وَمَآ اَنْتُمْ بِمُعْجِزِيْنَ فِى الْاَرْضِۚ وَمَا لَكُمْ مِّنْ دُوْنِ اللّٰهِ مِنْ وَّلِيٍّ وَّلَا نَصِيْرٍ ٣١
- wamā
- وَمَآ
- और नहीं
- antum
- أَنتُم
- तुम
- bimuʿ'jizīna
- بِمُعْجِزِينَ
- आजिज़ करने वाले
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِۖ
- ज़मीन में
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- lakum
- لَكُم
- तुम्हारे लिए
- min
- مِّن
- सिवाय
- dūni
- دُونِ
- सिवाय
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- min
- مِن
- कोई दोस्त
- waliyyin
- وَلِىٍّ
- कोई दोस्त
- walā
- وَلَا
- और ना
- naṣīrin
- نَصِيرٍ
- कोई मददगार
तुम धरती में काबू से निकल जानेवाले नहीं हो, और न अल्लाह से हटकर तुम्हारा कोई संरक्षक मित्र है और न सहायक ही ([४२] अश-शूरा: 31)Tafseer (तफ़सीर )
وَمِنْ اٰيٰتِهِ الْجَوَارِ فِى الْبَحْرِ كَالْاَعْلَامِ ۗ ٣٢
- wamin
- وَمِنْ
- और उसकी निशानियों में से हैं
- āyātihi
- ءَايَٰتِهِ
- और उसकी निशानियों में से हैं
- l-jawāri
- ٱلْجَوَارِ
- कश्तियाँ
- fī
- فِى
- समुन्दर में
- l-baḥri
- ٱلْبَحْرِ
- समुन्दर में
- kal-aʿlāmi
- كَٱلْأَعْلَٰمِ
- पहाड़ों की तरह
उसकी निशानियों में से समुद्र में पहाड़ो के सदृश चलते जहाज़ भी है ([४२] अश-शूरा: 32)Tafseer (तफ़सीर )
اِنْ يَّشَأْ يُسْكِنِ الرِّيْحَ فَيَظْلَلْنَ رَوَاكِدَ عَلٰى ظَهْرِهٖۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيٰتٍ لِّكُلِّ صَبَّارٍ شَكُوْرٍۙ ٣٣
- in
- إِن
- अगर
- yasha
- يَشَأْ
- वो चाहे
- yus'kini
- يُسْكِنِ
- वो साकिन कर दे
- l-rīḥa
- ٱلرِّيحَ
- हवा को
- fayaẓlalna
- فَيَظْلَلْنَ
- तो वो रह जाऐं
- rawākida
- رَوَاكِدَ
- खड़ी हुई
- ʿalā
- عَلَىٰ
- उसकी पुश्त पर
- ẓahrihi
- ظَهْرِهِۦٓۚ
- उसकी पुश्त पर
- inna
- إِنَّ
- यक़ीनन
- fī
- فِى
- इसमें
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- इसमें
- laāyātin
- لَءَايَٰتٍ
- अलबत्ता निशानियाँ हैं
- likulli
- لِّكُلِّ
- वास्ते हर
- ṣabbārin
- صَبَّارٍ
- बहुत सब्र करने वाले
- shakūrin
- شَكُورٍ
- बहुत शुक्र गुज़ार के
यदि वह चाहे तो वायु को ठहरा दे, तो वे समुद्र की पीठ पर ठहरे रह जाएँ - निश्चय ही इसमें कितनी ही निशानियाँ है हर उस व्यक्ति के लिए जो अत्यन्त धैर्यवान, कृतज्ञ हो ([४२] अश-शूरा: 33)Tafseer (तफ़सीर )
اَوْ يُوْبِقْهُنَّ بِمَا كَسَبُوْا وَيَعْفُ عَنْ كَثِيْرٍۙ ٣٤
- aw
- أَوْ
- या
- yūbiq'hunna
- يُوبِقْهُنَّ
- वो हलाक कर दे उन्हें
- bimā
- بِمَا
- बवजह इसके जो
- kasabū
- كَسَبُوا۟
- उन्होंने कमाई की
- wayaʿfu
- وَيَعْفُ
- और वो दरगुज़र कर दे
