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सूरा अश-शूरा - शब्द द्वारा शब्द

Ash-Shuraa

(परिषद, विधान)

bismillaahirrahmaanirrahiim

حٰمۤ ۚ ١

hha-meem
حمٓ
ح م
हा॰ मीम॰ ([४२] अश-शूरा: 1)
Tafseer (तफ़सीर )

عۤسۤقۤ ۗ ٢

ain-seen-qaf
عٓسٓقٓ
ع س ق
ऐन॰ सीन॰ क़ाफ़॰ ([४२] अश-शूरा: 2)
Tafseer (तफ़सीर )

كَذٰلِكَ يُوْحِيْٓ اِلَيْكَ وَاِلَى الَّذِيْنَ مِنْ قَبْلِكَۙ اللّٰهُ الْعَزِيْزُ الْحَكِيْمُ ٣

kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
yūḥī
يُوحِىٓ
वही करता है
ilayka
إِلَيْكَ
तरफ़ आपके
wa-ilā
وَإِلَى
और तरफ़
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनके जो
min
مِن
आपसे पहले थे
qablika
قَبْلِكَ
आपसे पहले थे
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
l-ʿazīzu
ٱلْعَزِيزُ
जो बड़ा ज़बरदस्त है
l-ḥakīmu
ٱلْحَكِيمُ
ख़ूब हिकमत वाला है
इसी प्रकार अल्लाह प्रुभत्वशाली, तत्वदर्शी तुम्हारी ओर और उन लोगों की ओर प्रकाशना (वह्यप) करता रहा है, जो तुमसे पहले गुज़र चुके है ([४२] अश-शूरा: 3)
Tafseer (तफ़सीर )

لَهٗ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَمَا فِى الْاَرْضِۗ وَهُوَ الْعَلِيُّ الْعَظِيْمُ ٤

lahu
لَهُۥ
उसी के लिए ही है
مَا
जो
فِى
आसमानों में है
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों में है
wamā
وَمَا
और जो
فِى
ज़मीन में है
l-arḍi
ٱلْأَرْضِۖ
ज़मीन में है
wahuwa
وَهُوَ
और वो
l-ʿaliyu
ٱلْعَلِىُّ
बहुत बुलन्द है
l-ʿaẓīmu
ٱلْعَظِيمُ
बहुत बड़ा है
आकाशों और धरती में जो कुछ है उसी का है और वह सर्वोच्च महिमावान है ([४२] अश-शूरा: 4)
Tafseer (तफ़सीर )

تَكَادُ السَّمٰوٰتُ يَتَفَطَّرْنَ مِنْ فَوْقِهِنَّ وَالْمَلٰۤىِٕكَةُ يُسَبِّحُوْنَ بِحَمْدِ رَبِّهِمْ وَيَسْتَغْفِرُوْنَ لِمَنْ فِى الْاَرْضِۗ اَلَآ اِنَّ اللّٰهَ هُوَ الْغَفُوْرُ الرَّحِيْمُ ٥

takādu
تَكَادُ
क़रीब है कि
l-samāwātu
ٱلسَّمَٰوَٰتُ
आसमान
yatafaṭṭarna
يَتَفَطَّرْنَ
वो फट पड़ें
min
مِن
अपने ऊपर से
fawqihinna
فَوْقِهِنَّۚ
अपने ऊपर से
wal-malāikatu
وَٱلْمَلَٰٓئِكَةُ
और फ़रिश्ते
yusabbiḥūna
يُسَبِّحُونَ
वो तस्बीह करते हैं
biḥamdi
بِحَمْدِ
साथ तारीफ़ के
rabbihim
رَبِّهِمْ
अपने रब की
wayastaghfirūna
وَيَسْتَغْفِرُونَ
और वो बख़्शिश माँगते हैं
liman
لِمَن
उनके लिए जो
فِى
ज़मीन में हैं
l-arḍi
ٱلْأَرْضِۗ
ज़मीन में हैं
alā
أَلَآ
ख़बरदार
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
huwa
هُوَ
वो ही है
l-ghafūru
ٱلْغَفُورُ
बहुत बख़्शने वाला
l-raḥīmu
ٱلرَّحِيمُ
निहायत रहम करने वाला
लगता है कि आकाश स्वयं अपने ऊपर से फट पड़े। हाल यह है कि फ़रिश्ते अपने रब का गुणगान कर रहे, और उन लोगों के लिए जो धरती में है, क्षमा की प्रार्थना करते रहते है। सुन लो! निश्चय ही अल्लाह ही क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है ([४२] अश-शूरा: 5)
Tafseer (तफ़सीर )

