اَمْ لَهُمْ شُرَكٰۤؤُا شَرَعُوْا لَهُمْ مِّنَ الدِّيْنِ مَا لَمْ يَأْذَنْۢ بِهِ اللّٰهُ ۗوَلَوْلَا كَلِمَةُ الْفَصْلِ لَقُضِيَ بَيْنَهُمْ ۗوَاِنَّ الظّٰلِمِيْنَ لَهُمْ عَذَابٌ اَلِيْمٌ ٢١
- am
- أَمْ
- या
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- shurakāu
- شُرَكَٰٓؤُا۟
- कुछ शरीक हैं
- sharaʿū
- شَرَعُوا۟
- उन्होंने मुक़र्रर कर दिया
- lahum
- لَهُم
- उनके लिए
- mina
- مِّنَ
- दीन में से
- l-dīni
- ٱلدِّينِ
- दीन में से
- mā
- مَا
- वो जो
- lam
- لَمْ
- नहीं
- yadhan
- يَأْذَنۢ
- इजाज़त दी
- bihi
- بِهِ
- उसकी
- l-lahu
- ٱللَّهُۚ
- अल्लाह ने
- walawlā
- وَلَوْلَا
- और अगर ना होती
- kalimatu
- كَلِمَةُ
- बात
- l-faṣli
- ٱلْفَصْلِ
- फ़ैसले की
- laquḍiya
- لَقُضِىَ
- अलबत्ता फ़ैसला कर दिया जाता
- baynahum
- بَيْنَهُمْۗ
- दर्मियान उनके
- wa-inna
- وَإِنَّ
- और बेशक
- l-ẓālimīna
- ٱلظَّٰلِمِينَ
- ज़ालिम लोग
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- ʿadhābun
- عَذَابٌ
- अज़ाब है
- alīmun
- أَلِيمٌ
- दर्दनाक
(क्या उन्हें समझ नहीं) या उनके कुछ ऐसे (ठहराए हुए) साझीदार है, जिन्होंन उनके लिए कोई ऐसा धर्म निर्धारित कर दिया है जिसकी अनुज्ञा अल्लाह ने नहीं दी? यदि फ़ैसले की बात निश्चित न हो गई होती तो उनके बीच फ़ैसला हो चुका होता। निश्चय ही ज़ालिमों के लिए दुखद यातना है ([४२] अश-शूरा: 21)Tafseer (तफ़सीर )
تَرَى الظّٰلِمِيْنَ مُشْفِقِيْنَ مِمَّا كَسَبُوْا وَهُوَ وَاقِعٌۢ بِهِمْ ۗوَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ فِيْ رَوْضٰتِ الْجَنّٰتِۚ لَهُمْ مَّا يَشَاۤءُوْنَ عِنْدَ رَبِّهِمْ ۗذٰلِكَ هُوَ الْفَضْلُ الْكَبِيْرُ ٢٢
- tarā
- تَرَى
- आप देखेंगे
- l-ẓālimīna
- ٱلظَّٰلِمِينَ
- ज़लिमों को
- mush'fiqīna
- مُشْفِقِينَ
- डरने वाले होंगे
- mimmā
- مِمَّا
- उससे जो
- kasabū
- كَسَبُوا۟
- उन्होंने कमाई की
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- wāqiʿun
- وَاقِعٌۢ
- वाक़ेअ होने वाला है
- bihim
- بِهِمْۗ
- उन पर
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- waʿamilū
- وَعَمِلُوا۟
- और उन्होंने अमल किए
- l-ṣāliḥāti
- ٱلصَّٰلِحَٰتِ
- नेक
- fī
- فِى
- बाग़ों में होंगे
- rawḍāti
- رَوْضَاتِ
- बाग़ों में होंगे
- l-janāti
- ٱلْجَنَّاتِۖ
- जन्नतों के
- lahum
- لَهُم
- उनके लिए होगा
- mā
- مَّا
- जो
- yashāūna
- يَشَآءُونَ
- वो चाहेंगे
- ʿinda
- عِندَ
- पास
- rabbihim
- رَبِّهِمْۚ
- उनके रब के
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- यही
- huwa
- هُوَ
- वो
- l-faḍlu
- ٱلْفَضْلُ
- फ़ज़ल है
- l-kabīru
- ٱلْكَبِيرُ
- बहुत बड़ा
तुम ज़ालिमों को देखोगे कि उन्होंने जो कुछ कमाया उससे डर रहे होंगे, किन्तु वह तो उनपर पड़कर रहेगा। किन्तु जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए, वे जन्न्तों की वाटिकाओं में होंगे। उनके लिए उनके रब के पास वह सब कुछ है जिसकी वे इच्छा करेंगे। वही तो बड़ा उदार अनुग्रह है ([४२] अश-शूरा: 22)Tafseer (तफ़सीर )