- ʿan
- عَن
- बहुत सों सो
- kathīrin
- كَثِيرٍ
- बहुत सों सो
या उनको उनकी कमाई के कारण विनष्ट कर दे और बहुतो को माफ़ भी कर दे ([४२] अश-शूरा: 34)Tafseer (तफ़सीर )
وَّيَعْلَمَ الَّذِيْنَ يُجَادِلُوْنَ فِيْٓ اٰيٰتِنَاۗ مَا لَهُمْ مِّنْ مَّحِيْصٍ ٣٥
- wayaʿlama
- وَيَعْلَمَ
- और (ताकि) जान लें
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो लोग जो
- yujādilūna
- يُجَٰدِلُونَ
- झगड़ते हैं
- fī
- فِىٓ
- हमारी आयात में
- āyātinā
- ءَايَٰتِنَا
- हमारी आयात में
- mā
- مَا
- नहीं
- lahum
- لَهُم
- उनके लिए
- min
- مِّن
- कोई जाए पनाह
- maḥīṣin
- مَّحِيصٍ
- कोई जाए पनाह
और परिणामतः वे लोग जान लें जो हमारी आयतों में झगड़ते है कि उनके लिए भागने की कोई जगह नहीं ([४२] अश-शूरा: 35)Tafseer (तफ़सीर )
فَمَآ اُوْتِيْتُمْ مِّنْ شَيْءٍ فَمَتَاعُ الْحَيٰوةِ الدُّنْيَا ۚوَمَا عِنْدَ اللّٰهِ خَيْرٌ وَّاَبْقٰى لِلَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَلٰى رَبِّهِمْ يَتَوَكَّلُوْنَۚ ٣٦
- famā
- فَمَآ
- पस जो भी
- ūtītum
- أُوتِيتُم
- दिए गए हो तुम
- min
- مِّن
- कोई चीज़
- shayin
- شَىْءٍ
- कोई चीज़
- famatāʿu
- فَمَتَٰعُ
- तो सामान है
- l-ḥayati
- ٱلْحَيَوٰةِ
- ज़िन्दगी का
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَاۖ
- दुनिया की
- wamā
- وَمَا
- और जो
- ʿinda
- عِندَ
- पास है
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- khayrun
- خَيْرٌ
- बेहतर है
- wa-abqā
- وَأَبْقَىٰ
- और ज़्यादा बाक़ी रहने वाला है
- lilladhīna
- لِلَّذِينَ
- उनके लिए जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- waʿalā
- وَعَلَىٰ
- और अपने रब पर ही
- rabbihim
- رَبِّهِمْ
- और अपने रब पर ही
- yatawakkalūna
- يَتَوَكَّلُونَ
- वो तवक्कल करते है
तुम्हें जो चीज़ भी मिली है वह तो सांसारिक जीवन की अस्थायी सुख-सामग्री है। किन्तु जो कुछ अल्लाह के पास है वह उत्तम है और शेष रहनेवाला भी, वह उन्ही के लिए है जो ईमान लाए और अपने रब पर भरोसा रखते है; ([४२] अश-शूरा: 36)Tafseer (तफ़सीर )
وَالَّذِيْنَ يَجْتَنِبُوْنَ كَبٰۤىِٕرَ الْاِثْمِ وَالْفَوَاحِشَ وَاِذَا مَا غَضِبُوْا هُمْ يَغْفِرُوْنَ ۚ ٣٧
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जो
- yajtanibūna
- يَجْتَنِبُونَ
- इजतिनाब करते हैं
- kabāira
- كَبَٰٓئِرَ
- कबीरा
- l-ith'mi
- ٱلْإِثْمِ
- गुनाहों से
- wal-fawāḥisha
- وَٱلْفَوَٰحِشَ
- और बेहयाई के कामों से
- wa-idhā
- وَإِذَا
- और जब भी
- mā
- مَا
- और जब भी
- ghaḍibū
- غَضِبُوا۟
- वो ग़ज़बनाक होते है
- hum
- هُمْ
- वो
