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सूरा अश-शूरा - Page: 2

Ash-Shuraa

(परिषद, विधान)

११

فَاطِرُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ جَعَلَ لَكُمْ مِّنْ اَنْفُسِكُمْ اَزْوَاجًا وَّمِنَ الْاَنْعَامِ اَزْوَاجًاۚ يَذْرَؤُكُمْ فِيْهِۗ لَيْسَ كَمِثْلِهٖ شَيْءٌ ۚوَهُوَ السَّمِيْعُ الْبَصِيْرُ ١١

fāṭiru
فَاطِرُ
पैदा करने वाला
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِۚ
और ज़मीन का
jaʿala
جَعَلَ
उसने बनाए
lakum
لَكُم
तुम्हारे लिए
min
مِّنْ
तुम्हारे नफ़्सों से
anfusikum
أَنفُسِكُمْ
तुम्हारे नफ़्सों से
azwājan
أَزْوَٰجًا
जोड़े
wamina
وَمِنَ
और मवेशियों से
l-anʿāmi
ٱلْأَنْعَٰمِ
और मवेशियों से
azwājan
أَزْوَٰجًاۖ
जोड़े
yadhra-ukum
يَذْرَؤُكُمْ
वो फैलाता है तुम्हें
fīhi
فِيهِۚ
उसमें
laysa
لَيْسَ
नहीं है
kamith'lihi
كَمِثْلِهِۦ
उसकी मानिन्द
shayon
شَىْءٌۖ
कोई चीज़
wahuwa
وَهُوَ
और वो
l-samīʿu
ٱلسَّمِيعُ
ख़ूब सुनने वाला है
l-baṣīru
ٱلْبَصِيرُ
ख़ूब देखने वाला है
वह आकाशों और धरती का पैदा करनेवाला है। उसने तुम्हारे लिए तुम्हारी अपनी सहजाति से जोड़े बनाए और चौपायों के जोड़े भी। फैला रहा है वह तुमको अपने में। उसके सदृश कोई चीज़ नहीं। वही सबकुछ सुनता, देखता है ([४२] अश-शूरा: 11)
Tafseer (तफ़सीर )
१२

لَهٗ مَقَالِيْدُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۚ يَبْسُطُ الرِّزْقَ لِمَنْ يَّشَاۤءُ وَيَقْدِرُ ۚاِنَّهٗ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيْمٌ ١٢

lahu
لَهُۥ
उसी के लिए हैं
maqālīdu
مَقَالِيدُ
कुंजियाँ
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِۖ
और ज़मीन की
yabsuṭu
يَبْسُطُ
वो फैलाता है
l-riz'qa
ٱلرِّزْقَ
रिज़्क़
liman
لِمَن
जिसके लिए
yashāu
يَشَآءُ
वो चाहता है
wayaqdiru
وَيَقْدِرُۚ
और वो तंग कर देता है
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
bikulli
بِكُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ को
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब जानने वाला है
आकाशों और धरती की कुंजियाँ उसी के पास हैं। वह जिसके लिए चाहता है रोज़ी कुशादा कर देता है और जिसके लिए चाहता है नपी-तुली कर देता है। निस्संदेह उसे हर चीज़ का ज्ञान है ([४२] अश-शूरा: 12)
Tafseer (तफ़सीर )
१३

۞ شَرَعَ لَكُمْ مِّنَ الدِّيْنِ مَا وَصّٰى بِهٖ نُوْحًا وَّالَّذِيْٓ اَوْحَيْنَآ اِلَيْكَ وَمَا وَصَّيْنَا بِهٖٓ اِبْرٰهِيْمَ وَمُوْسٰى وَعِيْسٰٓى اَنْ اَقِيْمُوا الدِّيْنَ وَلَا تَتَفَرَّقُوْا فِيْهِۗ كَبُرَ عَلَى الْمُشْرِكِيْنَ مَا تَدْعُوْهُمْ اِلَيْهِۗ اَللّٰهُ يَجْتَبِيْٓ اِلَيْهِ مَنْ يَّشَاۤءُ وَيَهْدِيْٓ اِلَيْهِ مَنْ يُّنِيْبُۗ ١٣

