१
२
وَالْكِتٰبِ الْمُبِيْنِ ۙ ٢
- wal-kitābi
- وَٱلْكِتَٰبِ
- क़सम है किताब
- l-mubīni
- ٱلْمُبِينِ
- वाज़ेह की
गवाह है स्पष्ट किताब ([४३] अज-जुखरूफ: 2)Tafseer (तफ़सीर )
३
اِنَّا جَعَلْنٰهُ قُرْاٰنًا عَرَبِيًّا لَّعَلَّكُمْ تَعْقِلُوْنَۚ ٣
- innā
- إِنَّا
- बेशक हमने
- jaʿalnāhu
- جَعَلْنَٰهُ
- बनाया हमने उसे
- qur'ānan
- قُرْءَٰنًا
- क़ुरान
- ʿarabiyyan
- عَرَبِيًّا
- अर्बी
- laʿallakum
- لَّعَلَّكُمْ
- ताकि
- taʿqilūna
- تَعْقِلُونَ
- तुम समझ सको
हमने उसे अरबी क़ुरआन बनाया, ताकि तुम समझो ([४३] अज-जुखरूफ: 3)Tafseer (तफ़सीर )
४
وَاِنَّهٗ فِيْٓ اُمِّ الْكِتٰبِ لَدَيْنَا لَعَلِيٌّ حَكِيْمٌ ۗ ٤
- wa-innahu
- وَإِنَّهُۥ
- और बेशक वो
- fī
- فِىٓ
- असल किताब में है
- ummi
- أُمِّ
- असल किताब में है
- l-kitābi
- ٱلْكِتَٰبِ
- असल किताब में है
- ladaynā
- لَدَيْنَا
- हमारे पास
- laʿaliyyun
- لَعَلِىٌّ
- अलबत्ता बहुत बुलन्द है
- ḥakīmun
- حَكِيمٌ
- हिकमत से लबरेज़ है
और निश्चय ही वह मूल किताब में अंकित है, हमारे यहाँ बहुच उच्च कोटि की, तत्वदर्शिता से परिपूर्ण है ([४३] अज-जुखरूफ: 4)Tafseer (तफ़सीर )
५
اَفَنَضْرِبُ عَنْكُمُ الذِّكْرَ صَفْحًا اَنْ كُنْتُمْ قَوْمًا مُّسْرِفِيْنَ ٥
- afanaḍribu
- أَفَنَضْرِبُ
- क्या फिर हम रोक लें
- ʿankumu
- عَنكُمُ
- तुम से
- l-dhik'ra
- ٱلذِّكْرَ
- इस नसीहत को
- ṣafḥan
- صَفْحًا
- ऐराज़ करते हुए
- an
- أَن
- कि
- kuntum
- كُنتُمْ
- हो तुम
- qawman
- قَوْمًا
- लोग
- mus'rifīna
- مُّسْرِفِينَ
- हद से बढ़ने वाले
क्या इसलिए कि तुम मर्यादाहीन लोग हो, हम तुमपर से बिलकुल ही नज़र फेर लेंगे? ([४३] अज-जुखरूफ: 5)Tafseer (तफ़सीर )
६
وَكَمْ اَرْسَلْنَا مِنْ نَّبِيٍّ فِى الْاَوَّلِيْنَ ٦
- wakam
- وَكَمْ
- और कितने ही
- arsalnā
- أَرْسَلْنَا
- भेजे हमने
- min
- مِن
- नबियों में से
- nabiyyin
- نَّبِىٍّ
- नबियों में से
- fī
- فِى
- पहलों में
- l-awalīna
- ٱلْأَوَّلِينَ
- पहलों में
हमने पहले के लोगों में कितने ही रसूल भेजे ([४३] अज-जुखरूफ: 6)Tafseer (तफ़सीर )
७
وَمَا يَأْتِيْهِمْ مِّنْ نَّبِيٍّ اِلَّا كَانُوْا بِهٖ يَسْتَهْزِءُوْنَ ٧
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- yatīhim
- يَأْتِيهِم
- आया उनके पास
- min
- مِّن
- कोई नबी
- nabiyyin
- نَّبِىٍّ
- कोई नबी
- illā
- إِلَّا
- मगर