ذٰلِكَ الَّذِيْ يُبَشِّرُ اللّٰهُ عِبَادَهُ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِۗ قُلْ لَّآ اَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ اَجْرًا اِلَّا الْمَوَدَّةَ فِى الْقُرْبٰىۗ وَمَنْ يَّقْتَرِفْ حَسَنَةً نَّزِدْ لَهٗ فِيْهَا حُسْنًا ۗاِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ شَكُوْرٌ ٢٣
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये वो ही है
- alladhī
- ٱلَّذِى
- जिसकी
- yubashiru
- يُبَشِّرُ
- ख़ुशख़बरी देता है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- ʿibādahu
- عِبَادَهُ
- अपने बन्दों को
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- waʿamilū
- وَعَمِلُوا۟
- और उन्होंने अमल किए
- l-ṣāliḥāti
- ٱلصَّٰلِحَٰتِۗ
- नेक
- qul
- قُل
- कह दीजिए
- lā
- لَّآ
- नहीं
- asalukum
- أَسْـَٔلُكُمْ
- मैं माँगता तुमसे
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- इस पर
- ajran
- أَجْرًا
- कोई अजर
- illā
- إِلَّا
- सिवाय
- l-mawadata
- ٱلْمَوَدَّةَ
- मुहब्बत के
- fī
- فِى
- क़राबत दारी में
- l-qur'bā
- ٱلْقُرْبَىٰۗ
- क़राबत दारी में
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yaqtarif
- يَقْتَرِفْ
- कमायेगा
- ḥasanatan
- حَسَنَةً
- कोई नेकी
- nazid
- نَّزِدْ
- हम ज़्यादा कर देंगे
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- ḥus'nan
- حُسْنًاۚ
- ख़ूबी को
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- ghafūrun
- غَفُورٌ
- बहुत बख़्शने वाला है
- shakūrun
- شَكُورٌ
- ख़ूब क़द्रदान है
उसी की शुभ सूचना अल्लाह अपने बन्दों को देता है जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए। कहो, 'मैं इसका तुमसे कोई पारिश्रमिक नहीं माँगता, बस निकटता का प्रेम-भाव चाहता हूँ, जो कोई नेकी कमाएगा हम उसके लिए उसमें अच्छाई की अभिवृद्धि करेंगे। निश्चय ही अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, गुणग्राहक है।' ([४२] अश-शूरा: 23)Tafseer (तफ़सीर )
اَمْ يَقُوْلُوْنَ افْتَرٰى عَلَى اللّٰهِ كَذِبًاۚ فَاِنْ يَّشَاِ اللّٰهُ يَخْتِمْ عَلٰى قَلْبِكَ ۗوَيَمْحُ اللّٰهُ الْبَاطِلَ وَيُحِقُّ الْحَقَّ بِكَلِمٰتِهٖ ۗاِنَّهٗ عَلِيْمٌ ۢبِذَاتِ الصُّدُوْرِ ٢٤
- am
- أَمْ
- या
- yaqūlūna
- يَقُولُونَ
- वो कहते हैं
- if'tarā
- ٱفْتَرَىٰ
- उसने गढ़ लिया
- ʿalā
- عَلَى
- अल्लाह पर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- kadhiban
- كَذِبًاۖ
- झूठ
- fa-in
- فَإِن
- फिर अगर
- yasha-i
- يَشَإِ
- चाहता
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- yakhtim
- يَخْتِمْ
- वो मुहर लगा देता
- ʿalā
- عَلَىٰ
- आपके दिल पर
- qalbika
- قَلْبِكَۗ
- आपके दिल पर
- wayamḥu
- وَيَمْحُ
- और जल्द मिटा देता है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- l-bāṭila
- ٱلْبَٰطِلَ
- बातिल को
- wayuḥiqqu
- وَيُحِقُّ
- और वो हक़ कर दिखाता है
- l-ḥaqa
- ٱلْحَقَّ
- हक़ को
- bikalimātihi
- بِكَلِمَٰتِهِۦٓۚ
- अपने कलमात से
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- ʿalīmun
- عَلِيمٌۢ
- ख़ूब जानने वाला है
- bidhāti
- بِذَاتِ
- सीनों वाले (भेद)