- yaghfirūna
- يَغْفِرُونَ
- वो माफ़ कर देते हैं
जो बड़े-बड़े गुनाहों और अश्लील कर्मों से बचते है और जब उन्हे (किसी पर) क्रोध आता है तो वे क्षमा कर देते हैं; ([४२] अश-शूरा: 37)Tafseer (तफ़सीर )
وَالَّذِيْنَ اسْتَجَابُوْا لِرَبِّهِمْ وَاَقَامُوا الصَّلٰوةَۖ وَاَمْرُهُمْ شُوْرٰى بَيْنَهُمْۖ وَمِمَّا رَزَقْنٰهُمْ يُنْفِقُوْنَ ۚ ٣٨
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जिन्होंने
- is'tajābū
- ٱسْتَجَابُوا۟
- लब्बैक कही (अपने रब की बात को)
- lirabbihim
- لِرَبِّهِمْ
- अपने रब के लिए
- wa-aqāmū
- وَأَقَامُوا۟
- और उन्होंने क़ायम की
- l-ṣalata
- ٱلصَّلَوٰةَ
- नमाज़
- wa-amruhum
- وَأَمْرُهُمْ
- और काम उनका
- shūrā
- شُورَىٰ
- मश्वरा करना है
- baynahum
- بَيْنَهُمْ
- आपस में
- wamimmā
- وَمِمَّا
- और उसमें से जो
- razaqnāhum
- رَزَقْنَٰهُمْ
- रिज़्क़ दिया हमने उन्हें
- yunfiqūna
- يُنفِقُونَ
- वो ख़र्च करते हैं
और जिन्होंने अपने रब का हुक्म माना और नमाज़ क़ायम की, और उनका मामला उनके पारस्परिक परामर्श से चलता है, और जो कुछ हमने उन्हें दिया है उसमें से ख़र्च करते है; ([४२] अश-शूरा: 38)Tafseer (तफ़सीर )
وَالَّذِيْنَ اِذَآ اَصَابَهُمُ الْبَغْيُ هُمْ يَنْتَصِرُوْنَ ٣٩
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जो
- idhā
- إِذَآ
- जब
- aṣābahumu
- أَصَابَهُمُ
- पहुँचती है उन्हें
- l-baghyu
- ٱلْبَغْىُ
- कोई ज़्यादती
- hum
- هُمْ
- वो
- yantaṣirūna
- يَنتَصِرُونَ
- वो बदला लेते है
और जो ऐसे है कि जब उनपर ज़्यादती होती है तो वे प्रतिशोध करते है ([४२] अश-शूरा: 39)Tafseer (तफ़सीर )
وَجَزٰۤؤُا سَيِّئَةٍ سَيِّئَةٌ مِّثْلُهَا ۚفَمَنْ عَفَا وَاَصْلَحَ فَاَجْرُهٗ عَلَى اللّٰهِ ۗاِنَّهٗ لَا يُحِبُّ الظّٰلِمِيْنَ ٤٠
- wajazāu
- وَجَزَٰٓؤُا۟
- और बदला
- sayyi-atin
- سَيِّئَةٍ
- बुराई का
- sayyi-atun
- سَيِّئَةٌ
- बुराई है
- mith'luhā
- مِّثْلُهَاۖ
- उसकी मसल
- faman
- فَمَنْ
- पस जो कोई
- ʿafā
- عَفَا
- माफ़ कर दे
- wa-aṣlaḥa
- وَأَصْلَحَ
- और वो इस्लाह करे
- fa-ajruhu
- فَأَجْرُهُۥ
- तो अजर उसका
- ʿalā
- عَلَى
- ज़िम्मे है अल्लाह के
- l-lahi
- ٱللَّهِۚ
- ज़िम्मे है अल्लाह के
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- lā
- لَا
- नहीं वो मुहब्बत करता
- yuḥibbu
- يُحِبُّ
- नहीं वो मुहब्बत करता
- l-ẓālimīna
- ٱلظَّٰلِمِينَ
- ज़ालिमों से
बुराई का बदला वैसी ही बुराई है किन्तु जो क्षमा कर दे और सुधार करे तो उसका बदला अल्लाह के ज़िम्मे है। निश्चय ही वह ज़ालिमों को पसन्द नहीं करता ([४२] अश-शूरा: 40)Tafseer (तफ़सीर )