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सूरा अश-शूरा - Page: 3

Ash-Shuraa

(परिषद, विधान)

२१

اَمْ لَهُمْ شُرَكٰۤؤُا شَرَعُوْا لَهُمْ مِّنَ الدِّيْنِ مَا لَمْ يَأْذَنْۢ بِهِ اللّٰهُ ۗوَلَوْلَا كَلِمَةُ الْفَصْلِ لَقُضِيَ بَيْنَهُمْ ۗوَاِنَّ الظّٰلِمِيْنَ لَهُمْ عَذَابٌ اَلِيْمٌ ٢١

am
أَمْ
या
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
shurakāu
شُرَكَٰٓؤُا۟
कुछ शरीक हैं
sharaʿū
شَرَعُوا۟
उन्होंने मुक़र्रर कर दिया
lahum
لَهُم
उनके लिए
mina
مِّنَ
दीन में से
l-dīni
ٱلدِّينِ
दीन में से
مَا
वो जो
lam
لَمْ
नहीं
yadhan
يَأْذَنۢ
इजाज़त दी
bihi
بِهِ
उसकी
l-lahu
ٱللَّهُۚ
अल्लाह ने
walawlā
وَلَوْلَا
और अगर ना होती
kalimatu
كَلِمَةُ
बात
l-faṣli
ٱلْفَصْلِ
फ़ैसले की
laquḍiya
لَقُضِىَ
अलबत्ता फ़ैसला कर दिया जाता
baynahum
بَيْنَهُمْۗ
दर्मियान उनके
wa-inna
وَإِنَّ
और बेशक
l-ẓālimīna
ٱلظَّٰلِمِينَ
ज़ालिम लोग
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
ʿadhābun
عَذَابٌ
अज़ाब है
alīmun
أَلِيمٌ
दर्दनाक
(क्या उन्हें समझ नहीं) या उनके कुछ ऐसे (ठहराए हुए) साझीदार है, जिन्होंन उनके लिए कोई ऐसा धर्म निर्धारित कर दिया है जिसकी अनुज्ञा अल्लाह ने नहीं दी? यदि फ़ैसले की बात निश्चित न हो गई होती तो उनके बीच फ़ैसला हो चुका होता। निश्चय ही ज़ालिमों के लिए दुखद यातना है ([४२] अश-शूरा: 21)
Tafseer (तफ़सीर )
२२

تَرَى الظّٰلِمِيْنَ مُشْفِقِيْنَ مِمَّا كَسَبُوْا وَهُوَ وَاقِعٌۢ بِهِمْ ۗوَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ فِيْ رَوْضٰتِ الْجَنّٰتِۚ لَهُمْ مَّا يَشَاۤءُوْنَ عِنْدَ رَبِّهِمْ ۗذٰلِكَ هُوَ الْفَضْلُ الْكَبِيْرُ ٢٢

tarā
تَرَى
आप देखेंगे
l-ẓālimīna
ٱلظَّٰلِمِينَ
ज़लिमों को
mush'fiqīna
مُشْفِقِينَ
डरने वाले होंगे
mimmā
مِمَّا
उससे जो
kasabū
كَسَبُوا۟
उन्होंने कमाई की
wahuwa
وَهُوَ
और वो
wāqiʿun
وَاقِعٌۢ
वाक़ेअ होने वाला है
bihim
بِهِمْۗ
उन पर
wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
waʿamilū
وَعَمِلُوا۟
और उन्होंने अमल किए
l-ṣāliḥāti
ٱلصَّٰلِحَٰتِ
नेक
فِى
बाग़ों में होंगे
rawḍāti
رَوْضَاتِ
बाग़ों में होंगे
l-janāti
ٱلْجَنَّاتِۖ
जन्नतों के
lahum
لَهُم
उनके लिए होगा
مَّا
जो
yashāūna
يَشَآءُونَ
वो चाहेंगे
ʿinda
عِندَ
पास
rabbihim
رَبِّهِمْۚ
उनके रब के
dhālika
ذَٰلِكَ
यही
huwa
هُوَ
वो
l-faḍlu
ٱلْفَضْلُ
फ़ज़ल है
l-kabīru
ٱلْكَبِيرُ
बहुत बड़ा
तुम ज़ालिमों को देखोगे कि उन्होंने जो कुछ कमाया उससे डर रहे होंगे, किन्तु वह तो उनपर पड़कर रहेगा। किन्तु जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए, वे जन्न्तों की वाटिकाओं में होंगे। उनके लिए उनके रब के पास वह सब कुछ है जिसकी वे इच्छा करेंगे। वही तो बड़ा उदार अनुग्रह है ([४२] अश-शूरा: 22)
Tafseer (तफ़सीर )
२३