- l-ṣudūri
- ٱلصُّدُورِ
- सीनों वाले (भेद)
(क्या वे ईमान नहीं लाएँगे) या उनका कहना है कि 'इस व्यक्ति ने अल्लाह पर मिथ्यारोपण किया है?' यदि अल्लाह चाहे तो तुम्हारे दिल पर मुहर लगा दे (जिस प्रकार उसने इनकार करनेवालों के दिल पर मुहर लगा दी है) । अल्लाह तो असत्य को मिटा रहा है और सत्य को अपने बोलों से सिद्ध कर रहा है। निश्चय ही वह सीनों तक की बात को भी भली-भाँति जानता है ([४२] अश-शूरा: 24)Tafseer (तफ़सीर )
وَهُوَ الَّذِيْ يَقْبَلُ التَّوْبَةَ عَنْ عِبَادِهٖ وَيَعْفُوْا عَنِ السَّيِّاٰتِ وَيَعْلَمُ مَا تَفْعَلُوْنَۙ ٢٥
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो ही है
- alladhī
- ٱلَّذِى
- जो
- yaqbalu
- يَقْبَلُ
- क़ुबूल करता है
- l-tawbata
- ٱلتَّوْبَةَ
- तौबा
- ʿan
- عَنْ
- अपने बन्दों से
- ʿibādihi
- عِبَادِهِۦ
- अपने बन्दों से
- wayaʿfū
- وَيَعْفُوا۟
- और वो दरगुज़र करता है
- ʿani
- عَنِ
- बुराइयों से
- l-sayiāti
- ٱلسَّيِّـَٔاتِ
- बुराइयों से
- wayaʿlamu
- وَيَعْلَمُ
- और वो जानता है
- mā
- مَا
- जो
- tafʿalūna
- تَفْعَلُونَ
- तुम करते हो
वही है जो अपने बन्दों की तौबा क़बूल करता है और बुराइयों को माफ़ करता है, हालाँकि वह जानता है, जो कुछ तुम करते हो ([४२] अश-शूरा: 25)Tafseer (तफ़सीर )
وَيَسْتَجِيْبُ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ وَيَزِيْدُهُمْ مِّنْ فَضْلِهٖ ۗوَالْكٰفِرُوْنَ لَهُمْ عَذَابٌ شَدِيْدٌ ٢٦
- wayastajību
- وَيَسْتَجِيبُ
- और वो (दुआ) क़ुबूल करता है
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनकी जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- waʿamilū
- وَعَمِلُوا۟
- और उन्होंने अमल किए
- l-ṣāliḥāti
- ٱلصَّٰلِحَٰتِ
- नेक
- wayazīduhum
- وَيَزِيدُهُم
- और वो ज़्यादा देता है उन्हें
- min
- مِّن
- अपने फ़ज़ल से
- faḍlihi
- فَضْلِهِۦۚ
- अपने फ़ज़ल से
- wal-kāfirūna
- وَٱلْكَٰفِرُونَ
- और जो काफ़िर हैं
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- ʿadhābun
- عَذَابٌ
- अज़ाब है
- shadīdun
- شَدِيدٌ
- शदीद
और वह उन लोगों की प्रार्थनाएँ स्वीकार करता है जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए। और अपने उदार अनुग्रह से उन्हें और अधिक प्रदान करता है। रहे इनकार करनेवाले, तो उनके लिए कड़ा यातना है ([४२] अश-शूरा: 26)Tafseer (तफ़सीर )
۞ وَلَوْ بَسَطَ اللّٰهُ الرِّزْقَ لِعِبَادِهٖ لَبَغَوْا فِى الْاَرْضِ وَلٰكِنْ يُنَزِّلُ بِقَدَرٍ مَّا يَشَاۤءُ ۗاِنَّهٗ بِعِبَادِهٖ خَبِيْرٌۢ بَصِيْرٌ ٢٧
- walaw
- وَلَوْ
- और अगर
- basaṭa
- بَسَطَ
- खोल दे
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- l-riz'qa
- ٱلرِّزْقَ
- रिज़्क़ को
- liʿibādihi
- لِعِبَادِهِۦ
- अपने बन्दों के लिए
- labaghaw
- لَبَغَوْا۟
- अलबत्ता वो सरकशी करें
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- walākin
- وَلَٰكِن
- और लेकिन
- yunazzilu
- يُنَزِّلُ
- वो उतारता है
- biqadarin
- بِقَدَرٍ
- साथ एक अंदाज़े के
- mā
- مَّا
- जो
- yashāu
- يَشَآءُۚ
- वो चाहता है
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- biʿibādihi
