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सूरा फुसिलत - Page: 6

Fussilat

(विस्तृत व्याख्या)

५१

وَاِذَآ اَنْعَمْنَا عَلَى الْاِنْسَانِ اَعْرَضَ وَنَاٰ بِجَانِبِهٖۚ وَاِذَا مَسَّهُ الشَّرُّ فَذُوْ دُعَاۤءٍ عَرِيْضٍ ٥١

wa-idhā
وَإِذَآ
और जब
anʿamnā
أَنْعَمْنَا
इनआम करते हैं हम
ʿalā
عَلَى
इन्सान पर
l-insāni
ٱلْإِنسَٰنِ
इन्सान पर
aʿraḍa
أَعْرَضَ
वो ऐराज़ करता है
wanaā
وَنَـَٔا
और वो फेर लेता है
bijānibihi
بِجَانِبِهِۦ
पहलू अपना
wa-idhā
وَإِذَا
और जब
massahu
مَسَّهُ
पहुँचती है उसे
l-sharu
ٱلشَّرُّ
तक्लीफ़
fadhū
فَذُو
तो दुआ करने वाला हो जाता है
duʿāin
دُعَآءٍ
तो दुआ करने वाला हो जाता है
ʿarīḍin
عَرِيضٍ
लम्बी चौड़ी
जब हम मनुष्य पर अनुकम्पा करते है तो वह ध्यान में नहीं लाता और अपना पहलू फेर लेता है। किन्तु जब उसे तकलीफ़ छू जाती है, तो वह लम्बी-चौड़ी प्रार्थनाएँ करने लगता है ([४१] फुसिलत: 51)
Tafseer (तफ़सीर )
५२

قُلْ اَرَءَيْتُمْ اِنْ كَانَ مِنْ عِنْدِ اللّٰهِ ثُمَّ كَفَرْتُمْ بِهٖ مَنْ اَضَلُّ مِمَّنْ هُوَ فِيْ شِقَاقٍۢ بَعِيْدٍ ٥٢

qul
قُلْ
कह दीजिए
ara-aytum
أَرَءَيْتُمْ
क्या ग़ौर किया तुमने
in
إِن
अगर
kāna
كَانَ
है वो
min
مِنْ
अल्लाह की तरफ़ से
ʿindi
عِندِ
अल्लाह की तरफ़ से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की तरफ़ से
thumma
ثُمَّ
फिर
kafartum
كَفَرْتُم
कुफ़्र किया तुमने
bihi
بِهِۦ
उसका
man
مَنْ
कौन
aḍallu
أَضَلُّ
ज़्यादा भटका हुआ है
mimman
مِمَّنْ
उससे जो
huwa
هُوَ
वो
فِى
मुख़ालफ़त में है
shiqāqin
شِقَاقٍۭ
मुख़ालफ़त में है
baʿīdin
بَعِيدٍ
बहुत दूर की
कह दो, 'क्या तुमने विचार किया, यदि वह (क़ुरआन) अल्लाह की ओर सो ही हुआ और तुमने उसका इनकार किया तो उससे बढ़कर भटका हुआ और कौन होगा जो विरोध में बहुत दूर जा पड़ा हो?' ([४१] फुसिलत: 52)
Tafseer (तफ़सीर )
५३

سَنُرِيْهِمْ اٰيٰتِنَا فِى الْاٰفَاقِ وَفِيْٓ اَنْفُسِهِمْ حَتّٰى يَتَبَيَّنَ لَهُمْ اَنَّهُ الْحَقُّۗ اَوَلَمْ يَكْفِ بِرَبِّكَ اَنَّهٗ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ شَهِيْدٌ ٥٣

sanurīhim
سَنُرِيهِمْ
अनक़रीब हम दिखाएँगे उन्हे
āyātinā
ءَايَٰتِنَا
निशानियाँ अपनी
فِى
आफ़ाक़ / अतराफ़ में
l-āfāqi
ٱلْءَافَاقِ
आफ़ाक़ / अतराफ़ में
wafī
وَفِىٓ
और उनके नफ़्सों में
anfusihim
أَنفُسِهِمْ
और उनके नफ़्सों में
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
yatabayyana
يَتَبَيَّنَ
वाज़ेह हो जाएगा
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
annahu
أَنَّهُ
कि बेशक वो
l-ḥaqu
ٱلْحَقُّۗ
हक़ है
awalam
أَوَلَمْ
क्या भला नहीं
yakfi
يَكْفِ
काफ़ी
birabbika
بِرَبِّكَ
आपका रब (उस पर)
annahu
أَنَّهُۥ
कि बेशक वो
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर
kulli
كُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ के
shahīdun
شَهِيدٌ
ख़ूब गवाह है
शीघ्र ही हम उन्हें अपनी निशानियाँ वाह्य क्षेत्रों में दिखाएँगे और स्वयं उनके अपने भीतर भी, यहाँ तक कि उनपर स्पष्टा हो जाएगा कि वह (क़ुरआन) सत्य है। क्या तुम्हारा रब इस दृष्टि, से काफ़ी नहीं कि वह हर चीज़ का साक्षी है ([४१] फुसिलत: 53)
Tafseer (तफ़सीर )
५४

اَلَآ اِنَّهُمْ فِيْ مِرْيَةٍ مِّنْ لِّقَاۤءِ رَبِّهِمْ ۗ اَلَآ اِنَّهٗ بِكُلِّ شَيْءٍ مُّحِيْطٌ ࣖ ٥٤

alā
أَلَآ
ख़बरदार
innahum
إِنَّهُمْ
बेशक वो
فِى
शक में हैं
mir'yatin
مِرْيَةٍ
शक में हैं
min
مِّن
मुलाक़ात से
liqāi
لِّقَآءِ
मुलाक़ात से
rabbihim
رَبِّهِمْۗ
अपने रब की
alā
أَلَآ
ख़बरदार
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
bikulli
بِكُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ का
muḥīṭun
مُّحِيطٌۢ
एहाता करने वाला है
जान लो कि वे लोग अपने रब से मिलन के बारे में संदेह में पड़े हुए है। जान लो कि निश्चय ही वह हर चीज़ को अपने घेरे में लिए हुए है ([४१] फुसिलत: 54)
Tafseer (तफ़सीर )