ذٰلِكَ الَّذِيْ يُبَشِّرُ اللّٰهُ عِبَادَهُ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِۗ قُلْ لَّآ اَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ اَجْرًا اِلَّا الْمَوَدَّةَ فِى الْقُرْبٰىۗ وَمَنْ يَّقْتَرِفْ حَسَنَةً نَّزِدْ لَهٗ فِيْهَا حُسْنًا ۗاِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ شَكُوْرٌ ٢٣

dhālika
ذَٰلِكَ
ये वो ही है
alladhī
ٱلَّذِى
जिसकी
yubashiru
يُبَشِّرُ
ख़ुशख़बरी देता है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ʿibādahu
عِبَادَهُ
अपने बन्दों को
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
waʿamilū
وَعَمِلُوا۟
और उन्होंने अमल किए
l-ṣāliḥāti
ٱلصَّٰلِحَٰتِۗ
नेक
qul
قُل
कह दीजिए
لَّآ
नहीं
asalukum
أَسْـَٔلُكُمْ
मैं माँगता तुमसे
ʿalayhi
عَلَيْهِ
इस पर
ajran
أَجْرًا
कोई अजर
illā
إِلَّا
सिवाय
l-mawadata
ٱلْمَوَدَّةَ
मुहब्बत के
فِى
क़राबत दारी में
l-qur'bā
ٱلْقُرْبَىٰۗ
क़राबत दारी में
waman
وَمَن
और जो कोई
yaqtarif
يَقْتَرِفْ
कमायेगा
ḥasanatan
حَسَنَةً
कोई नेकी
nazid
نَّزِدْ
हम ज़्यादा कर देंगे
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
fīhā
فِيهَا
उसमें
ḥus'nan
حُسْنًاۚ
ख़ूबी को
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
ghafūrun
غَفُورٌ
बहुत बख़्शने वाला है
shakūrun
شَكُورٌ
ख़ूब क़द्रदान है
उसी की शुभ सूचना अल्लाह अपने बन्दों को देता है जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए। कहो, 'मैं इसका तुमसे कोई पारिश्रमिक नहीं माँगता, बस निकटता का प्रेम-भाव चाहता हूँ, जो कोई नेकी कमाएगा हम उसके लिए उसमें अच्छाई की अभिवृद्धि करेंगे। निश्चय ही अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, गुणग्राहक है।' ([४२] अश-शूरा: 23)
Tafseer (तफ़सीर )
२४

اَمْ يَقُوْلُوْنَ افْتَرٰى عَلَى اللّٰهِ كَذِبًاۚ فَاِنْ يَّشَاِ اللّٰهُ يَخْتِمْ عَلٰى قَلْبِكَ ۗوَيَمْحُ اللّٰهُ الْبَاطِلَ وَيُحِقُّ الْحَقَّ بِكَلِمٰتِهٖ ۗاِنَّهٗ عَلِيْمٌ ۢبِذَاتِ الصُّدُوْرِ ٢٤

am
أَمْ
या
yaqūlūna
يَقُولُونَ
वो कहते हैं
if'tarā
ٱفْتَرَىٰ
उसने गढ़ लिया
ʿalā
عَلَى
अल्लाह पर
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह पर
kadhiban
كَذِبًاۖ
झूठ
fa-in
فَإِن
फिर अगर
yasha-i
يَشَإِ
चाहता
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
yakhtim
يَخْتِمْ
वो मुहर लगा देता
ʿalā
عَلَىٰ
आपके दिल पर
qalbika
قَلْبِكَۗ
आपके दिल पर
wayamḥu
وَيَمْحُ
और जल्द मिटा देता है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
l-bāṭila
ٱلْبَٰطِلَ
बातिल को
wayuḥiqqu
وَيُحِقُّ
और वो हक़ कर दिखाता है
l-ḥaqa
ٱلْحَقَّ
हक़ को
bikalimātihi
بِكَلِمَٰتِهِۦٓۚ
अपने कलमात से
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
ʿalīmun
عَلِيمٌۢ
ख़ूब जानने वाला है
bidhāti
بِذَاتِ
सीनों वाले (भेद)
l-ṣudūri
ٱلصُّدُورِ
सीनों वाले (भेद)
(क्या वे ईमान नहीं लाएँगे) या उनका कहना है कि 'इस व्यक्ति ने अल्लाह पर मिथ्यारोपण किया है?' यदि अल्लाह चाहे तो तुम्हारे दिल पर मुहर लगा दे (जिस प्रकार उसने इनकार करनेवालों के दिल पर मुहर लगा दी है) । अल्लाह तो असत्य को मिटा रहा है और सत्य को अपने बोलों से सिद्ध कर रहा है। निश्चय ही वह सीनों तक की बात को भी भली-भाँति जानता है ([४२] अश-शूरा: 24)
Tafseer (तफ़सीर )
२५

