كَذٰلِكَ يُوْحِيْٓ اِلَيْكَ وَاِلَى الَّذِيْنَ مِنْ قَبْلِكَۙ اللّٰهُ الْعَزِيْزُ الْحَكِيْمُ ٣
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह
- yūḥī
- يُوحِىٓ
- वही करता है
- ilayka
- إِلَيْكَ
- तरफ़ आपके
- wa-ilā
- وَإِلَى
- और तरफ़
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनके जो
- min
- مِن
- आपसे पहले थे
- qablika
- قَبْلِكَ
- आपसे पहले थे
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- l-ʿazīzu
- ٱلْعَزِيزُ
- जो बड़ा ज़बरदस्त है
- l-ḥakīmu
- ٱلْحَكِيمُ
- ख़ूब हिकमत वाला है
इसी प्रकार अल्लाह प्रुभत्वशाली, तत्वदर्शी तुम्हारी ओर और उन लोगों की ओर प्रकाशना (वह्यप) करता रहा है, जो तुमसे पहले गुज़र चुके है ([४२] अश-शूरा: 3)Tafseer (तफ़सीर )
لَهٗ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَمَا فِى الْاَرْضِۗ وَهُوَ الْعَلِيُّ الْعَظِيْمُ ٤
- lahu
- لَهُۥ
- उसी के लिए ही है
- mā
- مَا
- जो
- fī
- فِى
- आसमानों में है
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों में है
- wamā
- وَمَا
- और जो
- fī
- فِى
- ज़मीन में है
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِۖ
- ज़मीन में है
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- l-ʿaliyu
- ٱلْعَلِىُّ
- बहुत बुलन्द है
- l-ʿaẓīmu
- ٱلْعَظِيمُ
- बहुत बड़ा है
आकाशों और धरती में जो कुछ है उसी का है और वह सर्वोच्च महिमावान है ([४२] अश-शूरा: 4)Tafseer (तफ़सीर )
تَكَادُ السَّمٰوٰتُ يَتَفَطَّرْنَ مِنْ فَوْقِهِنَّ وَالْمَلٰۤىِٕكَةُ يُسَبِّحُوْنَ بِحَمْدِ رَبِّهِمْ وَيَسْتَغْفِرُوْنَ لِمَنْ فِى الْاَرْضِۗ اَلَآ اِنَّ اللّٰهَ هُوَ الْغَفُوْرُ الرَّحِيْمُ ٥
- takādu
- تَكَادُ
- क़रीब है कि
- l-samāwātu
- ٱلسَّمَٰوَٰتُ
- आसमान
- yatafaṭṭarna
- يَتَفَطَّرْنَ
- वो फट पड़ें
- min
- مِن
- अपने ऊपर से
- fawqihinna
- فَوْقِهِنَّۚ
- अपने ऊपर से
- wal-malāikatu
- وَٱلْمَلَٰٓئِكَةُ
- और फ़रिश्ते
- yusabbiḥūna
- يُسَبِّحُونَ
- वो तस्बीह करते हैं
- biḥamdi
- بِحَمْدِ
- साथ तारीफ़ के
- rabbihim
- رَبِّهِمْ
- अपने रब की
- wayastaghfirūna
- وَيَسْتَغْفِرُونَ
- और वो बख़्शिश माँगते हैं
- liman
- لِمَن
- उनके लिए जो
- fī
- فِى
- ज़मीन में हैं
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِۗ
- ज़मीन में हैं
- alā
- أَلَآ
- ख़बरदार
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- huwa
- هُوَ
- वो ही है
- l-ghafūru
- ٱلْغَفُورُ
- बहुत बख़्शने वाला
- l-raḥīmu
- ٱلرَّحِيمُ
- निहायत रहम करने वाला
लगता है कि आकाश स्वयं अपने ऊपर से फट पड़े। हाल यह है कि फ़रिश्ते अपने रब का गुणगान कर रहे, और उन लोगों के लिए जो धरती में है, क्षमा की प्रार्थना करते रहते है। सुन लो! निश्चय ही अल्लाह ही क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है ([४२] अश-शूरा: 5)Tafseer (तफ़सीर )