وَالَّذِيْنَ اتَّخَذُوْا مِنْ دُوْنِهٖٓ اَوْلِيَاۤءَ اللّٰهُ حَفِيْظٌ عَلَيْهِمْۖ وَمَآ اَنْتَ عَلَيْهِمْ بِوَكِيْلٍ ٦

wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जिन्होंने
ittakhadhū
ٱتَّخَذُوا۟
बना लिया
min
مِن
उसके सिवा
dūnihi
دُونِهِۦٓ
उसके सिवा
awliyāa
أَوْلِيَآءَ
हिमायती / दोस्त
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ḥafīẓun
حَفِيظٌ
ख़ूब निगहबान है
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर
wamā
وَمَآ
और नहीं
anta
أَنتَ
आप
ʿalayhim
عَلَيْهِم
उन पर
biwakīlin
بِوَكِيلٍ
कोई ज़िम्मेदार
और जिन लोगों ने उससे हटकर अपने कुछ दूसरे संरक्षक बना रखे हैं, अल्लाह उनपर निगरानी रखे हुए है। तुम उनके कोई ज़िम्मेदार नहीं हो ([४२] अश-शूरा: 6)
Tafseer (तफ़सीर )

وَكَذٰلِكَ اَوْحَيْنَآ اِلَيْكَ قُرْاٰنًا عَرَبِيًّا لِّتُنْذِرَ اُمَّ الْقُرٰى وَمَنْ حَوْلَهَا وَتُنْذِرَ يَوْمَ الْجَمْعِ لَا رَيْبَ فِيْهِ ۗفَرِيْقٌ فِى الْجَنَّةِ وَفَرِيْقٌ فِى السَّعِيْرِ ٧

wakadhālika
وَكَذَٰلِكَ
और इसी तरह
awḥaynā
أَوْحَيْنَآ
वही की हमने
ilayka
إِلَيْكَ
तरफ़ आपके
qur'ānan
قُرْءَانًا
क़ुरान
ʿarabiyyan
عَرَبِيًّا
अर्बी
litundhira
لِّتُنذِرَ
ताकि आप डराऐं
umma
أُمَّ
मक्का वालों को
l-qurā
ٱلْقُرَىٰ
मक्का वालों को
waman
وَمَنْ
और उनको जो
ḥawlahā
حَوْلَهَا
इर्द -गिर्द हैं उसके
watundhira
وَتُنذِرَ
और आप डराऐं
yawma
يَوْمَ
जमा होने के दिन से
l-jamʿi
ٱلْجَمْعِ
जमा होने के दिन से
لَا
नहीं कोई शक
rayba
رَيْبَ
नहीं कोई शक
fīhi
فِيهِۚ
उसमें
farīqun
فَرِيقٌ
एक गिरोह ( होगा )
فِى
जन्नत में
l-janati
ٱلْجَنَّةِ
जन्नत में
wafarīqun
وَفَرِيقٌ
और एक गिरोह (होगा)
فِى
दोज़ख़ में
l-saʿīri
ٱلسَّعِيرِ
दोज़ख़ में
और (जैसे हम स्पष्ट आयतें उतारते है) उसी प्रकार हमने तुम्हारी ओर एक अरबी क़ुरआन की प्रकाशना की है, ताकि तुम बस्तियों के केन्द्र (मक्का) को और जो लोग उसके चतुर्दिक है उनको सचेत कर दो और सचेत करो इकट्ठा होने के दिन से, जिसमें कोई सन्देह नहीं। एक गिरोह जन्नत में होगा और एक गिरोह भड़कती आग में ([४२] अश-शूरा: 7)
Tafseer (तफ़सीर )