وَهُوَ الَّذِيْ يَقْبَلُ التَّوْبَةَ عَنْ عِبَادِهٖ وَيَعْفُوْا عَنِ السَّيِّاٰتِ وَيَعْلَمُ مَا تَفْعَلُوْنَۙ ٢٥

wahuwa
وَهُوَ
और वो ही है
alladhī
ٱلَّذِى
जो
yaqbalu
يَقْبَلُ
क़ुबूल करता है
l-tawbata
ٱلتَّوْبَةَ
तौबा
ʿan
عَنْ
अपने बन्दों से
ʿibādihi
عِبَادِهِۦ
अपने बन्दों से
wayaʿfū
وَيَعْفُوا۟
और वो दरगुज़र करता है
ʿani
عَنِ
बुराइयों से
l-sayiāti
ٱلسَّيِّـَٔاتِ
बुराइयों से
wayaʿlamu
وَيَعْلَمُ
और वो जानता है
مَا
जो
tafʿalūna
تَفْعَلُونَ
तुम करते हो
वही है जो अपने बन्दों की तौबा क़बूल करता है और बुराइयों को माफ़ करता है, हालाँकि वह जानता है, जो कुछ तुम करते हो ([४२] अश-शूरा: 25)
Tafseer (तफ़सीर )
२६

وَيَسْتَجِيْبُ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ وَيَزِيْدُهُمْ مِّنْ فَضْلِهٖ ۗوَالْكٰفِرُوْنَ لَهُمْ عَذَابٌ شَدِيْدٌ ٢٦

wayastajību
وَيَسْتَجِيبُ
और वो (दुआ) क़ुबूल करता है
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनकी जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
waʿamilū
وَعَمِلُوا۟
और उन्होंने अमल किए
l-ṣāliḥāti
ٱلصَّٰلِحَٰتِ
नेक
wayazīduhum
وَيَزِيدُهُم
और वो ज़्यादा देता है उन्हें
min
مِّن
अपने फ़ज़ल से
faḍlihi
فَضْلِهِۦۚ
अपने फ़ज़ल से
wal-kāfirūna
وَٱلْكَٰفِرُونَ
और जो काफ़िर हैं
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
ʿadhābun
عَذَابٌ
अज़ाब है
shadīdun
شَدِيدٌ
शदीद
और वह उन लोगों की प्रार्थनाएँ स्वीकार करता है जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए। और अपने उदार अनुग्रह से उन्हें और अधिक प्रदान करता है। रहे इनकार करनेवाले, तो उनके लिए कड़ा यातना है ([४२] अश-शूरा: 26)
Tafseer (तफ़सीर )
२७

۞ وَلَوْ بَسَطَ اللّٰهُ الرِّزْقَ لِعِبَادِهٖ لَبَغَوْا فِى الْاَرْضِ وَلٰكِنْ يُنَزِّلُ بِقَدَرٍ مَّا يَشَاۤءُ ۗاِنَّهٗ بِعِبَادِهٖ خَبِيْرٌۢ بَصِيْرٌ ٢٧

walaw
وَلَوْ
और अगर
basaṭa
بَسَطَ
खोल दे
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
l-riz'qa
ٱلرِّزْقَ
रिज़्क़ को
liʿibādihi
لِعِبَادِهِۦ
अपने बन्दों के लिए
labaghaw
لَبَغَوْا۟
अलबत्ता वो सरकशी करें
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
walākin
وَلَٰكِن
और लेकिन
yunazzilu
يُنَزِّلُ
वो उतारता है
biqadarin
بِقَدَرٍ
साथ एक अंदाज़े के
مَّا
जो
yashāu
يَشَآءُۚ
वो चाहता है
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
biʿibādihi
بِعِبَادِهِۦ
अपने बन्दों से
khabīrun
خَبِيرٌۢ
ख़ूब बाख़बर है
baṣīrun
بَصِيرٌ
ख़ूब देखने वाला है
यदि अल्लाह अपने बन्दों के लिए रोज़ी कुशादा कर देता तो वे धरती में सरकशी करने लगते। किन्तु वह एक अंदाज़े के साथ जो चाहता है, उतारता है। निस्संदेह वह अपने बन्दों की ख़बर रखनेवाला है। वह उनपर निगाह रखता है ([४२] अश-शूरा: 27)
Tafseer (तफ़सीर )
२८