وَالَّذِيْنَ اتَّخَذُوْا مِنْ دُوْنِهٖٓ اَوْلِيَاۤءَ اللّٰهُ حَفِيْظٌ عَلَيْهِمْۖ وَمَآ اَنْتَ عَلَيْهِمْ بِوَكِيْلٍ ٦
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जिन्होंने
- ittakhadhū
- ٱتَّخَذُوا۟
- बना लिया
- min
- مِن
- उसके सिवा
- dūnihi
- دُونِهِۦٓ
- उसके सिवा
- awliyāa
- أَوْلِيَآءَ
- हिमायती / दोस्त
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- ḥafīẓun
- حَفِيظٌ
- ख़ूब निगहबान है
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْ
- उन पर
- wamā
- وَمَآ
- और नहीं
- anta
- أَنتَ
- आप
- ʿalayhim
- عَلَيْهِم
- उन पर
- biwakīlin
- بِوَكِيلٍ
- कोई ज़िम्मेदार
और जिन लोगों ने उससे हटकर अपने कुछ दूसरे संरक्षक बना रखे हैं, अल्लाह उनपर निगरानी रखे हुए है। तुम उनके कोई ज़िम्मेदार नहीं हो ([४२] अश-शूरा: 6)Tafseer (तफ़सीर )
وَكَذٰلِكَ اَوْحَيْنَآ اِلَيْكَ قُرْاٰنًا عَرَبِيًّا لِّتُنْذِرَ اُمَّ الْقُرٰى وَمَنْ حَوْلَهَا وَتُنْذِرَ يَوْمَ الْجَمْعِ لَا رَيْبَ فِيْهِ ۗفَرِيْقٌ فِى الْجَنَّةِ وَفَرِيْقٌ فِى السَّعِيْرِ ٧
- wakadhālika
- وَكَذَٰلِكَ
- और इसी तरह
- awḥaynā
- أَوْحَيْنَآ
- वही की हमने
- ilayka
- إِلَيْكَ
- तरफ़ आपके
- qur'ānan
- قُرْءَانًا
- क़ुरान
- ʿarabiyyan
- عَرَبِيًّا
- अर्बी
- litundhira
- لِّتُنذِرَ
- ताकि आप डराऐं
- umma
- أُمَّ
- मक्का वालों को
- l-qurā
- ٱلْقُرَىٰ
- मक्का वालों को
- waman
- وَمَنْ
- और उनको जो
- ḥawlahā
- حَوْلَهَا
- इर्द -गिर्द हैं उसके
- watundhira
- وَتُنذِرَ
- और आप डराऐं
- yawma
- يَوْمَ
- जमा होने के दिन से
- l-jamʿi
- ٱلْجَمْعِ
- जमा होने के दिन से
- lā
- لَا
- नहीं कोई शक
- rayba
- رَيْبَ
- नहीं कोई शक
- fīhi
- فِيهِۚ
- उसमें
- farīqun
- فَرِيقٌ
- एक गिरोह ( होगा )
- fī
- فِى
- जन्नत में
- l-janati
- ٱلْجَنَّةِ
- जन्नत में
- wafarīqun
- وَفَرِيقٌ
- और एक गिरोह (होगा)
- fī
- فِى
- दोज़ख़ में
- l-saʿīri
- ٱلسَّعِيرِ
- दोज़ख़ में
और (जैसे हम स्पष्ट आयतें उतारते है) उसी प्रकार हमने तुम्हारी ओर एक अरबी क़ुरआन की प्रकाशना की है, ताकि तुम बस्तियों के केन्द्र (मक्का) को और जो लोग उसके चतुर्दिक है उनको सचेत कर दो और सचेत करो इकट्ठा होने के दिन से, जिसमें कोई सन्देह नहीं। एक गिरोह जन्नत में होगा और एक गिरोह भड़कती आग में ([४२] अश-शूरा: 7)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَوْ شَاۤءَ اللّٰهُ لَجَعَلَهُمْ اُمَّةً وَّاحِدَةً وَّلٰكِنْ يُّدْخِلُ مَنْ يَّشَاۤءُ فِيْ رَحْمَتِهٖۗ وَالظّٰلِمُوْنَ مَا لَهُمْ مِّنْ وَّلِيٍّ وَّلَا نَصِيْرٍ ٨
- walaw
- وَلَوْ
- और अगर
- shāa
- شَآءَ
- चाहता
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- lajaʿalahum
- لَجَعَلَهُمْ
- अलबत्ता वो बना देता उन्हें
- ummatan
- أُمَّةً
- उम्मत
- wāḥidatan
- وَٰحِدَةً
- एक ही
- walākin
- وَلَٰكِن
- और लेकिन
- yud'khilu
- يُدْخِلُ
- वो दाख़िल करता है