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- bihi
- بِهِۦ
- उसका
- yastahziūna
- يَسْتَهْزِءُونَ
- वो मज़ाक़ उड़ाते
किन्तु जो भी नबी उनके पास आया, वे उसका परिहास ही करते रहे ([४३] अज-जुखरूफ: 7)Tafseer (तफ़सीर )
८
فَاَهْلَكْنَٓا اَشَدَّ مِنْهُمْ بَطْشًا وَّمَضٰى مَثَلُ الْاَوَّلِيْنَ ٨
- fa-ahlaknā
- فَأَهْلَكْنَآ
- तो हलाक कर दिया हमने
- ashadda
- أَشَدَّ
- सबसे शदीद को
- min'hum
- مِنْهُم
- उनमें से
- baṭshan
- بَطْشًا
- पकड़ में
- wamaḍā
- وَمَضَىٰ
- और गुज़र चुकी
- mathalu
- مَثَلُ
- मिसाल
- l-awalīna
- ٱلْأَوَّلِينَ
- पहलों की
अन्ततः हमने उनको पकड़ में लेकर विनष्ट कर दिया जो उनसे कहीं अधिक बलशाली थे। और पहले के लोगों की मिसाल गुज़र-चुकी है ([४३] अज-जुखरूफ: 8)Tafseer (तफ़सीर )
९
وَلَىِٕنْ سَاَلْتَهُمْ مَّنْ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ لَيَقُوْلُنَّ خَلَقَهُنَّ الْعَزِيْزُ الْعَلِيْمُۙ ٩
- wala-in
- وَلَئِن
- और अलबत्ता अगर
- sa-altahum
- سَأَلْتَهُم
- पूछें आप उनसे
- man
- مَّنْ
- किसने
- khalaqa
- خَلَقَ
- पैदा किया
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍa
- وَٱلْأَرْضَ
- और ज़मीन को
- layaqūlunna
- لَيَقُولُنَّ
- अलबत्ता वो ज़रूर कहेंगे
- khalaqahunna
- خَلَقَهُنَّ
- पैदा किया उन्हें
- l-ʿazīzu
- ٱلْعَزِيزُ
- निहायत ग़ालिब
- l-ʿalīmu
- ٱلْعَلِيمُ
- ख़ूब इल्म वाले ने
यदि तुम उनसे पूछो कि 'आकाशों और धरती को किसने पैदा किया?' तो वे अवश्य कहेंगे, 'उन्हें अत्यन्त प्रभुत्वशाली, सर्वज्ञ सत्ता ने पैदा किया।' ([४३] अज-जुखरूफ: 9)Tafseer (तफ़सीर )
१०
الَّذِيْ جَعَلَ لَكُمُ الْاَرْضَ مَهْدًا وَّجَعَلَ لَكُمْ فِيْهَا سُبُلًا لَّعَلَّكُمْ تَهْتَدُوْنَ ۚ ١٠
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो जिसने
- jaʿala
- جَعَلَ
- बनाया
- lakumu
- لَكُمُ
- तुम्हारे लिए
- l-arḍa
- ٱلْأَرْضَ
- ज़मीन को
- mahdan
- مَهْدًا
- बिछौना
- wajaʿala
- وَجَعَلَ
- और उसने बनाए
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- subulan
- سُبُلًا
- रास्ते
- laʿallakum
- لَّعَلَّكُمْ
- ताकि तुम
- tahtadūna
- تَهْتَدُونَ
- तुम राह पाओ
जिसने तुम्हारे लिए धरती को गहवारा बनाया औऱ उसमें तुम्हारे लिए मार्ग बना दिए. ताकि तुम्हें मार्गदर्शन प्राप्त हो ([४३] अज-जुखरूफ: 10)Tafseer (तफ़सीर )