وَهُوَ الَّذِيْ يُنَزِّلُ الْغَيْثَ مِنْۢ بَعْدِ مَا قَنَطُوْا وَيَنْشُرُ رَحْمَتَهٗ ۗوَهُوَ الْوَلِيُّ الْحَمِيْدُ ٢٨

wahuwa
وَهُوَ
और वो ही है
alladhī
ٱلَّذِى
जो
yunazzilu
يُنَزِّلُ
उतारता है
l-ghaytha
ٱلْغَيْثَ
बारिश को
min
مِنۢ
इसके बाद
baʿdi
بَعْدِ
इसके बाद
مَا
जो
qanaṭū
قَنَطُوا۟
वो मायूस हो गए
wayanshuru
وَيَنشُرُ
और वो फैला देता है
raḥmatahu
رَحْمَتَهُۥۚ
अपनी रहमत को
wahuwa
وَهُوَ
और वो ही
l-waliyu
ٱلْوَلِىُّ
मददगार है
l-ḥamīdu
ٱلْحَمِيدُ
बहुत तारीफ़ वाला है
वही है जो इसके पश्चात कि लोग निराश हो चुके होते है, मेंह बरसाता है और अपनी दयालुता को फैला देता है। और वही है संरक्षक मित्र, प्रशंसनीय! ([४२] अश-शूरा: 28)
Tafseer (तफ़सीर )
२९

وَمِنْ اٰيٰتِهٖ خَلْقُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَمَا بَثَّ فِيْهِمَا مِنْ دَاۤبَّةٍ ۗوَهُوَ عَلٰى جَمْعِهِمْ اِذَا يَشَاۤءُ قَدِيْرٌ ࣖ ٢٩

wamin
وَمِنْ
और उसकी निशानियों में से है
āyātihi
ءَايَٰتِهِۦ
और उसकी निशानियों में से है
khalqu
خَلْقُ
पैदाइश
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِ
और ज़मीन की
wamā
وَمَا
और जो भी
batha
بَثَّ
उसने फैला दिए
fīhimā
فِيهِمَا
इन दोनों में
min
مِن
कोई जानदार
dābbatin
دَآبَّةٍۚ
कोई जानदार
wahuwa
وَهُوَ
और वो
ʿalā
عَلَىٰ
उनके जमा करने पर
jamʿihim
جَمْعِهِمْ
उनके जमा करने पर
idhā
إِذَا
जब
yashāu
يَشَآءُ
वो चाहे
qadīrun
قَدِيرٌ
ख़ूब क़ुदरत रखने वाला है
और उसकी निशानियों में से है आकाशों और धरती को पैदा करना, और वे जीवधारी भी जो उसने इन दोनों में फैला रखे है। वह जब चाहे उन्हें इकट्ठा करने की सामर्थ्य भी रखता है ([४२] अश-शूरा: 29)
Tafseer (तफ़सीर )
३०

وَمَآ اَصَابَكُمْ مِّنْ مُّصِيْبَةٍ فَبِمَا كَسَبَتْ اَيْدِيْكُمْ وَيَعْفُوْا عَنْ كَثِيْرٍۗ ٣٠

wamā
وَمَآ
और जो भी
aṣābakum
أَصَٰبَكُم
पहुँची तुम्हें
min
مِّن
कोई मुसीबत
muṣībatin
مُّصِيبَةٍ
कोई मुसीबत
fabimā
فَبِمَا
पस बवजह उसके जो
kasabat
كَسَبَتْ
कमाई की
aydīkum
أَيْدِيكُمْ
तुम्हारे हाथों ने
wayaʿfū
وَيَعْفُوا۟
और वो दरगुज़र करता है
ʿan
عَن
बहुत कुछ से
kathīrin
كَثِيرٍ
बहुत कुछ से
जो मुसीबत तुम्हें पहुँची वह तो तुम्हारे अपने हाथों की कमाई से पहुँची और बहुत कुछ तो वह माफ़ कर देता है ([४२] अश-शूरा: 30)
Tafseer (तफ़सीर )