sharaʿa
شَرَعَ
उसने मुक़र्रर किया
lakum
لَكُم
तुम्हारे लिए
mina
مِّنَ
दीन में से
l-dīni
ٱلدِّينِ
दीन में से
مَا
वो जो
waṣṣā
وَصَّىٰ
उसने वसीयत की
bihi
بِهِۦ
उसकी
nūḥan
نُوحًا
नूह को
wa-alladhī
وَٱلَّذِىٓ
और वो जो
awḥaynā
أَوْحَيْنَآ
वही की हमने
ilayka
إِلَيْكَ
तरफ़ आपके
wamā
وَمَا
और वो जो
waṣṣaynā
وَصَّيْنَا
वसीयत की हमने
bihi
بِهِۦٓ
उसकी
ib'rāhīma
إِبْرَٰهِيمَ
इब्राहीम
wamūsā
وَمُوسَىٰ
और मूसा
waʿīsā
وَعِيسَىٰٓۖ
और ईसा को
an
أَنْ
कि
aqīmū
أَقِيمُوا۟
क़ायम करो
l-dīna
ٱلدِّينَ
दीन को
walā
وَلَا
और ना
tatafarraqū
تَتَفَرَّقُوا۟
तुम तफ़रक़ा डालो
fīhi
فِيهِۚ
उसमें
kabura
كَبُرَ
बड़ा ( भारी ) है
ʿalā
عَلَى
मुशरिकों पर
l-mush'rikīna
ٱلْمُشْرِكِينَ
मुशरिकों पर
مَا
जो
tadʿūhum
تَدْعُوهُمْ
तुम बुलाते हो उन्हें
ilayhi
إِلَيْهِۚ
तरफ़ उसके
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
yajtabī
يَجْتَبِىٓ
वो चुन लेता है
ilayhi
إِلَيْهِ
अपनी तरफ़
man
مَن
जिसे
yashāu
يَشَآءُ
वो चाहता है
wayahdī
وَيَهْدِىٓ
और वो हिदायत देता है
ilayhi
إِلَيْهِ
अपनी तरफ़
man
مَن
उसे जो
yunību
يُنِيبُ
रुजूअ करता है
उसने तुम्हारे लिए वही धर्म निर्धारित किया जिसकी ताकीद उसने नूह को की थी।' और वह (जीवन्त आदेश) जिसकी प्रकाशना हमने तुम्हारी ओर की है और वह जिसकी ताकीद हमने इबराहीम और मूसा और ईसा को की थी यह है कि 'धर्म को क़ायम करो और उसके विषय में अलग-अलग न हो जाओ।' बहुदेववादियों को वह चीज़ बहुत अप्रिय है, जिसकी ओर तुम उन्हें बुलाते हो। अल्लाह जिसे चाहता है अपनी ओर छाँट लेता है और अपनी ओर का मार्ग उसी को दिखाता है जो उसकी ओर रुजू करता है ([४२] अश-शूरा: 13)
Tafseer (तफ़सीर )
१४

وَمَا تَفَرَّقُوْٓا اِلَّا مِنْۢ بَعْدِ مَا جَاۤءَهُمُ الْعِلْمُ بَغْيًاۢ بَيْنَهُمْۗ وَلَوْلَا كَلِمَةٌ سَبَقَتْ مِنْ رَّبِّكَ اِلٰٓى اَجَلٍ مُّسَمًّى لَّقُضِيَ بَيْنَهُمْۗ وَاِنَّ الَّذِيْنَ اُوْرِثُوا الْكِتٰبَ مِنْۢ بَعْدِهِمْ لَفِيْ شَكٍّ مِّنْهُ مُرِيْبٍ ١٤