وَلَوْ شَاۤءَ اللّٰهُ لَجَعَلَهُمْ اُمَّةً وَّاحِدَةً وَّلٰكِنْ يُّدْخِلُ مَنْ يَّشَاۤءُ فِيْ رَحْمَتِهٖۗ وَالظّٰلِمُوْنَ مَا لَهُمْ مِّنْ وَّلِيٍّ وَّلَا نَصِيْرٍ ٨

walaw
وَلَوْ
और अगर
shāa
شَآءَ
चाहता
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
lajaʿalahum
لَجَعَلَهُمْ
अलबत्ता वो बना देता उन्हें
ummatan
أُمَّةً
उम्मत
wāḥidatan
وَٰحِدَةً
एक ही
walākin
وَلَٰكِن
और लेकिन
yud'khilu
يُدْخِلُ
वो दाख़िल करता है
man
مَن
जिसे
yashāu
يَشَآءُ
वो चाहता है
فِى
अपनी रहमत में
raḥmatihi
رَحْمَتِهِۦۚ
अपनी रहमत में
wal-ẓālimūna
وَٱلظَّٰلِمُونَ
और जो ज़ालिम हैं
مَا
नहीं
lahum
لَهُم
उनके लिए
min
مِّن
कोई दोस्त
waliyyin
وَلِىٍّ
कोई दोस्त
walā
وَلَا
और ना
naṣīrin
نَصِيرٍ
कोई मददगार
यदि अल्लाह चाहता तो उन्हें एक ही समुदाय बना देता, किन्तु वह जिसे चाहता है अपनी दयालुता में दाख़िल करता है। रहे ज़ालिम, तो उनका न तो कोई निकटवर्ती मित्र है और न कोई (दूर का) सहायक ([४२] अश-शूरा: 8)
Tafseer (तफ़सीर )

اَمِ اتَّخَذُوْا مِنْ دُوْنِهٖٓ اَوْلِيَاۤءَۚ فَاللّٰهُ هُوَ الْوَلِيُّ وَهُوَ يُحْيِ الْمَوْتٰى ۖوَهُوَ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ ࣖ ٩

ami
أَمِ
या
ittakhadhū
ٱتَّخَذُوا۟
उन्होंने बना रखे हैं
min
مِن
उसके सिवा
dūnihi
دُونِهِۦٓ
उसके सिवा
awliyāa
أَوْلِيَآءَۖ
कारसाज़
fal-lahu
فَٱللَّهُ
पस अल्लाह
huwa
هُوَ
वो ही है
l-waliyu
ٱلْوَلِىُّ
कारसाज़
wahuwa
وَهُوَ
और वो
yuḥ'yī
يُحْىِ
वो ज़िन्दा करेगा
l-mawtā
ٱلْمَوْتَىٰ
मुर्दों को
wahuwa
وَهُوَ
और वो
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर
kulli
كُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ के
qadīrun
قَدِيرٌ
ख़ूब क़ुदरत रखने वाला है
(क्या उन्होंने अल्लाह से हटकर दूसरे सहायक बना लिए है,) या उन्होंने उससे हटकर दूसरे संरक्षक बना रखे है? संरक्षक तो अल्लाह ही है। वही मुर्दों को जीवित करता है और उसे हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है ([४२] अश-शूरा: 9)
Tafseer (तफ़सीर )
१०

وَمَا اخْتَلَفْتُمْ فِيْهِ مِنْ شَيْءٍ فَحُكْمُهٗٓ اِلَى اللّٰهِ ۗذٰلِكُمُ اللّٰهُ رَبِّيْ عَلَيْهِ تَوَكَّلْتُۖ وَاِلَيْهِ اُنِيْبُ ١٠

wamā
وَمَا
और जो भी
ikh'talaftum
ٱخْتَلَفْتُمْ
इख़्तिलाफ़ किया तुमने
fīhi
فِيهِ
उसमें
min
مِن
किसी चीज़ से
shayin
شَىْءٍ
किसी चीज़ से
faḥuk'muhu
فَحُكْمُهُۥٓ
तो फ़ैसला उसका
ilā
إِلَى
तरफ़ अल्लाह के है
l-lahi
ٱللَّهِۚ
तरफ़ अल्लाह के है
dhālikumu
ذَٰلِكُمُ
ये है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
rabbī
رَبِّى
रब मेरा
ʿalayhi
عَلَيْهِ
उसी पर
tawakkaltu
تَوَكَّلْتُ
तवक्कल किया मैं ने
wa-ilayhi
وَإِلَيْهِ
और उसका की तरफ़
unību
أُنِيبُ
मैं रुजूअ करता हूँ
(रसूल ने कहा,) 'जिस चीज़ में तुमने विभेद किया है उसका फ़ैसला तो अल्लाह के हवाले है। वही अल्लाह मेरा रब है। उसी पर मैंने भरोसा किया है, और उसी की ओर में रुजू करता हूँ ([४२] अश-शूरा: 10)
Tafseer (तफ़सीर )