखरूफ: 15)
Tafseer (तफ़सीर )
१६

اَمِ اتَّخَذَ مِمَّا يَخْلُقُ بَنٰتٍ وَّاَصْفٰىكُمْ بِالْبَنِيْنَ ۗ ١٦

ami
أَمِ
या
ittakhadha
ٱتَّخَذَ
उसने बना लीं
mimmā
مِمَّا
उसमें से जो
yakhluqu
يَخْلُقُ
वो पैदा करता है
banātin
بَنَاتٍ
बेटियाँ
wa-aṣfākum
وَأَصْفَىٰكُم
और चुन लिया तुम्हें
bil-banīna
بِٱلْبَنِينَ
बेटों के लिए
(क्या किसी ने अल्लाह को इससे रोक दिया है कि वह अपने लिए बेटे चुनता) या जो कुछ वह पैदा करता है उसमें से उसने स्वयं ही अपने लिए तो बेटियाँ लीं और तुम्हें चुन लिया बेटों के लिए? ([४३] अज-जुखरूफ: 16)
Tafseer (तफ़सीर )
१७

وَاِذَا بُشِّرَ اَحَدُهُمْ بِمَا ضَرَبَ لِلرَّحْمٰنِ مَثَلًا ظَلَّ وَجْهُهٗ مُسْوَدًّا وَّهُوَ كَظِيْمٌ ١٧

wa-idhā
وَإِذَا
हालाँकि जब
bushira
بُشِّرَ
ख़ुशख़बरी दी जाती है
aḥaduhum
أَحَدُهُم
उनमें से किसी एक को
bimā
بِمَا
साथ उसके जो
ḍaraba
ضَرَبَ
उसने बयान की
lilrraḥmāni
لِلرَّحْمَٰنِ
रहमान के लिए
mathalan
مَثَلًا
मिसाल
ẓalla
ظَلَّ
हो जाता है
wajhuhu
وَجْهُهُۥ
चेहरा उसका
mus'waddan
مُسْوَدًّا
सियाह
wahuwa
وَهُوَ
और वो
kaẓīmun
كَظِيمٌ
ग़म से भरा होता है
और हाल यह है कि जब उनमें से किसी को उसकी मंगल सूचना दी जाती है, जो वह रहमान के लिए बयान करता है, तो उसके मुँह पर कलौंस छा जाती है और वह ग़म के मारे घुटा-घुटा रहने लगता है ([४३] अज-जुखरूफ: 17)
Tafseer (तफ़सीर )
१८

اَوَمَنْ يُّنَشَّؤُا فِى الْحِلْيَةِ وَهُوَ فِى الْخِصَامِ غَيْرُ مُبِيْنٍ ١٨

awaman
أَوَمَن
क्या भला जिसे
yunasha-u
يُنَشَّؤُا۟
पाला जाता है
فِى
ज़ेवरात में
l-ḥil'yati
ٱلْحِلْيَةِ
ज़ेवरात में
wahuwa
وَهُوَ
और वो
فِى
झगड़े में
l-khiṣāmi
ٱلْخِصَامِ
झगड़े में
ghayru
غَيْرُ
ग़ैर
mubīnin
مُبِينٍ
वाज़ेह है
और क्या वह जो आभूषणों में पले और वह जो वाद-विवाद और झगड़े में खुल न पाए (ऐसी अबला को अल्लाह की सन्तान घोषित करते हो)? ([४३] अज-जुखरूफ: 18)
Tafseer (तफ़सीर )
१९

وَجَعَلُوا الْمَلٰۤىِٕكَةَ الَّذِيْنَ هُمْ عِبٰدُ الرَّحْمٰنِ اِنَاثًا ۗ اَشَهِدُوْا خَلْقَهُمْ ۗسَتُكْتَبُ شَهَادَتُهُمْ وَيُسْٔـَلُوْنَ ١٩

wajaʿalū
وَجَعَلُوا۟
और उन्होंने बना लिया
l-malāikata
ٱلْمَلَٰٓئِكَةَ
फ़रिश्तों को
alladhīna
ٱلَّذِينَ
जो
hum
هُمْ
वो
ʿibādu
عِبَٰدُ
बन्दे हैं
l-raḥmāni
ٱلرَّحْمَٰنِ
रहमान के
ināthan
إِنَٰثًاۚ
औरतें
ashahidū
أَشَهِدُوا۟
क्या वो हाज़िर थे
khalqahum
خَلْقَهُمْۚ
उनकी पैदाइश (के वक़्त )
satuk'tabu
سَتُكْتَبُ
ज़रूर लिखी जाएगी
shahādatuhum
شَهَٰدَتُهُمْ
गवाही उनकी
wayus'alūna
وَيُسْـَٔلُونَ
और वो पूछे जाऐंगे
उन्होंने फ़रिश्तों को, जो रहमान के बन्दे है, स्त्रियाँ ठहरा ली है। क्या वे उनकी संरचना के समय मौजूद थे? उनकी गवाही लिख ली जाएगी और उनसे पूछ होगी ([४३] अज-जुखरूफ: 19)
Tafseer (तफ़सीर )
२०

وَقَالُوْا لَوْ شَاۤءَ الرَّحْمٰنُ مَا عَبَدْنٰهُمْ ۗمَا لَهُمْ بِذٰلِكَ مِنْ عِلْمٍ اِنْ هُمْ اِلَّا يَخْرُصُوْنَۗ ٢٠

waqālū
وَقَالُوا۟
और वो कहते हैं
law
لَوْ
अगर
shāa
شَآءَ
चाहता
l-raḥmānu
ٱلرَّحْمَٰنُ
रहमान
مَا
ना
ʿabadnāhum
عَبَدْنَٰهُمۗ
इबादत करते हम उनकी
مَّا
नहीं
lahum
لَهُم
उनके लिए
bidhālika
بِذَٰلِكَ
इसका
min
مِنْ
कोई इल्म
ʿil'min
عِلْمٍۖ
कोई इल्म
in
إِنْ
नहीं
hum
هُمْ
वो
illā
إِلَّا
मगर
yakhruṣūna
يَخْرُصُونَ
वो अंदाज़े लगाते हैं
वे कहते है कि 'यदि रहमान चाहता तो हम उन्हें न पूजते।' उन्हें इसका कुछ ज्ञान नहीं। वे तो बस अटकल दौड़ाते है ([४३] अज-जुखरूफ: 20)
Tafseer (तफ़सीर )