wamā
وَمَا
और नहीं
tafarraqū
تَفَرَّقُوٓا۟
उन्होंने तफ़रक़ा डाला
illā
إِلَّا
मगर
min
مِنۢ
बाद उसके
baʿdi
بَعْدِ
बाद उसके
مَا
जो
jāahumu
جَآءَهُمُ
आ गया उनके पास
l-ʿil'mu
ٱلْعِلْمُ
इल्म
baghyan
بَغْيًۢا
सरकशी की वजह से
baynahum
بَيْنَهُمْۚ
आपस में
walawlā
وَلَوْلَا
और अगर ना होती
kalimatun
كَلِمَةٌ
एक बात
sabaqat
سَبَقَتْ
जो पहले गुज़र चुकी
min
مِن
आपके रब की तरफ़ से
rabbika
رَّبِّكَ
आपके रब की तरफ़ से
ilā
إِلَىٰٓ
एक वक़्त तक
ajalin
أَجَلٍ
एक वक़्त तक
musamman
مُّسَمًّى
मुक़र्रर
laquḍiya
لَّقُضِىَ
अलबत्ता फ़ैसला कर दिया जाता
baynahum
بَيْنَهُمْۚ
दर्मियान उनके
wa-inna
وَإِنَّ
और बेशक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
ūrithū
أُورِثُوا۟
वारिस बनाए गए
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَ
किताब के
min
مِنۢ
उनके बाद
baʿdihim
بَعْدِهِمْ
उनके बाद
lafī
لَفِى
अलबत्ता शक में हैं
shakkin
شَكٍّ
अलबत्ता शक में हैं
min'hu
مِّنْهُ
उसकी तरफ़ से
murībin
مُرِيبٍ
जो बेचैन करने वाला है
उन्होंने तो परस्पर एक-दूसरे पर ज़्यादती करने के उद्देश्य से इसके पश्चात विभेद किया कि उनके पास ज्ञान आ चुका था। और यदि तुम्हारे रब की ओर से एक नियत अवधि तक के लिए बात पहले निश्चित न हो चुकी होती तो उनके बीच फ़ैसला चुका दिया गया होता। किन्तु जो लोग उनके पश्चात किताब के वारिस हुए वे उसकी ओर से एक उलझन में डाल देनेवाले संदेह में पड़े हुए है ([४२] अश-शूरा: 14)
Tafseer (तफ़सीर )
१५

فَلِذٰلِكَ فَادْعُ ۚوَاسْتَقِمْ كَمَآ اُمِرْتَۚ وَلَا تَتَّبِعْ اَهْوَاۤءَهُمْۚ وَقُلْ اٰمَنْتُ بِمَآ اَنْزَلَ اللّٰهُ مِنْ كِتٰبٍۚ وَاُمِرْتُ لِاَعْدِلَ بَيْنَكُمْ ۗ اَللّٰهُ رَبُّنَا وَرَبُّكُمْ ۗ لَنَآ اَعْمَالُنَا وَلَكُمْ اَعْمَالُكُمْ ۗ لَاحُجَّةَ بَيْنَنَا وَبَيْنَكُمْ ۗ اَللّٰهُ يَجْمَعُ بَيْنَنَا ۚوَاِلَيْهِ الْمَصِيْرُ ۗ ١٥

falidhālika
فَلِذَٰلِكَ
तो इसी ( दीन) के लिए
fa-ud'ʿu
فَٱدْعُۖ
पस दावत दीजिए
wa-is'taqim
وَٱسْتَقِمْ
और क़ायम रहिए
kamā
كَمَآ
जैसा कि
umir'ta
أُمِرْتَۖ
हुक्म दिए गए आप
walā
وَلَا
और ना
tattabiʿ
تَتَّبِعْ
आप पैरवी कीजिए
ahwāahum
أَهْوَآءَهُمْۖ
उनकी ख़्वाहिशात की
waqul
وَقُلْ
और कह दीजिए
āmantu
ءَامَنتُ
ईमान लाया मैं
bimā
بِمَآ
उस पर जो
anzala
أَنزَلَ
नाज़िल किया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
min
مِن
किताब से
kitābin
كِتَٰبٍۖ
किताब से
wa-umir'tu
وَأُمِرْتُ
और हुक्म दिया गया है मुझे
li-aʿdila
لِأَعْدِلَ
कि मैं अदल करूँ
baynakumu
بَيْنَكُمُۖ
दर्मियान तुम्हारे
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ही
rabbunā
رَبُّنَا
रब है हमारा
warabbukum
وَرَبُّكُمْۖ
और रब तुम्हारा
lanā
لَنَآ
हमारे लिए
aʿmālunā
أَعْمَٰلُنَا
आमाल हमारे
walakum
وَلَكُمْ
और तुम्हारे लिए
aʿmālukum
أَعْمَٰلُكُمْۖ
आमाल तुम्हारे
لَا
नहीं कोई झगड़ा
ḥujjata
حُجَّةَ
नहीं कोई झगड़ा
baynanā
بَيْنَنَا
दर्मियान हमारे
wabaynakumu
وَبَيْنَكُمُۖ
और दर्मियान तुम्हारे
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
yajmaʿu
يَجْمَعُ
वो जमा कर देगा
baynanā
بَيْنَنَاۖ
हमें आपस में
wa-ilayhi
وَإِلَيْهِ
और तरफ़ उसी के
l-maṣīru
ٱلْمَصِيرُ
लौटना है
अतः इसी लिए (उन्हें सत्य की ओर) बुलाओ, और जैसा कि तुम्हें हुक्म दिया गया है स्वयं क़ायम रहो, और उनकी इच्छाओं का पालन न करना और कह दो, 'अल्लाह ने जो किताब अवतरित की है, मैं उसपर ईमान लाया। मुझे तो आदेश हुआ है कि मैं तुम्हारे बीच न्याय करूँ। अल्लाह ही हमारा भी रब है और तुम्हारा भी। हमारे लिए हमारे कर्म है और तुम्हारे लिए तुम्हारे कर्म। हममें और तुममें कोई झगड़ा नहीं। अल्लाह हम सबको इकट्ठा करेगा और अन्ततः उसी की ओर जाना है।' ([४२] अश-शूरा: 15)
Tafseer (तफ़सीर )
१६