- man
- مَن
- जिसे
- yashāu
- يَشَآءُ
- वो चाहता है
- fī
- فِى
- अपनी रहमत में
- raḥmatihi
- رَحْمَتِهِۦۚ
- अपनी रहमत में
- wal-ẓālimūna
- وَٱلظَّٰلِمُونَ
- और जो ज़ालिम हैं
- mā
- مَا
- नहीं
- lahum
- لَهُم
- उनके लिए
- min
- مِّن
- कोई दोस्त
- waliyyin
- وَلِىٍّ
- कोई दोस्त
- walā
- وَلَا
- और ना
- naṣīrin
- نَصِيرٍ
- कोई मददगार
यदि अल्लाह चाहता तो उन्हें एक ही समुदाय बना देता, किन्तु वह जिसे चाहता है अपनी दयालुता में दाख़िल करता है। रहे ज़ालिम, तो उनका न तो कोई निकटवर्ती मित्र है और न कोई (दूर का) सहायक ([४२] अश-शूरा: 8)Tafseer (तफ़सीर )
اَمِ اتَّخَذُوْا مِنْ دُوْنِهٖٓ اَوْلِيَاۤءَۚ فَاللّٰهُ هُوَ الْوَلِيُّ وَهُوَ يُحْيِ الْمَوْتٰى ۖوَهُوَ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ ࣖ ٩
- ami
- أَمِ
- या
- ittakhadhū
- ٱتَّخَذُوا۟
- उन्होंने बना रखे हैं
- min
- مِن
- उसके सिवा
- dūnihi
- دُونِهِۦٓ
- उसके सिवा
- awliyāa
- أَوْلِيَآءَۖ
- कारसाज़
- fal-lahu
- فَٱللَّهُ
- पस अल्लाह
- huwa
- هُوَ
- वो ही है
- l-waliyu
- ٱلْوَلِىُّ
- कारसाज़
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- yuḥ'yī
- يُحْىِ
- वो ज़िन्दा करेगा
- l-mawtā
- ٱلْمَوْتَىٰ
- मुर्दों को
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- kulli
- كُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ के
- qadīrun
- قَدِيرٌ
- ख़ूब क़ुदरत रखने वाला है
(क्या उन्होंने अल्लाह से हटकर दूसरे सहायक बना लिए है,) या उन्होंने उससे हटकर दूसरे संरक्षक बना रखे है? संरक्षक तो अल्लाह ही है। वही मुर्दों को जीवित करता है और उसे हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है ([४२] अश-शूरा: 9)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَا اخْتَلَفْتُمْ فِيْهِ مِنْ شَيْءٍ فَحُكْمُهٗٓ اِلَى اللّٰهِ ۗذٰلِكُمُ اللّٰهُ رَبِّيْ عَلَيْهِ تَوَكَّلْتُۖ وَاِلَيْهِ اُنِيْبُ ١٠
- wamā
- وَمَا
- और जो भी
- ikh'talaftum
- ٱخْتَلَفْتُمْ
- इख़्तिलाफ़ किया तुमने
- fīhi
- فِيهِ
- उसमें
- min
- مِن
- किसी चीज़ से
- shayin
- شَىْءٍ
- किसी चीज़ से
- faḥuk'muhu
- فَحُكْمُهُۥٓ
- तो फ़ैसला उसका
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ अल्लाह के है
- l-lahi
- ٱللَّهِۚ
- तरफ़ अल्लाह के है
- dhālikumu
- ذَٰلِكُمُ
- ये है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- rabbī
- رَبِّى
- रब मेरा
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- उसी पर
- tawakkaltu
- تَوَكَّلْتُ
- तवक्कल किया मैं ने
- wa-ilayhi
- وَإِلَيْهِ
- और उसका की तरफ़
- unību
- أُنِيبُ
- मैं रुजूअ करता हूँ
(रसूल ने कहा,) 'जिस चीज़ में तुमने विभेद किया है उसका फ़ैसला तो अल्लाह के हवाले है। वही अल्लाह मेरा रब है। उसी पर मैंने भरोसा किया है, और उसी की ओर में रुजू करता हूँ ([४२] अश-शूरा: 10)Tafseer (तफ़सीर )