- بِعِبَادِهِۦ
- अपने बन्दों से
- khabīrun
- خَبِيرٌۢ
- ख़ूब बाख़बर है
- baṣīrun
- بَصِيرٌ
- ख़ूब देखने वाला है
यदि अल्लाह अपने बन्दों के लिए रोज़ी कुशादा कर देता तो वे धरती में सरकशी करने लगते। किन्तु वह एक अंदाज़े के साथ जो चाहता है, उतारता है। निस्संदेह वह अपने बन्दों की ख़बर रखनेवाला है। वह उनपर निगाह रखता है ([४२] अश-शूरा: 27)Tafseer (तफ़सीर )
وَهُوَ الَّذِيْ يُنَزِّلُ الْغَيْثَ مِنْۢ بَعْدِ مَا قَنَطُوْا وَيَنْشُرُ رَحْمَتَهٗ ۗوَهُوَ الْوَلِيُّ الْحَمِيْدُ ٢٨
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो ही है
- alladhī
- ٱلَّذِى
- जो
- yunazzilu
- يُنَزِّلُ
- उतारता है
- l-ghaytha
- ٱلْغَيْثَ
- बारिश को
- min
- مِنۢ
- इसके बाद
- baʿdi
- بَعْدِ
- इसके बाद
- mā
- مَا
- जो
- qanaṭū
- قَنَطُوا۟
- वो मायूस हो गए
- wayanshuru
- وَيَنشُرُ
- और वो फैला देता है
- raḥmatahu
- رَحْمَتَهُۥۚ
- अपनी रहमत को
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो ही
- l-waliyu
- ٱلْوَلِىُّ
- मददगार है
- l-ḥamīdu
- ٱلْحَمِيدُ
- बहुत तारीफ़ वाला है
वही है जो इसके पश्चात कि लोग निराश हो चुके होते है, मेंह बरसाता है और अपनी दयालुता को फैला देता है। और वही है संरक्षक मित्र, प्रशंसनीय! ([४२] अश-शूरा: 28)Tafseer (तफ़सीर )
وَمِنْ اٰيٰتِهٖ خَلْقُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَمَا بَثَّ فِيْهِمَا مِنْ دَاۤبَّةٍ ۗوَهُوَ عَلٰى جَمْعِهِمْ اِذَا يَشَاۤءُ قَدِيْرٌ ࣖ ٢٩
- wamin
- وَمِنْ
- और उसकी निशानियों में से है
- āyātihi
- ءَايَٰتِهِۦ
- और उसकी निशानियों में से है
- khalqu
- خَلْقُ
- पैदाइश
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِ
- और ज़मीन की
- wamā
- وَمَا
- और जो भी
- batha
- بَثَّ
- उसने फैला दिए
- fīhimā
- فِيهِمَا
- इन दोनों में
- min
- مِن
- कोई जानदार
- dābbatin
- دَآبَّةٍۚ
- कोई जानदार
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- ʿalā
- عَلَىٰ
- उनके जमा करने पर
- jamʿihim
- جَمْعِهِمْ
- उनके जमा करने पर
- idhā
- إِذَا
- जब
- yashāu
- يَشَآءُ
- वो चाहे
- qadīrun
- قَدِيرٌ
- ख़ूब क़ुदरत रखने वाला है
और उसकी निशानियों में से है आकाशों और धरती को पैदा करना, और वे जीवधारी भी जो उसने इन दोनों में फैला रखे है। वह जब चाहे उन्हें इकट्ठा करने की सामर्थ्य भी रखता है ([४२] अश-शूरा: 29)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَآ اَصَابَكُمْ مِّنْ مُّصِيْبَةٍ فَبِمَا كَسَبَتْ اَيْدِيْكُمْ وَيَعْفُوْا عَنْ كَثِيْرٍۗ ٣٠
- wamā
- وَمَآ
- और जो भी
- aṣābakum
- أَصَٰبَكُم
- पहुँची तुम्हें
- min
- مِّن
- कोई मुसीबत
- muṣībatin
- مُّصِيبَةٍ
- कोई मुसीबत
- fabimā
- فَبِمَا
- पस बवजह उसके जो
- kasabat
- كَسَبَتْ
- कमाई की
- aydīkum
- أَيْدِيكُمْ
- तुम्हारे हाथों ने
- wayaʿfū
- وَيَعْفُوا۟
- और वो दरगुज़र करता है
- ʿan
- عَن
- बहुत कुछ से
- kathīrin
- كَثِيرٍ
- बहुत कुछ से
जो मुसीबत तुम्हें पहुँची वह तो तुम्हारे अपने हाथों की कमाई से पहुँची और बहुत कुछ तो वह माफ़ कर देता है ([४२] अश-शूरा: 30)Tafseer (तफ़सीर )