وَالَّذِيْنَ يُحَاۤجُّوْنَ فِى اللّٰهِ مِنْۢ بَعْدِ مَا اسْتُجِيْبَ لَهٗ حُجَّتُهُمْ دَاحِضَةٌ عِنْدَ رَبِّهِمْ وَعَلَيْهِمْ غَضَبٌ وَّلَهُمْ عَذَابٌ شَدِيْدٌ ١٦

wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जो
yuḥājjūna
يُحَآجُّونَ
झगड़ते हैं
فِى
अल्लाह के बारे में
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के बारे में
min
مِنۢ
बाद उसके
baʿdi
بَعْدِ
बाद उसके
مَا
जो
us'tujība
ٱسْتُجِيبَ
क़ुबूल कर लिया गया
lahu
لَهُۥ
उसी के लिए
ḥujjatuhum
حُجَّتُهُمْ
हुज्जत /दलील उनकी
dāḥiḍatun
دَاحِضَةٌ
ज़ायल होने वाली है
ʿinda
عِندَ
नज़दीक
rabbihim
رَبِّهِمْ
उनके रब के
waʿalayhim
وَعَلَيْهِمْ
और उन पर
ghaḍabun
غَضَبٌ
ग़ज़ब है
walahum
وَلَهُمْ
और उनके लिए
ʿadhābun
عَذَابٌ
अज़ाब है
shadīdun
شَدِيدٌ
सख़्त
जो लोग अल्लाह के विषय में झगड़ते है, इसके पश्चात कि उसकी पुकार स्वीकार कर ली गई, उनका झगड़ना उनके रब की स्पष्ट में बिलकुल न ठहरनेवाला (असत्य) है। प्रकोप है उनपर और उनके लिए कड़ी यातना है ([४२] अश-शूरा: 16)
Tafseer (तफ़सीर )
१७

اَللّٰهُ الَّذِيْٓ اَنْزَلَ الْكِتٰبَ بِالْحَقِّ وَالْمِيْزَانَ ۗوَمَا يُدْرِيْكَ لَعَلَّ السَّاعَةَ قَرِيْبٌ ١٧

al-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
alladhī
ٱلَّذِىٓ
वो है जिसने
anzala
أَنزَلَ
नाज़िल किया
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَ
किताब को
bil-ḥaqi
بِٱلْحَقِّ
साथ हक़ के
wal-mīzāna
وَٱلْمِيزَانَۗ
और मीज़ान को
wamā
وَمَا
और क्या चीज़
yud'rīka
يُدْرِيكَ
बताए आपको
laʿalla
لَعَلَّ
शायद कि
l-sāʿata
ٱلسَّاعَةَ
क़यामत
qarībun
قَرِيبٌ
क़रीब हो
वह अल्लाह ही है जिसने हक़ के साथ किताब और तुला अवतरित की। और तुम्हें क्या मालूम कदाचित क़ियामत की घड़ी निकट ही आ लगी हो ([४२] अश-शूरा: 17)
Tafseer (तफ़सीर )
१८

