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सूरा अश-शूरा - Page: 6

Ash-Shuraa

(परिषद, विधान)

५१

۞ وَمَا كَانَ لِبَشَرٍ اَنْ يُّكَلِّمَهُ اللّٰهُ اِلَّا وَحْيًا اَوْ مِنْ وَّرَاۤئِ حِجَابٍ اَوْ يُرْسِلَ رَسُوْلًا فَيُوْحِيَ بِاِذْنِهٖ مَا يَشَاۤءُ ۗاِنَّهٗ عَلِيٌّ حَكِيْمٌ ٥١

wamā
وَمَا
और नहीं
kāna
كَانَ
है
libasharin
لِبَشَرٍ
किसी इन्सान के लिए
an
أَن
कि
yukallimahu
يُكَلِّمَهُ
कलाम करे उससे
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
illā
إِلَّا
मगर
waḥyan
وَحْيًا
वही के तौर
aw
أَوْ
या
min
مِن
पीछे से
warāi
وَرَآئِ
पीछे से
ḥijābin
حِجَابٍ
पर्दे के
aw
أَوْ
या
yur'sila
يُرْسِلَ
वो भेजे
rasūlan
رَسُولًا
कोई रसूल(फ़रिश्ता)
fayūḥiya
فَيُوحِىَ
तो वो वही पहुँचाता है
bi-idh'nihi
بِإِذْنِهِۦ
उसके इज़्न से
مَا
जो
yashāu
يَشَآءُۚ
वो चाहता है
innahu
إِنَّهُۥ
यक़ीनन वो
ʿaliyyun
عَلِىٌّ
बहुत बुलन्द है
ḥakīmun
حَكِيمٌ
ख़ूब हिकमत वाला है
किसी मनुष्य की यह शान नहीं कि अल्लाह उससे बात करे, सिवाय इसके कि प्रकाशना के द्वारा या परदे के पीछे से (बात करे) । या यह कि वह एक रसूल (फ़रिश्ता) भेज दे, फिर वह उसकी अनुज्ञा से जो कुछ वह चाहता है प्रकाशना कर दे। निश्चय ही वह सर्वोच्च अत्यन्त तत्वदर्शी है ([४२] अश-शूरा: 51)
Tafseer (तफ़सीर )
५२

وَكَذٰلِكَ اَوْحَيْنَآ اِلَيْكَ رُوْحًا مِّنْ اَمْرِنَا ۗمَا كُنْتَ تَدْرِيْ مَا الْكِتٰبُ وَلَا الْاِيْمَانُ وَلٰكِنْ جَعَلْنٰهُ نُوْرًا نَّهْدِيْ بِهٖ مَنْ نَّشَاۤءُ مِنْ عِبَادِنَا ۗوَاِنَّكَ لَتَهْدِيْٓ اِلٰى صِرَاطٍ مُّسْتَقِيْمٍۙ ٥٢

wakadhālika
وَكَذَٰلِكَ
और इसी तरह
awḥaynā
أَوْحَيْنَآ
वही की हमने
ilayka
إِلَيْكَ
आपकी तरफ़
rūḥan
رُوحًا
एक रूह (क़ुरान ) की
min
مِّنْ
अपने हुक्म से
amrinā
أَمْرِنَاۚ
अपने हुक्म से
مَا
ना
kunta
كُنتَ
थे आप
tadrī
تَدْرِى
आप जानते
مَا
क्या है
l-kitābu
ٱلْكِتَٰبُ
किताब
walā
وَلَا
और ना
l-īmānu
ٱلْإِيمَٰنُ
ईमान
walākin
وَلَٰكِن
और लेकिन
jaʿalnāhu
جَعَلْنَٰهُ
बनाया हमने उसे
nūran
نُورًا
ऐसा नूर
nahdī
نَّهْدِى
हम हिदायत देते हैं
bihi
بِهِۦ
साथ उसके
man
مَن
जिसे
nashāu
نَّشَآءُ
हम चाहते हैं
min
مِنْ
अपने बन्दों में से
ʿibādinā
عِبَادِنَاۚ
अपने बन्दों में से
wa-innaka
وَإِنَّكَ
और बेशक आप
latahdī
لَتَهْدِىٓ
अलबत्ता आप रहनुमाई करते हैं
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ रास्ते
ṣirāṭin
صِرَٰطٍ
तरफ़ रास्ते
mus'taqīmin
مُّسْتَقِيمٍ
सीधे के
और इसी प्रकार हमने अपने आदेश से एक रूह (क़ुरआन) की प्रकाशना तुम्हारी ओर की है। तुम नहीं जानते थे कि किताब क्या होती है और न ईमान को (जानते थे), किन्तु हमने इस (प्रकाशना) को एक प्रकाश बनाया, जिसके द्वारा हम अपने बन्दों में से जिसे चाहते है मार्ग दिखाते है। निश्चय ही तुम एक सीधे मार्ग की ओर पथप्रदर्शन कर रहे हो- ([४२] अश-शूरा: 52)
Tafseer (तफ़सीर )
५३

صِرَاطِ اللّٰهِ الَّذِيْ لَهٗ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَمَا فِى الْاَرْضِۗ اَلَآ اِلَى اللّٰهِ تَصِيْرُ الْاُمُوْرُ ࣖ ٥٣

ṣirāṭi
صِرَٰطِ
रास्ता
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
alladhī
ٱلَّذِى
वो जो
lahu
لَهُۥ
उसका के लिए है
مَا
जो कुछ
فِى
आसमानों में है
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों में है
wamā
وَمَا
और जो कुछ
فِى
ज़मीन में है
l-arḍi
ٱلْأَرْضِۗ
ज़मीन में है
alā
أَلَآ
ख़बरदार
ilā
إِلَى
तरफ़ अल्लाह ही के
l-lahi
ٱللَّهِ
तरफ़ अल्लाह ही के
taṣīru
تَصِيرُ
लौटते हैं
l-umūru
ٱلْأُمُورُ
तमाम मामलात
उस अल्लाह के मार्ग की ओर जिसका वह सब कुछ है, जो आकाशों में है और जो धरती में है। सुन लो, सारे मामले अन्ततः अल्लाह ही की ओर पलटते हैं ([४२] अश-शूरा: 53)
Tafseer (तफ़सीर )