يَسْتَعْجِلُ بِهَا الَّذِيْنَ لَا يُؤْمِنُوْنَ بِهَاۚ وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا مُشْفِقُوْنَ مِنْهَاۙ وَيَعْلَمُوْنَ اَنَّهَا الْحَقُّ ۗ اَلَآ اِنَّ الَّذِيْنَ يُمَارُوْنَ فِى السَّاعَةِ لَفِيْ ضَلٰلٍۢ بَعِيْدٍ ١٨

yastaʿjilu
يَسْتَعْجِلُ
जल्दी माँगते है
bihā
بِهَا
उसे
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
لَا
नहीं वो ईमान लाते
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
नहीं वो ईमान लाते
bihā
بِهَاۖ
उस पर
wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हैं
mush'fiqūna
مُشْفِقُونَ
डरने वाले हैं
min'hā
مِنْهَا
उससे
wayaʿlamūna
وَيَعْلَمُونَ
और वो इल्म रखते हैं
annahā
أَنَّهَا
कि बेशक वो
l-ḥaqu
ٱلْحَقُّۗ
हक़ है
alā
أَلَآ
ख़बरदार
inna
إِنَّ
बेशक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
yumārūna
يُمَارُونَ
झगड़ते हैं
فِى
क़यामत के बारे में
l-sāʿati
ٱلسَّاعَةِ
क़यामत के बारे में
lafī
لَفِى
अलबत्ता गुमराही में हैं
ḍalālin
ضَلَٰلٍۭ
अलबत्ता गुमराही में हैं
baʿīdin
بَعِيدٍ
दूर की
उसकी जल्दी वे लोग मचाते है जो उसपर ईमान नहीं रखते, किन्तु जो ईमान रखते है वे तो उससे डरते है और जानते है कि वह सत्य है। जान लो, जो लोग उस घड़ी के बारे में सन्देह डालनेवाली बहसें करते है, वे परले दरजे की गुमराही में पड़े हुए है ([४२] अश-शूरा: 18)
Tafseer (तफ़सीर )
१९

اَللّٰهُ لَطِيْفٌۢ بِعِبَادِهٖ يَرْزُقُ مَنْ يَّشَاۤءُ ۚوَهُوَ الْقَوِيُّ الْعَزِيْزُ ࣖ ١٩

al-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
laṭīfun
لَطِيفٌۢ
बहुत महरबान है
biʿibādihi
بِعِبَادِهِۦ
अपने बन्दों पर
yarzuqu
يَرْزُقُ
वो रिज़्क़ देता है
man
مَن
जिसे
yashāu
يَشَآءُۖ
वो चाहता है
wahuwa
وَهُوَ
और वो
l-qawiyu
ٱلْقَوِىُّ
बहुत क़ुव्वत वाला है
l-ʿazīzu
ٱلْعَزِيزُ
ख़ूब ग़लबे वाला है
अल्लाह अपने बन्दों पर अत्यन्त दयालु है। वह जिसे चाहता है रोज़ी देता है। वह शक्तिमान, अत्यन्त प्रभुत्वशाली है ([४२] अश-शूरा: 19)
Tafseer (तफ़सीर )
२०

مَنْ كَانَ يُرِيْدُ حَرْثَ الْاٰخِرَةِ نَزِدْ لَهٗ فِيْ حَرْثِهٖۚ وَمَنْ كَانَ يُرِيْدُ حَرْثَ الدُّنْيَا نُؤْتِهٖ مِنْهَاۙ وَمَا لَهٗ فِى الْاٰخِرَةِ مِنْ نَّصِيْبٍ ٢٠

man
مَن
जो कोई
kāna
كَانَ
है
yurīdu
يُرِيدُ
चाहता
ḥartha
حَرْثَ
खेती
l-ākhirati
ٱلْءَاخِرَةِ
आख़िरत की
nazid
نَزِدْ
हम ज़्यादा कर देंगे
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
فِى
उसकी खेती में
ḥarthihi
حَرْثِهِۦۖ
उसकी खेती में
waman
وَمَن
और जो कोई
kāna
كَانَ
है
yurīdu
يُرِيدُ
चाहता
ḥartha
حَرْثَ
खेती
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَا
दुनिया की
nu'tihi
نُؤْتِهِۦ
हम देते हैं उसे
min'hā
مِنْهَا
उसमें से
wamā
وَمَا
और नहीं होगा
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
فِى
आख़िरत में
l-ākhirati
ٱلْءَاخِرَةِ
आख़िरत में
min
مِن
कोई हिस्सा
naṣībin
نَّصِيبٍ
कोई हिस्सा
जो कोई आख़िरत की खेती चाहता है, हम उसके लिए उसकी खेती में बढ़ोत्तरी प्रदान करेंगे और जो कोई दुनिया की खेती चाहता है, हम उसमें से उसे कुछ दे देते है, किन्तु आख़िरत में उसका कोई हिस्सा नहीं ([४२] अश-शूरा: 20)
Tafseer (तफ़सीर )